मौत की वजह भूख है या बीमारी

विरोधाभासी बयानो में उलझी हकीकत

KKN न्यूज ब्यूरो। आंखों से निकलते अविरल आंसू पर काबू करके मुन्ना कहता है कि पापा लम्बे समय से बीमार थे। पैसे के अभाव में उनका ठीक से इलाज नहीं हुआ और आज उनकी मौत हो गई। यह कहते हुए मुन्ना फफक पड़ता है। खुद को खुदही सम्भालता है और फिर कहने लगता है- लॉकडाउन की वजह से बेकार बैठे थे और पिछले दो रोज से खाने को नहीं मिला था…। बिहार के मीनापुर थाना से महज दो किलोमीटर की दूरी पर बहवल बाजार गांव में मंगलवार की शाम अधेड़ उम्र महेश राम का शव जमीन पर पड़ा था और कोई विलाप करने वाला भी नहीं था। एक साल पहले पत्नी छोर कर चली गई। एकलौत पुत्र मुन्ना अभी नबालिग है और पिता का साया उठने से अनाथ हो चुका है। पिता के शव को जमीन पर पड़ा देख मुन्ना बदहवास है। समझ में नहीं आता है कि क्या करें?

 

मृतक का चचेरा भाई चन्देश्वर राम की माने तो महेश जबरदस्त आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। इलाज के लिए पुस्तैनी जमीन बेचना पड़ा। दिन में भिख मांग कर पेट भरता था और रात में समीप के सामुदायिक भवन में सो जाता था। वह अक्सर बाहर भी चला जाता था। समाजिक कार्यकर्ता मो. असगर और वार्ड सदस्य रीणा देवी जोर देकर कहतीं है कि महेश के मौत का कारण भूख है। मौके पर मौजूद कई अन्य लोगो ने भी भूख को मौत की वजह बताना शुरू कर दिया था। हालांकि, भीड़ में मौजूद कुछ लोगो का कहना था कि पिछले 24 घंटे से महेश को लगातार दस्त हो रहा था। यानी मौत का कारण डिहाड्रेशन भी हो सकता है। हालांकि, यहां यह सवाल भी मौजू है कि क्या 21वीं सदी में मौत की वजह भूख हो सकती है? दरअसल, यह एक बड़ा सवाल है और इसकी पड़ताल करना यहां जरुरी हो जाता है।

सच्चाई को समझने के लिए हमारे रिपोटर ने स्थानीय मुखिया से संपर्क किया। मुखिया इंदल सहनी ने भूख से मौत को सिरे से खारिज करते हुए कई वजह गिना दिये। मुखिया ने बताया कि महेश यक्ष्मा यानी टीबी रोग से ग्रसित था और लम्बे समय से मेडिकल में अपना इलाज करा रहा था। मुखिया ने कई बार इलाज में उसकी मदद की और रुपये दिये। दूसरा ये कि पत्नी के छोर कर चले जाने के बाद से वह पिछले एक साल से मानसिक रुप से टूट चुका था। मुखिया मानतें है कि महेश आर्थिक तंगी का जबरदस्त शिकार था। पर, भूख से मौत का खंडन करते है। मुखिया ने बताया कि उसके नाम का राशनकार्ड था, जो उसकी पत्नी अपने साथ लेकर चली गई। किंतु, महेश के गरीबी पर तरस खाकर डीलर ने राशनकार्ड नम्बर को सहारा बनाया और नम्बर के आधार पर ही महेश को राशन का आबंटन मिल रहा था। सवाल फिर वहीं। जब घर में राशन मौजूद था, तब भूख से मौत कैसे हो गइ?

मीनापुर के बीडीओ अमरेन्द्र कुमार भूख से मौत होने को सिरे से खारिज करते है। वहीं सीओ ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव बतातें है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आते ही मौत के असली कारणो का खुलाशा हो जायेगा। सवाल उठता है कि जब पोस्टमार्टम हुआ ही नहीं, तो रिपोर्ट कैसे आयेगा? दरअसल, गांववालो ने महेश का दाह संस्कार कर दिया है। अब मौत का कारण चाहे जो हो? पर, मौत की बड़ी वजह गरीबी है और इससे किसी को इनकार नहीं है।

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