पुणे में Guillain-Barré Syndrome (GBS) के मामले, 24 मरीजों की पुष्टि, कारणों की जांच जारी

Guillain-Barré Syndrome Cases Reported in Pune: Symptoms, Causes, and Complications

KKN गुरुग्राम डेस्क |  पुणे में Guillain-Barré Syndrome (GBS) के कई मामले सामने आए हैं, जिसने शहर और स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंतित कर दिया है। पुणे नगर निगम (PMC) ने अब तक 24 मामलों की पुष्टि की है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है। महाराष्ट्र राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस असामान्य वृद्धि की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की|

इन मामलों की बढ़ती संख्या के कारण राज्य स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेषज्ञ समिति बनाई है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि इन मरीजों में GBS के मामले किसी सामान्य स्रोत से संबंधित हैं या नहीं।

PMC की चीफ पब्लिक हेल्थ ऑफिसर, डॉ. नीना बोराड़े, ने कहा:
“हमने प्रभावित मरीजों के घरों से पानी के नमूने एकत्र किए हैं और यह भी देख रहे हैं कि क्या वे किसी ऐसे आयोजन में गए थे, जहां दूषित पानी या भोजन का सेवन हुआ हो। फिलहाल, हम निश्चित तौर पर नहीं कह सकते कि इन मामलों का कारण क्या है। यही कारण है कि हमने विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।”

जिन 24 मामलों की पुष्टि हुई है, उनमें से अधिकांश मरीज 10 साल से कम उम्र के हैं। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है और गहन जांच की आवश्यकता को दर्शाती है।

Guillain-Barré Syndrome (GBS) क्या है?

Guillain-Barré Syndrome (GBS) एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) उसकी अपनी नसों (nerves) पर हमला करती है। यह मांसपेशियों की कमजोरी, झुनझुनी (tingling), और गंभीर मामलों में पक्षाघात (paralysis) का कारण बन सकती है।

GBS एक मेडिकल इमरजेंसी है और इसके लक्षणों की पहचान कर जल्द इलाज शुरू करना बेहद जरूरी है। हालांकि, इस स्थिति का कोई निश्चित इलाज नहीं है। उपचार का मुख्य उद्देश्य लक्षणों को नियंत्रित करना और रिकवरी में तेजी लाना है।

GBS के लक्षण

GBS के लक्षण आमतौर पर हल्की झुनझुनी से शुरू होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं।
मायो क्लिनिक के अनुसार, GBS के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • उंगलियों, पैरों, टखनों या कलाई में पिन और सुई जैसा झुनझुनी
  • पैरों में कमजोरी, जो धीरे-धीरे ऊपरी शरीर तक फैल सकती है।
  • सीढ़ियां चढ़ने या चलने में कठिनाई।
  • चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी, जैसे बोलने, चबाने, या निगलने में परेशानी।
  • आंखों की गतिविधियों में कठिनाई या डबल विजन।
  • रात के समय अधिक महसूस होने वाला तेज दर्द।
  • मूत्राशय या मल त्याग में परेशानी।
  • दिल की धड़कन का तेज होना।
  • रक्तचाप में उतार-चढ़ाव।
  • सांस लेने में कठिनाई।

इन लक्षणों को नजरअंदाज करना गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।

GBS के संभावित कारण

GBS का सटीक कारण अज्ञात है, लेकिन यह आमतौर पर संक्रमण, सर्जरी, या प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी के कारण ट्रिगर हो सकता है।

GBS के संभावित ट्रिगर इस प्रकार हैं:

  1. संक्रमण:
    • कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter), जो अधपके मांस में पाया जाता है।
    • इंफ्लुएंजा वायरस।
    • साइटोमेगालोवायरस।
    • एप्सटीन-बार वायरस।
    • जीका वायरस।
    • हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई।
    • एचआईवी।
    • माईकोप्लाज्मा निमोनिया।
  2. अन्य कारण:
    • सर्जरी या शारीरिक चोट।
    • हॉजकिन लिंफोमा।
    • कुछ दुर्लभ मामलों में, फ्लू वैक्सीन या बचपन के टीके।
    • COVID-19 संक्रमण।

GBS के संभावित जटिलताएं

GBS तंत्रिकाओं (nerves) को प्रभावित करता है, जिसके कारण शरीर के कई कार्य बाधित हो सकते हैं। GBS से जुड़ी जटिलताएं इस प्रकार हैं:

  1. सांस लेने में समस्या: गंभीर मामलों में वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।
  2. मांसपेशियों में दर्द और झुनझुनी
  3. दिल और रक्तचाप की समस्याएं
  4. मल और मूत्र त्याग में कठिनाई।
  5. ब्लड क्लॉट्स और प्रेशर सोर
  6. लक्षणों की पुनरावृत्ति (Relapse)

गंभीर मामलों में, ये जटिलताएं मरीज के जीवन के लिए खतरा बन सकती हैं।

पुणे में GBS के मामलों पर सरकार की प्रतिक्रिया

पुणे में GBS के मामलों को लेकर राज्य और स्थानीय प्रशासन ने सक्रिय कदम उठाए हैं। प्रमुख कार्यवाही में शामिल हैं:

  • पानी की जांच: मरीजों के घरों से लिए गए पानी के नमूनों का विश्लेषण।
  • सामाजिक कार्यक्रमों की जांच: यह पता लगाना कि क्या मरीज किसी सामान्य कार्यक्रम में गए थे।
  • जन जागरूकता: लोगों को GBS के लक्षणों और संभावित जोखिमों के प्रति सतर्क किया जा रहा है।

PMC ने नागरिकों से आग्रह किया है कि वे साफ-सफाई का ध्यान रखें, सुरक्षित पानी का उपयोग करें, और किसी भी संदिग्ध लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

GBS से बचाव के उपाय

हालांकि GBS को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन निम्नलिखित उपाय अपनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है:

  1. हाइजीन का ध्यान रखें: नियमित रूप से हाथ धोएं और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  2. खाद्य सुरक्षा का पालन करें: मांस और अन्य खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह पकाएं।
  3. टीकाकरण की योजना बनाएं: वैक्सीन लगवाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें, खासकर अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
  4. लक्षणों को पहचानें: झुनझुनी, कमजोरी, या सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।

पुणे में Guillain-Barré Syndrome (GBS) के मामले गंभीर चिंता का विषय बने हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग और PMC द्वारा उठाए गए कदम इस स्थिति को नियंत्रण में लाने और इसके संभावित कारणों की पहचान करने की दिशा में अहम हैं।

GBS के लक्षणों के प्रति जागरूक रहना और समय पर इलाज कराना महत्वपूर्ण है। इस दुर्लभ बीमारी के प्रति सतर्कता और जिम्मेदारी न केवल मरीजों की स्थिति को सुधार सकती है, बल्कि बड़ी जनसंख्या को भी सुरक्षित रख सकती है।

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