लेखक: कौशलेन्‍द्र झा

  • गांव का बेटा बना बदलाव का चेहरा: बदल दी राजनीति की परिभाषा

    गांव का बेटा बना बदलाव का चेहरा: बदल दी राजनीति की परिभाषा

    धरणीपुर की कहानी… सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उस सोच की है जो बदलाव की राह पर चल पड़ी। जब राजनीति बन गई स्वार्थ का साधन, तब एक युवा इंजीनियर ने उठाया बीड़ा – “वादा नहीं, जिम्मेदारी निभाने का!” ईशान ने न सिर्फ चुनाव जीता, बल्कि लोगों का दिल भी जीत लिया। देखिए, कैसे एक आम युवक ने व्यवस्था में परिवर्तन लाकर, जातिवाद और भाषणबाज़ी की राजनीति को पछाड़ दिया। क्या ऐसे लोग ही हमारे असली नेता नहीं होने चाहिए? अपनी राय कमेंट में ज़रूर साझा करें।

  • ये पार्क नहीं… जार्ज फर्नांडिस की जीवित यादें है

    ये पार्क नहीं… जार्ज फर्नांडिस की जीवित यादें है

    क्या आप जानते हैं कि मुजफ्फरपुर शहर के बीचों-बीच एक ऐसी जगह है, जहां हर सुबह की हवा में इतिहास की गूंज सुनाई देती है? यह कोई आम पार्क नहीं… यह जार्ज फर्नांडिस स्मृति उद्यान है — एक ऐसा स्थान जो सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि विचारों की ऊर्जा से भरपूर है। इस वीडियो में जानिए कैसे बना ‘सिटी पार्क’ से ‘जार्ज स्मृति उद्यान’… और कैसे यह पार्क आज मुजफ्फरपुर की आत्मा बन चुका है। सुबह की योगा क्लास से लेकर शाम की सुकून भरी हवा तक — इस जगह की हर बात प्रेरणादायक है। 🎥 पार्क का इतिहास 🎤 जॉर्ज फर्नांडिस की छाप 🌿 लोगों से जुड़ा जुड़ाव 📍 क्यों आपको यहां जरूर आना चाहिए! 📣 वीडियो अच्छा लगे तो Like, Comment और Share जरूर करें। और चैनल को सब्सक्राइब कर के घंटी बजा दीजिए, ताकि ऐसे और वीडियो आप मिस ना करें।

  • अपनों को ठुकराने की भूल, जब सच सामने आया तो पैरों तले जमीन खिसक गई

    अपनों को ठुकराने की भूल, जब सच सामने आया तो पैरों तले जमीन खिसक गई

    क्या अपनों से दूर जाने का फैसला सही था? रमेश को अपने ससुराल की चमक-धमक भा गई और उसने अपनी जड़ों को छोड़ दिया। लेकिन जब असलियत सामने आई तो उसके होश उड़ गए! आखिर रमेश के साथ ऐसा क्या हुआ? जानिए इस दिल छू लेने वाली कहानी में, जो जिंदगी का बड़ा सबक सिखाती है। ❤️ अपनों की अहमियत को समझें! 📌 वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें!

  • केकेएन लाइव का ऐतिहासिक सफर: 8 साल में 175 देशों तक पहुँचा, जानिए पूरी कहानी

    केकेएन लाइव का ऐतिहासिक सफर: 8 साल में 175 देशों तक पहुँचा, जानिए पूरी कहानी

    केकेएन लाइव ने पूरे किए 8 साल! आज का दिन हमारे लिए बेहद खास है, क्योंकि 2 अप्रैल 2017 को शुरू हुआ यह सफर अब 175 देशों तक पहुंच चुका है! 🙌 🚀 263,233+ एक्टिव यूजर्स और 2 लाख+ सब्सक्राइबर के साथ, यह सफलता आपके प्यार और सहयोग की वजह से संभव हुई है। 🇮🇳 भारत के हर राज्य से लेकर अमेरिका, कनाडा, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल समेत दुनियाभर के पाठकों तक हमारी पहुंच बढ़ रही है। 💖 आपके स्नेह और विश्वास के लिए दिल से आभार! 👉 इस वीडियो को लाइक करें, शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें!

  • दर्जी का अहंकार: जब उसकी ही चतुराई उसे निगल गई: अंजुमन

    दर्जी का अहंकार: जब उसकी ही चतुराई उसे निगल गई: अंजुमन

    विदाईपुर गांव का एक घमंडी दर्जी, जो हमेशा दूसरों की बुराई करता और अफवाहें फैलाता था, आखिरकार अपने ही कर्मों के जाल में फंस गया। उसके पांच पुत्र भी उसी राह पर चल पड़े, लेकिन जब गांववालों ने विरोध किया, तो हालात बेकाबू हो गए। दर्जी का परिवार अंदर ही अंदर सड़ने लगा, और फिर एक दिन ऐसा हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी! जानिए इस चौंकाने वाली कहानी में कि बुराई का बीज बोने वाला आखिरकार कैसे खुद ही उसमें डूब जाता है।

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    बिहार विधानसभा में गूंजा चांदपरना पुल का मुद्दा – कब बनेगा पुल?

    मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी पर प्रस्तावित चांदपरना पुल का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव ने बिहार विधानसभा में पुरक सवाल उठाते हुए पुल निर्माण में हो रही देरी पर सरकार को घेरा। मंत्री अशोक चौधरी का जवाब – “डीपीआर बन रहा है”, लेकिन विधायक ने सवाल उठाया – “पहले भी कई बार डीपीआर बना, पर पुल क्यों नहीं बना?”

  • गाज़ा पर बोलते हो, बांग्लादेश पर चुप क्यों: राज्यसभा में सुधांशु त्रिवेदी का जोरदार हमला

    गाज़ा पर बोलते हो, बांग्लादेश पर चुप क्यों: राज्यसभा में सुधांशु त्रिवेदी का जोरदार हमला

    राज्यसभा में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना करते हुए बड़ा सवाल उठाया – “गाज़ा पर आवाज़ उठाने वाले, बांग्लादेश पर क्यों चुप रहते हैं?” गृह मंत्रालय के कामकाज पर सवाल उठाने वाले विपक्ष को उन्होंने महाकुंभ, बांग्लादेश और कश्मीर जैसे मुद्दों पर जमकर सुनाया। अपनी शैली के अनुसार, शेर-ओ-शायरी का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने विपक्ष की कथित दोहरी नीतियों पर निशाना साधा। देखिए राज्यसभा में हुए इस जोरदार बहस का पूरा विश्लेषण!

  • जब इंदिरा गांधी ने पूछा – अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?

    जब इंदिरा गांधी ने पूछा – अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?

    3 अप्रैल 1984 का वह ऐतिहासिक दिन, जब भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान स्वेज टी-11 से अंतरिक्ष में कदम रखा और भारत का नाम इतिहास में दर्ज कर दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे खास बातचीत की और जब उन्होंने पूछा – “अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?”, तो राकेश शर्मा ने जो जवाब दिया, वह आज भी गर्व से याद किया जाता है। जानिए इस रोमांचक मिशन की अनसुनी बातें, अंतरिक्ष में भारतीय भोजन का अनुभव और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ऐतिहासिक संदेश। देखिए और सुनिए उस युगांतरकारी क्षण को!

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    जब बोलना बना सबसे बड़ी मुसीबत: अंजुमन

    क्या ज्यादा बोलना आपकी छवि खराब कर सकता है? यह कहानी रामू की है, जो हर किसी की बात बीच में काटकर खुद को सबसे ज्ञानी समझता था। लेकिन उसकी यह आदत उसे लोगों से दूर ले गई। फिर एक दिन, एक साधु बाबा के शब्दों ने उसकी जिंदगी बदल दी! जानिए, कैसे एक छोटी सी गलती किसी को समाज से अलग कर सकती है और कैसे सही सीख हमें बदल सकती है।

  • मोदी ने भगत सिंह की अनसुनी कहानी सुनाई, श्लोक सुनकर लोग रह गए हैरान

    मोदी ने भगत सिंह की अनसुनी कहानी सुनाई, श्लोक सुनकर लोग रह गए हैरान

    23 मार्च 2025—शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ! PM मोदी ने भगत सिंह के बचपन की एक अनसुनी और प्रेरक घटना सुनाई, साथ ही एक संस्कृत श्लोक—’नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः’—का उल्लेख किया। इस श्लोक का क्या अर्थ है और इसे सुनकर लोग क्यों हैरान रह गए? जानिए इस खास रिपोर्ट में

  • गुजरात के शिक्षक ने PM मोदी को सुनाई बहुभाषी कविता, हर कोई रह गया दंग!

    गुजरात के शिक्षक ने PM मोदी को सुनाई बहुभाषी कविता, हर कोई रह गया दंग!

    गुजरात के अमरेली जिले के एक प्राथमिक विद्यालय शिक्षक ने अपनी बहुभाषी प्रतिभा से सभी का दिल जीत लिया! राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कई भाषाओं में कविता सुनाई, जिससे वहां मौजूद हर कोई प्रभावित हो गया। पीएम मोदी ने भी इस शिक्षक की जमकर तारीफ की! देखिए यह प्रेरक वीडियो!

  • महाकुंभ पर PM मोदी का बड़ा बयान! विपक्ष को क्यों लगी मिर्ची?

    महाकुंभ पर PM मोदी का बड़ा बयान! विपक्ष को क्यों लगी मिर्ची?

    लोकसभा में पीएम मोदी ने महाकुंभ 2025 की भव्यता और सफलता की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे भारत की राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बताया। पीएम के इस बयान से विपक्ष भड़क सकता है! क्या है पूरी सच्चाई? जानिए यहां!

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    भारत-न्यूजीलैंड डील में बड़ा धमाका! खालिस्तानी संगठनों पर होगी कड़ी कार्रवाई

    भारत और न्यूजीलैंड के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 6 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसमें रक्षा सहयोग, मुक्त व्यापार, शिक्षा, आतंकवाद पर कार्रवाई और निवेश बढ़ाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूजीलैंड में खालिस्तानी संगठनों की गतिविधियों पर चिंता जताई, जिस पर न्यूजीलैंड ने सहयोग का आश्वासन दिया। जानिए, इस बैठक की पूरी जानकारी

  • नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी तय! जल्द लौटेंगी पृथ्वी पर

    नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी तय! जल्द लौटेंगी पृथ्वी पर

    अंतरिक्ष में 9 महीने से फंसी भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की वापसी की उम्मीदें तेज हो गई हैं। स्पेसएक्स का नया यान इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है, जिससे उनकी पृथ्वी पर वापसी की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। जानिए, कब और कैसे होगी उनकी सुरक्षित वापसी?

  • गरीबन की कहानी: पिता का आशीर्वाद या कुछ और

    गरीबन की कहानी: पिता का आशीर्वाद या कुछ और

    अंजुमन की इस कहानी में जानिए कैसे एक साधारण युवक ‘गरीबन’ ने अपने पिता के आशीर्वाद और ईमानदारी से अपनी तकदीर बदली। यह कहानी न सिर्फ़ पिता-पुत्र के संबंधों की गहराई को दिखाती है, बल्कि बुजुर्गों के आशीर्वाद की तासीर को भी नए सिरे से समझाने की एक अनूठी कोशिश है। अगर इस कहानी से आपके मन में कोई विचार उत्पन्न हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं

  • प्रधानमंत्री का आम कार्यकर्ता से संवाद: भरोसे की नई मिसाल

    प्रधानमंत्री का आम कार्यकर्ता से संवाद: भरोसे की नई मिसाल

    जब देश का प्रधानमंत्री खुद एक साधारण कार्यकर्ता या गृहिणी से मिलकर उनकी समस्याओं पर चर्चा करता है, तो इससे न केवल उस व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है, बल्कि समाज में एक नई उम्मीद भी जगती है। यह लेख उन नेताओं के लिए एक सबक है, जो चुनाव में हार के बाद बहाने बनाते हैं। जानिए, कार्यकर्ताओं से केवल जुड़ना ही नहीं, बल्कि जुड़े रहना कितना आवश्यक है।

  • गांव में लाउडस्पीकर की मुश्किलों से कैसे मिली मुक्ति: अंजुमन

    गांव में लाउडस्पीकर की मुश्किलों से कैसे मिली मुक्ति: अंजुमन

    तिरसठपुर गांव, जहां पहले चिड़ियों की चहचहाहट और ठंडी हवाओं की सरसराहट से सुबह होती थी, वहां अब लाउडस्पीकर के शोर ने चैन छीन लिया था। बुजुर्ग रामू चाचा, पढ़ाकू नीतू और मेहनती किसान मनोज की जिंदगी शोरगुल में उलझ गई थी। जब बीमारी, पढ़ाई और कामकाज पर असर पड़ा, तो तीनों ने गांव की पंचायत में आवाज उठाई। विशेषज्ञ की राय, सरपंच का समझदारी भरा निर्णय और लोगों की एकजुटता से गांव में शांति वापस लौटी। जानिए इस प्रेरक कहानी के जरिए, कैसे एक छोटे से कदम ने बड़े बदलाव की शुरुआत की!

  • आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार दौरा: शाखा में आने के फायदे बताए

    आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बिहार दौरा: शाखा में आने के फायदे बताए

    KKN न्यूज। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) पांच दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। उन्होंने सिकंदरपुर के पंडित नेहरू स्टेडियम में सम्राट अशोक तरुण व्यवसायी शाखा में भाग लिया। इस दौरान स्वयंसेवकों ने उनसे सवाल पूछे, जिनका भागवत ने विस्तार से जवाब दिया।

    स्वयंसेवक ने पूछा- शाखा में आने का क्या फायदा?

    एक स्वयंसेवक ने सवाल किया, “शाखा में आने से क्या फायदा होता है?” इस पर मोहन भागवत ने कहा, “शाखा में आने से व्यक्ति का निर्माण होता है। व्यक्ति से समाज और समाज से ही राष्ट्र का निर्माण होगा।” उन्होंने स्वयंसेवकों को सलाह दी कि हर बस्ती में एक टोली बनाएं, जो हर परिवार से जुड़े और जरूरतमंदों की मदद करे।

    शाखा का अनुशासन और उसकी भूमिका

    भागवत ने कहा, “शाखा का अनुशासन ऐसा हो कि बगल से गुजरने वाला भी ठहर जाए। शाखा में होने वाले गीत, खेलकूद और अन्य गतिविधियों में एक रिदम होनी चाहिए, जिससे लोगों की शाखा के प्रति रुचि बढ़े।” उन्होंने स्वयंसेवकों को अपरिचितों से मिलकर उन्हें परिचित और फिर मित्र बनाने का टास्क दिया।

    शताब्दी वर्ष को सेवा कार्य से बनाएंगे यादगार

    संघ स्थापना के शताब्दी वर्ष को लेकर भागवत ने कहा, “अनुशासित और मजबूत हिंदू समाज बनाना हमारा लक्ष्य है।” उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान किया।

    परिवार के साथ समय बिताया

    मोहन भागवत अपने विभाग संघचालक चंद्रमोहन खन्ना के चंद्रलोक चौक स्थित आवास पर पहुंचे। वहां परिवार के सदस्यों का हालचाल लिया और भोजन किया। उन्होंने चन्नी की पुत्री शिवानी और दामाद शिवी को आशीर्वाद भी दिया।

    संघ प्रचारकों के साथ बैठक

    भागवत संघ कार्यालय ‘मधुकर निकेतन’ में भी पहुंचे, जहां उन्होंने प्रचारकों के साथ कई बैठकें कीं। बैठक में क्षेत्र प्रचारक रामनवमी, प्रांत प्रचारक रविशंकर सिंह विशेन, प्रांत संघ चालक गौरीशंकर प्रसाद समेत कई अन्य प्रमुख लोग उपस्थित रहे।

    नागपुर के लिए होंगे रवाना

    भागवत पांच दिनों के प्रवास पर बिहार आए हैं। रविवार सुबह संघ प्रचारकों के साथ बैठक के बाद वह नागपुर के लिए रवाना हो जाएंगे। संघ की शताब्दी वर्ष की तैयारी को भव्य और यादगार बनाने के लिए यह प्रवास काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

  • औरंगजेब की क्रूरता के खौफनाक किस्से

    औरंगजेब की क्रूरता के खौफनाक किस्से

    औरंगजेब की क्रूरता की शुरुआत

    KKN ब्यूरो। मुगल बादशाह औरंगजेब (Aurangzeb) की क्रूरता के चर्चे उसके बादशाह बनने से पहले ही शुरू हो गए थे। सत्ता के लालच में उसने अपने ही परिवार पर जुल्म किए। फिल्म ‘छावा’ (Chhava) में दिखाए गए उसके किरदार ने इन किस्सों को फिर से ताजा कर दिया है।

    सत्ता के लिए पिता और भाई पर अत्याचार

    औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने पिता शाहजहां को जेल भेजा। उसने अपने भाई दारा शिकोह का सिर कलम कर जेल में कैद पिता के सामने परोसा। उसकी सत्ता की भूख यहीं नहीं रुकी, उसने अपने अन्य भाइयों को भी अपने रास्ते से हटा दिया।

    छत्रपति संभाजी महाराज पर जुल्म

    औरंगजेब और मराठाओं की दुश्मनी छत्रपति शिवाजी के समय से थी। शिवाजी महाराज के देहांत के बाद, उनके बेटे छत्रपति संभाजी (Chhatrapati Sambhaji) को षड्यंत्र रचकर गिरफ्तार किया गया। संभाजी महाराज को यातनाएं दी गईं, उनकी आंखें निकालीं, जुबान काट दी और सिर धड़ से अलग करवा दिया।

    गुरु तेग बहादुर का बलिदान

    सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) को भी औरंगजेब की क्रूरता का सामना करना पड़ा। उन्होंने इस्लाम कबूल करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें शहीद कर दिया गया। गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनकी शहादत की याद दिलाते हैं।

    औरंगजेब की क्रूरता का ऐतिहासिक प्रभाव

    औरंगजेब की नीतियों और क्रूरता के कारण मुगल साम्राज्य की नींव कमजोर हो गई। उसकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य में सत्ता का संघर्ष और गिरावट का दौर शुरू हो गया।

    इस प्रकार, औरंगजेब की क्रूरता और उसकी नीतियों का इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा, जो आज भी चर्चाओं में बना हुआ है।

  • यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक: ट्रंप का बड़ा फैसला

    यूक्रेन को अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक: ट्रंप का बड़ा फैसला

    KKN ब्यूरो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने यूक्रेन (Ukraine) को दी जाने वाली सैन्य सहायता (Military Aid) पर रोक लगा दी है। व्हाइट हाउस (White House) के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है। अधिकारी के अनुसार, “हम अपनी सहायता रोक रहे हैं और इसकी समीक्षा कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इससे समस्या के समाधान में मदद मिल रही है।”

    यह कदम उस समय आया है जब हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) की ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) के साथ व्हाइट हाउस में तीखी बहस हुई थी।

    अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा सहयोगी

    रूस (Russia) ने जब तीन साल पहले यूक्रेन में युद्ध (Russia-Ukraine War) छेड़ा था, तब से अमेरिका यूक्रेन को हथियार (Weapons) और सैन्य साजो-सामान (Military Equipment) देने वाला सबसे बड़ा देश रहा है। इस फैसले के बाद यूक्रेन में सैन्य मदद को लेकर चिंता बढ़ गई है।

    व्हाइट हाउस का बयान

    व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप शांति (Peace) पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे सहयोगी भी इसी लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारी सहायता समस्या के समाधान में मददगार हो।”

    अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो (Marco Rubio) ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप के पास यूक्रेन में युद्ध को स्थायी रूप से खत्म करने का मौका है। हम रूस को बातचीत की टेबल (Negotiation Table) पर लाना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि क्या शांति संभव है।”

    ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच तनाव

    हाल ही में ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वह ज़ेलेंस्की के विद्रोही रवैये (Rebellious Attitude) को अधिक समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी नेता को अमेरिकी समर्थन (American Support) के प्रति आभारी होना चाहिए। ट्रंप का कहना था कि रूस के साथ संघर्षविराम (Ceasefire) के बिना ज़ेलेंस्की लंबे समय तक सत्ता में नहीं टिक पाएंगे।

    सैन्य सहायता पर रोक का असर

    ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने यूक्रेन को भेजे जाने वाले करोड़ों डॉलर के सैन्य साजो-सामान पर रोक (Aid Halt) लगा दी है। इसमें पोलैंड (Poland) के डिपो में रखे गए और रास्ते में भेजे जा रहे हथियार (Weapons on Hold) शामिल हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) के मुताबिक, यह रोक तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।

    ज़ेलेंस्की का बयान

    यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध को ‘जल्द से जल्द’ खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने इस फैसले के बाद कहा कि यूक्रेन अपनी सुरक्षा (Ukraine Security) के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

    क्या होगा आगे?

    अब देखना यह होगा कि अमेरिकी हथियारों की रोक (Weapons Ban) के बाद यूक्रेन की स्थिति (Ukraine’s Situation) पर क्या असर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन की ताकत (Ukraine’s Strength) कम हो सकती है।