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  • बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी

    बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी

    संक्रमित लोगो की संख्या- 60, एक गांव में 25, इसमें एक ही परिवार के 23 शामिल

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में कोरोना के पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या 60 तक पहुंच गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें 25 मरीज़ सीवान ज़िले के एक ही गांव के हैं। इनमें से 23 एक ही परिवार के सदस्य हैं। एक ही दिन में 17 पॉज़िटिव रिपोर्ट आते ही बिहार के सीवान, बेगूसराय और नवादा जिला की सीमाएं सील कर दी गई हैं। भारत में, 6,412 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और इनमें 199 लोगो की मौत हो चुकीं है।

  • बिहार के गांव में लॉकडाउन का बना मजाक

    बिहार के गांव में लॉकडाउन का बना मजाक

    हाट-बाजार में जुट रही है भीड़

    हाट-बाजार

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार के सख्ती के बाद भी ग्रामीण इलाका में लॉकडाउन का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। गांव के हाट-बाजार पर जुटी भीड़ कई बार सोशल डिस्टेंशिंग की धज्जियां उड़ा रही है। अनजाने में ही सही, पर हमारा ग्रामीण समाज खुद के लिए बड़ी मुसीबत को न्यौता देने लगा है। इस बीच सरकारी योजनाओं को लेकर रह-रह कर फैल रही अफवाह के बीच गांव में कई बार लॉकडाउन बेमानी हो जाता है। ऐसे में समय रहते ग्रामीण इलाको में कड़ाई नहीं हुई तो बिहार के गांवों में हालात विस्फोटक रूप ले सकता है।

    गैस एजेंसी में जुटी हजारो की भीड़

    बात 5 अप्रैल की है। मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर गैस एजेंसी में अचानक उमड़ी भीड़ ने लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया। किसी ने अफवाह फैला दिया था कि उज्जवला का लाभ लेने के लिए रजिस्टेशन कराना होगा। नतीजा, भीड़ उमड़ पड़ी और एजेंसी में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। बाद में पुलिस को बुलानी पड़ गई। भीड़ में शामिल पुरैनिया की पार्वती देवी और तालीमपुर की रुपा देवी सहित कई अन्य महिलाओं ने बताया कि आज रजिस्टेशन नहीं हुआ तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इधर, मीनापुर संजय इंण्डेन के प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि सभी को सरकारी घोषणा के मुताबिक लाभ मिलना है। स्मरण रहें कि मीनापुर में उज्जवला के करीब 20 हजार उपभोक्ता है। कारण जो हो, पर सच यही है कि एक अफवाह ने पल भर में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया।

    हाट-बजार में सोशल डिस्टेंशिंग नहीं

    ग्रामीण हाट बाजारो में सोशल डिस्टेंशिंग का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। लॉकडाउन के बाद भी लोगो की भीड़ कोरोना वायरस का वाहक बनने को उताबली हो रही है। लिहाजा, एक चिंगारी, यदि दावानल का रुप ले ले तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। मीनापुर का नेउरा बाजार, मुस्तफागंज बाजार, मझौलिया बाजार, बलुआ बजार, टेंगरारी बाजार और तुर्की बाजार सहित कई अन्य बाजारो से अक्सर खतरे को दावत देने वाली तस्वीरे आ रही है। गांव के चाय-पान की दुकान पर भी बेवजह बैठे लोग अनजाने में ही कोरोना वायरस के वाहक बनने को बेताब हो रहें है। गाहे-बेगाहे पुलिस की सख्ती भी दिखाई पड़ती है। थाना अध्यक्ष राज कुमार ने बताया कि गांव के भीतर कई बार पुलिस ने कड़ाई की है। फिर भी लोग खतरे की गंभीरता को समझने को तैयार नही है।

    जितने लोग उतनी कहानी

    लॉकडाउन को तोड़ने का गांव में सभी के पास अपनी-अपनी दास्तान है। सब्जी उत्पादक किसानो को बाजार पहुंच कर अपना उत्पाद बेचने की विवशता है। मजदूर कहता है कि कमायेंगे नहीं तो खायेंगे कैसे? बहुत सारे लोगो को जरुरी का समान खरीदने के लिए बाजार जाने की विवशता है। कई लोगो को दवा की खरीद करना है। ऐसे भी लोग है, जो जरुरतमंदो की मदद करने के लिए बाहर जाना चाहतें हैं। चाय की दुकान पर बैठे लोगो ने बताया कि दिन भर घर में ही थे। मन बहलाने हेतु थोड़ी देर के लिए चलें आये है। यानी, जितने लोग उतनी बहाना। शायद इन्हें यह नहीं मालुम है कि इनकी एक गलती से पल भर में पूरा का पूरा लॉकडाउन फेल हो सकता है। अमेरिका और इटली ने यही गलती की और आज वहां लाश उठाने वाला नहीं मिल रहा है।

  • बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत

    बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत

    सेंटर पर पसरा है सन्नाटा

    प्रवासी मजदूर

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत चौकाने वाला है। सरकारी आदेश के बाद प्रत्येक पंचायत के एक सरकारी स्कूल को आइसोलेट करके क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया गया है। पर, यहां कोई रहने को तैयार नहीं है। दूसरे प्रदेश से बिहार आये प्रवासी मजदूर सीधे अपने घर जाते है और परिवार वालो के साथ खुलेआम रहते है। यह सच है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम इनमें से अधिकांश मजदूरो की मॉनिटरिंग करके उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने का सुझाव दे चुकी है। पर, यह भी सच है कि इस तरह के सभी सुझाव कागजो पर है और गांव में अमूमन इसका पालन नहीं हो रहा है।

    कोइली का क्वारेंटाइन सेंटर

    मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर थाना के कोइली क्वारेंटाइन सेंटर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। बाहर से लौटने वालों के रहने के लिए यहां सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। पंचायत की ओर से कोइली स्कूल में साफ-सफाई कराकर यहां दरी बिछा दी गई थी। पेयजल और शौचालय की व्यवस्था पहले से है। हाथ धोने के लिए साबुन उपलब्ध है। बावजूद इसके यहां एक भी प्रवासी नहीं दिखा और यहां पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। पंचायत के मुखिया अजय कुमार ने बताया कि कोइली पंचायत में दूसरे प्रदेश से आने वाले 45 मजदूरों की पहचान हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत के चैनपुर गांव में 27 मार्च, 29 मार्च और एक अप्रैल को शिविर लगाकर सभी प्रवासी मजदूरों की मॉनिटरिंग करने के बाद उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने को कहा था। किंतु, सभी अपने-अपने घरों में रह रहे हैं और क्वारेंटाइन सेंटर में जाने को कोई कोई तैयार नहीं है।

    क्वारेंटाइन सेंटर पर रहने से इनकार

    सैनिटाइजर

    कमोवेश यही हाल जिले के अन्य क्वारेंटाइन सेंटर की है। ग्रामीण इलाके में रहने वाले कई लोग अभी भी कोरोना वायरस के खतरे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है। मीनापुर के बीडीओ अमरेंद्र कुमार बतातें है कि अकेले मीनापुर में 902 प्रवासी मजदूरों की पहचान की गई है। इनमें से करीब 400 की मॉनिटरिंग करके उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने को कहा गया है। प्रशासन की सख्ती के बाद 31 मार्च को मधुबन कांटी के मध्य विद्यालय में आठ और हरका हाई स्कूल के क्वारेंटाइन सेंटर में एक प्रवासी मजदूर को भर्ती कर लिया गया। किंतु, चंद घंटो बाद रात होते ही सभी भाग कर अपने घर चले गये और अब वहीं रह रहें हैं।

    सरकारी फरमान बना मुखिया के गले की फांस

    बिहार सरकार की तुगलगी फरमान अब पंचायत के मुखिया के गले की फांस बनने लगा है। पंचम वित्त आयोग की राशि से सैनिटाइजर, मास्क और डीडीटी पाउडर की खरीद करने का सरकार ने पंचायत को आदेश जारी कर दिया है। इधर, मुखिया ने बताया कि बाजार में इस वक्त डीडीटी के 25 किलो का बैग 1,250 रुपये में बिक रहा है। जबकि, इसका सरकारी रेट मात्र 850 रुपये है। इसी प्रकार 7 रुपये का मास्क 70 रुपये में और 60 रुपये का सैनिटाइजर 600 रुपये में भी उपलब्ध नहीं है। इधर, सरकारी ऐलान के बाद गांव के लोग मास्क और सैनिटाइजर के लिए मुखिया पर दबाव बना रहें हैं। नतीजा, गांव में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने का खतरा मंडराने लगा है।

  • साहूकार का कर्ज और परिवार चलाने की चिंता

    साहूकार का कर्ज और परिवार चलाने की चिंता

    बर्बाद हो रही है तैयार फसल

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के किसान लॉकडाउन से पेशोपेश में है। गेंहू की फसल तैयार है और मजदूर नही मिल रहा है। सब्जी उत्पादक किसान की मुश्किले इससे भी बड़ी है। खेत में फसल तैयार है और खरीदार नहीं है। बाजार लग भी जाये तो बाहर के व्यापारी यहां तक पहुंच नहीं रहें है। लिहाजा, बैगन, टमाटर और कद्दू को औने-पौने की मोल बेच कर किसान नाउम्मीद हो रहें है।

    कर्ज में डूबे किसान

    बैगन की खेती

    मुजफ्फरपुर के सिवाईपट्टी थाना के रामनगर गांव में साहूकार से 50 हजार रुपये कर्ज लेकर बैगन की खेती करने वाला किसान रामजी राम की तैयार हो चुकी बैगन की फसल लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया है। रामजी के मेहनत से इस समय 16 कट्ठा जमीन पर बैगन की फसल लहलहा रही है। पर खरीदार नहीं है। अमूमन 20 रुपये प्रति किलो बिकने वाला बैगन, इस वक्त बमुश्किल से 2 रुपये प्रति किलो में भी बिक नहीं रहा है। बाजार में कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। नतीजा, भारी मात्रा में तैयार बैगन अब खेतो में ही सड़ने लगा है।

    उम्मीदो पर फिरा पानी

    रामजी को उम्मीद था कि बैगन बेच कर साहूकार का कर्ज चुका देंगे। साथ ही अपने तीन बच्चो को अच्छे स्कूल में दाखिला कराने का रामजी ने सपना देखा था। किंतु, कोरोना वायरस की वजह से की गई लॉकडाउन में उसके सभी अरमान धरे के धरे रह गये। बतातें चलें कि मार्च और अप्रैल के महीने में बैगन का फसल होता है। ठीक इसी समय लॉकडाउन हो जाने से किसानो की कमर टूट गई है। नतीजा, रामजी का पूरा परिवार आर्थिक संकट में फंस चुका है। साहूकार का कर्ज बढ़ रहा है और तैयार फसल का कोई खरीदार नही है।

    बर्बाद होने की कगार पर है टमाटर

    टमाटर की खेती

    मुजफ्फरपुर जिला के ही मीनापुर थाना के सहजपुर गांव के किसान नीरज कुमार बतातें हैं कि एक एकड़ जमीन पर टमाटर की खेती की थी। फसल तैयार है। पर, कोई खरीदार नहीं है। अब टमाटर खेतो में ही खराब होने लगा है। नीरज बतातें हैं कि मीनापुर के टमाटर की मांग पूरे उत्तर बिहार में है। यहां के किसान बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती करते है। किंतु, लॉकडउाउन की वजह से बाजार में बाहर से व्यपारी के नहीं आने से टमाटर का कोई खरीदार नही मिल रहा है। यहीं हाल कद्दू उत्पादक किसानो की है।

    गांव की आर्थिक व्यवस्था पर संकट

    सिवाईपट्टी के किसान रामजी और मीनापुर के किसान नीरज तो महज एक बानगी है। ऐसे और हजारो किसान है, जो कर्ज लेकर सब्जी की खेती करते है। बैगन के अतिरिक्त टमाटर और कद्दू सहित कई अन्य सब्जी की खेती करते है। सब्जी की यह फसल मार्च और अप्रैल के महीने में तैयार होता है और किसानो को इससे बहुत उम्मीद लीगी रहती है। स्मरण रहें कि मीनापुर सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में जिले में अव्वल है और यहां से तैयार सब्जी उत्तर बिहार के कई जिलो की जरुरतो को पूरा करता रहा है। किंतु, लॉकडाउन की वजह से बाहर के व्यापारी के नहीं आने से सब्जी उत्पादक किसानो के समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न होने का खतरा मंडराने लगा है।

  • 9 पीएम 9 मिनट: बिहार में आधी हो गई बिजली की खपत

    9 पीएम 9 मिनट: बिहार में आधी हो गई बिजली की खपत

    बिजली अधिकारी के उड़े होश

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में 5 अप्रैल की रात 9 बजे में 9 मिनट के लिए बिजली की खपत आधी हो गई। प्रधानमंत्री की अपील पर बिहार वासियों ने लगभग 15 मिनट तक घरों की बत्ती बुझाए रखी। बिजली कंपनी की उम्मीद से अधिक लोगों ने घरों की बिजली काटे रखी। जिसके कारण बिजली की मांग में अचानक 2350 मेगावाट की कमी आ गई। अचानक से हुई इस कमी के कारण बिजली सिस्टम ओवरलोड हो गया। लेकिन, कंपनी के कर्मचारियों की सक्रियता के कारण कोई खराबी नहीं आई ।

    अचानक घटी बिजली की खपत

    विधायक मुन्ना यादव

    बिहार में हर रोज रात 7 बजे के बाद औसतन 4 हजार मेगावाट खपत हो रही है। 4 अप्रैल की रात 9 बजे 4 हजार मेगावाट खपत हुई थी। 5 अप्रैल को शाम 4 बजे 2500 मेगावाट बिजली की खपत हो रही थी। शाम 7 बजे यह बढ़कर 3736 मेगावाट तक आ पहुंची। 8 बजे यह 3936 मेगावाट तक आ गयी। पर, 9 बजे के पहले ही बिजली की मांग में कमी होने लगी। 9 बजे के बाद बिहार में मात्र 1650 मेगावाट बिजली सप्लाई हुई। बत्ती बुझाने के कारण 10 मिनट के भीतर ही 2350 मेगावाट की खपत कम हो गई।

    एनटीपीसी रहा सक्रिय

    बिहार में खपत होने वाली बिजली में 90 फीसदी सप्लाई एनटीपीसी से होती है। इस कारण एनटीपीसी अधिकारी भी काफी सक्रिय रहे। रिस्पांस टीम नियंत्रण कक्ष में काम कर रही थी, ताकि कांटी, नवीनगर, फरक्का, कहलगांव, बरौनी बिजली घर को चालू रखा जा सके। बिहार, झारखंड व इस्टर्न रीजन में एनटीपीसी की ओर दी जाने वाली सप्लाई में 5 हजार मेगावाट कमी आई।

    हाथ-पांव फूलने लगे

    पटना में बिजली कंपनी के स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर में बैठे इंजीनियरों के हाथ-पांव फूलने लगे। उम्मीद थी कि अधिकतम 1 हजार मेगावाट कमी होगी। कंपनी ने अपील भी की थी कि लोग सिर्फ बत्ती बुझाएं। पर जिस तरह दोगुने से अधिक की खपत कम हुई, इससे साफ हो गया कि लोगों ने घरों के मेन स्वीच ही बंद कर दिये थे। हालांकि बिजली कंपनी ने सावधानी बरतते हुए अस्पताल, थानों सहित सभी जरूरी सेवाओं के बिजली उपकरण चला दिए। भरोसा था कि 10 मिनट में सब सामान्य हो जाएगा, पर कमी लगभग 20 मिनट तक बनी रही। सामान्य होने में 30 मिनट लगे।

  • एईएस की दस्तक, खौफ में है ग्रामीण इलाका

    एईएस की दस्तक, खौफ में है ग्रामीण इलाका

    ऋषिकेश राज

    ऋषिकेश राज

     

    एईएस… यानी चमकी बुखार। नाम सुनकर ही मन में एक अजीब खौफ बन जाता है। पिछले दो दशक में हजारो बच्चे इस बीमारी की चपेट में आकर काल के गाल में समा चुके हैं। इस जानलेवा बीमारी का कहर प्रत्येक साल बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में गर्मी का मौसम आते ही शुरू हो जाता है। हालांकि, बरसात के शुरू होते ही यह खत्म हो जाता है। यह बीमारी मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में ज्यादा भयावह रूप धारण करती है, जहां गरीबी और कुपोषण हैं। जिन बच्चों को संतुलित आहार नहीं मिल पाता है, उनके बीमार होने की गुंजाइश अधिक होती है।

    जागरुकता का है अभाव

    कुछ लोग इस बीमारी का कारण लीची को बतातें है। हालांकि, अभी तक ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है। इस बीमारी के रोकथाम के लिए प्रत्येक साल सरकार एवं विश्व बैंक के तरफ से कोशिशे की जा रही है। परन्तु, इसका आज तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। कई बार ओआरएस सहित अन्य चिकित्सकीय सहायत धरातल पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है। जागरुकता अभियान की कागजी खानापूर्ति का आलम ये है कि लोगो में जागरुकता भी नितांत अभाव देखा जा है।

    सियासतदानो की कारस्तानी

    अप्रैल से जून के बीच अस्पताल में दौरा करने वाले सियासतदान बाद के दिनो में इसकी गंभीरता को याद नहीं रखते। बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो हो जाती है। पर, उसको अमलीजामा नहीं पहनाया जाने का खामियाजा आम लोगो को भुगतना पड़ता है। काश, अखबार की सुर्खियां बटोरने वालों, बच्चो के मौत की गंभीरता को समझ पाते। मृत्यु के बाद चार लाख रुपये भले न मिले। बीमारी की रोकथाम के लिए की जा रही प्रयासो में कोताही करने वालों को दंडित तो किया जाये। समय रहते तैयारी की गई होती तो हमारे समाज के नौनिहाल को अकालमृत्यु से बचाया जा सकता था।

  • बिहार में रोजाना 800 कोरोना संदिग्ध

    बिहार में रोजाना 800 कोरोना संदिग्ध

    प्रतिदेन हो रही है 600 की जांच

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में नॉवेल कोरोना संक्रमण का खतरा धीरे-धीरे महामारी का रूप लेने लगा है। प्रतिदिन करीब 800 संदिग्ध लोगो का सैम्पल जांच के लिए आ रहा है। हालांकि, इसमें से मात्र 600 सैम्पल की प्रतिदिन जांच की जा रही है। दो केंद्रों पर नियमित सैम्पल की जांच हो रही थीं। अब तीसरे केंद्र पर भी सैम्पल जांच की प्रक्रिया शुरू हो चुकीं है।

    जांच के लिए कसी कमर

    बिहार में कोरोना के संक्रमण की रोकथाम और जांच की गति तेज करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक तैयारी की है। आरएमआरआई, पटना में रोज औसतन 350 सैम्पल और आईजीआईएमएस, पटना में दो शिफ्ट में औसतन 150-180 सैम्पल की जांच हो रही है। इसके अतिरिक्त दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रायल रन के पूरा होने के बाद अब 60-70 सैम्पल की जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। भविष्य की आवश्यकता को देखते हुए केंद्र सरकार से और जांच किट, पीपीई किट, एन 95 मास्क उपलब्ध कराने की मांग की गई है।

    किट की कमी

    बिहार में कोरोना वायरस की जांच की गति तेज होते ही किट की किल्लत हो गई है। सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में सभी जिलों को तीन हजार सैम्पल रखने के लिये और आरएमआरआई को 750 जांच किट उपलब्ध कराए गए थे। वहीं, 10 हजार जांच किट हाल ही में केंद्र सरकार ने फिर उपलब्ध कराए हैं। ऐसे में फिलहाल जांच किट की कमी नहीं है। किंतु जब पीएमसीएच और डीएमसीएच में भी पूरी तरह जांच प्रक्रिया शुरू हो जाएगी तो कमी अवश्य होगी।

    48 घंटे में दो बार होती है जांच

    राज्य स्वास्थ्य समिति के सूत्रों ने बताया कि कोरोना के एक सैम्पल की जांच में करीब 7 से 8 घंटे का समय लगता है। सैम्पल में जांच को लेकर आरएनए को डालने में 4 घंटे का समय लगता है, उसके बाद मशीन से उसकी जांच में 3 से 4 घंटा समय लगता है। एक मरीज का 48 घंटे के बाद पुन: सैम्पल लेकर जांच की जाती है। लगातार 2 रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उसे मुक्त घोषित किया जाता है।

    पीएमसीएच में जल्द शुरू होगी जांच

    आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच केंद्रों की क्षमता तत्काल प्रतिदिन 900 से अधिक करने की तैयारी है। डीएमसीएच की क्षमता को 60-70 से बढ़ाकर 150-180 जल्द ही हो जाएगी। वहीं, पीएमसीएच में भी जांच की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। यहां 150 से 180 सैम्पल की जांच रोज हो सकेगी।

  • सीवान में कोरोना के चार और नए मामले

    सीवान में कोरोना के चार और नए मामले

    बिहार में कोविड-19 पॉजिटिव की संख्या हुई 20

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के सीवान में कोविड-19 के चार पॉजिटिव रिपोर्ट आई है। इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 20 हो गई है। इससे पहले आज ही सुबह गोपालगंज के एक मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सीवान जिले से चार नए मामले सामने आने के साथ ही जिले में कोविड-19 के मरीजों की संख्या बढ़कर अब पांच हो गई है।

    इन जिलो से आई रिपोर्ट

    राज्य के 20 कोरोना संक्रमितों में से पटना और सीवान के पांच व मुंगेर के चार मरीज शामिल हैं। इसके अलावा नालंदा, लखीसराय, बेगूसराय, खगड़िया, सहरसा और गोपालगंजा के एक-एक मरीज शामिल हैं। सीवान से जिन चार लोगों की रिपोर्ट आज पॉजिटिव आई है, उनके सीधे संपर्क में आने वाले लोगों की प्रशासन ने तलाश शुरू कर दी है। सभी को सेल्फ आइसोलेट कर लेने के लिए कहा गया है। अब सभी के सैंपल लिए जाएंग और टेस्ट होगा।

    अच्छी खबर

    दूसरी तरफ एम्स में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित महिला अनिता विनोद (45 वर्ष) पूरी तरह से स्वस्थ हो गई हैं। सोमवार को उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। यह महिला पिछले शनिवार 21 मार्च को अपना जांच कराने एम्स पहुंची थी। रविवार 22 मार्च को रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्हें एम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था।

  • बिहार में कोरोना पॉजिटिव की संख्या दस

    बिहार में कोरोना पॉजिटिव की संख्या दस

    वार्ड बॉय के रिश्तेदार में मिला कोविड-19

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में कोरोना पीड़ितो की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। शनिवार को राज्य में कोरोना पीड़ितों की संख्या 10 हो गई। आज आरएमआरआई से मिली रिपोर्ट में एक को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। गौरकरने वाली बात ये है कि यहां कुल 90 लोगों के सैंपल की जांच हुई थीं। इनमें से 89 निगेटिव मिले, जबकि एक रिपोर्ट पॉजिटिव मिलते ही हड़कंप मच गया। अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि यह रिपोर्ट एक महिला की है, जो वार्ड बॉय की रिश्तेदार है।

    अस्पतालो से आई अच्छी खबर

    पटना के आईजीआईएमएस, पीएमसीएच और एम्स से राहत की खबर आई है। यहां शुक्रवार को भेजे गए सभी सैंपल की रिपोर्ट शनिवार को निगेटिव रही। शुक्रवार को इन अस्पतालो में कुल 18 लोगों का सैंपल जांच के लिए गया था। राज्य में अब तक दस मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है। इसमें राजधानी पटना के पांच, मुंगेर के तीन, सीवान के एक, और नालंदा के एक व्यक्ति शामिल है। इस तरह मो. सैफ के संपर्क में आए अब तक छह लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। इसमें सैफ के अलावा उसके दो परिजन और शरणम अस्पताल से जुड़े तीन कर्मी और उनके परिजन शामिल हैं। स्मरण रहें कि मुंगेर निवासी मो. सैफ की मौत हो चुकी है। वह कतर से लौटा था।

    भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 945 हुई

    भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ के 149 नए मामले सामने आने के बाद कुल कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 945 हो गई हैं और दो मरीजों की मौत होने की बाद यहां मृतकों का आंकड़ा 21 हो गया है। देश में कोरोना वायरस के 67 मरीज ठीक हो चुके हैं।

    प्रवासी मजदूरो को गांव पहुंचाना उचित नहीं है

    नीतीश कुमार

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि लॉकडाउन में विशेष बसों से लोगों को एक से दूसरे जगह भेजना ठीक नहीं है। इससे लॉकडाउन करने का कोई फायदा नहीं होगा। एक निजी न्यूजै चैनल से बात करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि अगर इससे बीमारी फैलती है तो उसे रोक पाना मुश्किल होगा। नीतीश कुमार का यह बयान तब आया है जब दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार बसों के जरिए लोगों को उनके घर तक पहुंचाने का काम कर रही है। नीतीश कुमार ने सुझाव दिया कि लोग जहां फंसे हुए हैं, उनके लिए उसी स्थान पर व्यवस्था किया जाए। कैम्प लगाकर सरकार उन्हें ठहराए और भोजन की व्यवस्था करे।

    अमेरिका में हालात बेकाबू

    अमेरिका में कोरोना वायरस के मरीज एक लाख के पार पहुंच गए हैं। तेजी से आंकड़ों में बढ़ोतरी जारी है। पिछले 24 घंटों में अमेरिका में 345 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। अमेरिका में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है जिससे देश में बेरोजगारी का 38 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है। अमेरिका में संक्रमण की वजह से लॉकडाउन है।

    दुनिया में छह लाख से अधिक लोगो में कोरोना की पुष्टि

    चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस प्रकोप दुनिया को चपेट में ले चुका है और संक्रमण के मामले 6,15,970 के पार हो गई हैं। मौत की संख्या 25 हजार से ज्यादा हो गई है। करीब 21 हजार मरीज अभी गंभीर अवस्था में जूझ रहे हैं। हालांकि, अब तक करीब 1.28 लाख लोग पूरी तरह से स्वस्थ भी हुए हैं। जहां संयुक्त राज्य अमेरिका में संक्रमण के मामले सर्वाधिक हैं तो वहीं, यूरोप के इटली और स्पेन मौतों के आंकड़े में सबसे आगे हैं। इधर, दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस से सबक लेते हुए अब बीजिंग ने जंगली जानवरों और कीड़े-मकोड़ों के शिकार और खाने पर रोक लगाने की तैयारी की है। इसके लिए बीजिंग प्रशासन ने कई नियम-कायदों का ड्राफ्ट तैयार किया है।

  • नींद तो खुली… पर बिलम्ब हो गया

    नींद तो खुली… पर बिलम्ब हो गया

    खुलेआम घूम रहें हैं संदिग्ध

    KKN न्यूज ब्यूरो। मंसूख लाल (काल्पनिक नाम)… एक सप्ताह पहले महाराष्ट्र से लौटा है। वह द‍िहाड़ी मजदूर है और मुंबई में रह कर मजदूरी करता था। यहां गांव में लोग उसको शक की नजरो से देखते है। लोगो को डर हे कि मंसूख को कोरोना हुआ तो क्या होगा? फिलहाल, मंसूख में बीमारी के कोई लक्षण नहीं है और वह लोगो से मिलजुल रहा है। गांव के हाट बजार भी जा रहा है। सवाल उठता है कि बाद में यदि मंसूख में कोरोना के लक्षण मिल गए… तो क्या होगा? बिहार के गांवों में मंसूख अकेला नहीं है। बल्कि, उत्तर बिहार के गांवों में ऐसे दर्जनो मंसूख है, जो इसी तरह से घूम-फिर रहें है।

    गंभीर हुई सरकार

    यह सच है कि सरकार प्रवासी मजदूरो को लेकर गंभीर हो गई है। मेडिकल की टीम प्रवासी मजदूरो तक पहुंच भी रही है। पंचायत प्रतिनिधियों को भी सर्तक रहने को कह दिया गया है। जरुरत पड़ने पर ऐसे लोगो को समीप के सरकारी स्कूल में कोरंटाइन करने का आदेश जारी है। इधर, गौरकरने वाली बात ये है कि मेडिकल की टीम ऐसे प्रवासी मजदूरो से मिल कर उनका केश हिस्ट्री नोट करके लौट रही है। डॉक्टर के लौटते ही गांव में खबर फैलती है कि जांच हो गया और मंसूख ठीक है। इसी के साथ बाकि के सभी एक दर्जन मजदूरो की भी जांच हो गई और सभी ठीक है। जबकि, सच ये कि जांच नहीं हुई और सिर्फ केश हिस्ट्री ली गई है।

    पॉजिटिव निकला तो…

    मोटे अनुमान के मुताबिक बिहार के गांवो में इस वक्त करीब पांच हजार मंसूख है और इसमें से पांच भी पॉजिटिव निकला तो क्या होगा? पिछले एक सप्ताह में वह पांच… और कितने से मिले होंगे और फिर वह और कितने से मिले होंगे? पता लागाना आसान नहीं होगा। तुर्रा ये कि पिछले दिनो मंसूख गांव के हाट भी गया था। हाट में आधा दर्जन गांव के दो हजार लोग थे। पिछले एक सप्ताह में उत्तर बिहार के सैकड़ो हाट में घूम रहे ऐसे दर्जनो मंसूख… जाने अनजाने में कितने लोगो के संपर्क में आये होंगे… चाय-नाश्ते की दुकान पर टेबुल, बेंच और ग्लाश के संपर्क में आया होगा। यानी, सीधे तौर पर मंसूख के संपर्क में नहीं आने वाले भी संक्रमण के शिकार हो सकते है। अब कैसे मालुम चलेगा कि वह कौन थे ? अच्छी बात ये कि देश लॉकडाउन में है। बर्ना, अभी तक हममें से कितने लोग मंसूख बन चुके होते!

    बुरा मान जातें है लोग

    करीब आकर बात करने की परंपरा इन दिनो बिहार के गांवो में मुश्किलें पैदा कर रही है। दूर रहने को कहिए, तो लोग भड़क जातें है। इसे अन्यथा ले लिया जाता है। हालांकि, अधिकांश लोग ऐसा नहीं करते। पर, हाट और बाजार में जुट रही भीड़ अभी भी बेकाबू है। यहां संक्रमण फैलने का जबरदस्त खतरा है। बेशक कड़ाई होगा। पर, तबतक लेट हो चुका होगा।

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  • लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर, पैदल ही निकल पड़े

    लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूर, पैदल ही निकल पड़े

    प्रवासी मजदूरों पर टूटा दुखो का पहाड़

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के ओम कुमार की गोद में सात महीने की एक बेटी है। साथ में बीमार पत्नी कौशल्या और बड़ी बेटी राधिका सहित दो और छोटे बच्चे है। वह हरियाणा से अपने घर के लिए पैदल ही निकल पड़ा है। ओम के साथ आधा दर्जन परिवार और है। लॉकडाउन के बाद ये सभी मजदूर पैदल ही अपने घर के निकल पड़ें है। यदि, इन लोगो को रास्ते में कोई मदद नहीं मिला तो घर पहुंचने के लिए करीब एक सप्ताह पैदल चलना होगा। ऐसे सैकड़ो परिवार है, जो अपने घर जाने के लिए हाइवे पर पैदल चल रहें है।

    इनका रोजगार छिन गया

    भारत में लॉकडाउन की घोषणा होते ही हजारों प्रतिष्ठानों ने अपने-अपने कर्मचारियों को घर जाने का फरमान सुना दिया है। ऐसा ही आदेश गुरुग्राम में नौकरी करने वाले राज कुमार को मिला। उसके मालिक ने कहा, ‘घर जाओ और वहीं रहो।’ लेकिन, राजकुमार का घर तो हजार कि.मी. से भी दूर बिहार के छपरा में हैं। उसके पास सिर्फ एक हजार रुपये हैं और इसका कोई अता-पता नहीं कि अगली सैलरी कब आएगी। ऐसे में गुरुग्राम में ही पड़े रहने का कोई मतलब नहीं है। मुश्किल यह कि जाने का कोई साधन नहीं। राजकुमार ने अपनी पत्नी, तीन महीने की बच्ची और 58 वर्ष की मां के साथ बुधवार को अहले सुबह पैदल ही निकल पड़ा। उनकी तरह कई और परिवार सड़क पर पैदल चलते हुए अपना सफर तय करने में लगे है। इधर, पैदल मार्च पर निकले लोगों का कई झुंड यूपी तक पहुंच चुका है। उन्होंने दिनभर में दिल्ली को पार करते हुए 50 किमी की दूरी तय कर ली थी। कुछ स्थानीय लोगों ने उन्हें खाने का पैकेट दिए। इस बीच मजदूरो का झुंड बढ़ता गया और कारवां बनता गया।

    हाईवे पर पैदल यात्रियों का झुंड

    दिल्ली-एनसीआर से अचानक निकलने वालों की ऐसी कई झुंड सड़कों पर है। जो लोग गांव लौट रहे हैं, उनमें ज्यादातर फैक्ट्री और दिहाड़ी मजदूर हैं। फैक्ट्रियां और काम-धंधे बंद होने के कारण वो अचानक बेरोजगार हो गए हैं। उनका गांव की ओर पलायन सरकार के लिए भी चिंता का सबब है। क्योंकि, लॉकडाउन का मकसद ही खतरे में आ गया है जो लोगों की आवाजाही रोकना है। उधर, मोहन सिंह दस दिन पहले ही मानेसर आए थे। उनके पास पैसा नहीं है और पूरा परिवार तीन दिन से भरपेट खाना नहीं मिला है। मोहन बदायूं के हैं और उनके परिवार के सभी दस सदस्य 266 कि.मी. की पैदल यात्रा पर हैं।

  • बिहार के गांवों में बड़ी संख्या में लौट रहें है लोग

    बिहार के गांवों में बड़ी संख्या में लौट रहें है लोग

    गांव में बढ़ा संक्रमण का खतरा

    बिहार के प्रवासी मजदूर

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के गांवो में प्रवासी मजदूरो के आने का सिलसिला, थमने का नाम नहीं ले रहा है। लॉकडाउन के बीच ही जैसे-तैसे महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, बंगाल, राजस्थान और यूपी आदि राज्यो से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बिहार के गांवो में लौट रहें है। लिहाजा, शहर के साथ ही अब ग्रामीण क्षेत्रो में संक्रमण फैलने का खतरा मंडराने लगा है। हांलाकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि सोशल डिस्टेंश को मेंटेन करके कोरोना को हराया जा सकता है।

    बड़ी तैयारी में है सरकार

    इस बीच सरकार ने खतरे को भांप लिया है और दूसरे राज्य से आ रहे लोगो का पूरा डेटा तैयार करने का प्रशासन को आदेश दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम भी घूम- घूम कर बाहर से आये लोगो का डेटा इखट्ठा कर रही है। तैयारी के नाम पर सरकार ने सरकारी स्कूलो में आइसोलेशन वार्ड बनाने का आदेश जारी किया है। पुलिस के लोग लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने में लगे रहे। लगातार सोशल डिस्टेंश मेंटेन करने को कहा जा रहा है। यानी सरकार बड़ी तैयारी में जुट गई है।

    हेल्पलेश हो चुका है सिस्टम

    बिहार

    यह सच है खुद को अलग करके कोरोना को हराया जा सकता है। पर, यह भी सच है कि प्रशासन के पास इससे निपटने के लिए अभी तक कोई ठोस रणनीति नहीं है। बजार में सैनेटाइजर और मास्क की जबरदस्त किल्लत है। अस्पताल में प्रयाप्त आइसोलेशन वार्ड नहीं है। वेंटिलेटर का घोर अभाव है। जिला मुख्यालय में कोरोना वासरस के जांच की सुविधा नही है। हेल्प लाइन नंबर तो है। पर, वह हेल्पलेश हो चुका है। ऐसे में अचानक स्थिति बेकाबू हो गई, तो क्या होगा? यह बड़ा सवाल है।

  • कोरोना संकट, लॉकडाउन हुआ बिहार

    कोरोना संकट, लॉकडाउन हुआ बिहार

    बिहार के मुख्यमंत्री ने किया ऐलान

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना वायरस के बढ़ते खतरो के बीच बिहार के सभी जिला में लॉकडाउन का आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश 31 मार्च तक जारी रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना समेत 118 शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया है। लॉक डाउन में जिला मुख्यालय, अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय को भी शामिल किया गया है।

    लॉकडाउन का असर

    बिहार में लॉकडाउन के लिए मुख्यमंत्री का आदेश जारी होते ही सभी निजी प्रतिष्ठान, निजी ऑफिस और सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया गया है। हालांकि, इस दौरान जरूरी सेवा जारी रहेगी। किराना दुकान, मेडिकल दुकान, डेयरी और डेयरी से संबंधित संस्थान खुले रहेंगे। इसी प्रकार पेट्रोल पंप, सीएनजी, बैंक, एटीएम, पोस्ट ऑफिस, अखबार का ऑफिस, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संस्थान खुला रहेगा। इन संस्थानों मे चलने वाले वाहनों को रोका नहीं जाएगा। लॉकडाउन के दौरान फल और सब्जियों की दुकानें खुली रहेगी।

    सीएम का संदेश

    बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों को संदेश दिया है कि कोरोना महामारी से हमलोग डट कर मुकाबला कर रहे हैं। आवश्यक सावधानियां भी बरती जा रही। लेकिन इस बीमारी को गंभीरता को देखते हुए हर व्यक्ति का सचेत रहना नितांत जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस से निपटने का सबसे अच्छा उपाए सोशल डिस्टेंसिंग हैं और हम सभी को मिल कर इसका पालन करना चाहिए।

  • बिहार में कोरोना ने दी दस्तक, मौत की पुष्टि से मचा हड़कंप

    बिहार में कोरोना ने दी दस्तक, मौत की पुष्टि से मचा हड़कंप

    प्रवासी मजदूर बने बाहक

    KKN न्यूज ब्यूरो। कोरोना की दस्तक से बिहार में हड़कंप मच गया है। अब तक कोरोना से बिहार में एक व्यक्ति कि मौत हो गई है। जबकि, दो अन्य लोगो की मौत अभी संदिग्ध है। जांच में अब तक तीन अन्य लोगो में कोरोना की पुष्टि होते ही राज्य की सरकार हरकत में आ गई है। विदेशो के अतिरिक्त महाराष्ट्र और दिल्ली से बड़ी संख्या में बिहार लौट रहे लोग प्रशासन के लिए चुनौती बन गये है। राज्य के कई बड़े अस्पतालो में कोरोना वायरस के जांच की सुविधा नहीं होने की वजह से डॉक्टर ऐसे लोगो को सेल्फ कोरंटाइन में रहने की सलाह देकर उसको घर भेज रहें हैं। इससे बिहार के गांवों में दहशत का आलम है।

    कोरोना से एक मौत की हुई पुष्टि

    जांबाज डॉक्टर

    बिहार में कोरोना वायरस से पहली मौत की पुष्टि होते ही हड़कंप मच गया है। पटना एम्स में भर्ती मुंगेर के चुरम्बा गांव निवासी युवक सैफ अली 38वर्ष ने शनिवार को दम तोड़ दिया। वह कतर से किडनी का इलाज कराकर 13 मार्च को लौटा था। बाद में कोरोना की जांच की गई, जिसमें पॉजीटिव पाया गया। पटना एम्स में ही भर्ती एक अन्य महिला की रिपोर्ट पॉजीटिव आई है। यह महिला स्कॉटलैंड से पटना आई थी। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। इस वायरस से संक्रमित होकर सबसे कम उम्र में मौत का देश में यह पहला मामला है। अब स्वास्थ्य विभाग ने मुंगेर में मृतक के परिवार को आइसोलेट कर दिया है। मेडिकल टीम चुरम्बा गांव पहुंचकर उसके साथ ही अन्य लोगों की जांच कर रही है। बिहार के आरएमआरएई स्थित जांच केंद्र में रविवार दोपहर तक 170 सैंपल की जांच हुई है। इसमें तीन में कोरोना वायरस की पुष्टि हो गई है।

    संदिग्ध मौत, कही कोरोना तो नहीं

    बिहार के औरंगाबाद जिले के मनोज कुमार की इलाज के दौरान संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई है। हालांकि, पटना के एनएमसीएच में भर्ती मनोज के शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। अनुमान है कि मनोज की मौत कोरोना वायरस से हुई है। हालांकि, इसकी पुष्टि होना अभी बाकी है। इधर, मनोज की पत्नी भी एनएमसीएच में भर्ती हैं। दोनों हाल ही में उड़ीसा से लौटे थे। पटना के एनएमसीएच में शनिवार रात एक अन्य महिला की मौत हुई है। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसकी कोरोना जांच की प्रक्रिया अभी चल रही है। इस बीच मुजफ्फरपुर के कांटी थाना के कोठियां गांव में एक मधु कारोबारी की भागलपुर के नवगछिया में संदिग्ध मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि सर्दी, खांसी और तेज बुखार के बाद उल्टी होने से उसकी मौत हुई है। हालांकि, उसकी जांच नहीं की गई और इस बीच शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इधर, परिजन कोरोना होने से इनकार कर रहें हैं। बताया जा रहा है कि मामला प्रकाश में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब मृतक के साथ रहने वाले मीनापुर के दो अन्य मधु कारोबारी की तलाश में जुट गयें है।

    आपातकालीन बैठक

    बिहार में तीन मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है। राज्य सरकार ने आपातकालीन बैठक के बाद राज्य में आने वाले सभी प्फ्लाइट पर रोक लगाने की सिफारिश कर दी है। ट्रेन के परिचालन पर पहले ही रोक लगा हुआ है। एम्स, एनएमसीएच के अलावा अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी आपात बैठक चल रही है। माना जा रहा है कि सरकार कुछ इलाको को आइसोलेट कर सकती है। इधर, मरीज की मौत के बाद एम्स प्रशासन विशेष सतर्कता बरतने लगा है। जो संदिगध हैं, उन्हें अलग वार्ड में रखकर विशेष नजर रखी जा रही है। बिहार सरकार की नजर मुंबई और पुणे से बिहार लौट रहे पांच हजार लोगों पर है। विशेष सतर्कता बरतते हुए दानापुर स्टेशन पर ही दो स्कूलों में पंडाल लगाकर सरकार उनकी चिकित्सकीय जांच करवा रही है। इनमें से संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें राजधानी में चार जगहों पर बने आइसोलेशन वार्ड में भेजने की तैयारी है।

  • आखिर क्यों मनाया जाता है बिहार दिवस ?

    आखिर क्यों मनाया जाता है बिहार दिवस ?

    बिहार आज अपनी 108वीं वर्षगांठ मना रहा है। भले ही कोरोना के कारण इस बार का बिहार दिवस थोड़ा फीका पर गया है लेकिन चलिये जानते है इसके बारे मे…बिहार दिवस को 22 मार्च के दिन मनाने का प्रमुख कारण है कि इसी दिन बिहार राज्य की स्थापना हुई थी। असल में अंग्रेजों ने सन 1912 में इसी दिन बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी से अलग कर नए राज्य के रूप में मान्यता दी थी। इसके बाद से ही बिहार दिवस को पारंपरिक रूप से मनाया जाने लगा। बिहार शब्द संस्कृत और पाली शब्द “विहार मठ” से बना है। बिहार बौद्ध संस्कृति का जन्म स्थान है, जिस वजह से इस राज्य का नाम पहले विहार और उससे बिहार बना। बिहार को पहले मगध के नाम से जाना जाता था। बिहार की राजधानी पटना का नाम पहले पाटलिपुत्र हुआ करता था भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद बिहार से ही थे। हिंदु पुराणों के अनुसार माता सीता का जन्म भी बिहार में हुआ। इसी राज्य में भगवान राम और माता सीता का मिलन भी हुआ। बिहार से ही बुद्ध और जैन धर्म की उत्पत्ति हुई. बिहार में ही दुनिया के सबसे पुराना विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय है। बिहार में ही एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है।

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  • CoronaVirus: बिहार में कोरोना से पहली मौत

    CoronaVirus: बिहार में कोरोना से पहली मौत

    बिहार में कोरोना ने दस्‍तक दे दी है। मिली जानकारी के अनुसार पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्‍टीच्‍यूट (RMRI) में दो मरीजों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिली है। इसमें एक की मौत भी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के मुताबिक जिस मरीज की मौत हुई है, वह पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान में किडनी का इलाज करा रहा था। वह मुंगेर जिला का रहने वाला था। प्रधान सचिव ने मृतक के कोरोना पॉजिटिव होने की भी पुष्टि की। हालांकि, इस मामले में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री, स्‍वास्‍थ्‍य सचिव व आरएमआरआइ के निदेशक के बयान अलग-अलग हैं।

    देश में अभी तक कोरोना संक्रमण के 329 मामले मिले हैं, जिनमें से पांच की मौत हो चुकी है। यह वायरस दुनिया के 170 से अधिक देशों के 3,05,046 लोगों को संक्रमिज कर चुका है, जिनमें से 13,029 की मौत हो चुकी है।

  • बहादुरी नहीं, समझदारी दिखाएं

    बहादुरी नहीं, समझदारी दिखाएं

    भीड़ में जाने से बचना बहुत जरुरी

    KKN न्यूज ब्यूरो। देखा जा रहा है कि शहर की तुलना में गांव के लोग, इन दिनो अधिक बहादुरी दिखाने में जुट गये हैं। हाथ साफ करने वालों को डरपोक समझा जाता है। हाट, बजार और चाय- नाश्ते की दुकान पर एक साथ बैठे कई लोग, कोरोना पर प्रवचन देते अक्सर मिल जायेंगे। ताज्जुब तो तब हुई, जब सैकड़ो लोगो को एक साथ बैठा कर नेताजी सोशल डिस्टेंश मेंटेन करने का प्रवचन देने लगे। यानी, लोग मानते है कि खतरा है। एक दुसरे को बचने का उपाय भी बता रहें है। पर, खुद को सुरक्षित मान कर, भीड़ में जाने से इन्हें कोई गुरेज नहीं है।

    अफवाह से बचें

    कोरोना

    चौक चौराहे की दुकान में लगी बेंच पर एक साथ बैठे कई लोग चाय की चुश्की के साथ ज्ञान और विज्ञान पर जोरदार प्रवचन देते अक्सर मिल जायेंगे। अपनी धारदार थ्योरी से पीएम और सीएम तक को पलभर में कटघरे तक पहुंचा रहें हैं। इश्वर, अल्लाह… मंदिर और मस्जिद… यहां तक की मीडिया भी इनके निशाने पर होता है। कोरोना के वाहक ये हो या नहीं हो… पर, अफवाह के इन वाहको पर रोक लगना बहुत जरुरी हो गया है। कुतर्क ऐसा कि हकीकत भी शर्मसार हो जाये। सवाल उठता है कि ऐसे लोगो को कौन समझाए?

    घर लौटने वालों की स्क्रिंनिंग जरुरी

    बात यहीं खत्म नहीं होती है। चीन, अमेरिका और इटली आदि देशो से घर लौटने वालों की एयरपोर्ट पर ही थर्मोस्क्रिनिंग हो रही है। अलबत्ता कुछ लोग इससे बच कर निकल भी रहें हैं। बावजूद इसके सभी कुछ ठीक रहने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग 14 रोज तक उनपर नजर रखती है। जरुरी नहीं कि कोरोना हो ही… पर, बताया जा रहा है कि ऐतिहात जरुरी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि महाराष्ट्र और दिल्ली से बड़ी संख्या में बिहार लौट रहे लोगो के लिए स्थानीय प्रशासन कितना तैयार है? गौर करने वाली बात ये है कि इनमें से अधिकांश लोग गांव से जुड़ें हैं। जिनका सरकार के पास कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।

    काम आ सकता है डेटा

    विदेश से लौट रहे लोगो का पूरा डेटा सरकार के पास उपलब्ध होता है। उसका नाम और पता मालुम होता है। लिहाजा, यदि कोई जांच में छूट गया, तो उसकी तलाश कर लेना मुश्किल नहीं है। किंतु, महाराष्ट्र से लौटने वाले ज्यादेतर मजदूर है और ग्रामीण इलाको से है। इनका कोई डेटा भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे लोग रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से एक बार बाहर निकल गए, तो मालुम करना मुश्किल हो जायेगा कि ये कहां गए? यदि इनमें से कोई एक भी कोरोना पॉजिटिव हुआ, तो गांव के हालात को सम्भाल पाना बेहद मुश्किल हो जायेगा।

    कोरंटाइन का हो सख्ती से पालन

    यदि बाहर से लौटने वाले खुद को अपने ही घर में 14 रोज के लिए कोरंटाइन करें। यानी, सभी से खुद को अलग रखे। तब भी खतरा कम नहीं होगा। क्योंकि, गांव की हकीकत ये है कि पक्का मकान वाले घरो में भी दो या तीन कमरे में कई लोगो के एक साथ रहतें है। पूरा परिवार एक ही शौचालय और चापाकल का इस्तेमाल करता है। जाहिर है कि गांव में किसी को उसके खुद के परिवार के संपर्क में आने से नहीं रोका जा सकता है। ऐसे में परिवार के दूसरे लोग गांव के अन्य लोगो के संपर्क में आयेंगे, तो क्या होगा? जाहिर है कि आपकी सभी तैयारी धरी की धरी रह जायेगी। स्थिति बेकाबू हुई, तो शहर की तुलना में गांव को सम्भाल पाना मुश्किल हो जायेगा।

    जागरुकता अभियान

    मो. सदरुल

    खतरा बड़ा है… तैयारी समझदारी के साथ करनी होगी। विधिक जागरुकता प्राधिकार के लोग गांववालों को इसके लिए तैयार करने में जुट गए हैं। प्रचार वाहनो को गांव में भेजा जाने लगा है। स्वास्थ्यकर्मी लोगो को सुरक्षा के उपाये बता रहें हैं। मीनापुर के समाजिक कार्यकर्ता मो. सदरुल खां जैसे दर्जनो लोग घर-घर जा कर लोगो को समझा रहें हैं। आईडीएफ के लोग भी खुद को खतरे में डाल कर लोगो को जागरुक करने के लिए गांव में निकल पड़े हैं।

    मिल कर लड़ना होगा

    पीएम ने आह्वान किया है कि रविवार को अपने घरो से नहीं निकलें। ऐसे में बहादुर बनने से अच्छा है, समझदार बनें। खुद के ज्ञान पर स्वांग भरने से बेहतर होगा कि एक्सपर्ट जो कहता है, उसका पालन करें। लापरवाही का अंजाम, चीन में देख चुकें हैं। इटली में देख रहें है। कोरोना के सामने सुपरपावर अमेरिका कुछ नहीं कर पा रहा है। यदि भारत में कोरोना ने विराट रुप धारण किया, तो क्या होगा? ऐसे में जरुरी हो गया है कि सभी मतभेद को भुला कर इसके खिलाफ एकजुट हो जाएं। सोशल डिस्टेंश और हाथो की सफाई जैसे मामुली सर्तकता के साथ हम मिल कर कोरोना को हरा सकतें हैं और उम्मीद है कि इस वक्त हमारी चट्टानी एकता… कोरोना पर भारी पड़ेगा।

  • मीनापुर में जदयू का जम्बोजेट कमिटी गठित

    मीनापुर में जदयू का जम्बोजेट कमिटी गठित

    सभी वर्ग को मिला प्रतिनिधित्व

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड में जदयू ने 51 सदस्सीय जम्बोजेट कार्यकारणी का गठन किया है। इसमें 9 उपाध्यक्ष, 25 महासचिव, 17 सचिव, 24 विशेष आमंत्रित सदस्य और 14 कार्यकारिणी सदस्य शामिल है। युवा तुर्क प्रखंड अध्यक्ष पंकज किशोर पप्पू ने बताया कि नव गठित कमिटी में सभी वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है।

    उपाध्यक्ष बनने वालों की सूची

    जदयू के नव गठित कमिटी में जिन लोगो को उपाध्यक्ष बनाया गया है, उनमें महादेव सहनी, शत्रुघ्न   ठाकुर, गणेश राम, ज़ियाउद्दीन अंसारी, मनीष कुमार, लालबाबू प्रसाद (पूर्व मुखिया), राधिका देवी (प्रमुख), बिपुल कुमार और कुमार नलिनी रंजन का नाम शामिल है। नलिनी रंजन को पार्टी ने प्रवक्ता का अतिरिक्त प्रभार भी दिया है।

     महासचिव और सचिव बने

    रतन कुमार, सुनील शाही, वकील पासवान, संजय प्रसाद, अरविंद ठाकुर, किशोरी सहनी, बिगन मंडल, नरेश नारायण, जगेश्वर साह, सच्चिदानंद प्रसाद, फुलपति देवी, शशि गुप्ता, अकलू राम, धर्मेंद्र कुमार, बिजली पांडेय, तेजनारायण प्रसाद, कृष्णदेव प्रसाद, अनिल प्रसाद, चंदन कुमार सिंह, दिनेश प्रसाद, तेजनारायण गुप्ता, सूर्यदेव सहनी, शम्भू प्रसाद आर्य, वीरचंद पटेल और विजय कुमार साह शामिल है। श्री साह को कोषाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। इसी प्रकार मदन शर्मा, गणेश सिंह, राज कुमार साह, प्रमोद चौधरी, रणधीर कुमार सहनी, सीताराम प्रसाद, घुरण सहनी, रामदयाल प्रसाद यादव, सुभाष सिंह, बिपिन पंडित, शंकर यादव, दुर्गा सहनी, लालबाबू प्रसाद, राज कुमार पंडित, नागेंद्र पटेल, मुकेश कुमार सिंह को सचिव बनाया गया है। राजनारायण कुमार को कार्यालय सचिव बनाया गया है। पार्टी ने रामचन्द्र प्रसाद, ललन कुशवाहा, चंद्रबली सहनी, राम कुमार साह, मो. सदरुल खां, नीरज कुमार सिंह, रतन राय, पाशपत राय, हरिनारायण सिंह, अनिल कुमार, वकील चौधरी, भूखली देवी, बिनोद कुमार और राजदेव प्रसाद को कार्यकरणी में जगह दी गई है।

    विशेष आमंत्रित सदस्य

    विनोद कुशवाहा, मनोज कुमार, गोपाल शाही, संजय सिंह, तेजनारायण सहनी, मिथिलेश यादव, वीणा यादव, संत कुशवाहा, शकुंतला गुप्ता, केके प्रशांत, दिलीप कुशवाहा, शिवशंकर सिंह, शंकर प्रसाद, राजीव झा, जयकांत प्रसाद, सुनील पांडेय, वरुण सरकार, मथुरा प्रसाद चौधरी, पंकज कुमार गुप्ता, प्रेमनाथ राम, फूल कुमारी देवी, अनिता कुमारी, अजय कुमार और मो. कलाम को आमंत्रित सदस्य के रूप में कमिटी में शामिल गया है। इसके अतिरिक्त प्रदेश या जिला से मनोनित प्रभारी और सभी प्रकोष्ठ प्रभारी को भी शामिल किया गया है।

  • बिहार में कोरोना महामारी घोषित

    बिहार में कोरोना महामारी घोषित

    प्रशासन को मिले कई अधिकार

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर बिहार में एपिडेमिक डिजीज, कोविड-19, नियमावली 2020 को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। इस संबंध में राजकीय गजट के माध्यम से अधिसूचना जारी की गयी। इसके तहत बिहार में प्रशासन को असीमित अधिकार मिल गया है। इसके लागू होने से सरकार किसी भी संदिग्ध व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाने पर उसकी जांच करा सकती है और उसे बलपूर्वक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करा सकती है।

    इलाज से इनकार करने पर होगी कारवाई

    संदिग्ध व्यक्ति जांच या इलाज से इंकार करेगा उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा – 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। कार्रवाई करने का अधिकार स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एवं संबंधित जिला के जिलाधिकारी को सौंपा गया है। कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने का उद्देश्य इसके संक्रमण के प्रसार को रोकना और महामारी कानून के पालन नहीं करने वाले पर व्यापक समाजहित में कार्रवाई करना है।

    बिहार में पहली बार महामारी घोषित

    बिहार में पहली बार कोई बीमारी महामारी घोषित की गयी है। दरअसल 128 वर्ष पुराने केंद्रीय कानून द ऐपिडिमिक डिजीज एक्ट, 1897 के तहत बिहार सरकार ने पहली बार कोविड -19 को महामारी के रूप में घोषित किया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने कहा कि हमने इसके पूर्व बिहार में किसी खास बीमारी को महामारी घोषित होते हुए नहीं सुना है। बिहार सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए यह निर्णय लिया है।

    अफवाह फैलाने पर होगी कार्रवाई

    बिहार में कोरोना वायरस को लेकर गलत नियत से मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाह फैलाने वाले किसी भी व्यक्ति, संस्थान या संगठन पर कार्रवाई की जा सकती है। इसलिए लोगों को सलाह दी गयी है कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल न हों अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

    निजी लैब को जांच का अधिकार नहीं

    इस कानून के तहत बिहार में स्थित किसी भी निजी लैब को कोरोना वायरस की जांच का अधिकार नहीं दिया गया है। किसी भी संक्रमित व्यक्ति के जांच सैंपल को सिविल सर्जन द्वारा अधिकृत नोडल अधिकारी द्वारा एकत्र किया जाएगा और इसकी जानकारी संबंधित जिले के सहायक जिला सिविल सर्जन को तत्काल देनी होगी। वहीं, 29 फरवरी, 2020 के बाद कोरोना प्रभावित देशों की यात्रा से लौटने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा जांच के लिए सीधे टॉल फ्री नंबर- 104 से जानकारी हासिल कर सकतें हैं।

    भीड़ के एकत्र होने पर रोक

    इस कानून के तहत जिलाधिकारी को अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी गांव, प्रखंड, सिटी, वार्ड, कॉलोनी या किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में कोरोना वायरस के मरीज की सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई कर सकते है। वे उन क्षेत्रों में स्थित स्कूल, कार्यालय को बंद कर सकते है और भीड़ के एकत्र होने पर रोक लगा सकते हैं। वाहनों के परिचालन पर भी रोक लगा सकते हैं। सभी संदिग्ध मरीजों को अस्पताल में आइसोलेशन के लिए भर्ती किया जा सकता है।

  • सीतामढ़ी में छात्रो ने बांटे मास्क

    सीतामढ़ी में छात्रो ने बांटे मास्क

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के सीतामढ़ी जंक्शन पर छात्रो ने लोगो को कोरोना के प्रति जागरुक किया और इसको लेकर अफवाह से बचने की सलाह दी। छात्रो ने कहा कि कई बार सरकारें ऐसी आदेश निकाल देती है, जिससे पैनिक हो जाता है।
    इस मौके पर छात्र राजद के जिला अध्यक्ष मुकेश यादव और उपाध्यक्ष विष्णु कुमार ने लोगो के बीच मास्क और साबुन का वितरण करके लोगो से साफ सफाई पर विशेष ध्यान देने की अपील की। इस मौके पर मोरेहान खान, मो. शमशाद, ललन कुमार राय, मो. असलम, मो. जावेद भी मौजूद थे।