KKN गुरुग्राम डेस्क | खरमास का समय समाप्त होते ही बिहार में मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाएगा। 14 अप्रैल के बाद, विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों का दौर शुरू होगा, और लोग विवाह की शुभ तिथियों का इंतजार कर रहे हैं। इस वर्ष वैशाख और जेठ में कुल 33 विवाह मुहूर्त हैं, लेकिन आषाढ़ माह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। वहीं, 11 जून से गुरु (बृहस्पति) पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे, जिससे मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी।
खरमास खत्म, विवाह कार्यों का शुभारंभ
14 अप्रैल को खरमास समाप्त होने के साथ ही विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। खरमास के दौरान लोग विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं करते, लेकिन जैसे ही खरमास समाप्त होता है, विवाह के लिए शुभ तिथियाँ फिर से उपलब्ध हो जाती हैं। इस वर्ष वैशाख और जेठ माह में 33 विवाह मुहूर्त हैं, जो विशेष रूप से लोगों के लिए विवाह की सर्वोत्तम तिथियाँ मानी जाती हैं।
लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस वर्ष आषाढ़ माह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। इस महीने में शादियाँ आयोजित करने से बचना चाहिए, क्योंकि ज्योतिष के अनुसार यह माह विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता। इस तरह, ज्यादातर लोग वैशाख और जेठ माह की तिथियों को प्राथमिकता देंगे।
जून से विवाह कार्यों पर लगेगा रोक
यदि आप जून 2025 में विवाह करने का सोच रहे हैं, तो आपको ध्यान रखना होगा कि 11 जून के बाद विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। गुरु (बृहस्पति) 11 जून को पश्चिम दिशा में अस्त हो जाएंगे, और इसके साथ ही मांगलिक कार्यों के लिए यह समय अशुभ माना जाएगा। इस समय में विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों का आयोजन नहीं किया जाता है।
यह स्थिति तब तक जारी रहेगी, जब तक गुरु (बृहस्पति) 7 जुलाई को पुनः पूर्व दिशा में उदय नहीं होते। तब तक, विवाह कार्यों को स्थगित करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान विशेष रूप से विवाह समारोह और अन्य मांगलिक कार्यों से बचना चाहिए।
विवाह सीजन में नए नोटों की मांग
विवाह सीजन के दौरान नए नोटों की मांग भी बढ़ जाती है। शादियों में नए नोटों का लेन-देन करना एक परंपरा बन चुका है। लोग विवाह में उपहार के रूप में नए नोट देने को प्राथमिकता देते हैं, विशेष रूप से 10 और 20 रुपये के नोटों की मांग अधिक होती है।
लेकिन जैसे-जैसे विवाह के मुहूर्त पास आते हैं, बाजार में नए नोट की कमी हो जाती है, और लोग परेशान हो जाते हैं। भोला सिंह, जो उदवंतनगर के निवासी हैं, कहते हैं, “विवाह सीजन शुरू होते ही नए नोटों की डिमांड बढ़ जाती है, लेकिन बैंकों से यह नोट नहीं मिल पाते। लोग परेशान होते हैं और काले बाजार में महंगे दामों पर नए नोट मिलते हैं।”
काले बाजार में नए नोट अधिक कीमत पर बिकते हैं, और बिचौलिए इसका फायदा उठाते हैं। इस समय बैंक अधिकारियों के लिए भी यह एक चुनौती बन जाती है, क्योंकि वे अपनी शाखाओं में नए नोटों की आपूर्ति नहीं कर पाते हैं।
14 अप्रैल को मनाया जाएगा सतुआन पर्व
इसके अलावा, 14 अप्रैल को सतुआन पर्व मनाया जाएगा, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह पर्व सूर्य के मीन राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से रबी फसल के आने की खुशी में मनाया जाता है।
इस दिन लोग गंगा स्नान करने जाते हैं और दान पुण्य करते हैं। विशेष रूप से लोग गंगा स्नान को अधिक महत्व देते हैं। घरों में लोग कुलदेवता को जौ का सत्तू, गुड़ और कच्चा आम चढ़ाते हैं। इसके साथ ही लोग सत्तू के लड्डू और घेवड़ा खाते हैं। यह दिन कृषि से संबंधित खुशी और सामाजिक सहयोग का प्रतीक है।
खरमास का समय समाप्त होते ही विवाह मुहूर्त की शुरुआत होगी और बिहार में मांगलिक कार्यों का मौसम शुरू हो जाएगा। वैशाख और जेठ में 33 विवाह मुहूर्त हैं, लेकिन आषाढ़ में कोई मुहूर्त नहीं है। साथ ही, 11 जून से गुरु का पश्चिम में अस्त होना मांगलिक कार्यों को रोक देगा, जो जुलाई तक प्रभावी रहेगा।
इसके अलावा, विवाह सीजन में नए नोटों की बढ़ती मांग और सतुआन पर्व की विशेषता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह समय न केवल विवाहों के लिए बल्कि पारंपरिक धार्मिक कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान बाजार में रौनक बढ़ेगी और लोग अपनी खुशियों में शामिल होने के लिए तैयार होंगे।