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  • बिहार में राजद की रैली, करबट बदलती राजनीति का संकेत

    बिहार में राजद की रैली, करबट बदलती राजनीति का संकेत

     तेजस्वी की ताजपोशी पर जनता ने लगाई मुहर

     बिहार। भाजपा भगाओ, देश बचाओ रैली में भीड़ जुटाने में राजद नेता मुकम्मल तौर पर कामयाब हो गयें हैं। रैली में माई समीकरण का जबरदस्त दबदबा से भी किसी को इनकार नही रहा। सबसे अहम बात ये कि भीड़ के द्वारा की जा रही जबरदस्त नारेबाजी ने तेजस्वी को राजद का नया अवतार स्वीकार कर लिया है।
    पार्टी ने भी तेजस्वी को स्थापित करने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंच पर तेजस्वी के अब तक के सभी प्रमुख भाषणों का आडियो- वीडियो का प्रसारण हो रहा था। लिहाजा, यह तय माना जा रहा है कि आने वाले समय में राजद की कमान तेजस्वी के हाथों में होगी और राजद का नया संस्करण बिहार की राजनीति में लोगो के सामने आएगा।
    लालू प्रसाद को रैली का महारत हासिल है। हालांकि, लालू प्रसाद का पूरा कुनबा इस वक्त भ्रष्टाचार से अकूत धन अर्जित करने के आरोपों से घिरा है। सीबीआई, ईडी, आयकर और अन्य एजेंसियां आरोपों की जांच कर रही है। अब देखना है कि इस रैली का इन जांचों पर क्या असर पड़ता है? मंच पर कॉग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और सीपी जोशी की मौजदगी के भी मायने निकाले जा रहें हैं। इनके अलावा मंच पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, झारखंड के दो पूर्व मुख्यमंत्री क्रमश: हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी की मौजूदगी खास मायने रखती हैं। कांग्रेस व सीपीआई के अलावा देश के 17 क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों का जुटान रैली को बड़ा आयाम दे गया है। जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव पार्टी अनुशासन की परवाह किए बगैर रैली में शामिल हो कर राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत दे गयें हैं।
    बहरहाल, यह भीड़ लालू की चुनौती को कितना कम करेगा? खुद उन्हें चारा घोटाले में रांची स्थित सीबीआई कोर्ट में हर दूसरे- तीसरे दिन हाजिरी लगानी पड़ रही है। रैली की कामयाबी के लिए राज्यभर का दौरा उनके लिए संभव नहीं था। ऐसे में उन्होंने योजना बनाकर काम किया। दूरदराज के इलाकों में तेजस्वी और तेजप्रताप के दौरे कराए। खुद पटना के आसपास के जिलों का दौरा किया। समर्थकों में गुस्सा पैदा करने के लिए आक्रामक भाषण का सहारा लिया। रांची और पटना में हर-दूसरे तीसरे दिन प्रेस कान्फ्रेंस करते रहे। उनकी बातों के दो पहलू रहे- पहला आरोपों की जांच को वह प्रतिशोध की कार्रवाई करार देते रहे तो आक्रामक पलटवार भी करते रहे। जदयू की नैतिकता के आधार पर महागठबंधन से अलग होने और फिर एनडीए के साथ सरकार बनाने के फैसले को वह धोखा करार देते रहे और इस चुनौती को पार करने में शरद यादव ने उनका साथ दिया। वैसे रैली में भीड़ इकट्ठा करने में राजद के 80 विधायकों की भी बड़ी भूमिका रही।
    सामाजिक समीकरण के जोड़-घटाव का गणित किस करवट बैठेगा और समीकरण कैसे और क्या आकार लेंगा? फिलहाल, इतना तो तय है कि रैली ने राजद को नई ऊर्जा प्रदान की है। अब राजद की चुनौती इससे बड़ी है कि अपने समर्थकों के जोश- जज्बे को वह लंबे समय तक कायम रखे। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इशारों में इस आशय की अपनी विनम्र चिंता भी जाहिर कर दी। उन्होंने कहा हाथ जोड़कर विनम्र प्रार्थना करती हूं, शांतिपूर्ण जाइएगा, आराम से जाइएगा ताकि किसी को कोई मौका नहीं मिले। दरअसल, यही वह चिंता है, जिससे उबरने की कोशिश में यदि राजद को सफलता मिल गया तो, बिहार की राजनीति में बड़ा छलांग लगाने से राजद को रोक पाना बिरोधियों की सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।

  • बाढ़ विस्थापितो पर कहर बन कर गिरा बारिश की बूंदे

    बाढ़ विस्थापितो पर कहर बन कर गिरा बारिश की बूंदे

    कौशलेन्द्र झा

    मीनापुर। घर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद पिछले एक सप्ताह से मीनापुर की सड़को पर शरण लिए हुए बीस हजार से अधिक परिवारो की मुश्किलें थमने का नाम ही नही ले रही है। कल तक फटे हुए प्लास्टिक के सहारे धूप से बचने की कोशिश कर रहे लोग गुरुवार को बारिश की पानी से बचने की जद्दोजहद करते हुए दिखे। सबसे बुरा हाल महिला और उसके गोद में पल रहे छोटे बच्चो का है।
    सड़क पर शरण लिए गोदावरी देवी बारिश से बचने के लिए पूरी रात जगी हुई है। उसके गोद में एक छोटा बच्चा भी है। गोदावरी को खुद से ज्यादे अपने बच्चे की चिंता सता रही है। यहां गोदावरी अकेली नही है। बल्की, इसके जैसे हजारो बाढ़ पीड़ित है, जो बारिश की पानी से बचने की जुगत में रतजग्गा करने को विवश हैं।
    समस्या सिर्फ सड़क किनारे बसे परिवार की ही नही है। बल्कि, सड़क से हट कर खरार ढ़ाव गांव में, गांव के ही दो पक्का मकान की छत पर करीब 100 परिवार खुले में शरण लिए हुए है। पैक्स अध्यक्ष राकेश कुमार बतातें हैं कि कल तक तेज धूप झेल रहे ये शरणार्थी, बीती रात बारिश में भींग कर बीमार पड़ने लगें हैं। सबसे बुरा हाल बच्चो का है। प्रशासन के द्वारा अब तक इनकी सुधि लेने कोई नही आया है। हालांकि, गांव के लोगो ने अब अपने खर्चे से छत पर ही टेंट लगा कर गुजर करने की ठान ली है।
    इधर, ब्रहण्डा उर्दू विद्यालय में शरणार्थियों की संख्या बढ़ जाने से विद्यालय का कमरा छोटा पड़ने लगा है और दर्जनो परिवार खुले में आ गयें हैं। कमोवेश यही हाल शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक गांव चैनपुर का है। गांव के राजकुमार सहनी बतातें हैं कि बांघ पर खुले में शरण लिए पांच दर्जन से अधिक परिवार के लिए बारिश कहर बन कर टूटा है। बच्चे और महिलाएं बीमार पड़ने लगी है।
    उधर, बनघारा, रघई, घोसौत, झोंझा, हरशेर, तुर्की, शनिचरास्थान, गंगटी, नंदना, गोरीगामा, टेंगराहां, टेंगरारी, मझौलिया, राघोपुर, हजरतपुर, विशुनपुर, रानीखैरा, बेलाहीलच्छी, बनुआ, हरका, फुलवरिया, चांदपरना, मानिकपुर, चकजमाल, बहवल बाजार, गदाईचक, फरीदपट्टी सहित 100 से अधिक गांवों में लोग राहत के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहें हैं। इधर, मीनापुर के बाढ़ राहत प्रभारी सह जिला परिवहन पदाधिकारी नजीर अहमद ने स्वीकार किया हैं कि प्रशासन से बाढ़ पूर्व तैयारी में बड़ी चूक हो गई है। हालांकि, अधिकारी ने बचाव व राहत कार्य में तेजी आने के संकेत भी दिएं हैं।

  • लखीसराय में नक्सलियों ने एक ही परिवार के चार लोगो का किया अपहरण

    लखीसराय में नक्सलियों ने एक ही परिवार के चार लोगो का किया अपहरण

    बिहार। नक्सलियों ने लखीसराय के पीरीबाज़ार थानाक्षेत्र के लहसोरवा गांव में एक ही परिवार के चार सदस्यों को अगवा करके सनसनी फैला दिया है। करीब एक दर्जन हथियारबंद नकसलियों ने इस घटना को अंजाम दिया। आरजू-मिन्नत के बावजूद नक्सलियों ने उन्हें रात का खाना भी नहीं खाने दिया।
    पुलिस के अनुसार आरोपी लहसोरवा गांव के शंकर यादव पर पहले से हत्या व अपहरण की कई एफआईआर दर्ज है। घटना का कारण जमीन विवाद से जुड़ा बताया जा रहा है।
    जानकारी के अनुसार देर रात एक दर्जन की संख्या में आये हथियारबंद नक्सली दस्ता के सदस्य पंचायत करने के नाम पर चारों को घर से उठा कर ले गये। बताया जाता है कि भूना यादव और उसके भतीजे शंकर यादव के बीच लगभग तीन कट्ठा जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था और दो माह पूर्व नक्सली संगठन के सदस्यों के द्वारा पंचायत कर लगभग ढाई लाख रुपया शंकर यादव को देने निर्णय पंचायत में हुआ था। दो माह बीत जाने के बाद जब राशि नहीं दी जा सकी, तो मंगलवार की देर रात पूर्व से ही नक्सली दस्ता में शामिल शंकर यादव अपने साथियों के साथ आकर फिर पंचायत करने के नाम घर से भूना यादव सहित उनके परिवार के चार सदस्यों को उठा ले गया। फिलहाल पुलिस छापेमारी में लगी हुई है।

  • सृजन घोटाला की जद में बिहार की राजनीति

    सृजन घोटाला की जद में बिहार की राजनीति

    शब्दो की वाण से तार तार हुआ माननीय की शाख

    बिहार। बिहार की राजनीति इन दिनो सृजन घोटाले के जद में आ गई है। इसको लेकर पिछले कई दिनों से बिहार में राजनीति गरमाई हुई है। बिहार विधानसभा में विपक्ष का जोरदार हंगामा जारी है। विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस्तीफे की मांग पर अड़ा रहा। इस बीच बयानवीर नेता एक दूसरे पर शब्दो के तीर चला रहें हैं। लिहाजा, माननीय की शाख तार- तार होने लगी है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सरकार पर सृजन घोटाले की जांच में लीपापोती करने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोई भी दोषी बचेगा नही। इसके अतिरिक्त राजद और जदयू के दूसरे पंक्ति में खड़ा नेताओं ने तो एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा दी है। इस दौरान एक दूसरे के मर्यादा का ख्याल रखना भी जरुरी नही समझा जा रहा है।
    क्या है सृजन घोटाला?
    दरअसल, इन दिनों हर व्यक्ति यह जानने की कोशिश कर रहा है कि क्या है बिहार का 780 करोड़ का सृजन घोटाला। इस घोटाले में गिरफ्तार हुए एक नाज़िर महेश मण्डल की रहस्यमयी मौत के बाद इस घोटाले को दूसरा व्यापम भी बताया जाने लगा है। राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दिया है। हालांकि, अभी तक सीबीआई जांच शुरू नही हुई है। इस सच्चाई से भी इनकार नही किया जा सकता है।
    इस पूरे घोटाले की सरगना या मास्टरमाइंड मनोरमा देवी को बताया जा रहा हैं। जिनका इस साल फ़रवरी में निधन हो चुका है। मनोरमा देवी की मौत के बाद उनकी बहू प्रिया और बेटा अमित कुमार इस घोटाले के सूत्रधार बने। प्रिया झारखण्ड कांग्रेस के वरिस्ठ नेता अनादि ब्रह्मा की बेटी हैं जो पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय के करीबी माने जाते हैं।
    मनोरमा देवी और उनकी संस्था सृजन को शुरू के दिनों में कई आईएएस अधिकारियों का संरक्षण मिलता रहा। इसमें – अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव, के पी रामैया भी शामिल हैं। गोरेलाल यादव के अनुसंशा पर ही दिसंबर 2003 में सृजन के बैंक खाते में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया था। उस समय बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। रामैया ने 200 रुपये के महीने पर सबौर ब्लॉक में एक बड़ा जमीन का टुकड़ा सृजन को मुहैय्या कराया था।
    इसके बाद किसी जिला अधिकारी के कार्यकाल में अगर सर्वाधिक सृजन के खाते में पैसा गया तो वो था, वीरेंद्र यादव। इनके कार्यकाल 2014 से 2015 के बीच करीब 285 करोड़ सृजन के खाते में गया। वीरेन्द्र भी लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। अभी तक की जांच में ये पाया गया कि सरकारी राशि को सरकारी बैंक खाता में जमा करने के बाद तत्काल अवैध रूप से साजिश के तहत या तो जाली दस्तखत या बैंकिंग प्रक्रिया का दुरुपयोग कर ट्रांसफर कर लिया जाता था। जब भी किसी लाभार्थी को चेक के द्वारा सरकारी राशि का भुगतान किया जाता था तो उसके पूर्व ही अपेक्षित राशि सृजन द्वारा सरकारी खता में जमा कर दिया जाता था।
    इस सरकारी राशि के अवैध ट्रांसफर में सृजन के सचिव मनोरमा देवी के अलावा, सरकारी पदाधिकारी, कर्मचारी और बैंक ऑफ़ बरोडा और इंडियन बैंक के पदाधिकारी शामिल होते थे। जिला प्रशासन से सम्बंधित बैंक खातों के पासबुक में एंट्री भी फ़र्ज़ी तरीके से की जाती थी। स्टेटमेंट ऑफ़ अकाउंट को बैंकिंग सॉफ्टवेयर से तैयार नहीं कर फ़र्ज़ी तरीके से तैयार किया जाता था।
    मनोरमा देवी सृजन के खाते में जमा पैसा को बाजार में ऊंचे सूद पर देती थी या अपने मनपसंद लोगों को जमीन, व्यापार या अन्य धंधे में निवेश करने के लिए देती थी। साजिश में शामिल अधिकरियों का भी ख्याल रखा जाता था। उन्हें कमीशन या आभूषण दिए जाते थे। मनोरमा देवी के कुछ राजनेताओं से करीबी सम्बन्ध रहे हैं जिनमें बीजेपी के अब निलंबित विपिन शर्मा, पूर्व सांसद शहनवाज हुसैन और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भी शामिल हैं। इन लोगों की नजदीकी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये उनके ऑफिसियल कार्यक्रम के अलावा निजी कार्यक्रम में नियमित रूप से शामिल होते रहते थे। पिछले साल नोटबन्दी के बाद सृजन के काम काज पर भी असर पड़ा. माना जा रहा है कि पैसा फंस जाने के कारण असल मुश्किलें शुरू हुईं और चेक बाउंस होने का सिलसिला शुरू हो गया। अमित, प्रिया, विपिन शर्मा इस पूरे घोटाले के बड़े राजदार माने जा रहें हैं।

  • थमने का नाम ही नही ले रहा है बूढ़ी गंडक का उफान

    थमने का नाम ही नही ले रहा है बूढ़ी गंडक का उफान

    पानी के प्रलय में समाई 300 जिन्दगी

    बिहार में बाढ़ की भयावहता थमने का नाम ही नही ली रही है। बूढ़ी गंडक, कोसी व गंगा नदियां उफान पर है। 18 जिलों के 1 करोड़ 25 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ ने अब तक 300 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है। सबसे ज्यादा मौत अररिया में हुई है। उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा अभी भी मंडरा रहा है।
    बूढ़ी गंडक, करेह सहित कई नदियों का कहर जारी है। मुजफ्फरपुर जिले में छठे दिन पानी फैलने से मुशहरी, मीनापुर व बोचहा के ढ़ाई लाख लोग बाढ़ से घिर गये हैं। सोमवार को औराई में एक व मीनापुर में दो लोगों की मौत पानी में डूबकर हो गयी। मीनापुर की सभी पंचायत बाढ़ की चपेट में हैं। बोचहा में रिंग बांध टूटने से तीन नए पंचायतों में पानी घुस गया है। बाढ़ का पानी तेजी से शहर के पूर्वी हिस्से- बीएमपी 6 व बेला की ओर बढ़ रहा है।
    पूर्वी चंपारण जिले में बूढ़ी गंडक में पानी बढ़ने से राजेपुर थाने के चकी भुड़कुरवा बांध पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे डरे-सहमे लोग गांव से पलायन कर गये हैं। राजेपुर के कई गांवों में रविवार रात बाढ़ का पानी फैल गया। मधुबन के नए इलाकों में बूढ़ी गंडक का पानी जमा हो रही है। मोतिहारी शहर के कोल्हुअरवा, नकछेद टोला, मठिया जीरात, एकौना, आजाद नगर, बेगमपुर, मछुआ टोली आदि में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
    पश्चिमी चंपारण में अधिकांश जगहों से बाढ़ का पानी उतर चुका है। प्रशासन की ओर से राहत कार्य चलाया जा रहा है। समस्तीपुर जिले में करेह के जलस्तर में वृद्धि होने से सिंघिया के नवटोलिया में तटबंध पर दबाव बढ़ गया है। अनहोनी की आशंका से सहमे ग्रामीण विभागीय कर्मियों के सहयोग से तटबंध को बचाने में जुटे हैं। कल्याणपुर में तीन और वारिसनगर में एक जगह पर स्लूइस गेट में रिसाव से अफरातफरी मच गयी। मधुबनी जिले में बाढ़ का पानी कम हो रहा है।
    सीतामढ़ी जिले में बागमती का कहर फिलहाल थमा है। हालांकि, शिवहर जिले के कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति फिर से गंभीर हो गयी है। मुजफ्फरपुर के मीनापुर के पास सड़क पर बाढ़ का पानी चढ़ जाने से शिवहर-मुजफ्फरपुर सड़क मार्ग में आवागमन अवरुद्ध हो गया है। दरभंगा जिले में बाढ़ ने नये इलाकों में पैर पसारना शुरू कर दिया है। हनुमाननगर प्रखंड में करेह नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी से थलवारा-शोभेपट्टी का रिंग बांध सोमवार सुबह टूट गया। इससे शोभेपट्टी के कई इलाकों के घरों में पानी घुस गया।

  • भूख और प्यास से तड़प रहे हैं बाढ़ से विस्थापित हुए लोग

    भूख और प्यास से तड़प रहे हैं बाढ़ से विस्थापित हुए लोग

    मीनापुर में छलावा साबित हुआ सरकारी मदद का दावा

    कौशलेन्द्र झा
    मीनापुर प्रखंड मुख्यालय से करीब सात किलोमिटर दूर ब्रहण्डा गांव की रेहाना खातुन का चापाकल बाढ़ की पानी में पूरी तरीके से डूब चुका है। बावजूद इसके वह इसी चापाकल से पीने का पानी निकालने को विवश है। फिलहाल, घर में चार फीट पानी जमा है और रेहाना अपने पांच बच्चो के साथ पिछले 24 घंटे से छत पर खुले में जीवन बीता रही है। यहां रेहाना अकेली नही है। बल्कि, इसके जैसे दो दर्जन से अधिक परिवार है, जो बाढ़ का पानी पी कर बीमार हो रहें हैं।
    अचानक तीन से चार फीट पानी गांव में प्रवेस कर जाने से 25 परिवार के करीब 90 से अधिक लोग उर्दू विद्यालय में शरण लिए हुए है। इन विस्थापितो के समक्ष पेयजल के साथ- साथ भोजन की समस्या भी है। छोटो छोटे बच्चो को खिलाने के लिए इनके पास कुछ नही है। गांव के समाजसेवी पूर्व मुखिया मो. सदरूल खान ने बताया कि गांव के लोग पिछले तीन रोज से बाढ़ में फंसे है। बावजूद इसके अभी तक प्रशासन की ओर कोई भी सुधि लेने नही आया है।
    यही हाल शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक गांव चैनपुर में देखने को मिला। यहां की करीब दो हजार आबादी पिछले 36 घंटे से बाढ़ के बीच फंसे हैं। गांव का प्रखंड मुख्यालय से संड़क संपर्क टूट चुका है। सैकड़ो घरो में तीन से चार फीट पानी बह रहा है। गांव की राजकुमारी देवी अपने मवेशी और पुरे परिवार के साथ एक फटे हुए प्लास्टिक के नीचे गुजर बसर कर रही है। मुखिया अजय कुमार बतातें हैं कि बार बार गुहार लगाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नही मिल रहा है। कहतें है कि इस तरह की समस्या झेल रहा, ब्रहण्डा या चैनपुर अकेला नही है। मीनापुर की 154 में से 136 गांव के लोग कमोवेश इसी तरह की समस्या से जूझ रहें हैं।
    दूसरी ओर अपने अपने गांव से भाग कर मीनापुर शिवहर मार्ग पर शरण लिए सैकड़ो लोगो के समक्ष सिर ढ़कने के साथ- साथ भोजन और पेयजल की समस्या से जूझ रहें हैं। सड़क पर शरण लिए पुरैनिया के सोनेलाल गोसाई, नागेन्द्र साह व चन्द्रिका साह ने बताया कि प्रशासन द्वारा अभी तक सिर ढ़कने का कोई इंतजाम नही हुआ है। लिहाजा खुले आसमान में रहना पड़ रहा है। हरिनारायण सहनी ने मीडिया कर्मियों के समक्ष हाथ जोड़ कर बताया कि- मालिक खाना खाय हुए दो रोज हो गया। आज सुवह मकई का सतुआ खाएं हैं। सुमित्रा देवी, शिवदुलारी देवी, मानती देवी व शंभु मांझी सहित यहां कई दर्जन लोग भूख से तड़प रहें हैं। मानती देवी अपने तीन पुतोहू के साथ खुले में रह रही है। उसे अभी तक प्लास्टिक नही मिला है। यहां पीने का शुद्ध पानी भी उपलब्ध नही है।
    इसी प्रकार घोसौत, झोंझा, तुर्की, हरशेर, टेंगरारी, शीतलपट्टी, बेलाहीलच्छी, रानीखैरा, बनुआ, उफरौलिया, भटौलिया, चांदपरना, राघोपुर, फुलवरिया, अस्तालकपुर, विशुनपुर, हरका, तालिमपुर, हथियावर, गंगटी, टेंगराहां, गोरीगामा, नंदना, भावछपरा, चतुरसी सहित यहां की करीब पांच दर्जन से अधिक गांव पुरी तरीके से जलमग्न हो चुका है और गांव का प्रखंड प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट जाने से उन तक कोई भी मदद नही पहुंच पा रहा है।

  • बूढ़ी गंडक के जलस्तर में जारी है बढ़ोतरी

    बूढ़ी गंडक के जलस्तर में जारी है बढ़ोतरी

    मौसम विभाग ने बारिश की दी चेतावनी

    मुजफ्फरपुर। बाढ़ में घिरे लोगो की मुश्किलें अभी और बढ़ने की उम्मीद है। कहतें हैं कि बाढ़ का कहर अभी थमा भी नहीं था कि आज मौसम विभाग ने फिर से सुबे में बारिश की चेतावनी जारी कर दी है। गया, भागलपुर,अररिया, कटिहार दरभंगा और भी कई अन्य जिलों में बारिश की संभावना जताई गयी है। इस बीच बिहार में बाढ़ का प्रकोप जारी है। राज्य के 18 जिले बाढ़ की चपेट में आ गयें हैं।
    इधर, मुजफ्फरपुर के नये इलाकों में पानी का बहाव तीसरे दिन भी जारी है। रजबाड़ा बांध टूटने के बाद शहर पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। उफनाई बूढ़ी गंडक का पानी शहर के कई निचले इलाकों में घुस गया। मुजफ्फरपुर के राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र की दीवार ढह गई। दोपहर तक मुशहरी थाना, पीएचसी, पशु अस्पताल के अलावा कई स्कूलों में भी पानी घुस गया। इधर, मीनापुर का पुरा इलाका बूढ़ी गंडक की चपेट में आ गया है। करीब 100 से अधिक गांवों का सड़क संपर्क टूट चुका है।
    समस्तीपुर में भी बाढ़ का कहर जारी है। बूढ़ी गंडक और करेह नदी के जलस्तर में लगातार बृद्धि जारी है। कल्याणपुर के समीप तीन स्लूइस गेट पर रिसाव शुरू हो जाने से लोग दहशत में है। दरभंगा शहर के उत्तरी हिस्से में बाढ़ का पानी खतरनाक लेने लगा है। बेतिया में पानी उतरने के बाद प्रशासन आवागमन को बहाल करने की मशक्कत में जुट गई है। गोपालगंज के सिधवलिया व बैकुंठपुर के नए इलाके में पानी फैल गया है। यहां सेना के जवान राहत कार्य में लगे हैं। कोसी व सीमांचल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तेज धूप व जमा पानी के सड़ने से महामारी की आशंका बढ़ गई है।
    बिहार में बाढ़ से मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। यह संख्या 200 के पार पहुंच गई है। लाखों लोग गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानो पर शरण लिए हुयें हैं। एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।

  • बिहार में थमने का नाम नही ले रहा है बाढ़ का कहर

    बिहार में थमने का नाम नही ले रहा है बाढ़ का कहर

    अब तक 202 की मौत की हुई पुष्टि

    बिहार। बिहार में बाढ़ की तबाही तबाही थमने का नाम ही नही ले रही है। लगातार हुई भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ से राज्य में अब तक 202 लोगों की मौत हो जाने के साथ बाढ़ से 18 जिलों की 1.21 करोड़ आबादी बुरी तरीके से प्रभावित हुई है।
    राज्य के 18 जिलों में किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया में से सबसे अधिक 42 लोग सीतामढी में 31, पश्चिमी चंपारण में 29, सुपौल में 13, मधुबनी में 12, किशनगंज और पूर्वी चंपारण में 11-11, दरभंगा में 10, मधेपुरा और पूर्णिया में 9-9, कटिहार में 7, शिवहर, गोपालगंज और सहरसा में 4-4, खगड़िया में 3, सारण में 2 और मुजफ्फरपुर में दो व्यक्ति की मौत चुकी है।
    अब तक राज्य में 625788 लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाके से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है और 1336 राहत शिविरों में 422106 व्यक्ति शरण लिए हुए हैं। एनडीआरएफ की 28 टीम 1152 जवानों एवं 118 वोट के साथ, एसडीआरएफ की 16 टीम 446 जवानों और 92 वोट के साथ तथा सेना की 7 कालम 630 जवानों और 70 बोट के साथ बचाव एवं राहत कार्य में जुटी हुई हैं।

  • सारण का मुख्य तटबंध बैकुंठपुर में टूटा

    सारण का मुख्य तटबंध बैकुंठपुर में टूटा

    मुजफ्फरपुर सहित कई इलाको में घुसा बाढ़ का पानी, दहशत

    बिहार। उत्तर और पूर्वी बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा और मुजफ्फरपुर के कई नए इलाकों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोगों की मुश्किलें बढ़ी है। समस्तीपुर जिले में भी पानी घुस गया है। शुक्रवार को बैकुंठपुर के मुंजा में सारण का मुख्य तटबंध टूट गया। इससे गांव के पांच हजार लोग पानी में फंस गए। वहीं बैकुंठपुर के चिउटांहा में दो सगी बहनो के बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई। इस बीच बूढ़ी गंडक नदी का पानी मुजफ्फरपुर के कई नए इलाको में दस्तक देने लगी है।
    इससे पहले बुधवार रात को मोतिहारी शहर को भी बाढ़ ने अपनी चपेट में ले लिया। गोपालगंज के बैकुंठपुर प्रखंड के बंगरा गांव के पास सारण मुख्य तटबंध गुरुवार की शाम 50 फुट में टूट गया।
    उधर, मधुबनी में कोसी, कमला, धौस नदी के साथ अब गेहुमां नदी भी उफना गई है। इससे जिले में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। सूबे में पिछले 24 घंटे में बाढ़ के कारण 44 लोगों की मौत हो गई। पिछले 4 दिनों में कुल 110 से ज्यादा मौतें हुईं हैं। बिहार के 17 जिलों में 90 लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हो गई है। मधेपुरा में सर्वाधिक प्रभावित आलमनगर और चौसा प्रखंड के अलावा और छह प्रखंड चपेट में आ गए। जिले में भलुआही के पास एनएच 106 की सड़क करीब 25 फीट कट जाने से यातायात ठप हो गया है। मालदा में भी पानी घुस गया है। कटिहार से मालदा जाने वाली सभी ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं।
    कटिहार के नए इलाकों में सदर प्रखंड के भसना, मनसाही और कोढ़ा प्रखंड के कुछ हिस्सों में भी पानी फैलने लगा है। वहीं पूर्णिया जिले में बायसी अनुमंडल के बाद अब पानी बनमनखी और धमदाहा अनुमंडल क्षेत्र में बढ़ रहा है। बनमनखी प्रखंड की 10 पंचायत बाढ़ की चपेट में आ गई है। वहां एनएच 107 पर गुरुवार से वाहनों का परिचालन भी बाधित हो गया है। इधर, मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर के एक दर्जन पंचायतो में बूढ़ी गंडक नदी का पानी आंशिक रूप से प्रवेस कर जाने से लोगो में दहशत है। खेतो में खड़ी मकई की फसल पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा है। इस बीच रघई के समीप नदी के कटाव की चपेट में आने से पांच घर नदी में समा गया है।
    मोतिहारी शहर के 11 वार्डो में भी पानी घुस गया है। मोतिहारी-छौड़ादानो पथ में लखौरा के आगे सड़क पर तीन से चार फुट पानी बहने से आवागमन ठप है। समस्तीपुर के दरभंगा जिले से सटे इलाकों में भी पानी घुस गया। जिले के हसनपुर, बिथान, सिंघिया और चकमहेशी के कई गांवों में बागमती और बलान नदी का पानी घुस गया है।
    उधर, गोपालगंज के सदौवा में गंडक नदी का मुख्य तटबंध टूटने के बाद बाढ़ का पानी बरौली व सिधवलिया प्रखंडों के करीब 20 गांवों में प्रवेश कर गया है। बरौली में एनएच 28 पर पानी चढ़ जाने से आवागमन ठप हो गया है। जिले के 174 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।

  • बिहार व पूर्वी यूपी में बाढ़ से मची हाहाकार

    बिहार व पूर्वी यूपी में बाढ़ से मची हाहाकार

    बिहार की 14 जिलों में बाढ़ ने हाहाकार मची दी है। भागलपुर, कटिहार, सुपौल, पूर्णिया, मधेपुरा, सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, शिवहर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज और यूपी के गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, सीतापुर, बलरामपुर, गोंडा, बाराबंकी, बहराइच सहित कई अन्य जिलों में स्थिति काफी खराब है। दर्जनों जगह तटबंधों के टूटने से एक करोड़ से अधिक आबादी फंसी हुई हैं। इन्हें बचाने के लिए सेना की मदद ली जा रही है। पश्चिम चम्पारण में हेलीकॉप्टरों से जवानों को उतारा जा रहा है। उत्तर बिहार की बागमती, लखनदेई, अधवारा समूह की कई नदियां, कोसी, बूढ़ी गंडक तथा गोरखपुर में राप्ती आदि सहायक नदियां तेज उफान पर हैं।
    हालांकि, एनडीआरएफ की टीमें राहत व बचाव कार्य में लगी है। पटना में भी गंगा नदी खतरे के निशान तक पहुंच रही है। भारी बारिश के कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों में आई बाढ़ पूरे उत्तर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कहर बरपा रही है। इन दोनों राज्यों में पिछले दो दिनों में 90 लोगों के मारे जाने के साथ ही एक करोड़ से अधिक आबादी बाढ़ में फंसी है। कई इलाकों का संपर्क देश के अन्य हिस्सों से कट गया है, कई पुल बह गए हैं तो सड़क के साथ ही रेलमार्ग बाधित हुए है। मोतिहारी-वाल्मीकिनगर, नरकटियागंज-साठी, सीतामढ़ी-रक्सौल, सुगौली-रक्सौल, दरभंगा-सीतामढ़ी पर कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। दिल्ली की ओर से जानेवाली कई ट्रेनों को भी रद्द किया गया है। कई जगह बाढ़ पीड़ित लोग आंदोलन पर उतारू हैं।
    यूपी के गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदी में उफान से दहशत व्याप्त है। तकरीबन 25 हजार लोग प्रभावित हो गए हैं। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बाढ़ के पानी में डूब कर पांच युवकों की मौत हो गई। इसके अलावा दो लोगों की गोण्डा में और एक की बहराइच में डूबने से मौत हो गई। देवरिया के डुमरी गांव में शिव बनकटा से बहकर आए पीपे के पुलिए को निकालते समय एक युवक नदी के तेज धारा के साथ बह गया। सिद्धार्थनगर-बस्ती राजमार्ग और सिद्धार्थनगर-ककरहवा मार्ग बंद हो गया है। कुशीनगर में सेना के हेलीकाप्टरों में कुल 10 हजार परिवारों के लिए खाने का पैकेट, तीन दिन का राशन, दवा और कपड़े भेजे गए।
    इधर, बिहार के मघुबनी में 8, मोतिहारी में 6, सीतामढ़ी में 13 व बेतिया में 10 लोगों की डूब कर मौत हो जाने की खबर है। सीतामढ़ी, शिवहर व मोतिहारी शहर में बाढ़ का पानी घुस गया है। एनएच 104 पर पानी के बहाव से मधुबन-शिवहर पथ पर आवागमन ठप है। मधुबनी में बाढ़ को लेकर 19 अगस्त तक विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। मधुबनी- सीतामढ़ी स्टेट हाईवे पर पानी चढ़ जाने से यातायात ठप हो गया है। दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर भी ट्रेनों का परिचालन हुआ ठप है। शिवहर का सीतामढ़ी व मोतिहारी से सड़क संपर्क चौथे दिन भी बहाल नही हो सका है। शिवहर-सीतामढ़ी पथ में धनकौल के पास बुनियादगंज पुल का डायवर्सन तेज धार में बह गया है। दरभंगा में कमला-बलान नदी का तटबंध टूटने से घनश्यामपुर के नये इलाकों में पानी प्रवेस करने लगा है। लिहाजा वहां जबरदस्त अफरा तफरी मची है। मुजफ्फरपुर के औराई में 25 हजार व साहेबगंज में 13 हजार लोग बाढ़ से प्रभावित बताये जा रहें हैं। कटरा में पांच हजार से अधिक लोगों ने बांधी पर शरण लेने को विवश हो चुकें हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में लोगा अपने घरों की छतों पर फंसे है।

  • दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर चढ़ा बाढ़ का पानी, परिचालन ठप

    दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर चढ़ा बाढ़ का पानी, परिचालन ठप

    बिहार में बाढ़ से 74 लोगों की हुई मौत, 41 की पुष्टि

    बिहार। बिहार सहित देश के चार राज्यों में बारिश ने भारी तबाही मचा रखी है। बिहार में आई भयानक बाढ़ से अब तक 74 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि आपदा प्रबंदक विभाग ने 41 लोगों की पुष्टि कर रहा है। इस बाढ़ से 70 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए है। मंगलवार को दरभंगा-सीतामढ़ी रेलखंड पर बाढ़ का पानी चढ़ गया जिसके कारण ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया है। इस बीच सीतामढ़ी शहर के कई वार्डों में लखनदेई नदी का पानी पसर गया है। बाढ़ से सबसे ज्यादा अररिया, किशनगंज का बड़ा हिस्सा, पूर्णिया के तीन ब्लॉक और कटिहार का एक ब्लॉक प्रभावित हुआ है। इधर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी व सम्स्तीपुर के कई इलाके में बाढ़ ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। फिलहाल, राहत कार्य में सेना की भी मदद ली जा रही है और लोगो को सुरक्षित स्थानो पर पहुंचाने का काम युद्ध स्तर पर जारी है।

  • मोहनपुर और कटौझा में टूटा बागमती का तटबंध

    मोहनपुर और कटौझा में टूटा बागमती का तटबंध

    कहर बरपा रही बागमती

    मुजफ्फरपुर। कटरा प्रखंड के मोहनपुर में सोमवार को बागमती नदी का अधूरा तटबंध टूट गया। आठ फीट चौड़े कच्चे बांध को तोड़कर बागमती की तेज धारा देखते ही देखते लखनदेई नदी में प्रवेश कर गई। इसके बाद औराई प्रखंड के कई गांवों सहित मोहनपुर में बाढ़ अपना कहर बरपा रही है। स्लुइस गेट के पास तटबंध अधूरा है। पास के ही तटबंध की मिट्टी काटकर स्लुइस गेट के पास अधूरा बांध बनाया गया, जिसे उफान मार रही बागमती ने आज तोड़ डाला। टूटने के स्थान पर धारा लगातार चौड़ी होती जा रही है और बागमती बिकराल रूप धारण कर गांवों, खेतों और घरों में प्रवेश कर रही है। बताया जा रहा है कि रविवार की शाम इस तटबंध की मरम्मत करायी गई थी। किंतु, बागमती का जल स्तर बढ़ जाने के कारण सारे प्रयास बेकार साबित हुए हैं। इधर, औराई के कटौझा में भी बागमती का तटबंध टूट जाने से बाढ़ का पानी तेजी से गांव में प्रवेस करने लगा है और लोगो में जबरदस्त अफरा तफरी मची है।

  • बिहार में बाढ़ का तांडव, 35 लाख की आबादी चपेट में

    बिहार में बाढ़ का तांडव, 35 लाख की आबादी चपेट में

    बिहार। बिहार इन दिनो जल प्रलय को झेल रहा है। बीते 72 घंटे से रुक रुक कर हो रही तेज बारिश व नेपाल से छोड़े गए पानी के कारण पुरे उत्तर बिहार में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है। जानकारी के मुताबिक 40 प्रखंडों की लगभग 35 लाख की आबादी बाढ़ में फंसी हुई है। सीमांचल के एक दर्जन जिलों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। किशनगंज और अररिया जिले की स्थिति सबसे बदतर है। शहर में तीन से चार फीट पानी बह रहा है। राज्य सरकार ने सेना की मदद मांगी है।
    बाढ़ प्रभावित किशनगंज, अररिया और पूर्णिया के इलाकों में पहले से ही मौजूद एसडीआरएफ की टीम लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुट गई है। केन्द्र सरकार से एनडीआरएफ की 10 अतिरिक्त टुकड़ियां मांगी गयी हैं। भुवनेश्वर से चार टुकड़ी किशनगंज व पूर्णिया के लिए रवाना हो चुकी है। बाढ़ में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टर से बाहर निकाला जा रहा है।
    एक दर्जन जिलों में स्थिति गंभीर बनी हुई है
    वाल्मीकिनगर गंडक बराज से रविवार को 4.85 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से स्थिति और विकराल हो गई है। अररिया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, पूर्वी चंपारण, प. चंपारण, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी में स्थिति गंभीर हो गई है। इधर, मुजफ्फरपुर का भी कई इलाका बाढ़ की चपेट में आ गया है।
    बाढ़ के कारण किशनगंज-सिलीगुड़ी-रेल मार्ग ठप हो गया है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को शेष भारत से रेल संपर्क टूट गया है। कटिहार से सिलिगुड़ी के मध्य रेल ट्रैक पर कई जगह पानी आ जाने की वजह से 18 से ज्यादा रेलगाड़ियों को रद्द करना पड़ा है।

  • भाजपा विधायक से मांगी पांच करोड़ की रंगदारी

    बिहार। सहरसा जिला अन्तर्गत छातापुर के भाजपा विधायक नीरज कुमार बबलू से पांच करोड़ रुपए रंगदारी मांगी गई है। कजाकिस्तान से फोन करके यह रंगदारी मांगी गई है और नहीं देने पर गोली से छलनी कर देने की धमकी दी गई है। विधायक ने सहरसा के सदर थानाध्यक्ष को यह जानकारी दी। थानाध्यक्ष ने जब उक्त नंबर का कॉल डिटेल्स खंगाला तो वह कजाकिस्तान का मिला। पुलिस छानबीन में जुट गई है।

  • बाइक सहित तस्कर गिरफ्तार

    बेतिया। बिहार के बेतिया के बलथर पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर 6 किलो चरस व बाइक सहित गिरफ्तार किया गया हैं।दुसरी ओर धनकुटवा गांव में पुलिस नें आग सें झुलसी  हुई एक महिला की लाश को संदेहास्पथ स्थिति में बरामद किया है। पुलिस अनुसंधान में जुटी गई हैं।