धरणीपुर की कहानी… सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उस सोच की है जो बदलाव की राह पर चल पड़ी। जब राजनीति बन गई स्वार्थ का साधन, तब एक युवा इंजीनियर ने उठाया बीड़ा – “वादा नहीं, जिम्मेदारी निभाने का!” ईशान ने न सिर्फ चुनाव जीता, बल्कि लोगों का दिल भी जीत लिया। देखिए, कैसे एक आम युवक ने व्यवस्था में परिवर्तन लाकर, जातिवाद और भाषणबाज़ी की राजनीति को पछाड़ दिया। क्या ऐसे लोग ही हमारे असली नेता नहीं होने चाहिए? अपनी राय कमेंट में ज़रूर साझा करें।
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