KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 20 मई 2025 को बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार आयोजित किया जाएगा। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें बाबा बागेश्वर के नाम से जाना जाता है, पहली बार मुजफ्फरपुर में अपने भक्तों से मिलेंगे। इस आयोजन को लेकर भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है, और लाखों की संख्या में लोगों के शामिल होने की संभावना है।
आयोजन स्थल और कार्यक्रम का विवरण
बाबा बागेश्वर का दिव्य दरबार मुजफ्फरपुर के पताही फोरलेन के पास स्थित डी.पी.एस. स्कूल के बगल में मैदान में आयोजित किया जाएगा। बाबा 20 मई को नई दिल्ली से चार्टर्ड प्लेन द्वारा दरभंगा हवाई अड्डा पहुंचेंगे, और वहां से सड़क मार्ग से कथा स्थल पर आएंगे। बाबा का मुजफ्फरपुर में प्रवास 21 मई तक रहेगा।
विष्णु महायज्ञ और अनिरुद्धाचार्य का कथावाचन
पताही के राधानगर चौसिमा में 19 से 28 मई तक विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया है। इस महायज्ञ में वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य 23 मई से 27 मई तक पांच दिनों का कथावाचन करेंगे। बाबा बागेश्वर के रात्रि विश्राम और कार्यक्रम को लेकर मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान की बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी, और जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी दी जाएगी।
भक्तों की तैयारी और प्रशासनिक व्यवस्था
मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों के भक्त बाबा बागेश्वर के दरबार की लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। अब यह प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है। मुजफ्फरपुर सेवा संस्थान के सदस्यों ने मुंबई में बाबा बागेश्वर से मिलकर उन्हें मुजफ्फरपुर आने का निमंत्रण दिया, जिसे बाबा ने स्वीकार कर लिया है। आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासनिक अनुमति की प्रक्रिया जारी है, और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं।
बाबा बागेश्वर का पूर्व का बिहार दौरा
इससे पहले, बाबा बागेश्वर ने बिहार के गोपालगंज में दिव्य दरबार लगाया था, जहां लाखों की संख्या में भक्तों ने भाग लिया था। बाबा के दरबार में भक्तों को आशीर्वाद प्राप्त करने और अपनी समस्याओं का समाधान पाने का अवसर मिलता है।
बाबा बागेश्वर का मुजफ्फरपुर आगमन भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिव्य दरबार में भाग लेने के लिए भक्तों में भारी उत्साह है, और आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी तैयारियां जोरों पर हैं। बाबा का यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है।
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