उत्तर प्रदेश में फॉक्सकॉन की पहली फैक्ट्री की तैयारी, ग्रेटर नोएडा में 300 एकड़ ज़मीन पर बन सकती है यूनिट

Foxconn to Establish Its First Independent Manufacturing Unit in Uttar Pradesh

KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को बढ़ावा देने की दिशा में एक और बड़ी सफलता मिलने जा रही है। एप्पल जैसी दिग्गज कंपनी के लिए आईफोन बनाने वाली फॉक्सकॉन अब उत्तर प्रदेश में अपनी पहली स्वतंत्र निर्माण इकाई स्थापित करने की योजना बना रही है। यह यूनिट ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे के पास लगभग 300 एकड़ ज़मीन पर विकसित की जा सकती है।

यह पहली बार होगा जब फॉक्सकॉन यूपी में किसी यूनिट की स्थापना स्वतंत्र रूप से करेगी, यानी किसी साझेदारी के बिना पूरी तरह खुद के निवेश से यह प्लांट बनाया जाएगा।

फॉक्सकॉन क्यों ला रही है यूपी में फैक्ट्री?

चीन में बढ़ते उत्पादन खर्च और वैश्विक सप्लाई चेन में हो रहे बदलावों के चलते कई वैश्विक कंपनियां अब भारत का रुख कर रही हैं। भारत सरकार द्वारा शुरू की गई “मेक इन इंडिया” और पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम्स ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।

फॉक्सकॉन पहले से ही तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना में फैक्ट्रियां चला रही है, लेकिन उत्तर भारत में यह इसकी पहली बड़ी उपस्थिति होगी। यह निर्णय भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

ग्रेटर नोएडा में कहां लगेगी यूनिट?

सूत्रों के अनुसार, यह यूनिट यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित की जाएगी, जो ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ती है। इस क्षेत्र का विकास यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) द्वारा किया जा रहा है।

यह वही इलाका है जहां HCL-फॉक्सकॉन पहले ही 50 एकड़ ज़मीन ले चुकी है, जिसमें एक OSAT (Outsourced Semiconductor Assembly and Testing) यूनिट की योजना है। हालांकि, यह प्रोजेक्ट अभी मंजूरी की प्रक्रिया में है।

क्या बनेगा इस यूनिट में?

फिलहाल यह साफ नहीं है कि इस यूनिट में कौन-कौन से प्रोडक्ट बनाए जाएंगे। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि यह यूनिट बेंगलुरु में बन रही फैक्ट्री से भी बड़ी हो सकती है। बेंगलुरु यूनिट को फॉक्सकॉन की दूसरी सबसे बड़ी यूनिट बताया जा रहा है।

फॉक्सकॉन न केवल एप्पल के लिए iPhone बनाती है, बल्कि Microsoft और Sony के लिए भी काम करती है। कंपनी स्मार्टफोन, टैबलेट, टीवी, सेमीकंडक्टर समेत कई इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का निर्माण करती है।

नोएडा क्यों चुना गया?

काउंटरपॉइंट रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट नील शाह के अनुसार:

“फॉक्सकॉन की यह योजना टैरिफ और ग्लोबल बाजार की स्थिति को देखते हुए समझदारी भरा कदम है। नोएडा अब चेन्नई की तरह ही एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है।”

यहां मौजूद बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, स्थानीय टैलेंट, और मजबूत सप्लाई चेन नेटवर्क इस क्षेत्र को मैन्युफैक्चरिंग के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग का बढ़ता दायरा

भारत में पिछले साल iPhone का उत्पादन 22 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। हर 5 में से 1 iPhone अब भारत में बना है, जो यह दिखाता है कि भारत कैसे चीन का विकल्प बनकर उभर रहा है।

फॉक्सकॉन द्वारा यूपी में नई यूनिट की स्थापना भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट के क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर बनाने की दिशा में अहम योगदान दे सकती है।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय

साइबरमीडिया रिसर्च के वाइस-प्रेसिडेंट प्रभु राम का मानना है कि:

“भारत का बाजार लगातार मजबूत हो रहा है। बदलती वैश्विक सप्लाई चेन भारत को फायदा पहुंचा रही है। फॉक्सकॉन जैसे निवेशकों का भारत में विस्तार यह दर्शाता है कि भारत अब केवल कंजम्पशन मार्केट नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट हब बनता जा रहा है।”

सिर्फ स्मार्टफोन नहीं, बड़े सेक्टर्स में विस्तार की तैयारी

फॉक्सकॉन अब सिर्फ मोबाइल निर्माण तक सीमित नहीं रहना चाहती। पिछले साल भारत दौरे के दौरान फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लियू ने कहा था कि कंपनी का फोकस सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT), इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV), ऊर्जा क्षेत्र, और डिजिटल हेल्थ जैसे सेक्टर्स में भी उत्पादन बढ़ाने का है।

सरकार और फॉक्सकॉन के बीच बातचीत जारी

सूत्रों के अनुसार, भारत सरकार ने पिछले साल फॉक्सकॉन को 300 एकड़ ज़मीन की पेशकश की थी। फिलहाल सरकार और कंपनी के बीच बातचीत जारी है। अभी यह भी तय नहीं हुआ है कि इस प्लांट में कौन-कौन सी कंपनियों के लिए उत्पादन किया जाएगा।

हालांकि इस बात के पूरे संकेत हैं कि अगर बातचीत सफल होती है, तो उत्तर प्रदेश को एक नए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभरने का बड़ा अवसर मिलेगा।

फॉक्सकॉन की यह प्रस्तावित यूनिट उत्तर प्रदेश और भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर हो सकता है। यह न केवल हजारों रोजगार पैदा करेगा, बल्कि यूपी को भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान भी दिला सकता है।

भारत सरकार की डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने की योजनाओं को यह निवेश नई गति देगा।

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