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  • कोरोनाकाल की त्रासदी ने छीन ली मासूम की खुशियां

    कोरोनाकाल की त्रासदी ने छीन ली मासूम की खुशियां

    पिता की मौत से एक साथ अनाथ हो गए तीन बच्चे

    KKN न्यूज ब्यूरो। महज 12 वर्ष की उम्र में ही सुहांगी कुमारी हंसना, मुश्कुरान भूल चुकी है। वह अक्सर शून्य को निहारते हुए ठिठक जाती है। कोरोना से पिता की मौत के बाद उसके सभी सपने एक ही झटके में टूट गए। पांचवां वर्ग की सुहांगी को नहीं पता कि अब उसके भविष्य  का क्या होगा? बिहार के मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर, मीनापुर थाना के दरहीपट्टी गांव की गलियों में किलकारी भरने वाली सुहांगी की खामोशी, कोरोनाकाल के भयावह तस्वीर की तस्दीक कर रही है। यहां सुहांगी अकेली नहीं है। उसके दो छोटे भाई 10 वर्ष का सुधांशू और 7 वर्ष का आर्यन भी है। पिता की मौत के बाद घर में मातमी सन्नाटा पसर चुका है।

    मुसमात

    पति की मौत से टूट चुकी मुसमात रेणु देवी के आंखो से मानो आंसू सूख चुका है। लड़खराती जुबान से वह बताती है कि घर से करीब दस किलो मीटर दूर सिवाईपट्टी में उसके पति अरविन्द कुमार का दुकान था और उनके कमाई से घर का खर्चा चलता था। अब बड़ा सवाल ये है कि इन बच्चो के भविष्य का क्या होगा? अरविन्द के पिता शंकर प्रसाद उम्र के चौथेपन में है। शंकर प्रसाद बतातें है कि अरविन्द उनका माझिल पुत्र था। वह खुद की कमाई से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। अब इस परिवार की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। दावो से इतर सरकार का कोई भी कारिंदा पलट कर देखने नहीं आया।

    ऐसे आया कोरोना की चपेट में

    अरविन्द कुमार की उम्र अभी महज 37 वर्ष की थीं। वह अपने घर से करीब 12 किलोमीटर दूर सिवाईपट्टी बाजार पर एक डाक्टर की निगरानी और दोस्तो की पार्टनरशीप में अल्ट्रासाउउंट का मशीन चला कर अपने परिवार का भरन-पोषण करता था। अचानक 26 अप्रैल को उसको बुखार हो गया। बुखार ठीक नहीं होने पर 2 मई को उसने मीनापुर अस्पताल पहुंच कर कोरोना की जांच करावाई। रिपोर्ट पॉजिटिव था। डाक्टर ने कोरोना संक्रमण की पुष्टि कर दी। इसके बाद एसकेएमसीएच के एक डाक्टर की निगरानी में उसका इलाज शुरू हुआ। किंतु, 11 मई की शाम 4 बजे उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगा। डाक्टर की सलाह पर उसको ऑक्सीजन सपोर्ट पर रख दिया गया। अगले रोज 12 मई को हालत और बिगड़ने लगा। डाक्टर की सलाह पर परिजन पटना ले गए। वहां एक निजी अस्पताल में उसको वेंटीलेटर पर रखा गया। उसी दिन करीब 2 बजे में उसकी मौत हो गई।

    सिस्टम में फंसा मुआवजा का पेंच

    सरकार के द्वारा घोषित मुआवजा भुगतान का मामला सिस्टम की उलझनो में फंस कर रह गया है। परिजन मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए भटक रहें है। हालांकि, अस्पताल के द्वारा मृत्यु-प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। किंतु, मीनापुर अंचल प्रशासन ने पटना के निजी अस्पताल के द्वारा दी गई मृत्यु प्रमाण-पत्र को मानने से इनकार कर दिया है। मृतक के पिता शंकर प्रसाद बतातें हैं कि अब मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए नए सिरे से 3 जून को पटना नगर निगम में आवेदन दिएं है। बड़ा सवाल ये कि बार-बार पटना कौन जाये? लिहाजा, पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा टेढ़ी खीर बन बन चुका है।

  • मीनापुर के मतदाताओं का उत्साह कोरोना पर भारी पड़ा

    मीनापुर के मतदाताओं का उत्साह कोरोना पर भारी पड़ा

    • शिवहर जिला से सटे मीनापुर के नक्सल पीड़ित गांवो में दिखा जबरदस्त उत्साह
    मतदान के लिए उत्सुक महिलाएं

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर में मतदाताओं का उत्साह कारोना पर भारी पड़ गया। मंगलवार की सुबह से ही मतदान केन्द्रों पर लगी लम्बी कतार और कतार में बड़ी संख्या में महिलाओं की मौजूदगी कहानी वयां कर रहा था। शिवहर जिला के तरियानी से सटे और किसी जमाने में नक्सल पीड़ित गंगटी के मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह दिखा। मतदान केन्द्रो पर थर्मोस्क्रिनिंग, सेनिटाइजर और ग्लब्स का इस्तेमाल हो रहा था। हालांकि, कई जगहो पर डस्टबीन नहीं रहने से लोगो को परेसानी का सामना करना पड़ा।
    गंगटी के मतदान केन्द्र पर वोट गिराने के बाद अपनी पतोहू सीमा देवी के इंतजार में खड़ी शैल देवी बताती है कि वोट गिराने के बाद लौट कर खाना बनायेंगे। वहीं, कतार में अपनी बारी की प्रतीक्षा में खड़ी लक्ष्मी देवी कहती है कि सुबह में ही खाना बना दिये थे। अब वोट गिराने के बाद सभी लोगो को खिला देंगे। बिकलांग शिवजी सहनी वोट का महत्व समझाते हुए कहतें है कि वोट देंगे, तब विकास होगा। मतदान केन्द्र पर मौजूद पूर्व नक्सल नेता सुरेश सहनी वोट गिराने के लिए काफी उत्सुक दिखे। पूछने पर कहने लगे- मतदान जरुरी है।
    गंगटी में 49, 49 ‘क’, 50 और 50‘क’ के चार मतदान केन्द्रो पर मतदाताओ की कुल संख्या- 1,551 है। पीठासीन पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह है। कमोवेश यही हाल नक्सल पीड़ित तुर्की हाई स्कूल के मतदान केन्द्र संख्या 35, 36 और 37 पर दिखा। यहां मतदाताओं की कुल संख्या- 1,650 है। पीठासीन पदाधिकारी विरेन्द्र कुमार ने बताया कि यहां महिला वोटरो में जबरदस्त उत्साह है।

    थर्मोस्क्रिनिंग

    इसी प्रकार खेमाईपट्टी का आदर्श मतदान केन्द्र हो या मानिकपुर मध्य विद्यालय का मतदान केन्द्र। वासुदेव छपरा, मीनापुर, हरका, चाकोछपरा, हथियावर, बनघारा, सिवाईपट्टी, कड़चौलिया, खरहर और मझौलिया सहित कई अन्य मतदान केन्द्रो पर मतदाताओं की लम्बी कतार, कोविड को चुनौती देकर प्रजातंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के लिए उतावली दिख रही थी। निर्वाची पदाधिकारी चंदन चौहान ने शांति पूर्वक मतदान संपन्न होने का दावा किया है।
    हल्का बल प्रयोग
    छिटफुट घटनाओं को छोर कर मीनापुर विधानसभा में मंगलवार को शांतिपूर्वक मतदान संपन्न हो गया। सुबह 7 बजे धरमपुर मतदान केन्द्र संख्या- 209 पर ईवीए में गड़बरी की शिकायत मिली। हालांकि, आधा घंटा में इसको ठीक कर लिया गया और मतदान शुरू हो गया। इसके बाद कई और जगहों सेेेे ईवीएम में गड़बड़ीी की शिकायत आई और करीब 32 ईवीएम को बदलना पड़ा। मदारीपुर कर्ण में मतदान केन्द्र संख्या- 197 और शाहपुर के मतदान केन्द्र संख्या- 207 पर दो गुटो में मामुली झड़प के बाद पुलिस हरकत में आ गई। इधर, हजरतपुर मतदान केन्द्र संख्या- 180 पर भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बन प्रयोग करना पड़ा।

  • बेटे की मौत पर ढ़ाढ़स की जगह समाजिक तिरस्कार का दंश झेल रहा है पूरा परिवार

    बेटे की मौत पर ढ़ाढ़स की जगह समाजिक तिरस्कार का दंश झेल रहा है पूरा परिवार

    • कोरोनाकाल की चौकाने वाली हकीकत

    KKN न्यूज ब्यूरो। …जवान बेटे के मौत का गम तो झेल जाते। पर, अपने ही लोगो के द्वारा तिरस्कृत होने का गम असहनीय हो रहा है। दर्द भरा ये अल्फाज है कम्यूनिस्ट नेता और पूर्व मुखिया जगदीश गुप्ता की। जगदीश गुप्ता बतातें है कि जिस समाज की सेवा करते हुए पूरा जीवन बीता। आज उसी समाज ने ठुकरा दिया। कोरोनाकाल की यह दर्दभरी हकीकत है, जो समाज को नए सिरे से परिभाषित करने लगा है। बिहार के सिवाईपट्टी थाना के एक गांव से निकल कर आई हकीकत चौकाने वाली है।
    दरअसल, जगदीश गुप्ता के जवान पुत्र की इलाज के दौरान शहर के एक निजी अस्पताल में 29 जुलाई को मौत हो गई थीं। अगले रोज 30 जुलाई को गांव में उसका रीतिरिवाज के साथ दाह संस्कार हुआ और इसमें गांव के कई लोग शामिल हुए। एक रोज बाद यानी 31 जुलाई को मृतक का रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गया। इसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। बड़ी संख्या में लोग डर गए और खुद को क्वारंटाइन करने लगे। स्वास्थ्य विभाग ने 1 अगस्त को रैपीट एंटीजन कीट की मदद से 47 लोगो की जांच की। इसमें भी एक कोरोना पॉजिटिव पाया गया। बावजूद इसके गांव में दहशत कम नहीं हुआ।
    जगदीश गुप्ता ने 6 अगस्त की देर रात फोन करके जो बताया, वह मानवीय मूल्यो पर सवाल खड़ा कर देता है। बताया कि गांव के लोगो ने उनके पूरे परिवार का बहिष्कार कर दिया है। हाट-बजार जाने पर रोक है। हॉकर ने अखबार देना बंद कर दिया। वे अपने पूरे परिवार के साथ पिछले आठ रोज से अपने ही घर में आइसोलेट हो चुकें है। कहतें हैं कि घर में जरुरी समानो की जबरदस्त किल्लत है। जिस बेटे की मौत हो गई थीं, उसका क्रियाकर्म करना भी मुश्किल हो रहा है। कोई भी मदद करने को तैयार नहीं है। प्रशासन ने मुंहफेर लिया है। पार्टी के नेताओं ने मुंहफेर लिया है और संगे-संबंधियों ने भी मुंहफेर लिया है। ऐसे में करें भी तो क्या करें…?

  • मीनापुर में कोरोना के 23 पॉजिटिव मिलते ही मचा हड़कंप

    मीनापुर में कोरोना के 23 पॉजिटिव मिलते ही मचा हड़कंप

    पॉजिटिव होने वालों में एक आठ साल का बच्चा भी

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार का ग्रामीण इलाका अब तेजी से कोरोना संक्रमण की चपेट में आने लगा है। मुजफ्फरपुर के मीनापुर में एक ही रोज में कोरोना संक्रमण के 23 मामले प्रकाश में आते ही दो जुलाई को हड़कंप मच गया। इसी के साथ यहां संक्रमित लोगो की संख्या बढ़ कर 30 हो गई है। स्वास्थ्य प्रबंधक दिलिप कुमार ने बताया कि पॉजिटिव होने वालों में एक बहुचर्चित पंचायत के 17 और दूसरे एक पंचायत के 6 लोग शामिल है। इसमें 20 पुरुष और 3 महिला है। कोविड-19 की चपेट में आने वाला एक 8 साल का बच्चा भी है। जबकि, 3 लोगो का उम्र 60 वर्ष से अधिक है।
    जानकारी के मुताबकि, इसमें से अधिकांश प्रवासी मजदूर है। किंतु, कई ऐसे भी है, जिनका कोई ट्रैवल्स हिस्ट्री नहीं है। अस्पताल के प्रभारी डॉ.राकेश कुमार ने बताया कि स्थानीय मुखिया की मदद से पॉजिटिव पाये गये लोगो को चिन्हित करके शुक्रवार की सुबह तक सभी को आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट करने का काम शुरू कर दिया गया है। स्मरण रहें कि जांच रिपोर्ट आने में पहले ही एक सप्ताह से अधिक का समय लगा चुका है। सवाल उठता है कि इस बीच इन लोगो के संपर्क में आने वालों की पहचान कब होगी?
    समाजिक कार्यकर्ता मो. सदरुल खां ने कंटेनमेंट जोन बनाने और गांव में बड़े पैमाने पर कोविड-19 की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पॉजिटिव होने वाले लोग पिछले एक सप्ताह से अपने परिवार और समाज के लोगो के संपर्क में थे। इसी के साथ गांव में होने वाले समारोह के नाम पर जुटाई जा रही भीड़ को काबू में रखने की मांग भी अब उठने लगा है। कुल मिला कर एक रोज में 23 लोगो के पॉजिटिव होने की खबर फैलते ही गांव के लोग सहम गये है।

  • सोमवार से फ़्रांस मे खत्म हो जाएगा लॉकडाउन

    सोमवार से फ़्रांस मे खत्म हो जाएगा लॉकडाउन

    फ़्रांस में आज यानि रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के चलते हुई अन्य 483 मौतों के साथ ही देश में अब तक महामारी के कारण मरने वालों का आंकड़ा 28 हजार के पार पहुंच चुका है। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, कोविड-19 संक्रमण के चलते देश में रविवार को 483 लोगों की मौत हुयी, जिसके बाद से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 28 हजार 108 हो चुकी है।

    समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने स्वास्थ्य मंत्रालय की नवीनतम रिपोर्ट के हवाले से कहा, अस्पतालों में अभी तक कुल 54 मौतें हो चुकी है, जबकि देश के मृत्यु दर का कुल एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करने वाले रिटायरमेंट होम्स में यह संख्या 429 हैं।

    अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 संक्रमण से ग्रस्त मरीजों की संख्या में कमी भी देखने को मिली है। यहां शनिवार को यह आंकड़ा 19 हजार 432 था, जबकि एक दिन बाद रविवार को यह संख्या 19 हजार 361 है। सातवें सप्ताह इसमें निरंतर गिरावट दर्ज की गई। वहीं, आईसीयू (इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती मरीजों की संख्या में भी 45 की गिरावट के साथ यह आंकड़ा 2 हजार 87 हो गया।

    फ्रांस में महामारी के प्रसार के बाद अब तक यहां कुल 14 लाख 2 हजार 411 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आए हैं, जबकि उपचार के बाद पूर्ण रूप से ठीक होने पर 61 हजार 213 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। फ्रांस में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को देखते हुये लागू किये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पस्त हुई अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने के लिए सोमवार को दो महीने बाद इसे सावधानी पूर्वक हटा रहा है।

  • कोरोना काल में बहुत कुछ अच्छा भी हुआ है

    कोरोना काल में बहुत कुछ अच्छा भी हुआ है

    यह कोरोना काल है और इसमें बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। खुली आंखों से हिमालय की पर्वत श्रृंखला दिख रही है। सात दशक पहले हमारे पूवर्ज इस तरह का नजारा रोज देखा करते थे। किंतु, हमने वातावरण को इतना दूषित कर दिया था कि दिन के उजाले में भी हम वो नहीं देख पा रहे थे, जो हमारे पूवर्ज देखा करते थे। बात यही खत्म नहीं होती है। बल्कि, आलम ये है कि आज नदियों का जल पारदर्शी होने लगा है। नदियों का मटमैला पानी, अब हरा कचनार दिख रहा है। गंगा तो हरिद्वार तक पीने लायक हो चुकी है। इसी प्रकार अंटार्कटिका से खबर आई है कि पृथ्वी के बाहरी वातावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ओजोन परत पर बना सबसे बड़ा सुराग ठीक हो गया है। यह सुराग करीब दस लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि में बना हुआ था और इससे पृथ्वी पर पल रहे जीवन को खतरा उत्पन्न होने लगा था। फिलहाल, यह बंद हो गया है। यह सभी कुछ लॉकडाउन की वजह से हुआ है। कोरोनाकाल में और क्या अच्छा हुआ है और यह हमारे भविष्य का संकेत कैसे माना जा रहा है? देखिए, इस रिपोर्ट में …

  • बिहार के कई क्वारंटाइन सेंटर की हकीकत चौकाने वाली है

    बिहार के कई क्वारंटाइन सेंटर की हकीकत चौकाने वाली है

    बिहार के मीनापुर विधानसभा क्षेत्र के राजद विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव ने क्वारंटाइन सेंटर का दौरा करके लौटने के बाद KKN लाइव पर कई खुलाशा किया है। विधायक ने कहा कि कई क्वारंटाइन सेंटर पर लोगो को भर-भर कर रखा गया है। समय पर भोजन नहीं मिलता है। भोजन का ठेका जिनको दिया है, वह लूट मचाने में लगा हुआ है। मच्छरदानी नहीं है। प्रयाप्त सैनिटाइजर और शौचालय का घोर अभाव है। नतीजा, रात के अंधेरे में अक्सर लोग क्वारंटाइन सेंटर से निकल कर अपने घर चले जाते है। इससे गांव में संक्रमण फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। विधायक ने और क्या कहा? देखिए, इस रिपोर्ट में…

  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बताई ‘सशर्त योजना’

    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बताई ‘सशर्त योजना’

    ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, कोरोना महामारी से निपटने के अगले चरण को ध्यान मे रखकर अपनी सरकार के दृष्टिकोण का खुलासा किया है।

    प्रधानमंत्री जॉनसन ने लॉकडाउन में छूट को लेकर ‘सशर्त योजना’ की बात करते हुए कहा, ‘चूंकि जनता की रक्षा करना तथा उनके जीवन को बचाना हमारी प्राथमिकता है, इसलिए हम तब तक आगे नहीं बढ़ सकते जब तक हम (महामारी के विषय में ) पांच टेस्टिंग के परिणामों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाते।’

    समाजार एजेंसी सिन्हुआ ने रविवार की शाम जॉनसन के संबोधन के हवाले से कहा कि, ‘इस हफ्ते यह संभव नहीं है कि, सीधे लॉकडाउन को समाप्त कर दिया जाए। इसके अलावा हम पहला सावधानीपूर्वक कदम उठा रहे हैं।’

    प्रधानमंत्री जॉनसन ने यह भी कहा कि, कोरोना महामारी को ध्यान मे रखते हुये, सरकार ज्वाइंट बायोसिक्योरिटी सेंटर द्वारा संचालित एक नया कोविड-19 अर्ल्ट सिस्टम भी स्थापित कर रही है।

    उन्होंने कहा, ‘अर्ल्ट लेवल हमें बताएगा कि, हमें सोशल डिस्टेंसिंग के कितने सख्त नियमों का पालन करने की आवश्यकता होगी। इसका स्तर जितना कम होगा, उतने कम उपाय को अपनाने की जरूरत होगी।’

  • WHO ने कहा, ठीक होने के बाद कोरोना का दोबारा पॉजिटिव आना, उसका रिकवरी फेज है।

    WHO ने कहा, ठीक होने के बाद कोरोना का दोबारा पॉजिटिव आना, उसका रिकवरी फेज है।

    विश्व के लगभग सभी देशों में कोरोना अपना अलग-अलग रूप दिखा रहा है। ऐसा ही एक रूप है, कोरोना मरीजों के ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित होना। चीन से लेकर भारत तक यह देखा जा रहा है, कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज दोबारा भी पॉजिटिव निकले हैं। ऐसे में लोगों को डरना है या नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्थिति स्पष्ट की है।

    डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिसर्च फाइंडिंग टीम के हवाले से कहा है, कि यह जरूरी नहीं कि, जो मरीज ठीक हो चुके हैं उनकी रिपोर्ट प्रत्येक बार निगेटिव ही आए। दरअसल, फेफड़े की मृत कोशिकाओं के कारण मरीज की रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आने की संभावना बनी रहती है। लेकिन,  इसका मतलब यह नहीं कि, मरीज री-इंफेक्टेट है। यह फेज मरीज का रिकवरी फेज होता है।

    डब्ल्यूएचओ ने कोरोना संक्रमित मरीजों को लेकर एक महत्वूपर्ण जानकारी साझा की है, जिसके अनुसार इसकी पूरी संभावना बनी रहती है, कि जो मरीज एक बार ठीक हो चुका है, उसकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आए। लेकिन, उनका कहना है कि, मरीजों का दोबारा पॉजिटिव टेस्ट आने के पीछे फेफड़ों की मरी हुई कोशिकाएं जिम्मेदार हो सकती हैं और इससे मरीजों को डरने की जरूरत नहीं है।

    शरीर वायरस की सफाई स्वयं करता है
    डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है, कि ताजा आंकड़ों और विश्लेषणों के अनुसार कहा जा सकता है, कि मरीजों की रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आना स्वभाविक है। एक बार ठीक होने के बाद मरीजों के फेफड़ों से मृत कोशिकाएं बाहर आ सकती हैं, जिसके आधार पर रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ सकती है। लेकिन, यह मरीजों का रिकवरी फेज है, जिसमें मरीजो का शरीर खुद ही उसकी सफाई करता है।

    कोरोना महामारी के दूसरे फेज की बात गलत 

    डब्ल्यूएचओ ने कहा कि, कई देशों में बड़ी संख्या में मरीजों की रिपोर्ट ठीक होने के बाद दोबारा पॉजिटिव आई है। यह खास चिंता की बात नहीं है, यह कोरोना वायरस का दूसरा फेज बिल्कुल नहीं है। अप्रैल माह में दक्षिण कोरिया ने सबसे पहले वहां के 100 मरीजों की रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया गया था कि, ठीक होने के बाद वे दोबारा पॉजिटिव निकले थे। इसके बाद बहुत से अन्य देशों में भी ऐसी बातें सामने आई। लेकिन, अब डबल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है, कि इससे ज्यादा खतरा नहीं है।

  • बिहार का  मुजफ्फरपुर भी कोरोना की चपेट में, एक साथ मिले तीन पॉजिटिव केस

    बिहार का मुजफ्फरपुर भी कोरोना की चपेट में, एक साथ मिले तीन पॉजिटिव केस

    अब तक कोरोना से बचे बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है। शनिवार को एक साथ जिले में तीन पाॅजिटिव केस मिले। तीनों मुशहरी ब्लॉक के है। इसी के साथ उत्तर बिहार के आठ जिले अब कोरोना से प्रभावित हो गए। बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 585 हो गई। इसकी पुष्टि बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने ट्विट कर के दिया ।

    संजय कुमार ने अपने ट्वीट मे लिखा :

    3rd update of the day .3 more covid-19 +ve cases in bihar taking the total to 585 the details are as follows.migrant persons from other state.we are ascertaining their further infection trail.
  • क्या मौत का संकेत पहले ही मिल जाता है?

    क्या मौत का संकेत पहले ही मिल जाता है?

    कोरोनाकाल के बाद क्या-क्या बदल जायेगा? यह तो भविष्य के गर्भ में है। किंतु, इस वक्त संचार माध्यमो पर मौत ने कब्जा कर लिया है। सुबह से शाम तक, टीवी पर मौत की खबरो का प्रसारण देख और सुन कर लोग हैरान है। आलम ये है कि मरने वालों की गिनती याद रखना भी अब मुश्किल हो गया है। कब, किसकी बारी आ जाये? किसी को नहीं पता। चीन, इटली और अमेरिका। यह तो कल की बात थीं। आज की हकीकत ये है कि मौत हमारे और आपके पड़ोस में दस्तक दे रहा है। बचपन से बताया जाता है कि मृत्यु, सबसे बड़ा सत्य है। इसके आगोश का आलिंगन हम सभी को एक न एक रोज करना ही है। इस बात से हम सभी भलीं- भांति परिचित है। फिर भी मौत से डर, स्वभाविक है। दरअसल, इसी डर को खत्म करने के लिए आज हमने मृत्यु की पड़ताल की है। देखिए, इस रिपोर्ट में…

  • IIT Delhi ने बनाया दोबारा उपयोग कर सकने वाले एंटी माइक्रोबियल मास्क

    IIT Delhi ने बनाया दोबारा उपयोग कर सकने वाले एंटी माइक्रोबियल मास्क

    पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है और कई देश इसकी वैक्सीन बनाने मे लगे है। वही IIT दिल्ली ने कोरोना वायरस के संक्रमन से लड़ने के लिए एक सस्ता और अत्यधिक कारगर मास्क बनाया है। गौर करने की बात ये है कि, इस मास्क का इस्तेमाल दोबारा भी किया जा सकता है। आपको बता दे कि, यह मास्क एक एंटी माइक्रोबियल मास्क है, जो आईआईटी टेक्सटाइल विभाग के स्टार्टअप के तहत बनाया गया है। साथ ही इस मास्क को धोकर 5 बार इस्तेमाल मे लाया जा सकता है। इस मास्क की कीमत की बात करें तो, दो मास्क की कीमत 299 रुपये रखी गई है, जबकि चार मास्क की कीमत 598 रुपये तय कि गई है।

    इस मास्क को आईआईटी की पूर्व छात्रा एवं नैनो सलूशन कम्पनी की अनुसूइया राय और आईआईटी के स्टार्टअप परियोजना की निदेशक एवं टेक्सटाइल विभाग की मंगला जोशी ने मिलकर बनाया है। आपको बता दे कि, यह एक सूती मास्क है और उनका कहना है कि, यह मास्क 99 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान कर सकता है। साथ ही उन्होने कहा कि, इस मास्क को पहनने के बाद लोगों को सांस लेने में किसी प्रकार की कठिनाई का भी सामना नहीं करना पड़ता है। डा. जोशी ने कहा कि, यह भारत का पहला सूती माइक्रोबियल मास्क है, जिसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होने कहा, इसे डिटर्जेंट से धोकर और धूप में सुखाकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उत्पादन भी शुरू हो चुका है।

  • Arogya Setu App पर उठ रहे सवाल, सरकार ने कहा निजता को कोई खतरा नहीं

    Arogya Setu App पर उठ रहे सवाल, सरकार ने कहा निजता को कोई खतरा नहीं

    पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना मोबाइल ट्रैकिंग ऐप (Arogya Setu App) को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है, कि इस ऐप से लोगों की निजता को खतरा है। हालांकि इन सभी सवालों का जवाब देते हुए सरकार ने कहा है, कि Arogya Setu App पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे किसी की भी निजता को कोई खतरा नही है।

    सरकार ने Arogya Setu App की शुरुआत कोरोना वायरस को ट्रैक करने के लिए  की है। आपको बता दे कि, इस ऐप की मदद से घर बैठे पता लगाया जा सकता है, कि कोरोना के मरीज कहां-कहां हैं और साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि, कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं। आपको बता दे कि, सवाल उठाने वाले लोगों मे कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल है, जिन्होने आरोप लगाया है, की इस ऐप के इस्तेमाल से लोगों की निजता खतरे में पड़ सकती है।

    लोगों ने उठाया ये सवाल

    लोगों ने आरोग्य सेतु ऐप पर सवाल उठाया है, कि इस ऐप से कौन, कब और  कहां जा रहा है इन सब की जानकारी हासिल की जा सकती है। हालांकि सरकार ने इस सवालों के जवाब में कहा कि, लोकेशन फीचर को काफी सुरक्षित तरीके से बनाया गया है। सरकार ने कहा की उपयोगकर्ता की लोकेशन सुरक्षित और कोड के जरिए एक सर्वर में सेव हो जाती है। साथ ही यूजर के लोकेशन का इस्तेमाल केवल तीन स्थितियों में ही होता है। पहला जब कोई यूजर इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन कर रहा हो, दूसरा जब वह ऐप में कोरोना की जानकारी भर रहा हो या फिर तब जब यूजर के जानकारी देने के बाद ऐप खुद यूजर की लोकेशन को ऑटोमेटिक ट्रैक कर रहा हो।

    इसके साथ ही कुछ लोगों ने सवाल किए थे कि यूजर के मोबाइल की होम स्क्रीन में कोविड-19 से जुड़े आंकड़े दिखाई देते हैं, जिससे खतरा बढ़ता है। इस पर जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि, ऐप में कोरोना मरीजों की जानकारी हासिल करने के लिए 500 मीटर, 1 किमी, 2 किमी, 5 किमी और 10 किमी की दूरी तय की गई है। इससे परे कोई यूजर जानकारी लेना चाहता है, तो यह उपलब्ध नहीं होती। इससे ज्यादा कोशिश करने पर HTTP हेडर उसे वापस 1 किलोमीटर पर ही ले आता है। एपीआई कॉल वेब एप्लीकेशन फायर वॉल के जरिए होती है इसीलिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

  • अमेरिकी मरीजों पर शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का पहला क्लिनिकल ट्रायल

    अमेरिकी मरीजों पर शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का पहला क्लिनिकल ट्रायल

    पूरी दुनिया कोरोना वायरस संकट से इस वक्त जूझ रही है। कई देश इसे रोकने के लिए वैक्सीन बनाने मे जुटे है, लेकिन अब तक कि‍सी तरह की वैक्सीन का पता नहीं चल पाया है। इस वायरस ने पूरे विश्व मे लगभग 35 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और लगभग ढाई लाख  से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

    अमेरिकी फार्मास्युटिकल दिग्गज फाइजर इंक ने अपने वैक्सीन का ट्रायल पहले अमेरिकी रोगियों पर किया है और साथ ही रेजेनरॉन फार्मास्यूटिकल्स ने कहा कि, अगर यह वैक्सीन काम नही करता है, तो एक अन्य एंटीबॉडी उपचार उपलब्ध हो सकता है। उनका कहना है, कि अगली दवा जून में पहली बार मनुष्यों पर अध्ययन के लिए उपलब्ध होगी। साथ ही गिलियड साइंसेज इंक, वायरस उपचार के विनिर्माण के विस्तार पर काम कर रहा है, ताकि पूरी दुनिया भर में इसका उपयोग किया जा सके। इसके साथ हैब फाइजर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अल्बर्ट बोरला ने एक बयान में कहा, “चार महीने से भी कम समय में हम प्रीक्लिनिकल स्टडीज से मानवों पर परीक्षण कर सकेंगे।”

     

  • अमेरिका का साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन ढूंढने का दावा

    अमेरिका का साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन ढूंढने का दावा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि देश साल के अंत तक कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढ लेगा। आपको बता दे की अमेरिका, कोरोना वायरस से बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

    हाल ही में कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान स्थित लैब से होने के पुख्ता सबूत के बारे मे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने दावा किया था। हालांकि पोम्पियो ने यह नहीं बताया कि, क्या चीन ने इस वायरस को जान बुझकर फैलाया है। इतना ही नही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी चीन पर कोरोना वायरस को लेकर आक्रामक रहे हैं। साथ ही वह लगातार बीजिंग को कोरोना वायरस की सूचना छुपाने का दोष देते रहे हैं। इसके साथ ही उनका कहना है, कि चीन को इस गैरजिम्मेदारी की जवाबदेही लेनी चाहिए।

    सूत्रों की माने तो, ट्रंप ने अपने जासूसों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने को कहा है। आपको बता दे की चीन ने कोरोना की उत्पत्ति स्थल वुहान के उस बाजार को बताया था, जहां चमगादड़ जैसे जानवर बेचे जाते हैं। लेकिन, अब बड़े पैमाने पर यह आशंका जताई जा रही है, कि यह वायरस चीन के लैब से ही आया है। लेकिन, पोम्पिओ ने अमेरिकी खुफिया विभाग के उस बयान पर भी सहमति जताई, जिसमें मोटे तौर पर कहा जा रहा है, कि कोविड-19 वायरस मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं है या इसे अनुवांशिक रूप से विकसित नहीं किया गया है।

     

  • CRPF के हेडक्वार्टर का एक कर्मचारी कोरोना संक्रमित, हेडक्वार्टर सील

    CRPF के हेडक्वार्टर का एक कर्मचारी कोरोना संक्रमित, हेडक्वार्टर सील

    केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के मुख्‍यालय को सील कर दिया गया है और साथ ही कहा जा रहा है कि, CRPF के एक वरिष्ठ अधिकारी के निजी कर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। उसके बाद मुख्यालय को सील करने का फैसला लिया गया है। अधिकारियों की माने तो, मुख्यालय में विशेष महानिदेशक (SDG) पद पर कार्यरत अधिकारी का निजी सचिव संक्रमित पाया गया है, इसलिए अर्द्धसैन्य बल ने इमारत को सील कर दिया है।

    उन्होंने बताया कि, जो अधिकारी इमारत में कार्यरत है, उन्हे रविवार को परिसर के भीतर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही CRPF ने सीजीओ कॉम्प्लेक्स में स्थित इमारत को चिकित्सकीय दिशा निर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से सील करने के लिए जिला निगरानी अधिकारी को सूचित भी कर दिया है। साथ ही मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यालय की इमारत में कार्यरत कर्मचारियों की पहचान भी की जा रही है, जो कोरोना पॉज़िटिव कर्मचारी की संपर्क मे आए है।

    आपको बता दें कि, शनिवार को CRPF की दिल्ली की बटालियन के 12 और जवान कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे। ये सभी जवान मयूर विहार फेज-3 में स्थित 31वीं बटालियन के सदस्य है। इसके साथ ही CRPF के जवानों के संक्रमण का आंकड़ा 120 के पार पहुंच गया है। जबकि, अभी 150 जवानों की जांच रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।

  • ये सारी छूटें मिलेंगी लॉकडाउन 3.0 में

    ये सारी छूटें मिलेंगी लॉकडाउन 3.0 में

    केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लागू लॉकडाउन को और दो हफ्तों के लिये बढ़ाने का को फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा कहा गया कि, कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न इस परिस्थिति की व्यापक समीक्षा करने के बाद यह फैसला लिया गया है। साथ ही एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, कि मंत्रालय ने 4 मई से 2 हफ्तों की अवधि के लिये लॉकडाउन बढ़ाने का आदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत जारी किया है। आपको बता दे कि लॉकडाउन का पहला चरण 25 मार्च से 14 अप्रैल तक था, जिसे बाद में बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया था, जो लॉकडाउन का दूसरा चरण था। अब इसे 2 हफ्ते और बढ़ा दिया गया है। हालांकि इस बार काफी रियायतों के साथ इसे बढ़ाया गया है।

    गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार रेड जोन में कई तरह के प्रतिबंध होंगे। रेड जोन वाले इलाकों मे साईकल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी और कैब सेवा नहीं उपलब्ध होगी, साथ ही एक जिले से दूसरे जिले के बीच बस सेवा भी बंद रहेगी। रेड जोन वाले इलाकों में सैलून और नाई की दुकाने भी नहीं खुलेंगी। पूरे देश में रेल, एयर, मेट्रो सेवा और एक राज्य से दूसरे में आवागमन बंद रहेगा साथ ही स्कूल, कॉलेज और एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी नहीं चलेंगे.

    लेकिन ग्रीन जोन में सभी बड़ी आर्थिक गतिविधियों की छूट दे दी गयी है। आदेश की मानें तो, ग्रीन जोन वाले इलाकों मे में बसे चलाई जाएंगी, लेकिन बसों की क्षमता 50% से ज्यादा नहीं होने दी जाएगी। इसका मतलब है कि, यदि किसी बस में 40 सीटें हैं, तो उसमें 20 से ज्यादा यात्री नहीं बैठेंगे। ग्रीन जोन वाले इलाकों मे नाई की दुकानें, सैलून समेत अन्य जरूरी सेवाओं और वस्तुएं मुहैया कराने वाले संस्थान भी 4 मई से खुल जाएंगे। लेकिन, सिनेमा हॉल, मॉल, जिम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स आदि बंद रखा जाएगा।

    अगर ऑरेंज जोन की बात करें, तो यहां बसों के परिचालन की छूट नहीं होगी, लेकिन कैब की अनुमति दी जाएगी। जहां कैब में ड्राइवर के साथ केवल एक यात्री ही बैठ सकेगा। इसके साथ ही ऑरेंज जोन में इंडस्ट्रियल ऐक्टिविटीज शुरू होगी और कॉम्प्लेक्स भी खोल दिये जाएंगे।

     

  • कोरोना काल के बाद क्या सच में बदल जायेगी दुनिया?

    कोरोना काल के बाद क्या सच में बदल जायेगी दुनिया?

    संक्रमण चाहे किसी भी प्रकार का क्यों न हो। इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंश सबसे पुराना और कारगर तरीका रहा है। भारत के लोग सदियों से इसका प्रयोग करके खुद को संक्रमण से बचाते रहे है। वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंश के साथ- साथ लॉकडाउन करना पड़ रहा है। लॉकडाउन इसलिए कि हम सोशल डिस्टेंश का कड़ाई से पालन कर सके। इस बीच लॉकडाउन की वजह से देश का ग्रोथरेट थम सा गया है और आने वाले दिनो में हमे वित्तिय संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एक देश है, आस्ट्रेलिया। जिसने एक नजीर पेश की है। आस्ट्रेलिया ने ऐसा क्या किया है? एक बात और क्या प्रत्येक 100 साल के बाद महामारी फैलता है? कोरोना काल के बाद दुनिया में क्या कुछ बदल जायेगा? इन तमाम सवालो का जवाब तलाशती हमारी ये रिपोर्ट…

  • बिहार के शहर से गांव तक कोरोना से लड़ने की तैयारी शुरू

    बिहार के शहर से गांव तक कोरोना से लड़ने की तैयारी शुरू

    संक्रमण फैला तो काबू करना मुश्किल

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार से निर्देश मिलते ही शहर के बंद पड़े अस्पताल और होटल की पहचान करके आइसोलेशन सेंटर बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका था। अब बिहार के गांवों में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सभी प्रखंड मुख्यालय में कम से कम 500 बेर्ड के आइसोलेशन सेंटर बनाने का आदेश दे दिया गया है। यानी सरकार को लगने लगा है कि आने वाले दिनो में कोरोना वायरस का संक्रमण बिहार के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। दिल्ली, महाराष्ट्र और एमपी के बाद बिहार बड़ा हॉटस्पॉट बन जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। यानी संक्रमण फैला तो इसको काबू कर पाना मुश्किल हो जायेगा।

    दो बड़े कारण

    बिहार में संक्रमण फैलने का दो प्रमुख कारण बताया जा रहा है। पहला तो ये कि शहर हो या गांव, लोग स्वभाविक तौर पर सोशल डिस्टेंस के महत्व को नहीं समझ रहें है और प्रत्येक गांव या हाट-बाजारो में पुलिस को तैनात करना व्यवहारिक नहीं है । ऐसे में कोरंटाइन का समाजिक तौर पर पालन करना होगा, जो नहीं हो रहा है। इस बीच प्रवासी मजदूरो के चोरी-छुपे बिहार पहुंचने का सिलसिला आज भी जारी है। यह बिहार के गांवों में संक्रमण फैलने की बड़ी वजह बन सकता है। क्योंकि, कतिपय कारणो से समाज ने यहां चुप्पी साध ली है। दूसरा बड़ा कारण ये है कि कोरोना काल के इस समाजिक समस्या को राजनीति की चासनी में डाल कर हमने खुद हालात को पेंचिदा बना दिया है। परवाह जीवन की नहीं है। परवाह, राजनीति के नफा नुकसान की है। जाहिर है ऐसे में जीवन पर मंडरा रही मौत का संकट और बढ़ेगा और हालात बेकाबू हुआ तो खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ेगा।

    कौन भुगतेगा खामियाजा

    अप्रैल के दूसरे सप्ताह में बिहार के सभी पंचायतो में कोरंटीन सेंटर बनाया गया था। कॉन्सेप्ट था कि बाहर से लौटे लोग पहले यहां 14 रोज तक रहेंगे, फिर घर जायेंगे। चूंकी यह सेंटर उनके घर के समीप ही था। लिहाजा, खाना घर से आना था और रहने व साफ-सफाई की व्यवस्था का जिम्मा पंचायत को करना था। पर, हुआं क्या? सभी प्रवासी कामगार सीधे घर चले गये। उस वक्त सभी बुद्धिजीवी चुप थे। कारण ये कि इस वर्ष के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। वोट खिसकने का डर है। इसके बाद अगले वर्ष के अप्रैल में स्थानीय निकाय का चुनाव होना है। लिहाजा, चुप रहना मुनासिब समझा गया। अब वहीं तथाकथित बुद्धिजीवी इसके लिए पुलिस, प्रशासन और सरकार को दोषी बता रहें है। कोई समझने को तैयार नहीं है कि यदि हालात बेकाबू हो गया तो खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा? दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा एक समाजिक समस्या है। इस चुनौती से निपटने के लिए मिल कर प्रयास करने की जरुरत है। महामारी के इस महाकाल मे राजनीति से इतर हट कर काम करने की जरुरत आन पड़ी है।

    राजनीति की विवशता

    प्रजातंत्र में राजनीति की विवशता देखिए। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पहले कहा गया कि जो जहां है, वहीं रहेगा। बाद में पता चला कि प्रवासियों की संख्या लाखो में है। यानी ये वो लोग है, जो राजनीति की धारा मोड़ देने की माद्दा रखते है। नतीजा, विपक्ष टूट पड़ा और सरकार पलटी मार गई। अब प्रवासियों को लाने की तैयारी हो रही है। राजनीतिक नफा नुकसान के बीच जीवन के मायने बदल गये। बुद्धिजीवियों के सवालो का अंदाज बदल गया। पर, जीवन पर मंडरा रही कोरोना वायरस का खतरा आज भी बरकरार है। बल्कि, संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा पहले से अधिक बढ़ गया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि क्षणिक राजनीतिक लाभ हेतु, पूरे बिहार को संकट में डालना कितना उचित होगा?

  • क्या है चाइनिज टेस्टिंग का मसला?

    क्या है चाइनिज टेस्टिंग का मसला?

    घटिया टेस्टिंग किट पर भारत और चीन के बीच तनाव का माहौल है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा चीन से आई रैपिड किट इस्तेमाल न करने और इसे वापस करने की सलाह के बाद चीन ने चिंता जाहिर की है। हालांकि चीनी कंपनियां ये मानने को तैयार नहीं हैं, कि उनकी किट की गुणवत्ता मे गड़बड़ी है। साथ ही चीन ने भारत को नसीहत देते हुए कहा है, कि किट के स्टोरेज, इस्तेमाल और ट्रांसपोर्टेशन सही तरीके से प्रोफेशनल लोगों द्वारा न किया जाए तो नतीजों में गड़बड़ी हो सकती है।

    लेकिन भारत ने चीन को ये संदेश दिया है की गुणवत्ता के तौर पर कोई सम्झौता नही किया जाएगा। वहीं, सूत्रों की माने तो घटिया गुणवत्ता वाली किट लौटाई जा सकती हैं और साथ ही इनका भुगतान भी रोका जा सकता है। जहां गुणवत्ता मानकों का कड़ाई से पालन पर भारत जोर दे रहा है, वही चीनी कंपनियां इस बात का दावा कर रही हैं कि उनके उत्पाद का सही तरीके से सर्टिफिकेशन हुआ है। साथ ही चीनी कंपनियों की ओर से अन्य देशों में भेजी गई किट का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने इसकी गुणवत्ता को स्वीकार किया है। चीन की ओर से सफाई में कहा गया कि चीन में जो मेडिकल सामान बन रहा है, उसमें गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है, इनको आईसीएमआर द्वारा अनुमति प्राप्त पुणे की लैब ने भी जांचा था और सही ठहराया था।

    इतना ही नही चीन ने भारत में किट के स्टोरेज के तरीकों और उसके प्रोफेशनल तरीके से इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया है। लेकिन चीन ने ये भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में चीन भारत के साथ खड़ा है। वह हर तरह की मेडिकल सहायता करने को भी तैयार है।

    आपको बता दे की भारत ने करीब पांच लाख रैपिड टेस्टिंग किट चीन से मंगवाई थी। उसके बाद इन कीटो को अलग-अलग राज्यों को सौंपा गया था, लेकिन राज्यों ने इनके नतीजों पर सवाल खड़े किए। आपको जानकार हैरानी होगी की राजस्थान में ये टेस्टिंग किट मात्र 5 प्रतिशत ही सफल रही। फिर जांच के बाद आईसीएमआर ने इनके उपयोग पर रोक लगाने का फैसला लिया।