KKN गुरुग्राम डेस्क | करणी सेना, एक प्रमुख राजपूत संगठन, आज आगरा में अपनी बहुप्रतीक्षित स्वाभिमान रैली का आयोजन कर रही है। इस रैली में लाखों लोग शामिल हो रहे हैं, और इसे राजपूत समाज द्वारा एकजुटता और ताकत का प्रतीक माना जा रहा है। रैली में युवा भी बड़ी संख्या में शामिल हैं, जिनके पास तलवारें, लाठियाँ और यहां तक कि बंदूकें भी देखी जा रही हैं। इस रैली के दौरान पुलिस को सम्मेलन स्थल से बाहर निकाल दिया गया है, जो कि इस प्रदर्शन के बढ़ते तनाव को दर्शाता है।
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आगरा में विशाल जनसमूह
आगरा के गढ़ी रामी क्षेत्र में आयोजित इस स्वाभिमान रैली का आयोजन राजपूत समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह रैली राजपूत राजा राणा सांगा की जयंती के अवसर पर हो रही है और इसमें एक लाख से अधिक लोग जुटने का दावा किया जा रहा है। इस आयोजन में करीब दस संगठनों ने एकजुट होकर हिस्सा लिया है, जो समाज के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का काम कर रहे हैं।
यह रैली समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामजी लाल सुमन द्वारा राणा सांगा पर की गई टिप्पणी के बाद हुई है, जिसे राजपूत समुदाय ने गंभीरता से लिया और इसके विरोध में इस रैली का आयोजन किया। करणी सेना की मुख्य मांग यह है कि रामजी लाल सुमन सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
बढ़ी हुई सुरक्षा व्यवस्था
स्वाभिमान रैली के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है, विशेषकर रामजी लाल सुमन के घर के आसपास। 26 मार्च को करणी सेना द्वारा उनके घर पर किए गए हमले के बाद, सुमन की सुरक्षा को लेकर कई कदम उठाए गए हैं। पुलिस ने एमजी रोड पर कड़ी चौकसी बढ़ा दी है और पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया है।
रामजी लाल सुमन ने पिछले दिनों इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सुरक्षा की मांग की थी। उन्होंने अदालत से अपील की थी कि उन्हें और उनके परिवार को करणी सेना से खतरा हो सकता है, खासकर राणा सांगा पर की गई उनकी विवादास्पद टिप्पणी के बाद।
हिंसा की धमकियाँ और विवाद
रैली के दौरान एक युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उसने यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को गोली मारने की धमकी दी। इस बयान ने केवल रैली में और भी तनाव बढ़ा दिया है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना दिया है। इस युवक ने कहा कि राजपूत समाज अपने पूर्वजों का अपमान नहीं सह सकता।
रामजी लाल सुमन ने मीडिया से कहा, “कुछ लोग मुझे गोली मारने की धमकी दे रहे हैं, कुछ मेरी हड्डियाँ तोड़ने की बात कर रहे हैं, जबकि कुछ मेरा गला काटने की धमकी दे रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि वे धन्यवाद देते हैं अखिलेश यादव को, जो उनके साथ खड़े हैं और 19 तारीख को आगरा आ रहे हैं।
करणी सेना का अल्टीमेटम
करणी सेना ने सरकार को 5 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसमें वे अपनी मांगों की पूरी होने की उम्मीद कर रहे हैं। राज शेखावत, करणी सेना के प्रवक्ता, ने कहा, “हमने सरकार को 5 बजे तक का समय दिया है। अगर हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तो हम आगे की कार्रवाई करेंगे।”
यह अल्टीमेटम सरकार और प्रशासन को चुनौती दे रहा है, और इस समय सीमा के बाद करणी सेना की ओर से कड़ा रुख अपनाने की संभावना है। इस रैली के दौरान करणी सेना ने अपने इतिहास और संस्कृति की रक्षा के लिए अपने कड़े इरादों का इज़हार किया है।
प्रदर्शनकारियों द्वारा हथियारों का प्रदर्शन
आगरा में करणी सेना के प्रदर्शन के दौरान कई युवाओं को हथियारों के साथ देखा गया है। कुछ प्रदर्शनकारी तलवारें लहरा रहे हैं, जबकि अन्य लाठियाँ और बंदूकें भी ले कर आए हैं। इस प्रकार का आक्रामक प्रदर्शन यह दर्शाता है कि यह आंदोलन न केवल राजनीतिक बल्कि समाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरा है। एक युवती को भी सम्मेलन में तलवार लेकर आते हुए देखा गया, जो यह दर्शाता है कि इस रैली में महिलाओं का भी गहरा योगदान है।
राजनीतिक नेताओं की भूमिका
रैली में राजनीतिक नेताओं की भी भागीदारी रही है, और यह मामला अब राजनीतिक रूप से भी गर्मा गया है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने रामजी लाल सुमन के समर्थन में बयान दिया है। उन्होंने कहा, “अगर किसी ने हमारे कार्यकर्ताओं का अपमान किया, तो समाजवादी पार्टी उनके साथ खड़ी होगी और उनका सम्मान बचाने के लिए लड़ाई लड़ेगी।”
अखिलेश यादव ने करणी सेना के प्रदर्शन को भाजपा समर्थित बताया और इसे एक राजनीतिक साजिश करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार ने करणी सेना को खुली छूट दे रखी है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
करणी सेना का राजपूत समाज से जुड़ा संघर्ष
करणी सेना की इस रैली का मुख्य उद्देश्य केवल रामजी लाल सुमन से माफी मांगवाना नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक संघर्ष है जो राजपूत समुदाय के स्वाभिमान और सम्मान की रक्षा के लिए लड़ा जा रहा है। राजपूत समाज का मानना है कि उनकी संस्कृति और इतिहास का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्हें समाज में एक उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
आगरा में हो रही करणी सेना की स्वाभिमान रैली केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि राजपूत समाज के इतिहास, संस्कृति और सम्मान की रक्षा का संघर्ष बन चुकी है। रैली के दौरान दिखे गए शक्ति प्रदर्शन और हिंसक धमकियाँ यह दर्शाती हैं कि यह मामला गहरा और संवेदनशील है। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस स्थिति को कैसे संभालते हैं, और क्या करणी सेना के आग्रहों को स्वीकार किया जाएगा या स्थिति और भी बिगड़ेगी।