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  • बिहार में मौसम का अलर्ट: बारिश, तेज़ हवा और वज्रपात को लेकर येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी

    बिहार में मौसम का अलर्ट: बारिश, तेज़ हवा और वज्रपात को लेकर येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने राज्य के कई ज़िलों के लिए येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 16 अप्रैल से 19 अप्रैल के बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों में तेज़ बारिश, आंधी-तूफान और वज्रपात की चेतावनी दी गई है। यह बदलाव बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी और सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण हो रहा है।

    मौसम का पूर्वानुमान और अलर्ट विवरण

    16 अप्रैल: येलो अलर्ट जारी

    इन जिलों में 30–40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज़ हवाओं के साथ गरज-चमक और बारिश की संभावना है:

    • पटना

    • बक्सर

    • भोजपुर

    • कैमूर

    • रोहतास

    • औरंगाबाद

    • अरवल

    • गया

    • नवादा

    • जहानाबाद

    • नालंदा

    • शेखपुरा

    • बेगूसराय

    17 अप्रैल: ऑरेंज अलर्ट

    इन ज़िलों में भारी बारिश, आंधी और 50–60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की चेतावनी दी गई है:

    • जमुई

    • बांका

    • मुंगेर

    • भागलपुर

    • खगड़िया

    • कटिहार

    • पूर्णिया

    • सहरसा

    • मधेपुरा

    • किशनगंज

    • अररिया

    • सुपौल

    • समस्तीपुर

    • वैशाली

    • दरभंगा

    • मधुबनी

    • सारण

    • मुजफ्फरपुर

    • शिवहर

    • सीतामढ़ी

    • सीवान

    • गोपालगंज

    • पूर्वी चंपारण

    • पश्चिमी चंपारण

    18–19 अप्रैल: लगातार मौसम अलर्ट

    इन तिथियों के लिए भी मौसम विभाग ने बिहार के कई जिलों में येलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई है।

    तापमान और वर्षा की स्थिति

    राज्य में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। अधिकतम तापमान 34°C से 36°C के बीच और न्यूनतम तापमान 22°C से 24°C के बीच रहने की संभावना है। बीते 48 घंटों में जमुई ज़िले में सबसे अधिक 48.6 मिमी बारिश हुई है, जिससे वहां की स्थिति अधिक प्रभावित हुई है।

    मौसम विभाग की चेतावनी

    भारतीय मौसम विभाग ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि बंगाल की खाड़ी से आ रही पूर्वी हवा नमी लेकर बिहार की ओर बढ़ रही है। इस वजह से राज्य के मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। विशेषकर पूर्वी बिहार के ज़िलों में एक-दो स्थानों पर भारी बारिश और वज्रपात की संभावना है।

    सुरक्षा के उपाय

    मौसम विभाग ने आम जनता और किसानों को निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी है:

    • खराब मौसम के दौरान घर के अंदर रहें और खुले स्थानों से बचें।

    • खेतों में काम कर रहे किसानों को सतर्कता बरतनी चाहिए।

    • खुले मैदानों और ऊंची जगहों पर खड़े न हों।

    • बिजली गिरने की संभावना को देखते हुए मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूरी बनाए रखें।

    बिहार में फिलहाल मौसम की स्थिति बेहद अस्थिर बनी हुई है। 19 अप्रैल तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में बारिश, तेज़ हवा और वज्रपात की घटनाएं हो सकती हैं। लोगों से अपील है कि वे सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी की गई अपडेट्स और सुझावों का पालन करें और सुरक्षित रहें।

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  • मुजफ्फरपुर में पहली बार अनिरुद्धाचार्य जी की भागवत कथा, बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार भी लगेगा – जानिए पूरी जानकारी

    मुजफ्फरपुर में पहली बार अनिरुद्धाचार्य जी की भागवत कथा, बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार भी लगेगा – जानिए पूरी जानकारी

    KKN गुरुग्राम डेस्क: आध्यात्मिक जगत के लोकप्रिय कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य जी महाराज पहली बार मुजफ्फरपुर की धरती पर अपनी श्रीमद भागवत कथा का अमृत बरसाने जा रहे हैं। यह भव्य आयोजन 19 मई से 28 मई 2025 तक, जिले के पताही  क्षेत्र स्थित राधानगर चौशीमा में आयोजित होगा। इस दौरान श्रद्धालु 9 दिनों तक दिव्य कथा, भजन और भक्ति में डूबे रहेंगे।

    कौन हैं अनिरुद्धाचार्य जी?

    भारत के युवा आध्यात्मिक समाज में अनिरुद्धाचार्य जी एक जाना-पहचाना नाम हैं। उनके भक्त उन्हें प्यार से “पुकी बाबा” कहकर बुलाते हैं। सोशल मीडिया पर उनकी गूढ़ बातें, हास्य से भरी व्याख्याएं और सहज शैली के कारण वे लाखों लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।

    उनकी भागवत कथा केवल धार्मिक प्रवचन नहीं होती, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा होती है जिसमें श्रद्धालु आत्ममंथन करते हैं, मुस्कुराते हैं और अपने मूल संस्कारों से फिर से जुड़ जाते हैं।

    भव्य तैयारियां जोरों पर

    आयोजन समिति के अनुसार, यह कार्यक्रम एक भव्य रूप में आयोजित किया जा रहा है। कथा स्थल को आध्यात्मिक प्रतीकों, फूलों, एलईडी लाइटिंग और विशाल बैठक व्यवस्था के साथ सजाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन से अनुमति भी मिल चुकी है, और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए जा रहे हैं।

    50,000 से अधिक श्रद्धालुओं की उम्मीद

    आयोजकों का अनुमान है कि इस नौ दिवसीय कार्यक्रम में 50,000 से अधिक श्रद्धालु भाग लेंगे। अनिरुद्धाचार्य जी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए बिहार ही नहीं, झारखंड, यूपी और बंगाल से भी बड़ी संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है।

    बाबा बागेश्वर का पहला आगमन मुजफ्फरपुर में

    इस आध्यात्मिक कार्यक्रम में एक और दिव्यता का संचार तब होगा जब बाबा बागेश्वर धाम सरकार यानी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 20 मई 2025 को मुजफ्फरपुर में दिव्य दरबार लगाएंगे। यह दरबार पताही फोर लेन के पास डीपीएस स्कूल मैदान में आयोजित होगा।

    कौन हैं बाबा बागेश्वर?

    बाबा बागेश्वर को उनके भक्त चमत्कारी और सटीक दिव्य अंतर्ज्ञान वाला संत मानते हैं। उनका “दिव्य दरबार” न केवल धार्मिक आयोजन होता है, बल्कि यह कई लोगों की मानसिक, आध्यात्मिक और पारिवारिक समस्याओं का समाधान भी बन जाता है।

    यह मुजफ्फरपुर में उनकी पहली आधिकारिक उपस्थिति होगी, जिसे लेकर पूरे क्षेत्र में विशेष उत्साह है।

    एकता का माध्यम बनते हैं आध्यात्मिक आयोजन

    ऐसे आयोजनों की महत्ता केवल धार्मिक नहीं होती। यह सामाजिक एकजुटता, भावनात्मक उपचार और सामूहिक आस्था का पर्व बन जाते हैं। अनिरुद्धाचार्य जी और बाबा बागेश्वर की उपस्थिति से पूरा बिहार एक अद्वितीय आध्यात्मिक संगम का साक्षी बनेगा।

    विष्णु महायज्ञ में क्या-क्या होगा?

    यह पूरा कार्यक्रम विष्णु महायज्ञ के तहत आयोजित हो रहा है। इसमें शामिल होंगे:

    • श्रीमद भागवत कथा का प्रतिदिन वाचन

    • धार्मिक भजन, कीर्तन और सत्संग

    • भंडारा (सामूहिक प्रसाद वितरण)

    • संतों से आध्यात्मिक मार्गदर्शन

    • हवन और पूजा अनुष्ठान

    प्रशासनिक स्वीकृति और सहयोग

    मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान द्वारा आयोजित इस आयोजन को प्रशासनिक अनुमति प्राप्त हो चुकी है। बाबा बागेश्वर के कार्यक्रम के लिए अंतिम औपचारिक स्वीकृति शेष है, लेकिन लगभग सभी आंतरिक व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई हैं।

    स्वयंसेवकों, स्वास्थ्य अधिकारियों, पुलिस बल और आध्यात्मिक संगठनों की टीम सुरक्षा, सफाई और भीड़ प्रबंधन के कार्य में जुटी है।

    सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक प्लान

    प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस बल की ओर से सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम किए जा रहे हैं। एम्बुलेंस, मेडिकल टीम, आपदा प्रबंधन इकाइयाँ भी तैयार की जा रही हैं।

    पताही क्षेत्र और डीपीएस स्कूल के पास ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए डायवर्जन प्लान तैयार हो रहा है।

    सोशल मीडिया पर उत्साह चरम पर

    इस आयोजन की घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर पोस्टर्स, वीडियो और निमंत्रण संदेशों की बाढ़ आ गई है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर श्रद्धालु इस आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं।

    धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

    अनिरुद्धाचार्य जी महाराज और बाबा बागेश्वर धाम सरकार की एक साथ उपस्थिति से मुजफ्फरपुर में धार्मिक पर्यटन को नई ऊँचाई मिलेगी। होटल, ट्रांसपोर्ट, रेस्टोरेंट, लोकल व्यापारी और स्ट्रीट वेंडर्स इस आयोजन से बढ़ती आर्थिक गतिविधियों की तैयारी में जुट गए हैं।

    यह आयोजन क्यों है खास?

    • सांस्कृतिक विरासत का उत्सव: दो महान संतों का एक मंच पर आना बिहार की समृद्ध आध्यात्मिक परंपरा का परिचायक है।

    • मानसिक शांति और ऊर्जा: तनाव और अवसाद से जूझ रहे समाज को यह आयोजन सुकून देगा।

    • युवा वर्ग की भागीदारी: अनिरुद्धाचार्य जी की शैली युवाओं को विशेष रूप से आकर्षित करती है।

    कार्यक्रम सारांश एक नजर में

     

    तिथि कार्यक्रम स्थान
    19-28 मई 2025 श्रीमद भागवत कथा (अनिरुद्धाचार्य जी) राधानगर चौशीमा, पताही
    20 मई 2025 दिव्य दरबार (बाबा बागेश्वर) डीपीएस स्कूल मैदान, पताही
    21 मई 2025 बाबा बागेश्वर का प्रस्थान मुजफ्फरपुर

    मुजफ्फरपुर में आयोजित होने जा रहा यह आयोजन केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति और सामाजिक सौहार्द का संदेश है। अनिरुद्धाचार्य जी और बाबा बागेश्वर धाम सरकार की उपस्थिति इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बना देगी।

  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव, सीएम पद को लेकर तनाव बढ़ा

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव, सीएम पद को लेकर तनाव बढ़ा

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, एनडीए और महागठबंधन दोनों के बीच सीएम पद को लेकर घमासान बढ़ गया है। पिछले कुछ समय से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच सीधे मुकाबले की संभावना थी, लेकिन अब यह स्थिति थोड़ी जटिल हो गई है। राजनीतिक समीकरणों में आए बदलाव और अंदरूनी तनावों के चलते यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।

    एनडीए में सीएम पद पर तनाव और नीतीश कुमार का भविष्य

    एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) जो बिहार में सत्ता में है, 2025 के चुनाव के लिए एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो जनता दल यूनाइटेड (JD(U)) के प्रमुख हैं, उनके नेतृत्व में गठबंधन चुनाव लड़ने वाला है। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ राजनीतिक परिवर्तन और समीकरणों के कारण एनडीए में भी सीएम पद को लेकर तनाव बढ़ गया है।

    पशुपति पारस के लोजपा से अलग होने और उनके भतीजे चिराग पासवान के साथ मतभेदों ने एनडीए को कमजोर किया है। इससे नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मुद्दे के अलावा, बीजेपी और अन्य सहयोगी दलों के बीच भी यह चर्चा हो रही है कि क्या उन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व पर भरोसा रखना चाहिए, या फिर कोई नया चेहरा सामने लाना चाहिए। इसके अलावा, बिहार में हो रही राजनीतिक उथल-पुथल ने इस स्थिति को और जटिल बना दिया है।

    महागठबंधन की स्थिति: तेजस्वी यादव या नया चेहरा?

    वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन में भी सीएम पद को लेकर गहरी खींचतान है। राजद (राष्‍ट्रीय जनता दल) के नेता तेजस्वी यादव इस बार महागठबंधन के सबसे बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं। हालांकि, महागठबंधन में अन्य दलों जैसे कांग्रेस और बिहार के वामपंथी दलों के नेताओं के बीच भी यह सवाल उठने लगा है कि क्या तेजस्वी यादव ही महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार होंगे, या फिर कुछ अन्य नेता को यह जिम्मेदारी सौपी जाएगी।

    कांग्रेस की स्थिति इस बार थोड़ी जटिल हो सकती है, क्योंकि पार्टी के भीतर तेजस्वी यादव को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ कांग्रेस नेता तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, जबकि कुछ अपने मजबूत दबाव के कारण कोई अन्य विकल्प देख सकते हैं। इस प्रकार, महागठबंधन के भीतर भी इस समय सीएम पद के लिए कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है।

    बीजेपी का रुख: क्या वे नया चेहरा उतारेंगे?

    बीजेपी ने बिहार में अपनी स्थिति काफी मजबूत की है, और हाल के वर्षों में इस पार्टी ने राज्य में अपनी पकड़ बढ़ाई है। बिहार के चुनावों में बीजेपी का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में, सवाल यह उठता है कि बीजेपी क्या नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में बने रहकर चुनाव लड़ेगी, या फिर वह नए चेहरे को सामने लाकर चुनावी मैदान में उतरेगी।

    इस बार बीजेपी बिहार के सीएम उम्मीदवार के रूप में एक मजबूत और युवा चेहरा पेश कर सकती है। पार्टी में ऐसे कई नेता हैं, जो राज्य की राजनीति में अपनी पहचान बना चुके हैं। इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी नए चेहरे को मैदान में उतार सकती है, ताकि वह बिहार के वोटरों के बीच अपनी पकड़ और भी मजबूत कर सके।

    महागठबंधन की ताजातरीन स्थिति: कांग्रेस और वाम दलों का रुख

    महागठबंधन में प्रमुख दलों के सीएम उम्मीदवार के चयन पर अलग-अलग राय है। वाम दल और कांग्रेस के लिए यह सवाल एक अहम मुद्दा बन चुका है, क्योंकि अगर तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाता है तो क्या वे इसके लिए तैयार होंगे या नहीं?

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन में यदि तेजस्वी को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया जाता है, तो यह गठबंधन के अंदर एक नई राजनीतिक ऊर्जा का संचार कर सकता है। हालांकि, इसके साथ ही महागठबंधन को यह भी देखना होगा कि गठबंधन में हर दल के नेता अपनी स्थिति बनाए रखें और किसी तरह की टूट-फूट न हो।

    बिहार में राजनीतिक घमासान के बाद, क्या होगा अगला कदम?

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीएम पद का सवाल एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। चुनावी अभियान के दौरान दोनों प्रमुख गठबंधनों को इस सवाल का जवाब जल्दी ही देना होगा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही दल अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं, ताकि चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।

    चुनावों से पहले इस बात पर राजनीतिक उथल-पुथल होना स्वाभाविक है। इस बार बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए जो भी उम्मीदवार होगा, उसे राज्य की आर्थिक, सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों का समाधान करना होगा। साथ ही, विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर ध्यान देना होगा।

    बिहार चुनाव का भविष्य: जनता के विचार

    2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जो भी पार्टी जीत हासिल करेगी, उसे राज्य के विकास और समानता की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। बिहार में बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं बहुत बड़ी हैं, और इन समस्याओं का समाधान करना किसी भी सीएम के लिए बड़ी चुनौती होगी।

    साथ ही, राजनीतिक समीकरण और गठबंधन की ताकत इस बार चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। बिहार की जनता को यह देखना होगा कि आने वाले समय में कौन सा गठबंधन इन समस्याओं का समाधान कर सकता है और राज्य को आगे बढ़ा सकता है।

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीएम पद को लेकर दोनों प्रमुख गठबंधन—एनडीए और महागठबंधन—के बीच तनाव बढ़ गया है। जबकि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव प्रमुख चेहरे के रूप में उभर रहे हैं, लेकिन गठबंधनों के भीतर मौजूद राजनीतिक समीकरणों और तनावों ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है।

    अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में आने वाली सरकार कौन बनाएगा और सीएम पद पर किसका अधिकार होगा। 2025 के बिहार चुनाव राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं और भविष्य में राजनीतिक दलों के लिए एक नई दिशा तय कर सकते हैं।

  • Bihar Weather Update: पटना में 80 साल का बारिश का रिकॉर्ड टूटा, रबी फसलों को नुकसान

    Bihar Weather Update: पटना में 80 साल का बारिश का रिकॉर्ड टूटा, रबी फसलों को नुकसान

    KKN गुरुग्राम डेस्क | जहां एक ओर देश के कई राज्य भीषण गर्मी और लू की चपेट में हैं, वहीं बिहार का मौसम इन दिनों अप्रत्याशित बदलाव के दौर से गुजर रहा है। बीते दो दिनों में राज्य के कई हिस्सों में मूसलधार बारिश हुई है, जिससे राजधानी पटना में 80 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है।

    मौसम विभाग, पटना के निदेशक आशीष कुमार के अनुसार, बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी, ट्रफ रेखा का प्रभाव और पश्चिमी विक्षोभ की वजह से प्रदेश में गरज और बिजली के साथ बारिश हो रही है।

    पटना में टूटा 80 साल पुराना रिकॉर्ड

    पटना में 11 अप्रैल 2025 को 42.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो कि अप्रैल महीने में 1946 के बाद की सबसे अधिक एकदिनी बारिश है। इससे पहले अप्रैल में सबसे ज्यादा बारिश 1983 में 16 अप्रैल को 34 मिमी दर्ज की गई थी।

    यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से बताता है कि बिहार में मौसम चक्र तेजी से बदल रहा है और इसका सीधा असर कृषि और आम जनजीवन पर पड़ रहा है।

    मौसम परिवर्तन के पीछे मुख्य कारण

    बिहार में इस समय जो अप्रत्याशित बारिश और ठंडक देखी जा रही है, उसके पीछे कई कारण हैं:

    • बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी युक्त हवाएं

    • उत्तर भारत से गुजर रही ट्रफ रेखा

    • हिमालयी क्षेत्रों में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ

    • स्थानीय स्तर पर बन रहे कन्वेक्टिव क्लाउड्स

    इन सभी कारकों के चलते प्रदेश में तेज हवाएं, गरज के साथ बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

    अप्रैल में नहीं छुआ 40 डिग्री का तापमान

    पटना सहित बिहार के कई शहरों में अप्रैल महीने में अब तक अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को नहीं छू पाया है। इस वर्ष सबसे गर्म दिन 6 अप्रैल रहा, जब तापमान 39.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। जबकि रिकॉर्ड के अनुसार अप्रैल का सबसे गर्म दिन 29 अप्रैल 1980 को था, जब तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस था।

    इससे यह साफ होता है कि इस वर्ष अप्रैल में गर्मी की तीव्रता में स्पष्ट गिरावट देखी जा रही है।

    गरज-चमक और बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ीं

    बिहार के विभिन्न जिलों—गया, नालंदा, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, और पटना—में पिछले कुछ दिनों से लगातार बिजली गिरने और तेज हवाओं की घटनाएं हो रही हैं। मौसम विभाग ने कई जिलों में पीला अलर्ट (Yellow Alert) जारी किया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

    इन घटनाओं के कारण जान-माल की हानि की आशंका बनी हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बिजली गिरने से सुरक्षा हेतु सावधान किया है।

    रबी फसल पर बारिश का असर: किसानों की बढ़ी चिंता

    अप्रैल महीने में इस तरह की बारिश ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। अधिकांश जगहों पर रबी फसल जैसे गेहूं, चना, मसूर आदि की कटाई हो चुकी है और उन्हें खुले खेतों में रखा गया था। लगातार बारिश ने इन कटे हुए फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

    कृषि विशेषज्ञ की राय:

    अरविंद सिंह, सहायक निदेशक, जैव नियंत्रण प्रयोगशाला, पटना ने बताया:

    “खेतों में जो फसल खड़ी है, उसे उतना नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन जो फसल कटकर खेतों में पड़ी थी, वह बारिश में भीग गई है, जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों पर असर पड़ा है।

    किसानों की आंखों में चिंता, लागत की भरपाई मुश्किल

    बिहार के नालंदा, भोजपुर, वैशाली और बक्सर जैसे कृषि प्रधान जिलों से किसानों ने बताया कि बारिश ने उनकी कई महीनों की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। कटाई के बाद फसल को बेचने से पहले भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण खुली धूप और बारिश दोनों से फसल खराब हो जाती है।

    नालंदा जिले के किसान रामनिवास यादव ने कहा:

    “सारा गेहूं काट कर रख दिया था, बस मंडी ले जाने की तैयारी थी। अब सारा भीग गया है, न सरकार से कोई मदद मिलती है, न नुकसान की भरपाई होती है।”

    जलवायु परिवर्तन के प्रभाव: मौसम चक्र में भारी बदलाव

    बिहार में मौसम का यह असामान्य मिजाज जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में निम्नलिखित बदलाव देखे गए हैं:

    • अप्रैल और फरवरी जैसे महीनों में अवसामान्य बारिश

    • मानसून का देरी से आना या जल्दी आना

    • ओलावृष्टि और बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि

    • लंबे सूखे के बाद अचानक तेज बारिश

    ये सभी बदलाव राज्य की कृषि व्यवस्था, सिंचाई योजनाओं, और आपदा प्रबंधन को गंभीर चुनौती दे रहे हैं।

    सरकार की चेतावनी और दिशा-निर्देश

    राज्य सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग ने किसानों और आम नागरिकों को सलाह दी है:

    • फसल को बारिश से बचाने के लिए कवर या टेंट की व्यवस्था करें।

    • मौसम ऐप और पूर्वानुमान पर लगातार नजर रखें।

    • बिजली गिरने की स्थिति में खुले मैदान, पेड़ या जल स्रोत से दूर रहें।

    • आपदा राहत के लिए सरकार द्वारा जल्द ही मुआवजा योजना का ऐलान किया जा सकता है।

    आगामी 5 दिन का मौसम पूर्वानुमान: राहत की उम्मीद नहीं

    मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले 3–4 दिनों तक राज्य में गरज, चमक और बारिश की गतिविधियां बनी रहेंगी। 18 अप्रैल के बाद मौसम साफ हो सकता है और तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होगी।

     

    तारीख बारिश की संभावना अधिकतम तापमान स्थिति
    15 अप्रैल 70% 36°C गरज के साथ बारिश
    16 अप्रैल 60% 37°C हल्की बारिश संभव
    17 अप्रैल 40% 38°C आंशिक रूप से बादल
    18 अप्रैल 20% 39°C मौसम साफ, धूप
    19 अप्रैल 10% 41°C गर्मी में बढ़ोतरी

    बिहार में अप्रैल महीने की यह बारिश जहां जलवायु परिवर्तन का संकेत है, वहीं यह किसानों के लिए भारी नुकसान का कारण बन रही है। सरकार और नागरिकों को मिलकर समय रहते सही कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में ऐसे मौसमी झटकों का सामना बेहतर तरीके से किया जा सके।

  • बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार 20 मई को मुजफ्फरपुर में: भक्तों में उत्साह की लहर

    बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार 20 मई को मुजफ्फरपुर में: भक्तों में उत्साह की लहर

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 20 मई 2025 को बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार आयोजित किया जाएगा। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से जाना जाता है, पहली बार मुजफ्फरपुर में अपने भक्तों से मिलेंगे। इस आयोजन को लेकर भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है, और लाखों की संख्या में लोगों के शामिल होने की संभावना है।

    आयोजन स्थल और कार्यक्रम का विवरण

    बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार मुजफ्फरपुर के पताही फोरलेन के पास स्थित डी.पी.एस. स्कूल के बगल में मैदान में आयोजित किया जाएगा। बाबा 20 मई को नई दिल्ली से चार्टर्ड प्लेन द्वारा दरभंगा हवाई अड्डा पहुंचेंगे, और वहां से सड़क मार्ग से कथा स्थल पर आएंगे। बाबा का मुजफ्फरपुर में प्रवास 21 मई तक रहेगा।

    विष्णु महायज्ञ और अनिरुद्धाचार्य का कथावाचन

    पताही के राधानगर चौसिमा में 19 से 28 मई तक विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया है। इस महायज्ञ में वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य 23 मई से 27 मई तक पांच दिनों का कथावाचन करेंगे। बाबा बागेश्वर के रात्रि विश्राम और कार्यक्रम को लेकर मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान की बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी, और जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी दी जाएगी।

    भक्तों की तैयारी और प्रशासनिक व्यवस्था

    मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों के भक्त बाबा बागेश्वर के दरबार की लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। अब यह प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है। मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान के सदस्यों ने मुंबई में बाबा बागेश्वर से मिलकर उन्हें मुजफ्फरपुर आने का निमंत्रण दिया, जिसे बाबा ने स्वीकार कर लिया है। आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक अनुमति की प्रक्रिया जारी है, और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं।

    बाबा बागेश्वर का पूर्व का बिहार दौरा

    इससे पहले, बाबा बागेश्वर ने बिहार के गोपालगंज में दिव्य दरबार लगाया था, जहां लाखों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया था। बाबा के दरबार में भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त करने और अपनी समस्याओं का समाधान पाने का अवसर मिलता है।

    बाबा बागेश्वर का मुजफ्फरपुर आगमन भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिव्य दरबार में भाग लेने के लिए भक्तों में भारी उत्साह है, और आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी तैयारियां जोरों पर हैं। बाबा का यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।

  • बिहार सरकारी नौकरी 2025: 4500 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) पदों पर बंपर बहाली

    बिहार सरकारी नौकरी 2025: 4500 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) पदों पर बंपर बहाली

    KKN गुरुग्राम डेस्क | अगर आप बिहार से हैं और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक स्थिर और सम्मानजनक सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो आपके लिए सुनहरा मौका आया है। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति (Bihar State Health Society) ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO) के 4500 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। यह भर्ती राज्य के विभिन्न स्वास्थ्य उपकेंद्रों के लिए की जा रही है।

    जो उम्मीदवार इन पदों के लिए इच्छुक हैं, वे 5 मई 2025 से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 26 मई 2025 निर्धारित की गई है। इस लेख में आपको पूरी जानकारी मिलेगी – जैसे कि शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा, आवेदन प्रक्रिया, चयन प्रक्रिया, वेतन और अन्य लाभ।

    मुख्य जानकारी – बिहार CHO भर्ती 2025

    • पद का नाम: कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (CHO)

    • कुल पदों की संख्या: 4500

    • भर्ती संस्था: बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति (SHS Bihar)

    • कार्यस्थल: बिहार

    • भर्ती कार्यक्रम: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)

    • आवेदन प्रारंभ तिथि: 5 मई 2025

    • आवेदन की अंतिम तिथि: 26 मई 2025

    • आवेदन मोड: ऑनलाइन

    • आधिकारिक वेबसाइट: shs.bihar.gov.in

    योग्यता (Eligibility Criteria)

    CHO के पदों के लिए आवेदन करने हेतु उम्मीदवारों को निम्नलिखित शैक्षणिक और तकनीकी योग्यताओं को पूरा करना आवश्यक है:

    • उम्मीदवार के पास बी.एससी नर्सिंग (B.Sc. Nursing) की डिग्री होनी चाहिए, जो किसी मान्यता प्राप्त संस्थान या विश्वविद्यालय से प्राप्त हो।

    • कम्युनिटी हेल्थ में सर्टिफिकेट कोर्स (CCH) होना अनिवार्य है। यह कोर्स कई नर्सिंग कोर्सेज के साथ इंटीग्रेटेड भी होता है।

    • उम्मीदवार का नाम इंडियन नर्सिंग काउंसिल (INC) या संबंधित राज्य नर्सिंग काउंसिल में रजिस्टर्ड नर्स एंड मिडवाइफ (RNRM) के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।

    • एक वैध रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी आवश्यक है।

    आयु सीमा (Age Limit)

    • न्यूनतम आयु: 21 वर्ष

    • अधिकतम आयु:

      • सामान्य वर्ग (Unreserved): 42 वर्ष

      • कुछ पदों के लिए अधिकतम सीमा: 45 वर्ष

    • आरक्षित वर्गों को सरकारी नियमानुसार ऊपरी आयु सीमा में छूट दी जाएगी।

    वर्गवार पदों का विवरण (Category-wise Vacancy Details)

    श्रेणी पदों की संख्या
    कुल पद 4500
    सामान्य वर्ग (UR) 979
    अनुसूचित जाति (SC) 1243
    आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) 245
    अनुसूचित जनजाति (ST) 55
    अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) 1170
    पिछड़ा वर्ग (BC) 640
    महिला पिछड़ा वर्ग (WBC) 168

    आवेदन कैसे करें? (How to Apply)

    उम्मीदवार नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आवेदन कर सकते हैं:

    1. सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर जाएं।

    2. होमपेज पर “Bihar CHO Recruitment 2025” लिंक पर क्लिक करें।

    3. नया पेज खुलेगा, जहां अपना नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी आदि भरकर रजिस्ट्रेशन करें।

    4. रजिस्ट्रेशन के बाद, प्राप्त लॉगिन डिटेल्स से पोर्टल में लॉगिन करें।

    5. अब आवेदन फॉर्म ध्यानपूर्वक भरें और मांगी गई जानकारियां दर्ज करें।

    6. शैक्षणिक प्रमाणपत्र, पहचान पत्र, नर्सिंग रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आदि स्कैन करके अपलोड करें।

    7. आवेदन शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करें।

    8. फॉर्म सबमिट करने के बाद उसका प्रिंट आउट निकालें और सुरक्षित रखें।

    आवेदन शुल्क (Application Fee)

    श्रेणी आवेदन शुल्क
    सामान्य / BC / EBC / EWS ₹500
    SC / ST / महिला / PwD ₹250

    वेतन और लाभ (Salary and Benefits)

    • चयनित उम्मीदवारों को ₹40,000 प्रति माह वेतन मिलेगा।

    • इसके अतिरिक्त सरकारी नौकरी से संबंधित अन्य लाभ भी मिलेंगे, जैसे:

      • मेडिकल सुविधा

      • यात्रा भत्ता (TA)

      • आवास भत्ता (HRA)

      • भविष्य निधि (PF)

      • पेंशन योजना

      • अन्य सरकारी भत्ते और प्रोत्साहन

    चयन प्रक्रिया (Selection Process)

    • भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा / मेरिट आधारित चयन शामिल हो सकता है।

    • विस्तृत जानकारी के लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट से भर्ती अधिसूचना (Notification PDF) डाउनलोड करें।

    महत्वपूर्ण तिथियां (Important Dates)

    घटना तिथि
    आवेदन प्रारंभ तिथि 5 मई 2025
    आवेदन की अंतिम तिथि 26 मई 2025
    परीक्षा तिथि (संभावित) जल्द घोषित होगी

    क्यों करें आवेदन?

    • सरकारी नौकरी की स्थिरता और सामाजिक सेवा का अवसर

    • उच्च वेतन और बेहतरीन सरकारी सुविधाएं

    • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का मिशन

    • स्वास्थ्य विभाग में लंबी अवधि का करियर बनाने का अवसर।

    बिहार सरकार की ओर से यह CHO भर्ती 2025 युवाओं के लिए एक बेहतरीन मौका है। यदि आप स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने के इच्छुक हैं और एक स्थायी सरकारी नौकरी की तलाश में हैं, तो यह अवसर आपके लिए है। आप निर्धारित समयसीमा के भीतर आवेदन करें और इस सुनहरे मौके का लाभ उठाएं। अधिक जानकारी के लिए समय-समय पर shs.bihar.gov.in वेबसाइट विजिट करते रहें।

  • खरमास समाप्त होते ही शुरू होगा मांगलिक कार्यों का मौसम, 2025 में होंगे 33 शुभ विवाह मुहूर्त

    खरमास समाप्त होते ही शुरू होगा मांगलिक कार्यों का मौसम, 2025 में होंगे 33 शुभ विवाह मुहूर्त

    KKN गुरुग्राम डेस्क | खरमास का समय समाप्त होते ही बिहार में मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। 14 अप्रैल के बाद, विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों का दौर शुरू होगा, और लोग विवाह की शुभ तिथियों का इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष वैशाख और जेठ में कुल 33 विवाह मुहूर्त हैं, लेकिन आषाढ़ माह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। वहीं, 11 जून से गुरु (बृहस्पति) पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे, जिससे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी।

    खरमास खत्म, विवाह कार्यों का शुभारंभ

    14 अप्रैल को खरमास समाप्त होने के साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। खरमास के दौरान लोग विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं करते, लेकिन जैसे ही खरमास समाप्त होता है, विवाह के लिए शुभ तिथियाँ फिर से उपलब्ध हो जाती हैं। इस वर्ष वैशाख और जेठ माह में 33 विवाह मुहूर्त हैं, जो विशेष रूप से लोगों के लिए विवाह की सर्वोत्तम तिथियाँ मानी जाती हैं।

    लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस वर्ष आषाढ़ माह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। इस महीने में शादियाँ आयोजित करने से बचना चाहिए, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार यह माह विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता। इस तरह, ज्यादातर लोग वैशाख और जेठ माह की तिथियों को प्राथमिकता देंगे।

    जून से विवाह कार्यों पर लगेगा रोक

    यदि आप जून 2025 में विवाह करने का सोच रहे हैं, तो आपको ध्यान रखना होगा कि 11 जून के बाद विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। गुरु (बृहस्पति) 11 जून को पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे, और इसके साथ ही मांगलिक कार्यों के लिए यह समय अशुभ माना जाएगा। इस समय में विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है।

    यह स्थिति तब तक जारी रहेगी, जब तक गुरु (बृहस्पति) 7 जुलाई को पुनः पूर्व दिशा में उदय नहीं होते। तब तक, विवाह कार्यों को स्थगित करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान विशेष रूप से विवाह समारोह और अन्य मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।

    विवाह सीजन में नए नोटों की मांग

    विवाह सीजन के दौरान नए नोटों की मांग भी बढ़ जाती है। शादियों में नए नोटों का लेन-देन करना एक परंपरा बन चुका है। लोग विवाह में उपहार के रूप में नए नोट देने को प्राथमिकता देते हैं, विशेष रूप से 10 और 20 रुपये के नोटों की मांग अधिक होती है।

    लेकिन जैसे-जैसे विवाह के मुहूर्त पास आते हैं, बाजार में नए नोट की कमी हो जाती है, और लोग परेशान हो जाते हैं। भोला सिंह, जो उदवंतनगर के निवासी हैं, कहते हैं, “विवाह सीजन शुरू होते ही नए नोटों की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन बैंकों से यह नोट नहीं मिल पाते। लोग परेशान होते हैं और काले बाजार में महंगे दामों पर नए नोट मिलते हैं।”

    काले बाजार में नए नोट अधिक कीमत पर बिकते हैं, और बिचौलिए इसका फायदा उठाते हैं। इस समय बैंक अधिकारियों के लिए भी यह एक चुनौती बन जाती है, क्योंकि वे अपनी शाखाओं में नए नोटों की आपूर्ति नहीं कर पाते हैं।

    14 अप्रैल को मनाया जाएगा सतुआन पर्व

    इसके अलावा, 14 अप्रैल को सतुआन पर्व मनाया जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह पर्व सूर्य के मीन राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से रबी फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है।

    इस दिन लोग गंगा स्नान करने जाते हैं और दान पुण्य करते हैं। विशेष रूप से लोग गंगा स्नान को अधिक महत्व देते हैं। घरों में लोग कुलदेवता को जौ का सत्तू, गुड़ और कच्चा आम चढ़ाते हैं। इसके साथ ही लोग सत्तू के लड्डू और घेवड़ा खाते हैं। यह दिन कृषि से संबंधित खुशी और सामाजिक सहयोग का प्रतीक है।

    खरमास का समय समाप्त होते ही विवाह मुहूर्त की शुरुआत होगी और बिहार में मांगलिक कार्यों का मौसम शुरू हो जाएगा। वैशाख और जेठ में 33 विवाह मुहूर्त हैं, लेकिन आषाढ़ में कोई मुहूर्त नहीं है। साथ ही, 11 जून से गुरु का पश्चिम में अस्त होना मांगलिक कार्यों को रोक देगा, जो जुलाई तक प्रभावी रहेगा।

    इसके अलावा, विवाह सीजन में नए नोटों की बढ़ती मांग और सतुआन पर्व की विशेषता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह समय न केवल विवाहों के लिए बल्कि पारंपरिक धार्मिक कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान बाजार में रौनक बढ़ेगी और लोग अपनी खुशियों में शामिल होने के लिए तैयार होंगे।

  • बिहार में तेज आंधी और भारी बारिश का अलर्ट,14 से 19 अप्रैल तक रहेगा खराब मौसम

    बिहार में तेज आंधी और भारी बारिश का अलर्ट,14 से 19 अप्रैल तक रहेगा खराब मौसम

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में मौसम ने अचानक करवट ले ली है। बीते एक सप्ताह से राज्य के कई हिस्सों में मूसलधार बारिश, गरज-चमक के साथ तेज आंधी और बिजली गिरने की घटनाएं सामने आई हैं। इस असामान्य मौसम के कारण कई जगहों पर जान-माल का नुकसान भी हुआ है।

    मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार यह मौसम अभी थमने वाला नहीं है। 14 अप्रैल से लेकर 19 अप्रैल तक बिहार के अधिकांश जिलों में मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रहेगा। इस दौरान 27 जिलों में तेज आंधी, भारी वर्षा और ठनका गिरने की चेतावनी जारी की गई है।

    किस-किस जिले में है सबसे ज्यादा खतरा?

    मौसम विभाग ने 14 अप्रैल को जिन 27 जिलों को उच्च जोखिम क्षेत्र (High Risk Zone) में रखा है, उनमें शामिल हैं:

    • पटना

    • गया

    • भागलपुर

    • मुजफ्फरपुर

    • दरभंगा

    • समस्तीपुर

    • पूर्णिया

    • कटिहार

    • अररिया
      (अन्य जिलों की जानकारी मौसम विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है)

    इन जिलों में हवा की गति 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है, जिससे पेड़ गिरने, बिजली गुल होने और आवागमन में बाधा जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

    बिजली गिरने का खतरा और बचाव के उपाय

    बिहार में हर साल बड़ी संख्या में लोग बिजली गिरने से जान गंवाते हैं। मौसम विभाग ने लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

    बचाव के उपाय:

    • आंधी-तूफान के समय घर से बाहर न निकलें

    • किसी भी ऊंचे पेड़ या बिजली के खंभे के नीचे खड़े न हों

    • मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें

    • पानी से भरे स्थानों से दूरी बनाए रखें

    • धातु की चीज़ों से दूर रहें

    क्यों बदला बिहार का मौसम इस तरह अचानक?

    मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह परिवर्तन पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance), बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी, और दिन-रात के तापमान में अचानक बदलाव के कारण हो रहा है। इन कारणों से कॉन्वेक्शनल वर्षा हो रही है, जिससे स्थानीय स्तर पर तेज बारिश और बिजली की घटनाएं हो रही हैं।

    डॉ. विनय कुमार, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक, का कहना है:

    “यह बदलाव अप्रैल के मध्य में सामान्य नहीं माना जाता, लेकिन जलवायु में हो रहे बदलावों के कारण ऐसी घटनाएं अब अधिक सामान्य होती जा रही हैं।”

    किसानों पर पड़ा सीधा असर, रबी फसल को नुकसान

    इस असमय बारिश ने रबी फसलों, विशेष रूप से गेहूं और मक्का को भारी नुकसान पहुंचाया है। जिन इलाकों में कटाई हो चुकी थी, वहां खेतों में पानी भर गया है और अनाज गीला हो गया है

    कृषि विशेषज्ञों की सलाह:

    • कटे हुए अनाज को सुरक्षित स्थान पर रखें

    • प्लास्टिक तिरपाल या जाल की मदद से सुखाने की व्यवस्था करें

    • जरूरत पड़ने पर फफूंदनाशक का छिड़काव करें

    • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें

    आपदा प्रबंधन विभाग की तैयारी और जनता से अपील

    बिहार आपदा प्रबंधन विभाग (BSDMA) और जिला प्रशासन ने सभी संवेदनशील क्षेत्रों में चेतावनी जारी कर दी है। लोगों को लगातार अपडेट देने के लिए SMS अलर्ट, स्थानीय रेडियो और पंचायत स्तर पर मुनादी कराई जा रही है।

    आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे:

    • राहत केंद्रों को तैयार रखें

    • जनसंपर्क माध्यमों से लोगों को जागरूक करें

    • तेज हवा और आंधी के दौरान बिजली आपूर्ति को नियंत्रित करें

    • त्वरित राहत टीमों को तैयार रखें

    तकनीकी मदद से समय पर अलर्ट

    मौसम विभाग अब डॉप्लर रडार, सैटेलाइट इमेजरी, और एआई आधारित पूर्वानुमान तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी रियल टाइम अलर्ट भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही भारत सरकार का “मौसम ऐप” भी आम लोगों को उनकी स्थानिक जानकारी के आधार पर मौसम की जानकारी दे रहा है।

    • बिहार के 27 जिलों में भारी वर्षा, तेज आंधी और बिजली गिरने की संभावना

    • 14 से 19 अप्रैल तक राज्य में अस्थिर मौसम बना रहेगा

    • प्रशासन पूरी तरह सतर्क, लेकिन आम लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी

    • किसान, मजदूर, छात्र और यात्री विशेष रूप से सतर्क रहें

  • मुजफ्फरपुर में 15 हेल्थ सेंटर बनेंगे आयुष्मान आरोग्य मंदिर, ग्रामीण इलाकों में देसी पद्धति से होगा इलाज

    मुजफ्फरपुर में 15 हेल्थ सेंटर बनेंगे आयुष्मान आरोग्य मंदिर, ग्रामीण इलाकों में देसी पद्धति से होगा इलाज

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जिले के 15 स्वास्थ्य केंद्रों को अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन केंद्रों पर अब आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति से इलाज की सुविधाएं मिलेंगी।

    इस योजना का उद्देश्य है गांवों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देना, स्थानीय लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करना और कम खर्च में बेहतर इलाज उपलब्ध कराना

     किन केंद्रों को बनाया जा रहा है आयुष्मान आरोग्य मंदिर?

    पहले चरण में जिन 15 केंद्रों को शामिल किया गया है, वे जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित हैं। इन केंद्रों में निम्नलिखित स्थान शामिल हैं:

    • स्वास्थ्य उपकेंद्र कोदरिया, मीनापुर

    • राजकीय होम्योपैथिक औषधालय बेदौल

    • राजकीय आयुर्वेद औषधालय चैनपुर, मोतीपुर

    • राजकीय औषधालय, सरैया

    • स्वास्थ्य केंद्र कुलदीप, सरैया

    • आयुर्वेद औषधालय बरियापुर, मुरौल

    • स्वास्थ्य उपकेंद्र मधुबन प्रताप, औराई

    • उपकेंद्र गोपालपुर, कांटी

    • शंकरपुर तेपरी, बंदरा

    • बेलाही लच्छी, मीनापुर

    • हुस्सैपुर, साहेबगंज

    • बाजिदपुर, बोचहां

    • मथुरापुर मुकुंद, सकरा

    • पिरौंछा, गायघाट

    इन स्थानों पर विशेष रूप से आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की जा चुकी है।

    क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी आरोग्य मंदिर में?

    इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर ग्रामीणों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी:

    • आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पद्धतियों से रोगों की जांच और इलाज

    • बीपी और शुगर की जांच की सुविधा

    • स्वस्थ जीवनशैली पर परामर्श

    • औषधीय पौधों के उपयोग और फायदे पर जागरूकता

    • रोग की जड़ तक पहुंचने की कोशिश, न सिर्फ लक्षणों का इलाज

    • प्राकृतिक औषधियों और नुस्खों का उपयोग

     आयुर्वेदिक पार्क की स्थापना

    इन केंद्रों पर एक और खास पहल की जा रही है — आयुर्वेद पार्क की स्थापना। इन पार्कों में गमलों में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही, उनके औषधीय गुणों के बारे में ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

    आयुर्वेद पार्क का उद्देश्य:

    • ग्रामीणों को आयुर्वेदिक ज्ञान से जोड़ना

    • लोगों को घर पर ही औषधीय पौधे उगाने के लिए प्रेरित करना

    • स्कूलों और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना

     क्या होगा केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर?

    इन सभी 15 केंद्रों को पूरी तरह से सुसज्जित किया जा रहा है। राज्य मुख्यालय से फर्नीचर, दवाइयां और उपकरण भेजे जा रहे हैं। प्रत्येक केंद्र पर निम्नलिखित व्यवस्थाएं होंगी:

    • डॉक्टर के लिए बैठने की सुविधा

    • रोगियों के लिए प्रतीक्षालय

    • दवा स्टोर करने के लिए उचित जगह

    • जरूरी चिकित्सा जांच उपकरण

    • सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान

     क्यों ज़रूरी है यह पहल?

    बिहार के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। ऐसे में आयुष्मान आरोग्य मंदिर जैसी पहलें निम्नलिखित समस्याओं का समाधान कर सकती हैं:

    • महंगे इलाज के बोझ को कम करना

    • ग्रामीणों को स्थानीय पद्धतियों से जुड़ने का मौका

    • जीवनशैली जनित रोगों (डायबिटीज, बीपी) का समय रहते निदान

    • रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायता

    देसी पद्धति का बढ़ता महत्व

    आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां, आधुनिक समय में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर यानी रोग से पहले बचाव में बहुत प्रभावी मानी जा रही हैं। इन पद्धतियों का मुख्य उद्देश्य होता है:

    • जीवनशैली में संतुलन लाना

    • प्राकृतिक इलाज द्वारा शरीर को स्वस्थ बनाना

    • दवाओं के साइड इफेक्ट से बचाव

    • मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाना

     जिला आयुष अधिकारी का बयान

    इस पहल की अगुवाई कर रहीं डॉ. किरण शुक्ला ने बताया:

    “हमारा प्रयास है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर सिर्फ इलाज का स्थान न होकर, एक स्वास्थ्य जागरूकता केंद्र के रूप में भी कार्य करें। इस महीने के अंत तक सभी केंद्र पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।”

    उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में इन केंद्रों के माध्यम से गांव-गांव में स्वस्थ भारत अभियान को गति मिलेगी।

     भविष्य की योजनाएं

    • आने वाले समय में और भी प्रखंडों को इस योजना में शामिल किया जाएगा

    • स्कूलों और पंचायत स्तर पर सेमिनार और वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी

    • डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रोगियों का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा

    • केंद्रों को योग व नैचुरोपैथी सेवाओं से जोड़ने की योजना

    मुजफ्फरपुर में आयुष्मान आरोग्य मंदिर का निर्माण न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने वाला कदम है, बल्कि यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के पुनर्जीवन का भी प्रतीक है। यह पहल आने वाले समय में अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकती है

    इस तरह की योजनाओं के माध्यम से भारत का ग्रामीण समाज न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगा, बल्कि अपने संस्कृतिक और पारंपरिक ज्ञान से फिर से जुड़ पाएगा।

  • पटना में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की होगी जांच, शिक्षा विभाग ने बनाई तीन सदस्यीय समिति

    पटना में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की होगी जांच, शिक्षा विभाग ने बनाई तीन सदस्यीय समिति

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने पटना जिले में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की समीक्षा के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति शिक्षकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की जांच कर पांच दिनों के भीतर प्राथमिक शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद संबंधित शिक्षकों को पटना के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पोस्टिंग दी जा सकती है।

    मुख्य बिंदु:

    • पटना जिले में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच शुरू

    • उच्च शिक्षा उपनिदेशक डॉ. दीपक कुमार सिंह के नेतृत्व में समिति का गठन

    • 5 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट जमा करने का निर्देश

    • शिक्षकों को जल्द मिल सकती है स्कूल आवंटन की सूचना

    दस्तावेज़ जांच का उद्देश्य

    राज्य के उन शिक्षकों ने, जिन्हें विशेष परिस्थितियों के आधार पर पटना स्थानांतरित किया गया है, अपनी वैधता सिद्ध करने के लिए दस्तावेज जमा किए थे। इनमें अधिकतर आवेदन पति-पत्नी दोनों शिक्षक, चिकित्सा आधार, या अन्य पारिवारिक कारणों से संबंधित थे।

    अब शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी स्थानांतरण विधानुसार और प्रमाणिक हैं। इसके लिए दस्तावेजों की समीक्षा आवश्यक मानी गई है।

    समिति की संरचना और जिम्मेदारी

    शुक्रवार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक की ओर से इस समिति के गठन का आदेश जारी किया गया। समिति में निम्नलिखित अधिकारी शामिल हैं:

    • डॉ. दीपक कुमार सिंह, उपनिदेशक, उच्च शिक्षा – समिति अध्यक्ष

    • संजय कुमार चौधरी, उपनिदेशक, प्राथमिक शिक्षा – सदस्य

    • अब्दुस सलाम अंसारी, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा – सदस्य सचिव

    यह समिति शिक्षकों द्वारा ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों की पुष्टि और समीक्षा करेगी।

    ट्रांसफर प्रक्रिया की पृष्ठभूमि

    शिक्षकों के विशेष मामलों को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा विभाग ने 1 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच e-ShikshaKosh पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। इस प्रक्रिया का उद्देश्य था ऐसे शिक्षकों को सुविधा देना जो पारिवारिक, स्वास्थ्य या अन्य व्यक्तिगत कारणों से स्थानांतरण की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।

    स्थानांतरण आदेश की तारीखें

    ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के बाद, शिक्षा विभाग ने तीन चरणों में स्थानांतरण आदेश जारी किए:

    • 28 फरवरी 2025

    • 24 मार्च 2025

    • 30 मार्च 2025

    इन आदेशों में शिक्षकों को उनकी पसंद के आधार पर जिले आवंटित किए गए। जिन शिक्षकों ने पटना को चुना था, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर पटना भेजा गया।

    पटना में स्थानांतरण का महत्व

    पटना, राज्य की राजधानी होने के कारण, शैक्षणिक संसाधनों और सुविधाओं के लिहाज़ से एक लोकप्रिय विकल्प रहा है। कई शिक्षक यहां स्थानांतरण की मांग करते हैं, विशेष रूप से वे जिनके जीवनसाथी पहले से पटना में कार्यरत हैं।

    अब जबकि शिक्षकों को पटना आवंटित किया गया है, दस्तावेजों की जांच इस बात की पुष्टि करेगी कि क्या स्थानांतरण नियमों के तहत हुआ है।

    दस्तावेजों की समीक्षा के बाद की प्रक्रिया

    जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद, शिक्षा विभाग पात्र शिक्षकों को पटना के सरकारी स्कूलों में पोस्टिंग देगा। यह प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी, ताकि शिक्षण कार्य में किसी प्रकार की विलंब न हो और खाली पदों को समय पर भरा जा सके।

    शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव

    यह कदम दर्शाता है कि बिहार सरकार शिक्षा तंत्र को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में सक्रिय है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और स्पष्ट जांच प्रक्रिया के ज़रिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि योग्य शिक्षकों को ही स्थानांतरण का लाभ मिले।

    इसके अतिरिक्त, छात्रों को समय पर शिक्षक उपलब्ध कराना विभाग की प्राथमिकता बनी हुई है, ताकि शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में ही पढ़ाई बाधित न हो।

    संभावित समय-सीमा:

    • 12 अप्रैल से 17 अप्रैल 2025 – दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया

    • 18 अप्रैल तक – रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तिथि

    • अगले सप्ताह से – स्कूल आवंटन और पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू

    पटना में स्थानांतरित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की यह पहल बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। समिति की निष्पक्ष जांच और शिक्षा विभाग की सक्रियता से यह उम्मीद की जा रही है कि पात्र शिक्षकों को जल्द ही उनकी नवीन पोस्टिंग मिल जाएगी।

    इसके माध्यम से शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हर स्थानांतरण की प्रक्रिया पारदर्शिता और प्रमाणिकता के आधार पर ही पूरी होगी।

  • प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रैली को NDA ने बताया फ्लॉप, बीजेपी ने उठाए सवाल

    प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रैली को NDA ने बताया फ्लॉप, बीजेपी ने उठाए सवाल

    KKN गुरुग्राम डेस्क | प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रैली, जिसे बिहार के राजनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा था, अब भाजपा के निशाने पर है। भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस रैली को फ्लॉप करार दिया है और दावा किया है कि रैली में दावा किए गए पांच लाख लोगों की संख्या से कहीं कम लोग गांधी मैदान पहुंचे। जायसवाल ने बताया कि रैली में केवल 20,000 से 30,000 लोग ही उपस्थित थे, जो इस आयोजन की असफलता का एक बड़ा प्रमाण है।

    बीजेपी का आरोप: करोड़ों खर्च करने के बावजूद रैली में कम लोग पहुंचे

    भाजपा नेता दिलीप जायसवाल ने प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने बिहार में इस रैली के प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च किए थे, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने दावा किया, “प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने रैली को लेकर जो प्रचार किया, वह पूरी तरह से झूठा साबित हुआ। एक तरफ तो पांच लाख की भीड़ का दावा किया गया, जबकि गांधी मैदान में सिर्फ 20,000 से 30,000 लोग ही पहुंचे।”

    इस टिप्पणी के साथ ही भाजपा ने सवाल उठाया है कि बिहार के लोगों ने किशोर के राजनीतिक अभियान को क्यों नजरअंदाज किया। जायसवाल ने यह भी कहा कि इस रैली के जरिए बिहार की जनता को प्रभावित करने की कोशिशें पूरी तरह से विफल रही हैं।

    प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रैली: एक राजनीतिक मोर्चा

    प्रशांत किशोर, जो पहले चुनावी रणनीतिकार के तौर पर कई राज्यों में सफल रहे हैं, ने अपनी राजनीतिक यात्रा को ‘जन सुराज’ नामक आंदोलन के तहत बिहार से शुरू किया। उनका उद्देश्य बिहार की मौजूदा सरकार को चुनौती देना और एक नया राजनीतिक विकल्प पेश करना था। इस रैली के आयोजन का उद्देश्य बिहार के लोगों को यह विश्वास दिलाना था कि बिहार के लिए एक नया राजनीतिक बदलाव जरूरी है, लेकिन रैली में हुई कम उपस्थिति ने इस पहल को बुरी तरह से प्रभावित किया।

    NDA की प्रतिक्रिया: रैली को बताया ‘फ्लॉप’

    प्रशांत किशोर के अभियान को लेकर भाजपा और NDA के अन्य नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। NDA के नेताओं ने इस रैली को ‘फ्लॉप’ करार दिया और कहा कि यह आयोजन सिर्फ प्रशांत किशोर के आत्मप्रचार का एक जरिया था। NDA के एक प्रवक्ता ने कहा, “अगर रैली में इतनी बड़ी संख्या में लोग शामिल होते तो बिहार की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में यह एक बड़ा मोड़ होता। लेकिन रैली के कम लोग उपस्थित होने से साबित होता है कि बिहार के लोग किशोर के राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावित नहीं हैं।”

    राजद की आलोचना: प्रशांत किशोर की रैली पर तंज

    राजद (राष्ट्रीय जनता दल) भी प्रशांत किशोर के अभियान पर मजे ले रही है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि प्रशांत किशोर का अभियान सिर्फ प्रचार की रणनीति बन कर रह गया है। यादव ने कहा, “अगर प्रशांत किशोर को बिहार के लोगों की चिंता थी, तो उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान खोजने की कोशिश करनी चाहिए थी, बजाय इसके कि वह लाखों रुपये खर्च कर एक फ्लॉप रैली आयोजित करें।”

    राजद नेताओं ने यह भी कहा कि यह रैली बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ किशोर की व्यक्तिगत राजनीति का हिस्सा है, जो अब पूरी तरह से विफल हो चुकी है।

    प्रशांत किशोर की राजनीति: क्या हो रहा है भविष्य?

    प्रशांत किशोर के राजनीतिक कदमों को लेकर अब कई सवाल उठने लगे हैं। उनकी यह पहली बड़ी राजनीतिक पहल थी, और फिलहाल इसका परिणाम निराशाजनक रहा है। हालांकि, उनके पास चुनावी रणनीति का गहरा अनुभव है, लेकिन अब उन्हें यह साबित करना होगा कि वह सिर्फ एक चुनावी रणनीतिकार नहीं बल्कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक मजबूत नेता भी हो सकते हैं।

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर प्रशांत किशोर को बिहार में अपनी जगह बनानी है, तो उन्हें बिहार की जनता से सीधे जुड़ने की आवश्यकता है। किशोर को यह दिखाना होगा कि उनका आंदोलन सिर्फ उनके व्यक्तिगत राजनीतिक फायदे के लिए नहीं है, बल्कि यह बिहार के लोगों के लिए वास्तविक बदलाव की दिशा में है।

    भविष्य की राजनीति: प्रशांत किशोर को मिलेगा दूसरा मौका?

    प्रशांत किशोर के लिए यह असफल रैली एक बडी चुनौती बन सकती है, लेकिन यह उनके राजनीतिक जीवन का अंत नहीं होगा। राजनीति में कई बार ऐसे उतार-चढ़ाव आते हैं, और इस असफलता को उनकी राजनीतिक यात्रा की आखिरी कड़ी के रूप में नहीं देखा जा सकता। अगर वे अपने आंदोलन को सही दिशा में ले जाने में सफल होते हैं, तो भविष्य में यह उन्हें एक मजबूत राजनेता के रूप में स्थापित कर सकता है।

    बीजेपी का आकलन: रैली से भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ा

    भाजपा नेताओं ने भी यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी के लिए प्रशांत किशोर की रैली से कोई खास फर्क नहीं पड़ा। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि बिहार में उनकी पार्टी की स्थिति मजबूत है और किसी भी विरोधी को उनके खिलाफ खड़ा करने के प्रयास विफल रहेंगे। भाजपा का दावा है कि उनकी पार्टी बिहार की जनता के बीच हमेशा अपनी नीतियों के जरिए लोकप्रिय रही है, और वे किसी भी राजनीतिक चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।

    हालांकि प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’ रैली को भाजपा और राजद से तीव्र आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या बिहार में राजनीतिक बदलाव संभव है। प्रशांत किशोर के लिए यह केवल एक चरण है, और उनका राजनीतिक सफर अभी पूरा नहीं हुआ है। अगर वह बिहार के लोगों के मुद्दों से जुड़ने और उनके विश्वास को जीतने में सफल होते हैं, तो शायद उनकी राजनीति का भविष्य उज्जवल हो सकता है।

  • बिहार में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी शिक्षकों पर एक्शन: 21 FIR दर्ज

    बिहार में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी शिक्षकों पर एक्शन: 21 FIR दर्ज

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार सरकार ने हाल ही में सरकारी शिक्षकों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू की है। राज्य के निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने 21 नए मामलों में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई पिछले मार्च में की गई कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें 20 मामले पहले ही दर्ज किए गए थे। इस जांच का उद्देश्य सरकारी नौकरी में नियुक्त शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की सच्चाई की पुष्टि करना है और उन पर कड़ी कार्रवाई करना है जो फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त हुए हैं।

    निगरानी विभाग 2006 से 2025 तक के शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच कर रहा है। यह जांच पटना हाईकोर्ट के आदेश पर चल रही है, और अब तक विभाग ने 6,33,908 प्रमाणपत्रों की जांच की है, जिनमें से बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों की पुष्टि हुई है।

    निगरानी विभाग की जांच प्रक्रिया: प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच

    बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में फर्जी प्रमाणपत्रों का मामला बहुत बड़ा है। निगरानी विभाग ने 2006 से 2025 तक नियोजित सभी शिक्षकों के शैक्षिक दस्तावेजों की जांच शुरू की है। यह जांच इस आधार पर की जा रही है कि शिक्षक जिन्होंने जिस बोर्ड या विश्वविद्यालय से अपनी परीक्षा पास की, उनके प्रमाणपत्रों की सत्यता की पुष्टि की जाए। इसके बाद यह जांच किया जा रहा है कि जमा किए गए प्रमाणपत्र असली हैं या फिर फर्जी हैं।

    अब तक निगरानी विभाग ने 6,33,908 प्रमाणपत्रों की जांच की है और बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों की पहचान की है। विभाग का कहना है कि 31 मार्च 2025 तक 1609 मामले दर्ज किए गए हैं और 2814 व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सिर्फ योग्य और प्रमाणित शिक्षक ही सरकारी स्कूलों में नियुक्त हों, विभाग इस प्रक्रिया को लगातार जारी रखे हुए है।

    नए FIRs और जिलों में कार्रवाई

    11 अप्रैल 2025 को, निगरानी विभाग ने 21 नई प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश जारी किए। इन FIRs में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त हुए शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जिन जिलों में यह कार्रवाई की गई है, उनमें दरभंगा, भोजपुर, कैमूर, नालंदा, सहरसा, जमुई और भागलपुर शामिल हैं। इन जिलों के शिक्षकों पर FIR दर्ज की गई है, जो फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करके सरकारी नौकरी में नियुक्त हुए थे।

    निगरानी विभाग ने इन जिलों में कार्रवाई तेज कर दी है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि कोई भी असंवेदनशील व्यक्ति सरकारी नौकरी का लाभ न उठा सके। इस मामले में जांच और कार्रवाई आगे बढ़ने की संभावना है क्योंकि फर्जी प्रमाणपत्रों की संख्या अभी भी काफी अधिक हो सकती है।

    क्या हो सकते हैं परिणाम?

    जिन शिक्षकों को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त किया गया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यदि किसी शिक्षक को दोषी पाया जाता है, तो उसे न केवल उसकी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है, बल्कि उसे कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ेगा। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस जांच शुरू होती है और यदि आरोपी दोषी पाया जाता है, तो उसे सजा हो सकती है।

    इसके अलावा, इन शिक्षकों को भविष्य में किसी भी सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया जाएगा। सरकारी नौकरी में नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार को और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता होगी, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।

    पटना हाईकोर्ट की भूमिका:

    इस जांच को पटना हाईकोर्ट ने निर्देशित किया था और इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी शिक्षा प्रणाली को भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी से मुक्त करना है। अदालत के आदेश पर यह जांच चल रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि केवल योग्य और प्रमाणित शिक्षक ही सरकारी स्कूलों में नियुक्त हों। उच्च न्यायालय की भूमिका इस मामले में बहुत महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि उन्होंने निगरानी विभाग को फर्जी प्रमाणपत्रों की जांच करने का आदेश दिया था।

    बिहार के शिक्षा तंत्र में पारदर्शिता लाने की कोशिश

    बिहार में शिक्षा तंत्र में पारदर्शिता लाने के लिए यह कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। लंबे समय से फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर शिक्षक की नियुक्ति एक गंभीर समस्या रही है। ऐसे मामलों से न केवल सरकारी नौकरी का महत्व घटता है, बल्कि छात्रों को भी असंवेदनशील और अनिश्चित शिक्षक मिलते हैं, जिससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

    निगरानी विभाग की जांच के बाद अब बिहार सरकार ने इस मामले में सख्त कदम उठाए हैं और यह उम्मीद की जा रही है कि इससे बिहार के शिक्षा तंत्र में सुधार होगा। सरकारी स्कूलों में सिर्फ योग्य शिक्षकों की नियुक्ति से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी और शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता आएगी।

    भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे?

    बिहार सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता होगी कि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी की घटनाएं न हों। इन कदमों में शामिल हो सकते हैं:

    1. कड़े दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया: भविष्य में, शिक्षा विभाग द्वारा सभी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का और अधिक कठोर तरीके से सत्यापन किया जाएगा।

    2. बैकग्राउंड चेक: शिक्षक के पिछले अनुभव और शिक्षा की पूरी जांच की जाएगी, जिससे फर्जी प्रमाणपत्रों का पता चल सके।

    3. शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में सुधार: सरकार को भर्ती प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति न हो।

    4. सार्वजनिक जागरूकता अभियान: शिक्षा विभाग को लोगों को यह समझाने की आवश्यकता होगी कि फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग करना न केवल अवैध है, बल्कि यह समाज को भी नुकसान पहुंचाता है।

    फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी शिक्षकों पर कड़ी कार्रवाई बिहार सरकार के शिक्षा तंत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है कि केवल योग्य और प्रमाणित शिक्षक ही सरकारी स्कूलों में नियुक्त हों। निगरानी विभाग की जांच, पटना हाईकोर्ट के आदेश और कड़ी कानूनी कार्रवाई से बिहार में शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

  • बिहार के तीन जिलों में भारी बारिश और आंधी का ऑरेंज अलर्ट, 9 जिलों में येलो अलर्ट जारी

    बिहार के तीन जिलों में भारी बारिश और आंधी का ऑरेंज अलर्ट, 9 जिलों में येलो अलर्ट जारी

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में मौसम एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने शनिवार को राज्य के तीन जिलों किशनगंज, अररिया और पूर्णिया के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में भारी बारिश, तेज आंधी और वज्रपात की संभावना जताई गई है। इसके अलावा नौ अन्य जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी गई है।

    राज्य में लगातार बदलते मौसम ने जनजीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और किसानों के लिए भी यह मौसम चिंता का कारण बनता जा रहा है।

    किशनगंज, अररिया और पूर्णिया में ऑरेंज अलर्ट

    IMD के अनुसार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जिलों में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश के साथ तेज हवाएं चलने की पूरी संभावना है। मौसम विभाग ने इन जिलों के निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी है और खराब मौसम के दौरान घर के अंदर रहने की अपील की है।

    इन जिलों में आंधी के साथ-साथ बिजली गिरने का खतरा भी बना हुआ है, जो जन-धन को नुकसान पहुंचा सकता है।

    9 जिलों में येलो अलर्ट, हवाओं की रफ्तार 50 किमी प्रति घंटे तक

    बिहार के अन्य नौ जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें मधेपुरा, सहरसा, कटिहार, भागलपुर, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और पूर्णिया जैसे जिले शामिल हैं। इन इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ तेज हवाएं चलने की संभावना है। लोगों को बिजली के खंभों, खुले मैदानों और पेड़ों के नीचे जाने से बचने की सलाह दी गई है।

    पूर्णिया के भवानीपुर में रिकॉर्ड बारिश, 74.2 मिमी दर्ज

    पूर्णिया जिले के भवानीपुर में इस सीजन की अब तक की सबसे ज्यादा बारिश 74.2 मिमी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा बताता है कि राज्य में प्री-मानसून गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं।

    विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व, उत्तर-मध्य और दक्षिण-पश्चिम बिहार में मौसम अधिक सक्रिय बना हुआ है। इन क्षेत्रों के लिए प्रशासन ने विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है।

    15 अप्रैल तक मौसम रहेगा खराब, बिजली गिरने का खतरा जारी

    पटना मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक आशीष कुमार के अनुसार, यह एक सामान्य प्री-मानसून प्रभाव है, लेकिन इससे जानमाल को नुकसान पहुंचने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “बिहार में आकाशीय बिजली गिरने के मामले बहुत अधिक हैं और देश में यह दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। जागरूकता की कमी के चलते हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है।”

    उन्होंने लोगों को सलाह दी कि खराब मौसम के दौरान खुले में न निकलें और कम से कम 30 मिनट तक सुरक्षित स्थान पर रहें।

    बारिश में 150% की वृद्धि, तापमान में 5 डिग्री की गिरावट

    मौसम विभाग के अनुसार, अप्रैल महीने में अब तक सामान्य से 150% अधिक बारिश दर्ज की गई है। विशेषकर नालंदा, पूर्णिया और आसपास के क्षेत्रों में भारी वर्षा देखने को मिली है।

    बारिश और आंधी के कारण अधिकतम तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। वर्तमान में अधिकतम तापमान 27 से 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।

    कृषि और जनजीवन पर प्रभाव

    तेज बारिश और आंधी का असर कृषि पर साफ दिखाई दे रहा है। गेहूं, मक्का जैसी खड़ी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं, शहरी इलाकों में जलजमाव, बिजली कटौती और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं देखने को मिल रही हैं।

    पटना, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे शहरों में सामान्य जनजीवन पर असर पड़ा है।

    प्रशासन ने लोगों से की सावधानी बरतने की अपील

    बिहार प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम विभाग द्वारा जारी अलर्ट का पालन करें। कुछ जरूरी सावधानियां इस प्रकार हैं:

    • खराब मौसम में घर से बाहर न निकलें

    • बिजली गिरने के समय मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग न करें

    • खेतों और खुले मैदानों में न जाएं

    • बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर रखें

    • सरकारी अलर्ट और सूचना को गंभीरता से लें

    बिहार में मौसम का यह बदला मिजाज बढ़ते जलवायु परिवर्तन और प्री-मानसून अस्थिरता का स्पष्ट संकेत है। तेज बारिश, आंधी और बिजली गिरने की घटनाएं आने वाले कुछ दिनों तक जारी रह सकती हैं।

    KKNLive अपने सभी पाठकों से अनुरोध करता है कि वे आधिकारिक मौसम अलर्ट पर ध्यान दें, सावधानी बरतें, और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।

  • प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पटना के गांधी मैदान में ‘बिहार बदलाव रैली’ शुरू की

    प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने पटना के गांधी मैदान में ‘बिहार बदलाव रैली’ शुरू की

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में जन सुराज पार्टी की पहली और सबसे बड़ी रैली “बिहार बदलाव रैली” का आयोजन किया गया। इस रैली को पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की नई राजनीतिक पारी की औपचारिक शुरुआत माना जा रहा है।

    जन सुराज का मकसद: बदलाव की राजनीति

    जन सुराज पार्टी ने बीते वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर खुद को एक वैकल्पिक राजनीतिक विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया था। पार्टी का मुख्य उद्देश्य है – बिहार में सुशासन, जवाबदेही और पारदर्शिता की राजनीति को पुनर्स्थापित करना। प्रशांत किशोर ने साफ किया है कि उनकी पार्टी किसी जातिवादी या सांप्रदायिक एजेंडे पर नहीं, बल्कि मुद्दा आधारित राजनीति करेगी।

    “बिहार बदलाव रैली” का राजनीतिक महत्व

    गांधी मैदान में आयोजित इस रैली को सिर्फ एक जनसभा के रूप में नहीं, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जन सुराज का शंखनाद माना जा रहा है। रैली में प्रशांत किशोर ने बड़े और जनहित के मुद्दों को उठाते हुए राज्य की मौजूदा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने यह भी कहा कि, “अब फैसला पटना में ही होगा”, जो कि पार्टी के पोस्टरों और बैनरों में प्रमुखता से दिखाया गया है।

    पटना में माहौल बना, रैली को लेकर जोश

    रैली से एक दिन पहले ही जन सुराज समर्थकों का पटना में जमावड़ा शुरू हो गया था। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से आए कार्यकर्ता और नेता पटना के सत्याग्रह आश्रम और अन्य स्थानों पर ठहरे हुए थे। रैली में भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। गांधी मैदान को जन सुराज के झंडों और नारों से सजा दिया गया।

    प्रशांत किशोर की 12 जिलों में ‘उद्घोष यात्रा’

    रैली की सफलता के पीछे महीनों की मेहनत और रणनीति रही है। खुद प्रशांत किशोर ने राज्य के 12 जिलों में “उद्घोष यात्रा” निकाली, जिसमें उन्होंने आम जनता से सीधा संवाद किया और रैली में शामिल होने का निमंत्रण दिया। साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं ने भी गांव-गांव जाकर पंचायत स्तर पर बैठकें कीं और जनता से जुड़ने का प्रयास किया।

    खराब मौसम भी नहीं रोक सका जोश

    हालांकि, रैली से ठीक पहले पटना में तेज बारिश हुई, जिससे तैयारियों पर थोड़ा असर पड़ा, लेकिन समर्थकों और कार्यकर्ताओं के जोश में कोई कमी नहीं आई। बारिश के बावजूद गांधी मैदान में लोगों की भारी भीड़ देखी गई, जो यह साबित करती है कि प्रशांत किशोर और जन सुराज की राजनीति अब आम लोगों के बीच जगह बना रही है।

    प्रशांत किशोर का संबोधन: 5 बड़े मुद्दे

    प्रशांत किशोर ने अपने भाषण में निम्नलिखित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया:

    1. शराबबंदी की विफलता: उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ कागज़ों पर है, और इससे कानून-व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है।

    2. शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली: बिहार के सरकारी स्कूल और अस्पताल खुद बीमार हैं, जिसे सुधारना होगा।

    3. रोजगार की कमी: राज्य के युवा पलायन को मजबूर हैं, सरकार सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है।

    4. भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही: हर सरकारी सेवा में रिश्वत और दलाली आम बात हो चुकी है।

    5. विकास की असमानता: गांव और शहर के बीच की खाई अब और गहरी हो गई है।

    “जन सुराज” नहीं, “जन जन की आवाज़”

    प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि जन सुराज सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं है, यह बिहार के हर आम आदमी की आवाज़ है। उन्होंने जनता से वादा किया कि उनकी पार्टी बिहार को एक आदर्श राज्य के रूप में विकसित करने का प्रयास करेगी।

    क्या है प्रशांत किशोर का अगला प्लान?

    रैली के मंच से प्रशांत किशोर ने साफ संकेत दिया कि आने वाले समय में पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। इसके लिए मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके अलावा, पार्टी बिहार के सभी जिलों में “जन संवाद यात्रा” भी शुरू करने जा रही है, ताकि हर वर्ग की समस्याओं को सुना और समझा जा सके।

    जन सुराज पार्टी की खास रणनीति

    जन सुराज की रणनीति जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति से हटकर एक नया मॉडल पेश करने की है। पार्टी सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर भी काफी सक्रिय है और युवाओं को सीधे जोड़ने की कोशिश कर रही है।

    चुनावी समीकरण बदलने की तैयारी

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जन सुराज की यह रैली बिहार के पारंपरिक दलों – जेडीयू, बीजेपी और आरजेडी – के लिए खतरे की घंटी है। अगर पार्टी अपने वादों पर खरी उतरी तो यह चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदल सकती है।

    जन सुराज की “बिहार बदलाव रैली” सिर्फ एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि एक नई सोच और उम्मीद की शुरुआत है। प्रशांत किशोर के नेतृत्व में यह पार्टी बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है। अब देखना यह होगा कि रैली के बाद पार्टी किस तरह अपने चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ाती है और जनता के भरोसे को कितना कायम रख पाती है।

  • बिहार को मिलेगी सड़क कनेक्टिविटी की सौगात, 600 करोड़ की लागत से बनेंगे तीन नए बायपास

    बिहार को मिलेगी सड़क कनेक्टिविटी की सौगात, 600 करोड़ की लागत से बनेंगे तीन नए बायपास

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार में सड़क अधोसंरचना को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य के चार प्रमुख जिलों—नालंदा, लखीसराय, आरा और राजगीर—में तीन नए बायपास बनाए जा रहे हैं। इन परियोजनाओं पर कुल ₹600 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इस ऐलान को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान किया, जो राज्य में विकास योजनाओं की समीक्षा के लिए की जा रही है। बायपास निर्माण कार्य की शुरुआत हो चुकी है, जिससे राज्य के रोड नेटवर्क को नया आयाम मिलने वाला है।

    बिहार में बनने वाले तीन नए बायपास की पूरी जानकारी

    1. आरा-मोहनिया बायपास

    बिहार के बक्सर और रोहतास जिलों को जोड़ने वाले आरा-मोहनिया बायपास की लंबाई लगभग 12.25 किलोमीटर होगी। इसे पथ निर्माण प्रमंडल कोचस के अंतर्गत बनाया जा रहा है और इसकी लागत करीब ₹54 करोड़ होगी।

    यह बायपास आरा और मोहनिया के बीच भारी ट्रैफिक से राहत दिलाएगा और यात्रा समय को कम करेगा। स्थानीय लोगों और यात्रियों को इसके निर्माण से बड़ी सहूलियत मिलेगी।

    2. सर्मारा से पचना ग्रीनफील्ड बायपास (नालंदा-लखीसराय)

    यह बायपास नालंदा और लखीसराय जिलों को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। इसकी लंबाई करीब 21.5 किलोमीटर होगी और इस पर लगभग ₹481 करोड़ की लागत आएगी।

    वर्तमान में इन जिलों के बीच ट्रैफिक जाम एक बड़ी समस्या है। इस बायपास के बन जाने से यात्रा न केवल सुविधाजनक होगी, बल्कि ट्रैफिक में लगने वाले समय की भी बचत होगी। यह बायपास माल और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही में मदद करेगा और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।

    3. राजगीर बायपास का चौड़ीकरण

    पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण राजगीर को और अधिक बेहतर कनेक्टिविटी देने के लिए NH-82 पर स्थित राजगीर बायपास को दो लेन से चार लेन में विस्तारित किया जा रहा है। यह परियोजना हसनपुर गांव से राजगीर इंटरनेशनल स्पोर्ट्स अकादमी तक फैली होगी और इस पर लगभग ₹139 करोड़ की लागत आएगी।

    इसका फायदा न केवल पर्यटकों को मिलेगा, बल्कि क्षेत्र में हो रहे खेल आयोजनों और विकास कार्यों को भी गति मिलेगी। यह राजगीर को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

    इन सड़क परियोजनाओं से मिलने वाले लाभ

    इन बायपास परियोजनाओं से स्थानीय निवासियों और यात्रियों को कई तरह के लाभ होंगे। ये सड़कें न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी, बल्कि आर्थिक गतिविधियों और जीवन की गुणवत्ता को भी सुधारेंगी।

    1. ट्रैफिक जाम से मुक्ति

    शहरों के बीच यातायात को बायपास कर देने से भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में ट्रैफिक कम होगा और सफर अधिक सुगम होगा।

    2. पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा

    राजगीर, नालंदा और लखीसराय जैसे प्रमुख स्थलों की बेहतर पहुंच से पर्यटन, व्यापार और निवेश को बल मिलेगा।

    3. आर्थिक विकास को गति

    बेहतर सड़कें माल और सेवाओं की तेजी से आपूर्ति में मदद करेंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और रोज़गार को लाभ होगा।

    4. जीवन की गुणवत्ता में सुधार

    अच्छी और सुरक्षित सड़कों से यात्रियों और स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी और दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका

    इन बायपास परियोजनाओं की घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रगति यात्रा के दौरान की। इस यात्रा का उद्देश्य राज्य भर में चल रही विकास योजनाओं की समीक्षा करना है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को इन परियोजनाओं को तेज़ी और गुणवत्ता के साथ पूरा करने के निर्देश दिए हैं।

    नीतीश कुमार की यह पहल बिहार को मजबूत सड़क नेटवर्क प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, जिससे राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास को नई दिशा मिलेगी।

    निर्माण की समयसीमा और भविष्य की योजनाएं

    हालांकि परियोजनाओं का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन इसकी पूर्णता समयसारिणी संसाधनों की उपलब्धता और निर्माण की गति पर निर्भर करेगी। अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में ये बायपास बनकर तैयार हो जाएंगे।

    राज्य सरकार की योजना केवल इन तीन परियोजनाओं तक सीमित नहीं है। आने वाले समय में और बायपास, फ्लाईओवर और हाईवे भी प्रस्तावित हैं, जिससे बिहार की सड़क व्यवस्था पूरी तरह से आधुनिक बन सके।

    बिहार में ₹600 करोड़ की लागत से बनने वाले ये तीन बायपास—आरा-मोहनिया, सर्मारा से पचना ग्रीनफील्ड, और राजगीर बायपास विस्तार—राज्य की सड़क व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम हैं। इससे न केवल यातायात में सुधार होगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शुरू हुई इन परियोजनाओं से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार बुनियादी ढांचे को सशक्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जैसे-जैसे ये परियोजनाएं पूरी होंगी, बिहार का भविष्य बेहतर सड़कें, तेज़ यात्रा और समृद्ध अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा।

  • नीतीश सरकार पर आरजेडी की घेराबंदी: वक्फ संशोधन विधेयक के बाद कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का हमला

    नीतीश सरकार पर आरजेडी की घेराबंदी: वक्फ संशोधन विधेयक के बाद कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष का हमला

    KKN गुरुग्राम डेस्क | वक्फ संशोधन विधेयक के पास होने के बाद, अब नीतीश कुमार की सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर आरजेडी (राश्ट्रिय जनता दल) ने जोरदार हमला किया है। पटना में जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें नीतीश कुमार को निशाना बनाते हुए कानून-व्यवस्था के बिगड़े हालातों को उजागर किया गया है। आरजेडी ने आरोप लगाया है कि राज्य में अपराधों की बढ़ती संख्या और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी से यह साबित होता है कि उनकी सरकार अपराधियों के सामने नतमस्तक हो चुकी है।

    इस लेख में हम आरजेडी के पोस्टरों, नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ उठाए गए सवालों और बिहार में बढ़ते अपराधों पर चर्चा करेंगे।

    आरजेडी द्वारा नीतीश सरकार पर हमलावर पोस्टर अभियान

    1. आरजेडी द्वारा लगाए गए पोस्टर: नीतीश सरकार को किया निशाना

    आरजेडी ने पटना और पार्टी कार्यालय में पोस्टरों का एक बड़ा अभियान चलाया है। इन पोस्टरों में नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ “बिहार के लिए तू तो हानिकारक है” (You are harmful for Bihar) जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन पोस्टरों का उद्देश्य नीतीश कुमार की सरकार पर दबाव बनाना है और जनता के बीच उनकी छवि को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत करना है।

    पोस्टरों में यह भी लिखा गया है, “अपराधियों की सरकार, अपराधियों के लिए“, जो सीधे तौर पर नीतीश कुमार की सरकार पर आरोप लगाता है कि वह अपराधियों को बढ़ावा दे रही है। सैकड़ों हत्याओं के बावजूद मुख्यमंत्री के मुंह से कानून-व्यवस्था पर एक शब्द भी नहीं निकला, यह पोस्टरों के माध्यम से यह संदेश दिया गया है।

    2. जिलेवार अपराधों का उल्लेख

    आरजेडी ने इन पोस्टरों में बिहार के विभिन्न जिलों में हुई आपराधिक घटनाओं का भी उल्लेख किया है। हत्याओं, बलात्कारों, और अन्य अपराधों का जिक्र करते हुए पार्टी ने यह बताया कि नीतीश कुमार की सरकार इन घटनाओं को नियंत्रित करने में नाकाम रही है। इस अभियान के जरिए आरजेडी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राज्य में कानून और सुरक्षा की स्थिति पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।

    पोस्टरों का यह भी दावा है कि नीतीश कुमार हर मोर्चे पर फेल हो चुके हैं और गृह विभाग भी उनका ठीक से संचालन नहीं कर पा रहा है। इसके जरिए आरजेडी ने नीतीश कुमार की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठाया है।

    3. मुख्यमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाना

    पोस्टरों में नीतीश कुमार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया गया है। राज्य में सैकड़ों हत्याएं, लूटपाट, और बलात्कार जैसी घटनाएं लगातार हो रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी भी इन पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। यह आरोप लगाया गया है कि उनकी चुप्पी से यह साफ होता है कि वे इन अपराधों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

    कई नागरिक और विपक्षी नेता यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या नीतीश कुमार सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने में व्यस्त हैं, या फिर उन्हें बिहार के नागरिकों की सुरक्षा की कोई परवाह नहीं है। इस गंभीर मुद्दे पर आरजेडी ने इन पोस्टरों के माध्यम से नीतीश कुमार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं।

    4. पोस्टरों में बीजेपी नेताओं की तस्वीरें

    पोस्टरों में बीजेपी नेताओं की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं। इनमें गिरिराज सिंह, हरी भूषण ठाकुर बचौल, अनुराग ठाकुर, और जेडीयू विधायक गोपाल मंडल की तस्वीरें शामिल हैं। इन नेताओं को हिंसा फैलाने और नफरत की दुकान चलाने वाले के रूप में चित्रित किया गया है।

    पोस्टरों में यह संदेश दिया गया है कि इन नेताओं की भाषा और कार्यों ने राज्य में सांप्रदायिक तनाव और हिंसा को बढ़ावा दिया है। आरजेडी का यह भी कहना है कि बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन ने बिहार के लोगों के लिए सुरक्षा और शांति को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

    5. लालू यादव का चित्र और संदेश

    पोस्टरों में लालू यादव की भी तस्वीरें हैं, जिसमें उन्हें “गरीबों की आवाज” और “लालू यादव का राज” के रूप में प्रस्तुत किया गया है। पोस्टरों में यह संदेश दिया गया है कि लालू यादव ने गरीबों और पिछड़ी जातियों के लिए आवाज उठाई और उन्हें सांसद और विधायक की कुर्सी पर बैठाया। यह संदेश आरजेडी के समर्थन को बढ़ाने और लालू यादव की सामाजिक न्याय की छवि को बनाए रखने का एक प्रयास है।

    पोस्टरों के माध्यम से आरजेडी यह दर्शाना चाहती है कि लालू यादव के शासन में बिहार में सामाजिक न्याय और विकास हुआ था, जबकि नीतीश कुमार की सरकार इस मामले में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।

    6. राजनीतिक महत्व और आगामी चुनावों में प्रभाव

    इस प्रकार के पोस्टर अभियान का उद्देश्य न केवल नीतीश कुमार सरकार को घेरना है, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी को लाभ पहुँचाना भी है। आरजेडी इस मुद्दे को भुनाकर लोगों को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नीतीश कुमार और उनकी गठबंधन सरकार बिहार की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में विफल रहे हैं।

    आरजेडी का यह प्रयास नीतीश कुमार की छवि को “अपराधियों के समर्थन” के रूप में प्रस्तुत करना है, ताकि आगामी चुनावों में उन्हें सजा दी जा सके।


    आरजेडी द्वारा उठाए गए आरोप और पोस्टर अभियान नीतीश कुमार सरकार की कमजोरियों को उजागर करते हैं। बिहार में बढ़ते अपराधों और मुख्यमंत्री की चुप्पी के कारण उनकी सरकार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, पोस्टरों के जरिए आरजेडी ने अपनी राजनीतिक रणनीति को भी स्पष्ट किया है, जिसमें लालू यादव की छवि को जीवित रखना और नीतीश कुमार की असफलताओं को उजागर करना प्रमुख है।

    हालांकि, बिहार में बढ़ते अपराधों और राजनीतिक दबाव के बावजूद, यह देखना होगा कि नीतीश कुमार सरकार अपने प्रशासनिक कार्यों में कितनी तत्परता और प्रभावशीलता के साथ सुधार कर सकती है। आने वाले समय में यह मुद्दा बिहार की राजनीति में एक अहम भूमिका निभाएगा।

  • पटना में 22 और 23 अप्रैल को वायु सेना का विशेष विमान सूर्य किरण का प्रदर्शन, स्कूलों में छुट्टी का ऐलान

    पटना में 22 और 23 अप्रैल को वायु सेना का विशेष विमान सूर्य किरण का प्रदर्शन, स्कूलों में छुट्टी का ऐलान

    KKN गुरुग्राम डेस्क | भारतीय वायु सेना (IAF) के विशेष विमान सूर्य किरण एरोबेटिक टीम का प्रदर्शन पटना में 22 और 23 अप्रैल 2025 को आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन बिहार के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है, जिसमें वायु सेना के सूर्य किरण टीम के द्वारा शानदार हवाई करतब दिखाए जाएंगे। इस प्रदर्शन को लेकर पटना में तैयारियां जोरों पर हैं और इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

    सूर्य किरण टीम के इस शानदार प्रदर्शन को छात्रों के लिए भी एक विशेष अवसर बनाने के लिए 22 अप्रैल को विद्यालयों की छुट्टी घोषित कर दी गई है, ताकि छात्र और छात्राएं भी इस अद्भुत एरोबेटिक प्रदर्शन को देख सकें।

    इस लेख में हम सूर्य किरण एरोबेटिक टीम के प्रदर्शन, राजीव प्रताप रूडी के प्रयासों और इस आयोजन की महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में विस्तार से जानेंगे।

    सूर्य किरण के एयर शो का आयोजन पटना में

    1. राजीव प्रताप रूडी का योगदान और बिहार सरकार का समर्थन

    इस एयर शो के आयोजन का **मुख्य कारण बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी का विशेष प्रयास था। उनके अनुरोध पर ही यह आयोजन पटना में आयोजित किया गया। राजीव प्रताप रूडी ने बिहार में वायु सेना के प्रदर्शन को लेकर विशेष पहल की, जिसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी स्वीकृति प्रदान की। इसके बाद, बिहार सरकार ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक समर्थन दिया।

    बीजेपी सांसद ने इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह वायु सेना का प्रदर्शन न केवल युवाओं के लिए प्रेरणादायक होगा, बल्कि देश की सुरक्षा बलों के प्रति नागरिकों में गर्व और सम्मान का भी संचार करेगा। इस कार्यक्रम में वायु सेना प्रमुख (एयर चीफ मार्शल) अमर प्रीत सिंह के भी आने की संभावना है।

    2. कार्यक्रम की तारीख और स्कूलों में छुट्टी

    22 और 23 अप्रैल को होने वाला सूर्य किरण एरोबेटिक टीम का प्रदर्शन पटना के लिए एक बड़ा आकर्षण होगा। खास बात यह है कि 22 अप्रैल को राज्य सरकार ने विद्यालयों की छुट्टी घोषित की है ताकि अधिक से अधिक छात्र इस अद्भुत हवाई करतब का हिस्सा बन सकें। इससे छात्रों को एक नए क्षेत्र में रुचि उत्पन्न करने का अवसर मिलेगा और वे भारतीय वायु सेना के प्रति अपनी श्रद्धा और गर्व महसूस करेंगे।

    यह कदम सरकारी और निजी स्कूलों के छात्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो इस प्रदर्शनी को देखने के लिए स्कूलों की छुट्टी का लाभ उठा सकेंगे।

    3. एयरस्पेस की आरक्षण और 21 से 23 अप्रैल के बीच की योजना

    इस आयोजन को लेकर एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है कि 21 से 23 अप्रैल तक पटना का एयरस्पेस पूरी तरह से भारतीय वायु सेना के लिए आरक्षित रहेगा। इस दौरान वायु सेना के विमान सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से प्रदर्शन करेंगे।

    यह कदम सुनिश्चित करता है कि एयर शो बिना किसी परेशानी के सुचारू रूप से आयोजित हो सके और विमान प्रदर्शन के दौरान कोई तकनीकी या सुरक्षा संबंधी समस्याएं न उत्पन्न हों।

    4. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उद्घाटन

    23 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति इस कार्यक्रम को और भी महत्वपूर्ण बना देती है, क्योंकि यह न केवल बिहार के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है बल्कि राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका को भी दर्शाता है।

    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य सरकार की ओर से इस कार्यक्रम की पूरी मदद की है, जिससे राज्य में एक नई पहचान बनी है। इस आयोजन के जरिए बिहार को केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर एक सकारात्मक संदेश भेजा जाएगा।

    5. सूर्य किरण टीम का प्रदर्शन

    सूर्य किरण एरोबेटिक टीम भारतीय वायु सेना का एक प्रमुख हिस्सा है, जो अपने सुरम्य और उच्च-कोणीय हवाई करतब के लिए प्रसिद्ध है। यह टीम सिंक्रोनाइज्ड फ्लाइंग में माहिर है, जो अद्वितीय और बेजोड़ हवाई प्रदर्शन करती है। सूर्योदय के समय से लेकर दिन के अंत तक, सूर्य किरण टीम अपनी विमानों के अद्भुत करतब दिखाती है, जिसमें लूप्स, सर्कल फ्लाइट्स, और कैंटिलीवर फ्लाइट्स जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं।

    यह प्रदर्शन विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरणादायक होगा, जो भारतीय वायु सेना के कर्मियों की कठिनाई और कौशल को समझने का अवसर प्राप्त करेंगे। भारतीय वायु सेना की शक्ति और क्षमता को देखने का यह एक शानदार अवसर होगा।

    6. सूर्य किरण एयर शो का महत्व

    इस तरह के एयर शो भारत के नागरिकों के बीच रक्षा बलों के योगदान को और भी मजबूत करते हैं। इसके अलावा, यह aviation और defense services के प्रति युवा पीढ़ी में रुचि जगाता है, जिससे भविष्य में कई लोग वायु सेना और अन्य रक्षा बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित होते हैं।

    इस आयोजन से भारतीय नागरिकों को यह समझने का मौका मिलेगा कि हमारे रक्षा बल किस प्रकार देश की सुरक्षा में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। यह कार्यक्रम न केवल देखने के लिए अद्भुत होगा, बल्कि युवाओं के लिए एक संवेदनशील और प्रेरणादायक अनुभव होगा।

    7. आने वाले दिनों में आयोजन के लाभ और प्रभाव

    इस एयर शो का आयोजन पटना और बिहार के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। इसके जरिए राज्य में रक्षा संबंधी जागरूकता और आवश्यकताओं को समझने के साथ-साथ, यह शो बिहार की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाएगा। इसके अलावा, इस शो से बिहार के युवाओं में एविएशन के प्रति रुचि बढ़ेगी, जिससे राज्य में वायु सेना और रक्षा बलों की महत्वता को और भी बढ़ावा मिलेगा।

    यह आयोजन बिहार में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न कर सकता है, खासकर रक्षा और एविएशन क्षेत्र में।सूर्य किरण एरोबेटिक टीम का पटना में 22 और 23 अप्रैल को होने वाला प्रदर्शन बिहार राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह कार्यक्रम न केवल बिहार के लोगों के लिए एक अद्वितीय अनुभव होगा, बल्कि यह भारतीय वायु सेना के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक भी होगा।

  • BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025: 682 पदों के लिए आवेदन, महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 231 पद

    BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025: 682 पदों के लिए आवेदन, महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 231 पद

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BPSC) ने अवर सांख्यिकी पदाधिकारी और प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 19 अप्रैल 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस भर्ती के माध्यम से 682 पदों को भरा जाएगा, जिनमें से 231 पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इस भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उम्मीदवारों को अर्थशास्त्र, गणित, या सांख्यिकी में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।

    इस लेख में, हम BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025 के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें आवेदन की प्रक्रिया, शैक्षिक योग्यता, आयु सीमा, चयन प्रक्रिया, और महत्वपूर्ण तिथियाँ शामिल हैं।

    BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025 की मुख्य विशेषताएँ

    1. पदों की संख्या और आरक्षण

    BPSC द्वारा घोषित भर्ती के तहत कुल 682 पदों पर नियुक्ति की जाएगी, जिनमें से 231 पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा, दिव्यांग (विकलांग) उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में 10 वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जाएगी। यह भर्ती महिला उम्मीदवारों के लिए एक विशेष अवसर प्रदान करती है, क्योंकि इसमें महिलाओं के लिए आरक्षित पदों की संख्या ज्यादा है।

    आवेदन के लिए मुख्य विशेषताएँ:

    • कुल पद: 682

    • महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पद: 231

    • आयु सीमा में छूट: दिव्यांग उम्मीदवारों को 10 वर्ष की अतिरिक्त आयु सीमा छूट

    2. शैक्षिक योग्यता

    आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को अर्थशास्त्र, गणित, या सांख्यिकी में से किसी एक विषय में स्नातक (बैचलर डिग्री) होनी चाहिए। इसके अलावा, अगर उम्मीदवार ने संबंधित विषयों में स्नातक डिग्री या सबसिडियरी डिग्री प्राप्त की हो, तो वे भी आवेदन करने के योग्य होंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि जो उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर रहे हैं, उनके पास आवश्यक शैक्षिक योग्यता और विषय ज्ञान है।

    3. आयु सीमा

    इस भर्ती के लिए आयु सीमा इस प्रकार है:

    • सामान्य वर्ग: अधिकतम आयु 37 वर्ष

    • महिला, बीसी (बैकवर्ड क्लासेज), और ईबीसी (एक्सट्रीमली बैकवर्ड क्लासेज): अधिकतम आयु 40 वर्ष

    • अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST): अधिकतम आयु 42 वर्ष

    • दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए: आयु सीमा में 10 वर्ष की अतिरिक्त छूट

    यह आयु सीमा उन उम्मीदवारों के लिए सहायक है, जो सामाजिक और शारीरिक विकलांगता के कारण समय पर आवेदन करने में असमर्थ होते हैं।

    4. आवेदन प्रक्रिया

    BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025 के लिए आवेदन ऑनलाइन किया जाएगा। उम्मीदवारों को BPSC की आधिकारिक वेबसाइट www.bssc.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल हैं:

    • चरण 1: BPSC की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।

    • चरण 2: भर्ती से संबंधित नोटिफिकेशन को पढ़ें और लिंक पर क्लिक करें।

    • चरण 3: पंजीकरण करें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी भरें।

    • चरण 4: आवेदन फॉर्म को भरें और आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें, जैसे फोटो, हस्ताक्षर आदि।

    • चरण 5: आवेदन शुल्क का भुगतान करें (यदि लागू हो) और आवेदन पत्र सबमिट करें।

    • चरण 6: आवेदन पत्र की प्रति डाउनलोड करें और भविष्य के संदर्भ के लिए प्रिंट लें।

    आवेदन शुल्क: आवेदन शुल्क का विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। सामान्य, BC/EBC, SC/ST और दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए शुल्क अलग-अलग हो सकता है।

    5. चयन प्रक्रिया

    BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती में उम्मीदवारों का चयन लिखित परीक्षा और साक्षात्कार (यदि आवश्यक हो) के आधार पर किया जाएगा।

    • लिखित परीक्षा: परीक्षा में उम्मीदवारों के अर्थशास्त्र, गणित, और सांख्यिकी के ज्ञान की परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी भर्ती नोटिफिकेशन में उपलब्ध होगी।

    • साक्षात्कार: लिखित परीक्षा के बाद चयनित उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। साक्षात्कार में उम्मीदवार के कौशल और ज्ञान की जाँच की जाएगी।

    • दस्तावेज़ सत्यापन: साक्षात्कार के बाद, चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया होगी, जिसमें उनके शैक्षिक प्रमाणपत्र, आयु प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज़ की जांच की जाएगी।

    6. वेतन और लाभ

    चयनित उम्मीदवारों को सरकारी वेतनमान और अन्य लाभ मिलेंगे। चयनित उम्मीदवारों को सरकारी कर्मचारी के रूप में मान्यता प्राप्त वेतन, हाउस रेंट अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, और ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसी सुविधाएं प्राप्त होंगी। वेतनमान और अन्य लाभ की जानकारी संबंधित नियुक्ति पत्र में दी जाएगी।

    महत्वपूर्ण तिथियाँ:

    • ऑनलाइन आवेदन की शुरुआत: आवेदन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है।

    • ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 19 अप्रैल 2025

    • प्रवेश पत्र डाउनलोड: परीक्षा की तारीख के बाद आधिकारिक वेबसाइट से एडमिट कार्ड डाउनलोड किया जा सकेगा।

    • परीक्षा तिथि: परीक्षा की तिथि का जल्द ही ऐलान किया जाएगा।

    BPSC सांख्यिकी पदाधिकारी भर्ती 2025 बिहार सरकार में काम करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। इसमें कुल 682 पदों में से 231 पद महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं, जिससे यह भर्ती महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित होगी। इसके अलावा, दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा में छूट प्रदान की गई है, जिससे उन्हें भी इस भर्ती में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।

    यदि आप अर्थशास्त्र, गणित, या सांख्यिकी में स्नातक हैं और सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो यह अवसर आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। उम्मीदवारों को आवेदन प्रक्रिया में दी गई सभी जानकारी का ध्यानपूर्वक पालन करना चाहिए और समय सीमा के भीतर आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए।

  • बिहार में बारिश का कहर, मुजफ्फरपुर, बेतिया समेत कई जिलों में भारी बारिश, 12 अप्रैल तक 8 जिलों में ठनका अलर्ट

    बिहार में बारिश का कहर, मुजफ्फरपुर, बेतिया समेत कई जिलों में भारी बारिश, 12 अप्रैल तक 8 जिलों में ठनका अलर्ट

    KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के विभिन्न जिलों में गुरुवार, 10 अप्रैल 2025 को मौसम ने अचानक करवट ली। मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेतिया, पूर्णिया, वैशाली और अन्य जिलों में तेज हवा के साथ बारिश हुई। कुछ स्थानों पर झमाझम बारिश हुई तो कुछ स्थानों पर हल्की बौछारें देखी गईं। इस अचानक बदलाव से लोगों को राहत तो मिली, लेकिन मौसम में इस बदलाव ने कुछ परेशानी भी खड़ी कर दी।

    बिहार के विभिन्न जिलों में मौसम का मिजाज बदला

    गुरुवार को बिहार के कई जिलों में मौसम ने अपनी दिशा बदल ली। मौसम विभाग के अनुसार, इस बदलाव का कारण एक निम्न दबाव क्षेत्र है, जो राज्य के ऊपर बना हुआ है। इस कारण, राज्य के विभिन्न हिस्सों में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। कुछ क्षेत्रों में हल्की बौछारें पड़ीं, जबकि अन्य जगहों पर झमाझम बारिश से सड़कें भी जलमग्न हो गईं।

    मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेतिया, और पूर्णिया में सबसे ज्यादा असर देखा गया, जहां तेज हवाओं और बारिश ने जनजीवन को प्रभावित किया। कुछ स्थानों पर स्थानीय लोग परेशान रहे, जबकि कुछ क्षेत्रों में लोग इस बारिश को गर्मी से राहत के रूप में देख रहे थे।

    कितनी भारी बारिश हुई?

    बिहार के अलग-अलग जिलों में बारिश का असर अलग-अलग प्रकार से देखा गया। मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में बारिश के साथ-साथ तेज हवाएं भी चलीं, जो कुछ समय के लिए सड़क परिवहन को प्रभावित करने वाली थीं। वहीं, बेतिया और पूर्णिया में हल्की बारिश और कुछ स्थानों पर बौछारें आईं। हालांकि, इन क्षेत्रों में पानी का बहाव बहुत ज्यादा नहीं हुआ, लेकिन बारिश के कारण आम जीवन में कुछ विघटन जरूर हुआ।

    8 जिलों में ठनका का अलर्ट

    मौसम विभाग ने 8 जिलों के लिए 12 अप्रैल तक ठनका (आकाशीय बिजली) का अलर्ट जारी किया है। यह जिलें हैं: मुजफ्फरपुर, बेतिया, गोपालगंज, पूर्णिया, वैशाली, सारण, पटना, और सुपौल। इन जिलों में अगले कुछ दिनों तक तेज बारिश और आकाशीय बिजली गिरने की संभावना जताई गई है।

    मौसम विभाग ने सभी स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और लोगों को भी चेतावनी दी है कि वे आकाशीय बिजली और तूफान से बचने के लिए जरूरी सुरक्षा उपायों का पालन करें।

    क्या करें जब मौसम बिगड़े?

    जब मौसम अचानक बदलता है, खासकर बारिश और ठनके के दौरान, तो लोगों को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:

    1. घर के अंदर रहें: आकाशीय बिजली और तेज हवाओं से बचने के लिए घर के अंदर रहना सबसे सुरक्षित है। अगर आप बाहर हैं, तो किसी सुरक्षित और बंद जगह पर शरण लें।

    2. बिजली से बचाव: आकाशीय बिजली से बचने के लिए खुले स्थानों, पेड़ों के नीचे और जल स्रोतों से दूर रहें। यदि आप किसी वाहन में हैं, तो वाहन के अंदर ही रहें और खिड़कियां बंद रखें।

    3. मौसम अपडेट प्राप्त करें: मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए अलर्ट और चेतावनियों को ध्यान से सुनें और हर समय मौसम से संबंधित अपडेट प्राप्त करें।

    4. सड़क पर सतर्कता: अगर आप यात्रा कर रहे हैं, तो बारिश और जलभराव के कारण सड़कें फिसलनदार हो सकती हैं। ऐसे में वाहन चलाते समय सतर्क रहें और सड़क पर किसी भी अनहोनी से बचने के लिए धीमी गति से चलें।

    कृषि पर असर: फसलें और किसान

    बारिश और ठनका की घटनाओं का असर किसानों की फसलों पर भी पड़ सकता है। विशेष रूप से, उन किसानों के लिए जो गेहूं और धान की फसल उगा रहे हैं, अचानक बारिश और तेज हवाएं उनके लिए चिंता का कारण बन सकती हैं। इससे फसलें नुकसान पहुंच सकती हैं और पानी की अधिकता के कारण जलभराव भी हो सकता है, जो फसलों को खराब कर सकता है।

    किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे अपनी फसलों को नुकसान से बचाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। कुछ स्थानों पर फसल सुरक्षा उपायों के तहत बाड़ और अन्य साधनों का उपयोग किया जा सकता है, ताकि फसलें ज्यादा प्रभावित न हों।

    बिहार में आगामी मौसम के पूर्वानुमान

    मौसम विभाग के अनुसार, बिहार में अगले कुछ दिनों तक मौसम में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। 12 अप्रैल तक राज्य के कई हिस्सों में हल्की से भारी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही, आकाशीय बिजली और तेज हवाओं का दौर भी जारी रह सकता है।

    विभाग ने कहा कि यह मौसमी परिवर्तन सामान्य है, क्योंकि अप्रैल का महीना हमेशा इस तरह के मौसम बदलाव का गवाह बनता है। हालांकि, मौसम के इस बदलाव से गर्मी में राहत तो मिली है, लेकिन किसानों और अन्य प्रभावितों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

    बिहार में मौसम का बदलाव सामान्य है, लेकिन इससे होने वाले नुकसानों से बचने के लिए कुछ अहम सावधानियां बरतना जरूरी है। लोगों को मौसम की बदलती स्थिति के प्रति सतर्क रहना चाहिए और मौसम विभाग द्वारा दी गई चेतावनियों का पालन करना चाहिए।

    इसके साथ ही, किसानों को अपनी फसलों के सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की जरूरत है, ताकि बारिश और ठनका से उनका नुकसान न हो। मौसम का यह बदलाव राज्य में काफी चर्चा का विषय बन गया है और लोगों में इसके बारे में अधिक जानकारी हासिल करने की उत्सुकता बनी हुई है।

  • उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय: बिहार ग्रामीण बैंक का IPO और भविष्य की दिशा

    KKN गुरुग्राम डेस्क |  उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय 1 मई 2025 से प्रभावी हो जाएगा। इसके बाद बिहार ग्रामीण बैंक अस्तित्व में आएगा, जो न केवल दोनों बैंकों के संसाधनों और नेटवर्क का एकीकरण करेगा, बल्कि इसके बाद के विकास और प्रतिस्पर्धा को लेकर कई नए अवसर भी खोलेगा। इस नवगठित बैंक के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती संरचनात्मक रूप से मजबूत बनने के साथ-साथ पेशेवर प्रतिस्पर्धा में आगे निकलने की होगी। इसके लिए, कार्ययोजना बनाने के बाद बिहार ग्रामीण बैंक का आईपीओ (IPO) लाया जाएगा ताकि कार्ययोजना को पूरा करने के लिए पूंजी जुटाई जा सके।

    बिहार ग्रामीण बैंक का आईपीओ: पूंजी जुटाने का अहम कदम

    बिहार ग्रामीण बैंक के गठन के साथ, इसका सबसे बड़ा उद्देश्य आईपीओ लाना है, जिसके माध्यम से इसे आवश्यक पूंजी प्राप्त हो सके। आईपीओ के जरिए, केंद्र सरकार के हिस्से के शेयरों की बिक्री होगी, जिससे बैंक को न केवल पूंजी मिल सकेगी, बल्कि यह बाजार में प्रतिस्पर्धा में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर सकेगा। आईपीओ से मिलने वाली राशि बैंक के ढांचे को सुधारने, तकनीकी सुधारों के लिए और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए इस्तेमाल की जाएगी।

    केंद्र सरकार के पास बिहार ग्रामीण बैंक के 50% शेयर होते हैं, जबकि प्रायोजक बैंक के पास 35% और राज्य सरकार के पास 15% शेयर होते हैं। 1976 में हुए ग्रामीण बैंक कानून के संशोधन के बाद, केंद्र सरकार ने 34% शेयर आईपीओ के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया था। इससे पहले भी ग्रामीण बैंकों के आईपीओ लाने का प्रयास हुआ था, लेकिन पूंजी की कमी के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो सका था। अब जब दोनों बैंकों का विलय हो रहा है, तो स्वाभाविक रूप से एक बड़ा नेटवर्क और बड़ी पूंजी बनेगी, जो बैंक को एक सशक्त प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगी।

    विलय के बाद संरचनात्मक सुधार और पेशेवर प्रतिस्पर्धा

    बिहार ग्रामीण बैंक के सामने सबसे बड़ी चुनौती संरचनात्मक सुधार के साथ-साथ पेशेवर प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त करना होगा। बैंक को डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन सेवाओं के क्षेत्र में सुधार करना होगा, ताकि वह न्यू एज बैंकिंग के साथ तालमेल बिठा सके। इसके लिए, नवगठित बैंक को अपने नेटवर्क और संचालन क्षमता में सुधार करते हुए एक स्थिर और मजबूत वित्तीय ढांचा तैयार करना होगा।

    इसके अलावा, बिहार ग्रामीण बैंक को ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए नई योजनाएं लानी होंगी। कृषि लोन, छोटे व्यापारियों को ऋण, और नवीनतम वित्तीय उत्पाद ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए बैंक को अपने सेवाओं का विस्तार करना होगा। इसके लिए बैंक को स्थानीय ग्राहकों के साथ संपर्क बढ़ाना और उन्हें डिजिटल बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।

    ग्रामीण बैंकों की पूंजी और सुधार

    बिहार ग्रामीण बैंक के विलय के साथ-साथ इसके संपत्ति आधार और पूंजी में भी वृद्धि होगी, जिससे यह नवीनतम सुधारों को लागू कर सकेगा। बैंकों की सेहत में सुधार के लिए, शेयरधारकों द्वारा समय-समय पर पूंजी निवेश किया जाता रहा है, लेकिन 2015 में केंद्र सरकार ने ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का निर्देश दिया था। इसके लिए, ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन किया गया था, जिससे आईपीओ के माध्यम से केंद्र सरकार के 50% शेयरों में से 34% हिस्सेदारी बिक्री का प्रावधान किया गया था।

    आईपीओ के माध्यम से बिहार ग्रामीण बैंक का कायाकल्प

    बिहार ग्रामीण बैंक के आईपीओ से प्राप्त होने वाली राशि से बैंक का कायाकल्प होगा। इस पूंजी का इस्तेमाल बैंकों के नेटवर्क को बढ़ाने, ग्राहकों को नई वित्तीय सेवाएं प्रदान करने, और तकनीकी उन्नति के लिए किया जाएगा। डिजिटल बैंकिंग की दिशा में बिहार ग्रामीण बैंक को निवेश करना होगा ताकि वह अपने ग्रामीण और शहरी ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सके।

    इसके अलावा, कृषि लोन और माइक्रो-फाइनेंस में बिहार ग्रामीण बैंक का अहम योगदान हो सकता है, जो गरीब किसानों और छोटे व्यापारियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। इसके साथ ही, बैंक को अपनी ऋण पुस्तिका को बढ़ाने और नई कर्ज योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता होगी।

    ग्रामीण बैंकों की सेहत में सुधार और केंद्र सरकार का रोल

    ग्रामीण बैंकों के संचालन में समय-समय पर केंद्र सरकार द्वारा पूंजी का योगदान किया जाता रहा है। हालांकि, 2015 में केंद्र सरकार ने ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का आदेश दिया था। इसके लिए, ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन किया गया था, जिससे बैंकों के शेयर आईपीओ के माध्यम से बेचे जा सकें।

    केंद्र सरकार के पास 50% शेयर होते हैं, जबकि बाकी 35% शेयर प्रायोजक बैंकों और 15% शेयर राज्य सरकार के पास होते हैं। इन हिस्सों में से कुछ शेयरों को आईपीओ के माध्यम से खुले बाजार में बेचा जाएगा। इससे बिहार ग्रामीण बैंक के लिए पूंजी जुटाने का रास्ता खुलेगा और इसे वित्तीय संस्थान के रूप में और अधिक मजबूत बनाया जाएगा।

    आईपीओ से किस तरह फायदा होगा?

    आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई पूंजी से नवगठित बिहार ग्रामीण बैंक का कायाकल्प होगा। इससे बैंक को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण, नई सेवाओं की शुरुआत, और ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन में मदद मिलेगी। साथ ही, बैंकिंग सेवाओं का विस्तार और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए नए उत्पादों की शुरुआत की जा सकेगी।

    यह प्रक्रिया ग्रामीण बैंकिंग क्षेत्र को सशक्त बनाएगी और भारतीय बैंकिंग के भविष्य को नई दिशा प्रदान करेगी।

    बिहार ग्रामीण बैंक के विलय और आईपीओ की प्रक्रिया से कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। इस नवगठित बैंक के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने संरचनात्मक सुधार के साथ पेशेवर प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त करना होगी। इसके लिए बैंक को अपने नेटवर्क का विस्तार, डिजिटल बैंकिंग सेवाओं में सुधार और नई वित्तीय योजनाओं को लागू करना होगा।

    आईपीओ के माध्यम से पूंजी जुटाकर, बिहार ग्रामीण बैंक अपने कार्यों को और अधिक प्रभावी तरीके से आगे बढ़ा सकेगा, जिससे यह भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक मजबूत स्थान हासिल कर सकेगा।