लेखक: कौशलेन्‍द्र झा

  • गोरीगामा में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल

    गोरीगामा में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल

    सप्ताह में एक दिन खुलता छह बेड वाला अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेन्द्र

    कौशलेन्द्र झा
    कैंसर का कहर झेल रहे गोरीगामा व टेंगराहां गांव में स्वास्थ्य सुविधा नदारद है। यहां छह बेड वाला एक अतिरिक्त स्वास्थ्य उपकेन्द्र व एक उप स्वास्थ्य केन्द्र है। लेकिन दोनों केंद्र पर सप्ताह के छह दिन ताला लटका रहता है। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी व लापरवाही के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
    अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा का कहना है कि चिकित्सक व भवन के अभाव में गोरीगामा अस्पताल सप्ताह में मात्र एक रोज गुरुवार को खुलता है। इसके लिए गोरीगामा में एक आयुष चिकित्सक डॉ. जेपी गुप्ता की ड्यूटी लगी हुई है। गोरीगामा में एक एएनएम कुमोद कुमारी की ड्यूटी भी लगी हुई है। लेकिन वह भी सप्ताह में एक रोज ही आती है।
    गांव में अगर किसी को सर्दी-बुखार भी हुई तो करीब छह किलोमीटर दूर मीनापुर अस्पताल या 15 किलोमीटर दूर एसकेएमसीएच जाना पड़ता है। गावं के सुरेन्द्र सिंह समेत कई ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत के बावजूद स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इससे ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
    विदित हो कि पिछले एक दशक में कैंसर से गांव के 31 लोगों की मौत हो चुकी है। कैंसर से पीड़ित पांच लोगों का विभिन्न अस्पताल में आज भी इलाज चल रहा है। लेकिन अबतक स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी ने पीड़ितों की सुध नहीं ली है।
    जांच व स्थायी निदान के लिए अधिकारियों को ज्ञापन
    गुरुवार को गोरीगामा व टेंगराहां गांव के लोगों की संयुक्त बैठक हुई। लोगों ने संयुक्त रूप से मीनापुर अस्पताल के प्रभारी, मीनापुर के बीडीओ, मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन व डीएम को ज्ञापन सौंपा है। मुखिया अनामिका की अध्यक्षता में हुई बैठक में ग्रामीणों ने गांव में तेजी से पांव पसार रहें कैंसर के कारणों की जांच व स्थायी निदान कराने की मांग की है। ग्रामीणों ने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधा को नियमित करने की भी जिला प्रशासन से मांग की है। मौके पर उप मुखिया उमाशंकर सिंह, शिक्षक विवेक कुमार, अरुण कुमार सिंह, जयशंकर कुमार, लक्ष्मण सिंह, पप्पू कुमार, विनोद कुमार सिंह समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

  • कैंसर के इलाज में बिक गई जमीन, दांव पर बच्चों का भविष्य

    कैंसर के इलाज में बिक गई जमीन, दांव पर बच्चों का भविष्य

    मीनापुर की गोरीगामा पंचायत में कैंसर के कहर से दहशत में ग्रामीण

    कौशलेन्द्र झा
    मीनापुर के गोरीगामा में कैंसर से बचने के लिए किसी ने अपनी जमीन बेच दी तो किसी का परिवार कर्ज में डूब गया। अब गोरीगामा व टेंगराहां के ग्रामीणों को बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है। न जाने कब कौन इस बीमारी की चपेट में आ जाए।
    पिछले एक दशक में 31 लोगों की कैंसर से मौत होने के बाद से ग्रामीण दहशत में हैं। पंचायत की उपमुखिया उमाशंकर सिंह सहित पीड़ित परिवार के अंशुमान व शिक्षक विवेक कुमार सहित कई अन्य लोगो का कहना है कि पिछले दो वर्षों से यहां मरने वालों में अधिकांश लोग कैंसर से पीड़ित थे। जो गरीबी के कारण इलाज नहीं करा सके। टेंगाराहां गांव के लोगो ने बताया कि अबतक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई नहीं आया है। पंचायत की मुखिया अनामिका ने बताया कि बीडीओ व मीनापुर अस्पताल के प्रभारी सहित कई अधिकारियों को आवेदन देकर गुहार लगायी। पिछले दिनों गांव आये सांसद रमाकिशोर सिंह से भी लोगों ने गुहार लगाई। लेकिन किसी ने भी सुध लेना उचित नहीं समझा।
    जमीन बेच कर व गिरवी रखकर करवा रहे इलाज
    गोरीगामा के 75 वर्षीय बिन्देश्वर साह मुंह के कैंसर से पीड़ित हैं। पिछले 18 वर्षों से इलाज करा रहे हैं। इलाज में एक बीघा जमीन बिक गई। परिवार पर करीब पांच लाख रुपये का कर्ज भी है। फिलहाल पटना के महावीर कैंसर संस्थान में इनका इलाज चल रहा है। इलाज पर हर माह करीब दस हजार रुपये खर्च हो रहा है। बिन्देश्वर साह ने बताया कि वे कभी खैनी, बीड़ी, पान या सिगरेट का सेवन नहीं किया। टेंगराहां के 38 वर्षीय अजय सिंह को ब्लड कैंसर है। पहली बार 2014 में बीमारी का पता चला। तब से करीब साढ़े चार लाख रुपये खर्च हो गया है। फिलहाल, मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस बीच डेढ़ बीघा जमीन गिरवी पड़ गया है। चार छोटे छोटे बच्चों का भविष्य भी दांव पर है। कमोवेश यही हाल कैंसर से जूझ रहे 55 वर्षीय रामनरेश सिंह, 60 वर्षीय नंदकिशोर राय व 45 वर्षीय गीता देवी का भी है।
    इधर, मीनापुर अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा बतातें हैं कि गोरीगामा पंचायत में कैंसर फैलने की सूचना मिली है। बहरहाल, इसकी रोकथाम करना स्थानीय अस्पताल के बूते से बाहर है। वे कहतें हैक कि पहले भी सीएस को पत्र लिख कर इसकी सूचना दी गई थी। फिर से पत्र लिख कर उन्हें जानकारी भेजी जाएगी।

  • मीनापुर के गोरीगामा में कैंसर का कहर

    मीनापुर के गोरीगामा में कैंसर का कहर

    दस वर्षों में हुई 31 लोगो की मौत, 5 अभी भी बीमार

    कौशलेन्द्र झा
    मुजफ्फरपुर। मीनापुर प्रखंड की गोरीगामा पंचायत में कैंसर कहर बरपा रहा है। दस वर्षों में पंचायत के गोरीगामा व टेंगराहां गांव में 31 कैंसर मरीजों की जान जा चुकी है। पिछले एक साल में इस जानलेवा कैंसर से आठ लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 16 महिलाएं हैं। आज भी पंचायत की एक महिला सहित पांच लोग कैंसर से अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं। ग्रामीणों की मानें तो उनलोगों ने समय-समय पर इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुध लेने नहीं आया।
    इसी साल फरवरी में बीडीओ ने स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया था। लेकिन डॉक्टरों की कोई टीम नहीं आई। कुछ दिन बाद पीएचईडी की एक टीम पानी की जांच करने गांव में पहुंची। ग्रामीण विवेक कुमार ने बताया कि जांच टीम ने पानी में आर्सेनिक की मात्रा अधिक होने की आशंका जता रही थी। लेकिन इस दिशा में आगे कोई ठोस पहल नहीं हुई। गोरीगामा की मुखिया अनामिका ने बताया कि उनके परिवार से अबतक दो लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है। इस संबंध में कई बार प्रखंड से लेकर जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया लेकिन कोई जबाव नहीं मिला।
    इन लोगों का चल रहा है इलाज
    रामनरेश सिंह (55), बिन्देश्वर साह (55), नंदकिशोर राय (60), गीता देवी (45) और अजय कुमार (35) कैंसर से पीड़ित है। सभी का दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा है।
    कैंसर से इनकी हो चुकी है मौत
    टेंगराहां की नीलम देवी, इंदू देवी, रामभजन पंडित, रामश्रेष्ठ राय, सुभद्रा देवी, उदय लक्ष्मी, नगीना देवी, रामकिशोर सिंह, फूलदेवी, रामकली देवी, गणेश सिंह, नागेन्द्र सिंह, कुशमी देवी, इंन्द्रदेव साह, यदु सिंह, महेश सिंह, दुलारी देवी, नीतु कुमारी, कारो देवी, ममता देवी, यदुनाथ साह, वंदना कुमारी, चन्द्रकला देवी, सिहांसन देवी व मीणा देवी की कैंसर से मौत हो चुकी है। वहीं गोरीगामा के शिवशंकर सिंह, लक्ष्मेश्वर सिंह, कपीलदेव नारायण सिंह, वालेश्वर सिंह, उदय नारायण सिंह और संजय सिंह शामिल है।
    मीनापुर अस्पताल के प्रभारी डॉ. सीएम मिश्रा ने बताया कि गोरीगामा पंचायत की स्थिति के बारे में पहले भी सिविल सर्जन को पत्र लिखा गया था। वरीय अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत करा दिया गया था। फिर से पत्र लिख कर स्वास्थ्य विभाग से विशेषज्ञों की टीम से जांच कराने की मांग करेंगे।

  • फूल और मिठाई से खुश हो जायेंगे भगवान विश्वकर्मा?

    फूल और मिठाई से खुश हो जायेंगे भगवान विश्वकर्मा?

    कौशलेंद्र झा
    आज देव शिल्पी विश्वकर्मा का जन्मदिन है। इनके जन्मदिन को देश भर में विश्वकर्मा जयंती अथवा विश्वकर्मा पूजा के नाम से मनाया जाता है। देवशिल्पी विश्वकर्मा ही देवताओं के लिए महल, अस्त्र-शस्त्र, आभूषण आदि बनाने का काम करते हैं। इसलिए यह देवताओं के भी आदरणीय रहें हैं।
    इन्द्र के सबसे शक्तिशाली अस्त्र, वज्र का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि की रचना में ब्रह्मा की सहायता की और संसार की रूप रेखा का नक्शा तैयार किया। मान्यता है कि विश्वकर्मा ने उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ सहित, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण भी अपने हाथो से किया।
    रामायण में वर्णन मिलता है कि रावण की लंका सोने की बनी थी। ऐसी कथा है कि भगवान शिव ने पार्वती से विवाह के बाद विश्वकर्मा से सोने की लंका का निर्माण करवाया था। शिव जी ने रावण को पंडित के तौर पर गृह पूजन के लिए बुलवाया। पूजा के पश्चात रावण ने भगवान शिव से दक्षिणा में सोने की लंका ही मांग ली। सोने की लंका को जब हनुमान जी ने सीता की खोज के दौरान जला दिया तब रावण ने पुनः विश्वकर्मा को बुलवाकर उनसे सोने की लंका का पुनर्निमाण करवाया था।
    देव शिल्पी होने के कारण भगवान विश्वकर्मा मशीनरी एवं शिल्प उद्योग से जुड़े लोगों के लिए प्रमुख देवता हैं। वर्तमान में हर व्यक्ति सुबह से शाम तक किसी न किसी मशीनरी का इस्तेमाल जरूर करता है जैसे कंप्यूटर, बाइक, कार, पानी का मोटर, बिजली के उपकरण आदि। लिहाजा, भगवान विश्वकर्मा इन सभी के देवता माने जाते हैं।
    ऐसी मान्यता है कि विश्वकर्मा की पूजा करने से मशनरी लंबे समय तक साथ निभाती हैं एवं जरूरत के समय धोखा नहीं देती है। विश्वकर्मा की पूजा का एक अच्छा तरीका यह है कि आप जिन मशीनरी का उपयोग करते हैं उनकी आज साफ-सफाई करें। उनकी देखरेख में जो भी कमी है उसे जांच करके उसे दुरूस्त कराएं और खुद से वादा करें कि आप अपनी मशीनरी का पूरा ध्यान रखेंगे। विश्वकर्मा की पूजा का यह मतलब नहीं है कि आप उनकी तस्वीर पर फूल और माला लटकाकर निश्चिंत हो जाएं।

  • मीनापुर के किसानों का बकाया है 37.4 लाख रुपये का कृषि अनुदान

    मीनापुर के किसानों का बकाया है 37.4 लाख रुपये का कृषि अनुदान

    तीन महीने से भुगतान की आश में भटक रहें हैं किसान

    कौशलेन्द्र झा
    एक ओर जहां बाढ़ से कराह रहे मीनापुर के किसान बर्बाद फसल के मुआवजे की मांग कर रहें हैं। तो दूसरी ओर विभिन्न सरकारी योनाओं के तहत 2,742 किसानों को मिलने वाला 37,46,515 लाख रुपये का अनुदान प्रशासनिक लापरवाही के कारण पिछले तीन महीने से लटका हुआ है।
    विदित हो कि जुलाई महीने में प्रखंड कृषि पदाधिकारी महेन्द्र साह का स्थानांतरण होने के बाद 8 अगस्त को बोचहां के बीएओ अरुण कुमार ने योगदान तो किया। लेकिन इसके बाद मीनापुर नहीं आये। बीएओ को वित्तीय प्रभार नहीं मिलने के कारण किसानो को अनुदान का भुगतान नहीं हो सका है। यहां यह बताना भी जरुरी है कि किसानों को अभी तक डीजल अनुदान की राशि का भी भुगतान होना बाकी है। इसके लिए रुपये बैंक में पड़ा हुआ है।
    प्रखंड कृषि कार्यालय में अधिकारी के नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे किसानों को अब बाढ़ से हुई फसल की तबाही भी झेलना पड़ रहा है। आलम ये है कि यहां बाढ़ से हुई तबाही का आकलन करने वाला भी कोई नहीं है। जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण कुमार वर्मा स्वयं मानतें हैं कि मीनापुर में मामला बेहद गंभीर है। उन्होंने लापरवाही बरतने वाले बोचहां के बीएओ से जवाब तलब भी किया गया है। अब देखना ये है कि मीनापुर के किसानो को कब तक उसका बकाया भुगतान मिल पाता है।
    बकाया अनुदान
    272 किसानों के बीच मूंग के बीज का 2,22,729 रुपये
    – 1,296 किसानों शंकर धान के बीज का 9,19,500 रुपये
    – मुख्यमंत्री मंत्री तीव्र बीज विस्तार का 2,77,020 रुपये
    – मिनी कीट के 108 विक्वंटल घान के बीज का 2,93,760 रुपये
    – 46 किसानों के जीरो टीलेज खरीद का 1,23,280 रुपये
    – सुगंधित धान का बीज लेने वाले 58 किसानों का 1,55,440 रुपये
    – श्री विधि के तहत 378 किसानों का 10,13,040 रुपये
    – पैडी ट्रांसप्लांटर लेने वाले 96 किसानों का 2,57,280 रुपये

  • डोकलाम में बढ़ा भारत का कद

    डोकलाम में बढ़ा भारत का कद

    चीन को काम नही आई गीदड़भवकी

    पिछले तीन महीने से चल रहा भारत और चीन के बीच चल रहा डोकलाम विवाद तो फिलहाल सुलझ गया है, साथ ही इसे विश्व के पैमाने पर भारत की बडी कूटनीतिक जीत भी मानी जाने लगी है। वैश्विक परिदृश्य के रूप में देखें तो इस जीत से भारत और चीन दोनों के कद पर असर पड़ना तय माना जा रहा है।
    जानकारों की मानें तो डोकलाम विवाद के शांतिपूर्ण समाधान और दोनों देशों की सेना के हटने को कई रूप में देखा जा सकता है। पहला तो इस मामले में चीन की सरकारी मीडिया और अफसर लगातार भड़काऊ बयानबाजी कर रहे थे और भारत पर हमले की धमकी दे रहे थे। वहीं दूसरी ओर चीन की इन गीदड़भभकियों के दौरान भारत अपने रूख पर कायम रहा और दुनिया को ये संदेश दिया कि वह संकट के वक्त में एक दोस्त (भूटान) के साथ खड़ा है।
    डोकलाम पर कड़ी नजर रखेगा भारत
    डोकलाम में टकराव के दौरान भारत अपने इस रुख पर कायम रहा कि विवादित इलाके में पूर्व की स्थिति बनी होनी चाहिए। अब दुनिया के देशों के बीच भारत की एक उभरती ताकत के तौर पर बेहतर छवि बन गई है। हालांकि, यह मान लेना सही नहीं है कि चीन के साथ आखिरी टकराव डोकलाम में हुआ। जानकार मानते हैं कि पड़ोसी मुल्क दोबारा से वैसा ही सब कुछ शुरू कर सकता है। भारत ने डोकलाम के नजदीक के इलाकों में चौकसी जारी रखने का निर्णय किया है। भविष्य में चीन न केवल डोकलाम, बल्कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर कहीं भी दोबारा से टकराव मोल ले सकता है।
    एशिया में भारत की स्थिति मजबूत हुई
    डोकलाम पर चीन के खिलाफ और भूटान के पक्ष में खड़ा रहने से भारत को बड़ा कूटनीतिक फायदा हुआ है। एक्सपर्ट्स की मानें तो इससे एशियाई देशों के साथ भारत का सहयोग मजबूत हुआ है। खास तौर पर दक्षिण और दक्षिणपूर्वी एशिया में भारत की स्थिति मजबूत हुई है।
    पूरी दुनिया की थी इस विवाद पर नजर
    बता दें कि सिक्किम सेक्टर में चीन, भारत और भूटान के ट्राइजंक्शन पर स्थित डोकलाम इलाके में दो एशियाई महाशक्तियों के बीच तनातनी पर महाद्वीप के दूसरे देशों की भी नजरें थीं। खास तौर पर उन देशों की, जिनका क्षेत्रीय या समुद्री सीमा को लेकर चीन के साथ विवाद है। चीन के विदेश नीति के एक जानकार का मानना है कि इस टकराव से यही मेसेज निकला है कि चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षा को रोका जाना जरुरी हो गया है।
    भारतीय सेना की हुई प्रशंसा
    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत की इस कूटनीतिक जीत में भारतीय सेना का बडा हाथ है। डोकलाम पर चीन की हरकतों के बाद भारतीय सेना ने डोकलाम बॉर्डर इलाके में अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली थी। वहीं इस इलाके में जहां विवाद था, वहां चीन की तुलना में भारतीय सेना मूवमेंट करने में ज्यादा सक्षम थी। साथ ही भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि समुद्र तट से 10 हजार फीट ऊंचे इस इलाके में भारतीय सशस्त्र बल बेहद सतर्क है और भारत यहां कोई भी ढील देने के मूड में नहीं हैं।
    जापान का मिला साथ
    डोकलाम पर जारी तनाव के दौरान जापान ने भारत का खुलकर साथ दिया था। वहीं, वियतनाम और दूसरे दक्षिणी पूर्वी एशियाई देश बेहद नजदीक से हालात पर नजर रखे हुए थे। ये वही देश हैं, जिनसे चीन का टकराव होता रहा है। भारत के रुख से उत्साहित चीन के ये पड़ोसी मुल्क अब क्षेत्रीय विवादों के वक्त उसकी ज्यादती का मजबूती से विरोध करेंगे। वहीं, आर्थिक ताकत के सहारे छोटे देशों पर प्रभाव जमाने में जुटे चीन की एकतरफा पहल पर भी लगाम लगेगी।
    भारत के लिए डोकलाम महत्व
    डोकलाम, भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है। यह स्थान भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी अहम है। साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे। किंतु, चालबाज चीन ने इसं समझौता का उल्लंघन करने की कोशिश की है। लिहाजा, भारत को अभी भी सतर्क रहने की जरुरत है।

  • ऑपरेशन थिएटर में लड़ने लगे डॉक्टर

    ऑपरेशन थिएटर में लड़ने लगे डॉक्टर

    ऑपरेशन टेबुल पर बेसुध पड़ी थी गर्भवती

    राजस्थान। जोधपुर के एक हॉस्पिटल से हैरान कर देने वाला खबर आया है। खबरो के मुताबिक डॉक्टर एक ऐसे मरीज को छोड़कर लड़ रहे थे जिसके बच्चे की पेट में ही मौत हो गई थी और वो ऑपरेशन थिएटर में बेसुध पड़ी थी। बहरहाल, इन दोनों सीनियर डॉक्टर्स को नौकरी से निकाल दिया गया है। बताया जा रहा है कि महिला को क्रिटिकल हालत में हॉस्पिटल लाया गया था और उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट कर दिया गया। इसके तुरंत बाद जल्द ही उसके बच्चे की पेट में ही मौत हो गई। महिला की ऑपरेशन के लिए थिएटर में ही दो डॉक्टर्स किसी बात पर आपस में ही उलझ गए और एक दूसरे पर चिल्लाने लगे। इतना ही नही बल्कि, दोनो ने एक दूसरे को चेतावनी देना भी शुरू कर दिए। एनआई की एक खबर के मुताबिक राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को दो बजे तक इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

  • रैली के बाद भी थमने का नाम नही ले रहा है लालू परिवार की मुश्किलें

    रैली के बाद भी थमने का नाम नही ले रहा है लालू परिवार की मुश्किलें

    आईटी ने तेजस्वी, राबड़ी और मीसा से की लम्बी पूछताछ

    आयकर विभाग के अधिकारियों ने बेनामी संपत्ति मामले में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, पूर्व उपमुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव और सांसद मीसा भारती से बारी-बारी से पूछताछ की है। इससे पहले 18 अगस्त को भी दिल्ली से अफसरों की टीम पूछताछ के लिए आई थी, लेकिन राबड़ी देवी, तेजस्वी और तेजप्रताप यादव आयकर टीम के सामने पेश नहीं हुए थे। नई दिल्ली की टीम को सहयोग देने के लिए पटना के अधिकारी सुबह से ही मुस्तैद थे।
    सूत्रों के मुताबिक पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को भी आयकर के सामने पेश होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं पहुंचे। पूछताछ की भनक लगते ही आयकर गोलम्बर के बाहर मीडिया कर्मियों की भीड़ जमा हो गई। सूत्रों के मुताबिक बेली रोड पर बन रहे मॉल और अन्य संपत्तियों को लेकर आयकर अधिकारियों द्वारा कई सवाल पूछे गए।
    गौरतलब है कि आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति मामले में लालू के परिवार के छह लोगों के खिलाफ बेनामी प्रॉपर्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की हुई है। इसमें लालू की पत्नी राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, मीसा भारती और उनके पति शैलेष, बेटी रागिनी और बेटी चंदा की प्रॉपर्टी जब्ती का नोटिस भी जारी किया हुआ है।

  • गला घोंट हत्या करके जमीन में गाड़ दी जाती थीं हड्डियां

    गला घोंट हत्या करके जमीन में गाड़ दी जाती थीं हड्डियां

    इंसान के रूप में भेड़िया निकला राम रहीम

    250 से अधिक लड़कियों का कर चुका है रेप

     

    राम रहीम का डरावना चेहरा भी सामने आने लगा है। जानकारी के मुताबिक डेरे में सैकड़ों लोगों को गला घोंटकर मारा गया था और उनकी बॉडी को सिरसा ब्रांच नहर (भाखड़) में बहा दिया जाता था। बाद मारे जाने वाले लोगों का दाह संस्कार किया जाने लगा और उनकी हड्डियों को डेरे के पीछे बने बगीचे में गाड़ा जाने लगा।
    यह खुलासे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के गार्ड रह चुके बेअंत सिंह ने एक टीवी चैनल पर किया है। बेअंत भी बाबा राम रहीम की ज्यादतियों का शिकार हुआ था। यह, उन 250 युवाओं में शामिल है, जिन्हें डेरा में नपुंसक बनाया गया था। इनमें से कई लड़के अब देश से बाहर चले गए हैं और कुछ लड़के अभी भी देश के अलग-अलग हिस्सों में रहकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं।
    बेअंत ने खुलाशा किया है कि डेरे में रह रही 300 साध्वियों में से 90 फीसदी ऐसी हैं जिनके साथ रेप किया गया है। अपने वीडियो में सिंह ने बताया कि डेरा प्रमुख एक के बाद एक सभी साध्वियों के साथ रेप करता था। हर रोज एक एक करके साध्वियां उसके कमरे में आती थीं और उनसे गलत काम करवाया जाता था। बेअंत ने कहा कि 1995 में एक बार माउंट आबु में राम रहीम ने 16 साल की एक लड़की को अपने साथ कमरे में ले गया और उसके साथ घंटों तक दुष्कर्म करता रहा। सभी सिक्योरिटी गार्ड इस घटना को देख रहे थे। लड़की की असहाय चीख को सुन भी रहे थे। लेकिन किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उसे रोके। वो लड़की अब बड़ी हो चुकी है और अब भी डेरे में ही है। बेअंत के अनुसार डेरा प्रमुख ने 200 से 250 लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया है। डेरा में करीब 400 लड़कियां हैं, जिन्हें साध्वी बताया जाता है। डेरा प्रमुख की गुफा में सारी रात कोई न कोई लड़की आती ही थी।

  • मीनापुर के हजारो मवेशियों में बीमारी फैलने का खतरा मंडराया

    मीनापुर के हजारो मवेशियों में बीमारी फैलने का खतरा मंडराया

    पशु अधिकारी ने जिला प्रशासन को भेजा त्राहिमाम संदेश

    कौशलेन्द्र झा
    मीनापुर में बूढ़ी गंडक नदी का पानी उतरने लगा है। हालांकि, इस विनाशकारी बाढ़ में फंसे तकरीबन 35 हजार मवेशियों की भूख और उनमें बाढ़ जनित बीमारी फैलने के खतरो पर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया। नतीजा, कई गांवों के सैकड़ों मवेशी पिछले आठ रोज से भूख से तड़प कर बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। इस बीच प्रखंड पशु अधिकारी पशुओं के लिए सूखा चारा मुहैय्या कराने के लिए जिला प्रशासन को त्राहिमाम संदेश भेजा है।
    पशुपालक किसान जान को जोखिम में डालकर पशुचारे के लिए गहरे पानी में तैर कर निकल रहे हैं। पशुपालक रामकिशोर राय, मदन राय, अखिलेश राय, शंभू राय, सकल सहनी और फूलबाबू राय सहित कई पशु पालक किसानों ने बताया कि वे चार फीट पानी में तैरकर सात किमी दूर से पशुचारा लाने को विवश हैं और प्रशासन उनकी मदद करने को अभी तक नही आया है। पशुचारा लाने निकली राजकुमारी देवी हो या कौशल्या देवी प्रशासन के खिलाफ पशुपालको में जबरदस्त आक्रोश है।
    इधर, प्रखंड पशुपालन कार्यालय से मिले आंकड़े के मुताबिक अकेले मीनापुर में 35 हजार मवेशी बाढ़ वाले इलाके में फंसे हैं। इसमें से आठ हजार मवेशी पिछले एक सप्ताह से भूखे रहकर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं। पशु चिकित्सक डॉ. राज कुमार ने बताया कि पशुओं में गलाघोटू का प्रकोप को देखते हुए चिकित्सकों की टीम ने पशुओं में टीकाकरण का काम शुरू कर दिया है। 2,300 मवेशियों को डायरिया से बचाने व कीड़े की दवा दी गई है। इसके लिए सिवाईपट्टी के पशु चिकित्सक डॉ. फतह बहादुर सिंह और रामपुरहरि के पशु चिकित्सक के नेतृत्व में दो अलग- अलग टीम का गठन किया गया है। उधर, बेगूसराय से आए पशु चिकित्सक डॉ. पवन कुमार मिश्र व डॉ. विजय कुमार के नेतृत्व में एक और आपतकालीन टीम पशुओं की स्वास्थ्य जांच में जुट गयी है।

  • मीनापुर में दूषित पेयजल से बाढ़ पीड़ितो में बीमारी का खतरा

    मीनापुर में दूषित पेयजल से बाढ़ पीड़ितो में बीमारी का खतरा

    पेट और चर्म रोगियों की संख्या बढ़ी

    कौशलेन्द्र झा
    मीनापुर के बाढ़ प्रभावित गांवो में दूषित पेयजल पीने से लोग बीमार होने लगें हैं। पेट खराब होने व चर्म रोगियों की समस्या बढ़ने लगी है। अस्पताल में गुरुवार को पेट दर्द से कराह रही मीनापुर गांव की 70 वर्षीया अनिता देवी को स्लाइन चढ़ रहा था। इससे पहले मधुबनी गांव की 30 वर्षीया माला देवी, चकजमाल की 23 वर्षीया रुकसाना खातुन और हरका की 30 वर्षीया भूलनी देवी दस्त की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची थी।
    अस्पताल के ओपीडी से प्राप्त आंकडो पर गौर करें तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में बुखार का प्रकोप तेजी से फैलने लगा है। पिछले चार रोज में बुखार से ग्रसित करीब 180 लोगो का मीनापुर अस्पताल में इलाज हुआ। दूसरी ओर सूत्र बतातें है कि सुदूर गांवो में फंसे बड़ी संख्या में बुखार पीड़ित अस्पताल तक पहुंच ही नही पा रहें हैं और गांव में ही नीम हकीम से अपना इलाज कराने को विवश है।
    अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीएम मिश्रा बतातें हैं कि दूषित पेयजल पीने से बुखार, पेट की खराबी और चर्म रोग का प्रकोप बढ़ गया है। इससे नपटने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने सभी 50 अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर हैलोजन टैबलेट उपलब्ध करा दिया है। इसके अतिरिक्त गंदगी से निपटने के लिए लोगो को ब्लिचिंग पाउडर मुहैय्या कराई जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने बाढ़ जनित बीमारी से निपटने के लिए सभी आवश्यक दावएं उपलब्ध होने का दावा करते हुए बताया कि विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए जिला प्रशासन से इमरजेंसी दवा के अतिरिक्त आबंटन की मांग की गई है।
    बहरहाल, बूढ़ी गंडक का जलस्तर स्थिर होने से मीनापुर में बाढ़ की स्थिति पूर्ववत बनी हुई है। किंतु, पानी के नीचे उतरने के साथ ही बीमारी फैलने का खतरा अभी से मंडराने लगा है। लिहाजा, इससे निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस लिया है और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को अलर्ट रहने का आदेश जारी कर दिया गया है।

  • बाढ़ विस्थापितो पर कहर बन कर गिरा बारिश की बूंदे

    बाढ़ विस्थापितो पर कहर बन कर गिरा बारिश की बूंदे

    कौशलेन्द्र झा

    मीनापुर। घर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद पिछले एक सप्ताह से मीनापुर की सड़को पर शरण लिए हुए बीस हजार से अधिक परिवारो की मुश्किलें थमने का नाम ही नही ले रही है। कल तक फटे हुए प्लास्टिक के सहारे धूप से बचने की कोशिश कर रहे लोग गुरुवार को बारिश की पानी से बचने की जद्दोजहद करते हुए दिखे। सबसे बुरा हाल महिला और उसके गोद में पल रहे छोटे बच्चो का है।
    सड़क पर शरण लिए गोदावरी देवी बारिश से बचने के लिए पूरी रात जगी हुई है। उसके गोद में एक छोटा बच्चा भी है। गोदावरी को खुद से ज्यादे अपने बच्चे की चिंता सता रही है। यहां गोदावरी अकेली नही है। बल्की, इसके जैसे हजारो बाढ़ पीड़ित है, जो बारिश की पानी से बचने की जुगत में रतजग्गा करने को विवश हैं।
    समस्या सिर्फ सड़क किनारे बसे परिवार की ही नही है। बल्कि, सड़क से हट कर खरार ढ़ाव गांव में, गांव के ही दो पक्का मकान की छत पर करीब 100 परिवार खुले में शरण लिए हुए है। पैक्स अध्यक्ष राकेश कुमार बतातें हैं कि कल तक तेज धूप झेल रहे ये शरणार्थी, बीती रात बारिश में भींग कर बीमार पड़ने लगें हैं। सबसे बुरा हाल बच्चो का है। प्रशासन के द्वारा अब तक इनकी सुधि लेने कोई नही आया है। हालांकि, गांव के लोगो ने अब अपने खर्चे से छत पर ही टेंट लगा कर गुजर करने की ठान ली है।
    इधर, ब्रहण्डा उर्दू विद्यालय में शरणार्थियों की संख्या बढ़ जाने से विद्यालय का कमरा छोटा पड़ने लगा है और दर्जनो परिवार खुले में आ गयें हैं। कमोवेश यही हाल शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक गांव चैनपुर का है। गांव के राजकुमार सहनी बतातें हैं कि बांघ पर खुले में शरण लिए पांच दर्जन से अधिक परिवार के लिए बारिश कहर बन कर टूटा है। बच्चे और महिलाएं बीमार पड़ने लगी है।
    उधर, बनघारा, रघई, घोसौत, झोंझा, हरशेर, तुर्की, शनिचरास्थान, गंगटी, नंदना, गोरीगामा, टेंगराहां, टेंगरारी, मझौलिया, राघोपुर, हजरतपुर, विशुनपुर, रानीखैरा, बेलाहीलच्छी, बनुआ, हरका, फुलवरिया, चांदपरना, मानिकपुर, चकजमाल, बहवल बाजार, गदाईचक, फरीदपट्टी सहित 100 से अधिक गांवों में लोग राहत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहें हैं। इधर, मीनापुर के बाढ़ राहत प्रभारी सह जिला परिवहन पदाधिकारी नजीर अहमद ने स्वीकार किया हैं कि प्रशासन से बाढ़ पूर्व तैयारी में बड़ी चूक हो गई है। हालांकि, अधिकारी ने बचाव व राहत कार्य में तेजी आने के संकेत भी दिएं हैं।

  • मीनापुर के बाढ़ पीड़ितो तक नही पहुंच रहा है राहत

    मीनापुर के बाढ़ पीड़ितो तक नही पहुंच रहा है राहत

    आधा पेट खाकर सड़क किनारे खुले में रहने वालो ने सुनाई दर्द भरी आपबीती

    कौशलेन्द्र झा
    हो बउआ, दुपहरिया में एक बेर खाना मिलन ह… उहे खएले, फेनू बिहान खाएला मिलतई…। बाकी किछुओ न मिलल ह…। मीनापुर हाई स्कूल के समीप, शिवहर सड़क किनारे, धूप से बचने के लिए लकड़ी के सहारे फटा हुआ पन्नी टांग कर धूप से बचने की जद्दोजहद में जुटी पुरैनिया गांव की 65 वर्षीय मुसमात विस्फी देवी का दर्द बाढ़ राहत की कलई खोलने के लिए प्रयाप्त है। विस्फी बताती है कि यह पन्नी भी उसका अपना है। सरकार की ओर से अभी तक एक अदद प्लास्टिक भी नही मिला है।
    सड़क किनारे गुजर बसर कर रहें महापति देवी हो या अशोक प्रसाद सभी की दास्तान कमोवेश एक जैसी है। राधा कुमारी और विरेन्द्र कुमार, यहां मौजूद दो दर्जन से अधिक बाढ़ पीड़ितो ने बताया कि लोग आतें हैं और फोटो खींच कर चलें जातें हैं। बतातें चलें कि यहां करीब 200 परिवार सड़क पर शरण लिए हुआ है। क्योंकि, उनके घर में चार से पांच फीट तक पानी भरा हुआ है।
    मीनापुर चौक से थोड़ी दूर आगे बढ़ते ही रास्ता बंद है। शिवहर सड़क पर तीन से चार फीट पानी बह रहा है। लोग ट्रैक्टर से सड़क पार कर रहें हैं। यही पर कॉग्रेस नेता सुलतान अहमद खान बतातें है कि भीतर गांव में हालात और भी भयावह है। तुर्की, गंगटी, डाकबंगला व हथिआवर में लोग चौकी पर चौकी रख कर, भूखे प्यासे रतजग्गा करने को विवश है। कोइली से किसी तरह पानी हेल कर बाहर आये गरीबनाथ राय बतातें है कि पानी की तेज बहाव से मछुआ पुल के समीप जबरदस्त कटाव होने से पुल कभी भी उखड़ सकता है। लिहाजा, कोइली और टेंगराहां सहित करीब दो हजार लोगो दहशत में है।
    इधर, प्रखंड मुख्यालय में नाव की मांग को लेकर पहुंचे दरहीपट्टी के शिवजी पासवान बतातें हैं कि सड़क टूट जाने से उनके गांव का करीब 700 परिवार गांव में ही फंसा हुआ है और उसको बाहर आने का कोई रास्ता नही है। ब्रहण्डा के मो. सदरुल खान बतातें है कि गांव में सैकड़ो परिवार भूखे प्यासे फंसा हुआ और अभी तक प्रशासन की ओर से कोई राहत नही पहुंचा है। पैगम्बरपुर के राजन कुमार, हरशेर के गौरीशंकर सिंह, तालिमपुर के प्रेमलाल राय, टेंगरारी के प्रो. लक्ष्मीकांत और झोंझा के राकेश कुमार सहित दर्जनो लोगो ने राहत नही मिलने पर नाराजगी प्रकट करते हुए बताया कि यहां बाढ़ पीड़ितो की सुधि लेने वाला कोई नही है।

  • भूख और प्यास से तड़प रहे हैं बाढ़ से विस्थापित हुए लोग

    भूख और प्यास से तड़प रहे हैं बाढ़ से विस्थापित हुए लोग

    मीनापुर में छलावा साबित हुआ सरकारी मदद का दावा

    कौशलेन्द्र झा
    मीनापुर प्रखंड मुख्यालय से करीब सात किलोमिटर दूर ब्रहण्डा गांव की रेहाना खातुन का चापाकल बाढ़ की पानी में पूरी तरीके से डूब चुका है। बावजूद इसके वह इसी चापाकल से पीने का पानी निकालने को विवश है। फिलहाल, घर में चार फीट पानी जमा है और रेहाना अपने पांच बच्चो के साथ पिछले 24 घंटे से छत पर खुले में जीवन बीता रही है। यहां रेहाना अकेली नही है। बल्कि, इसके जैसे दो दर्जन से अधिक परिवार है, जो बाढ़ का पानी पी कर बीमार हो रहें हैं।
    अचानक तीन से चार फीट पानी गांव में प्रवेस कर जाने से 25 परिवार के करीब 90 से अधिक लोग उर्दू विद्यालय में शरण लिए हुए है। इन विस्थापितो के समक्ष पेयजल के साथ- साथ भोजन की समस्या भी है। छोटो छोटे बच्चो को खिलाने के लिए इनके पास कुछ नही है। गांव के समाजसेवी पूर्व मुखिया मो. सदरूल खान ने बताया कि गांव के लोग पिछले तीन रोज से बाढ़ में फंसे है। बावजूद इसके अभी तक प्रशासन की ओर कोई भी सुधि लेने नही आया है।
    यही हाल शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक गांव चैनपुर में देखने को मिला। यहां की करीब दो हजार आबादी पिछले 36 घंटे से बाढ़ के बीच फंसे हैं। गांव का प्रखंड मुख्यालय से संड़क संपर्क टूट चुका है। सैकड़ो घरो में तीन से चार फीट पानी बह रहा है। गांव की राजकुमारी देवी अपने मवेशी और पुरे परिवार के साथ एक फटे हुए प्लास्टिक के नीचे गुजर बसर कर रही है। मुखिया अजय कुमार बतातें हैं कि बार बार गुहार लगाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नही मिल रहा है। कहतें है कि इस तरह की समस्या झेल रहा, ब्रहण्डा या चैनपुर अकेला नही है। मीनापुर की 154 में से 136 गांव के लोग कमोवेश इसी तरह की समस्या से जूझ रहें हैं।
    दूसरी ओर अपने अपने गांव से भाग कर मीनापुर शिवहर मार्ग पर शरण लिए सैकड़ो लोगो के समक्ष सिर ढ़कने के साथ- साथ भोजन और पेयजल की समस्या से जूझ रहें हैं। सड़क पर शरण लिए पुरैनिया के सोनेलाल गोसाई, नागेन्द्र साह व चन्द्रिका साह ने बताया कि प्रशासन द्वारा अभी तक सिर ढ़कने का कोई इंतजाम नही हुआ है। लिहाजा खुले आसमान में रहना पड़ रहा है। हरिनारायण सहनी ने मीडिया कर्मियों के समक्ष हाथ जोड़ कर बताया कि- मालिक खाना खाय हुए दो रोज हो गया। आज सुवह मकई का सतुआ खाएं हैं। सुमित्रा देवी, शिवदुलारी देवी, मानती देवी व शंभु मांझी सहित यहां कई दर्जन लोग भूख से तड़प रहें हैं। मानती देवी अपने तीन पुतोहू के साथ खुले में रह रही है। उसे अभी तक प्लास्टिक नही मिला है। यहां पीने का शुद्ध पानी भी उपलब्ध नही है।
    इसी प्रकार घोसौत, झोंझा, तुर्की, हरशेर, टेंगरारी, शीतलपट्टी, बेलाहीलच्छी, रानीखैरा, बनुआ, उफरौलिया, भटौलिया, चांदपरना, राघोपुर, फुलवरिया, अस्तालकपुर, विशुनपुर, हरका, तालिमपुर, हथियावर, गंगटी, टेंगराहां, गोरीगामा, नंदना, भावछपरा, चतुरसी सहित यहां की करीब पांच दर्जन से अधिक गांव पुरी तरीके से जलमग्न हो चुका है और गांव का प्रखंड प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट जाने से उन तक कोई भी मदद नही पहुंच पा रहा है।

  • मीनापुर: सांस्कृतिक समारोह में स्कूली छात्रों ने दिखाए जौहर

    मीनापुर: सांस्कृतिक समारोह में स्कूली छात्रों ने दिखाए जौहर

    मीनापुर थाने में आयोजित कार्यक्रम से जगाया देशभक्ति का जज्बा

    कौशलेन्द्र झा
    मुजफ्फरपुर। मीनापुर थाना परिसर में बुधवार को क्रांति दिवस समारोह के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन। इसमें स्कूली छात्रों ने विभिन्न कार्यक्रम पेश कर सभी को मोहित किया। शाहपुर मध्य विद्यालय की छात्रा अनुप्रिया ने माता-पिता को समर्पित गीत- मुझे इस दुनिया में लाया… गा कर मौजूद लोगों को भावुक कर दिया। वहीं, सुश्री प्रीति की बटोहियां गीत- सुंदर शूभूमि भइयां… व किसान महाविद्यालय की सुमन कुमारी ने- मानो तो मैं गंगा मां हूं… पर दर्शकों से जम कर तालियां बटोरी। समारोह के दौरान साक्षी कुशवाहा ने भावनृत्य से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
    कवि वासर विकास परिषद की ओर से आयोजित इस समारोह में मध्य विद्यालय मीनापुर, वासुदेव छपरा, मीनापुर हाई स्कूल, आदर्श विद्यापीठ टेंगरारी, पैंग्वीन पब्लिक स्कूल अहियापुर व शिवशरण साह पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने लोकगीत, देशभक्ति गीत, लघु नाटिका, बटोहियां और आजादी से जुड़ी गीत व झांकी की प्रस्तुति कर लोगों में देशभक्ति का खूब जज्बा जगाया। आकाश्वानी के कलाकार शंभू राम, महेश राम, बालेश्वर राम, इंद्रजीत सहनी, अशोक झा आदि ने शानदार प्रस्तुति की।
    मौके पर मुखिया संघ की अध्यक्ष नीलम कुशवाहा, प्रो. डॉ. वीरेंद्र कुमार मिश्र, इंजीनियर जयनाराण प्रसाद, जगदीश गुप्ता, रामछविला राय, डॉ. मुकूल मिश्रा आदि ने अपने विचार रखे। इस मौके पर परिषद की और से स्वतंत्रता सेनानी सहदेव झा के पुत्र सच्चिदानंद झा को सम्मानित किया गया। इससे पहले शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अरुण साह, प्रमुख राधिका देवी व थाना अध्यक्ष सोना प्रसाद सिंह ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर समारेाह का उद्घाटन किया। सभा का संचालन डॉ. श्यामबाबू प्रसाद ने किया।

  • मीनापुर में अंग्रेज थानेदार को जिंदा जला कर लहराया था तिरंगा

    मीनापुर में अंग्रेज थानेदार को जिंदा जला कर लहराया था तिरंगा

    यूनियन जैक उतार कर घोषित कर दिया आजादी

    हिल गई थी अंग्रेजी हुकूमत की चूलें

     

    स्वतंत्रता दिवस विशेष 

     

    कौशलेन्द्र झा
    बात 75 साल पुरानी है। 16 अगस्त 1942 का दिन था। हरका के पं. सहदेव झा के नेतृत्व में स्वतंत्रता सैनानियों ने न सिर्फ मीनापुर थाने से यूनियन जैक उतारकर थाने पर तिरंग लहराया, बल्कि तत्कालीन थानेदार लुइस वालर को थाना परिसर में ही जिंदा जला दिया था। इससे अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिल गई थीं। हालांकि, इस संघर्ष व पुलिस प्रताड़ना में आठ लोग शहीद हुए और कई दर्जन लोग जख्मी हो गए थे। वहीं, थानेदार के हत्या के आरोप में जुब्बा सहनी को फांसी दे दी गई थी।
    बतातें चलें कि आठ अगस्त 1942 को कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की। इसके आलोक में 11 अगस्त को हरका के पं. सहदेव झा के दरवाजे पर देशभक्तों ने गुप्त बैठक की। इसमें मीनापुर थाने पर तिरंगा फहराने की योजना बनी। लेकिन, इसकी भनक अंग्रेजों को लग गई। ब्रिटिश हुकूमत ने आंदोलनकारियों को कुचलने के लिए नेपाल की सीमा से फौज की एक टुकड़ी को मीनापुर रवाना कर दिया।
    अंग्रेजी फौज पर बोला हमला 
    15 अगस्त 1942 को ब्रिटिश फौज के रामपुरहरि पहुंचते ही आजादी के दीवानों ने फौज पर हमला बोल दिया। इस संघर्ष में विसनदेव पटवा, चतर्भुज मिश्र, रमण राय, केशव शाही और बिन्देश्वर पाठक मौके पर ही शहीद हो गए और दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हुए। इससे लोगों का आक्रोश और भड़क गया। देर रात क्रांतिवीरों ने गुपचुक तरीके से हरका में एक बैठक करके जो रणनीति बनाई, वह इतिहास में दर्ज हो गई।
    मीनापुर थाने पर किया हमला
    योजना के मुताबिक 16 अगस्त 1942 की दोपहर स्वतंत्रता सैनानियों ने मीनापुर थाना पर धावा बोल दिया। थानेदार लुइस वालर को जिंदा जलाने के बाद लोगों ने यूनियन जैक उतारकर थाना पर तिरंगा फहराया। इस दौरान अंग्रेजों की गोली से चैनपुर के बांगूर सहनी शहीद हो गए। वहीं, झिटकहियां के जगन्नाथ सिंह, भिखारी सिंह, रीझन सिंह, पुरैनिया के राजदेव सिंह, रामदहाउर सिंह, चैनपुर के बिगन सहनी, हसनपुर के दुलार सिंह व चाकोछपरा के रौशन साह गोली लगाने से बुरी तरह जख्मी हो गए थे।
    पुलिस प्रताड़ना से दो की मौत
    पुलिस ने थानेदार की हत्या के आरोप में 14 व थाने में तोड़फोड़ करने के आरोप में 27 लोगों पर एफआईआर की। बाद में आरोपितों की संख्या बढ़ाकर 87 कर दी। अंग्रेजी हुकूमत ने छापामरी के नाम पर दर्जनों गांव में कहर बरपाया। महदेईया को आग के हवाले कर दिया। लोग अंग्रेजों के भय से घर छोड़कर भागने लगे। इसी बीच नेपाल के जलेसर जेल में पुलिस की प्रताड़ना से मुस्तफागंज के बिहारी ठाकुर व हरका के सुवंश झा की मौत हो गई।
    जुब्बा सहनी ने वालर को मारने की बात स्वीकारी
    वालर हत्याकांड की सुनवाई पूरी हो चुकी थी। चैनपुर के जुब्बा सहनी ने जूरी की मंशा को पहले ही भांप लिया। फैसला आने से पहले ही उन्होंने अदालत में स्वीकार कर लिया कि वालर को मैंने मारा। अंग्रेजी हुकूमत ने 11 मार्च 1944 को भागलपुर सेंट्रल जेल में जुब्बा सहनी को फांसी दे दी। वहीं, पुरैनिया के राजदेव सिंह, रामधारी सिंह, मुस्तफागंज के बिहारी साह व मुसलमानीचक के रुपन भगत को आजीवन कारावास की सजा दी गई। आठ लोगों को रिहा कर दिया गया। इनमें रौशन साह, लक्ष्मी सिंह, जनक भगत, पलट भगत, नारायण महतो, संतलाल महतो, अकलू बैठा व गोविंद महतो का नाम शामिल थे। बाकी 73 आरोपितों को पांच वर्ष के कारावास की सजा दी गई थी।