JNU Election Result 2025: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में लेफ्ट का दबदबा बरकरार, एबीवीपी ने भी बढ़ाया प्रभाव

JNU Election Result 2025: Left Alliance Dominates, ABVP Makes Strong Gains with Counselor Seats

KKN गुरुग्राम डेस्क | जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुए छात्रसंघ चुनाव 2025 के नतीजों ने एक दिलचस्प तस्वीर पेश की है।
जहां एक ओर लेफ्ट गठबंधन (AISA-DSF) ने तीन महत्वपूर्ण पदों पर जीत हासिल कर अपना वर्चस्व बरकरार रखा है, वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने काउंसलर सीटों पर बड़ी बढ़त दर्ज कर अपने प्रभाव का विस्तार किया है।

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव परिणाम 2025: मुख्य बिंदु

  • अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव पद लेफ्ट गठबंधन के कब्जे में।

  • एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद और काउंसलर सीटों पर बड़ी सफलता पाई।

  • 70% मतदान दर ने छात्रों की राजनीतिक जागरूकता को दर्शाया।

  • जेएनयू की पारंपरिक राजनीतिक संरचना में बदलाव के संकेत।

केंद्रीय पैनल पर किसने मारी बाजी?

केंद्रीय पैनल के नतीजे इस प्रकार रहे:

  • अध्यक्ष: नीतीश कुमार (AISA-DSF) ने 1702 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की। उन्होंने ABVP की शिखा को हराया, जिन्हें 1430 वोट मिले।

  • उपाध्यक्ष: मनीषा (DSF) विजयी रहीं।

  • महासचिव: मुन्तेहा फातिमा (DSF) ने सफलता पाई।

  • संयुक्त सचिव: वैभव मीना (ABVP) ने 1518 वोटों के साथ जीत हासिल की।

यह नतीजे दिखाते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व पर अब भी लेफ्ट का प्रभाव बना हुआ है, जबकि एबीवीपी ने काउंसलर स्तर पर अपनी पैठ मजबूत की है।

एबीवीपी की ऐतिहासिक सफलता

ABVP ने इस चुनाव में कई मोर्चों पर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (SSS) में, जहां पिछले 25 वर्षों से लेफ्ट का दबदबा रहा था, एबीवीपी ने 2 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया

इसके अलावा, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (SIS) में भी एबीवीपी ने 5 में से 2 काउंसलर सीटें जीतीं।
यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि अब जेएनयू में भी वैचारिक विविधता बढ़ रही है और छात्र नई राजनीतिक धारा को भी स्वीकार कर रहे हैं।

काउंसलर सीटों पर एबीवीपी की बढ़त

एबीवीपी ने दावा किया है कि उसने कुल 44 काउंसलर सीटों में से 23 सीटों पर जीत दर्ज की है।
यह सफलता बताती है कि जमीनी स्तर पर छात्र संगठन में एबीवीपी की पकड़ मजबूत हो रही है, भले ही केंद्रीय पैनल पर लेफ्ट गठबंधन का वर्चस्व बरकरार हो।

छात्रों की भागीदारी: 70% मतदान

इस वर्ष के जेएनयूएसयू चुनाव में लगभग 70% छात्रों ने मतदान किया।
यह उच्च मतदान दर इस बात का प्रमाण है कि जेएनयू के छात्र अब भी छात्र राजनीति और नेतृत्व के प्रति गंभीर रुचि रखते हैं।
छात्रों ने अपने वोट के जरिए जेएनयू के भविष्य के प्रशासन और वैचारिक दिशा को प्रभावित किया है।

जेएनयू का बदला हुआ राजनीतिक माहौल

जेएनयू चुनाव 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया है कि:

  • लेफ्ट गठबंधन अब भी शीर्ष नेतृत्व में मजबूत है।

  • एबीवीपी ने जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ बनाना शुरू कर दिया है।

  • भविष्य में जेएनयू की राजनीति और भी प्रतिस्पर्धात्मक और रोचक हो सकती है।

छात्र राजनीति में इस तरह का बदलाव न केवल कैंपस के माहौल को प्रभावित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी इसके असर देखने को मिल सकते हैं।

विभिन्न संगठनों की प्रतिक्रिया

  • लेफ्ट गठबंधन ने अपनी जीत को “शिक्षा के निजीकरण और छात्र अधिकारों के खिलाफ लड़ाई की जीत” बताया।

  • एबीवीपी ने अपने बढ़ते प्रभाव को “छात्रों के बीच बदलाव की मांग” का संकेत करार दिया और इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।

दोनों संगठनों ने छात्रों के हित में काम करने और जेएनयू को बेहतर बनाने का संकल्प लिया है।

जेएनयू चुनाव 2025: व्यापक प्रभाव

जेएनयू का छात्रसंघ चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय छात्र राजनीति में एक प्रेरणास्रोत रहा है।
यह चुनाव:

  • देशभर के छात्र संगठनों को नई दिशा देता है।

  • युवा नेतृत्व को तैयार करता है, जो भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • शिक्षा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाता है।

ABVP की बढ़ती उपस्थिति और Left Alliance की कायम पकड़ दोनों इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों में छात्र राजनीति और भी दिलचस्प मोड़ ले सकती है।

जेएनयू छात्र राजनीति: एक संक्षिप्त परिचय

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हमेशा से AISA, DSF और SFI जैसे वामपंथी संगठनों का वर्चस्व रहा है।
ये संगठन सामाजिक न्याय, शिक्षा के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर, ABVP ने हाल के वर्षों में राष्ट्रवाद, शैक्षणिक सुधार और समावेशी विकास जैसे मुद्दों को उठाकर छात्र समुदाय के एक बड़े हिस्से को अपनी ओर आकर्षित किया है।

JNU Election Result 2025 ने यह दिखा दिया है कि भले ही केंद्रीय नेतृत्व पर लेफ्ट का वर्चस्व बना हुआ हो,
लेकिन जमीनी स्तर पर एबीवीपी का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है

यह परिवर्तन जेएनयू के भविष्य के राजनीतिक माहौल को रोमांचक और प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा।
छात्रों की सक्रिय भागीदारी और बढ़ती वैचारिक विविधता यह संकेत देती है कि जेएनयू में छात्र राजनीति अब और अधिक गतिशील और विचारोत्तेजक होने वाली है।

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