KKN गुरुग्राम डेस्क | आज के समय में UPI (Unified Payments Interface) ने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को काफी आसान बना दिया है। पानीपुरी से लेकर पांच सितारा होटल तक, सब्जी खरीदने से लेकर शॉपिंग मॉल तक, हर जगह लोग अब UPI से पेमेंट कर रहे हैं। लेकिन सोचिए अगर अचानक आपका UPI पेमेंट फेल हो जाए तो क्या होगा? ऐसा हाल ही में कई बार हो चुका है और इससे लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है।
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इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि अगर UPI ट्रांजैक्शन फेल हो जाए तो क्या समस्या आती है, इसके पीछे की वजहें क्या हैं और इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।
UPI क्यों है आज के दौर में इतना जरूरी?
भारत में डिजिटल पेमेंट की क्रांति का सबसे बड़ा चेहरा UPI बन चुका है। राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा संचालित यह सिस्टम, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और देश के बैंकों के सहयोग से चलता है। इसका इस्तेमाल अब हर वर्ग के लोग कर रहे हैं।
आज UPI सिर्फ पेमेंट का तरीका नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद साथी बन चुका है। लेकिन यह भी एक तकनीकी सिस्टम है और तकनीकी गड़बड़ियों से यह भी अछूता नहीं है।
पिछले 15 दिनों में तीन बार फेल हुआ UPI सिस्टम
हाल ही में देश में तीन बार UPI सिस्टम फेल हुआ है, जिससे लाखों लोगों को शर्मिंदगी और असुविधा का सामना करना पड़ा। इन घटनाओं का विवरण इस प्रकार है:
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26 मार्च 2025: लगभग 3 घंटे तक UPI सेवा ठप रही।
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2 अप्रैल 2025: कुछ घंटों तक UPI ट्रांजैक्शन में रुकावटें आईं।
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12 अप्रैल 2025: करीब 3-4 घंटे तक UPI सेवा फिर बाधित रही।
इस दौरान लोग रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद पेमेंट नहीं कर पाए, टैक्सी में सफर करने के बाद कैश न होने की वजह से फंस गए और दुकानों में खरीदी के बाद पेमेंट करने में असमर्थ रहे।
UPI फेल क्यों हो रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि UPI ट्रांजैक्शन की अत्यधिक वृद्धि इसकी सबसे बड़ी वजह है। वर्तमान में:
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35 करोड़ से ज्यादा लोग UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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देश में 34 करोड़ से ज्यादा QR कोड UPI से जुड़े हुए हैं।
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661 बैंक UPI नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
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हर दिन 60 करोड़ से ज्यादा UPI ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
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हर घंटे 2.5 करोड़ और हर मिनट करीब 4.17 लाख ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
इतने भारी ट्रैफिक के कारण सर्वर पर दबाव बढ़ जाता है और कभी-कभी सिस्टम क्रैश हो जाता है।
मार्च 2025 में UPI ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड
UPI की लोकप्रियता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है:
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मार्च 2025 में 1830 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए।
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कुल लेनदेन की राशि रही ₹24.77 लाख करोड़।
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मार्च 2020 में ट्रांजैक्शन थे ₹2.06 लाख करोड़ के।
सिर्फ 5 सालों में ट्रांजैक्शन वैल्यू में 1100% की बढ़ोतरी, और संख्या में 1136% की वृद्धि देखी गई है। यह अपने आप में एक डिजिटल क्रांति है।
अगर UPI फेल हो जाए तो क्या समस्याएं होती हैं?
UPI फेल होने पर आम लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है:
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रेस्टोरेंट में खाने के बाद पेमेंट न कर पाना
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कैब में सफर के बाद ड्राइवर को पैसे न दे पाना
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ऑनलाइन शॉपिंग फेल हो जाना
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छोटे दुकानदारों से खरीदारी पर कैश न होने की वजह से असमर्थता
यह सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि कई बार शर्मिंदगी की स्थिति भी पैदा कर देता है।
UPI फेल से बचने के लिए हमेशा रखें कुछ कैश
आजकल बहुत से लोग सिर्फ मोबाइल और UPI पर निर्भर रहते हैं। लेकिन इन घटनाओं से यह साफ हो गया है कि कैश का विकल्प अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
इसलिए अब यह जरूरी हो गया है कि आप अपने पर्स में कम से कम ₹500 से ₹2000 तक कैश जरूर रखें, ताकि ऐसे हालात में आप फंसें नहीं।
UPI का अंतरराष्ट्रीय विस्तार
भारत का UPI सिस्टम सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी अपनाया जा रहा है। आज भारतीय UPI इन देशों में भी काम कर रहा है:
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भूटान
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सिंगापुर
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फ्रांस
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श्रीलंका
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UAE (संयुक्त अरब अमीरात)
यह भारत की डिजिटल ताकत को दर्शाता है, लेकिन यह भी बताता है कि अगर हम इसका निरंतर विकास नहीं करते, तो सिस्टम फेल हो सकता है।
UPI फेल से कैसे बचें: सुझाव और उपाय
1. हमेशा कैश रखें
डिजिटल पेमेंट पर पूरी तरह निर्भर न रहें। कुछ नकद जरूर रखें।
2. एक से अधिक UPI ऐप इस्तेमाल करें
Google Pay, PhonePe, Paytm—अगर एक फेल हो जाए, तो दूसरे का विकल्प हो।
3. नेटबैंकिंग और डेबिट/क्रेडिट कार्ड का बैकअप रखें
डिजिटल भुगतान के अन्य विकल्प भी रखें।
4. e-Wallet में थोड़ी राशि रखे रहें
Paytm Wallet या अन्य ई-वॉलेट्स में कुछ राशि रख सकते हैं जो बिना इंटरनेट के भी चलती है।
5. बैंक अलर्ट और एप अपडेट्स पर नजर रखें
अगर कोई तकनीकी परेशानी हो रही है, तो बैंक और ऐप्स की सूचना देखें।
UPI ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, लेकिन किसी भी तकनीक की अपनी सीमाएं होती हैं। जिस तरह पुल गिरने पर हम बैकअप रास्ते ढूंढते हैं, वैसे ही डिजिटल पेमेंट फेल होने पर कैश का होना जरूरी है।
डिजिटल इंडिया की दिशा में यह जरूरी है कि हम टेक्नोलॉजी के साथ-साथ व्यवहारिक सोच भी अपनाएं। अगली बार जब आप बाहर जाएं, तो मोबाइल के साथ अपना बटुआ और उसमें कुछ नकद जरूर रखें।
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