KKN गुरुग्राम डेस्क | राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच खेले गए सुपर ओवर मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन और कोच राहुल द्रविड़ द्वारा लिए गए कुछ फैसलों ने क्रिकेट विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। खासकर सुपर ओवर में नीतीश राणा को नहीं भेजने के फैसले को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। शेन वॉटसन, चेतेश्वर पुजारा और इयान बिशप जैसे दिग्गज क्रिकेटरों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि अगर राणा को सुपर ओवर में मौका दिया जाता, तो नतीजा कुछ और हो सकता था।
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सुपर ओवर में हुआ क्या?
सुपर ओवर का मैच क्रिकेट में सबसे रोमांचक और निर्णायक पल होता है। जब मैच टाई हो जाता है, तब सुपर ओवर के जरिए एक टीम को विजेता घोषित किया जाता है। राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के बीच भी मैच सुपर ओवर में पहुंचा और दोनों टीमों ने अपने-अपने तरीके से मुकाबला किया। लेकिन राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन और कोच राहुल द्रविड़ ने जिन बल्लेबाजों को सुपर ओवर में भेजा, वह विशेषज्ञों के अनुसार सही निर्णय नहीं था।
संजू सैमसन और उनके कोच राहुल द्रविड़ ने इस मुकाबले में नीतीश राणा, जो कि अच्छे फॉर्म में थे और किसी भी दबाव का सामना कर सकते थे, को सुपर ओवर में नहीं भेजा। इसके बजाय, उन्होंने अन्य बल्लेबाजों पर दांव खेला। इस फैसले को लेकर अब क्रिकेट विशेषज्ञों में असंतोष है, और कई पूर्व क्रिकेटरों ने इसे गलत फैसला बताया है।
एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?
शेन वॉटसन, जो खुद एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर रहे हैं, ने कहा कि नीतीश राणा की मौजूदगी सुपर ओवर में टीम के लिए बहुत फायदेमंद हो सकती थी। राणा की बैटिंग तकनीक और दबाव को संभालने की क्षमता ने उन्हें इस तरह के अहम मौके पर एक अच्छे विकल्प के रूप में उभारा था। वॉटसन के अनुसार, राणा ने जो मैच में प्रदर्शन किया था, उसके हिसाब से वह इस स्थिति में एक अच्छे बल्लेबाज हो सकते थे।
इसी तरह, चेतेश्वर पुजारा, जो अपनी संतुलित और शांत बल्लेबाजी शैली के लिए प्रसिद्ध हैं, ने भी इस फैसले की आलोचना की। पुजारा का कहना था कि राणा को इस महत्वपूर्ण पल पर मौका देना चाहिए था क्योंकि उनके पास मानसिक मजबूती और खेल को नियंत्रित करने का अनुभव है।
इयान बिशप, जो एक पूर्व कैरेबियाई तेज गेंदबाज हैं, ने भी इस फैसले पर अपनी असहमति जताई। बिशप के अनुसार, राणा जैसे अनुभव वाले खिलाड़ी को इस तरह के महत्वपूर्ण पल में भेजना चाहिए था। वह मानते हैं कि राजस्थान रॉयल्स ने राणा के अनुभव का लाभ नहीं लिया और इसका असर सुपर ओवर के परिणाम पर पड़ा।
संजू सैमसन का नेतृत्व और फैसले
संजू सैमसन की कप्तानी के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि वह एक शांत और समझदार कप्तान हैं, जो दबाव में अच्छे निर्णय लेते हैं। हालांकि, इस सुपर ओवर में उनके निर्णय ने कई लोगों को हैरान किया। सैमसन ने खुद भी मैच के बाद स्वीकार किया कि वह कुछ फैसलों में गलती कर सकते हैं, लेकिन उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे भविष्य में और बेहतर करेंगे।
उनका यह फैसला, चाहे वह टीम की रणनीति का हिस्सा था या नहीं, यह साबित करता है कि कभी-कभी किसी दबावपूर्ण परिस्थिति में सही फैसले लेने के लिए खिलाड़ियों की क्षमता और स्थिति का सही आकलन बेहद जरूरी होता है। राहुल द्रविड़, जो क्रिकेट के दिग्गज कोच हैं, उनकी भूमिका भी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि उन्होंने सैमसन के साथ टीम के सभी फैसलों पर चर्चा की थी। हालांकि, सुपर ओवर में नीतीश राणा को न भेजने का फैसला सवालों के घेरे में है।
क्या नीतीश राणा को भेजना चाहिए था?
नीतीश राणा को सुपर ओवर में भेजने का सुझाव इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि वह एक अनुभवी और आक्रामक बल्लेबाज हैं, जो दबाव में भी अपने खेल को नियंत्रित कर सकते हैं। राणा ने कई मौकों पर साबित किया है कि वह जरूरी समय पर मैच का रुख बदल सकते हैं। उनके द्वारा किए गए त्वरित रन या शक्तिशाली शॉट्स राजस्थान रॉयल्स के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते थे।
अगर राणा को सुपर ओवर में भेजा जाता, तो राजस्थान रॉयल्स के पास मैच जीतने के अधिक मौके होते। उनका अनुभव और आक्रामक खेलने का तरीका टीम के लिए बहुत लाभकारी हो सकता था। इसके अलावा, राणा ने अपने पिछले मुकाबलों में जो शानदार प्रदर्शन किया था, वह यह साबित करता है कि उन्हें इस महत्वपूर्ण मौके पर मौका दिया जाना चाहिए था।
राजस्थान रॉयल्स की स्थिति और भविष्य की रणनीतियाँ
राजस्थान रॉयल्स के लिए यह एक सबक है। इस मुकाबले में हारने के बाद, उन्हें भविष्य में अपनी रणनीतियों और निर्णयों पर पुनः विचार करना चाहिए। कप्तान संजू सैमसन और कोच राहुल द्रविड़ को यह समझने की जरूरत है कि महत्वपूर्ण मौकों पर सही खिलाड़ियों को मौके देना टीम के लिए सफलता की कुंजी हो सकती है।
इस खेल से राजस्थान रॉयल्स को यह सिखने को मिलेगा कि कभी-कभी उनकी टीम में मौजूद कुछ खिलाड़ी सुपर ओवर जैसे महत्वपूर्ण समय में मैच को पलटने की क्षमता रखते हैं। उन्हें भविष्य में नीतीश राणा जैसे खिलाड़ियों पर विश्वास करना होगा, जो दबाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ राजस्थान रॉयल्स का सुपर ओवर में हारना इस बात का प्रमाण है कि कुछ फैसले सही वक्त पर लिए गए तो मैच का नतीजा बदल सकता था। संजू सैमसन और राहुल द्रविड़ ने शायद नीतीश राणा के बजाय अन्य खिलाड़ियों को मौका दिया, जिससे टीम को वह सफलता नहीं मिल पाई जो उन्हें मिलनी चाहिए थी। क्रिकेट में हर फैसले का असर परिणाम पर पड़ता है, और राजस्थान रॉयल्स को भविष्य में ऐसे फैसलों पर और अधिक सोच-समझ कर कदम उठाने होंगे।
यह महत्वपूर्ण है कि टीम और इसके कप्तान आने वाले मैचों में सही खिलाड़ियों को सही मौके दें, ताकि भविष्य में किसी भी महत्वपूर्ण मुकाबले में वे बेहतर प्रदर्शन कर सकें और जीत की ओर बढ़ सकें।
KKNLive पर हम आपको राजस्थान रॉयल्स और अन्य टीमों के प्रदर्शन से जुड़ी ताजातरीन जानकारी और विशेषज्ञों की राय प्रदान करते रहेंगे।