भारत ने सिंधु जल संधि सस्पेंड की, पाकिस्तान ने चीन से लगाई पानी रोकने की गुहार – जानिए सच्चाई

India, China, and Water Wars: Why China's Brahmaputra Control Won't Affect India Like Pakistan Thinks

KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड करने के फैसले ने दक्षिण एशिया में नई कूटनीतिक हलचल पैदा कर दी है।
पाकिस्तान, जो इस संधि से सबसे अधिक लाभान्वित रहा है, अब चीन से भारत पर “पानी का प्रहार” करने की गुहार लगा रहा है।
लेकिन क्या वाकई चीन भारत के पानी को रोक सकता है? और अगर ऐसा होता है तो भारत पर क्या असर पड़ेगा? आइए समझते हैं।

भारत ने क्यों सस्पेंड की सिंधु जल संधि?

पिछले कई दशकों से, भारत ने पाकिस्तान के साथ शांति की नीति अपनाई थी।
1965, 1971 की लड़ाइयों और कारगिल संघर्ष के बावजूद भारत ने सिंधु जल संधि को बरकरार रखा था।
लेकिन पाकिस्तान द्वारा लगातार आतंकवाद को समर्थन और “हजार कट” की रणनीति के तहत भारत को कमजोर करने की कोशिशों ने अब भारत को कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया।

भारत का संदेश साफ है:

“आतंकवाद और संवाद एक साथ नहीं चल सकते।”

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: चीन से मदद की उम्मीद

भारत के इस कदम से पाकिस्तान बौखला गया है और अब वह चीन से उम्मीद कर रहा है कि वह ब्रह्मपुत्र नदी का पानी रोककर भारत को सबक सिखाएगा।
पाकिस्तानी मीडिया और एक्सपर्ट्स दावा कर रहे हैं कि:

  • “भारत की ज्यादातर नदियां चीन से निकलती हैं।”

  • “अगर चीन पानी रोकता है तो भारत बूंद-बूंद को तरसेगा।”

हालांकि, हकीकत इससे काफी अलग है।

भारत-चीन जल विवाद: पाकिस्तान जैसा नहीं है मामला

भारत और चीन के बीच जल विवाद का चरित्र पाकिस्तान से बिल्कुल अलग है:

  1. कोई जल संधि नहीं:
    भारत और चीन के बीच कोई सिंधु जल संधि जैसी बाध्यकारी संधि नहीं है।
    केवल कुछ नदियों (जैसे ब्रह्मपुत्र) के लिए बाढ़ के मौसम में जल आंकड़ों के आदान-प्रदान को लेकर समझौते (MoUs) हैं।

  2. भारत चीन में आतंकवाद नहीं फैलाता:
    भारत ने चीन के आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप नहीं किया है, न ही अलगाववादी आंदोलनों का समर्थन किया है।

  3. सीमा विवाद, आतंकवाद नहीं:
    भारत और चीन के बीच विवाद सीमित सीमा क्षेत्रों (जैसे गलवान) को लेकर हैं, जबकि पाकिस्तान का भारत के खिलाफ रुख आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला रहा है।

इसीलिए चीन के पास भारत के खिलाफ पानी रोकने जैसा कदम उठाने का कोई बड़ा कारण नहीं है।

क्या चीन वाकई भारत का पानी रोक सकता है?

तकनीकी रूप से, चीन ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी हिस्से को नियंत्रित करता है और तिब्बत के मेडोग क्षेत्र में एक सुपर डैम बना रहा है।
परंतु:

  • चीन का मुख्य मकसद जलविद्युत उत्पादन और आंतरिक विकास है।

  • चीन अंतरराष्ट्रीय छवि खराब करने से बचेगा।

  • भारत के खिलाफ जल को हथियार बनाने का जोखिम चीन खुद नहीं उठाएगा, जब तक कोई बड़ा उकसावा न हो।

इसलिए पाकिस्तान की आशा बेमानी लगती है।

अगर चीन पानी रोकता है तो भारत पर असर क्या होगा?

अगर चीन ब्रह्मपुत्र का पानी रोकता है, तो असर इस प्रकार होगा:

  • प्रभावित राज्य:
    मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश, असम, और सिक्किम प्रभावित होंगे।

  • राष्ट्रीय स्तर पर असर:
    असर सीमित रहेगा। भारत के पास गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा जैसी दर्जनों नदियां हैं जो देश के भीतर से निकलती हैं।

  • खेती पर प्रभाव:
    पूर्वोत्तर राज्यों में खेती पर असर पड़ सकता है, लेकिन देशव्यापी खाद्यान्न संकट जैसी स्थिति नहीं बनेगी।

  • भारत की तैयारी:
    भारत तेजी से बांध और जल संरक्षण परियोजनाएं शुरू कर चुका है, ताकि पानी की आपातकालीन जरूरतों को पूरा किया जा सके।

पाकिस्तान की गलतफहमी

पाकिस्तान का सोचना कि चीन भारत का पानी रोक देगा और भारत त्राहिमाम कर उठेगा, एक भ्रामक कल्पना है:

  • चीन केवल अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है, पाकिस्तान की मांगों पर नहीं।

  • भारत और चीन के बीच समस्या सीमावर्ती मुद्दों तक सीमित है, आतंकवाद जैसा मामला नहीं है।

  • चीन का अपने आर्थिक हितों को देखते हुए भारत के साथ संबंध बिगाड़ना भी तर्कसंगत नहीं है।

भारत की मजबूत जल स्थिति

भारत की स्थिति पानी के मामले में मजबूत है:

  • स्वदेशी नदियों का जाल:
    भारत के अधिकांश नदी तंत्र देश के अंदर से निकलते हैं।

  • जल संरक्षण:
    भारत ने बड़े पैमाने पर नहरें, जलाशय, और भूजल प्रबंधन परियोजनाएं बनाई हैं।

  • आगामी योजनाएं:
    पूर्वोत्तर में फास्ट-ट्रैक डैम निर्माण और जल भंडारण परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं।

इसलिए भारत के सामने पाकिस्तान जैसी जल संकट स्थिति पैदा नहीं होगी।

इतिहास से सबक: भारत का धैर्य

भारत ने 1965, 1971, और कारगिल जैसी लड़ाइयों के बावजूद सिंधु जल संधि को कायम रखा था।
यह पहली बार है जब भारत ने इतने आक्रामक तरीके से जल संसाधनों को रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का संकेत दिया है।
यह कदम जल्दबाजी में नहीं, बल्कि दशकों के अनुभव के बाद उठाया गया है।

भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना रणनीतिक परिपक्वता और आत्मसम्मान का प्रतीक है।
पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता की कल्पना इस बार भी गलत साबित होगी।

चीन चाहे जलविद्युत परियोजनाएं बनाए, लेकिन भारत के खिलाफ पानी को युद्ध का हथियार बनाना उसके अपने हितों के खिलाफ होगा।
भारत हर परिस्थिति के लिए तैयार है, और जल संकट जैसी कोई आपात स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

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