भारत के पहले लोकसभा चुनाव में महिलाओं का नाम, मतदाता सूची में क्यों शामिल नहीं हुआ? प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को चुनावी सभा में वर्दी पहने पुलिस से क्या आपत्ति थी? लोकसभा चुनाव में नौसेना के युद्धपोत का क्यों किया गया इस्तेमाल? कैसे होता था चुनाव प्रचार? प्रधानमंत्री नेहरू ने देश के पहले लोकसभा चुनाव का पहला प्रचार कहा से लॉंच किया था? उनदिनों रेडियों मास्को से कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव प्रचार में क्या कहा गया था? क्यों चुनाव हार गए थे बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर, मोरारजी देशाई और आचार्य कृपलानी? लोहे की मतपेटी, चुनाव चिन्ह और अंगूली में रंग लगाने की प्रथा का असली सच… पूरी रिपोर्ट देखिए…
श्रेणी: Khabron Ki Khabar
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बिहार के वोटर की उदासीनता संकेतो की ओर इशारा तो नहीं…
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार के मतदाओं की उदासीनता में गहरा संकेत छिपा होने की आशंका से राजनीति के सूरमाओं की नींद उचट गई है। एनडीए के कई सांसदो के प्रति असंतोष की उभार में पीएम मोदी का आकर्षण की धार भी कुंद पड़ता हुआ दीख रहा है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के राजनीतिक प्रबंधन की वजह से भी एनडीए में सेंधमारी से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोर वोटर की निष्क्रियता, मतदान के घटते प्रतिशत को इंगित करने लगा है। ऐसे में बिहार के मतदाता क्या कोई बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहें है। यह बड़ा सवाल है और इसका जवाब तलाशना भी बहुत आसान नहीं है।
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क्या पूर्णिया से सेट होगा सीमांचल का समीकरण…
बिहार के सीमांचल में समाजवादियों का दुखता हुआ नब्ज क्या है। मुस्लिम बाहुल सीमांचल में क्या मुस्लिम वोटर एकजुट रह पायेंगे। टिकट कटने से नाराज मुस्लिम नेताओं का लोकसभा चुनाव में कितना असर पड़ेगा। प्रचार के शोर में सीमांचल के कुछ कद्दावर मुस्लिम नेताओं की नाराजगी दब जायेगी या उनकी सुबकियों को समय रहते सहलाया जायेगा। सीमांचल का समीकरण बदल गया तो ईवीएम का क्या होगा। आरजेडी की डैमेज कंट्रोल और एनडीए की अंदरखाने असंतोष के बीच सीमांचल का पूर्णिया लोकसभा सीट पर क्यों टिकी है, पूरे देश की नजर…
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तीन तलाक पर हैदराबाद के मुस्लिम महिलाओं का असंतोष क्या वोट के बिखराव का कारण बनेगा…
हैदराबाद को हॉट सीट बनाने में बीजेपी के महत्वपूर्ण भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। असदुद्दीन ओवैसी, मुस्लिमों के लिए बड़ा चेहरा है। हैदराबाद से वो स्वयं उम्मीदवार है। हैदराबाद से जो खबरे आ रही है। निसंदेह, चौकाने वाली है। सहसा यकीन करना मुश्किल हो रहा है। हैदराबाद की सीट को लेकर कॉग्रेस दुविधा में क्यों है। आखिर हैदराबाद में ऐसा क्या हो गया है कि पूरे देश की नजर हैदराबाद पर टिक गई है।
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वायनाड में क्या है जो अमेठी में नहीं, दक्षिण भारत की राजनीति में कितना बदलाव होगा
लोकसभा चुनाव 2024 में पहली बार दक्षिण भारत की राजनीति… राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में है। आलम ये है कि उत्तर भारत के लोग भी इस बार दक्षिण भारत की राजनीति में दिलचस्पी लेने लगे है। ऐसा नहीं है कि इससे पहले दक्षिण भारत को लेकर कोई चर्चा नहीं हुआ या किसी ने कोई समीक्षा नहीं की। ऐसा बिल्कुल नहीं है। पर, जो बात इस बार दक्षिण भारत को प्रमुखता दे रही है… वह है बीजेपी की दक्षिण को लेकर सक्रियता। दरअसल, बीजेपी ने अपने आधार वोट को लेकर दक्षिण में जिस तेजी के साथ अपनी सक्रियता बढ़ाई है… इसकी वजह से दक्षिण भारत की राजनीति… अचानक से राष्ट्रीय पटल पर आ गई है।
यह समझना जरुरी हो जाता है… कि दक्षिण भारत की राजनीति में ऐसा क्या है… जिसको लेकर राष्ट्रीय राजनीति में हलचल है। इस वीडियों में आज दक्षिण भारत के बनते- बिगड़ते समीकरण और सम्भावनाओं को समझने की कोशिश करेंगे। दक्षिण भारत की राजनीति में बीजेपी के लिए कितना स्पेस मुमकिन हो सकता है। कॉग्रेस… बामपंथ और दक्षिण के क्षेत्रीय दलों की वहां… वर्तमान की राजनीति में दिशा और दशा की पड़ताल के साथ… यह वीडियों दिलचस्प होने वाला है। आप अंत तक हमारे साथ बने रहिए।
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ईवीएम में कोई डिवाइस है जो वोट को मैनिपुलेट करता है?
क्या ईवीएम हैक हो सकता है… क्या ईवीएम में कोई ऐसा डिवाइस लगा है, जिसकी मदद से वोट को मैनिपुलेट किया जा सकता है… या इसमें छेड़छाड़ की अन्य और कोई गुंजाइस सम्भव है। ऐसे और भी कई सवाल है… जिसका जवाब जानने के लिए मैंने कई लेख पढ़े। विशेषज्ञो की रिपोर्ट खंगाली और माननीय न्यायालय द्वारा समय–समय पर ईवीएम को लेकर दिए गये सुझाव या फैसला का बारीक अध्ययन करने के बाद… जो जानकारी मेरे हाथ लगी… उसी को लेकर आज आपके बीच आया हूं। दुनिया के कई अन्य देशों में ईवीएम पर रोक क्यों? ऐसे और भी कई सवालों का इस रिपोर्ट में आपको जवाब मिलने वाला है। आप अंत तक इस वीडियों के साथ बने रहिए और अपने विचारों से मुझे भी अवगत कराइए…।
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पीएम मोदी के कॉन्फिडेंस की असली वजह जानिए…
पीएम नरेन्द्र मोदी जिस कॉन्फिडेंस से अपनी चुनाव सभा में 400 पार के नारे दुहराते है। इसके कई मायने हो सकता है। सवाल उठता है कि क्या इसमें कोई बड़ा संकेत छिपा है या यह महज एक चुनावी जुमला बनने वाला है? प्रधानमंत्री जिस कॉन्फिडेंस से इसको बार- बार दुहरा रहा है। इसको हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इस वीडियों में हम उनके इसी कॉन्फिडेंस की पड़ताल करेंगे। साथ ही हम बतायेंगे कि बीजेपी अपना चुनावी एजेंडा कैसे सेट करती है? पड़ताल इस बात की भी करेंगे कि पीएम मोदी में यह कॉन्फिडेंस कहा से आता है? क्या, पिछले दस वर्षो में किए काम के दम पर या युवाओं को फ्यूचर का क्लेयर वीजन दिखा कर? कई लोगों ने बताया कि कमजोर विपक्ष की दिशा विहिन सोच की वजह से पीएम मोदी अपनी जीत के प्रति आश्वास्त है। यहां विपक्ष को दिशा विहिन क्यों कहा जा रहा है? इसकी भी चर्चा करेंगे। आप पूरा वीडियों को देखिए। शायद इसमें आपके मन में उठने वाले कई सवालों का जवाब मिल जाये।
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Food Poisoning से शरीर को कितना नुक़सान हो सकता है…
खाद्य विषाक्तता, या Food Poisoning, एक ऐसी स्थिति है जो दूषित भोजन या पेय पदार्थों के सेवन से होती है। इसमें बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी शामिल हो सकते हैं जो आपके भोजन में रहकर आपको बीमार कर सकते हैं। आमतौर पर, खाद्य विषाक्तता के लक्षण अप्रिय होते हैं, लेकिन अक्सर कुछ दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, खाद्य विषाक्तता अधिक गंभीर हो सकती है और इसके लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
खाद्य विषाक्तता के लक्षण
खाद्य विषाक्तता के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:
- मतली और उल्टी
- दस्त
- पेट में ऐंठन और दर्द
- बुखार
- सिरदर्द
- ठंड लगना
- कमजोरी और थकान
लक्षण दूषित भोजन के सेवन के कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों के बाद तक प्रकट हो सकते हैं।
खाद्य विषाक्तता के कारण
खाद्य विषाक्तता कई कारणों से हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- बैक्टीरिया: साल्मोनेला, ई. कोलाई, लिस्टेरिया और कैंपिलोबैक्टर जैसे बैक्टीरिया खाद्य विषाक्तता के सबसे आम कारणों में से हैं।
- वायरस: नोरोवायरस, रोटावायरस और हेपेटाइटिस ए वायरस भी खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकते हैं।
- परजीवी: जिआर्डिया, क्रिप्टोस्पोरिडियम और टोक्सोप्लाज्मा जैसे परजीवी खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकते हैं।
खाद्य विषाक्तता से बचाव
खाद्य विषाक्तता को रोकने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं:
- अपने हाथों को अक्सर धोएं: खाने से पहले, खाने के दौरान, और खाने के बाद साबुन और पानी से अपने हाथों को अच्छी तरह धोएं।
- अपने भोजन को अच्छी तरह से पकाएं: कच्चे मांस, मुर्गी और मछली सहित भोजन को सुरक्षित तापमान पर पकाना सुनिश्चित करें।
- कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थों को अलग रखें: कच्चे और पके हुए खाद्य पदार्थों, बर्तनों और सतहों के बीच क्रॉस-संदूषण से बचें।
- भोजन को सही तापमान पर स्टोर करें: खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को फ्रिज में रखें और जल्द से जल्द खा लें।
- समाप्त हो चुके भोजन का सेवन न करें: उपयोग करने और एक्सपायरी तिथि के बाद भोजन का सेवन न करें।
खाद्य विषाक्तता का उपचार
खाद्य विषाक्तता के अधिकांश मामले हल्के होते हैं और बिना किसी चिकित्सा उपचार के अपने आप ठीक हो जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप को हाइड्रेटेड रखें और खोए हुए तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को बदलने के लिए पानी या ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन पिएं।
यदि आपके लक्षण गंभीर हैं या आपको निर्जलीकरण का खतरा है, तो चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
खाद्य विषाक्तता एक अप्रिय और कभी-कभी गंभीर बीमारी हो सकती है। अपने भोजन को संभालने, तैयार करने और भंडारण करते समय अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करके, आप अपने आप को और अपने परिवार को खाद्य विषाक्तता से बचा सकते हैं।
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राजनीतिक सौदेबाज़ी: भारत और वैश्विक राजनीति पर इसका प्रभाव
इस वीडियो में, हम राजनीतिक सौदेबाज़ी के इतिहास और भारत की आज़ादी के बाद से लेकर आज तक इसके प्रभावों पर गहराई से चर्चा करेंगे। जानें कैसे यह विवादास्पद तरीका वैश्विक स्तर पर चुनावों और नीतियों को प्रभावित करता है। राजनीतिक शक्ति के खेल को समझने के लिए तैयार हो जाइए!
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भारत रत्न: किसे दिया जाता है पुरस्कार और मिलती हैं क्या सुविधाएं
भारत रत्न, भारतीय समाज में सर्वोच्च नागरिक सम्मान के रूप में अभिज्ञान होता है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए होता है जो नागरिकता, कला, साहित्य, और विज्ञान में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर हैं। इस प्रतीक पुरस्कार का स्थान भारतीय समाज में बहुत बड़ा है और यह उन व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता है जिन्होंने देश के लिए अद्भुत कार्य किए हैं।
पुरस्कार का मूल्य: भारत रत्न का प्राप्त करना एक बड़ी गौरवशाली क्षण होता है। इससे व्यक्ति न केवल स्वयं को बल्कि पूरे देश को गर्वित महसूस करता है। प्रतिष्ठान्वित व्यक्तियों को यह पुरस्कार उनके उद्दीपनकारी कार्यों के लिए मिलता है जिनसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन हुआ हो।
कौन कौन प्राप्त कर सकता है: इस पुरस्कार को सरकार विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता की मिसालें प्रदान करने वाले व्यक्तियों को सालाना प्रदान करती है। इसमें लोगों को समाजसेवा, कला, साहित्य, विज्ञान, खेल, और औद्योगिक विकास क्षेत्र में किए गए अत्युत्तम योगदान के आधार पर चयन किया जाता है।
सुविधाएं: जो व्यक्ति इस पुरस्कार को प्राप्त करता है, उसे सामाजिक और आर्थिक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इसके साथ ही, सम्मानित व्यक्ति को एक विशेष पारिवारिक सुरक्षा भी प्राप्त होती है। उन्हें एक विशेष प्रतिष्ठा भी मिलती है जिससे वे समाज में एक प्रेरणा स्त्रोत बनते हैं।
भारत रत्न एक ऐसा पुरस्कार है जो व्यक्तियों को उनके उद्दीपनकारी योगदान की सार्वजनिक स्वीकृति प्रदान करता है। इससे न केवल उनकी स्थिति मजबूत होती है, बल्कि यह एक उदाहरण स्थापित करता है जो अन्यों को भी अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की दिशा में प्रेरित कर सकता है।”
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बाबा साहेब ने इन खतरों की ओर किया था इशारा
संविधान सभा में दिए अपने आखिरी भाषण में बाबा साहेब डॉ. बीआर आंबेडकर ने कई बातों की ओर इशारा किया था। वो बातें आज भी मौजू है। आजादी के बाद की राजनीति में हमने बाबा साहेब को संकीर्णता में समझने की बड़ी भूल कर दी। अब उनके संपूर्ण और समग्र व्यक्तित्व को समझने की बहुत जरुरत है। अखंडता का मतलब सिर्फ भूगोल की एका से नहीं है। बल्कि, दिलों में पल रहें नफरती सोच से है। दूसरो के प्रति सार्वभौमिक सम्मान से है। सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि सम्यक कर्तव्य से है। सत्ता शीर्ष और उसके शिखर पर पहुंचने की आपाधापी में हमने इसे खंडित कर दिया है। कुंठित कर दिया है। कुंठा से पनपे इसी अवसाद को बाबा साहेब ने बहुत पहले पहचान लिया था। उन्होंने इसके उपाय भी सुझाए है। पर, दुर्भाग्य से हमने उसका अनुसरण नहीं किया। बाबा साहेब ने इस खतरा को बहुत पहले ही माप लिया था। बातों को ठीक से समझने के लिए देखिए पूरा वीडियो….
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गुलाम भारत की अनकही दास्तान
गुलाम भारत की महत्वपूर्ण कहानी संक्षेप में…। ईस्ट इंडिया कंपनी के आने से लेकर भारत के आजाद होने तक…। क्या हुआ… कैसे हुआ और क्यों हुआ…? उन दिनों की संघर्ष, जुझाडूपन और अंगड़ाई लेती उम्मीदों को समझने की कोशिश करेंगे। दरअसल, राजनीतिक नफा- नुकसान की वजह से हमने अपनी गौरवमय इतिहास को उलझा दिया है। लोग गुमराह होने लगे हैं। इसका सर्वाधिक खामियाजा युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। यह कहानी चार हिस्सों में है इसे चार कालखंडों में भी कहा जा सकता है। जानकारी रोचक और दिलचस्प है। देखिए, पूरा वीडियों….।
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कुढनी उपचुनाव जनादेश में छिपा है कई संकेत
कुढनी विधानसभा, मुजफ्फरपुर जिला में आता है। विधानसभा के उपचुनाव को लेकर यह इलाका बिहार के राजनीति का प्रयोगशाला बन चुका था। परिणाम की घोषणा होते ही उन तमाम प्रयोगो की परिणाम लोगो के सामने आ गया है। इसमें छिपे संकेत के आधार पर लोग पूछने लगे कि क्या बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इकबाल अब खत्म हो चुका है? क्या बार- बार पाला बदलने से नीतीश कुमार की छवि डैमेज हुई है? जदयू से अलग होने के बाद बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार कैसे हो गया है? क्या जदयू का वोट अब बीजेपी में सिफ्ट करने लगा है? सवाल इसलिए भी क्योंकि राजद को अभी तक जदयू के साथ आने का कोई बड़ा लाभ नहीं मिला है। ऐसे और भी कई सवाल है, जो इस समय बिहार की राजनीति में उठने लगा है। इसमें क्या सही है और क्या गलत? देखिए, इस रिपोर्ट में…
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वैज्ञानिकों के खिलाफ रची गई चौंकाने वाली साजिश
भारत के वैज्ञानिक जो किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम पूरा करने से पहले ही रहस्यमय तरीके से मौत की आगोश में समां गए। कई ऐसे है जिन्हें आज भी मारने की कोशिश की जा रही है। वैज्ञानिकों के मौत की फेहरिस्त बहुत लंबी है। यह महज एक संयोग है या साजिश? यह बड़ा सवाल है। इन खबरों को हमने कभी गंभीरता से लिया ही नहीं। लिहाजा, इस पर बात करना आज बहुत जरूरी हो गया है। आप पूरी रिपोर्ट देखेंगे तो चौक जायेंगे।
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बिहार के उपचुनाव परिणाम में छिपा है कई रहस्य
बिहार की राजनीति इस वक्त टर्निंग प्वाइंट पर है। मोकामा और गोपालगंज के विधानसभा उप चुनाव का जो परिणाम आया है, इसमें कई रहस्य छिपा है। इसको डीकोड करते ही अंदर की कई बातें परत दर परत खुल जायेगी। खुलाशा चौकाने वाला है और इसमें भविष्य का संकेत छिपा है। इसको ठीक से समझने के लिए बारीक विश्लेषण के साथ देखिए पूरी रिपोर्ट….
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क्या दुनिया परमाणु विनाश के मुहाने पर खड़ी है
दुनिया परमाणु युद्ध के मुहाने पर है। रूस ने अपने परमाणु वार को एक्टिव कर दिया है। दूसरी ओर नाटो की सेना भी एक्टिव मोड पर है। यानी यूक्रेन क्राइसिस अब खतरनाक मोड़ पर है। इधर, ताइबान को हड़पने के लिए चीन की सनक भी खतरे का संकेत दे रही है। ऐसे में किसी भी एक पक्ष से चूक हुई तो ताबड़तोड़ परमाणु युद्ध शुरू होने का खतरा मंडराने लगा है। इसका असर पूरे दुनिया पर होगा। भारत भी अछूता नहीं रहेगा। खतरा कितना बड़ा है और इसका अंजाम क्या होगा? देखिए, इस रिपोर्ट में…
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सुनक को लेकर उत्साह, कितना सही और कितना गलत
ऋषि सुनक जब से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने है, भारत में बड़ा उत्साह है। राजनीति के गलियारे में तो जैसे सुनामी आ गई है। हमारे देश में उच्चकोटी के राजनेता जिस तरह से सवाल उत्पन्न करके लोगो को गुमराह कर देते है। दरअसल, वह चिंता का विषय बनता जा रहा है। सुनक को लेकर जो उत्साह है, उसमें कितनी सच्चाई है? चर्चिल ने क्या कहा था? ऐसे और भी कई सवाल है। इस रिपोर्ट में हम उन सभी सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे।
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दीपावली का स्वास्थ्य और पर्यावरण से क्या है रिश्ता
दीपावली का स्वास्थ्य और पर्यावरण से गहरा रिश्ता है। दरअसल, उमस भरी गर्मी के बाद बरसात का महीना आते ही जल जमाव की वजह से सीलन हो जाता है। इससे कीटाणु उत्पन्न होता है। ऐसे में घर की ठीक से साफ- सफाई करना जरूरी हो जाता है। ताकि, सीलन कम हो जाये और कीटाणु को पनपने का मौका नहीं मिले। दूसरी ओर जो कीट अभी तक पनप चुका है, उसको दीप जला कर कम किया जा सकता है1 हालांकि, यह प्रयास किसी एक व्यक्ति या एक परिवार के द्वारा बहुत कारगर नहीं हो सकता है। इसको समूह में और एक साथ करना होगा। ताकि, कीटों को एक जगह से छिप कर दूसरे जगह बचने का मौका नहीं मिले। शायद इसी प्रयास को दीपावली कहा गया होगा। जी हां… दीपावली। जिसकी आज हम जिक्र करने वाले है।
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स्वामी विवेकानन्द का नाइन इलेवन से क्या है रिश्ता
ग्यारह सितम्बर… जिसको आधुनिक भाषा में नाइन इलेवन कहा जाता है। इस शब्द को सुनते ही वर्ष 2001 के 11 सितम्बर को अमेरिका के न्यूयार्क शहर की वह भयानक तस्वीर याद आती है। जहां अलकायदा के आतंकियो ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला करके उसको ध्वस्त कर दिया था। उसी अमेरिका का शिकागो शहर हमें याद नहीं आता है। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। हम बात कर रहे है 11 सितम्बर 1893 की। अमेरिका के शहर शिकागो में उन दिनों विश्व धर्म सम्मेलन चल रहा था। वह 11 सितम्बर का दिन था, जब स्वामी विवेकानन्द ने दुनिया को भारत का दर्शन बताया था।
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एक योद्धा जो भारत के लिए लड़ा और भारत के खिलाफ भी
एक सिपाही, जो गुलाम भारत में अंग्रेजों के लिए लड़ा। आजाद भारत में भारत के लिए लड़ा और आखिरकार भारत के खिलाफ चल रहे खालिस्तान के लिए भी लड़ा। अंत में लड़ते हुए मारा गया। देश पर अपनी जान न्योछावर करने वाला वह योद्धा आखिरकार आतंकवादी कैसे बन गया? यह जानकारी बहुत ही दिलचस्प है। दरअसल, यह कहानी है कि जनरल शाबेग सिंह की। जनरल साबेग सिंह कौन थे, कैसे थे और आतंक की शरण में क्यों गये? उनकी सख्सियत से जुड़ी पूरी जानकारी बड़ा ही दिलचस्प है और आज हम इसी जानकारी की पड़ताल करेंगे।