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  • बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत दिवस (4 अप्रैल)

    बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत दिवस (4 अप्रैल)

    KKN गुरुग्राम डेस्क | 4 अप्रैल, बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत का दिन है। यह वह तारीख है जब दो महान स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति दी थी। बख्तर साय और मुंडल सिंह की वीरता और साहस की गाथाएं आज भी झारखंड के गुमला जिले की वादियों में सुनाई देती हैं। इन दोनों वीरों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ जमकर संघर्ष किया और उनका दिलेरी से विरोध किया। इनकी शहादत का दिन गुमला के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।

    बख्तर साय और मुंडल सिंह की वीरता

    बख्तर साय और मुंडल सिंह गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के रहने वाले थे, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जंग लड़ी। इन दोनों ने अंग्रेजों को अपनी भूमि से निकालने के लिए न केवल अपनी जान की बाजी लगाई, बल्कि इलाके के लोगों को भी प्रेरित किया। इनके संघर्ष की कहानियां आज भी इलाके में सुनी जाती हैं और लोग इनके साहस पर गर्व करते हैं।

    बख्तर साय की वीरता और संघर्ष

    बख्तर साय नवागढ़ परगना के जागीरदार थे और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ खुली चुनौती दी थी। 1800 के दशक की शुरुआत में, अंग्रेजों ने भारतीय क्षेत्रों से कर वसूलने के लिए कठोर नीति अपनाई थी, जिससे स्थानीय लोग परेशान हो गए थे। बख्तर साय ने अंग्रेजों के खिलाफ खुलकर युद्ध छेड़ दिया। इस संघर्ष में, बख्तर साय ने अंग्रेजों के कर वसूली एजेंट हीरा राम को मारकर यह संकेत दिया कि वे ब्रिटिश शासन को स्वीकार नहीं करेंगे। इस घटना के बाद, अंग्रेजों ने बख्तर साय के खिलाफ सेना भेजी, लेकिन बख्तर साय ने अपनी सूझ-बूझ और संघर्षशीलता से उनका मुकाबला किया।

    मुंडल सिंह का योगदान

    मुंडल सिंह भी बख्तर साय के सहयोगी थे और उनके साथ मिलकर ब्रिटिश सेना के खिलाफ युद्ध में भाग लिया। जब अंग्रेजों ने नवागढ़ को घेर लिया, तो मुंडल सिंह बख्तर साय के पास पहुंचे और मिलकर उन्होंने अंग्रेजों को कड़ा मुकाबला दिया। मुंडल सिंह की वीरता ने बख्तर साय को मजबूत किया और दोनों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ कई सफल आक्रमण किए। उनका साहस और नेतृत्व आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।

    अंग्रेजों का घेराव और बख्तर साय-मुंडल सिंह की शहादत

    1812 में, अंग्रेजों ने बख्तर साय और मुंडल सिंह को पकड़ने के लिए अपने सैनिकों की एक बड़ी टुकड़ी भेजी। लेफ्टिनेंट एचओ डोनेल के नेतृत्व में अंग्रेजों ने नवागढ़ को चारों ओर से घेर लिया। बख्तर साय और मुंडल सिंह ने अपने सैनिकों के साथ मिलकर कई दिनों तक अंग्रेजों का विरोध किया। हालांकि, अंग्रेजों ने एक सड़ी-गली रणनीति अपनाते हुए उनकी पानी की सप्लाई को नष्ट कर दिया, जिससे बख्तर साय और मुंडल सिंह अपने सैनिकों के साथ पानी के बिना जूझने लगे।

    अंग्रेजों की इस धोखाधड़ी से परेशान होकर, बख्तर साय और मुंडल सिंह ने छत्तीसगढ़ के जशपुर के राजा रंजीत सिंह से सहायता ली। हालांकि, उन्हें वहां भी पकड़ लिया गया और 23 मार्च 1812 को गिरफ्तार किया गया। अंत में, 4 अप्रैल 1812 को कोलकाता के फोर्ट विलियम में इन दोनों को फांसी दे दी गई। यह दोनों वीर शहीद हो गए, लेकिन उनका बलिदान और संघर्ष भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

    रक्त तालाब और शिवलिंग: ऐतिहासिक स्थल

    बख्तर साय और मुंडल सिंह के संघर्ष की याद दिलाने वाले कई ऐतिहासिक स्थल आज भी गुमला में मौजूद हैं। नवागढ़ के पास स्थित रक्त तालाब (Blood Pond) एक महत्वपूर्ण स्थल है। कहा जाता है कि जब युद्ध हुआ, तो इस तालाब का पानी खून से भर गया, जिससे इसे रक्त तालाब कहा जाने लगा। यह स्थल आज भी उन वीरों की शहादत की गवाही देता है।

    इसके अलावा, नवागढ़ में वह शिवलिंग भी है, जहां बख्तर साय और मुंडल सिंह पूजा करते थे। यह शिवलिंग उनकी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। इन स्थलों पर जाकर हम उन वीरों की वीरता और संघर्ष की भावना को महसूस कर सकते हैं। इन स्थलों पर हर साल स्थानीय लोग श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र होते हैं।

    बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत की महत्ता

    बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत ने गुमला और आसपास के क्षेत्रों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक जागरूकता का संचार किया। उनके संघर्षों ने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया और उन्हें यह संदेश दिया कि अगर देश की स्वतंत्रता की कीमत अपने प्राणों से चुकानी पड़े, तो यह एक महान कर्तव्य है। इन वीरों ने यह साबित किया कि स्वतंत्रता की कीमत बहुत अधिक होती है, लेकिन यह संकल्प और साहस से प्राप्त की जा सकती है।

    आज, बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत दिवस हमें उनके साहस, बलिदान और देशभक्ति की याद दिलाती है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि अपने देश की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

    4 अप्रैल को बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत को याद करने का दिन है। यह दोनों वीर न केवल गुमला, बल्कि पूरे भारत के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। उनका संघर्ष और बलिदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। इनकी वीरता की गाथाएं हर पीढ़ी को संघर्ष और स्वतंत्रता के महत्व को समझाने में मदद करती हैं। बख्तर साय और मुंडल सिंह की शहादत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायकों के रूप में हमेशा जीवित रहेगी।

  • झारखंड में भीषण रेल हादसा: दो मालगाड़ियों की टक्कर में तीन की मौत, कई घायल

    झारखंड में भीषण रेल हादसा: दो मालगाड़ियों की टक्कर में तीन की मौत, कई घायल

    KKN गुरुग्राम डेस्क | झारखंड से एक भीषण रेल हादसे की खबर सामने आई है, जिसमें दो मालगाड़ियों के बीच हुई टक्कर के कारण तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह दुर्घटना साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र में फरक्का-ललमटिया एमजीआर रेलवे लाइन पर हुई। हादसे में मरने वालों में दो लोको पायलट और एक अन्य रेलकर्मी शामिल हैं। हादसे के बाद, कई अन्य घायल लोगों का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा है। इस घटना ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा और प्रबंधन के मुद्दों को एक बार फिर से ताजा कर दिया है।

    हादसे का विवरण

    1 अप्रैल, 2025 को सुबह 3:30 बजे के आसपास झारखंड के साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र में यह दुर्घटना हुई। जानकारी के अनुसार, एक कोयला लदी मालगाड़ी जो ललमटिया की ओर जा रही थी, ने खाली मालगाड़ी से टक्कर मार दी, जो बरहेट एमटी पर खड़ी थी। यह टक्कर इतनी तेज थी कि दोनों ट्रेनें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गईं। टक्कर के बाद, कोयला लदी मालगाड़ी के इंजन में आग लग गई, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।

    दो लोको पायलटों की मौत

    इस भीषण हादसे में दो लोको पायलट सहित तीन लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना के बाद, सीआईएसएफ जवानों सहित कई अन्य रेलकर्मी घायल हुए हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, घायल रेलकर्मियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहेट में उपचार के लिए भर्ती किया गया है।

    कैसे हुआ हादसा?

    हादसा फरक्का-ललमटिया एमजीआर रेलवे लाइन पर हुआ, जो साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र के तहत आता है। हादसे के समय, एक खाली मालगाड़ी बरहेट एमटी पर खड़ी थी, जबकि दूसरी मालगाड़ी कोयला लेकर ललमटिया से आ रही थी। यह मालगाड़ी बहुत तेज गति से चल रही थी और उसकी टक्कर से दोनों ट्रेनें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। दुर्घटना के कारण मालगाड़ी का इंजन जलने लगा, जिससे घटनास्थल पर स्थिति और भी गंभीर हो गई।

    यह हादसा अहले सुबह हुआ, जब अधिकांश रेलकर्मी अपनी ड्यूटी पर थे। दुर्घटना के बाद, रेलवे प्रशासन और सीआईएसएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया।

    इंजन में आग लगने से स्थिति और गंभीर

    झारखंड के साहिबगंज में हुई इस दुर्घटना के बाद, एक महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि मालगाड़ी के इंजन में आग लग गई थी। हादसे में शामिल मालगाड़ी में कोयला लदा हुआ था, जिससे आग लगने का खतरा और भी बढ़ गया। इस आग को बुझाने के लिए राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चलाया गया।

    रेलवे अधिकारियों ने घायल कर्मचारियों को इलाज के लिए तुरंत नजदीकी अस्पताल में भेजा, और घटना के कारणों की जांच शुरू की। रेलवे प्रशासन ने एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है, जो इस मामले की गहन जांच करेगी और दुर्घटना के कारणों का पता लगाएगी।

    रेलकर्मियों और सीआईएसएफ की महत्वपूर्ण भूमिका

    इस हादसे के बाद, रेलवे अधिकारियों और सीआईएसएफ के जवानों ने राहत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीआईएसएफ का कार्य न केवल घटनास्थल को सुरक्षित करना था, बल्कि हादसे में फंसे कर्मचारियों को बचाना भी था। इसके अलावा, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और लोकल पुलिस ने भी दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंचकर आवश्यक कदम उठाए।

    यह घटना यह दर्शाती है कि सीआईएसएफ और रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारियों की भूमिका केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं होती, बल्कि वे ऐसे खतरनाक स्थितियों में महत्वपूर्ण सहायता भी प्रदान करते हैं। सीआईएसएफ की टीम ने हादसे के बाद की स्थिति को नियंत्रित किया और घायलों को शीघ्र उपचार प्रदान किया।

    रेलवे सुरक्षा के मुद्दे

    झारखंड में हुई यह रेल दुर्घटना एक और बार भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है। रेलवे में सुधार की लगातार आवश्यकता महसूस की जाती रही है, और यह हादसा इसका एक और उदाहरण है। रेलवे ट्रैकसिग्नल प्रणाली, और प्रबंधन में सुधार की आवश्यकता को महसूस किया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

    दुर्घटना के कारण

    अब तक की जांच के अनुसार, यह साफ नहीं हो पाया है कि हादसे की मुख्य वजह क्या थी, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि सिग्नल फेलियरकम्युनिकेशन में कमी, या लापरवाही जैसी वजहों से यह दुर्घटना हुई हो सकती है। भारतीय रेलवे को ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए आधुनिक सिग्नल प्रणालीस्मार्ट ट्रैक मॉनिटरिंग और बेहतर आवश्यक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।

    रेल सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता

    रेलवे सुरक्षा सुधार की दिशा में सरकार और रेलवे प्रशासन को और भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है। स्मार्ट सिग्नलिंग सिस्टम और स्वचालित सुरक्षा प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा, रेल कर्मचारियों के प्रशिक्षण और मालगाड़ियों के संचालन की प्रक्रिया में सुधार के लिए भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।

    रेलवे प्रशासन की प्रतिक्रिया

    इस हादसे के बाद, रेल मंत्री और रेलवे प्रशासन ने घटना की गहरी जांच करने की घोषणा की है। रेलवे अधिकारियों ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की।

    सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचने के लिए नई सुरक्षा सुविधाएं और उपाय लागू किए जाएंगे। रेलवे सुरक्षा सुधार के तहत आने वाले समय में और बेहतर कदम उठाए जाएंगे ताकि यात्रियों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

    झारखंड के साहिबगंज में हुई इस भीषण रेल हादसे ने एक बार फिर से रेल सुरक्षा की जरूरत को उजागर किया है। इस दुर्घटना में दो लोको पायलटों सहित तीन लोगों की मौत हुई है, और कई रेलकर्मी घायल हुए हैं। इस घटना ने यह साबित किया कि रेलवे सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। स्मार्ट सिग्नल सिस्टमउन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल, और नवीनतम तकनीक के माध्यम से रेल यात्रा को और सुरक्षित बनाने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार को इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

  • मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना: महिलाओं के खाते में जल्द आएगा लाभ

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना: महिलाओं के खाते में जल्द आएगा लाभ

    KKN गुरुग्राम डेस्क | मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (Maiya Samman Yojana) से जुड़ी एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आई है। इस योजना के तहत जिन महिला लाभार्थियों का सत्यापन और आधार सीडिंग का काम पूरा हो चुका है, उनके खाते में शीघ्र ही राशि भेजी जाएगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए इस योजना में ₹13,363.35 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जो महिलाओं को और अधिक सहायता देने के उद्देश्य से किया गया है।

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का उद्देश्य

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य की महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना खासतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को लक्षित करती है, ताकि उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का अवसर मिल सके। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में राशि हस्तांतरित की जाती है, जिससे उन्हें अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने में आसानी हो।

    सत्यापन प्रक्रिया और भुगतान

    कई महिलाओं का सत्यापन पहले ही पूरा हो चुका है। जिन महिलाओं का सत्यापन और आधार सीडिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, उनके खाते में अब जल्द ही जनवरी और फरवरी माह की राशि भेजी जा सकती है। इसके अलावा, महिला एवं समाज कल्याण विभाग ने मार्च महीने के लिए राशि सभी जिलों को भेज दी है। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि मार्च तक की राशि भी जल्द ही लाभार्थियों के खातों में जमा हो सकती है।

    कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा जा रहा है कि राज्य सरकार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को तोहफा देने के रूप में राशि का ट्रांसफर कर सकती है। यह सरकार का एक सकारात्मक कदम हो सकता है, जो महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

    अभी भी जारी है सत्यापन कार्य

    कुल 40 लाख महिलाओं का सत्यापन पहले ही पूरा किया जा चुका है, लेकिन कुछ महिलाओं के नाम अभी भी योजना से बाहर हो गए हैं। लगभग एक लाख महिलाओं के नाम काटे गए हैं। सत्यापन कार्य अब भी जारी है, और जैसे ही शेष महिलाओं का सत्यापन पूरा होगा, उन्हें भी योजना का लाभ मिलेगा।

    योजना के लिए बजट आवंटन

    राज्य सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लिए ₹13,363.35 करोड़ का प्रावधान किया है। यह बजट अगले कुछ वर्षों में योजना की सफलता सुनिश्चित करने में मदद करेगा और अधिक महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना के लिए इतने बड़े बजट का आवंटन राज्य सरकार की महिलाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के लाभ

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना से जुड़ी कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

    1. सत्यापन और आधार सीडिंग: योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सहायता सीधे उन महिलाओं तक पहुंचे, जो योजना के लिए पात्र हैं। सत्यापन और आधार सीडिंग से यह सुनिश्चित होता है कि गलत या धोखाधड़ी के मामले कम हों।

    2. सीधी नकद हस्तांतरण (Direct Cash Transfer): इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में राशि मिलती है, जो उनकी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है।

    3. समय पर भुगतान: सरकार ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि महिलाओं को समय पर उनके हक की राशि मिल सके। इसके लिए योजना के तहत सभी जिलों में राशि भेजी जा चुकी है।

    4. महिलाओं को सशक्त बनाना: यह योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार होगा, और वे अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकेंगी।

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के माध्यम से होने वाली महिला सशक्तिकरण की दिशा

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना न केवल महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, बल्कि यह उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य सरकार ने इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया है, ताकि महिलाएं न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक उदाहरण बन सकें।

    आगे की राह और चुनौतियाँ

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के बावजूद कुछ चुनौतियाँ सामने आई हैं। सबसे बड़ी चुनौती सत्यापन प्रक्रिया में आई देरी है, जिसके कारण कई लाभार्थी महिला उम्मीदवारों को समय पर राशि नहीं मिल सकी। इसके अतिरिक्त, कुछ महिलाओं को इस योजना से बाहर कर दिया गया है, जिनके नाम काटे गए हैं। राज्य सरकार ने इसे लेकर स्पष्टीकरण दिया है कि केवल सत्यापित महिलाओं को ही लाभ मिलेगा, लेकिन इस पर लाभार्थियों ने आपत्ति जताई है।

    आशा है कि राज्य सरकार जल्द ही इन समस्याओं का समाधान निकालेगी और सत्यापन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुचारु बनाएगी। यदि योजना की प्रक्रिया में सुधार होता है, तो इसे और भी अधिक महिलाएं और परिवारों के लिए लाभकारी बना सकती है।

    राज्य सरकार की योजना में बदलाव और सुधार की संभावना

    राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को और भी प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न सुधारों की योजना बनाई है। इनमें सत्यापन प्रक्रिया में सुधार, राशि हस्तांतरण में पारदर्शिता, और अधिक महिलाओं तक योजना का लाभ पहुँचाना शामिल है। भविष्य में, इस योजना को अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता-मित्र बनाने के लिए और कदम उठाए जा सकते हैं।

    मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण पहल है, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है। इसकी सफलता के लिए सत्यापन प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाना आवश्यक है, ताकि योजना का लाभ पूरी तरह से उन तक पहुंचे, जिन्हें इसकी जरूरत है। इस योजना के तहत वित्तीय सहायता मिलना न केवल महिलाओं की स्थिति को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मददगार साबित होगा।

    राज्य सरकार द्वारा इस योजना के लिए अगली वित्तीय वर्ष में ₹13,363.35 करोड़ का बजट आवंटन महिला सशक्तिकरण के लिए एक सकारात्मक कदम है। इस योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन, सत्यापन प्रक्रिया को ठीक से लागू करना, और समय पर राशि वितरण सुनिश्चित करना, इसे महिलाओं के लिए और भी अधिक प्रभावी बना सकता है।

  • Jharkhand Budget 2025: पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लिए ₹832 करोड़ का प्रावधान, 1.62 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

    Jharkhand Budget 2025: पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लिए ₹832 करोड़ का प्रावधान, 1.62 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

    KKN गुरुग्राम डेस्क | Jharkhand Budget 2025 में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक बड़ा ऐलान किया गया है। सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (OPS – Old Pension Scheme) के लिए ₹832 करोड़ का बजट आवंटित किया है। इस योजना से 1.62 लाख सरकारी कर्मचारियों और लाखों पेंशनर्स को लाभ मिलेगा।

    Jharkhand सरकार ने पेंशन फंड (Pension Fund) की स्थापना की है, जिससे रिटायर्ड कर्मचारियों और उनके आश्रितों (dependents) को आर्थिक सुरक्षा (financial security) मिलेगी।

    Jharkhand Budget 2025: OPS को लेकर मुख्य बिंदु

    ✔ पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लिए ₹832 करोड़ का बजट आवंटन
    ✔ 1.62 लाख सरकारी कर्मचारियों और लाखों पेंशनभोगियों को होगा लाभ
    ✔ रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए पेंशन फंड का गठन किया गया
    ✔ पेंशनर्स को महंगाई भत्ता (DA – Dearness Allowance) का लाभ मिलेगा

    Jharkhand में पुरानी पेंशन योजना के लिए बजट आवंटन

    झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) में बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें आर्थिक सुरक्षा देने के लिए सरकार OPS का वित्तीय भार कम करने की दिशा में काम कर रही है।

    झारखंड सरकार ने पिछले तीन वर्षों में पेंशन फंड में लगातार निवेश किया है:

    📌 वर्ष 2023-24 में ₹700 करोड़ का निवेश
    📌 वर्ष 2024-25 में ₹780 करोड़ का निवेश
    📌 वर्ष 2025-26 के लिए ₹832 करोड़ का प्रस्तावित बजट

    सरकार का उद्देश्य रिटायर्ड कर्मचारियों को नियमित रूप से पेंशन देना और OPS को वित्तीय रूप से मजबूत बनाना है।

    पुरानी पेंशन योजना (OPS) क्या है?

    Old Pension Scheme (OPS) भारत में सरकारी कर्मचारियों के लिए एक पारंपरिक रिटायरमेंट स्कीम थी, जिसे 1 जनवरी 2004 के बाद केंद्र सरकार ने बंद कर दिया और New Pension Scheme (NPS) को लागू किया।

    हालांकि, झारखंड उन कुछ राज्यों में से एक है जहां OPS को फिर से लागू किया गया है। इस योजना के तहत:

    ✔ सरकारी कर्मचारियों को अपनी सैलरी से कोई योगदान नहीं देना पड़ता
    ✔ रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता है
    ✔ पेंशनर्स को महंगाई भत्ता (DA) वृद्धि का लाभ मिलता है
    ✔ नौकरी के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिवार को पेंशन मिलती है
    ✔ पेंशन जीवनभर मिलती है, जिससे आर्थिक सुरक्षा बनी रहती है

    OPS की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह निश्चित पेंशन (Guaranteed Pension) प्रदान करती है और इसे बाजार के उतार-चढ़ाव (Market Risk) से कोई असर नहीं होता।

    झारखंड में किन सरकारी कर्मचारियों को OPS का लाभ मिलेगा?

    Jharkhand सरकार द्वारा OPS लागू करने के फैसले से हजारों कर्मचारियों को फायदा होगा।

    ✔ 1,62,931 सरकारी कर्मचारियों को प्रत्यक्ष लाभ
    ✔ 1.58 लाख से अधिक सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों को फायदा
    ✔ पेंशनधारकों के आश्रितों को भी वित्तीय सुरक्षा मिलेगी

    सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च 2025 तक झारखंड में:

    📌 कुल स्वीकृत सरकारी पद – 3,26,049
    📌 रिक्त पद – 1,58,846
    📌 कार्यरत सरकारी कर्मचारी – 1,67,203

    Jharkhand सरकार का यह कदम सरकारी कर्मचारियों को वित्तीय स्थिरता (Financial Stability) देने में मदद करेगा।

    OPS बनाम NPS: कौन सा बेहतर है?

    कई राज्यों में OPS और NPS को लेकर बहस चल रही है। आइए देखें Old Pension Scheme (OPS) और New Pension Scheme (NPS) में क्या अंतर है:

    फीचर OPS (Old Pension Scheme) NPS (New Pension Scheme)
    कर्मचारी योगदान योगदान की जरूरत नहीं सैलरी का 10% योगदान अनिवार्य
    सरकारी योगदान 100% सरकार द्वारा वित्त पोषित सरकार 14% योगदान देती है
    पेंशन फॉर्मूला अंतिम वेतन का 50% बाजार-आधारित निवेश, निश्चित राशि नहीं
    जोखिम स्तर कोई बाजार जोखिम नहीं बाजार पर निर्भर
    पेंशन पर महंगाई भत्ता (DA) महंगाई भत्ता मिलता है DA लागू नहीं होता
    आश्रितों को लाभ कर्मचारी की मृत्यु पर आश्रितों को पेंशन मिलती है आश्रितों को एकमुश्त राशि मिलती है

    OPS को सरकारी कर्मचारी अधिक पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें जीवनभर गारंटीड पेंशन मिलती है।

    Jharkhand Budget 2025: अन्य सरकारी योजनाएँ

    OPS के अलावा, Jharkhand सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए कई और लाभकारी योजनाएँ शुरू की हैं:

    📌 स्वास्थ्य बीमा योजना (Health Insurance for Employees)
    सरकार ने 1 मार्च 2025 से सरकारी कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शुरू की है। इससे 1.62 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को मेडिकल कवर मिलेगा।

    📌 सैलरी और भत्तों में संशोधन (Salary Revision)
    Jharkhand सरकार सरकारी कर्मचारियों के वेतन और भत्तों को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।

    📌 रिक्त पदों पर भर्ती (Government Job Recruitment)
    सरकार जल्द ही 1.58 लाख से अधिक रिक्त सरकारी पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगी।

    क्या OPS का वित्तीय प्रभाव पड़ेगा?

    Jharkhand सरकार द्वारा OPS के लिए ₹832 करोड़ खर्च करने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।

    ✅ सकारात्मक प्रभाव:
    ✔ सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
    ✔ सरकारी कर्मचारी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, जिससे प्रशासन की कार्यक्षमता बढ़ेगी।
    ✔ पेंशनर्स की खरीदने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

    ⚠ चुनौतियाँ:
    ✔ सरकार पर वित्तीय भार (Financial Burden) बढ़ेगा।
    ✔ भविष्य में अन्य विकास योजनाओं के लिए फंड कम हो सकता है।

    सरकार को OPS को वित्तीय रूप से स्थिर बनाए रखने के लिए बेहतर बजट प्रबंधन की जरूरत होगी।

    Jharkhand Budget 2025 में Old Pension Scheme (OPS) जारी रखने का फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। सरकार का यह कदम 1.62 लाख से अधिक कर्मचारियों और लाखों पेंशनर्स को आर्थिक स्थिरता प्रदान करेगा।

    ✔ OPS लागू रहेगा और सरकार पूरी पेंशन देगी।
    ✔ ₹832 करोड़ का बजट OPS के लिए तय किया गया।
    ✔ स्वास्थ्य बीमा और सैलरी संशोधन की योजना शुरू हुई।

    📌 Jharkhand सरकार के इस फैसले पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं! 🚀

  • झारखंड अकादमिक काउंसिल (JAC) ने क्लास 10 हिंदी और साइंस परीक्षा को रद्द किया, पेपर लीक की वजह से होगा नया एग्जाम

    झारखंड अकादमिक काउंसिल (JAC) ने क्लास 10 हिंदी और साइंस परीक्षा को रद्द किया, पेपर लीक की वजह से होगा नया एग्जाम

    KKN गुरुग्राम डेस्क |  झारखंड अकादमिक काउंसिल (JAC) ने हाल ही में कक्षा 10 हिंदी और साइंस परीक्षा को रद्द करने का ऐलान किया है। यह परीक्षा 18 फरवरी 2025 (हिंदी) और 20 फरवरी 2025 (साइंस) को आयोजित की गई थी। इस फैसले के बाद, छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि नए परीक्षा की तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा। परीक्षा रद्द होने की वजह सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में उठे हुए पेपर लीक के आरोप हैं।

    पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द

    झारखंड अकादमिक काउंसिल ने हिंदी (कोर्स A और कोर्स B) और साइंस विषय की परीक्षा को रद्द करने की जानकारी आधिकारिक नोटिस में दी। इस नोटिस में कहा गया कि वायरल सोशल मीडिया पोस्ट और समाचार पत्रों के जरिए जानकारी प्राप्त होने के बाद यह कदम उठाया गया। इन पोस्ट्स में बताया गया था कि दोनों परीक्षाओं के प्रश्न पत्र पहले ही ऑनलाइन लीक हो चुके थे।

    इस मामले पर आधिकारिक बयान में कहा गया:

    “यह सूचना सभी छात्रों, अभिभावकों, संबंधित प्रिंसिपल्स, सेंटर सुपरिटेंडेंट्स और अधिकारियों को दी जाती है कि 18 फरवरी 2025 को हिंदी (कोर्स A & B) और 20 फरवरी 2025 को साइंस की परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक होने के कारण इन परीक्षाओं को रद्द किया गया है। इन विषयों की पुनः परीक्षा की तिथि बाद में घोषित की जाएगी।”

    कैसे सामने आई पेपर लीक की खबर?

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ जब झारखंड अकादमिक काउंसिल के चेयरमैन ने खुलासा किया कि जिस दिन परीक्षा होनी थी, उस दिन हिंदी परीक्षा के पेपर पैकेट को खोला गया और पाया गया कि यह वही प्रश्न पत्र था जो पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था। इसके बाद काउंसिल के अधिकारियों ने लीक हुए पेपर और असली पेपर की तुलना की और यह पुष्टि की कि पेपर लीक हुआ था।

    अगले कदम क्या होंगे?

    इस घटना ने झारखंड के छात्रों और शिक्षा व्यवस्था को गंभीर संकट में डाल दिया है। हिंदी और साइंस दोनों की परीक्षा रद्द हो चुकी है, लेकिन छात्रों के लिए यह स्थिति कितनी परेशान करने वाली है, यह समझा जा सकता है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि रिटेक परीक्षा की नई तारीखें कब घोषित की जाएंगी।

    रिटेक की तारीखों के ऐलान के बाद छात्रों को अपनी पढ़ाई को फिर से व्यवस्थित करना होगा। ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि काउंसिल आने वाले दिनों में क्या कदम उठाती है ताकि इस प्रकार के पेपर लीक के मामलों से निपटा जा सके।

    छात्र नेता देवेंद्र महतो ने उठाए थे पहले सवाल

    इस पेपर लीक से पहले भी छात्र नेता देवेंद्र महतो ने हिंदी परीक्षा के पेपर लीक होने का संदेह जताया था। उनका कहना था कि परीक्षा से कुछ घंटे पहले ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था। महतो ने JAC के सचिव जयंत मिश्रा से मुलाकात की थी और उन्हें साइंस पेपर के लीक होने के सबूत दिए थे। उन्होंने बताया था कि साइंस पेपर व्हाट्सएप पर भी शेयर किया गया था।

    इस मामले में देवेंद्र महतो ने जांच की मांग की थी और झारखंड अकादमिक काउंसिल से तुरंत कार्रवाई की अपील की थी।

    JAC की परीक्षा प्रणाली पर उठे सवाल

    इस पेपर लीक घटना ने झारखंड शिक्षा बोर्ड की परीक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक अहम परीक्षा में इस प्रकार की सुरक्षा चूक होती है, तो यह छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन जाता है। पेपर लीक की घटना ने यह साबित कर दिया कि परीक्षा से पहले पेपर का सुरक्षा के लिहाज से सही तरीके से प्रबंधन नहीं किया गया था।

    क्या होगा अगला कदम?

    अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि JAC पेपर लीक के इस मामले में आगे किस तरह से कदम उठाती है। क्या वह सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगी? क्या वह परीक्षा के आयोजन के दौरान कुछ नई प्रक्रियाओं को लागू करेगी ताकि ऐसा फिर से न हो?

    JAC को क्यों चाहिए सुधार?

    1. पेपर लीक रोकने के लिए कड़े कदम – भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए परीक्षा के प्रश्न पत्र को और भी सुरक्षित तरीकों से रखा जाना चाहिए।
    2. स्मार्ट पेपर सुरक्षा – अब डिजिटल युग में जब सूचना बहुत जल्दी फैल सकती है, तो परीक्षाओं के पेपर की सुरक्षा को स्मार्ट तरीके से नियंत्रित करना होगा।
    3. केंद्रों पर निगरानी – परीक्षा केंद्रों पर निगरानी बढ़ानी चाहिए, जिससे कोई भी अनहोनी घटना न हो सके।
    4. कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना – सभी परीक्षा संबंधित कर्मचारियों को ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

    शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव

    झारखंड में यह घटना केवल JAC बोर्ड के लिए नहीं, बल्कि पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा झटका है। इससे न केवल छात्रों की मेहनत पर पानी फिरता है, बल्कि शिक्षा के स्तर पर भी सवाल उठने लगते हैं। जब छात्रों और अभिभावकों को ऐसा लगे कि परीक्षाओं की विश्वसनीयता अब खतरे में है, तो इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

    इस घटना ने यह भी साफ कर दिया कि सोशल मीडिया अब एक बड़ी चुनौती बन गया है, जो परीक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी को जल्दी से लीक कर सकता है। ऐसे में, झारखंड शिक्षा बोर्ड को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा।

    अब क्या उम्मीद करें छात्र और अभिभावक?

    फिलहाल, छात्रों और अभिभावकों को रिटेक एग्जाम की तारीख का इंतजार है। यह परीक्षा राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। झारखंड शिक्षा परिषद को इस मुद्दे पर कड़ा कदम उठाना होगा, ताकि भविष्य में इस प्रकार के पेपर लीक जैसे मामलों से बचा जा सके।

    छात्रों को भी इस समय घबराने की बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समय रहते यह समझना जरूरी है कि ऐसी घटनाएं कभी-कभी हो जाती हैं, लेकिन हमें इसका सामना कैसे करना है, यह सबसे महत्वपूर्ण है।

    झारखंड अकादमिक काउंसिल के द्वारा हिंदी और साइंस परीक्षाओं को रद्द करना एक बड़ी घटना है जो राज्य के शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मचा रही है। हालांकि, छात्रों को इस बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि नए एग्जाम डेट्स जल्द ही घोषित किए जाएंगे। फिर भी, यह घटना परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है, और अब देखना यह है कि झारखंड शिक्षा परिषद इस संकट को कैसे संभालती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है।

  • हावड़ा-मुंबई रूट पर ट्रेन हादसा: राहत और बचाव कार्य जारी

    हावड़ा-मुंबई रूट पर ट्रेन हादसा: राहत और बचाव कार्य जारी

    KKN गुरुग्राम डेस्क |   झारखंड में हावड़ा-मुंबई मेल (ट्रेन संख्या 12810) के दुर्घटनाग्रस्त होने से बड़ी रेल दुर्घटना सामने आई है। यह हादसा चक्रधरपुर डिवीजन के बड़ाबम्बो और राजखरसावां रेलवे स्टेशन के बीच पोटो बेड़ा गांव के पास हुआ। हादसे में कई यात्रियों के घायल होने की खबर है। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं।

    कैसे हुआ हादसा?

    यह दुर्घटना मंगलवार सुबह करीब 4:15 बजे हुई, जब ट्रेन हावड़ा से मुंबई जा रही थी। जानकारी के अनुसार, ट्रेन की 18 बोगियां पटरी से उतर गईं, जिसमें चार जनरल बोगियों को छोड़कर बाकी सभी कोच बेपटरी हो गए। यह हादसा अचानक हुआ, जिससे अधिकांश यात्री जो सो रहे थे, दुर्घटना के कारण दहशत में आ गए।

    फिलहाल, दुर्घटना के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। रेलवे और प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है ताकि दुर्घटना का कारण जल्द से जल्द पता लगाया जा सके।

    रेलवे का आपातकालीन कदम

    दुर्घटना की सूचना मिलते ही, चक्रधरपुर रेल मंडल मुख्यालय में पांच बार हूटर बजाया गया, जिससे पूरे मंडल में हड़कंप मच गया। रेलवे ने तुरंत राहत कार्य शुरू करते हुए ARME (एक्सीडेंट रिलीफ मेडिकल इक्विपमेंट) ट्रेन को 4:15 बजे घटनास्थल के लिए रवाना किया। वरिष्ठ रेलवे अधिकारी और राहत टीमें मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुट गईं।

    घायलों को चक्रधरपुर रेलवे अस्पताल और खरसावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया जा रहा है। गंभीर घायलों के इलाज के लिए जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल को भी अलर्ट पर रखा गया है।

    प्रशासन की तत्परता

    हादसे की सूचना मिलते ही सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला घटनास्थल पर पहुंचे। उनके साथ जिला प्रशासन और रेलवे के अधिकारी राहत कार्य में जुट गए। घटनास्थल पर फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने का काम तेजी से किया जा रहा है।

    रेलवे ने राहत और बचाव कार्य के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाए हैं। इसके साथ ही, सभी प्रभावित यात्रियों को प्राथमिक उपचार और अन्य आवश्यक सहायता प्रदान की जा रही है।

    घटनास्थल पर स्थिति

    हादसे के समय ट्रेन में सवार अधिकांश यात्री सो रहे थे। दुर्घटना के बाद, कुछ यात्री अपनी बोगियों से बाहर निकलने में सफल रहे, जबकि कई अन्य बोगियों में फंसे रह गए। रेस्क्यू टीम ने फंसे हुए यात्रियों को निकालने का काम जारी रखा है।

    एक यात्री ने बताया, “हम सब सो रहे थे, अचानक तेज आवाज हुई और सब कुछ हिलने लगा। कुछ लोग बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन कई लोग अंदर फंसे रह गए। यह पल बहुत डरावना था।”

    हावड़ा-मुंबई मार्ग पर परिचालन ठप

    दुर्घटना के कारण हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग पर परिचालन पूरी तरह से ठप हो गया है। रेलवे की टीमें बेपटरी हुई बोगियों को हटाने और ट्रैक की मरम्मत के लिए काम कर रही हैं।

    इस दौरान यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले ट्रेन सेवाओं की स्थिति की जानकारी प्राप्त करें। रेलवे विभाग स्थिति सामान्य करने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।

    बचाव और राहत कार्यों की प्राथमिकता

    रेलवे और प्रशासन द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए जा रहे हैं:

    1. फंसे हुए यात्रियों को बचाना और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना।
    2. घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
    3. हावड़ा-मुंबई मार्ग पर परिचालन को जल्द से जल्द बहाल करना।
    4. दुर्घटना के कारणों की जांच और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपाय करना।

    जांच और सुरक्षा उपाय

    रेलवे विभाग ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक तौर पर यह देखा जा रहा है कि कहीं यह हादसा ट्रैक में खराबी, तकनीकी खामी या मानवीय त्रुटि के कारण तो नहीं हुआ। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि विस्तृत जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी और सुरक्षा मानकों को और मजबूत किया जाएगा।

    टाटा अस्पताल की तैयारी

    घटना को लेकर जमशेदपुर के टाटा मुख्य अस्पताल को अलर्ट मोड पर रखा गया है। अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड के बाहर 10 बेड की विशेष व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी गंभीर स्थिति से निपटा जा सके। डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ पूरी तरह तैयार हैं।

    रेलवे की प्रतिक्रिया और सहायता

    रेलवे ने घायलों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। राहत कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है और प्रभावित यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।

    रेलवे ने यह भी कहा है कि हादसे में घायलों को इलाज और मुआवजे की पूरी सहायता दी जाएगी। दुर्घटना से जुड़े हर पहलू की समीक्षा की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

    यात्रियों के लिए सलाह

    हावड़ा-मुंबई मार्ग पर यात्रा करने वाले यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले रेल सेवाओं की स्थिति के बारे में जानकारी लें। रेलवे विभाग ने जल्द ही ट्रेनों के परिचालन को फिर से शुरू करने का आश्वासन दिया है।

    अंतिम निष्कर्ष

    यह हादसा रेलवे संचालन की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है। हालांकि राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन इस घटना ने रेलवे प्रणाली को और सुरक्षित बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है।

    KKN Live इस घटना पर लगातार अपडेट प्रदान करता रहेगा। हम सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं। जुड़े रहें और घटनास्थल से ताजा खबरों के लिए हमारी वेबसाइट पर नजर बनाए रखें|

  • झारखंड में मिला कोरोना का तीसरा मरीज

    झारखंड में मिला कोरोना का तीसरा मरीज

    झारखंड में कोरोना वायरस का एक और मरीज टेस्‍ट में संक्रमित पाया गया है। इसी के साथ झारखंड में अब कोरोना वायरस से संक्रमित  मरीजों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है। नई मरीज एक महिला है, जो बोकारो जिले के चंद्रपुरा प्रखंड की रहने वाली है।

    महिला की तबलीग़ी जमात से जुड़ी होने की आशंका जताई जा रही  है। महिला कुछ दिनों पहले ही बांग्लादेश से लौटी थी और बांग्लादेश में कुछ  दिनों पहले तबलीग़ी जमात का सम्मेलन भी हुआ था।

    आपको बता दें कि, चंद्रपुरा प्रखंड के तीन लोग बांग्लादेश के ढाका में हुए तबलीग़ी जमात में शामिल होकर 15 मार्च को चंद्रपुरा अपने-अपने घर लौटे थे। तीनों लोगों की स्क्रीनिंग कराई गई तथा उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया। पिछले दिनों तीनों लोगों का सैंपल जांच के लिए भेजा गया, जिसमें एक व्यक्ति में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है।

    आपको बता दें की, अबतक झारखंड में दो लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी। रविवार को तीसरा मरीज मिलने के बाद राज्य में हड़़कंप मचा है।

  • झारखंड मे कोरोना का पहला मामला

    झारखंड मे कोरोना का पहला मामला

    झारखंड की राजधानी रांची में कोरोना का पहला मरीज मिला है। आपको बताते चले की जहां भारत के लगभग सभी राज्यों में कोरोना का मामला सामने आ चुका है। वहीं, झारखंड अभी तक कोरोना के संक्रमण से बचा हुआ था। राज्य में कोरोना के इस पहले मामले से सनसनी फैल गई। हर कोई कोरोना वायरस की महामारी को लेकर दहशत में आ गया। इस बीच रांची के हिंदपीढ़ी इलाके को सील कर, कर्फ्यू लगा दिया गया है। लोगों को इस इलाके से दूर रखा जा रहा है।

    रांची में मंगलवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पायी गई मलेशिया की धर्म प्रचारक एक युवती है। जिसने 16 मार्च को नई दिल्ली से रांची आने वाली राजधानी एक्स्प्रेस के B-1 बोगी में सफर किया था। इसे ध्यान मे रखते हुए, रांची उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी ने रांची वासियों से अपील की है की जो भी व्यक्ति 16 मार्च 2020 को दिल्ली से राजधानी एक्सप्रेस के B-1 बोगी में सफर करके रांची पहुंचे हैं, वे लोग इसकी सूचना जिला प्रशासन को दें और आवश्यक रूप से अपनी जांच कराएं। इस बोगी में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को प्रशासन से संपर्क करने तथा अपनी जांच कराने का निर्देश दिया गया है।

    कोरोना संक्रमित मलेशियन महिला जिस घर मे रुकी थी, उस घर को सील कर दिया गया है। उस घर और पड़ोस के लोगों को क्वारंटाइन के लिए RIMS भेज दिया गया है। इस इलाके में डोर टू डोर कोरोना की स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि संक्रमित लोगों का पता चल पाए और उन्हें क्वारंटाइन किया जाए।

    जिन-जिन घरों में मलेशियन रुके थे, वैसे घरों को प्रशासन की टीम चिन्हित कर रही है, ताकि घरों मे रहने वाले लोगों का कोरोना की जांच किया जा सके।

  • झारखंड में भाजपा को लगा जोर का झटका

    झारखंड में भाजपा को लगा जोर का झटका

    महागठबंधन खेमे में जबरदस्त उत्साह

    KKN न्यूज ब्यूरो। झारखंड के नतीजे भाजपा के लिए अति आत्मविश्वास की परिणति है। हालांकि, वहां इस तरह के नतीजों की जमीन पहले ही बन चुकी थी। बावजूद इसके भाजपा नेतृत्व ने धुंआधार प्रचार कर आखिरी समय तक नतीजों को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंकी। नुकसान की बड़ी वजह विपक्ष का गठबंधन में उतरना और भाजपा का गठबंधन बरकरार नही रख पाना माना जा रहा है। फिलहाल, झारखंड में महागठबंधन की शानदार जीत पर महागठबंधन के समर्थक बिहार में भी जश्न मना रहें हैं।

    सहयोगियों से तरकरार बना हार का कारण

    भाजपा की समस्याएं सरकार में साझीदार रहे आजसू के साथ चुनावी गठबंधन नहीं हो सका। इसके अतिरिक्त भाजपा के शीर्ष नेतृत्व अति आत्मविश्वास में अपने वरिष्ठ नेता सरयू राय समेत कई नेताओं के बगावत को समय रहते रोक नहीं पाई और आखिरकार यही अति आत्मविश्वास एसे ले डूबा। दूसरी तरफ विपक्ष ने समय की नजाकत को समझा और एकजुट होकर भाजपा को जबरदस्त चुनौती दे डाली। ऐसे में दिग्गजों का प्रचार भी प्रमुख विपक्षी दलों की एकजुटता से पार्टी को आगे नहीं निकाल सका। बीते एक साल के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी सत्ता वाले जिन राज्यों में हारी है, उन सभी राज्यों में कमोवेश यही कारण उभर कर सामने आए हैं।

    दिल्ली व बिहार पर पड़ सकता है असर

    भाजपा के सामने अगले साल की शुरुआत में दिल्ली और आखिर में बिहार के सबसे अहम चुनाव हैं। दिल्ली में वह बीस साल से सत्ता से बाहर है। लोकसभा चुनाव की बात छोड़ दें तो वह यहां पर नगर निगम का पार्टी बन कर रह गई है। ऐसे में उसके लिए आम आदमी पार्टी से मुकाबले के लिए नेतृत्व और रणनीति दोनों पर एक साथ काम करना होगा। बिहार में जदयू से गठबंधन राज्य में जीत की गांरटी माना जाता है, लेकिन चुनाव तक दोनों में सब ठीक ठाक रहे यह भी जरूरी नहीं है। बिहार में उपचुनावों के नतीजों ने यह साफ किया है कि इस बार भाजपा व जदयू के गठबंधन को कड़ी चुनौती के लिए तैयार रहना होगा।

  • झारखंड में नक्सलियों ने किया आईडी ब्लास्ट, 11 जवान घायल

    झारखंड में नक्सलियों ने किया आईडी ब्लास्ट, 11 जवान घायल

    झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में मंगलवार तड़के नक्सलियों के आईईडी ब्लास्ट करके अपनी खूनी मंशूबो को एक बार फिर से जाहिर कर दिया है। इस ब्लास्ट में सीआरपीएफ कोबरा बठालियन के करीब 11 जवान घायल हो गए हैं।

    अभियान के दौरान हुआ ब्लास्ट

    जानकारी के मुताबिक सीआरपीएफ की विशेष जंगल युद्ध इकाई कोबरा और राज्य पुलिस का संयुक्त दल जिले में कुचाई के जंगलों में एक अभियान चला रहा था, तभी तड़के करीब पांच बजे यह बलास्ट हो गया। बताया जा रहा है कि आईईडी को कच्ची सड़क के नीचे दबा कर रखा हुआ था। घायल जवानों को विमान के जरिए राज्य की राजधानी रांची लाया गया। जहां उनका इलाज किया जा रहा है। फिलहाल, सभी जवान खतरे से बाहर बताये जा रहें हैा

  • रांची खुदकुशी मामले में चौकाने वाला खुलाशा

    रांची खुदकुशी मामले में चौकाने वाला खुलाशा

    झारखंड की राजधानी रांची के कांके थाना अन्तर्गत बोड़या में पिछले सप्ताह गृह स्वामी दीपक झा सहित परिवार के सात लोगों के द्वारा खुदकुशी कर लेने के मामले में चौकाने वाला खुलाशा हुआ है। पुलिस के द्वारा की गई शुरुआती जांच में खुदकुशी का कारण आर्थिक तंगी बताया जा रहा है। परिवार पैसे की परेशानी के चलते मकान का किराया भी नहीं दे पा रहा था। हालांकि अन्य बिन्दुओं पर भी जांच की जा रही है। किंतु, पुलिस के द्वारा की जा रही प्रारंभिक जांच में यह मामला खुदकुशी का ही प्रतीत होता है।
    खुदकुशी करने वाले पांच वयस्क व दो बच्चे
    बतातें चलें कि खुदकुशी करने वालों में पांच वयस्क और दो बच्चे भी शामिल हैं। बहरहाल, पुलिस और एफएसएल की टीम पूरे मामले की छनबीन विस्तार से तफ्तीश कर रही है। पोस्‍टमार्टम रिपोर्ट आना अभी बाकी है। इस बीच एसएसपी शुरुआती जांच के बाद परिवार की आर्थिक तंगी को खुदकुशी का कारण बताया है।
    दो महीने में तीसरी घटना
    दो महीना पहले नई दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगो ने खुदकुशी करके पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था। इसके बाद पिछले महीने ही झारखंड के हजारीबाग में एक ही परिवार के 6 लोगो ने खुदकुशी कर ली और अब झारखंड के ही रांची में एक ही परिवार के 7 लोगो की खुदकुशी के बाद लोग नि:शब्द है। जानकारी के अनुसार रांची में खुदकुशी करने वाला परिवार दीपक झा का था। वह एक निजी कंपनी में काम करते थे और पिछले कुछ महीने से बेरोजगार हो चुकें थे। नतीजा, उनकी आर्थिक स्थित ठीक नहीं थी। खुदकुशी करने वालों में दीपक झा, उनकी पत्‍नी, माता-पिता और दो बच्‍चे शामिल हैं।

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  • पूर्व सैनिक के परिवार के सात लोगो ने की खुदकुशी

    पूर्व सैनिक के परिवार के सात लोगो ने की खुदकुशी

    दिल्ली के बाद अब रांची से आई दहलाने वाली खबर

    भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगो के आत्महत्या का मामला अभी सुलझा भी नहीं था कि झारखंड की राजधानी रांची के कांके थाना क्षेत्र में एक ही परिवार के 7 लोगो के द्वारा सामुहिक आत्महत्या करने की खबर ने पूरे देश को एक बार फिर से सकते में खड़ा कर दिया है। घटना, कांके थाना के रसंडे की है। एक ही घर के 7 लोगों ने रहस्यमयी तरीके से आत्महत्या कर ली है। फिर वहीं सवाल कि आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि एक ही परिवार के 7 लोगों ने एक साथ खुदकुशी कर ली? बहरहाल, पुलिस तफ्तीश में जुट चुकी है।
    पिछले महीने यहां आया था पूर्व सैनिक का परिवार
    गौरतलब बात ये है कि खुदकुशी करने वाला इस परिवार का मुखिया आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद अपने पूरे परिवार के साथ यहां रहने आया था। फिलहाल, पुलिस पड़ोसियों से उनके बारे में जानकारी जुटा रही है। अभी तक जो बात सामने आया है, वह ये कि खुदकुशी करने वाला यह परिवार मूल रूप से भागलपुर का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक भागलपुर के अवकाश प्राप्त सैनिक दीपक झा पिछले महीने ही अपने पूरे परिवार के साथ रांची के इस घर में शिफ्ट हुआ था। इस बीच परिवार में एक बच्चे का जन्मदिन भी बेहद धूमधाम से मनाया गया था। लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि एक ही साथ इतने सारे लोगों ने सुसाइड कर ली?
    स्कूल वैन के आने के बाद हुआ खुलाशा
    पड़ोसियों का कहना है कि रात में दीपक झा पूरा परिवार रोजमर्रा की भांति चहलकदमी करते हुए देखे गये थे। पड़ोसियों के मुताबिक घर में किसी तरह के झगड़ा या विवाद होने की कोई आवाज किसी को भी सुनाई नहीं पड़ी। पुलिस के आरंभिक जांच में पता चला है कि सात लोगों ने खुदकुशी की है। बतातें चलें कि मृतक दीपक झा की बेटी स्कूल जाती थी और उसको ले जाने के लिए स्कूल का वैन रोज सुबह में आता था। घटना के रोज भी सुबह स्कूल का वैन आया। किंतु, वैन चालक के द्वारा बार-बार हॉर्न बजाने के बाद भी जब परिवार से कोई नहीं आया, तब इसकी सूचना मकान मालिक को दी गई। जब मकान मालिक ने यहां पहुंच कर अंदर झांका तो पूरे मामले का खुलाशा हो गया।
    पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगा मौत का खुलाशा
    सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने परिवार के दो लोगों का शव झूलते हुए अवस्था में बरामद किया और बाकी पांच लोगों का शव बिस्तर से बरामद किया है। आपको याद ही होगा कि दो महीने पहले ही दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद झारखंड के ही हजारीबाग में एक कारोबारी परिवार के 6 लोगों ने आत्महत्या कर ली थी और अब झारखंड के ही रांची में एक ही परिवार के 7 लोगो के खुदकुशी से हर कोई हैरान है।

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  • दुमका कोषागार से अवैध निकासी में लालू दोषी

    दुमका कोषागार से अवैध निकासी में लालू दोषी

    रांची। चारा घोटाले के सिलसिले में दुमका कोषागार से अवैध निकासी के एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दे दिया है। जबकि पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया गया है।

    स्मरण रहें कि चारा घोटाले के छह मामले में से चार में अभी तक लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है। इससे पहले रांची स्थित सीबीआई कोर्ट ने जगन्नाथ मिश्र के अलावा तत्कालीन आईटी कमिश्नर अधीन चंद्र चौधरी और तत्कालीन लोक लेखा समिति के अध्‍यक्ष ध्रुव भगत को भी निर्दोष करार दिया है। जबकि कोर्ट ने अरुण कुमार सिंह, अजीत शर्मा, केके प्रसाद, मनोरंजन प्रसाद को दोषी करार दिया है। बतातें चलें कि फिलहाल लालू प्रसाद रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।
    राजद के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक बार फिर से जगन्नाथ मिश्र का रिहा होना और लालू यादव को सजा होना कई सवाल को जन्म देता है। रामानुज यादव ने भी कहा कि एक को जेल और एक को बेल। यह सही नहीं है। लालू यादव को फंसाया जा रहा है। जनता इसका जवाब देगी। दूसरी ओर जदयू के प्रवक्ता नीरज सिंह ने कहा कि न्याय प्रक्रिया पर सबको विश्वास करना चाहिए। लालू यादव ने घोटाला किया इसी की उन्हें सजा मिल रही है। ऐसे में न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाया चाहिए।

  • अस्पताल से गायब बच्चा बरामद

    पूजा श्रीवास्तव
    जामताड़ा। बिहार के जामताड़ा सदर अस्पताल से चोरी हुए बच्चे को पुलिस ने मिहिजाम के एक नर्सिंग होम से बरामद कर लिया गया है। बच्चा स्वस्थ्य है और पुलिस ने बच्चे को उसके मां के हवाले कर दिया है।

    इससे पहले पुलिस ने बच्चे को बरामद करने के लिए जिले के अलावा सीमावर्ती जिले के सभी छोटे बड़े नर्सिंग होम को भी अलर्ट कर दिया था। एसपी ने बताया कि पुलिस को मिहिजाम के अनुपम सेवा सदन मे बच्चे को लाने की सूचना मिली थी। जिसके बाद पुलिस नर्सिग होम पहुंचकर बच्चे को बरामद किया।
    पुलिस मामले में संलिप्त महिला रीना देवी व दो अन्य लोगों को हिरासत में लिया है। जिससे थाने में पूछताछ की जा रही है। आरोपी महिला रीना देवी मिहिजाम थाना के कालीतल्ला निवासी छोटू राम की पत्नी है। रीना बच्चे को दिखाने अनुपम सेवा सदन मे लाई थी। जहां से पुलिस ने बच्चे को बरामद किया।
    बता दें कि नारायणपुर प्रखंड के नारोडीह निवासी सलाउदीन अंसारी की पत्नी हलीमा बीबी को परिजनों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रात दो बजे हलीमा ने बेटे को जन्म दिया। दोपहर के करीब तीन बजे एक अज्ञात महिला नवजात को चोरी कर फरार हो गई थी। बच्चे की बरामदगी को लेकर शनिवार को भी सदर अस्पताल मे हंगामा हुआ था। इधर बच्चे के सकुशल मिल जाने से परिवार में सभी लोग काफी खुश हैं।

  • निजी स्कूलों की मनमानी से भड़के अभिभावक

    पूजा श्रीवास्तव
    झारखंड। झारखंड प्रदेश में निजी स्कूलो के मनमानी के खिलाफ लोग गुस्से में है। सूबे के अभिभावक संगठन फेडरेशन बच्चों के भविष्य के प्रति उदासीनता वाला रवैया और शिक्षा के क्षेत्र में फैला भ्रष्टाचार, व्यवसायीकरण जैसे कई महत्पूर्ण मुद्दों को लेकर बिरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

    फेडरेशन ऑफ झारखंड, अभिभावक संघ के द्वारा रांची के मोराबादी मैदान में महात्मा गांधी प्रतिमा के समक्ष हल्ला बोल कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूल के छात्रों के अभिभावक शामिल हुए और आक्रोशित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
    अभिभावक संघ की कुछ मुख्य मांगे हैं। प्राइवेट स्कूल फी रेगुलेशन एंड कंट्रोल एक्ट का ड्राफ्ट, जिसे विधायक द्वारा विलंब की नियत से प्रवर समिति को भेजा गया है, उसे जल्द से जल्द अपने मूल रूप से लागू किया जाए। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा टीएमएपीएएलआई फाउंडेशन के निर्देश के अनुसार राज्य में शिक्षा न्यायाधिकरण का गठन की मांग की है।

  • चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू को हुई सजा

    चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू को हुई सजा

    जगन्नाथ समेत 50 लोगों को मिली सजा और छह बरी

    रांची। बहुचर्चित चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र को अदालत ने दोषी करार देते हुए पांच साल की सश्रम कैद की सजा सुनाई है। इसके अतिरिक्त दोनों पर दस-दस लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर एक साल अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

    रांची की सीबीआई कोर्ट के जज एएसएस प्रसाद ने बुधवार को इस मामले के 50 अन्य आरोपितों को भी दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है। जबकि छह आरोपितों को मामले से बरी कर दिया गया।
    अदालत ने दोषियों को साजिश रचने, धोखाधड़ी करने, फरजी आवंटन तैयार करने, फरजी बिल तैयार करने, सरकारी दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करने और भ्रष्टाचार करने का दोषी माना है। चाईबासा कोषागार से 33.67 करोड़ के अवैध निकासी के मामले में सीबीआई ने वर्ष 1996 में मामला दर्ज किया था। इसके बाद से इस मामले की सुनवाई सीबीआई कोर्ट में हो रही थी।

  • राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की फिर हुई पेशी

    राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की फिर हुई पेशी

    24 जनवरी को आएगा फैसला

    रांची। कड़ाके की ठंड के बीच चारा घोटाले की तपीश अभी थमने का नाम ही नही ले रहा है। चारा घोटाले के एक अन्य मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में आज फिर पेश हुए। यह पेशी डोरंडा, चाईबासा और दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में हुई है। जानकारी के मुताबिक चारा घोटाले से संबंधित आरसी 68 ए-96 मामले में आज सुनवाई पूरी हो गई और 24 जनवरी को फैसला आएगा।

    बात यही खत्म नही होती है। इसके अलावा पटना सीबीआई कोर्ट में लालू प्रसाद सहित 9 आरोपितों की बुधवार को पेशी होनी है। इसके लिए भी प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिया गया है।
    विशेष न्यायाधीश ने बिरसा मुंडा जेल, रांची के अधीक्षक को निर्देश दिया है कि 10 जनवरी को पटना सीबीआई कोर्ट में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व सासंद जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद आरके राणा, नौकरशाह बेक जुलियस, फूलचंद सिंह, आपूर्तिकर्ता त्रिपुरारी मोहन प्रसाद सहित 9 आरोपितों को पेश किया जाए। सभी 9 आरोपित बिरसा मुंडा जेल रांची में बंद हैं। हाल ही में रांची सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाला के देवघर कोषागार से फर्जी निकासी के मामले में सजा सुनाई है।
    पटना सीबीआई कोर्ट में जिस मामले में पेशी होगी वह दिसबंर 1993 से लेकर जनवरी 1995 तक का है। इस मामले में आरोपितों पर जानवरों को दी जाने वाली दवाई के नाम पर घोटाला करने का आरोप है। इसमें आपराधिक षडंयत्र कर भागलपुर और बांका कोषागार से फर्जी विपत्र के आधार पर 47 लाख रुपए की अवैध निकासी से जुड़ा है।

  • धर्म बदलने से इनकार पर विवाहिता का बलात्कार

    धर्म बदलने से इनकार पर विवाहिता का बलात्कार

    ससुर और चाचा ने मिल कर पति की मौजूदगी में किया हैवानियत

    झारखंड। झारखंड के रामगढ़ से रिश्तो को तार तार कर देने वाली खबर आ रही है। विवाह के बाद धर्म नहीं बदलने पर महिला से बलात्कार और हत्या का सनसनीखेज मामला सामने आया है। वह भी पिता और चाचा के द्वारा। बहरहाल, पुलिस ने महिला के शव बरामद करके आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है।
    घटना झारखंड के रामगढ़ की बताई जाती है। शुरुआती जानकारी के अनुसार यहां एक महिला ने दूसरे धर्म के व्यक्ति से विवाह किया और दवाब डाले जाने पर भी धर्म बदलने से इंकार कर दिया। इसके बाद युवक के पिता और चाचा ने नवविवाहिता से पहले गैंगरेप किया और फिर उसकी गला दबा कर हत्या कर दी। करीब एक महीना बाद महिला का शव रामगढ़ के समीप गरगा नदी किनारे से बरामद हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की हत्या से पहले गैंगरेप की बात सामने आई है।

    पुलिस पूछताछ में आदिल अंसारी ने बताया कि हम दोनों ने घर से भागकर विवाह किया था। जिसके बाद दोनों बोकारो स्थित अपने चाचा के घर पहुंचे। लेकिन मेरी पत्नी का दूसरा धर्म होने पर उन्होंने पिता को इसकी जानकारी दी। इसके बाद चाचा और पिता ने महिला को अपना धर्म बदल लेने की सलाह दी। किंतु, महिला के द्वारा धर्म बदलने से इनकार कर देने पर चाचा और पिता ने मिल कर पहले महिला के साथ गैंगरेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी। पूछताछ में इसबातका भी खुलाशा हुआ है कि गैंगरेप के दौरान करीब एक घंटा तक महिला दर्द से कराहती और चीखती रही। ताज्जुब की बात ये कि घटना के वक्त उसका पति भी घर में ही मौजूद था। बावजूद इसके महिला को बचाने का कोई प्रयास नही किया। इस मामले में पुलिस ने महिला के प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।

  • जीवन के साथ ही नही बल्कि जीवन के बाद भी निभाया साथ

    जीवन के साथ ही नही बल्कि जीवन के बाद भी निभाया साथ

    पत्नी के मौत के गम में पति की थमी सांसे/मुखाग्नि देने के शीघ्र बाद पति ने छोड़ दी दुनिया

    रांची। जीवन के साथ ही नही, बल्कि जीवन के बाद भी, साथ निभा कर एक पति ने आपनी प्रेम कहानी को अमर कर दिया। रांची में रहने वाले दिनेश वर्मा की पत्नी उर्मिला सिन्हा का शनिवार रात दो बजे निधन हो गया था। उन्हें मुखाग्नि देते हुए पति दिनेश वर्मा को ऐसा सदमा लगा कि उनकी सांसे थम गई और पत्नी की चिता के सामने ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
    कचोटने वाली बात ये कि उर्मिला सिन्हा अक्सर कहती थी की कि उनके मरने पर पति ही उन्हें मुखाग्नि दें। मृतक उर्मिला की इच्छा पूरी भी हुई और उनके पति ने ही पत्नी का अंतिम संस्कार किया। बीते 58 सालों का साथ छूटता देख पति दिनेश वर्मा मुखाग्नि देते वक्त विचलित हो गये और श्मशान घाट पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

    उर्मिला सिन्हा आर्य कन्या उच्च विद्यालय में प्रधानाध्यापक थीं। जबकि, दिनेश वर्मा पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल में कार्यरत थे। बतातें चलें कि यह परिवार रांची के अनंतपुर स्थित यमुना अपार्टमेंट में रहता है। दिनेश वर्मा और उर्मिला वर्मा ने अपने पीछे पूरा भरापूरा संसार छोड़ अंतिम सांसें ली है। उनके परिवार में एक बेटा, बहु और पोती का रो-रोकर बुरा हाल है।

  • लिपस्टिक पर रोक लगते ही लाल हुईं छात्राएं

    लिपस्टिक पर रोक लगते ही लाल हुईं छात्राएं

    धनबाद। धनबाद के एसएसएलएनटी महिला कॉलेज के प्राचार्य डॉ रेणुका ठाकुर ने कॉलेज परिसर में लड़कियों के लिपस्टिक लगाकर आने पर रोक लगा दिया है। इतना ही नही बल्कि, कॉलेज कैंपस में लड़कियों के सज-संवर कर आने और बाल को स्टाइल में बांधने पर भी रोक लगा दी गई है। इसी प्रकार कॉलेज कैप्मस में लड़कियो के मोबाइल पर बात करने पर भी रोक लगा दी गई है। इससे छात्राओं में जबरदस्त आक्रोश है और छात्राएं प्राचार्य के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
    छात्राओं ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल साइट पर लिखा है कि अब तो हद ही हो गई… मैम पहले कॉलेज की व्यवस्था सुधारें, फिर हम लड़कियों को लिपस्टिक लगाने से रोकें…। बहरहाल, यह मामला कॉलेज कैंपस में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई छात्राओं ने अपने स्टेट्स में न्यूज के साथ लिखा कि अब तो हद ही हो गई…। हालांकि छात्राएं विरोध करने के लिए खुलकर सामने नहीं आ रही हैं। उनका कहना है कि प्राचार्य को प्रभार संभाले अभी चार से पांच दिन हुआ है।

    प्राचार्य पहले हमलोगों को व्यवस्था दें। कॉलेज की स्थिति के साथ आधारभूत संरचना में सुधार करें। इसके बाद आदेश लागू करें। वहीं काफी संख्या में लड़कियां कॉलेज प्रबंधन के फैसले को सही भी ठहरा रही हैं। उनका कहना है कि ऐसे फैसले से कॉलेज में शैक्षणिक माहौल बनेगा। हमलोग नए प्राचार्य के साथ हैं। उनका निर्णय सही है। वे मोबाइल पर रोक लगाने के निर्णय का भी स्वागत करते हैं।