भारत में प्रदूषण की बड़ी वजह सिर्फ वाहन ही नहीं है। बल्कि, वैज्ञानिक साधन भी है। कारखानो से निकलने वाला जहरिला धुंआ है। सच कहें तो आपका फ्रिज, कूलर, एयरकन्डिसनर और कास्टिक सोडा प्रदूषण की बड़ी वजह है। शराब का कारखाना, एल्यूमिनियम, कॉपर और जिंक निर्माण प्रदूषण को फैलाने में अहम भूमिका निभा रही है। इतना ही नहीं रंग, उर्बरक, लोहा, कीटनाशक, पेट्रोरसायन, औषधी निर्माण, कागज निर्माण, रिफाइनरी, चीनी मील, धूलकण और कंक्रिट निर्माण आदि प्रदूषण की बड़ी वजह बन चुकी है। डीजे और ध्वनिविस्तारक यंत्र ने शहर के साथ-साथ गांवों में भी लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। कमोवेश यही हाल जल प्रदूषण का है। हालात कितना बिकड़ाल हो चुका है। इसी विषय की पड़ताल करती हमारी यह रिपोर्ट…
श्रेणी: KKN Special
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मानव जीवन के लिए खतरा बना प्रदूषण
बिहार के मुजफ्फरपुर में हुआ संगोष्ठी
KKN न्यूज ब्यूरो। साइंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. राम दिनेश शर्मा ने कहा कि मौजूदा समय में प्रदूषण से मानव जीवन खतरे में पड़ गया है। बड़े शहरो के साथ-साथ अब छोटी शहरो में भी प्रदूषण का खतरा दस्तक देने लगा है। कहा कि समय रहते इसकी रोकथाम नहीं हुई, तो जीवन को बचा पाना मुश्किल हो जायेगा। मंगलवार को बिहार के मुजफ्फरपुर में जिरोमाइल पर स्थित होटल गायत्री पैलेस में अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ (भारत) की ओर आयोजित प्रदूषण और पार्यावरण पर एक दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए डॉ. राम दिनेश शर्मा ने प्रदूषण की रोकथाम के कई उपाय भी बताये।
विकासवाद का साइड इफेक्ट
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए एनटीपीसी के प्रबंधक एसडी कुमार ने कहा कि प्रदूषण की समस्या विकासवाद की साइड इफेक्ट है। कहा कि विकास को हम नहीं रोक सकते है। किंतु, कचड़ा प्रबंधन का कड़ाई से पालन करके समस्या को कम किया जा सकता है। एपीपी अरुण कुमार सिंह ने लोगो को जागरुक करके प्रदूषण को कम करने की बात कही। वहीं अवकाश प्राप्त कार्यपालक अभियन्ता राघवेन्द्र झा ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए तीन स्तर पर काम करने का सुझाव दिया।
प्रति वर्ष 42 लाख लोगो की होती है मौत
संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष कौशलेन्द्र झा ने कहा घरेलू कारणो से 22 प्रतिशत प्रदूषण फैल रहा है। ध्वनि प्रदूषण से शहर के साथ-साथ आज गांव भी कराह रहा है। प्रत्येक वर्ष प्रदूषण की वजह से करीब 42 लाख लोगो की मौत हो रही है। कहा कि सरकार अपना काम कर रही है। समय आ गया है कि इसके लिए लोगो को जागरुक किया जाये और सरकार के साथ मिल कर प्रदूषण की समस्या का समाधान किया जाये।
इन्होंने रखे अपने विचार
संगोष्ठी का संचालन डॉ. श्यामबाबू प्रसाद ने किया और धन्यवाद प्रदेश सचिव नीरज कुमार ने किया। संगोष्ठी को प्रदेश महासचिव अशोक झा, ननील सिंह, भोला प्रेमी, कृृृृृृृृृृष्णमाधव सिंह, सीमा वर्मा, राज कुमार, शिक्षक रामबिराजी सिंह, मुखिया अजय कुमार, आईडीएफ के डॉ. शकील अहमद, कपीलेश्वर प्रसाद, अमृता मौर्य, विरेन्द्र कुमार सहित दो दर्जन से अधिक लोगो ने संबोधित किया।
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32 बिहार बटालियन ने बाढ़ पीड़ितो को दिए भोजन सामग्री
KKN लाइव न्यूज ब्यूरो। 32 बिहार बटालियन ने मुजफ्फरपुर के रेडक्रॉस सोसाइटी की मदद से मीनापुर के जामिन मठियां पंचायत के डुमरिया प्राथमिक विद्यालय में शिविर लगा कर गुरुवार को गांव के 250 बाढ़ पीड़ित परिवार के बीच राहत सामग्री का वितरण किया और वहां मौजूद लोगो को आपदा प्रबंधन की जानकारी दी।
250 परिवार हुए लाभान्वित
शिविर का नेतृत्व कर रहे 32 बिहार बटालियन के लेफ्टिनेंट कर्नल मनमोहन ठाकुर ने बताया कि उनकी बटालियन की ओर से चिन्हित किए गये गांव के 250 बाड़ पीड़ित परिवार को प्रत्येक परिवार 12 किलो का भोजन सामग्री दिया गया है। इसमें चावल, दाल, आटा, तेल, मशाला, चीनी और चायपत्ती शामिल है। कर्नल ठाकुर ने बताया कि इस कार्य में कांटी के आरसीएनडी कॉलेज के एनसीसी कैडेट की बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि एनसीसी के कैडेट ने अपने समाजिक उत्तरदायित्व को पूरा करतें हुए मानवता की सेवा की है और आगे भी इस तरह की सेवा करते रहने का संकल्प लिया है।
ये भी थे मौजूद
इस मौके पर कांटी के आरसीएनडी कॉलेज के प्रचार्य एके दास, मुखिया संजू देवी, राकेश राय व शिक्षक विश्वनाथ रजक और एनसीसी के कैडेट विशाल व संजीत सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। गांव के लोगो ने मदद के लिए 32 बिहार बटालियन के प्रति आभार प्रकट किया है।
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बूढ़ी गंडक के कटाव पीड़ितो का छलका दर्द
मीनापुर में बूढ़ी गंडक का रौद्ररूप
KKN न्यूज ब्यूरो। बूढ़ी गंडक नदी के मुहाने पर अपने उजड़े आशियाना की ओर इशारा करते हुए अधेड़ उम्र समुन्दरी देवी कहती है कि ‘कलुकी रात में ही घर के सभ्भे समान निकाल के बहिन के यहां टेंगरारी रख अइली…।’ अपने हाथों से अपना आशियाना उजाड़ रही गीता देवी को नहीं पता है कि अब वह कहां जा कर बसेगी। गीता कहती है कि ‘घर के अलाबा एक्को धूर जमीन न हय…।’ वहीं खड़ी रीता देवी सहित कई अन्य लोगो ने बताया कि ‘रात भर जगले छी, की मालुम की कखनी हमरो घर…।’ तार का बड़ा सा पेंड़ नदी में समाने के बाद अब बारी गीता के घर की है। पूरे गांव में हड़कंप मचा है। जिसको देखो, वह अपने हाथों अपना आशियाना उजाड़ रहा है। नदी के मुहाने पर बसे लोगों में अपने समान को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की अफरा-तफरी मची है।
अपना आशियाना उजाड़ते लोग यह नजारा है बिहार के मीनापुर प्रखंड के रघई गांव की। दोपहर बाद रघई पहुंचते ही कटाव पीड़ितो का दर्द कुछ इस प्रकार छलका। वकील सहनी अपने पूरे परिवार के साथ अपना घर उजाड़ कर उखड़े हुए ईट और अन्य सामन को ट्रैक्टर पर लादने की जल्दी में थे। पूछने पर कहने लगे कि अब कभी भी उनका घर कट सकता है। बूढ़ी गंडक की धारा बमुश्किल से दस फीट ही दूर रह गयी है। कटाव का खतरा अकेले वकील सहनी को है, ऐसा नहीं हैं। बल्कि, जयंति देवी, सीमा देवी, नन्दकिशोर ठाकुर और दशरथ साह सहित करीब तीन दर्जन परिवार के लोग अपने सामान को सुरक्षित स्थानो पर पहुंचाने की भागदौर में लगे दिखे।
मौके पर मौजूद रघई के मुखिया चन्देश्वर प्रसाद लोगो को समझाने की कोशिश कर रहें हैं। श्री प्रसाद बतातें हैं कि तत्काल कटाव की रोकथाम के लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा भेजी गई बालू के बैग को कटाव स्थल पर लगना जरुरी है। किंतु, गांव के लोग मानने को तैयार नहीं है। गांववाले ईट और पत्थर डाल कर कटाव की स्थाई रोकथाम करने की मांग पर अरे हुएं है।रघई और घोसौत में हड़कंप
मीनापुर के रघई और घोसौत गांव के समीप बूढ़ी गंडक नदी के रौद्ररूप धारण कर लेने से यहां हड़कंप मचा हुआ है। अकेले रघई के करीब तीन दर्जन से अधिक परिवार नदी के मुहाने पर आ गएं हैं। लोग रतजगा कर रहें हैं और अपने हाथों से अपने घर को तोड़ कर सुरक्षित स्थान की ओर की ओर तेजी से पलायन करने लगें हैं।
इस बीच कटाव की रोकथाम के लिए जल संसाधन विभाग ने गुरुवार को बालू से भरा 10 हजार बैग लेकर कटाव की रोकथाम करने की कोशिश करनी चाही। किंतु, ग्रामीणो के जबरदस्त विरोध के कारण बालू के इस बैग को बैरंग लौटाना पड़ा है। गांव के नोखेलाल सहनी, गेनालाल सहनी और भरत साह सहित एक दर्जन से अधिक लोगो ने बताया कि यहां बालू के बैग से कटाव को रोकना मुमकिन नहीं है। ग्रामीण गिट्टी और पत्थर के सहारे कटाव की रोकथाम करने की मांग पर अरे है।कटाव पीड़ितो की बढ़ी संख्या
कटाव पीड़ितो की हकीकत रघई के रमेश साह, अरुण साह, केदार साह, प्रेमलाल साह और रामबाबू साह का घर गुरुवार को बूढ़ी गंडक नदी में विलिन हो गया। हालांकि, ये सभी लोग बुधवार को ही अपना घर खाली कर चुकें थे। बूढ़ी गंडक नदी के रौद्ररूप धारण कर लेने से किनारे बसे रघई के हरिचरण साह, सुरेश साह, रंजीत कुमार गुप्ता, रामकिशोर साह, जगन्नाथ साह, नन्दकिशोर ठाकुर और कपीलेश्वर ठाकुर का घर अब नदी के मुहाने पर आ गया है। उधर, घोसौत गांव के मो. अनवर, मो. अख्तर, मो. शहीद और मो. शमशूल का घर भी कटाव की चपेट में आ गया है। नतीजा, दोनो गांव के कई दर्जन परिवार पूरी रात जग कर अपने घर को खाली करने में लगें हैं।
मुखिया ने छह महीना पहले ही लगाई थीं गुहार
रघई पंचायत के मुखिया चन्देश्वर प्रसाद ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष के 10 जनवरी को ही जिलाधिकारी, एसडीओ पूर्वी और जल संसाधन विभाग के अधिकारी को पत्र लिख कर अगाह कर दिया था। इसके बाद 22 जनवरी को सूबे के मुख्यमंत्री को फैक्स भेज कर मुखिया ने समय रहते कटाव की रोकथाम करने की गुहार लगाई थी। किंतु, किसी भी अधिकारी की नींद नहीं खुली। इस बीच जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने रघई के 2,200 फीट में कटाव की रोकथाम के लिए 3.50 करोड़ रुपये की एक योजना बनाई। किंतु, इस पर समय रहते अमल नहीं हो सका
नदी के कटाव का दृश्य क्या कहतें हैं अधिकारी
मीनापुर के अंचलाधिकारी ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि कटाव की रोकथाम के लिए तत्काल बालू और मिट्टी का बैग डालने के लिए ग्रामीणो को सहमत करने की कोशिश की जा रही है। बाद में नदी की जलस्तर में कमी आते ही कटाव की स्थायी रोकथाम के उपाए कियें जायेंगे। इसके अतिरिक्त कटाव की चपेट में आये परिवार के पुर्नवास के लिए सरकारी जमीन की तलाश की जा रही है।
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शून्य’ से ‘शिखर’ तक का सफर…
चाय की दुकान से पीएमओ तक
नरेन्द्र मोदी वह, साल 1950 का दिन था। गुजरात के वडनगर में बेहद ही साधारण परिवार में एक बच्चे ने जन्म लिया था। कालांतर में दुनिया ने उसे नरेन्द्र मोदी के नाम से पहचाना। एक चाय बेचने वाले कभी देश का पीएम भी बनेगा ये किसी ने सोचा नहीं था। मोदी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया। बचपन से ही उनका संघ की तरफ खासा झुकाव रहा और गुजरात में आरएसएस का मजबूत आधार भी था। मोदी 1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुंचे और उसी साल उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली। इसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए। इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुकें हैं।
भाजपा में हुए शामिल
वर्ष 1980 के दशक में जब मोदी गुजरात की भाजपा ईकाई में शामिल हुए तो माना गया कि पार्टी को संघ के प्रभाव का सीधा फायदा होगा। इसके बाद मोदी को वर्ष 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात ईकाई के महासचिव बना दिया गया। नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए।
देेेेश की राजनीति में धमक
नरेन्द्र मोदी मोदी को 1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया। इसके बाद 1998 में उन्हें संगठन का महासचिव बनाया गया। इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे। लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई। उस समय गुजरात में भूकंप आया था और भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। मुख्यमंत्री बनतें ही मोदी ने बेहतर प्रशासनिक प्रबंधन की अपनी कौशल से देश को परिचय दिया।
गोधरा ने दी सुर्खियां
मोदी के सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा कांड हो गया। इसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए। इसके ठीक बाद फरवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भड़क उठे। इन दंगों में सरकार के मुताबिक एक हजार से ज्यादा और ब्रिटिश उच्चायोग की एक स्वतंत्र समिति के अनुसार लगभग दो हजार लोग मारे गए। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौर किया तो उन्होंनें मोदी को ‘राजधर्म निभाने’ की सलाह दे दी। उस वक्त इसको वाजपेयी की नाराजगी के संकेत के रूप में देखा गया था।
दंगा नही रोकने का लगा आरोप
मोदी पर आरोप लगे कि वे दंगों को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। जब भारतीय जनता पार्टी में उन्हें पद से हटाने की बात उठी तो उन्हें तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे की ओर से समर्थन मिला और वे पद पर बने रहे। गुजरात में हुए दंगों की बात कई देशों में उठी और मोदी को अमरीका जाने का वीजा रोक दिया गया। ब्रिटेन ने भी दस साल तक उनसे अपने रिश्ते तोड़े लिए।
राजनीति पर बढ़ी पकड़
मोदी पर आरोप लगते रहे लेकिन राज्य की राजनीति पर उनकी पकड़ लगातार मजबूत होती गई। मोदी के खिलाफ दंगों से संबंधित कोई आरोप किसी कोर्ट में सिद्ध नहीं हुए। हालांकि, खुद मोदी ने भी कभी दंगों को लेकर न तो कोई अफसोस जताया है और न ही किसी तरह की माफी मांगी है। महत्वपूर्ण है कि दंगों के चंद महीनों के बाद ही जब दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनावों में मोदी ने जीत दर्ज की तो उन्हें सबसे ज्यादा फायदा उन इलाकों में हुआ जो दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित थे।
विकास को बनाया मुद्दा
नरेन्द्र मोदी इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने गुजरात में विकास को मुद्दा बनाया और फिर जीतकर लौटे। फिर 2012 में भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा गुजरात विधानसभा चुनावों में विजयी हुए। इसकेब बाद बारी थीं, राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण की और वर्ष 2014 में बीजेपी ने मोदी के नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ केन्द्र की सत्ता में आ गई और मोदी प्रधानमंत्री बन गए। पांच वर्षो तक सबका साथ सबका विकास के नारो के साथ सरकार चली। इस दौरान देश और दुनिया में भारत का मान बढ़ा और मोदी के नेतृत्व में भारत सशक्त राष्ट्र बन कर उभरा। अब बारी थी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की और मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने एक बार फिर से प्रचंड बहुमत प्राप्त कर लिया है। आज एक बार मोदी प्रधानमंत्री का शपथ लेने वालें हैं।
घड़ियाल पकड़ लाये थे मोदी
क्या आप जानते हैं, गुजरात में अपना जादू बिखेरने वाले नरेंद्र मोदी का एक वक्त ऐसाा भी था जब उन्होंने चाय की दुकान भी लगाई थीं। मोदी के जीवन में इसी तरह के कई उतार-चढ़ाव आए। नरेंद्र मोदी बचपन में आम बच्चों से बिल्कुल अलग थे। एक बार वो घर के पास के शर्मिष्ठा तालाब से एक घड़ियाल का बच्चा पकड़कर घर लेकर आ गए। उनकी मां ने कहा बेटा इसे वापस छोड़ आओ, नरेंद्र इस पर राजी नहीं हुए। फिर मां ने समझाया कि अगर कोई तुम्हें मुझसे चुरा ले तो तुम पर और मेरे पर क्या बीतेगी, जरा सोचो। बात नरेंद्र को समझ में आ गई और वो उस घड़ियाल के बच्चे को तालाब में छोड़ आए।
रंगमंच पर जलबा
नरेंद्र मोदी को हम कई तरह के गेट अप में देखते हैं। दरअसल स्टाइल के मामले में मोदी बचपन से ही थोड़े अलग थे। कभी बाल बढ़ा लेते थे तो कभी सरदार के गेट अप में आ जाते थे। रंगमंच उन्हें खूब लुभाता था। नरेंद्र मोदी स्कूल के दिनों में नाटकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और अपने रोल पर काफी मेहनत भी करते थे। नरेंद्र मोदी वड़नगर के भगवताचार्य नारायणाचार्य स्कूल में पढ़ते थे। पढ़ाई में नरेंद्र एक औसत छात्र थे, लेकिन पढ़ाई के अलावा बाकी गतिविधियों में वो बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे। एक तरफ जहां वो नाटकों में हिस्सा लेते थे, वहीं उन्होंने एनसीसी भी ज्वाइन किया था। बोलने की कला में तो उनका कोई जवाब नहीं था, हर वाद विवाद प्रतियोगिता में मोदी हमेशा अव्वल आते थे।
सन्यासी बनने की थीं इच्छा
नरेन्द्र मोदी बचपन में नरेंद्र मोदी को साधु संतों को देखना बहुत अच्छा लगता था। मोदी खुद संन्यासी बनना चाहते थे। संन्यासी बनने के लिए नरेंद्र मोदी स्कूल की पढ़ाई के बाद घर से भाग गए थे और इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे और आखिर में हिमालय पहुंच गए और कई महीनों तक साधुओं के साथ घूमते रहे। आरएसएस नेताओं का ट्रेन और बस में रिजर्वेशन का जिम्मा उन्हीं के पास होता था। इतना ही नहीं गुजरात के हेडगेवार भवन में आने वाली हर चिट्ठी को खोलने का काम भी नरेंद्र मोदी को ही करना होता था।
आरएसएस के बने चहेते
नरेंद्र मोदी का मैनेजमेंट और उनके काम करने के तरीके को देखने के बाद आरएसएस में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने का फैसला लिया गया। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीय कार्यालय नागपुर में एक महीने के विशेष ट्रेनिंग कैंप में बुलाया गया। नरेंद्र मोदी को पतंगबाजी का भी शौक है। सियासत के मैदान की ही तरह वो पतंगबाजी के खेल में भी अच्छे-अच्छे पतंगबाजों की कन्नियां काट डालते हैं।
रथ यात्रा
90 के दशक में नरेंद्र मोदी ने आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या रथ यात्रा में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसके बाद उन्हें उस वक्त के बीजेपी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा का संयोजक बनाया गया। ये यात्रा दक्षिण में तमिलनाडु से शुरू होकर श्रीनगर में तिरंगा लहराकर खत्म होनी थी।
बेहतर बिकल्प देने की जिद
उद्योग की बात हो या कृषि की, मोदी ने लोगों के सामने एक बेहतर विकल्प देने की हमेशा कोशिश की। नतीजा यह रहा कि कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने उनके काम की तारीफ की। नरेंद्र मोदी काम करना जानते हैं और सबसे बड़ी बात यह कि उस काम की पूरी कीमत वसूल करना भी उन्हें बखूबी आता है। नागरिको को उसकी अस्मिता से जोड़ने की बात हो या फिर विकास को महिमामंडित करने की बात, वह हर कला में माहिर हैं।
त्वरित निर्णय में महारथ
वर्ष 2008 में मोदी ने टाटा को नैनो कार संयंत्र खोलने के लिए आमंत्रित किया। अब तक गुजरात बिजली, सड़क के मामले में काफी विकसित हो चुका था। देश के धनी और विकसित राज्यों में उसकी गिनती होने लगी थी। मोदी ने अधिक से अधिक निवेश को राज्य में आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद देश के लिए उनका यही अनुभव काम आया और कई लोकप्रिय योजना चला कर मोदी सबके चहेते बन गए।
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एक दर्जन मिराज विमानों ने एलओसी पार करके तबाह किए जैश के कैंप
40 जवानो की शहादत के बदले 200 आतंकी मारे गए
भारत के करीब एक दर्जन मिराज विमानो ने मंगलवार तड़के एलओसी पार करके पाकिस्तान के भीतर घुस कर हवाई हमले करके कई आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया है।एक दर्जन मिराज विमानो ने लिया बदला
सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि भारतीय वायुसेना के विभिन्न लड़ाकू विमानों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में पाकिस्तान स्थित कई आतंकवादी समूहों के शिविरों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया है। भारतीय वायुसेना ने यह कार्रवाई पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद की है। बताया जा रहा है कि इस हमले में 200 से 300 आतंकी मारे गए है। पाकिस्तान की सेना ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारतीय वायुसेना ने मुजफराबाद सेक्टर में नियंत्रण रेखा यानी एलओसी) का उल्लंघन किया है।
हाई लेवल बैठक शुरू
पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना के हमले के बाद मंगलवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक हो रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण बैठक में मौजूद हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और प्रधानमंत्री कार्यालय के अन्य शीर्ष अधिकारी सहित सुरक्षा विभाग से जुड़े तमाम आला अधिकारी बैठक में मौजूद हैं।
वायुसेना ने इन ठिकानो को बनाया निशाना
सूत्रों के अनुसार वायुसेना के 10 से 12 मिराज लड़ाकू विमानों ने तड़के साढ़े तीन बजे मुजफ्फराबाद, बालाकोट और चकोटी जैसे क्षेत्रों में भारी बमबारी की जिसमें पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कई कैंप पूरी तरह जमींदोज हो गये। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में आतंकवादियों के मारे जाने की भी बात कही जा रही है।प्रधानमंत्री ने सोमवार को राष्ट्रीय शहीद स्मारक का उद्घाटन किया और 24 घंटे के भीतर शहीद जवानो को दिया श्रद्धांजलि… बधाई।
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अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ (भारत) के द्वारा आयोजित प्रांतीय सेमिनार से लाइव
विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ (भारत) की ओर से बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित होटल गायत्री पैलेस में आयोजित सेमिनार से सीधा प्रसारण
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भारत के संविधान निर्माण में महिलाओं का योगदान
संविधान दिवस पर विशेष
क्या आपको मालुम है कि भारत के संविधान निर्माण में अन्य विभूतियों के अलावा 15 महिलाओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है? दरअसल, आज संविधान दिवस है। स्मरण रहें कि आज ही के दिन, यानी 26 नवंबर 1949 को भारत गणराज्य का संविधान तैयार हुआ था। सरकार ने पहली बार 2015 में संविधान दिवस को सरकारी तौर पर मनाने का फैसला किया और तब से प्रत्येक वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में याद किया जाता है।
सेंट्रल लाइब्रेरी के स्ट्रांग रूम में सुरक्षित है मूल प्रति
दरअसल, संविधान दिवस मनाने का मकसद यह है कि नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत किया जाये और समाज में संविधान के महत्व का प्रसार किया जाये। आपको बतातें चलें कि संविधान लागू होने के दो दिन पहले, यानी 24 जनवरी 1950 को संविधान की तीन प्रतियों पर संविधान सभा के सभी 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। यह तीनों प्रतियां संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में बने स्ट्रांग रूम में आज भी सुरक्षित है। संविधान के पारित होते ही काफी देर तक वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारों से संसद का केंद्रीय कक्ष गूंजता रहा था। इसके बाद अरुणा आसफ अली की बहन पूर्णिमा बनर्जी ने राष्ट्रगान गाया था। संविधान पर सबसे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए थे।
संविधान के 22 भागों में बना है 22 चित्र
भारत के संविधान के सभी 221 पेज पर चित्र बने है। इस चित्र को सजाने काम का काम आचार्य नंदलाल बोस को सौंपा गया था। उनके मार्गदर्शन में उनके शिष्यों ने संविधान को डिजाइन देने का काम किया था। इस काम में उन्हें चार साल लगे थे। इसके लिए उन्हें 21 हजार रुपये मेहनताना दिया गया था। संविधान के सबसे अहम पेज ‘प्रस्तावना’ को अपनी कला से सजाने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया। वह नंदलाल बोस के एक शिष्य थे।
मूल प्रति से जुड़ी अहम बातें
भारत का मूल संविधान 16 इंच चौड़ा है और यह 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है। इस पांडुलिपि में 251 पृष्ठ शामिल है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि आज ही के दिन बाबा साहब ने संविधान सभा को संबोधित किया था।
संविधान सभा के संकल्प
हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
इतने दिन में हुआ तैयार
बतातें चलें कि संविधान को तैयार करने में 2 वर् 11 माह 18 दिन लगे थे। यह 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ था और 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था। इसे दिल्ली निवासी प्रेम बिहारी रायजादा ने तैयार किया था। पंडित नेहरू ने प्रेम बिहारी रायजादा से संविधान की प्रति लिखने का अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। हालांकि, उन्होंने अपनी एक शर्त रख दी। शर्त के मुताबिक उन्होंने संविधान के हर पृष्ठ पर अपना नाम और अंतिम पृष्ठ पर अपने दादाजी का नाम लिखने की शर्त रखी थी, जिसे सरकार ने मान लिया था।
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डीएम के जनता दरबार में उठा शिक्षक नियोजन फर्जीवाड़ा का मामला
KKN ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड में “जिला प्रशासन आपके द्वार” के तहत मीनापुर हाई स्कूल में जनता दरबार लगा कर जिलाधिकारी मो. सोहैल ने 190 मामलो की सुनवाई की। इसमें सर्वाधिक जमीनी विवाद शामिल था। इसी प्रकार पेंशन और राशन के वितरण सहित आवास योजना में गड़बरी का मामला भी उठा है। पंसस शिवचन्द्र प्रसाद, राजद अध्यक्ष उमाशंकर सहनी और बहादुरपुर के देवेन्द्र प्रसाद ने मीनापुर में चल रही फर्जी शिक्षक नियोजन का मुद्दा उठाया। डीएम ने जिला शिक्षा पदाधिकारी ललन प्रसाद से इस पर रिपोर्ट तलब की और फर्जीवाड़े में संलिप्त लोगो की पहचान करके एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया। जनता दरबार में मौजूद नहीं रहने वाले सर्व शिक्षा अभियान सह जिला स्थापना पदाधिकारी विनय कुमार सिंह के वेतन भुगतान पर डीएम ने तत्काल रोक लगा दी है।
आंगनबाड़ी केन्द्र की गड़बरी से शुरू हुआ जनता दरबार
इससे पहले जनता दरबार की शुरूआत कोदरिया के आंगनबाड़ी केन्द्र पर बहाली के विवाद से शुरू हुआ। कोदरिया के किरण कुमारी ने डीएम को बतायी कि दस महीना कबल बहाली की बैठक हो गई और आज तक नियुक्ति पत्र जारी नही हुआ। डीएम ने सीडीपीओ को शीघ्र ही चयनपत्र निर्गत करने का आदेश दिया। इसी प्रकार विशुनपुर केशो के कैलाश राय ने तीन महीने से राशन नहीं मिलने की शिकायत की। उपप्रमुख रंजन सिंह ने मीनापुर को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की। जिला पार्षद सीता देवी और मीनापुर हाई स्कूल के एचएम सुनील कुमार ने हाई स्कूल के स्टेडियम का मामला उठाया। डीएम ने यहां तत्काल खेल शिक्षक को प्रतिनियुक्त करके स्टेडियम चालू कराने का बीईओ को आदेश दे दिया है।
रिश्वत लेने और अवैध शराब बेचने का आरोप
बाड़ाभारती के प्रलंयकर कुमार ने आंगनबाड़ी केन्द्रो पर रिश्वत लेने का मामला उठाया। रमेश गुप्ता ने शराब की अवैध बिक्री और मो. सदरुल खान ने बिजली की समस्या से डीएम को अवगत कराया। मुखिया नीलम कुमारी ने पेंशनधारियों का नाम सरकारी वेबसाइट पर नहीं होने का मामला उठाया। शकुंतला गुप्ता ने बंद पड़े राजकीय नलकूप और दुकानदारो द्वारा छुट्टा पैसा नहीं लेने का मुद्दा उठाया। इसी प्रकार वरुण सरकार, महंगू बैठा, कुंती देवी, चिंता देवी, संगीता देवी ने भी अपनी बात रखी और डीएम ने सभी मामले में जांच के आदेश दे दिएं है।
यह अधिकारी रहें मौजूद
डीएम के जनता दरबार में प्रशिक्षु आईएस विशाल राज, डीडीसी उज्जव कुमार सिंह, एडीएम अतुल कुमार वर्मा, जिला जनशिकायत पदाधिकारी अशोक कुमार, डीआरडीए के डायरेक्टर ज्योति कुमार, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह, लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजीव सिन्हा, एसडीओ पूर्वी कुन्दन कुमार, एसडीएम रंगनाथ चौधरी, डीएसओ जावेद अंसारी, जिलाशिक्षा पदाधिकारी ललन प्रसाद, एसईएमओ डॉ. अरुण सिन्हा, लीड बैंक प्रबंधक एनके सिंह, विधायक मुन्ना यादव सहित जिले के सभी पदाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे।
जनता दरबार में इन लोगो ने रखी अपनी बात
मीनापुर के जनता दरबार में विधायक मुन्ना यादव, जदयू के प्रखंड अध्यक्ष पंकज किशोर पप्पू, जिला पार्षद रघुनाथ राय, कंचन सहनी, राजद अध्यक्ष उमाशंकर सहनी, आप नेता मनोज कुमार सिंह, मुखिया संघ की अध्यक्ष नीलम कुमारी, मनीष कुमार, विनोद निराला, जगदीश साह आदि ने डीएम के समक्ष अपनी मांगो को पुरजोर तरीके से रखा और मौके पर डीएम मो. सोहैल ने संबंधित अधिकारी को जांच के आदेश भी दिए।
बिकलांग को बैंक नहीं दे रहा है उसकी जमा पूंजी
दोनो पांव से बिकलांग तुर्की के 55 वर्षीय बैजू साह अपनी फरियाद लेकर डीएम के जनता दरबार में पहुंचे। किंतु, समय से रिजस्टेशन नहीं होने के कारण उसकी शिकायत नहीं सुनी गई। हालांकि, उसने कई अधिकारी से गुहार लगाई और निराश होकर लौट गया। लाठी के सहारे डीएम के जनता दरबार में पहुंचे श्री साह ने बताया कि उन्होंने उत्तर बिहार ग्रामीण क्षेत्रिय बैंक में 12,080 रुपये का एफडी कराया हुआ था। चालू वर्ष के 15 मार्च को इसका मैच्यूरिटी भी पूरा हो गया। किंतु, बैंक अब रुपये देने से इनकार कर रहा है। बैंक का कहना है कि वेबसाइट पर उसका नाम नहीं है। बैजू दोनो पांव से बिकलांग है और अब उसको समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें?
मुसमाती पेंशन के लिए गुहार लगा रही थी महिला
तुर्की गांव की 70 वर्षिय मुसमात फुलेशरी देवी कहती है कि उसको मुसमाती पेंशन नहीं मिलता है। इसके लिए फुलेशरी ने कई बार स्थानीय मुखिया और बीडीओ को आवेदन भी दे चुकी है। कहा जाता है कि काम हो जायेगा। किंतु, अभी तक पेंशन योजना में उसका नाम नहीं जुड़ा है। फुलेशरी भी बिना रिजस्टेशन कराए ही डीएम के जनता दरबार में अपनी फरियाद लेकर कई अधिकारी से गुहार लगाती रही। किंतु, उसके समस्या का भी कोई समाधान नही हुआ। निराश होकर फुलेशरी वहां मौजूद लोगो को ही अपनी दास्तान सुनाती रही।
जमीन पर दखल के लिए लगाई गुहार
नूर छपरा गांव की कुन्ती देवी के जमीन पर गांव के दबंग लोगो ने कब्जा जमा लिया है। कुन्ती बुधवार को डीएम के जनता दरबार में गुहार लगाने आई थी। किंतु, उसको समझ नहीं आ रहा था कि वह किससे अपनी बात कहे। लिहाजा, भीड़ में जो मिल जाता था, उसी से वह अपनी फरियाद करने लगती थी। इसी प्रकार महदेइयां की चिंता देवी पेंशन के लिए डीएम से गुहार लगाने यहां जनता दरबार में पहुंची थी। किंतु, उसको भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार शिकायत को कहां दर्ज कराएं। चिंता बताती है कि मुखिया से लेकर बीडीओ तक वह पिछले कई महीने से दौर लगा रही है। पर, कही कोई सुनने को तैयार नहीं है। उसको जैसे ही पता चला कि मीनापुर में आज बड़ा हाकिम आने वाला है। वह यहां भी चली आई। किंतु, बदकिस्मती ऐसी की, यहां भी उसको निराशा ही हाथ लगी।
मीनापुर में हुआ जिला विकास समन्वयन एवं निगरानी समिति की बैठक
मीनापुर में बुधवार को आहूत जिला विकास समन्वयन एवं निगरानी समिति की बैठक में मुजफ्फरपुर को सूखाग्रस्त घोषित करने के प्रस्ताव सहित कुल 27 प्रस्ताव स्वीकृत किये गये। इसमें बिजली, मनरेगा, नलकूप, कृषि, शिक्षा, बिजली शामिल है। बैठक की अध्यक्षता सांसद रमाकिशोर सिंह ने किया।
विधायक मुन्ना यादव की मांग पर माहपुर में दो राज और तुर्की में दस रोज के भीतर बिजली लगाने का आदेश कार्यपालक अभियंता को दिया है। सांसद अजय निषाद ने औराई के आथर पुल, शहर के चन्द्रवाड़ा पुल और शहर के ट्राफिक का मुद्दा उठाया और सकरा के कदाने नदी पर डैम बनाने की मांग रखी। बरूराज विधायक नन्दकुमार राय ने मोतीपुर बाजार के प्रदूषण और एनएच पर जल जमाव का मुद्दा उठाया। गायघाट विधायक महेशर प्रसाद यादव ने जाता पंचायत में जलनल योजना को चालू कराने की मांग रखी। जिला परिषद अध्यक्षा इन्द्रा देवी ने अखाड़ाघाट के विस्थापितो की पुर्नवास और बांध की मरम्मति की मांग रखी। पूर्व विधायक वीणा देवी ने गायघाट के भूसरा में बिजली लगाने की मांग की और रजुआ घाट और धुवौली घाट पुल को तत्काल बनाने की मांग की है। उपप्रमुख रंजन सिंह ने पानापुर में स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनाने और इसके लिए जमीन दान देने का प्रस्ताव रखा।मुखिया ने उठाई शिक्षक नियोजन फर्जीवाड़ा का मामला
बैठक के दौरान ही मीनापुर प्रखंड मुखिया संघ की अध्यक्ष नीलम कुमारी ने मीनापुर में 700 फर्जी टीईटी शिक्षक बहाली का मुद्दा उठा कर सदन को गरमा दिया। मुखिया नीलम कुमारी ने इस फर्जीवाड़े में कई जन प्रतिनिधि और अधिकारी के संलिप्त होने का खुला आरोप लगा कर सभी को सकते में डाल दिया। नीलम के आरोपो से तिलमिलए डीएम मो. सोहैल ने जिला शिक्षा अधीक्षक को जम कर फटकार लगाई और बैठक में मौजूद मीनापुर के बीडीओ और उपप्रमुख रंजन कुमार सिंह को तीन रोज के भीतर नियोजन इकाई की बैठक करके सभी चिन्हित फर्जी शिक्षको को बर्खाश्त करने का आदेश दे दिया।
अधिकारी ने दी रिपोर्ट कार्ड
जिला आपूर्ति पदाधिकारी जावेद अंसारी ने बताया कि जिले के 3.56 लाख लोगो को अभी तक रसोई गैस का कनेक्शन मिल चुका है। डीडीसी उज्जवल कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 हजार नए लाभुक को जोड़ने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। डीआरडीए के डायरेक्टर ज्येाति कुमार ने बताया कि जिले के बंदारा और मुरौल प्रखंड सहित जिले का 80 पंचायत ओडिएफ घोषित हो चुका है। बताया कि शौचालय निर्माण का 3.41 लाख का लक्ष्य है। इसमें 70 हजार का भुगतान हो चुका है। बताया कि जिले में 27 लाख मानव दिवस का श्रृसजन किया गया है और मनरेगा में 1,674 योजनाएं ली गई। इस योजना के तहत 28.95 करोड़ रुपये का मजदूरो को भुगतान कर दिया गया है। जिला पंचायत राज पदाधिकारी फैयाज अख्तर ने बताया कि जिले के 38 पंचायत को ब्रॉडबैण्ड से जोड़ दिया गया है। डीएसओ जावेद अंसारी ने बताया कि राशनकार्ड के लिए अभी तक 2 लाख लोगो ने आवेदन दिया है। इसमें पूवी अनुमंडल में 4,700 और पश्चिमी अनुमंडल में 2 हजार कार्ड बन कर तैयार है। ग्रामीण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि प्रधानमंत्री सड़क योजना का सर्वे का काम प्रगति पर है। नगर आयुक्त ने बताया कि शहर के 1,521 लोग भूमिहीन है। कहा कि शहर के 3,972 परिवार को शौचालय उपलब्ध करा दिया गया है।
बैठक में थे मौजूद
वैशाली के सांसद रमाकिशोर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मेयर सुरेश कुमार, सकरा के अशोक कुमार सिंह, कांटी के प्रमुख मुकेश पांडेय, कांटी के नगर अध्यक्ष हरेन्द्र पासवान सहित सभी प्रखंड की प्रमुख और जिले के अधिकांश जनप्रतिनिधि और अधिकारी बैठक में मौजूद थे।
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गुलामी की वह हकीकत जो आज भी भारत को खोखला बना रही है
आज हम आपको बतायेंगे गुलाम भारत की एक ऐसी हकीकत, जिसके हम आज भी शिकार है। आपको याद ही होगा 1857 में सिपाही बिद्रोह हुआ था और इसके बाद भारत पर हुकूमत करने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी की चूलें हिल गई थी। वैसे तो यह क्रांति मंगल पांडेय के नेतृत्व में मेरठ के सैनिको ने शुरू की थी। किंतु, कालांतर में यह आम आदमी का आन्दोलन बन गया था। सितम्बर तक पूरा देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद होने ही वाला था कि इस देश के कुछ गद्दार रजवाड़ों ने अंग्रेजों की मदद कर दी। राजाओं ने अंग्रेजो को धन और सैनिक ही नही, बल्कि खुफिया जानकारी भी उपलब्ध करा दिया। ताज्जुब की बात यह कि आजादी के बाद वही राजघराना भारत की राजनीति में सक्रिय होकर सत्ता का सुख भोगने लगा और जिसने देश की खातिर अपने प्राणो की आहूति दे दी, उसे आजाद भारत में भी गहरी साजिश का शिकार बना कर समाज की मुख्य धारा से उसे अलग- थलग कर दिया गया। आज इस रिपोर्ट में हम इसी साजिश का खुलाशा करेंगे।
बिठुर पर टूटा अंग्रेजो का कहर
साजिश को समझने से पहले भारत में ब्रिटिश हुकूमत की आरंभिक दिनो की कुछ बातें जान लेना आवश्यक है। दरअसल, क्रांतिकारियों को पूरी तरीके से कुचलने के बाद इस्ट इंडिया कंपनी की जगह भारत में ब्रिटेश शासन की स्थापना की गई थी। इसके बाद आपको याद ही होगा कि अंग्रेजो ने क्रांति के उद्गमस्थल कानपुर के समीप बिठुर गांव के करीब 24 हजार लोगों को अकारण ही मार दिया था। शायद आपको मालुम हो कि नाना जी पेशवा बिठुर के ही रहने वाले थे और अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति की सभी योजनाएं यहीं बनी थी। कहा जाता है कि अंग्रेजों ने बदले के तौर पर यहां जबरदस्त अत्याचार की इबादत लिख दी थी।
अर्थ व्यवस्था को किया घ्वस्त
बात यही खत्म नहीं होती। बल्कि, ब्रिटिश हुकूमत की स्थापना होते ही अंग्रेजों ने भारत पर शासन हेतु कई कानून बनाए। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर दिया। यहां आपको जानना जरुरी है कि 1840 तक का भारत का विश्व व्यापार में हिस्सा 33 फीसदी हुआ करता था और उन दिनो दुनिया के कुल उत्पादन का 43 फीसदी पैदावार भारत में होता था। आपको जान कर हैरानी होगी कि दुनिया के कुल कमाई में भारत का हिस्सा 27 फीसदी का था। अंग्रेजों को यही बात बहुत खटकती थी। इसलिए उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत को लुटने के लिए कुछ कानून बनाने शुरू कर दिए।
अंग्रेजो ने ऐसे लूटा भारत को
कानून की आर लेकर अंग्रेजो ने भारत में होने वाले उत्पादन पर टैक्स लगाना शुरू कर दिया। अंग्रेजों ने सबसे पहले भारत पर एक्साइज डिउटी लगा दिया और टैक्स तय किया गया 350 फीसदी। यानी, 100 रूपये का उत्पादन होगा तो 350 रुपया का टैक्स देना होगा। इतना ही बल्कि, भारत में उत्पादित समान बेचने पर 120 फीसदी का सेल्स टैक्स भी लगा दिया गया। इसी प्रकार 97 प्रतिशत का इनकम टैक्स लगा दिया गया। यानी, टैक्स की आर लेकर अंग्रेजो ने भारतीयो को लूटने की खुली छूट अपने अधिकारी को दे दी। बात यहीं खत्म नहीं होती है। इसके अतिरिक्त अंग्रेजो ने भारतीयों पर रोड टैक्स, टॉल टैक्स, मिनिस्पल कॉरपोरेशन टैक्स, हाउस टैक्स और प्रोपर्टी टैक्स सहित कुल 23 प्रकार के टैक्स लगा कर भारत में जबरदस्त लूट मचा दी। रिकार्ड बताते हैं कि इस टैकस के जरीए अंग्रेजो ने भारत से करीब 300 लाख करोड़ रुपया लुट लिया।
अंग्रेजी कानून बना अकाल का कारण
इसका दूसरा खामियाजा यह हुआ कि विश्व व्यापार में हमारी हिस्सेदारी 33 फीसदी से गिर कर 5 फीसदी हो गयी। हमारे कारखाने बंद हो गए, लोगों ने खेतों में काम करना छोड़ दिया और हमारे मजदूर बेरोजगार हो गए। भारत में गरीबी इस कदर बढ़ी कि लोग भुखमरी के शिकार होकर मौत की आगोश में समाने लगे। कुपोषण की वजह से महामारी ने बिकराल रूप धारण कर लिया। आपको याद ही होगा कि उस वक्त बहुत बड़ा अकाल भी पड़ा था। दरअसल यह अकाल प्राकृतिक नहीं था। बल्कि, अंग्रजो के शोषण की परिणति ही था।
लोगो में भरे नफरत के बीज
इधर, अंग्रेजो ने टैक्स से जमा पूंजी का एक छोटा हिस्सा अपने चहेते रजवाड़ो को देकर उनका मुंह बंद करा दिया। किंतु, पेशवाओं ने इसका विरोध जारी रखा। लिहाजा, पेशवाओं के प्रति पहले से खार खाए अंग्रेजो ने एक और शातिर चाल चल दी। अंग्रेजो ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को आधार बना कर जातिवाद को सुलगाना शुरू कर दिया। पेशवाओं के खिलाफ देश भर में नफरत का बीजारोपण कर दिया गया। अंग्रेजो ने बड़ी चालाकी से मनु स्मृति में आपत्ति जनक बातें जोर कर उसे प्रमाण के रूप में पेश कर दिया। इससे लोगो में पेशवाओं के प्रति घृणा पैदा होने लगा। इस बीच अंग्रेजो ने इतिहास के साथ छेड़ छाड़ कर भारत को बौद्धिक गुलाम बनाने की चालें चल दी। दूसरी ओर भारत के लिए ऐसी शिक्षा नीति बनाई गई कि भारत के अधिकांश लोगो में भारतीय परंपरा, संस्कृति और संस्कार से नफरत होने लगा। अंग्रेजो ने बड़ी ही चालाकी से इस सभी समस्याओं का जिम्मेदार पेशवाओं को ठहरा दिया और उन्हें आम लोगो से दूर कर दिया गया। लिहाजा, कालांतर में पेशवा अलग थलग हो गए और उनके कमजोर पड़ते ही अंग्रेजो ने निर्वाध होकर भारत को लूटने की अपनी मंसूबे को आसानी से अंजाम तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल कर ली।
युवाओं को किया गुमराह
दुर्भाग्य से आजादी के सात दशक बाद भी भारत में यह परंपरा मजबूत होने दिया गया। ताकि, सत्ता की आर लेकर कमजोर की हकमारी हो सके और खुद के दामन को पाक रखा जा सके। इसके लिए जरुरी था कि जिसने देश की खातिर अपना सर्वश्व न्योछावर किया, उसी कॉम को देश की तबाही का सबसे बड़ा गुनाहगार साबित कर दिया जाए। ताकि, सच कभी भी उजागर नहीं हो सके। दुर्भाग्य से हमारा आज का युवा पीढ़ी बिना कुछ सोचे समझे इसी साजिश का शिकार हो गया। नतीजा, वह अपने लूटने वालों को ही मसीहा समझ बैठा है। हमेशा बुरे वक्त में साथ देने वालों से नफरत करने लगा है।
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लाल किले के प्रचीर से दुनिया ने देखी भारत की धमक
दुनिया ने आज एक बार फिर से भारत के मजबूत हौसले और बुलन्द इरादो का दीदीर किया। मौका था भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस समारोह का और इसका गबाह बना ऐतिहासिक लाल किले का प्राचीर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को 72वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया। अपने 82 मिनट के संबोधन में पीएम मोदी ने विकास के कई योजनाओं का भी ऐलान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हम साल 2013 की रफ्तार से चलते तो कई काम पूरा करने में दशकों लग जाते, लेकिन चार साल में बहुत कुछ बदला और देश आज बदलाव महसूस कर रहा है। मोदी ने कहा आकाश वही है पृथ्वी वही है, लोग, दफ्तर सब कुछ पहले जैसा है लेकिन अब देश बदल रहा है। उन्होंने कहा कि देश की अपेक्षाएं और आवश्यकताएं बहुत हैं, उसे पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निरंतर प्रयास करना है।
गरीबो का होगा मुफ्त इलाज
पीएम मोदी ने कहा कि आगामी 25 सितंबर को पंडित दीन दयाल उपाध्याय जयंती पर प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान शुरू जो जायेगा। इससे गरीबों को अच्छा और सस्ता इलाज मिलेगा। इस योजना से करीब 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा और इसके तहत पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा भी मिलेगी। पीएम मोदी ने कहा कि हमें ठहराव मंजूर नहीं, यह देश अब रुकने वाला नहीं है और नाही इसे कोई, झुका सकता है। जम्मू कश्मीर के लिए लाल किले से पीएम ने कहा कि आने वाले कुछ महीने में जम्मू कश्मीर के लोगों को अपना मत जताने का अधिकार मिलेगा, निकाय चुनावों की शुरूआत होगी। कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का आह्वान था- इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत। मैंने भी कहा है, जम्मू-कश्मीर की हर समस्या का समाधान गले लगाकर ही किया जा सकता है। हमारी सरकार जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों और सभी वर्गों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
महिलाओं को मिला तोहफा
पीएम ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महिलाओं को तोहफा देते हुए कहा कि अब सेना में महिला अधिकारियों को भी स्थाई कमीशन दी जायेगी। कहा कि त्रिपुरा-मेघालय और अरुणाचल के कई भागों में आतंक का खात्मा हुआ और ऐतिहासिक रुप से शांति की स्थापनी हुई है। 126 लेफ्ट कट्टरपंथियों को 90 जिले तक सीमित कर दिया है। हम पूरे देश में शांति के लिए काम कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचारियों और कालाधन रखने वालों को कभी भी माफ नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज देश में सत्ता के दलालों की नहीं, बल्कि गरीबों की आवाज सुनी जाती है।
तीन तलाक पर बोले मोदी
मोदी ने कहा कि तीन तलाक के कारण मुस्लिम महिलाओं के साथ गंभीर अन्याय होता है। इस कुप्रथा को खत्म करने के लिये हम प्रयासरत हैं। लेकिन, कुछ लोग इसे खत्म नहीं करने देना चाहते। मैं मुस्लिम बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि हम उन्हें न्याय दिलाने के लिये पूरा प्रयास करेंगे। मोदी ने कहा कि राक्षसी प्रवृत्ति पर प्रहार करने की आवश्यकता है। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को अक्षुण्ण रखने के लिये किसी को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
ईमानदार प्रयास की जरुरत
मोदी ने कहा कि देश आज ईमानदारी का उत्सव मना रहा है। कहा कि कल्याणकारी योजनाओं से किसी को पुण्य मिलता है, तो वह सरकार को नहीं, बल्कि उन ईमानदार करदाताओं को मिलता है, जिनके पैसे से गरीब परिवारों को सस्ता भोजन मिलता है। कहा कि हमने भाई-भतीजा वाद को खत्म किया, यह तकनीकी के माध्यम से व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के कारण संभव हुआ। कहा कि छह करोड़ फर्जी लोगों के नाम पर विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया जा रहा था, इसे रोका गया। इससे देश को 90 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।
गरीबी रेखा के उपर आये लोग
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दो साल में भारत के पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आये है। सरकार के प्रयासों से पिछले चार साल में ऐथनाल का उत्पादन तीन गुना हो गया है। मछली उत्पादन में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन चुका है। शहद का निर्यात भी दोगुना हुआ है और खादी की बिक्री दोगुनी तक बढ़ गई है। कहा कि हम मक्खन पर नहीं, पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं।
किसानो के लिए
पीएम मोदी ने कहा कि हमारा इरादा 2022 तक कृषि क्षेत्र में बीज से लेकर बाजार तक को आधुनक करना है। मूल्य वर्द्धन करने की योजना है ताकि किसान विश्व के बाजार में ताकत के साथ खड़ा हो सके। साल 2022 से पहले ही, भारतीय वैज्ञानिकों ने मानवसहित गगनयान लेकर अंतरिक्ष में तिरंगे के साथ जाने का संकल्प लिया है। यदि संभव हुआ तो भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जायेगा।
स्वरोजगार को बढ़ावा देने का लक्ष्य
कहा कि मुद्रा योजना के तहत 13 करोड़ लोगों और उद्यमियों को कर्ज दिये गयें हैं। इसमें से चार करोड़ नौजवनों ने पहली बार कर्ज लिया और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के काम में लगें हैं। कहा कि एक समय था जब पूर्वोत्तर को लगता था कि दिल्ली बहुत दूर है। लेकिन, हमने दिल्ली को पूर्वोत्तर के दरवाजे पर लाकर खड़़ा कर दिया है। पूर्वोत्तर में आज हाईवेज से लेकर ईवेज तक की चर्चा हो रही है।
अर्थ व्यवस्था में सुधार
वर्ष 2014 से पहले दुनिया की संस्थाएं और अर्थशास्त्री कहतें थे कि कि हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में बहुत जोखिम है। वही लोग आज हमारे आर्थिक सुधारों की तारीफ कर रहे हैं। दुनिया भर के अर्थशास्त्री अब मानने लगे हैं कि भारत अगले तीन दशक तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति देता रहेगा। बदलाव का ही नतीजा है कि दुनिया के नेतृत्वकर्ता भारत के लिये कह रहे हैं कि सोया हुआ हाथी अब जाग चुका है। आने वाले तीन दशक तक भारत विश्व को गति देता रहेगा।
जीएसटी पर बढ़ा भरोसा
मोदी ने जीएसटी पर बोलते हुए कहा कि शुरू में कठिनाइयों के बावजूद देश ने जीएसटी को अपनाया और अब व्यपारियों का इस पर भरोसा बढ़ा है। कहा कि हम कड़े फैसले लेने की सामर्थ्य रखते हैं क्योंकि हमारे लिये देश हित सर्वोपरि है। कहा कि दलहित हमारे लिये मायने नहीं रखता है। कहा कि दुनिया में भारत की न केवल अपनी साख बढ़ी है। बल्कि, दुनिया ने भारत के धमक को भी महसूस किया है।
विकास के पथ पर
विकास पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि आज देश में ट्रैक्टरों की रिकॉर्ड बिक्री हो रही है। देश में अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। आज देश दो गुनी रफ्तार से हाइवे बना रहा है। गांव में 4 गुना तेजी से घर बन रहे हैं। देश में आजादी के बाद अब सबसे ज्यादा हवाई जहाज भी खरीदे जा रहे हैं। कहा कि संसद का मानसून सत्र पूरी तरह से सामाजिक न्याय को समर्पित था। दलित, शोषित, पीड़ित और वंचित वर्ग के हितों पर संवेदनशीलता का परिचय दिया गया है और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक पारित हुआ है। कहा कि भारत ने विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था में अपना नाम दर्ज करवा दिया है। ऐसे सकारात्मक माहौल के बीच हम आजादी की सालगिरह का पर्व मना रहे हैं और यह हम सभी के लिए गौरव की बात है।
तोपो की सलामी
इससे पहले पीएम मोदी के लाल किला पहुंचते ही रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने उनका स्वागत किया। इसके तुरंत बाद पीएम मोदी को 21 तोपो की सलामी के साथ गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इससे पहले उन्होंने सुबह देशवासियों को ट्वीट करते हुए स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी थी। पीएम मोदी सबसे पहले राजघाट पर जाकर बापू की समाधि पर पुष्प अर्पित करने के बाद लाल किला पहुंचे थे।KKN Live के पेज को फॉलो कर लें और शेयर, लाइक व कमेंट भी जरुर करें।
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भारत को मिली आजादी या हुआ सत्ता का हस्तान्तरण?
एक ऐसी सच्चाई जिसे देश से छिपाया गया
वह 14 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि का वक्त था। पंडित जवाहर लाल नेहरु और लॉर्ड माउन्ट बेटेन ने एक मसौदे पर जैसे ही हस्ताक्षर किये, पूरा देश खुशियों से झुम उठा। हालांकि, इस खुशी में एक दर्द भी छिपा था। इसी हस्ताक्षर से भारत के दो टुकड़े हो गए और दुनिया के नक्शे पर एक नया देश पाकिस्तान बन गया। हमें बताया कि हम आजाद हो गये और हम आज भी इसी गुमान में जी रहें हैं। पर, यह सच नहीं है। सच्चाई ये है कि पंडित जवाहर लाल नेहरु और लॉर्ड माउन्ट बेटेन ने जिस मसौदे पर हस्ताक्षर किए थे, वह महज सत्ता का हस्तान्तरण भर था। यानी ट्रांसफर ऑफ पावर…।
यह एक संधि मात्र है
दरअसल, हम जिसे भारत के आजादी का संधि मानतें चलें आ रहें हैं। वास्तव में उसकी हकीकत डरावनी है। इस पर बात करने से पहले आपको जानना जरुरी है कि अंग्रेजों ने सन 1615 से लेकर 1857 तक भारत के विभिन्न रजबाड़ो के साथ कुल 565 संधि किये। किंतु, 14 अगस्त 1947 की रात में जो संधि हुआ वह भारत के भविष्य के लिए एक बड़ा प्रश्नचिन्ह छोड़ गया है।
इन्डिपेंटेन्ट बनाम डोमिनियन स्टेट
जान कर हैरानी होगी कि 14 अगस्त की रात हमें डोमिनियन स्टेट अर्थात बड़े राज्य के अधीन एक छोटे राज्य का दर्जा हासिल हुआ था। चौकाने वाली बात ये कि आखिरकार देश को यह बात बताया क्यों नहीं गया? संधि के मुताबिक ब्रिटेन की महारानी हमारे भारत की भी महारानी है और वह आज भी भारत की नागरिक है। उन्हें भारत आने के लिए वीजा की जरुरत नहीं होती है। ताज्जुब की बात ये है कि वह भारत सहित 71 अन्य देशो की महारानी है।
कहां थे महात्मा गांधी
भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी ने 1917 से ही संघर्ष करना शुरू कर दिया था और जिस रात देश को आजादी मिली वह दिल्ली से दूर कोलकाता के नोआखाली में थे। सवाल उठना लाजमी है कि 14 अगस्त की रात समझौते वाली स्थान पर महात्मा गांधी क्यों नहीं थे? जबकि, सभी को पहले से मालुम था कि 14 अगस्त की मध्य रात्रि को आजादी के मसौदे पर हस्ताक्षर होने है। फिर ऐसे मौके पर महात्मा गांधी मौजूद क्यों नहीं थे? हालांकि, कुछ लोगो का कहना है कि नोआखाली में दंगा भड़क गया था। लिहाजा, गांधीजी नोआखाली में ही रुके रह गये।
कॉमनबेल्थ का मतलब
अक्सर आप कॉमनबेल्थ नेशन और कॉमनबेल्थ गेम का नाम सुनतें होंगे। इसका मतलब होता है समान संपत्ति। अब सवाल उठता है कि किसकी समान संपत्ति? दरअसल, इसी शब्द के अंदर छिपा है संधि का राज। यह ब्रिटेन की महरानी की समान संपत्ति है। अब एक और चौकाने वाली सच। हमारे देश के प्रोटोकोल के मुताबिक राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। पर, जब ब्रिटेन की महारानी भारत आती है तो उनको भी 21 तोपों की सलामी दी जाती है। बड़ा सवाल यह, कि ऐसा क्यों? आपको याद ही होगा कि पिछली बार जब ब्रिटेन की महारानी भारत आई थी तो आमंत्रण पत्र सबसे पहले महारानी का नाम छपा था और भारत के राष्ट्रपति का नाम उसके नीचे छपा था?
भारत बनाम इंडिया
एक और बड़ा सवाल यह कि हमारे देश का नाम भारत है या इंडिया? जाहिर है आप कहेंगे भारत। पर, संधि के मसौदे के मुताबिक इसका नाम इंडिया है और विदेशो में हमे इंडिया के नाम से ही जाना जाता है। हैरानी की बता यह कि हमारे संविधान के प्रस्तावना में लिखा है कि- इंडिया, दैट इज भारत…। जबकि, होना यह चाहिए था- भारत, दैट वाज इंडिया…। एक और बात विदेशो में हमे अपना एम्बेसी रखने का अधिकार नहीं है। बदले में हम हाई कमीशन रख सकतें हैं। दरअसल, हम जिसे अपना एम्वेस्डर कहतें हैं, मसौदे के मुताबिक उसे हाई कमीनश्नर लिखा जाता है।
वन्देमातरम पर रोक
संधि के मुताबिक आजादी के अगले 50 वर्षो तक भारत के संसद में वन्देमातरम गाने पर रोक लगा रहा। आपको जान कर हैरानी होगी वर्ष 1997 में तात्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था और तब जाकर पहली बार भारत के संसद में वन्देमातरम गाया गया। वन्देमातरम को लेकर उस वकत जो भ्रम फैलाया गया, वह आजादी के 71 साल बाद आज भी बरकरार है। इस गीत में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। हमारे राष्ट्रगान जन, गन, मन… में जिसे भारत का भाग्य विधाता बताया जा रहा है, सवाल उठता है कि वह भाग्य विधाता है कौन?
संधि एक और शर्त अनेक
संधि की शर्तों के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस को जिन्दा या मुर्दा ब्रिटेन के हवाले करना था। यही वह बड़ी वजह रही क़ि सुभाष चन्द्र बोस जिन्दा होते हुए भी देशवासियों के लिए लापता ही रहे। समय- समय पर कई अफवाहें फैलीं। पर, सुभाष चन्द्र बोस का पता नहीं लगा और नाही किसी ने उनको ढूंढने में रूचि दिखाई। दरअसल, सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1942 में आजाद हिंद फौज बनाई थी। उस समय द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और सुभाष चन्द्र बोस ने इस काम में जर्मन और जापानी लोगों से मदद ली थी जो कि अंग्रेजो के दुश्मन थे और इस आजाद हिंद फौज ने अंग्रेजों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। लिहाजा, ब्रिटेन सुभाषचन्द्र बोस को गिरफ्तार करना चाहती थी।
क्यों नहीं मिला शहीद का दर्जा
इस संधि की शर्तों के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल सहित आजादी के लिए शहीद होने वाले अधिकांश स्वतंत्रता सैनानी ब्रिटिस कानून के तहत आतंकवादी थे। यहीं वह बड़ी वजह है कि हम आजाद होकर भी आज तक अपने इस सभी वीर सपूतो को बजाप्ता शहीद का दर्जा नहीं दे सके। चौकाने वाली बात तो यह कि आजादी के आरंभिक वर्षो में ऐसे सभी महान सपूतो को सिलेवश में आतंकवादी ही पढ़ाया जाता रहा और बाद में उसे सिलेवश से हटा दिया गया।
व्हीलर बुक स्टोर का रहस्य
आज भी भारत के अधिकांश बड़े रेलवे स्टेशन पर एक किताब की दुकान देखने को मिल जाता है। जिसका नाम व्हीलर बुक स्टोर है। वह, 14 अगस्त की इसी संधि की शर्तों के अनुसार है। क्या आप जानते है कि वह व्हीलर कौन था? दरअसल वह व्हीलर अंग्रेज का सबसे बड़ा दमनकारी ऑफिसर था। इसने देश क़ि हजारों मां, बहन और बेटियों के साथ बलात्कार करवाया था और स्वयं भी बलात्कार करने का शौकीन था। इसने किसानों पर सबसे ज्यादा गोलियां चलवाई थी। कहतें हैं कि 1857 की क्रांति के बाद कानपुर के नजदीक बिठुर में व्हीलर और नील नामक दो अंग्रेज अधिकारी ने यहां के सभी 24 हजार लोगों को मरवा दिया था। इसमें गोदी का बच्चा से लेकर मरणासन्न हालत में पड़ा कई बृद्ध भी मारे गये थे। बावजूद इसके 14 अगस्त की संधि के मुताबिक व्हीलर का सम्मान करते रहना हमारी विवशता है।
आज भी चलता है अंग्रेजो का कानून
इस संधि की शर्तों के मुताबिक आज भी भारत में अंग्रेजो के बनाये गये 34,735 कानून जस के तस है। इंडियन पोलिस एक्ट, इंडियन सिवल सर्विस एक्ट, इंडियन पैनल कोड, इंडियन सीटीजनशिप एक्ट, इंडियन एडवोकेट एक्ट, इंडियन एडुकेशन एक्ट, लैंड एक्यूजेशन एक्ट, क्रिमनल प्रोसीडियूर एक्ट, इंडियन एभीडेंस एक्ट, इंडियन इनकम टैक्स एक्ट, इंडियन फॉर्स एक्ट, इंडियन एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन एक्ट… आदि। सब के सब आज भी वैसे ही चल रहे हैं। हालांकि, कालांतर में इसमें कुछ बदलाव हुए है। पर उसके मूल भावनाओं में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।
भवन और स्थान
इस संधि के अनुसार अंग्रेजों द्वारा बनाये गए भवन जैसे के तैसे रखे जायेंगे। शहर का नाम, सड़क का नाम सब के सब वैसे ही रखे जाने है। आज देश का संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, राष्ट्रपति भवन कितने नाम गिनाऊं…? लार्ड डलहौजी के नाम पर डलहौजी शहर है, रिपन रोड, कर्जन रोड, मेयो रोड, बेंटिक रोड, फ्रेजर रोड, बेली रोड, ऐसे हजारों सड़क और भवन हैं, सब के सब वैसे के वैसे ही हैं। गुजरात के सूरत में एक बिल्डिंग है उसका नाम है कूपर विला। अंग्रेजों को जब जहाँगीर ने व्यापार का लाइसेंस दिया था तो सबसे पहले वह सूरत में आये थे और सूरत में उन्होंने इस बिल्डिंग का निर्माण किया था। यही से भारत को गुलाम बनाने की साजिशें रची गयी थी और यह आज तक सूरत के शहर में खड़ा, हमें मुंह चिढ़ा रहा है।
दरकिनार हुआ देशी पद्धति
इस संधि की शर्तों के हिसाब से हमारे देश में आयुर्वेद के विकास में सरकार सहयोग नहीं करेगा। मतलब हमारे देश की विद्या हमारे ही देश में ख़त्म हो जाये, ऐसी साजिस की गयी। इस संधि के हिसाब से हमारे देश में गुरुकुल और संस्कृति भाषा को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा। इस संधि में एक और खास बात यह है कि यदि हमारे देश के अदालत में कोई ऐसा मुक़दमा आ जाये, जिसके फैसले के लिए कोई कानून न हो या उसके फैसले को लेकर संबिधान में भी कोई जानकारी न हो तो ऐसे में मुकदमे का फैसला अंग्रेजों के न्याय पद्धति के आदर्शों के आधार पर ही होगा।
विदेशी कंपनी को पोषण
इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि 126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी। इसी का नतीजा है क़ि ब्रुकबॉड, लिप्टन, बाटा, हिंदुस्तान लीवर अब हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के बाद इस देश में बची रह गयी और हमें लुटती रही।
शाम में बजट पेश करने का राज
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद में वार्षिक बजट शाम को 5 बजे में पेश किया जाता था। जानते है क्यों? क्योंकि जब हमारे देश में शाम के 5 बजते हैं तो लन्दन में सुबह के 11.30 बजता हैं और अंग्रेज अपनी सुविधा से उनको सुन सके, इसलिए…। आपको बतातें चलें कि 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था और इसी के बाद अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम लागू किया था। क्योंकि, द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वह अनाज की पूर्ति भारत से चाहते थे। लिहाजा, उन्होंने यहां जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि शुरुआत क़ी। ताज्जुब की बात है कि वह प्रणाली आज भी भारत में लागू है और यहां के जन मानस इसे स्वीकार भी कर चुकें हैं।
कत्लखाना और वैश्यालय
गौरतलब है कि अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को काटने का कोई कत्लखाना नहीं था। मुगलों के समय में यदि कोई गाय को काट दे तो उसका हाथ काट दिया जाता था। अंग्रेज यहां आये तो उन्होंने पहली बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना शुरू किया और पहला शराबखाना भी शुरू किया। इसी के साथ भारत में वैश्यालय चलाने का रिवाज शुरू किया। कहतें हैं कि इस देश में जहां अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी, वहीं वेश्याघर बनाये गए थे और शराबखाना खोला गया था। उस वक्त पूरे देश में 355 छावनियां थी और लगभग इतने ही वैश्यालय भी थे। अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ। क्योंक़ि ये भी इसी 14 अगस्त की रात की गई संधि में शामिल है।
ध्यान बांटने की रचि साजिश
सोचिए, यह कितना गंभीर विषय है और हमारे देश में कभी भी इस पर कोई वहस या चर्चा नहीं हुई। जानतें हैं क्यों? क्योंकि, बड़ी ही चालकी से हमारे रहनुमाओं ने हमे जाति, धर्म और सम्प्रदाय में बांट कर घृणा की ऐसी बीजारोपण कर दिया कि हम सभी इसी में उलझ कर रह गये और देश की मूल समस्याओं के प्रति हमारी उदासीनता आज भी बरकरार है। कहतें हैं कि इसका लाभ विदेशी ताकतें उठा रही है और समय रहते हम सर्तक नहीं हुए तो हमें इसका और भी खामियाजा भुगतने को तैयार रहना पड़ेगा।KKN Live के पेज को फॉलो कर लें और शेयर व लाइक भी जरुर करें।
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गांव में प्रशासन की मनमर्जी को डीएम ने स्वयं देखा
आधा दर्जन अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड का प्रशासन अपनी मनमर्जी के लिए सूबे में कुख्यात हो चुका है। शनिवार को इसका खुलाशा तब हुआ, जब मुजफ्फरपुर के डीएम मो. सोहैल मीनापुर प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में चल रही योजनाओं की समीक्षा करने यहां पहुंचे। इस दौरान यहां के प्रशासनिक हलके की कई लापरवाही व अनियमितता एक-एक करके डीएम के सामने आने लगा। इससे भड़के डीएम ने आधा दर्जन अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा और अवैध वसूली के आरोपित दो आवास सहायक पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दिया।
मुख्यालय में नदारत मिले अधिकारी
इससे पहले मीनापुर प्रखंड कार्यालय पहुंचे डीएम ने आरटीपीएस, प्रधानमंत्री आवास योजना, शिक्षा, मनरेगा, स्वास्थ्य व सात निश्चय योजना की समीक्षा की है। मीनापुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 581 लाभार्थी का नाम प्रतीक्षा सूचि में दर्ज है। इसमें से 349 परिवार का अबतक जॉबकार्ड नहीं बना है। इसको गंभीरता से लेते हुए डीएम ने कार्यक्रम पदाधिकारी रवि कुमार से स्पटीकरण मांगा और 24 घंटे के भीतर सभी को जॉबकार्ड देने का आदेश दिया। इससे पहले कार्यालय में अनुपस्थित रहने वाले सीडीपीओ पुष्पा कुमारी, कृषि पदाधिकारी राजदेव राम व अंचल नाजिर चौथी बैठा से डीएम ने स्पष्टीकरण लेने का निर्देश दिया है।
बंद मिला स्वास्थ्य उपकेन्द्र
स्थल निरीक्षण के दौरान गोरीगामा पहुंचने पर वहां के स्वास्थ्य उपकेन्द्र को बंद देख कर डीएम भड़क गये। इसके बाद डीएम गोरीगामा हाईस्कूल पहुंचे तो वहां एक भी छात्र विद्यालय में मौजूद नहीं था। इसके अतिरिक्त डीएम ने स्वयं देखा कि विद्यालय की उपस्थिति पंजी पर पिछले तीन दिनों से किसी की भी हाजरी नहीं बनी थी। इसपर डीएम हेडमास्टर तरुण कुमार को फटकार लगाई और शिक्षक रंजीत कुमार व प्रेमरंजन सिंह से स्पष्टिकरण पूछा गया।
घूस लेने का भी हुआ खुलाशा
गोरीगामा के वार्ड दस में पहुंच कर डीएम ने नलजल योजना की समीक्षा की। अधूरे काम को देख डीएम ने वार्ड सदस्य को सही से काम करने की नसीहत दी। हद तो तब हो गई, जब डीएम टेंगराहां के वार्ड छह में प्रधानमंत्री आवास योजना देखने पहुंचे। लाभार्थी रामपुकारी देवी ने डीएम को बताया कि आवास सहायक सुरेश प्रसाद ने उससे 10 हजार रुपये रिश्वत ली है। यह सुनते ही डीएम गुस्से से तमतमा उठे और आवास सहायक पर एफआईआर का आदेश दे दिया है। इसके बाद डीएम कोइली पंचायत के चैनपुर पहुंच कर आवास येाजना की समीक्षा की। ताज्जुब की बात है कि यहा भी लाभार्थी शहनाज खातून ने आवास सहायक पर रिश्वत लेने की बात कही। इसके बाद वहां खड़े तमाम अधिकारी बगले झांकने लगें। हालांकि, डीएम ने यहां भी एफआईआर करने का आदेश देकर वापिस लौटना ही मुनासिब समझा।
कैंसर पीड़ितो ने डीएम से लगाई गुहार
इससे पहले डीएम के गोरीगाम पहुंचने पर गांव के रमानन्द सिंह और सत्येन्द्र सिंह ने कैंसर पीड़ितों के दर्द से डीएम को अवगत कराया। डीएम को ग्रामीणों ने बताया कि जांच के दौरान गांव के पानी में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है। इसके बाद डीएम ने गांव में आर्सेनिक टिटमेंट प्लांट लगाने के लिए पीएचईडी के एसडीओ रुपेश कुमार से प्रस्ताव देने का आदेश दिया। -
भारतीय सेना के पराक्रम से अचम्भे में है दुनिया
विश्व के पटल पर लहराया बुलंदियों का परचम
भारतीय सेना का सौर्य आज विश्व के पटल पर बुलंदियों का परचम लहरा रही है। मौसम ठंड का हो या झुलसा देने वाली गर्मी की तपीस। मूसलाधार बारिश हो या जड़ो को हिला देने वाली तूफान। भारत के जवांज सैनिक दिन और रात की परवाह किए बिना मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को भी पल भर में पूरा करने का माद्दा रखतें हैं। सेना हमारे देश का गौरव इसलिए नहीं है कि ये कई जंग लड़ते हैं और देश के लिए शहीद भी हो जाते हैं। बल्कि, गौरव इसलिए कि सेना हमारी शान है। भारतीय सेना कई मायनों में दुनिया की बड़ी-बड़ी सेनाओं को टक्कर देने का माद्दा रखती है।
भारतीय सेना की खुबियां
भारत की सेना दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ियों पर जंग लड़ने में माहिर है। मिशाल के तौर पर सियाचिन ग्लेशियर को ही ले लें, यह सी-लेवल से 5 हजार मीटर ऊपर है। भारतीय संविधान के तहत सेना में जबरन भर्ती का प्रावधान है। किंतु, आज तक इसका प्रयोग नहीं किया गया है। भारतीय सेना पहाड़ी लड़ाइयों में भी जबरदस्त रूप से माहिर है।
बेहतर प्रशिक्षण
भारतीय सेना का हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल दुनिया के सबसे अच्छे ट्रेनिंग संस्थान में गिना जाता है। स्मरण रहें कि अफगानिस्तान भेजे जाने से पहले अमेरिका के स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग भी इसी इंस्टीट्यूट में हुई थी। साथ ही यूके और रशिया से भी जवान यहां ट्रेनिंग के लिए आते रहते हैं। ये इंस्टीट्यूट पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई पर लड़ाई करने के ट्रेनिंग देती है। नतीजा, यहां से स्पेसलिटी हासिल करना दुनिया के कई बड़े देश की सेना के लिए गौरव की बात समझी जाती है।
गुरिल्ला और गोपनियता में है महारथ
दुश्मन की नजरो में आये बिना अपने मिशन को कम्पलिट करने में भारतीय सेना को महारथ हासिल है। वर्ष 1970 और 1990 के दशक में भारत ने अपने परमाणु शस्त्रागार का परीक्षण किया और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को इसकी भनक तक नहीं लगी। आज तक इसे सीआईए की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक माना जाता है। इसी प्रकार वर्ष 2017 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सरजमीं पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी और पाक सेना को इसकी भनक तक नहीं लगी।
सेना में भर्ती के लिए कठोर मापदंड
भारत की सेना में भर्ती के लिए कठोर मापदंड का पालन किया जाता है। यहां जाति या धर्म के आधार पर आरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। नतीजा, समग्र योग्यता, कड़े परीक्षण और फिटनेस के आधार पर ही सेना में भर्ती की जाती है। कोई भी भारतीय नागरिक जब एक बार सेना में भर्ती हो जाता है, तो वह सिर्फ सैनिक ही कहलाता है। भर्ती के बाद सेना बनने के लिए उसे कठोर प्रशिक्षण की दौर से गुजर पड़ता है।
लोंगेवाला पोस्ट पर दिखा था सेना का पराक्रम
लोंगेवाला की युद्ध में भारतीय सेना अपनी जबरदस्त पराक्रम दुनिया को दिखा चुकी है। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर 1971 में लड़ा गया था। जिसमें एक जीप और एम-40 रीकोइलीस राइफल के साथ भारत के मात्र 120 सैनिकों ने पाकिस्तान के 45 टैंक और एक मोबाइल इन्फैंट्री ब्रिगेड से लैस 2 हजार पाकिस्तानी सैनिक के खिलाफ जंग लड़ी। संख्या में कम होने के बावजूद भारतीय सैनिको ने पूरी बहादुरी के साथ युद्ध लड़ा और सुबह होने पर वायु सेना की मदद से जीत हासिल करने में कामयाब भी रहे।
राहत एवं बचाव में भी अव्वल
न सिर्फ युद्ध बल्कि, आपादा के समय भी भारतीय सेना का कोई सानी नहीं है। भारतीय वायु सेना ने वर्ष 2013 में उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगो को जिस प्रकार से मदद की, उसे पूरी दुनिया देखती ही रह गई। वायु सेना का ऑपरेशन राहत अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक बचाव अभियान साबित हुआ था। पहले फेज़ में भारतीय वायु सेना ने करीब 20 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला था। साथ 3 लाख 82 हजार 400 किलो की राहत सामग्री भी पहुचाई थी।KKN Live के इस पेज को फॉलो करलें और हमसे सीधे जुड़ने के लिए KKN Live का एप डाउनलोड करलें।
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पुल के अभाव में अभिशाप बन चुका है बूढ़ी गंडक
सैकड़ों लोगों का घर नदी के इस पार है और जमीन उस पार
बिहार के मीनापुर प्रखंड अन्तर्गत चांदपरना पंचायत को बूढ़ी गंडक ने दो भागों में बांट कर लोगो के लिए दुश्वारियां पैदा कर दी है। नतीजा, दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में भी यहां के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। हाल यह है कि नदी पर एक अदद पुल नही होने से पंचायत वासी एक-दूसरे के सुख-दुख में भी शामिल नहीं हो पाते हैं।
कृषि कार्य में आय रोज आती है मुश्किलें
आलम ये है कि हरिशचन्द्र सहनी का घर नदी के पूर्वी किनारे पर छितरपट्टी गांव में है और उनकी जमीन नदी के पश्चिमी किनारे पर कोन्हमा गांव में है। अब कृषि कार्य के लिए उन्हें रोज नौका से नदी पार करना पड़ता है। हरिशचन्द्र अकेले नहीं है। बल्कि, जयनन्दन प्रसाद और साहेबजान अंसारी सहित करीब 40 ऐसे परिवार हैं, जिनका घर पूर्वी किनारे पर है और जमीन पश्चिमी किनारे पर। ऐसे में लोग आए दिन नौका से नदी पार करने का जोखिम उठा रहे हैं।
मुख्यालय से कटे होने का है पीड़ा
दूसरी ओर प्रखंड मुख्यालय से मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर बसा कोन्हमा गांव के लोगों को अपने पंचायत मुख्यालय आने के लिए कांटी होते हुए करीब 40 किलोमीटर व रघई होते हुए करीब 25 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। कोन्हमा के महेश सहनी, अच्छेलाल सहनी और जयमंगल सहनी बतातें हैं कि मीनापुर अस्पताल करीब होने के बावजूद गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए कांटी जाना पड़ता है। मालूम हो कि कोन्हमा की आबादी करीब 800 है और बूढ़ी गंडक नदी पर एक अदद पुल नहीं होने से एक ही पंचायत में रहने वाले दोनों पार के लोग जरूरत पड़ने पर भी एक दूसरे के सुख दुख का हिस्सा नहीं बन पाते हैं।
नदी को पार करने का जोखिम
चांदपरना के राजनन्दन सहनी बताते हैं कि नदी को नौका से पार करना किसी जोखिम से कम नहीं है। एक तो यह कि नदी पार करने के एवज में प्रति खेप दस रुपये नौका वाले को देना पड़ता है और दूसरा यह कि छोटी नौका पर अधिक लोग के सवार हो जाने से नाव पलटने का भी खतरा बना रहता है। बताया कि पिछले साल ही नौका पलटने से कई लोग नदी में फंस गए थे। हालांकि, स्थानीय लोगों की सूझबूझ से सभी की जान बच गई थी। इसी प्रकार वर्ष 2009 में भी चांदपरना घाट पर नौका पलट गई थी। राजनंदन बताते हैं कि बाढ़ के तीन महीने यह खतरा और भी बढ़ जाता है। लिहाजा, यहां के लोग नदी पर पुल बनाने के लिए अब आंदोलन की राह पकड़ ली है।KKN Live का न्यूज एप प्लेस्टोर पर उपलब्ध है। खबरो को पढ़ने और वीडियों विश्लेषण को देखने के लिए हमारा एप डाउनलोड कर लें। इस पेज को लाइक कर लें और अपने दोस्तो के साथ शेयर भी जरुर करें।
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भारत में संसदीय राजनीति की गरिमा दाव पर
भारत में संसदीय राजनीति की गरिमा अब सवालो के घेरे में है। पूरा देश अपने रहनुमाओं के कारगुजारियों से सकते में है। रहनुमा भी एक दूसरे पर मर्यादा को तार-तार करने के आरोप लगाते रहें हैं। ऐसे में सवाल भी उठने लगा है कि संसदीय मर्यादा को किसने तोड़ा? इस सवाल पर जन मानस भले ही बंटा हो। पर, टूटते मर्यादा से किसी को भी इनकार नहीं है। हालात इस मोड़ पर है कि संसदीय व्यवस्था से आवाम का भरोसा उठने का खतरा भी मंडराने लगा है।
कौन करेगा सुधार
भारत में सात दशक से चली आ रही संसदीय परंपरा की सूढृता को धरासयी करने के लिए जिम्मेवार कौन? बहरहाल, यह सवाल चर्चा का विषय बन चुका है। हालांकि, इसका सबसे दुखद पहलू ये है कि देश का आवाम जाति, धर्म और पार्टी में बट कर, इस सवालो का जवाब तलाशने में लगें हैं। नतीजा, सम्यक निष्कर्ष से हम अक्सर दूर ही छूट जातें हैं और मूल समस्या को ठीक से समझ भी नहीं पाते है। मौजूदा दौर में हममें से अधिकांश लोग इसी को राजनीति भी कहने लगे हैं।
संसदीय प्रणाली का मतलब
दरअसल, भारत दुनिया का सबसे मजबूत संसदीय प्रणाली वाला देश है। संसद में इस देश की तस्वीर ही नही, बल्कि तकदीर भी तय होता है। जहां गरीबी, शिक्षा, रोजगार, आधारभूत संरचना, रक्षा और जन सरोकार की दिशा तय होनी चाहिए थी। वहां बैठ कर पार्टियां अपना एजेंडा चलाने लगी है। विकास और जीडीपी की जगह हमने अपने संसद को चुनाव प्रचार का अखाड़ा बना दिया है। कहतें है कि सांसद, जब राष्ट्रवाद को हाशिये पर रख कर, व्यक्तिवाद को चमकाने में लग जाएं, तो संसदीय प्रणाली की गरिमा पर सवाल उठना लाजमी हो जायेगा।
खतरे में है भविष्य
कहतें हैं कि शेर, वह अल्फाज है, जिसके सहारे कम शब्दो में हम पूरी बात रख देते है। किंतु, हालिया दिनो में संसद के भीतर शेरो-शायरी का जो दौर शुरू हुआ है, वह चौकाने वाला है। आलम यही रहा तो निकट भविष्य में हमें अपने लिए सांसद नहीं, बल्कि, बेहतर शायर चुनना पड़ेगा। सोचिए, तब क्या होगा, जब संसद में जन सरोकार के बदले पप्पी-झप्पी और आंख मटकाने पर चर्चा होने लगे। किसने और किसको बेहतर तरीके से आंख मारा? इस पर मत विभाजन होने लगे। गले पड़ना नियम संगत है कि नहीं? इस पर डिबेट शुरू हो जाये और आवाम इसी को आधार बना कर मतदान भी करने लगे। तब क्या होगा? हकीकत तो ये है कि हम इस रेस का हिस्सा बन चुकें हैं। सवाल ये नहीं है कि गलती किसने की? सवाल ये है कि उनको ऐसी हरकत करने की ताकत किसने दी और सबसे बड़ा सवाल ये कि ऐसी ओछी हरकत के बाद भी, हम कब तक ताली बजा-बजा कर, वाह-वाह करते रहेंगे? सोचिए…, सोचने का वक्त आ गया है।सबसे पहले KKN Live के इस पेज को आप फॉलो कर लें। ताकि, आप हमारे पोस्ट का हिस्सा बन सके। यदि यह पोस्ट आपको पसंद आये, तो इसे लाइक और शेयर जरुर करें। आप इस पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर लिखें। मुझे आपके जवाब का इंतजार रहेगा।