KKN गुरुग्राम डेस्क | दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना नदी में कच्चे जल को प्रदूषित करने के लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इसे “जैविक युद्ध” (Biological Warfare) करार देते हुए कहा कि इस प्रदूषित जल से दिल्ली के नागरिकों की जान को खतरा हो सकता है। हालांकि, दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की सीईओ शिल्पा शिंदे ने इन दावों को खारिज करते हुए इसे “भ्रामक और तथ्यहीन” बताया।
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यमुना के पानी की गुणवत्ता को लेकर यह विवाद ऐसे समय में बढ़ा है, जब दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दोनों राजनीतिक दल, आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP), इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
केजरीवाल का आरोप: “जैविक युद्ध”
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को पालम विधानसभा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार ने यमुना नदी में जहर छोड़कर दिल्ली की जल आपूर्ति को प्रदूषित किया है। उन्होंने कहा,
“यह एक तरह का जैविक युद्ध है, जो दिल्ली के नागरिकों के लिए घातक साबित हो सकता है।”
केजरीवाल का कहना है कि यमुना में औद्योगिक कचरा और बिना उपचारित सीवेज (Untreated Sewage) छोड़ा जा रहा है, जिससे दिल्ली में जल संकट बढ़ सकता है।
दिल्ली जल बोर्ड का खंडन
दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की सीईओ शिल्पा शिंदे ने केजरीवाल के आरोपों को “तथ्यहीन और भ्रामक” करार दिया। उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव धर्मेंद्र को लिखे एक पत्र में कहा कि इस तरह के आरोप अंतरराज्यीय संबंधों और जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
शिल्पा शिंदे ने स्पष्ट किया कि यमुना के पानी की गुणवत्ता को नियमित रूप से मॉनिटर किया जाता है और जरूरत पड़ने पर जल उपचार प्रक्रियाओं (Water Treatment Processes) को अपडेट किया जाता है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में यमुना में अमोनिया का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है, क्योंकि पानी का प्रवाह कम हो जाता है और नदी में बिना उपचारित कचरे का मिश्रण बढ़ जाता है।
शिंदे ने कहा,
“DJB के जल उपचार संयंत्र (Water Treatment Plants) 6.5 ppm तक के अमोनिया स्तर को संभालने में सक्षम हैं। इसके लिए हम कैरियर लाइन चैनल (Carrier Lined Channel) और दिल्ली सब-ब्रांच से पानी का उपयोग करते हैं, ताकि इसे पतला किया जा सके।”
हरियाणा सरकार का जवाब
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने केजरीवाल के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आप सरकार अपनी विफलताओं का दोष दूसरों पर मढ़ने की कोशिश कर रही है।
हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया कि वे यमुना में प्रदूषण को कम करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। इसके तहत पाइपलाइनों की स्थापना और सीवेज उपचार संयंत्रों में सुधार जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
यमुना जल प्रदूषण: मुख्य कारण
यमुना नदी दिल्ली के लिए पानी का मुख्य स्रोत है, लेकिन यह वर्षों से प्रदूषण का सामना कर रही है। इसके प्रदूषण के पीछे निम्नलिखित कारण हैं:
- कम जल प्रवाह:
सर्दियों में यमुना का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे प्रदूषकों का घनत्व (Concentration) बढ़ जाता है। - औद्योगिक कचरा:
हरियाणा और अन्य राज्यों में उद्योगों द्वारा बिना उपचारित कचरा नदी में छोड़ा जाता है। - बिना उपचारित सीवेज:
शहरी क्षेत्रों से आने वाला बिना उपचारित सीवेज नदी की गुणवत्ता को और खराब करता है।
राजनीतिक माहौल: चुनाव से पहले का तनाव
दिल्ली में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है। यमुना की सफाई और जल गुणवत्ता को लेकर आप और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।
आप सरकार का आरोप:
- हरियाणा सरकार यमुना में जानबूझकर कचरा डाल रही है।
- यह दिल्ली की जल आपूर्ति को बाधित करने की साजिश है।
भाजपा का पलटवार:
- आप सरकार अपनी विफलताओं का दोष हरियाणा पर मढ़ रही है।
- दिल्ली की जल आपूर्ति और उपचार संयंत्रों में सुधार करने में आप सरकार नाकाम रही है।
दिल्ली जल बोर्ड की प्रबंधन रणनीति
हालांकि राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं, दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि वह जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रभावी कदम उठा रहा है।
- अमोनिया उपचार क्षमता:
DJB के प्लांट 6.5 ppm तक के अमोनिया स्तर को संभाल सकते हैं। - जल पतला करना:
कैरियर लाइन चैनल और दिल्ली सब-ब्रांच से पानी मिलाकर प्रदूषित जल को पतला किया जाता है। - नियमित मॉनिटरिंग:
जल गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जाती है और आवश्यकतानुसार उपचार प्रक्रियाओं में बदलाव किया जाता है।
विशेषज्ञों की राय: समाधान की जरूरत
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना के प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली और हरियाणा को आपसी सहयोग से काम करना होगा।
अनुशंसित उपाय:
- नदी में कचरा छोड़ने वाले उद्योगों पर सख्त जुर्माना लगाया जाए।
- यमुना में स्वच्छ पानी का प्रवाह बढ़ाने के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएं।
- सीवेज उपचार संयंत्रों को मजबूत किया जाए।
- जनजागरूकता अभियानों के जरिए लोगों को घरेलू और औद्योगिक प्रदूषण कम करने के लिए प्रेरित किया जाए।
अंतरराज्यीय संबंधों पर असर
दिल्ली जल बोर्ड की सीईओ शिल्पा शिंदे ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि डर पैदा करने वाले बयानों से न केवल दिल्ली के नागरिक गुमराह होंगे, बल्कि यह हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण अपस्ट्रीम राज्य के साथ संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस मामले को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा जाए और समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
यमुना जल प्रदूषण विवाद ने दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी को लेकर बढ़ते तनाव को उजागर किया है। चुनावी माहौल में इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए सहयोग और ठोस नीतियों की आवश्यकता है।
जब तक राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त रहेंगे, दिल्ली के नागरिकों को सुरक्षित और स्वच्छ पानी मिलना मुश्किल बना रहेगा। यमुना की सफाई और जल गुणवत्ता सुनिश्चित करना न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह लाखों लोगों के स्वास्थ्य और जीवन के लिए जरूरी है।
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