मैले वस्त्र और बेतरतीब बिखरे बाल। माथे पर गट्ठर और पीठ पर बैग लिए, नंगे पांव निकल पड़ा है, मिलो की सफर पर। कोई अपनी बूढ़ी मां को सहारा देने में लगा है तो किसी को अपने मासूम को धूप से बचाने की चिंता है। पांव में पड़े छाले हो या पेट में लगी भूख। हौसला ऐसा कि इन्हें रोक पाना मुश्किल है। यह नजारा है राष्ट्रीय राजमार्ग पर पैदल सफर करने वाले प्रवासी मजदूरो की। दरअसल, ये वहीं मजदूर है, जो इन दिनो अपने ही देश में प्रवासी होने का दंश झेल रहें है। यह कोरोना काल की सबसे बड़ी बिडम्बना है। देखिए, पूरी रिपोर्ट…
लेखक: Shaunit Nishant
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पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जब छोड़ दिया था खाना
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वे अपनी कुशल नेतृत्व क्षमता, क्रांतिकारी व्यक्तित्व और जन कल्याणी विचारों के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे। कहतें है कि एक वक्त ऐसा आया जब उन्होंने देश को मुसीबत से बाहर निकालने के लिए लोगो से सप्ताह में एक रोज भोजन नहीं करने की अपील की थी और उनकी इस अपील पर लोगो ने एक रोज का उपवास भी शुरू कर दिया था। स्वयं शास्त्रीजी भी प्रधानमंत्री रहते हुए सप्ताह में एक रोज भोजन नहीं करके एक मिशाल कायम कर दिया था। इतना ही नहीं बल्कि, देश को आर्थिक संकट से निकालने के लिए उन्होंने वेतन लेने से भी मना कर दिया था।
जानिए, भोजन नहीं करने का कारण
दरअसल, चीन के साथ 1962 के युद्ध में भारत को बहुत नुकसान हुआ था। इसी का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर एक और युद्ध थोप दिया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाक को मुंहतोड़ जवाब देकर उसे पराजित कर दिया। किंतु, युद्ध के बाद भारत में वित्तीय संकट गहराने लगा था। ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री ने रामलीला मैदान से लोगों से अपील की कि, सभी अपने फालतू के खर्चे छोड़ दें और हफ्ते में एक दिन का उपवास रखें। जिससे भारत को अमेरिका से गेंहू ज्यादा ना खरीदना पड़े और भारत को जल्दी वित्तीय संकट से उबरा जा सके। उन्होंने खुद भी एक दिन उपवास रखना शुरू कर दिया था।
वेतन लेने से किया इनकार
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भारत को इस वित्तीय संकट से निकालने के लिए अपना वेतन लेने से भी मना कर दिया था। यहां तक कि कहा जाता है कि एक बार शास्त्री जी की धोती फट गई थी तो उन्होंने नई धोती की जगह फटी धोती ही सिलने का आदेश दिया था। मौजूदा भारत के नेताओं के लिए आज यह नजीर है और देश के लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है।
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कश्मीर पर शाहिद अफरीदी के ट्वीट से भड़के हरभजन सिंह
भारत के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा कि अब वो पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी के साथ कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब से शाहिद ने कश्मीर के बारे में ट्वीट किया है उसके बाद से उनसे कोई रिश्ता नहीं रह गया।
हरभजन ने स्पोर्ट्स तक पर बात करते हुए कहा,
जो शाहिद अफरीदी ने कहा है वो वाकई में बहुत ही ज्यादा निराशाजनक है। हमारे देश के बारे में प्रधानमंत्री को लेकर जो कुछ भी उन्होंने विचार जाहिर किए। यह किसी भी तरह से स्वीकार करने योग्य बात नहीं है।
हरभजन और पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह का नाम चर्चा का विषय बना हुआ था जबसे उन्होंने पूर्व पाकिस्तानी कप्तान अफरीदी के फाउंडेशन को कोरोना से लड़ने के लिए मदद करने की बात कही थी। उन्होने ने आगे कहा
ईमानदारी से कहूं तो अफरीदी ने हमें कहा था कि चैरिटी के लिए हम अपील करें। हमने उनके भरोसे पर, मानवता के लिए यह किया और उनके लिए जो लोग भी इस कोरोना की वजह से तकलीफ झेल रहे हैं।
“यहां तक कि हमारे प्रधानमंत्री ने भी यह कहा है कि कोरोना वायरस के खिलाफ एक जंग है जो सीमाओं के पार भी जाती है जो धर्म और जात से परे है। तो हम इसको लेकर बहुत ही ज्यादा पक्के थे जो भी चीज को हम प्रमोट कर रहे थे, इसमें सिर्फ और सिर्फ उन लोगों की मदद की जा रही थी जो मुश्किल में हैं।
लेकिन यह आदमी तो हमारे ही देश के बारे में बातें कर रहा है। मुझे तो बस इतना ही कहना है कि मेरा शाहिद अफरीदी से कोई लेना देना नहीं। हमारे देश की समस्या के बारे में उनको बोलने का कोई भी हक नहीं है और हमारी सीमा और देश से दूर रहना चाहिए।
मैंने इस देश में जन्म लिया है और इसी देश मे मरूंगा। मैंने अपने देश के लिए 20 साल खेला और भारत के लिए काफी सारे मुकाबले जीते हैं। कोई भी यह नहीं कह सकता कि मैंने अपने देश के खिलाफ कुछ किया है। आज और कल अगर देश को कहीं भी मेरी जरूरत हुई, यहां तक की बॉर्डर पर भी तो देश के लिए बंदूक उठाने वाला मैं पहला इंसान होउंगा।”
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लॉकडाउन 4 देश में 31 मई तक जारी रहेगा , गृह मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस
कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन की अवधि 31 मई तक बढ़ा दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने रविवार (17 मई) शाम को यह जानकारी मीडिया को दी। एनडीएमए ने कहा कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया गया है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की तरफ भारत सरकार/राज्य सरकार और राज्य अथॉरिटीज को लॉकडाउन बढ़ाने का निर्देश देते हुए कहा गया है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए देश में लॉकडाउन को बढ़ाने की जरूरत है।
वहीं, गृह मंत्रालय ने भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों के अंतर्गत प्रशासन के लिए कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए उपायों पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत मंगलवार (12 मई) को राष्ट्र के नाम संबोधन में ही स्पष्ट कर दिया था कि देश में 18 तारीख से पूर्णबंदी का चौथा चरण शुरू हो जाएगा और यह पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा। हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा था कि इस चरण में किसी चीज में और कितनी छूट दी जाएगी।
कोरोना महामारी के खिलाफ चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान के तहत देश भर में गत 25 मार्च से पूर्णबंदी लागू है और इसके तीन चरण पूरे हो चुके हैं। पहला चरण 25 मार्च से 14 अप्रैल, दूसरा 15 अप्रैल से 3 मई और तीसरा चरण 4 मई से 17 मई तक था।
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जब तक माही टीम में थे तो मुझे पता था कि मैं नहीं खेल पाउंगा
भारतीय टेस्ट टीम के अनुभवी विकेटकीपर रिद्धिमान साहा ने कहा कि उन्होंने भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धाेनी से काफी कुछ सीखने को मिला है। साहा ने ये भी स्वीकार किया है कि वह जानते थे कि जब तक एमएस धौनी टीम में होंगे तब तक उन्हें टीम में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके साथ-साथ ये भी खुलासा उन्होंने किया है कि उन्होंने और धाेनी ने एक साथ एक टेस्ट मैच में भाग भी लिया है।
साहा साल 2014 से लगातार भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेल रहे हैं, क्योंकि उसी दौरान एमएस ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था। धोनी के रहते वे टीम में जगह नहीं बना सके और न ही वे धौनी को कभी रिप्लेस कर सकते थे। स्पोर्ट्स तक को दिए इंटरव्यू में रिद्धिमान साहा ने कहा है, “मैं एमएस को रिप्लेस नहीं कर सकता था। मुझे उस समय मौका मिला, जब धाेनी टेस्ट क्रिकेट छोड़ चुके थे।”
35 साल के रिद्धिमान साहा ने आगे कहा,
एमएस धाेनी के विकेटकीपिंग की शैली या बल्लेबाजी की शैली…पल भर में उनकी स्टंपिंग…उनसे सीखने के लिए बहुत सारी चीजें हैं। वह मुझसे 2-4 साल बड़े थे, मुझे पता था कि अगर एमएस धाेनी खेल रहे हैं तो मुझे खेलने का मौका नहीं मिलेगा, किसी को भी टीम से बाहर बैठना पसंद नहीं होता है।”
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पूर्व क्रिकेटर ने कहा कोहली और धोनी पर योगराज सिंह ने लगाए थे बेबुनियाद आरोप
भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर मो0 कैफ को ये लगता है कि युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने कोहली और धोनी पर जो आरोप लगाए थे वो पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। हाल ही में योगराज सिंह ने विराट और एम एस धोनी पर ये आरोप लगाए थे कि इन्होंने युवराज के मुश्किल वक्त में उसका साथ नहीं दिया। योगराज ने कहा था कि युवराज को अपना कौशल दिखाने के लिए पर्याप्त मौके नहीं मिले।
कैफ ने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से साल 2018 में संन्यास लिया था। उन्होंने कहा कि उजले गेंद के क्रिकेट में युवराज सिंह चैंपियन हैं। वहीं उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है तो टीम में उनकी जगह बनी रहे ऐसा मुश्किल होता है, उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में अच्छे खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है जो घरेलू पिच पर शानदार प्रदर्शन करके टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए अपनी दावेदारी पेश करते रहते हैं।
कैफ ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि युवराज के पिता का आरोप सही है, लेकिन हाॅं युवराज सिमित ओवरों के क्रिकेट में चैंपियन थे और उन्हें और ज्यादा मौके मिलने चाहिए थे। भारतीय टीम में अपनी जगह बनाए रखना काफी मुश्किल होता है क्योंकि दूसरे कई प्रतिभावान खिलाड़ी टीम में आने के लिए इंतजार कर रहे होते हैं। अगर आपने अपना फॉर्म खो दिया तो टीम में जगह बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
भारत के लिए 13 टेस्ट और 125 वनडे मैच खेल चुके है कैफ
भारत के लिए 13 टेस्ट और 125 वनडे मैच खेलने वाले कैफ ने धौनी की सराहना कि और कहा कि बाद में उन्हें टीम चयन से संबंधित दूसरे विकल्प के लिए कुछ आजादी की जरूरत थी। कैफ ने साफ तौर पर कहा कि वो कभी भी पक्षपात जैसी रणनीति का सहारा नहीं लेते। धाेनी भारत के लिए सिमित प्रारूप में सबसे सफल कप्तान हैं। वो अपनी खुद की टीम का चयन करने के मामले में और फ्रीडम डीजर्व करते थे। अगर वह फेल होते तो आप उनपर सवाल उठा सकते थे, लेकिन उनका रिकॉर्ड बहुत शानदार है। उन्होंने भारत के लिए कई सारे खिताब जीते हैं।
धाेनी साल 2007 में भारत के कप्तान बने थे और उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने साउथ अफ्रीका में उसी साल टी20 वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीती थी। इसके बाद उनकी कप्तानी में टीम ने वनडे और टेस्ट में भी काफी अच्छा किया और उन्होंने सफलता का स्वाद जल्द ही चख लिया। उन्होंने न सिर्फ कप्तान के तौर पर बल्कि जिम्मेदारी पूर्वक रन भी बनाए। उन्होंने 2014 में टेस्ट से जबकि 2017 में वनडे और टी20 टीम की कप्तानी छोड़ दी थी।
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हमने सोचा ट्रेन बंद है इसलिए ट्रैक पर नहीं आएगी कोई गाड़ी…
एक टिफिन चटनी और 150 रोटियां लेकर चले थे 20 मजदूर, 16 के लिए सफर आखिरी सफर बन गया
लॉक डाउन के चलते सारे कल कारखाने बंद है, रोज कमाने-खाने वाले मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी बमुश्किल हो गई है, काम बंद होने के कारण लोग जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहे हैं। मजदूरों के पास बस नाम के लिए जमा पूंजी बची है और और इसी बीच खबर आई कि सरकार दूसरे राज्य के मजदूरों को घर भेजने के लिए औरंगाबाद या भुसावल से कोई ट्रेन चलाने वाली है, खबर मिलते ही मध्य प्रदेश के 20 मजदूर रेलवे ट्रैक से सफर पर निकल पड़े। पास कुछ था तो बस, 150 रोटियां और एक टिफिन चटनी। मजदूरों ने सोचा, अब आसानी से घर पहुंच जाएंगे, गुरुवार शाम को ही सबने मिलकर लगभग 150 रोटियां बनाईं। एक टिफिन चटनी भी बनाया, ताकि सूखी रोटी खाना नहीं पड़े। कुछ देर बाद सब भुसावल के लिए निकल पड़े, सभी की उम्र 21 से 45 साल के बीच थी। कुछ शहडोल के थे तो कुछ कटनी के, औरंगाबाद जिले के करमाड तक पहुंचे तो रात गहरी हो चली थी…सोचा, खाना खाकर कुछ समय आराम कर लिया जाए। यह बातें मीडिया को बताई सज्जन सिंह ने सज्जन सिंह इसी जत्थे में शामिल थे। वो बच गए। सज्जन कहते हैं,
भूख लगी थी साहब। ट्रैक पर ही बैठकर खाना खाने लगे। हमें यह साफ और सुरक्षित लगा। खाना खत्म हुआ। कुछ चाहते थे कि सफर फिर शुरू किया जाए। कुछ का दिल कर रहा था कि थोड़ा सुस्ता लेते है। सहमति आराम करने पर बनी। भूखे पेट को रोटी मिली थी। इसलिए, पटरी का सिरहाना और गिट्टियां भी नहीं अखरीं। सो गए। नींद खुली तो भयानक मंजर था। मेरे करीब इंटरलाल सो रहा था। उसने मुझे खींच लिया। इसी कारण मैं जिंदा हूं।
सज्जन आगे कहते हैं
आंख खुली तो होश आया। देखा मेरा बैग ट्रेन में उलझकर जा रहा है। हमने सोचा था कि ट्रेनें तो बंद हैं। इसलिए, ट्रैक पर कोई गाड़ी नहीं आएगी। आसपास झाड़ियां थीं। लिहाजा, ट्रैक पर ही झपकी का ख्याल आया। ट्रेन जब रुकी तब तक तो सब खत्म हो चुका था। 16 साथियों के क्षत-विक्षत शव ट्रैक पर पड़े थे। किसी को पहचान पाना मुश्किल था। सज्जन के मुुताबिक, “ पहले तो लगा कि कोई बुरा सपना देखा है। पल भर में हकीकत पर यकीन हो गया। 20 में से चार जिंदा बचे। डर को थोड़ा दूर किया। ट्रैक से कुछ दूर बने एक घर पहुंचे। मदद मांगी। उन्होंने पानी पिलाया। फिर पुलिस को जानकारी दी।” आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची। उसने अपना काम शुरू किया। रुंधे गले को संभालकर और भीगी आंखों को पोंछकर वीरेंद्र शांत आसमान की तरफ देखते हैं। फिर कहते हैं, “जिन लोगों के साथ कुछ घंटे पहले बैठकर रोटी खाई थी। अब उनकी लाशें मेरे सामने हैं। कुछ तो मेरे बहुत करीबी दोस्त थे। अब, क्या कहूंगा उनके घरवालों से? कैसे सामना करूंगा उनका? मेरा फोन, बैग सब गायब हैं। पीठ में चोट है। ये जख्म भर जाएगा। लेकिन, दिल में जो नासूर पैदा हो गया है, वो तो लाईलाज रहेगा। ताउम्र।”
घटना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी ने जताया शोक
दुर्घटना पर दक्षिण मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी का कहना है कि यह हादसा औरंगाबाद के कर्माड के पास हुआ है। मालगाड़ी का एक खाली डिब्बा कुछ लोगों के ऊपर चढ़ गया। कोरोना वायरस की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं।
ट्रैक बिखरी मजदूरों की रोटियां पिछले दिनों केंद्र सरकार की तरफ से मजदूरों को उनके राज्य वापस भेजने की इजाजत दी गई है। जिसके बाद राज्य सरकारें विशेष ट्रेनों, बसों की व्यवस्था करके उन्हें उनके गृह राज्य वापस भेज रही हैं, लेकिन कुछ मजदूर पैदल ही अपने गांवों की ओर चल दे रहे हैं, इससे पहले भी रास्ते में हुए हादसे में प्रवासी मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं।
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जानिए इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के अंतिम दिनो की कहानी
तीन दशकों तक इराक पर शासन करने वाले सद्दाम को 69 वर्ष की आयु में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। सुनवाई शुरू होने से पहले सद्दाम जब बगदाद में थे तब 551वीं मिलिट्री पुलिस कंपनी के अमेरिकी सैनिकों का समूह उनकी निगरानी में तैनात था। सैनिक अपने समूह को दी सुपर टवेल्व कहते थे। रिपोर्टस के मुताबिक सद्दाम की निजी सुरक्षा में तैनात इन 12 अमेरिकी सैनिकों के बीच पहले छह महीने एक जुड़ाव सा हो गया था। इनका सद्दाम से भी जुड़ाव हो गया जो उनके अंतिम समय तक बना रहा।
दी प्रिजनर इन हिज पैलेस में सद्दाम के आखरी दिनो की कई रोचक बातें प्रकाशित की गई है। किताब के लेखक विल बाडेर्नवेरपेर स्वयं सद्दाम के सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी रह चुकें हैं। किताब में बाडेर्नवेरपेर ने लिखा है कि सद्दाम एक कोने में धूल के छोटे से ढेर पर उग आई घास को पानी देना पसंद करते थे। वे उसकी देखभाल ऐसे करते थे जैसे कि वे खूबसूरत फूल हों। अपने भोजन को लेकर वे काफी संवेदनशील थे, नाश्ता कई हिस्सों में लेते थे। पहले आमलेट खाते थे, फिर मफिन और उसके बाद ताजे फल। आमलेट कटाफटा हो तो वे खाने से मना कर देते थे। उन्हें मिठाईयां बहुत पसंद थी।
जब सद्दाम के बेटे ने एक दल पर गोलीबारी कर दी थी
सुरक्षा कर्मियों के जीवन में सद्दाम की खासी दिलचस्पी थी। कई सुरक्षाकर्मियों के बच्चे भी उनके साथ रहते थे और सद्दाम पिता के तौर पर अपने अनुभवों की कहानियां उन्हें सुनाया करते थे। बच्चों में अनुशासन की उनकी एक कहानी तो याद रखने योग्य है। सद्दाम ने बताया कि उनके बेटे उदय ने एक बड़ी गंभीर गलती कर दी थी जिससे सद्दाम को बेहद गुस्सा आया था। उदय ने एक दल पर गोलीबारी कर दी थी जिसमें कई लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे। किताब के मुताबिक सद्दाम ने बताया, मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उसकी सभी कारें जला दी। उन कारों में रॉल्स रॉयस, फरारी और पॉर्श जैसी महंगी कारें भी थी।
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देशभर में 17 मई तक बढ़ाया गया लॉकडाउन, लेकिन कुछ शर्तों के साथ मिलेगी छूट
केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन को 2 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है। देश में 40 दिनों का लॉकडाउन 3 मई को पूरा हो रहा है। इस बीच केंद्रीय गृहमंत्रालय ने लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर दी है। हालांकि, इस बार ग्रीन और ऑरेन्ज जोन में पहले से अधिक छूट दी जाएगी। लेकिन सोशल डिस्टेंशिंग के नियम पहले की तरह जारी रहेंगे।
गृहमंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश को काफी लाभ हुआ है। लॉकडाउन को 4 मई से अगले 2 सप्ताह तक बढ़ाने की घोषणा की जाती है। रेड, ग्रीन और ऑरेन्ज जोन के लिए अलग-अलग गाइडलाइंस तैयार की गई है। ग्रीन और ऑरेन्ज जोन में काफी छूट भी दी गई है।
देशभर में कोरोना का कहर अभी जारी है और बीते 24 घंटे में कोरोना के 1755 नए पॉजिटिव मामले सामने आए हैं और 77 मौतें हुई हैं। कोरोना वायरस के कारण देशभर में 1152 लोगों की मौत हो चुकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में कोविड-19 से अब भी 35,365 लोग संक्रमित हैं जबकि 9065 लोग स्वस्थ हो चुके है।
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PM नरेन्द्र मोदी का ऐलान- भारत में 3 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन, और सख्त होंगे नियम
कोरोनावायरस के खिलाफ जारी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने कहा,
”साथियों, सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना होगा। यानि 3 मई तक हम सभी को लॉकडाउन में ही रहना होगा, इस दौरान हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है, जैसे हम करते आ रहे हैं, मेरी सभी देशवासियों से ये प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में नहीं फैलने देना है। स्थानीय स्तर पर अब अगर एक भी मरीज बढ़ता है तो यह हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए.”
हम धैर्य बनाकर अगर रखेंगे, नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना जैसी महामारी को भी परास्त कर पाएंगे, इसी विश्वास के साथ अंत में, मैं आज 7 बातों में आपका साथ मांग रहा :- पहली बात
अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो, उनकी हमें केयर करनी है, उन्हें कोरोना से बहुत बचाकर रखना है। - दूसरी बात-
लॉकडाउन और Social Distancing की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें, घर में बने फेसकवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। - तीसरी बात-
अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, गर्म पानी, काढ़ा का निरंतर सेवन करें। - चौथी बात-
कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद करने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल App जरूर डाउनलोड करें। दूसरों को भी इस App को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें - पांचवी बात-
जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें, उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें। - छठी बात-
आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करे लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें। - सातवीं बात-
देश के कोरोना योद्धाओं, हमारे डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मी, पुलिसकर्मी का पूरा सम्मान करें।
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- पहली बात
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दिल्ली-NCR में फिर महसूस किए गए भूकंप के झटके, 2.7 मापी गई तीव्रता
दिल्ली में सोमवार को हल्के तीव्रता की भूकंप के झटके फिर महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 2.7 आंकी गई है। 24 घंटे के भीतर दिल्ली में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसमें किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है।
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इंदौर में स्वास्थ्य कर्मियों पर पत्थर और डंडों से हमला, दो महिला डॉक्टर घायल
मध्यप्रदेश के इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट और पथराव का मामला एक बार फिर सामने आया है, स्वास्थ्य महकमे की टीम कोविड 19 स्क्रीनिंग के लिये पहुंची थी, इसी बात पर स्थानीय लोग भड़क गये और और स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव कर दिया।
इस पर कई लोगों ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी :
सोचता था कि इतने पराक्रमी-पुरुषार्थी और देशभक्त बच्चों की भारत माँ कैसे 1000 साल ग़ुलाम रही😳।आज देखकर समझ आता है ! देश मरता हो मर जाए पर कुछ नीचों का मज़हबी-तुष्टिकरण वाला वोट जुगाड़ू एजेंडा बचना चाहिए😡👎
शायद हम डिजर्व भी करते है जो ऐसे लंपटों को पहचानने के बाद भी चुनते हैं👞— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) March 31, 2020
इंदौर की घटना बेहद शर्मनाक है, डॉक्टर्स और पुलिस की टीम को नकली बताकर उन पर हमला करना निंदनीय है, दोषियों पर कडी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये ।
व्हाट्सअप पर कोरोना महामारी से सम्बंधित अफवाहें फैलाने वालों को भी चिंहित करके दंडित किया जाये ।#CommunalVirus
— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) April 2, 2020
ये इंदौर की तस्वीरें हैं. डॉक्टरों की गलती ये थी कि वो कोरोना स्क्रीनिंग के लिए सैम्पल लेने गए थे. सारी दुनिया जिस समय डॉक्टर को भगवान मान कर पूज रही है, इतिहास याद रखेगा कि हिंदुस्तान में ऐसे भी लोग थे जो उन्हें पत्थर मार रहे थे. pic.twitter.com/XghJXp5ZjU
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) April 2, 2020
दरअसल, बुधवार को इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाके में कोरोना वायरस से संदिग्ध एक बुजुर्ग महिला का मेडिकल चेकअप करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की टीम, जिसमें डॉक्टर, नर्स और आशा कार्यकर्ता शामिल थे, लाने आई थी, जिसका वहां के लोगों ने विरोध किया और लोगों ने पथराव कर दिया। उन्होंने लाठी-डंडों से उनका पीछा किया और फिर किसी तरह स्वास्थ्यकर्मियों की टीम जान बचाते भागी। बता दें कि यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जहां पूरा देश डॉक्टरों के लिए तालियां बजा रहा है और उनके योगदान को सराह रहा है, मगर वहीं कुछ लोग इन्हें गालियां भी दे रहे हैं और पत्थर भी मार रहे हैं।
यह पहला मामला नहीं है, जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अगली कतार में खड़े स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बदसलूकी की घटना हुई है। इससे पहले दिल्ली के मरकज में तबलीगी जमाती के लोगों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों पर थूका। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में रेलवे के पृथक केंद्रों में रखे गए तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े करीब 160 लोगों ने उनकी जांच कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और यहां तक कि उनपर थूक फेका गया।
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KKN लाइव..सफर तीन साल का, एक नजर में
KKN लाइव ने आज अपना शानदार तीन वर्ष पूरा कर लिया है। आज ही के दिन यानी 2 अप्रैल 2017 को KKN लाइव वेब पोर्टल लॉच हुआ था। दोस्तो, इन तीन वर्षो में एक लाख 20 हजार से अधिक लोगो का साथ मिला और यह संख्या निरंतर बढ़ रही है। ये वो लोग है, जिनकी मदद से 75 लाख लोगो तक KKN लाइव ने दस्तक दे दी है। इसमें बड़ी संख्या में भारत के लोग है। भारत के सभी राज्य और प्रमुख शहरो तक KKN लाइव ने अपनी पहुंच बना लिया है। आपको बतातें हुए बहुत खुशी हो रही है कि KKN लाइव को भारत के बाहर, यानी दुसरे देशो में भी पसंद किया जाता है। इस वक्त करीब 55 देशो में KKN लाइव के दर्शक और पाठक मौजूद है। देखिए, इसकी एक झलक…