मध्यप्रदेश के इंदौर में स्वास्थ्यकर्मियों से मारपीट और पथराव का मामला एक बार फिर सामने आया है, स्वास्थ्य महकमे की टीम कोविड 19 स्क्रीनिंग के लिये पहुंची थी, इसी बात पर स्थानीय लोग भड़क गये और और स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव कर दिया।
इस पर कई लोगों ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी :
सोचता था कि इतने पराक्रमी-पुरुषार्थी और देशभक्त बच्चों की भारत माँ कैसे 1000 साल ग़ुलाम रही😳।आज देखकर समझ आता है ! देश मरता हो मर जाए पर कुछ नीचों का मज़हबी-तुष्टिकरण वाला वोट जुगाड़ू एजेंडा बचना चाहिए😡👎
शायद हम डिजर्व भी करते है जो ऐसे लंपटों को पहचानने के बाद भी चुनते हैं👞— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) March 31, 2020
इंदौर की घटना बेहद शर्मनाक है, डॉक्टर्स और पुलिस की टीम को नकली बताकर उन पर हमला करना निंदनीय है, दोषियों पर कडी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिये ।
व्हाट्सअप पर कोरोना महामारी से सम्बंधित अफवाहें फैलाने वालों को भी चिंहित करके दंडित किया जाये ।#CommunalVirus
— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) April 2, 2020
ये इंदौर की तस्वीरें हैं. डॉक्टरों की गलती ये थी कि वो कोरोना स्क्रीनिंग के लिए सैम्पल लेने गए थे. सारी दुनिया जिस समय डॉक्टर को भगवान मान कर पूज रही है, इतिहास याद रखेगा कि हिंदुस्तान में ऐसे भी लोग थे जो उन्हें पत्थर मार रहे थे. pic.twitter.com/XghJXp5ZjU
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) April 2, 2020
दरअसल, बुधवार को इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाके में कोरोना वायरस से संदिग्ध एक बुजुर्ग महिला का मेडिकल चेकअप करने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की टीम, जिसमें डॉक्टर, नर्स और आशा कार्यकर्ता शामिल थे, लाने आई थी, जिसका वहां के लोगों ने विरोध किया और लोगों ने पथराव कर दिया। उन्होंने लाठी-डंडों से उनका पीछा किया और फिर किसी तरह स्वास्थ्यकर्मियों की टीम जान बचाते भागी। बता दें कि यह घटना ऐसे वक्त में हुई है जहां पूरा देश डॉक्टरों के लिए तालियां बजा रहा है और उनके योगदान को सराह रहा है, मगर वहीं कुछ लोग इन्हें गालियां भी दे रहे हैं और पत्थर भी मार रहे हैं।
यह पहला मामला नहीं है, जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अगली कतार में खड़े स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बदसलूकी की घटना हुई है। इससे पहले दिल्ली के मरकज में तबलीगी जमाती के लोगों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों पर थूका। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में रेलवे के पृथक केंद्रों में रखे गए तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े करीब 160 लोगों ने उनकी जांच कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और यहां तक कि उनपर थूक फेका गया।
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