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  • क्या होगा लॉकडाउन का 3 मई के बाद?

    क्या होगा लॉकडाउन का 3 मई के बाद?

    सोमवार को देश के सभी राज्यों के मु्ख्यमंत्रियों से बातचीत के बाद अब केंद्र सरकार लॉकडाउन की अगली कार्ययोजना पर काम शुरू कर चुकी है। मुख्यमंत्रियों से मिले फीडबैक के आधार पर प्लान बनाने का काम शुरू हो गया है। इसके अलावा सभी राज्य सरकारें भी लॉकडाउन पर पूरा ऐक्शन प्लान बनाने में जुटी हुई हैं।

    तत्कालिक परिस्थिति को देखते हुये, केंद्र सरकार 3 मई के बाद भी लॉकडाउन की कई पाबंदियों को बरकरार रख सकती है। हालांकि लॉकडाउन का स्वरूप कंप्लीट लॉकडाउन से अलग हो सकता है और सरकार वैसे इलाकों को थोड़ी छू़ट दे सकती है, जो इलाके कोरोना से मुक्त होकर ग्रीन जोन बन चुके हैं। वही दूसरी ओर कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों मे पाबंदियों को बरकरार रखा जा सकता हैं।

    सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी से बातचीत के दौरान कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पीएम से लॉकडाउन बढ़ाने की मांग की है। हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जिन्होंने पूर्ण लॉकडाउन के बजाय कुछ रियायतों के साथ लॉकडाउन लागू करने पर जोर दिया है।

  • डब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

    डब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

    अन्तर्राष्ट्रीय एजेंडा को समझना जरुरी है

    KKN न्यूज ब्यूरो। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ की विश्वसनियता इस वक्त सवालो के घेरे में है। लोग अब समझने के लिए तैयार हो रहें है कि कई अन्तराष्ट्रीय एजेंसिया, एक सुनियोजित एजेंडा के तहत काम करती है और भारत जैसे देशो को कमजोर करने की साजिश भी करती है। फिलहाल, कोरोना वायरस को लेकर डब्लूएचओ की भूमिका पर उठने शुरू हो गयें है। कोरोनाकाल की इस महामारी में डब्लूएचओ की समीक्षा करें, इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान पर गौर कर लेना यहां जरूरी हो गया है।

    क्या कहा ट्रंप ने

    पिछले दिनो अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप इस संगठन की लापरवाही के कारण इतना फैली है। अब आस्ट्रेलिया, जर्मनी और ब्रिटेन भी कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार बताने लगा है। अनुमान है कि कोरोना का संकट कम होते ही दुनिया के कई बड़े राष्ट्र चीन के खिलाफ एकजुट हो जाये। मुआवजा की मांग अभी से उठने शुरू हो गये है। जाहिर है चीन का साथ देने की वजह से इस पूरे संकट के लिए डब्लूएचओ भी निशाने पर आ गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि चीन की साख को बचाने के चक्कर में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को इस महामारी की आग में झोंक दिया। बहरहाल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से मिलने वाले फंड पर रोक लगा दिया है।

    डब्लूएचओ में फंड का फंडा

    अमेरिका हर साल डब्लूएचओ को करीब 500 मिलियन डॉलर यानी करीब 3 हजार करोड़ रुपए का फंड देता है। जबकि, चीन का योगदान 40 मिलियन डॉलर यानी करीब 300 करोड़ रुपए का है। यहां आपको एक बात और बतातें चलें कि अमरीका और चीन दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी सदस्य हैं। किंतु, महाशक्ति बनने की चाहत में चीन ने वर्ष 2014 से विश्व स्वास्थ्य संगठन को देने वाले फंड में इजाफा किया है। दरअसल, वर्ष 2014 से लेकर 2018 तक के आंकड़ो पर गौर करें तो चीन के फंड में करीब 52 फ़ीसदी की उछाल आई है। इसका असर अब दिखने भी लगा है।

    चीन की अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका

    बात सिर्फ डब्लूएचओ की नहीं है। बल्कि, इस दशक के आरंभ से ही संयुक्त राष्ट्र के कई संस्थानों में चीन के लोगों का प्रभाव बढ़ा है। इनमें से कई संस्थाओं के हेड चीन के हैं या फिर चीन के समर्थन से है। हालिया वर्षो में संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में चीन की हिस्सेदारी बढ़ कर 12 प्रतिशत की हो चुकी है और चीन इसको निरंतर बढ़ा कर अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में खुद को स्थापित करने की निरंतर कोशिशो में जुटा हुआ है। निश्चित तौर पर चीन का दखल संयुक्त राष्ट्र में बढ़ा है और जैसे-जैसे चीन की आर्थिक हिस्सेदारी इन अंतराराष्ट्रीय संस्थानों में बढ़ेगी, वैसे-वैसे उसका दख़ल बढ़ना भी स्वाभाविक है। फिलहाल, यह एक अलग मुद्दा है और इस पर दूसरे लेख में चर्चा करेंगे।

    डब्लूएचओ पर आरोप

    डाब्लूएचओ पर आरोप ये है कि चीन के वुहान में जब कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे थे, उस वक्त डब्लूएचओ ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। जबकि, डब्लूएचओ के एक्सपर्ट टीम ने वुहान का दौरा किया था। कहतें है कि यदि ठीक समय पर इसका आकलन हो गया होता तो कोरोना वायरस यानी कोविड-19 को वुहान में ही रोक दिया जाता। इससे लाखो लोगो की जिन्दगी बच सकती थीं और विश्व की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान नहीं होता। यह सच है कि शुरूआती दिनो में डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को गंभीरता से नहीं लिया और कोरोना को महामारी घोषित करने में डब्लूएचओ को 72 दिन का समय लग गया। डब्लूएचओ ने कोविड-19 को जब महामारी के रूप में पहचान की, जबतक बहुत देर हो चुका था और इस बीच कोविड-19 वायरस, चीन के वुहान से निकल कर 114 देशों में संक्रमण फैला चुका था। यही वह सबसे बड़ी वजह है, जो डब्लूएचओ की भूमिका पर सवालिया निशान खड़ा कर देता है। हालांकि इससे पहले वर्ष 2013 में जब कांगो में इबोला का प्रकोप बढ़ा और वह महामारी का रूप लेने लगा थ, उस वक्त भी डब्ल्यूएचओ ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में देर कर थीं। किंतु, कोरोना की कहर इबोला से बिल्कुल ही अलग है। कोरोना काल के इस महा भयानक विनाश के बीच अब लोग कहने लगे है कि डब्लूएचओ ने चीन की मदद करने के चक्कर में दुनिया को मौत के आगोश में झोंक दिया।

    डब्लूएचओ के महानिदेशक कटघरे में

    डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियस है और वे इथोपिया के नागरिक हैं। उन्हें चीन के प्रयासों से ही जुलाई 2017 में डब्लूएचओ के महानिदेशक का पद मिला हैं। डब्लूएचओ में अफ्रीकी मूल के वे पहले डायरेक्टर जनरल हैं। नतीजा, शुरू के दिनो से ही उनका झुकाव चीन की ओर रहा है और यह स्वाभाविक भी है। अब यही बात सुपर पावर अमेरिका को चूभने लगा है। किंतु, गौर से देखे तो डब्लूएचओ चीन के प्रभाव में आ गया है, ऐसी बात नहीं है। बल्कि, चीन ने धीरे-धीरे राष्ट्र संघ में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। क्योंकि, चीन के सियासदान 2049 तक खुद को सुपर पावर बनाने की रणनीति पर काम कर रहें है।

    विवाद की असली वजह

    दरअसल, चीन ने सर्व प्रथम 31 दिसंबर 2019 को कोरोना वायरस की सार्वजनिक घोषणा की थीं। जबकि, चीन में कोरोना का पहला केश 1 दिसम्बर को ही सामने आ चुका था। खैर, सार्वजनिक घोषणा के एक महीने बाद यानी 30 जनवरी 2020 को चीन में जन स्वास्थ्य आपातकाल लागू कर दिया गया। इस बीच 14 जनवरी को डब्ल्यूएचओ का एक ट्वीट आया। इस ट्वीट में डब्लूएचओ ने दावा किया कि चीन में मौजूद कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसानों में नहीं फैलता है। यही से डब्लूएचओ की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। क्योंकि, इससे पहले चीन की सरकार भी दावा कर चुकीं थीं कि कोरोना एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता है। यानी डब्लूएचओ वहीं कहा रहा था, जो चीन उसको बता रहा था। जबकि, चीन को अच्छी तरीके से पता था कि कोरोना वायरस इंसान से इंसान में तेजी से फैल रहा है। हालांकि, 22 जनवरी को डब्लूएचओ ने पलटी मारते हुए अपना बयान बदल दिया और कोरोना वायरस के इंसान से इंसान में फैलने के पुष्टि कर दी। कहा जाता है कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को जब तक वैश्विक महामारी घोषित किया। तब तक यह वायरस 114 देशों के 1 लाख 18 हजार लोगो को संक्रमित कर चुका था। दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस की चपेट में है। मौत का आंकड़ा खतरनाक स्तर को पार करने लगा है और यह रोज बढ़ रहा है। दुनिया के अधिकांश हिस्सो में लॉकडाउन है और दुनिया की करीब तीन चौथाई आवादी घरो में कैद है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

    विश्व स्वास्थ्य संगठन है क्या

    विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनीवा में है। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्ल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है और दुनियाभर में इसके 150 से अधिक ऑफिस हैं। इसका मुख्य काम दुनियाभर में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना है और उन्हें सुलझाने में मदद करना है। दरअसल, डब्लूएचओ ने अपनी स्थापना के आरंभिक कई दशको तक निष्पक्ष रहते हुए बहुत अच्छे काम किये है। जिसकी चर्चा करना करना यहां जरुरी है। दरअसल, अपनी स्थापना के बाद, डब्ल्यूएचओ ने सर्व प्रथम स्मॉल पॉक्स बिमारी को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई। फिलहाल डब्ल्यूएचओ एड्स, इबोला और टीबी जैसी खतरनाक बिमारियों की रोकथाम पर काम कर रहा है। डब्ल्यूएचओ वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें पूरी दुनिया से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का एक सर्वे होता है।

    डब्लूएचओ के महत्वपूर्ण उपलब्धियां

    वर्ष 1958 में सोवियत संघ ने डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन में चेचक उन्मूलन कार्यक्रम का एक प्रस्ताव रखा था और इस दिशा में काम शुरू भी हुआ। वर्ष 1977 तक इसमें बड़ी सफलता हासिल हुई और लगभग पूरी दुनिया से चेचक को खत्म कर दिया गया। हालांकि, इसके बाद सोमालिया में चेचक के कुछ मामले सामने आये थे, जिसे बाद के वर्षो में दूर कर लिया गया। वर्ष 1980 आते आते दुनिया से करीब-करीब चेचक का सफाया हो चुका था और यह डब्लूएचओ के प्रयास से ही संम्भव हो सका।
    इस बीच डब्लूएचओ ने अफ्रिका के नीग्रो जनजाति में होने वाले सिफलिस जैसे महामारी की रोकथाम के लिए वर्ष 1960 में एक अभियान की शुरूआत की। यह वह वक्त था, जब कुष्ठ और आंख से संबंधित रोग यानी ट्रेकोमा को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा था। इधर, एशिया के देशो में कॉलरा जैसी महामारी फैली हुई थीं और अफ्रीका में फ्लू ने महामारी का रूप धारण कर लिया था। डब्लूएचओ ने एक साथ इन तमाम बिमारियों के खिलाफ अभियान की शुरूआत कर दी और उसे बहुत हद तक सफलता भी मिली। यानी डब्लूएचओ की अहम भूमिका से किसी को इनकार नहीं है।
    इस प्रकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1970 में परिवार नियोजन अभियान की शुरूआत की। बहुत हद तक यह अभियान सफल भी रहा। किंतु, धार्मिक आधार पर कई देशो में इसका विरोध भी हुआ। इसी प्रकार बच्चों में रोगरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए 1974 में टीकाकरण कार्यक्रम और वर्ष 1987 में प्रसूता मृत्यु दर को कम करने के लिए डब्लूएचओ के कार्यक्रम को भूल पाना आसान नहीं होगा। वर्ष 1988 में पोलिया उन्मूलन और 1990 में जीवनशैली से होने वाली बीमारी को रोकने के लिए भी डब्लूएचओ ने दुनिया में बड़ा अभियान चलाया। वर्ष 1992 में डब्ल्यूएचओ ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पहल की। वर्ष 1993 में एचआईवी/एड्स को लेकर संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर कार्यक्रम शुरू किया। डब्लूएचओ के ऐसे और भी कई विश्व व्यापी अभियान है, जिसके सुखद परिणाम से किसी को इनकार नहीं है।

  • पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से सावधानी हटी तो खतरा बड़ी हो जायेगी

    पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से सावधानी हटी तो खतरा बड़ी हो जायेगी

    मन की बात में मोदी ने कहा

    KKN न्यूज ब्यूरो। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई देश की जनता लड़ रही है। उन्होंने कहा कि भले ही कारोबार हो, कार्यालय की संस्कृति हो, शिक्षा हो या चिकित्सा क्षेत्र हो, हर कोई कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया में बदलावों के अनुरूप ढल रहा है। कोरोना काल के बीच रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना लॉकडाउन के ऊपर चर्चा कर रहे हैं।

    दुनिया ने की भारत को सलाम

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के पहले चरण के लॉकडाउन का ऐलान किया था जो 14 अप्रैल को खत्म हो गया। उसके बाद फिर पीएम मोदी ने 14 मार्च को लॉकडाउन के दूसरे चरण की घोषणा की, जिसकी मियाद 3 मई को खत्म होगी। पीएम मोदी ने कहा कि हमने विश्वल के हर जरूरतमंद देशों तक दवाइयों को पहुंचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया। आज जब मेरी अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों से फोन पर बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरूर व्यक्त करते हैं। जब वे लोग कहते हैं- थैंक यू इंडिया, थैंक यू पीपल ऑफ इंडिया तो देश के लिए गर्व और बढ़ जाता है।

    पीएम मोदी ने बताया अध्यादेश की जरुरत

    पीएम मोदी ने कहा कि देशभर से स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के लिए अभी हाल ही में जो अध्यादेश लाया गया है। इस अध्यादेश में कोरोना योद्धाओं के साथ हिंसा, उत्पीड़न और उन्हें किसी रूप में चोट पहुंचाने वालों के खिलाफ बेहद सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। हमारे डॉक्टर, नर्स, पारा मेडिकल स्टाफ, सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मी और ऐसे सभी लोग जो देश को कोरोना मुक्त बनाने में दिन रात जुटे हुए हैं, उनकी रक्षा के लिए यह कदम जरूरी था।

    कोरोना में सरकार सभी के साथ

    पीएम मोदी ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ के तहत गरीबों के अकाउंट में पैसे सीधे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। वृद्धावस्था पेंशन जारी की गई हैं। गरीबों को तीन महीने के मुफ्त गैस सिलेंडर, राशन जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इन सब कामों में सरकार के अलग-अलग विभागों के लोग, बैंकिंग सेक्टर के लोग एक टीम की तरह दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करूंगा कि वो इस महामारी से निपटने में बहुत सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारें जो जिम्मेदारी निभा रही हैं, उसकी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत बड़ी भूमिका है। उनका ये परिश्रम प्रशंसनीय है।

    देश की सभी सरकारे बनी एक टीम

    पीएम मोदी ने कहा कि देश जब एक टीम बनकर काम करता है। आज के्ंद्र सरकार हो, राज्य सरकार हो, इनका हर एक विभाग और संस्थान राहत लिए मिलजुल कर पूरी स्पीड से काम कर रहे हैं। हमारे एवियेशन सेक्टर में काम कर रहे लोग हों, रेलवे कर्मचारी हों, ये दिन रात मेहनत कर रहे हैं ताकि देशवासियों को कम से कम समस्या हो। देश के हर हिस्से में दवाइयों को पहुंचाने के लिए लाइफ-लाइन उड़ान नाम से एक विशेष अभियान चल रहा है। हमारे इन साथियों ने, इतने कम समय में देश के भीतर ही तीन लाख किलोमीटर की हवाई उड़ान भरी है और 500 टन से अधिक मेडिकल सामग्री , देश के कोने-कोने में आप तक पहुंचाया है। इसी तरह रेलवे के साथ लॉकडाउन में भी लगातार मेहनत कर रहे हैं ताकि देश आम लोगों को जरूरी वस्तुओं में कमी न हो।

    आवाम इस लड़ाई को लड़ रहा

    पीएम मोदी ने कहा कि हमारे किसान भाई-बहनों को देखिए, एक तरफ वो इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि इस देश में कोई भूखा न सोए। हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से इस लड़ाई को लड़ रहा है। कोई किराया माफ कर रहा है तो कोई अपनी पूरी पेंशन या पुरस्कार में मिली राशि को पीएम केयर्स में जमा करा रहा है। कोई खेत की सारी सब्जियां दान दे रहा है तो कोई हर रोज सैकड़ों गरीबों को मुफ्त में भोजन करा रहा है। कोई मास्क बना रहा है, कहीं हमारे मजदूरो भाई बहन क्वारंटाइन में रहते हुए जिस स्कूल में रह रहे हैं, उसकी रंगाई-पुताई कर रहे हैं। दूसरों की मदद के लिए आपके भीतर हृदय के किसी कोने में जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना। वही कोरोना के खिलाफ भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है।

    देश में चल रहा है बड़ा महायज्ञ

    पीएम मोदी ने कहा कि पूरे देश में, गली- मोहल्ले में, जगह-जगह पर आज लोग एक-दूसरे की सहायता के लिए आगे आए हैं। गरीबों के लिए खाने से लेकर राशन की व्यवस्ता हो या लॉकडाउन का पालन हो, अस्पतालों की व्यवस्था हो, मेडिकल उपकरण का देश में ही निर्माण हो, आज पूरा देश एक लक्ष्य-एक दिशा साथ-साथ चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीजों ने जो भावनाओं को जन्म दिया। जिस जज्बे से देशवासियों ने कुछ न कुछ करने की ठान ली, हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है। शहर हो या गांव, ऐसा लग रहा है, जैसे देश में एक बहुत बड़ा महायज्ञ चल रहा है, जिसमें हर कोई अपना योगदान देने को आतुर है।

  • डब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

    डब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

    भारत के लोग अन्तराष्ट्रीय संगठन, एजेंसी या अन्तराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट पर आंख मूंद कर भरोसा करते है। बचपन से हमे यहीं बताया जाता है कि अन्तराष्ट्रीय एजेंसिया कभी गलत हो ही नही सकती। नतीजा, इनके हवाले को कोड करना, आज एक फैशन के जैसा हो गया। हममें से बहुत कम लोग है, जो जानते है कि अधिकतर अन्तराष्ट्रीय एजेंसिया, एक सुनियोजित एजेंडा के तहत काम करती है और एशिया में अपनी दबदबा बढ़ा रहे भारत को न सिर्फ नजरअंदाज करती है। बल्कि, इसको कमजोर करने की अनेक- अनेक साजिश भी रचती रहती है। खैर, इस पर हम दूसरे एपीसोड में विस्तार से बात करेंगे। फिलहाल, कोरोना वायरस को लेकर डब्लूएचओ की भूमिका पर उठ रहे सवालो की पड़ताल करना यहा जरुरी हो गया। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप इस संगठन की लापरवाही के कारण इतना फैल गई। ट्रंप ने संगठन पर चीन के साथ सांठगांठ का भी आरोप लगाया था। बतादें कि इस महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की भूमिका संदेह के दायरे में है। कहा तो यह भी जा रहा है कि चीन की साख को बचाने के चक्कर में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को इस महामारी की आग में झोंक दिया। देखिए, इस रिपोर्ट में…

  • स्वस्थ्यकर्मियों पर हमला करनेवालों के खिलाफ सरकार ने बनाए सख्त नियम

    स्वस्थ्यकर्मियों पर हमला करनेवालों के खिलाफ सरकार ने बनाए सख्त नियम

    एक तरफ भारत कोरोना के संक्रामण को रोकने का यथासंभाव प्रयास कर रहा है। वही दूसरी तरफ कोरोना वायरस के इस संकट के बीच स्वास्थ्यकर्मियों पर लगातार हमले हो रहे है। इन्ही हमलो को ध्यान मे रखते हुए मोदी सरकार ने इसके विरुद्ध कड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एक अध्यादेश पास किया गया, जिसके बाद अब स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा। इसमें 3 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।

    सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन मे कैबिनेट बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुये कहा कि, देश में कोरोना महामारी से लड़ रहे डॉक्टरों और आरोग्य कर्मचारियों पर हमले को किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि, स्वाथ्यकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज मंत्रीमंडल की बैठक हुई, जिसमें देश में महामारी बीमारी कानून में बदलाव कर देश में नया अध्यादेश लागू करने का सरकार ने फ़ैसला किया है। साथ ही उन्होने कहा कि, मेडिकलकर्मियों पर हमला करने वालों को जमानत नहीं मिलेगी, इस तरह के मामलों की जांच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से स्तर पर होगी और जांच 30 दिनों में पूरी करनी होगी। इसका फ़ैसला एक साल के अंदर में आएगा, जिसमे 3 महीने से लेकर 5 साल तक की सजा हो सकती है।

    इसके अलावा उन्होने कहा की मामला यदि गंभीर हो, तो 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है और उसके साथ ही गंभीर मामलों में 50 हजार से 2 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा। अध्यादेश के अनुसार, अगर स्वाथ्यकर्मियों की गाड़ियों, क्लिनीक और सामान की तोड़फोड़ हुई तो सामान की असल कीमत का दोगुना हमलावर से वसूल किया जाएगा।

  • वुहान लैब की इंटर्न थी पहली कोरोना मरीज़

    वुहान लैब की इंटर्न थी पहली कोरोना मरीज़

    कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है और विश्व चीन को संदेह भरी नजरों से देख रहा है। इस बीच एक रिपोर्ट से पूरी दुनिया में यह चर्चा तेज हो गई है, कि क्या सच में चीन के वुहान में लैब से कोरोना वायरस फैला है?

    दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को फॉक्स न्यूज की उस रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसमें यह दावा किया जा रहा है, कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में काम कर रही एक इंटर्न द्वारा गलती से लीक हो गया होगा। फॉक्स न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि वायरस का सबसे पहला ट्रांसमिशन चमगादड़ से मानव में हुआ और पहली संक्रमित रोगी इसी लैब में काम करती थी। वुहान शहर के आम लोगों में यह वायरस फैलने से पहले लैब की एक इंटर्न महिला कर्मचारी गलती से संक्रमित हो गई। शुरुआत में इस वायरस के उत्पत्ति स्थल वुहान वेट बाजार को माना गया,  लेकिन वहां चमगादड़ कभी नहीं बेचे गए।

    व्हाइट हाउस के डेली ब्रीफिंग के दौरान बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप से प्रश्न पूछते समय फॉक्स न्यूज के रिपोर्टर जॉन रॉबर्ट्स ने दावा किया, ‘कई सूत्र हमें बता रहे हैं कि अमेरिका यह बात मानने को तैयार है कि भले ही कोरोना वायरस प्राकृतिक है, मगर यह वुहान का वायरोलॉजी लैब से निकला है। वहां सुरक्षा नियमों का पालन न करने के कारण एक इंटर्न संक्रमित हो गई थी और बाद में यह वायरस वुहान के वेट मार्केट पहुंचा।’ आपको बता दें कि कोरोना का केंद्र चीन का वुहान शहर ही है।

    इसके बाद डोनाल्ड ट्रंप ने न तो इस रिपोर्ट के दावों की पुष्टि की और न ही उसका खंडन किया। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी कई कहानियां सुन रहे हैं। लेकिन, यह जो खतरनाक घटना हुई है हम उसकी विस्तृत जांच कर रहे हैं।

  • कोरोना से ठीक हो रहे लोगों की रफ्तार मे आयी तेजी

    कोरोना से ठीक हो रहे लोगों की रफ्तार मे आयी तेजी

    भारत में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हर रोज नए मामले सामने आ रहे हैं, जो सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं। लेकिन, बढ़ते हुए आंकड़ों के बीच एक राहत की बात ये है, की देश में इस समय कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की रफ्तार बढ़ी है और  साथ ही इस महामारी से मरने वालों की रफ्तार में कमी आयी है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे में देश में ढाई सौ से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से ठीक हो गए हैं और उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है। ये अबतक का सबसे अधिक आंकड़ा है, इससे पहले एक दिन में सबसे अधिक मरीजों के ठीक होने की संख्या 180 के आस-पास थी।

    ठीक होने वाले लोगो की रफ्तार प्रतिशत मे

    बुधवार- 11.41%

    गुरुवार- 12.02%

    शुक्रवार- 13.06%

    इनके साथ ही देश में अब कोरोना वायरस के मामले सामने आने की रफ्तार भी कम हो गयी है। पहले देश में कोरोना वायरस के आंकड़े हर तीन दिन में दोगुने हो रहे थे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ये रफ्तार कम हुई है। अब 5 से 6 दिन में कोरोना वायरस के मामले दोगुने हो रहे हैं।

    भारत में कोरोना वायरस के कारण 400 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन, पिछले दिनों में देश में हो रही मौतों की रफ्तार धीमी पड़ी है। देश में सामने आ रहे कोरोना वायरस के कुल मामलों में से मौत का आंकड़ा 3.3% है।

    पिछले हफ्ते तक स्पेन में ये रफ्तार 9.73 फीसदी, इटली में 12.72 फीसदी और यूके में 12 फीसदी थी। पूरी दुनिया में कोरोना के कारण मौत की रफ्तार सबसे साउथ कोरिया में है।

  • जैविक आविष्कार, मानव के अस्तित्व के लिए कितना बड़ा खतरा

    जैविक आविष्कार, मानव के अस्तित्व के लिए कितना बड़ा खतरा

    कोरोना वायरस से दुनिया में मची तबाही के बीच जैविक हथियार से होने वाली दर्दनाक मौत की कल्पना मात्र से सिहरन होने लगता है। ऐसे में आपको यह जान कर बेहद हैरानी होगी कि विज्ञान ने ऐसे कई खतरनाक वायरस को लैब में विकसित किया हुआ है। ताकि, युद्ध की अवस्था में शत्रु देश को तबाह किया जा सके। हालांकि, मानवता को नष्ट करने वाली जैविक हथियार के खतरो का अंदाजा होते ही दुनिया सतर्क हो गई और जैविक हथियार के निर्माण को प्रतिबंधित कर दिया गया। बावजूद इसके कई देश चोरी छिपे जैविक हथियार का जखिरा जमा करने में आज भी लगा हुआ है और यह मौजूदा दौर में मानव के लिए कितना बड़ा खतरा है? वह कौन देश है, जिसके पास आज भी मौजूद हो सकता है जैविक हथियार। आज के इस रिपोर्ट में हम विज्ञान के इसी रूप से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे…

  • कोरोना की जंग में भारत ने लिया एक वैक्सीन का सहारा

    कोरोना की जंग में भारत ने लिया एक वैक्सीन का सहारा

    बीसीजी वैक्सिन पर क्लिनिकल रिसर्च की तैयारी

    KKN न्यूज ब्यूरो। दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस वायरस से कराह रही है। वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है। इस बीच भारत के मुंबई से एक अच्छी खबर आई है। यहां 90 साल पुरानी एक दवा पर की गई रिसर्च के दौरान कोरोना से फाइट में इसके आरंभिक नतीजे पॉजिटिव बताये जा रहे हैं।

    रिसर्च जारी है

    मुंबई के हाफकिन इंस्टीट्यूट में रिसर्च की जा रही है। दरअसल, यह एक वैक्सीन है और इसका नाम बीसीजी है। इस वैक्सीन को बनाने में 1908 से 1921 के बीच 13 साल का वक्त लगा था। फ्रैंच बैक्टीरियालॉजिस्ट अल्बर्ट काल्मेट और कैमिल गुरीन ने मिलकर इसे बनाया था। अब तक बीसीजी का इस्तेमाल टीबी के मरीजों के लिये किया जाता है। लेकिन नतीजे बेहतर रहे तो कोविड 19 के खिलाफ भी ये वैक्सीन बड़ा हथियार बन सकता है।

    उम्मीद की किरण

    मुबंई के हाफकिन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता लगातार इस पर काम कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अब तक की रिसर्च में जो टेस्ट किये गये हैं, उसका परिणाम बहुत ही सकारात्मक मिला हैं। शुरुआती रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल जो लोग करते आये हैं, कोरोना से लड़ने में उनके शरीर की इम्यूनिटी ज्यादा बेहतर साबित हो रही है। इस आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि बीमारी के चलते ही जिन लोगों ने भी इस वैक्सीन का सेवन किया है, वह कोरोना को हराने में ज्यादा मजबूत साबित हुए हैं। इसलिये शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर ये वैक्सीन लोगों की दी जाये तो न सिर्फ कोरोना के लक्षण घटने की उम्मीद है बल्कि उसका असर भी कम हो सकता है।

    क्लिनिकल टेस्ट की तैयारी

    वैक्सीन पर आगे की रिसर्च तेज करने की तैयारी शुरू हो गई है। वहीं, हाफकिन इंस्टीट्यूट अब बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल उन लोगों पर भी करने की योजना बना रहा है जो कोरोना संक्रमित हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए आईसीएमआर और ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया को पत्र लिख कर बीसीजी वैक्सीन पर आगे बढ़ने के लिये परमिशन मांगी है। ताकि, इसका क्लिनिकल टेस्ट किया जा सके।

  • चमगादड़ में ऐसा क्या है, वह खुद क्यों नहीं मरता है कोरोना से

    चमगादड़ में ऐसा क्या है, वह खुद क्यों नहीं मरता है कोरोना से

    चमगादड़ से कोरोना वायरस का क्या है संबंध

    KKN न्यूज ब्यूरो। कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस का संग्रमण चमगाड़ से इंसान तक पहुंचा है और इस वायरस की चपेट में आने से बड़ी संख्या में इंसानो की मौत भी हो रही है। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि इस वायरस से अभी तक किसी भी चमगादड़ की मौत क्यों नहीं हुई? क्या चमगादड़ के शरीर में मौजूद है कोरोना का एंटीबॉडी? क्या विज्ञान को चमगादड़ से ही मिलेगा कोरोना के इलाज का फंडा? आज यह सवाल मौजू बन चुका है और विज्ञान भी इस गुथ्थी को सुलझाने में लगा है।

    क्यों चमगादड़ में ही पनपते हैं वायरस

    चमगादड़ में कुछ ऐसी खासियतें होती हैं, जो उसे वायरस का एक इंटरमीडिएट होस्ट बना देता है। चमगादड़ में कोरोना वायरस रहते हुए लगातार अपने आपमें बदलाव करते हुए खुद को अधिक से अधिक घातक बना सकता है। वायरस किसी जीव में जो खूबियां ढूंढ़ता है, उनमें सबसे पहले तो उस जीव की आयु लंबी होनी चाहिए। इस हिसाब से चमगादड़ अधिक से अधिक वायरसों के लिए एक अच्छा होस्ट बनता है। क्योंकि, एक चमगादड़ की सामान्य उम्र 16 से 40 साल के बीच होती है। चमगादड़ के झुंड में रहने और हवा में उड़ने की प्रवृति भी वायरस के लिए अनुकूल होता है। कोविड-19 के मामले में अब तक हुईं अलग-अलग रिसर्च के आधार पर यह सामने आ रहा है कि नॉर्मल कोरोना वायरस की तुलना में सार्स कोरोना-2 में म्यूटेशन कम पाया गया है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह वायरस इंसानों में अडप्ट हो चुका है। यानी यह इंसान को अपने होस्ट के रूप में अपना चुका है। अगर ये रिसर्च सही साबित होती हैं तो यह हमारे वैज्ञानिकों के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है। क्योंकि हमारे वैज्ञानिक इस वायरस के इलाज के लिए जो वैक्सीन और ऐंटिवायरल ड्रग डिवेलप कर रहे हैं, वे इस पर लंबे समय तक प्रभावी रहेगी।

    वायरस का जिनोम

    जिस वायरस का जिनोम बड़ा होता है, उसमें किसी दूसरे वायरस के साथ रीकॉम्बिनेशन बनाने और म्यूटेशन के बाद नया वायरस बनने की संभावना अधिक होती है। सार्स कोरोना वायरस-2 को उसका बड़ा जिनोम उसमें यह खूबी देता है। जब एक नया होस्ट तलाशने के लिए वायरस किसी व्यक्ति या जीव में जंप करता है तो यह बात विशेष महत्व रखती है कि उस होस्ट के बॉडी सेल के ऊपर बने रिसेप्टर्स के साथ इस वायरस की सतह पर लगे प्रोटीन कितनी अच्छी तरह बाइंड हो पाएंगे। अगर यहा बाइंडिंग अच्छी हो जाती है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वायरस इस जीव को अपना होस्ट बना लेगा। सार्स और सार्स कोरोना-2 की अगर तुलना करें तो रिसर्च में यह बात सामने आई है कि सार्स की तुलना में सार्स कोरोना-2 की बाइंडिंग कैपेसिटी इंसान के अंदर 10 से 20 गुना अधिक है।

    क्यों नहीं मरता है चमगादड़

    जब कोरोना वायरस किसी जीव में संक्रमण फैलाता है तो उसके अंदर तेजी से इंफ्लेमेशन यानी सूजन होता है। लेकिन चमगादड़ में इंफ्लेमेशन कमजोर होता है। इसकी वजह यह है कि चमगादड़ के इंफ्लेमेट्री रिस्पॉन्स में डिफेक्ट होता है। चमगादड़ों में नैचरल किलर सेल्स की ऐक्टिविटी काफी कम होती है। इस कारण चमगादड़ के अंदर इस वायरस के इंफेक्शन को कैरी करनेवाली सेल्स मरती नहीं हैं। चमगादड़ का मेटाबॉलिक रेट बहुत हाई होता है, इस कारण उसमें अधिक मात्रा में रिऐक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज बनती हैं, जो कोरोना वायरस को तेजी से रेप्लिकेट करने से रोकती हैं, साथ ही इसका म्यूटेशन रेट बढ़ा देती हैं। चमगादड़ में बढ़े हुए म्यूटेशन के कारण कोरोना को दूसरे होस्ट में जंप करने में आसानी होती है। इतना ही नहीं लगातार होनेवाला यह म्यूटेशन कोरोना को अधिक घातक भी बनाता है।

    चमगादड़ में बना रहता है कोरोना

    चमगादड़ के अंदर स्ट्रॉन्ग इम्यून रिस्पॉन्स नहीं होता इस कारण चमगादड़ के अंदर सीवियर लंग डैमेज के चांस कम हो जाते हैं। क्योंकि उसके फेफड़ों और शरीर में उतनी सूजन नहीं आती है कि उसे कोरोना के कारण सांस लेने में तकलीफ हो और उसकी मौत हो जाये। चमगादड़ के अंदर इंटरफेरॉन रेस्पॉन्स बहुत मजबूत होता है। इस कारण कोरोना वायरस चमगादड़ के अंदर तेजी से अपने प्रतिरूप नहीं बना पाता। इंटरफेरॉन वे कैमिकल्स होते हैं, जो शरीर में किसी भी वायरस के रेप्लिकेशन को रोकते है। इसलिए इस बात पर हैरान होने की जरूरत नहीं है कि पिछले 20 साल में चमगादड़ से ही तीन तरह के कोरोना वायरस हमारी दुनिया में आए। पर, चमगादड़ पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ।

    खबर का स्त्रोत

    इस आर्टिकल में दी गई जानकारी इंटरनैशनल जर्नल ऑफ बायॉलजिकल साइंसेज से ली गई है। दरअसल, जर्नल में यह लेख वर्ष 2020 में पब्लिश रिसर्च पेपर से ली गई है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि इस विषय पर अभी और रिसर्च जारी है और फाइनल रिपोर्ट मिलने के बाद ही पक्के तौर पर कुछ कहा जा सकता है।

  • प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से क्‍या बातें नि‍कल कर सामने आयी

    प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से क्‍या बातें नि‍कल कर सामने आयी

    प्रधानमंत्री मोदी ने आज एक बार फिर देश को संबोधित किया है। 21 दिनों से चल रहे लॉकडाउन का आज आखिरी दिन था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है, साथ ही प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का ऐलान किया है।

    पीएम मोदी ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का भारत को बहुत बड़ा लाभ मिला है। अगर सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। लेकिन, लोगों की जान की कीमत बाकी सब चीजों से बहुत ज़्यादा है। विश्वभर में हेल्थ एक्सपर्ट और सरकारों को और ज्यादा सतर्क कर दिया गया है। भारत में भी अब लड़ाई कैसे आगे बढ़ें और हम विजयी कैसे हो, हमारे यहां हो रहे नुकसान और लोगों की दिक्कतें कैसे कम हो। उन्होने कहा इसे लेकर सभी राज्यों के सरकारों और नागरिकों की मानें तो लॉकडाउन को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। इसी को ध्यान मे रखकर लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला लिया गया  है।

    पीएम मोदी ने देशवासियों को कहा कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है। स्थानीय स्तर पर अब एक भी मरीज बढ़ता है, तो ये हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। हमें हॉटस्पॉट को लेकर बहुत ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी, जिन स्थानों के हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका है, उस पर भी हमें कड़ी नजर रखनी होगी। साथ ही उन्होने कहा नए हॉटस्पॉट का बनना, हमारे परिश्रम और तपस्या को और चुनौती देगा। पीएम मोदी ने कहा अगले एक सप्ताह में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कठोरता और ज्यादा बढ़ाई जाएगी। हर एक क्षेत्र को परखा जाएगा की वहाँ लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है या नही और जो क्षेत्र इस अग्निपरीक्षा में सफल होंगे, जो हॉटस्पॉट में नहीं होंगे और जिनके हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका भी कम होगी, वहां पर 20 अप्रैल से कुछ जरूरी गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है ।

     

     

  • PM नरेन्‍द्र मोदी का ऐलान- भारत में 3 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन, और सख्त होंगे नियम

    PM नरेन्‍द्र मोदी का ऐलान- भारत में 3 मई तक जारी रहेगा लॉकडाउन, और सख्त होंगे नियम

    कोरोनावायरस के खिलाफ जारी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्र को संबोधित किया।

    पीएम मोदी ने कहा,

    ”साथियों, सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना होगा। यानि 3 मई तक हम सभी को लॉकडाउन में ही रहना होगा, इस दौरान हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है, जैसे हम करते आ रहे हैं, मेरी सभी देशवासियों से ये प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में नहीं फैलने देना है। स्थानीय स्तर पर अब अगर एक भी मरीज बढ़ता है तो यह हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए.”

    हम धैर्य बनाकर अगर रखेंगे, नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना जैसी महामारी को भी परास्त कर पाएंगे, इसी विश्वास के साथ अंत में, मैं आज 7 बातों में आपका साथ मांग रहा :
    • पहली बात
      अपने घर के बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जिन्हें पुरानी बीमारी हो, उनकी हमें केयर करनी है, उन्हें कोरोना से बहुत बचाकर रखना है।
    • दूसरी बात-
      लॉकडाउन और Social Distancing की लक्ष्मण रेखा का पूरी तरह पालन करें, घर में बने फेसकवर या मास्क का अनिवार्य रूप से उपयोग करें।
    • तीसरी बात-
      अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए, आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, गर्म पानी, काढ़ा का निरंतर सेवन करें।
    • चौथी बात-
      कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने में मदद करने के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल App जरूर डाउनलोड करें। दूसरों को भी इस App को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करें
    • पांचवी बात-
      जितना हो सके उतने गरीब परिवार की देखरेख करें, उनके भोजन की आवश्यकता पूरी करें।
    • छठी बात-
      आप अपने व्यवसाय, अपने उद्योग में अपने साथ काम करे लोगों के प्रति संवेदना रखें, किसी को नौकरी से न निकालें।
    • सातवीं बात-
      देश के कोरोना योद्धाओं, हमारे डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मी, पुलिसकर्मी का पूरा सम्मान करें।

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  • कोरोना काल में कुछ अच्छा भी हुआ है

    कोरोना काल में कुछ अच्छा भी हुआ है

    पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस लॉकडाउन के कारण जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था खतरे में है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण में सुधार देखा जा रहा है। आसमान जहां धुएं और जहरीली धूल-कणों से भरा दिखता था, वहीं अब नीला और बिल्कुल साफ दिखता है। नदियों का पानी स्वच्छ हो गया है। जिस गंगा को करोड़ों रुपयों का अभियान स्वच्छ ना कर सका, उसे 21 दिन के लॉकडाउन ने स्वच्छ कर दिया।

    इस चकाचौंध के दौर में हम विकास तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही पर्यावरण का नुकसान भी कर रहे हैं।

    जब कोरोना जैसी कोई महामारी आती है, तो हम उसके विरुद्ध कठोर से कठोर तत्कालिक फैसला लेते हैं, लेकिन जहां वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की जाने जाती हैं, तो उसके बारे में हम कुछ नहीं सोचते। कोरोना ने हमें सिखाया है,  कि हमें विकास के इस दौर में अपने पर्यावरण को नहीं भूलना होगा, ताकि पर्यावरण की स्वच्छता हमेशा बनी रहे।

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  • बिहार का सीवान बना कोरोना का हॉटस्पॉट

    बिहार का सीवान बना कोरोना का हॉटस्पॉट

    सीवान में मिले कोरोना के 29 मामले

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बिहार में अभी तक 64 लोगो में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। इसमें से अकेले सीवान के 29 लोग शामिल है। हालांकि, इसमें से पांच ठीक भी हुयें है। लिहाजा, सीवान को बिहार का वुहान कहा जाने लगा है। सरकार ने सीवान को कोरोना संक्रमण के हॉटस्‍पॉट के रूप में चिन्हित करके जिला को सील कर दिया है।

    अस्पताल से भागी संदिग्ध

    पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल में भर्ती सीवान की एक संदिग्‍ध महिला मरीज अस्‍पताल से भाग गई है। संदिग्ध के अस्पताल से भागने की खबर मिलते ही प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस ने मरीज की तलाश शुरू कर दी है। किंतु, रविवार की दोपहर बाद तक उसका पता नहीं चल सका है। इस बीच सरकार ने एहतियातन शहर और ग्रामीम क्षेत्रों की कई सड़कों को सील कर दिया गया है।

    ड्रोन से हो रही है निगरानी

    बिहार में कोरोना पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ कर 64 हो गई है। इनमें सीवान के 29 मामले शामिल हैं। बिहार में कोरोना के इस हॉटस्‍पॉट पर राज्‍य सरकार की खास नजर है। यहां लॉकडाउन का सख्‍ती से पालन कराया जा रहा है। सीमाएं सील कर दी गईं हैं तथा ड्रोन से निगरानी की जा रही है। कई सड़कों को ग्रामीणों ने बांस-बल्ला बांध कर स्वयं से सील कर दिया है। बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है। शहर के पुरानी बाजार, पुरानी मस्जिद, काजी बाजार की ओर जाने वाली सड़क को भी ग्रामीणो ने बांस-बल्ला से घेर कर सील कर दिया है।

  • नेपाल बॉर्डर पर कोरोना साजिश के मिले संकेत

    नेपाल बॉर्डर पर कोरोना साजिश के मिले संकेत

    बिहार के ग्रामीण इलाके में वायरस फैलाने की तैयारी

    जालिम मुखिया

    KKN न्यूज ब्यूरो। नेपाल की सीमा से सटे बिहार के कई जिलो में कोरोना वायरस को लेकर जो खबर आई है, वह चिंता पैदा करने वाली है। भारत-नेपाल की सीमा से सटे बिहार के जिलो में संदिग्ध गतिविधियों की खबर के बाद हड़कंप मच गया है। दरअसल, एसएसबी ने बिहार पुलिस के आलाधिकारी को पत्र लिख कर अलर्ट किया है कि नेपाल में बैठे जालिम मुखिया ने बिहार के सीमावर्ती जिला में कोरोना फैलाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। एसएसबी ने यह पत्र पश्चिम चंपारण के डीएम और एसपी को लिखा है।

    कौन है जालिम मुखिया

    आपके मन में सवाल उठने लगा होगा कि यह जालिम मुखिया है कौन? दरअसल, एसएसबी ने जो पत्र लिखा है कि उसमें कहा गया है कि नेपाल में बैठा जालिम मुखिया अवैध हथियारो का तस्करी करता है और सीमावर्ति इलाके में सक्रिया रहता है। हालांकि, अन दिनो वह कोविड-19 वायरस को बिहार के ग्रामीण इलाके में फैलाने पर काम कर रहा है। कॉग्रेस ने इसे गंभीर मामला बतातें हुए बिहार सरकार से सीमा सील करने की मांग की है। प्रशासन भी हरकत में आ गया है। इस बीच बिहार पुलिस के आलाधिकारी इसे एक पुराना पत्र बता कर मामले को गंभीरता लेते हुए जांच करने की बात कह रहें है। किंतु, यदि एसएसबी का अनुमान सही निकला तो यह नेपाल की सीमा से सटे बिहार के गांवो के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

  • महाशक्ति बनने की ओर चीन के बढ़े कदम

    महाशक्ति बनने की ओर चीन के बढ़े कदम

    इस वक्त हम कोरोना काल में है और इस महामारी ने पूरी दुनिया में मौत का खौफ पैदा कर दिया है। वायरस की कहर से बचने के लिए दुनिया के अधिकांश लोग अपने ही घरो में कैद है और न जाने कब तक इसी प्रकार दुबक कर रहना होगा। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि कोविड-19 नाम का यह वायरस, नेचुरल है या फिर इसे किसी लैब में बनाया गया है। रह रह कर ये बात उठने लगी है कि कही यह इंसान की कारस्तानी तो नहीं है। क्यों चीन इसको लेकर लगातार दुनिया को गुमराह करता रहा? ऐसे और भी कई सवाल है, जो कोविड-19 को एक वायो-लॉजिकल वेपॅन होने की ओर इशारा करती है।

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  • अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव, RBI की रिपोर्ट

    अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव, RBI की रिपोर्ट

    कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से पूरी दुनिया दोहरी मार से जूंझ रही है। एक तरफ जहां संक्रमण फैलने से लोगों की मौत हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इकोनॉमी पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इससे अब भारतीय अर्थव्यवस्था भी नहीं बच पायी है।

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में लिखा है, कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेजी से खत्म हो रही है। RBI  की रिपोर्ट के मुताबिक साउथ एशिया के इंजन की ग्रोथ इस महामारी की वजह से कमजोर पड़ रही है।

    आरबीआई का कहना है कि कोरोना महामारी का संक्रमण फैलने से पहले वित्त वर्ष 2020-21 की ग्रोथ को लेकर वे उत्साहित थे। लेकिन, अब उनका कहना है की इसकी ग्रोथ तेजी से घटती जा रही है। साथ ही उन्होने अपनी रिपोर्ट मे लिखा की ग्लोबल इकोनॉमी 2020 में स्लोडाउन में जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 2019 के आखिरी तीन महीनों में पिछले छह साल में सबसे कम रही। इसकी वजह से आरबीआई ने पूरे साल की ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी लगाया था, जो पिछले 10 साल में सबसे कम है।

    उन्होने कहा की ट्रेड में राहत की बात बस इतनी है, कि इंटरनेशनल क्रूड प्राइस में नरमी बनी हुई है। लेकिन, इससे भी इकोनॉमिक ग्रोथ की भरपाई नहीं की जा सकती क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इसकी मांग कम है। RBI ने ये भी कहा है कि अभी अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, इसलिए GDP को लेकर अभी कोई अनुमान जारी नहीं किया जाएगा। उन्होने कहा की अभी वे कोरोना के संक्रमण का आकलन कर रहे है।

    आरबीआई का कहना है, कि इस साल महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी। बीते मार्च में खुदरा महंगाई की दर चार महीने के निचले स्तर 5.93 फीसदी पर आने का अनुमान है, जो फरवरी में 6.58 फीसदी रही थी। इस साल जून तिमाही में खुदरा महंगाई 4.8 फीसदी, सितंबर तिमाही में 4.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 2.7 फीसदी और मार्च तिमाही में 2.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।

     

  • बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी

    बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी

    संक्रमित लोगो की संख्या- 60, एक गांव में 25, इसमें एक ही परिवार के 23 शामिल

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में कोरोना के पॉज़िटिव मरीज़ों की संख्या 60 तक पहुंच गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें 25 मरीज़ सीवान ज़िले के एक ही गांव के हैं। इनमें से 23 एक ही परिवार के सदस्य हैं। एक ही दिन में 17 पॉज़िटिव रिपोर्ट आते ही बिहार के सीवान, बेगूसराय और नवादा जिला की सीमाएं सील कर दी गई हैं। भारत में, 6,412 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और इनमें 199 लोगो की मौत हो चुकीं है।

  • दिल्ली और उत्तरप्रदेश में कोरोना हॉटस्पॉट के इलाके सील

    दिल्ली और उत्तरप्रदेश में कोरोना हॉटस्पॉट के इलाके सील

    पूरे भारत मे लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के कगार पर है, लेकिन कोरोना का कहर रुकने का नाम नही ले रहा है। इस महामारी को देखते हुए उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में कई हॉटस्पॉट इलाकों को सील कर दिया है।

    आखिर क्या है ये कोरोना हॉटस्पॉट?

    वैसा इलाका जहां कई कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हों और आगे भी उन इलाकों में संक्रमण फैलने की संभावना अधिक हो, वो वैसे इलाकों को हॉटस्पॉट कहा जाता है। ये इलाका किसी भी आकार हो सकता है, कुछ घरों से लेकर मोहल्ला, कॉलोनी या फिर पूरे सेक्टकर तक, यहां तक कि किसी अपार्टमेंट को भी एक हॉटस्पॉट माना जा सकता है, जहां से कोरोना पॉज़िटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हो।

    जहां दिल्ली सरकार ने लगभग 20 हॉटस्पॉट सील कर दिए, तो वहीं उत्तर प्रदेश की सरकार ने राज्य के 15 जिलों के हॉटस्पॉट इलाकों को सील करने का फैसला लिया है।  इतना ही नही ऐसी संभावना जताई जा रही है कि देश के कई हिस्सों में आने वाले कुछ समय में ऐसे ही और भी कई हॉटस्पॉट इलाके सील किए जा सकते हैं।

  • दवा मिलने पर ट्रंप ने कहा, भारत की मदद को अमेरिका याद रखेगा

    दवा मिलने पर ट्रंप ने कहा, भारत की मदद को अमेरिका याद रखेगा

    कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे अमेरिका को भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को मंजूरी दे दी है। भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की मंजूरी मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सुर बदल से गए और उन्होंने जमकर भारत और पीएम मोदी की तारीफ की। ट्रंप ने भारत की ओर से कोरोना के इलाज में उपयोग किए  जा रहे मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की मंजूरी दिए जाने के बाद कहा कि, अमेरिका इस मदद को कभी नहीं भुला पाएगा। उन्होंने भारत, भारत के लोगों और पीएम मोदी को इसके लिए धन्यवाद दिया।

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि,

    “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने हमारे अनुरोध को मंजूरी दी, हम इस मदद को हमेशा याद रखेंगे”

    उन्होंने आगे कहा कि, चुनौतीपूर्ण समय में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की जरूरत होती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद देते  हुए कहा कि, आपके मजबूत नेतृत्व से न सिर्फ भारत को, बल्कि इस चुनौती से लड़ रही मानवता को मदद मिलेगी।

    दवा का निर्यात नहीं करने पर जवाबी कार्रवाई मे अमेरिका भी बंंद कर सकता था मेडि‍कल सामान का निर्यात  
    इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को संबोधित कर कहा था कि अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा सप्लाई करता है तो ठीक, वरना हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के लिए होता है, जिसका भारत प्रमुख निर्यातक रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में मैंने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उन्होंने कहा की वो  हमारी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के सप्लाई  के अनुरोध पर गंभीरता से सोचेंगे।

    भारत ने दिया था जवाब 
    कोरोना संकट से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति करने के अनुरोध पर भारत ने कहा था कि, एक जिम्मेदार देश होने के नाते हमसे जितना हो सकेगा, हम मदद करेंगे। भारत ने अमेरिका को स्पष्ट तौर पर बताया कि, हम अपने देश की जनता को कोरोना वायरस से सुरक्षित करने के बाद ही दूसरे देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा की आपूर्ति करेंगे। इसी कारण विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी।