टैग: Donald Trump

  • फेडरल जज ने ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने वाले आदेश पर लगाई रोक

    फेडरल जज ने ट्रंप के जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने वाले आदेश पर लगाई रोक

    KKN गुरुग्राम डेस्क | सीएटल के एक फेडरल जज ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश (Executive Order) पर अस्थायी रोक लगा दी है, जो अमेरिका में जन्मसिद्ध नागरिकता (Birthright Citizenship) को सीमित करने का प्रयास कर रहा था। यह फैसला गुरुवार को आया, जब यूएस डिस्ट्रिक्ट जज जॉन कफेनौर ने अस्थायी निषेधाज्ञा (Temporary Restraining Order) जारी कर दी। यह निषेधाज्ञा 14 दिनों तक प्रभावी रहेगी, जिसके दौरान कोर्ट इस नीति पर प्रारंभिक स्थगन आदेश पर विचार करेगा।

    यह आदेश, जो ट्रंप के कार्यालय में लौटने के पहले दिन जारी हुआ था, का उद्देश्य अमेरिका में उन बच्चों को नागरिकता देने से इनकार करना था, जिनके माता-पिता न तो अमेरिकी नागरिक हैं और न ही कानूनी स्थायी निवासी। यह फैसला ट्रंप की अमेरिकी नागरिकता कानूनों को पुनर्परिभाषित करने के प्रयासों के खिलाफ पहला बड़ा कानूनी झटका है।

    जज ने आदेश को ‘संविधान विरोधी’ बताया

    जज जॉन कफेनौर, जिन्हें रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने नियुक्त किया था, ने इस कार्यकारी आदेश को “स्पष्ट रूप से असंवैधानिक” करार दिया। सुनवाई के दौरान उन्होंने सरकार के वकील ब्रेट शुमेट के तर्कों पर सख्त प्रतिक्रिया दी और आदेश की वैधता पर सवाल उठाए।

    “मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि एक पेशेवर वकील इस आदेश को संविधान के अनुरूप कैसे ठहरा सकता है,” जज कफेनौर ने कहा। उनका यह बयान ट्रंप प्रशासन की नीति की संवैधानिक वैधता पर गंभीर सवाल उठाता है।

    डेमोक्रेटिक राज्यों ने दी कानूनी चुनौती

    ट्रंप के कार्यकारी आदेश के खिलाफ चार डेमोक्रेटिक-प्रभावित राज्यों—वॉशिंगटन, एरिज़ोना, इलिनॉइस और ओरेगॉन—ने मुकदमा दायर किया। इन राज्यों ने तर्क दिया कि यह आदेश 14वें संशोधन (14th Amendment) का उल्लंघन करता है, जो किसी भी व्यक्ति को, जो अमेरिकी भूमि पर पैदा होता है, नागरिकता की गारंटी देता है, चाहे उसके माता-पिता की आव्रजन स्थिति कुछ भी हो।

    वॉशिंगटन के अटॉर्नी जनरल निक ब्राउन ने इस आदेश को अमेरिकी संविधान और एक सदी से अधिक समय से स्थापित कानूनी परंपराओं पर हमला बताया। “यह नीति हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला है और हमारे कानूनी इतिहास को कमजोर करने का प्रयास है,” उन्होंने कहा।

    14वें संशोधन का ऐतिहासिक महत्व

    जन्मसिद्ध नागरिकता पर विवाद 14वें संशोधन के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसे 1868 में गृहयुद्ध के बाद अपनाया गया था। यह संशोधन 1857 के ड्रेड स्कॉट मामले के फैसले को पलटने के लिए लाया गया था, जिसमें गुलाम अश्वेत लोगों और उनके वंशजों को नागरिकता से वंचित कर दिया गया था। 14वें संशोधन का नागरिकता प्रावधान सुनिश्चित करता है कि अमेरिका में जन्म लेने वाले सभी व्यक्ति नागरिक माने जाएंगे।

    इस क्षेत्र में कानूनी मिसाल पहले से स्थापित है। 1898 के ऐतिहासिक मामले यूनाइटेड स्टेट्स बनाम वोंग किम आर्क में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि गैर-नागरिक माता-पिता से जन्मे बच्चे भी अमेरिकी नागरिकता के हकदार हैं। ट्रंप का कार्यकारी आदेश इस व्याख्या को पलटने का प्रयास करता है, जिसे विशेषज्ञ संवैधानिक और कानूनी जांच का सामना करने वाला मानते हैं।

    सुनवाई के दौरान, वॉशिंगटन के सहायक अटॉर्नी जनरल लेन पोलोज़ोला ने आदेश के तत्काल प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “ट्रंप की नीति के तहत आज पैदा हुए बच्चे अमेरिकी नागरिक नहीं माने जाएंगे।” पोलोज़ोला और अन्य राज्य अधिकारियों ने तर्क दिया कि यह नीति हर साल 1,50,000 से अधिक नवजात शिशुओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित कर देगी, जिसमें सोशल सिक्योरिटी नंबर, सरकारी लाभ और कानूनी रोजगार के अवसर शामिल हैं।

    जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने का ट्रंप का प्रयास

    जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करना ट्रंप की आव्रजन (Immigration) नीति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है, जिसे उन्होंने पहली बार 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान प्रस्तावित किया था। हालांकि, अपने पिछले कार्यकाल के दौरान उन्होंने इस विचार को कभी नीति में परिवर्तित नहीं किया। लेकिन इस बार, कार्यकारी आदेश के माध्यम से उन्होंने इस विचार को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया है।

    प्रशासन का दावा है कि जन्मसिद्ध नागरिकता अवैध आव्रजन को प्रोत्साहित करती है और सार्वजनिक संसाधनों पर बोझ डालती है। न्याय विभाग ने इस नीति को “आव्रजन प्रणाली में सुधार और दक्षिणी सीमा पर संकट के समाधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा” बताया। ट्रंप के वकील ब्रेट शुमेट ने कोर्ट के आदेश को “अत्यधिक अनुचित” बताते हुए दावा किया कि यह कार्यकारी आदेश एक आवश्यक कदम है।

    जन्मसिद्ध नागरिकता के खिलाफ रिपब्लिकन प्रयास

    जहां ट्रंप का कार्यकारी आदेश अदालत में उलझा हुआ है, वहीं उनके सहयोगी कांग्रेस में इसे कानून में बदलने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में 36 रिपब्लिकन सांसदों के एक समूह ने एक विधेयक पेश किया, जो केवल अमेरिकी नागरिकों या वैध स्थायी निवासियों के बच्चों को नागरिकता प्रदान करेगा।

    इस विधेयक को उन रूढ़िवादी सांसदों का समर्थन मिला है, जो दावा करते हैं कि जन्मसिद्ध नागरिकता अवैध आव्रजन को बढ़ावा देती है और “एंकर बेबी” जैसी प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है, जिसमें गैर-नागरिक अपने बच्चों के माध्यम से पूरे परिवार के लिए नागरिकता के लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह दावा तथ्यहीन है और यह कदम खतरनाक मिसाल कायम कर सकता है।

    आगे की राह

    ट्रंप के कार्यकारी आदेश पर कानूनी लड़ाई लंबी और विवादास्पद होने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा, जहां न्यायाधीश अमेरिकी नागरिकता की परिभाषा को बदलने के संवैधानिक अधिकार पर विचार करेंगे।

    जैसे-जैसे यह विवाद बढ़ता है, प्रवासी समुदायों, संवैधानिक कानूनों और अमेरिका की बहुसांस्कृतिक पहचान के लिए इसके प्रभाव गहराते जाएंगे। वर्तमान में, जज कफेनौर का फैसला प्रभावित लोगों के लिए एक अस्थायी राहत प्रदान करता है, लेकिन भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।

    यह मामला कार्यकारी शक्ति और संवैधानिक संरक्षणों के बीच चल रहे टकराव को उजागर करता है। जैसे-जैसे अदालत इस मामले पर अपने अगले कदम पर विचार कर रही है, पूरा देश इस पर नजरें गड़ाए हुए है, यह जानते हुए कि इसका नतीजा अमेरिकी नागरिकता की मूलभूत परिभाषा को बदल सकता है।

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का समर्थन, कुशल श्रमिकों की आवश्यकता पर जोर

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का समर्थन, कुशल श्रमिकों की आवश्यकता पर जोर

    KKN गुरुग्राम डेस्क |  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम का समर्थन किया। उन्होंने देश में कुशल पेशेवरों को आकर्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान ओरैकल के सीटीओ लैरी एलिसन, सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन और ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन जैसे प्रमुख व्यवसायिक नेताओं ने भी भाग लिया। ट्रंप ने टेक्नोलॉजी सहित विभिन्न उद्योगों में विशेषज्ञता की बढ़ती मांग पर जोर दिया।

    एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम पर संतुलित दृष्टिकोण

    राष्ट्रपति ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा प्रणाली को लेकर चल रही बहस को स्वीकार किया। यह वीज़ा अमेरिकी कंपनियों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कुशल विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। आलोचकों का मानना है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसरों को कम करता है। इसके विपरीत, ट्रंप का कहना है कि कुशल पेशेवरों को आकर्षित करना आर्थिक प्रगति और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    उन्होंने कहा, “मुझे दोनों पक्षों की दलीलें पसंद हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारे देश में बहुत योग्य लोग आएं, भले ही इसका मतलब यह हो कि वे उन लोगों को प्रशिक्षित करें जिनके पास समान योग्यता नहीं है। और मैं केवल इंजीनियरों की बात नहीं कर रहा हूं, बल्कि हर स्तर के लोगों की बात कर रहा हूं।”

    टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एच-1बी वीज़ा की आवश्यकता

    ट्रंप ने टेक्नोलॉजी उद्योग में एच-1बी वीज़ा की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया। लैरी एलिसन और मासायोशी सोन जैसे व्यवसायिक नेताओं ने लंबे समय से ऐसी नीतियों की वकालत की है जो वैश्विक प्रतिभा को भर्ती करना आसान बनाती हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सॉफ्टवेयर विकास जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति के साथ, कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ रही है।

    ट्रंप ने कहा, “हमें अपने देश में सर्वश्रेष्ठ लोग चाहिए। लैरी और मासा जैसे नेताओं को ऐसे इंजीनियरों की जरूरत है जो विश्वस्तरीय हों। एच-1बी कार्यक्रम इस जरूरत को पूरा करता है।”

    एच-1बी वीज़ा पर सार्वजनिक मतभेद

    एच-1बी कार्यक्रम ट्रंप के समर्थन आधार में विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है। एलन मस्क जैसे समर्थकों का मानना है कि यह कार्यक्रम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है और नवाचार को बढ़ावा देता है। वहीं, आलोचक इसे अमेरिकी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसरों को कम करने वाला मानते हैं।

    यह मुद्दा व्यापक राष्ट्रीय बहस को दर्शाता है। कुछ लोग सख्त नीतियों की वकालत करते हैं ताकि स्थानीय रोजगार सुरक्षित रहे, जबकि अन्य वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने की आवश्यकता पर बल देते हैं।

    ट्रंप का संतुलित दृष्टिकोण

    राष्ट्रपति ट्रंप का दृष्टिकोण इस बात पर आधारित है कि कुशल श्रमिकों की भर्ती और स्थानीय श्रमिकों के हितों के बीच संतुलन बनाया जाए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि अमेरिका शीर्ष प्रतिभा को आकर्षित करता रहे और व्यवसायों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखे।

    “हम गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं,” उन्होंने कहा। “हम व्यवसायों का विस्तार और नवाचार को बढ़ावा देना चाहते हैं, जबकि अपनी आप्रवास प्रणाली में निष्पक्षता बनाए रखना चाहते हैं।”

  • ट्रंप ने अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन रोकने के लिए सेना उतारने की दी चेतावनी

    ट्रंप ने अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन रोकने के लिए सेना उतारने की दी चेतावनी

    अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस के हिरासत में मौत के खिलाफ हो रहे हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए अमेरिकी शहर तथा राज्यों द्वारा आवश्यक कदम नहीं उठाये जाने की स्थिति में सेना को तैनात करने की सोमवार को बात कहीं। लेकिन, व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से राष्ट्र को संबोधित करते हुए ट्रंप ने यह भी कहा कि, फ्लॉयड की बर्बर मृत्यु से सभी अमेरिकी दुखी हैं तथा इसका विरोध कर रहे हैं और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि, इस मामले में न्याय मिलेगा। फ्लॉयड की मौत के आक्रोश मे हिंसक प्रदर्शन की आग अमेरिका की 140 शहरों तक पहुंच चुकी है, जिसे देश में बीते कई दशक का सबसे खराब नागरिक अशांति माना जा रहा है। ट्रंप ने राष्ट्र को भरोसा दिलाया कि, वह हिंसा को रोकने तथा अमेरिका में सुरक्षा तैनात करने के लिए कदम उठा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि, उन्होंने दंगों और लूट को रोकने एवं कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सभी उपलब्ध सरकारी संसाधनों, नागरिकों एवं सेना को जुटा लिया है।

    उन्होंने चेतावनी दी कि,

    आज मैं प्रत्येक गवर्नर को सड़कों पर पर्याप्त संख्या में नेशनल गार्ड तैनात करने की सलाह देता हूं। मेयरों और गवर्नरों को हिंसा के समाप्त होने तक कानून प्रवर्तन अधिकारियों की जबर्दस्त उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। यदि कोई शहर या राज्य अपने निवासियों के जान-माल की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने से इनकार करता है, तो मैं अमेरिकी सेना को तैनात करुंगा और  जल्द ही उनकी समस्या का हल कर दूंगा।

    वहीं, हिंसा रोकने में अधिकारियों के सफल नहीं रहने के बाद न्यूयॉर्क सिटी में सोमवार देर रात कर्फ्यू लगा दिया गया। अमेरिका के अन्य शहरों की तरह न्यूयॉर्क में भी रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा। इस बीच कर्फ्यू लागू करने के दौरान गोली चलाने वाले लुइसविले पुलिस प्रमुख को बर्खास्त कर दिया गया, जब मेयर जानकारी हुई कि, गोलीबारी में शामिल अधिकारी हिंसा के दौरान वर्दी पर बॉडी कैमरा चालू करने में विफल रहे। इस गोलीबारी के दौरान एक प्रसिद्ध बार्बेक्यू स्थल के मालिक की मौत हो गई थी।

  • डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी छात्रों के अमेरिका में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध

    डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी छात्रों के अमेरिका में प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध

    पहले कोरोना वायरस की उत्पत्ति और और उसके बाद हॉन्गकॉन्ग में विवादित सुरक्षा कानून लागू करने को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। हॉन्गकॉन्ग को लेकर चीन के विरुद्ध प्रतिबंधों की घोषणा का संकेत देने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को चीनी छात्रों के खिलाफ कठोर फैसले की घोषणा की। उन्होंने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से संबंध रखने वाले चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा की है।

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, अमेरिका से बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए स्नातक छात्रों का इस्तेमाल करने की चीन की कोशिशों को समाप्त करने के लिए यह कदम उठाया गया है। वहीं, दूसरी तरफ चीन ने अमेरिका में उसके छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की ट्रंप की धमकी को शुक्रवार को नस्लवादी बताया था।

    इस संबंध में शुक्रवार को घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा कि, चीन ने अपनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के आधुनिकीकरण के लिए संवेदनशील अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा को हासिल करने के लिए व्यापक अभियान चलाया हुआ है। उन्होंने कहा कि, चीन की यह गतिविधि अमेरिका की दीर्घकालीन आर्थिक शक्ति तथा अमेरिकी लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा है।

    ट्रंप ने आरोप लगाया कि, चीन अपने कुछ छात्रों, अधिकतर पोस्ट ग्रैजुएट तथा शोधकर्ताओं का इस्तेमाल बौद्धिक संपदा को एकत्रित करने के लिए करता है, इसलिए PLA से जुड़े चीनी छात्रों या शोधकर्ताओं के चीनी अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल होने का अधिक खतरा है और यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा, ‘इसे देखते हुए मैंने फैसला किया कि, अमेरिका में पढ़ाई या शोध करने के लिए कुछ चीनी नागरिकों का प्रवेश अमेरिका के हितों के लिए खतरनाक होगा।’

  • डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा, कोरोना की वैक्सीन तैयार हो न हो, अमेरिका फिर से खुलेगा

    डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा, कोरोना की वैक्सीन तैयार हो न हो, अमेरिका फिर से खुलेगा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, “कोरोना की वैक्सीन तैयार हो या न हो, अमेरिका फिर से खुलेगा।” इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि, साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन तैयार करना उनका उद्देश्य है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि, वैक्सीन के बिना भी अमेरिकियों को अपने जीवन में सामान्य रूप से वापस लौटना शुरू करना चाहिए। कई विशेषज्ञों को इस बात पर आशंका है, कि कोरोना की वैक्सीन को एक साल की अवधि के भीतर तैयार किया जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, “परियोजना 14 वैक्सीन कैंडिडेट पर रिसर्च और अप्रूवल के साथ शुरू होगी।

    वैक्सीन खोजने तथा वितरण में हो साझेदारी 

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक वैक्सीन को खोजने तथा इसे वितरित करने के लिए सरकारी तथा निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी की बात कही। साथ ही, ऑपरेशन का नेतृत्व करने के लिए सेना के एक जनरल तथा एक पूर्व हेल्थकेयर एग्जीक्यूटिव का नाम बताया। इस मिशन की अगुवाई मोनसैफ सलोई करेंगे, जबकि अमेरिकी सेना के लिए वितरण की देखरेख करने वाले जनरल गुस्ताव पर्ना चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में काम करेंगे।

    राष्ट्रपति ट्रंप के बाद मोनसैफ सलोई ने कहा कि, उन्हें विश्वास है कि, 2020 तक कुछ हजार मिलियन वैक्सीन का वितरण कर दिया जाएगा। बता दें कि, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस अभी तक करीब 46 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका हैं। इनमें से करीब 3 लाख 10 हजार लोगों की मृत्यु हो चुकी है। बता दे कि, इस वायरस से सबसे ज्यादा अमेरिका प्रभावित हुआ है।

  • ट्रंप प्रशासन में कई तो जिम्मेदारी उठाने का दिखावा भी नहीं करते : ओबामा

    ट्रंप प्रशासन में कई तो जिम्मेदारी उठाने का दिखावा भी नहीं करते : ओबामा

    अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कोराेना (Covid-19) महामारी से निपटने के ट्रंप प्रशासन के तरीकों की कड़ी आलोचना की है।मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ओबामा ने कहा कि, ‘देश के कई नेता तो जिम्मेदारी उठाने का दिखावा भी नहीं कर रहे हैं।’

    ऐतिहासिक अश्वेत कॉलेजों और यूनिवर्सिटी (HBCUs) में पढ़ने वाले स्नातक के छात्राेंं को एक ऑनलाइन समारोह में संबोधित करतेे हुए, ओबामा ट्रंप पर जमकर बरसे और इस तरह उन्होंने सार्वजिनक मंच पर राष्ट्रपति की आलोचना करने से बचने की परंपरा को तोड़ दिया।

    पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने कहा

    ‘सच कहूं तो इस तरह की बीमारी ने इस देश की असल असमानताओं को उजागर किया है जिसे यहां के अश्वेत समुदाय ऐतिहासिक रूप से जूझते रहे हैं। हमारे समुदाय में कोरोना का प्रतिकूल असर पड़ रहा है।’

    उन्होंने कहा कि- ‘इस महामारी ने एक बात तो साफ कर दी है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे बहुत से लोग ये जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं, उनमें बहुत से लोग तो जिम्मेदारी उठाने का दिखावा भी नहीं कर रहे हैं।’

    अश्वेत समुदायों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में बात करते हुए उन्होंने हाल में हुई अहमद अरबेरी की हत्या के बारे में भी बात किया। 23 फरवरी को जॉर्जिया में एक गोरे पूर्व पुलिस अफसर ने जॉगिंग के दौरान 25 साल के अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    ओबामा ने कहा, ‘हम इसे इस तरह देखते हैं जब एक अश्वेत आदमी जॉगिंग के लिए जाता है और कुछ लोगों को लगता है कि वे उसे रोक सकते हैं और सवाल कर सकते हैं और जवाब नहीं मिले तो वो उसे गोली मार सकते हैं।’

    छात्रों से बात करते हुए उन्होंने उन्हें बेहतर भविष्य के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होने आगे कहा ‘अगर दुनिया बेहतर होने जा रही है, तो यह आपके ऊपर निर्भर करता है।’

    इस लाइव वीडियो स्ट्रीमिंंग इवेंट में स्टीव हार्वे, एंथोनी हैमिल्टन, डग ई फ्रेश, वीकलफ जीन, कॉमन, केविन हार्ट, वेंडी रेकेल रॉबिन्सन और विविका ए फॉक्स भी शामिल थे। दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर किया गया था।

  • कोरोना संकट के बीच अमेरिका देगा भारत को वेंटिलेटर की सहायता

    कोरोना संकट के बीच अमेरिका देगा भारत को वेंटिलेटर की सहायता

    कोरोना महामारी के इस संकट के बीच अमेरिका और भारत की बीच दोस्ती की झलक देखने को मिल रही है। भारत ने जहां कोरोना संकट से जूझ रहे अमेरिका को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा देकर मदद की, वहीं कोरोना से लड़ने के लिए अमेरिका ने भारत को करीब 200 वेंटिलेटर देने का ऐलान किया है। माना जा रहा है, कि 3 सप्ताह के भीतर अमेरिका से 200 वेंटिलेटर भारत आ जाएंगे।

    सरकारी अधिकारी का कहना है कि, ऐसे संकेत दिए गए हैं कि, वेंटिलेटर इस महीने के अंत या फिर जून पहले सप्ताह तक भारत में आ जाएगी। 1 वेंटिलेटर की कीमत लगभग 10 लाख रुपये आंकी गई है। इसमें ट्रांसपोर्टेशन का खर्च शामिल नहीं है। कुल मिलाकर 200 वेंटिलेटर पर 2.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 20 करोड़ की लागत आएगी। हालांकि, ट्रांसपोर्टेशन का खर्च अलग से लगेगा।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच नजदीकी साझेदारी की बात कही और साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी को अपना ‘अच्छा मित्र’ भी बताया। डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को यह ट्वीट किया कि, ‘मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि, अमेरिका भारत में वेंटिलेटर्स दान करेगा। हालांकि, व्हाइट हाउस ने अभी इस बात की जानकारी नहीं दी है कि, कितने वेंटिलेटर दान किए जाएंगे।’ साथ ही उन्होंने कहा कि, हम इस कोरोना संकट के दौरान भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं। हम वैक्सीन तैयार करने पर भी सहयोग कर रहे हैं और हम मिलकर अदृश्य दुश्मन को हरा देंगे।

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘हम भारत में काफी सारे वेंटिलेटर्स भेज रहे हैं। मैंने पीएम मोदी से बात की है। हमारे पास वेंटिलेटरों की अच्छी आपूर्ति है।’ बता दे कि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अनुरोध पर पिछले महीने भारत ने अमेरिका में कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की करीब पांच करोड़ गोलियां भेजी थीं। इससे पहले भी ट्रंप ने भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने फरवरी में अपनी नई दिल्ली, अहमदाबाद तथा आगरा की यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘भारत एक महान देश है और आप जानते हैं कि, प्रधानमंत्री मोदी मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। ‘

  • डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, पर्ल हार्बर और 9/11 हमले से भी बदतर है कोरोना का कहर

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, पर्ल हार्बर और 9/11 हमले से भी बदतर है कोरोना का कहर

    कोरोना वायरस ने वैसे तो पूरी दुनिया में अपना कहर बरसाया है, लेकिन इसने सबसे अधिक तबाही अमेरिका में मचायी है। इसी बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में कोरोना से लगातार हो रही मौतों के बीच, कोरोना वायरस की तुलना पर्ल हार्बर अटैक तथा 9/11 के हमले से की है। आपको बता दे की डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा, कोरोना वायरस का यह संकट पर्ल हार्बर तथा 9/11 के आतंकी हमले से भी खतरनाक है।

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि, कोरोना वायरस महामारी ने अमेरिका को द्वितीय विश्व युद्ध में पर्ल हार्बर हमले या 9/11 के हमले से भी ज़्यादा गहरी चोट पहुंचाई है। साथ ही उन्होने कहा कि, यह पर्ल हार्बर से भी बदतर है और ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था।

    क्या है पर्ल हार्बर अटैक तथा 9/11 का हमला?

    आपको बता दें कि साल 1941 में जापान ने अमेरिकी के पर्ल हार्बर नौसैनिक अड्डे पर अचानक हवाई हमला किया था और इस हमले के बाद ही अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध शामिल हुआ था। साथ ही, 9/11 यानी 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में आतंकी हमला हुआ था। जिस हमले में करीब 3000 लोगों की जानें गई थीं और सबसे अधिक लोग न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में मारे गए थे।

  • अमेरिका का साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन ढूंढने का दावा

    अमेरिका का साल के अंत तक कोरोना की वैक्सीन ढूंढने का दावा

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि देश साल के अंत तक कोरोना वायरस की वैक्सीन ढूंढ लेगा। आपको बता दे की अमेरिका, कोरोना वायरस से बहुत बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

    हाल ही में कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान स्थित लैब से होने के पुख्ता सबूत के बारे मे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने दावा किया था। हालांकि पोम्पियो ने यह नहीं बताया कि, क्या चीन ने इस वायरस को जान बुझकर फैलाया है। इतना ही नही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी चीन पर कोरोना वायरस को लेकर आक्रामक रहे हैं। साथ ही वह लगातार बीजिंग को कोरोना वायरस की सूचना छुपाने का दोष देते रहे हैं। इसके साथ ही उनका कहना है, कि चीन को इस गैरजिम्मेदारी की जवाबदेही लेनी चाहिए।

    सूत्रों की माने तो, ट्रंप ने अपने जासूसों को कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने को कहा है। आपको बता दे की चीन ने कोरोना की उत्पत्ति स्थल वुहान के उस बाजार को बताया था, जहां चमगादड़ जैसे जानवर बेचे जाते हैं। लेकिन, अब बड़े पैमाने पर यह आशंका जताई जा रही है, कि यह वायरस चीन के लैब से ही आया है। लेकिन, पोम्पिओ ने अमेरिकी खुफिया विभाग के उस बयान पर भी सहमति जताई, जिसमें मोटे तौर पर कहा जा रहा है, कि कोविड-19 वायरस मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं है या इसे अनुवांशिक रूप से विकसित नहीं किया गया है।

     

  • दवा मिलने पर ट्रंप ने कहा, भारत की मदद को अमेरिका याद रखेगा

    दवा मिलने पर ट्रंप ने कहा, भारत की मदद को अमेरिका याद रखेगा

    कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे अमेरिका को भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात को मंजूरी दे दी है। भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की मंजूरी मिलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सुर बदल से गए और उन्होंने जमकर भारत और पीएम मोदी की तारीफ की। ट्रंप ने भारत की ओर से कोरोना के इलाज में उपयोग किए  जा रहे मलेरिया की दवाई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात की मंजूरी दिए जाने के बाद कहा कि, अमेरिका इस मदद को कभी नहीं भुला पाएगा। उन्होंने भारत, भारत के लोगों और पीएम मोदी को इसके लिए धन्यवाद दिया।

    डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि,

    “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने हमारे अनुरोध को मंजूरी दी, हम इस मदद को हमेशा याद रखेंगे”

    उन्होंने आगे कहा कि, चुनौतीपूर्ण समय में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की जरूरत होती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद देते  हुए कहा कि, आपके मजबूत नेतृत्व से न सिर्फ भारत को, बल्कि इस चुनौती से लड़ रही मानवता को मदद मिलेगी।

    दवा का निर्यात नहीं करने पर जवाबी कार्रवाई मे अमेरिका भी बंंद कर सकता था मेडि‍कल सामान का निर्यात  
    इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को संबोधित कर कहा था कि अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा सप्लाई करता है तो ठीक, वरना हम जवाबी कार्रवाई करेंगे। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया के लिए होता है, जिसका भारत प्रमुख निर्यातक रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में मैंने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उन्होंने कहा की वो  हमारी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के सप्लाई  के अनुरोध पर गंभीरता से सोचेंगे।

    भारत ने दिया था जवाब 
    कोरोना संकट से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति करने के अनुरोध पर भारत ने कहा था कि, एक जिम्मेदार देश होने के नाते हमसे जितना हो सकेगा, हम मदद करेंगे। भारत ने अमेरिका को स्पष्ट तौर पर बताया कि, हम अपने देश की जनता को कोरोना वायरस से सुरक्षित करने के बाद ही दूसरे देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा की आपूर्ति करेंगे। इसी कारण विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी।

  • अमेरिका ने भारत से की मदद की अपील

    अमेरिका ने भारत से की मदद की अपील

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है, अभी तक अमेरिका में  कोरोना संक्रमण के 3 लाख से अधिक मामले और 8 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अब तक पूरी दुनिया को कोरोना का कोई इलाज नहीं मिल पाया है।

    पिछले महीने भारत ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, डीजीएफटी ने कहा था कि, मानवता के आधार पर मामले-दर-मामले में इसके निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।

    अमेरिका के राष्ट्रपति ने अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, की भारत बड़ी मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बनाते हैं। मैंने शनिवार सुबह प्रधानमंत्री मोदी से बात कर, अमेरिका के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ऑर्डर की आपूर्ति करने का निवेदन किया।

     

    कुछ शुरुआती परिणामों के आधार पर अमेरिका कोरोना के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उपयोग करने पर जोर दे रहा है। हालांकि, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दशकों से मलेरिया के उपचार के काम आती है। पिछले शनिवार को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से तुरंत मंजूरी के बाद, कुछ अन्य दवा के संयोजन के साथ मलेरिया की दवा का उपयोग करके न्यूयॉर्क में लगभग 1,500 कोरोना संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है।

    ट्रंप के अनुसार दवा के सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यदि यह सफल हो जाता है, तो यह “स्वर्ग से मिले किसी तोहफे के समान होगा”। अगले कई हफ्तों में, अमेरिका के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस के कारण एक लाख से दो लाख मौतों का अनुमान लगाया है।

    पूरी दुनिया के वैज्ञानिक दिन रात इस वायरस की वैक्सीन ढूंढने में लगे हुए हैं, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। इस महामारी के कारण दुनिया में अब तक 64 हजार से ज्यादा लोगों की जाने जा चुकी है।

  • भाषण रोक कर ट्रंप ने मोदी से मिलाया हाथ

    भाषण रोक कर ट्रंप ने मोदी से मिलाया हाथ

    मोटेरा में नमस्ते ट्रंप

    KKN न्यूज ब्यूरो। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत में काफी सारी विविधताएं हैं। फिर भी यहां के लोगों की एकता, विश्व में एक मिसाल है। गुजरात के अहमदाबाद स्थित मोटेरा स्टेडियम में बोलते हुए ट्रंप ने पीएम मोदी की जम कर तारीफ की। मोदी की तारीफ करते हुए ट्रंप अचानक रुके और पीएम मोदी से हाथ मिलाने लगे। पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

    चायबाला कह कर ली चुटकी

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान कहै कि हम इस शानदार स्वागत को हमेशा याद रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत हमारे दिलों में एक विशेष स्थान रखेगा। पीएम मोदी की ओर देख कर चुटकी लेते हुए कहा कि चाय वाले ने बेहतरीन शुरुआत की है। कहा कि पीम मोदी ने चाय बेचने वाले के रूप में काम किया और आज दुनिया में भारत की पहचान बन चुकें हैं। हर कोई उनसे प्यार करता है। मैं आपको यह बताऊंगा कि वह बहुत सख्त हैं और उनको साधना आसान नहीं है।

    विविधताओं का देश है भारत

    ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में काफी सारी विविधताएं हैं। फिर भी यहां के लोगों की एकता विश्व में एक मिसाल है। इतना ही नहीं ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान दीवाली, होली, भांगड़ा, सचिन तेंडुलकर, विराट कोहली और बॉलिवुड फिल्म शोले के साथ ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ का भी जिक्र किया। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

    ट्रंप ने दी दोस्ती की मिशाल

    ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका की दोस्ती आज से पहले इतनी मजबूत कभी नहीं रही, जितनी अभी है। उन्होंने कहा कि हम भारत के लोगों को पसंद करते हैं और यहां के लोगों को प्यार करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान की धरती है। यहां की संस्कृति काफी महान है। पीएम मोदी एक टफ निगोशिएटर हैं। फिर भी उनके साथ बातचीत करके हम एक ट्रेड डील की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

    कट्टर इस्लामिक आतंकवाद

    ट्रंप ने कट्टर इस्लामिक आतंकवाद को दुनिया के लिए खतरा बतातें हुए कहा कि अमेरिका और भारत साथ मिल कर इस समस्या का समाधान करेंगे। उन्होंने कई आतंकी सरगना का नाम लेते हुए कहा कि अमेरिका मानवता के दुश्मन को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। हालांकि, उन्होंने इस दौरान पाकिस्तान का नाम लेकर कहा कि हम सभी मिल कर इस क्षेत्र में शांति कायम करने का प्रयास करेंगे।

    विश्वास नई ऊंचाई बना इतिहास : मोदी

    गुजरात के अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने अभी जो भारत के बारे में कहा, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, स्वामी विवेकानंद को श्रद्धापूर्वक याद किया, भारत के लोगों के सामर्थ्य, उपलब्धियां और संस्कृति के बारे में कहा, मेरे बारे में भी काफी कुछ कहा। मैं हर भारतवासी की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मोदी ने कहा कि दो व्यक्ति हों या दो देशों के संबंध, उसका सबसे बड़ा आधार होता है, विश्वास। पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच विश्वास जिस नई ऊंचाई में पहुंचा है, वो ऐतिहासिक है। अमेरिका की अपनी यात्राओं में मैंने इस विश्वास को दिनों-दिन बढ़ते हुए देखा है।

    भारत बना रहा है वल्ड रिकॉर्ड

    पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत एक साथ सबसे ज्यादा सैटेलाइट भेजने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहा है। आज भारत सबसे तेज वित्तीय समावेशन करके भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बना रहा है। आज जो देश भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, वो देश है अमेरिका। आज भारत की सेनाएं जिस देश के साथ सबसे ज्यादा युद्ध अभ्यास कर रही हैं- वो है अमेरिका। आज जिस देश के साथ भारत की सबसे व्यापक रीसर्च एंड डवलपमेंट पार्टनरशिप है- वो है अमेरिका।

    भारत माता का जयघोष

    इससे पहले पीएम मोदी ने नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता की जय के नारे के साथ की। ट्रंप को दोस्त कहकर संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वह अमेरिका की लंबी यात्रा करके आए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि आज मोटेरा स्टेडियम में एक नया इतिहास बन रहा है। आज हम इतिहास को दोहराते हुए भी देख रहे हैं। इस कार्यक्रम का जो नाम है ‘नमस्ते’ उसका मतलब भी बहुत गहरा है। ये दुनिया कि प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका भाव है कि सिर्फ व्यक्ति को ही नहीं, उसके भीतर व्याप्त देवता को भी नमन।

    विश्व एक परिवार

    पीएम मोदी ने कहा कि एक स्वतंत्र लोगों की ज़मीन है, तो दूसरा पूरे विश्व को एक परिवार मानता है। एक को स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी पर गर्व है तो दूसरे को, दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा- सरदार पटेल की स्टेचू ऑफ यूनिटी का गौरव है। पीएम ने कहा कि प्रेसिडेंट ट्रंप की ये यात्रा, भारत और अमेरिका के संबंधों का नया अध्याय है। एक ऐसा अध्याय, जो अमेरिका और भारत के लोगों की प्रगति और समृद्धि का नया दस्तावेज बनेगा। उन्होंने कहा कि मेलानिया कहती हैं- बी बेस्ट! आपने अनुभव किया होगा कि आज के स्वागत समारोह में भी लोगों की यही भावना प्रकट हो रही है। अमेरिका की पहली लेडी मेलानिया ट्रंप, आपका यहां होना सम्मान की बात है। हेल्थी और हैप्पी अमेरिका के लिए आपने जो किया है, उसके अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। समाज में बच्चों के लिए आप जो कर रही हैं, वो प्रशंसनीय है।

     

     

     

     

  • भारत आने से पहले हिंदी में आया ट्रंप का ट्वीट, जानें दूसरी 10 बड़ी बातें

    भारत आने से पहले हिंदी में आया ट्रंप का ट्वीट, जानें दूसरी 10 बड़ी बातें

    KKN न्यूज ब्यूरो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप रास्ते में हैं। उन्होंने हिन्दी में ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि वह थोड़ी देर में भारत पहुँच जाएंगे। उनके साथ पत्नी मेलानिया, बेटे डोनाल्ड जूनियर, एरिक ट्रंप और बेटी इवांका भी हैं। उनके साथ कई विभागों के प्रमुख भी हैं जो भारतीय प्रतिनिधियों से मिलेंगे।

    ट्रंप वहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अहमदाबाद एयरपोर्ट से मोटेरा स्टेडियम तक 22 किमी लंबा रोड शो करेंगे। उसके बाद ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में मोदी के साथ लोगों को संबोधित करेंगे। इसके बाद वह ताजमहल देखने के लिए आगरा जाएंगे।

    Also Look :
    पाकिस्तान को आतंकियो पर करनी होगी कारवाई : व्हाइट हाउस
    
    कांटी : प्रीपेड मीटर को लेकर सुलग रहा है असंतोष
    
    वैशाली: कैसे बना गणतंत्र की जननी, देखिए पूरी रिपोर्ट

     

  • पाकिस्तान को आतंकियो पर करनी होगी कारवाई : व्हाइट हाउस

    पाकिस्तान को आतंकियो पर करनी होगी कारवाई : व्हाइट हाउस

    भारत और पाक के बीच तनाव कम करने का यही मौका

    KKN न्यूज ब्यूरो। अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत से बातचीत के लिए पाकिस्तान को आतंकियों पर कारवाई करनी होगी। व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने को अपनी प्राथमिकता सूची में रखते हैं। इसके साथ ही व्हाइट हाउस ने इंगित किया कि दोनों देशों के बीच वार्ता तभी सफल होगी जब पाकिस्तान अपने देश में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई करे।

    मध्यस्थता से इनकार

    ट्रम्प की आगामी भारत यात्रा के दौरान कश्मीर मुद्दे पर फिर मध्यस्थता की पेशकश किए जाने पर एक सवाल के जवाब में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि मुझे लगता है कि आप राष्ट्रपति से जो सुनेंगे वह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए काफी प्रेरित करने वाला होगा। दोनों देशों को अपने मतभेदों को हल करने के लिए एक-दूसरे के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के वास्ते प्रेरित करने वाला होगा।

    24 फरबरी को भारत आयेंगे ट्रंप

    अमेरिका के राष्टपति डोनाल्ड ट्रम्प और अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रम्प का 24 फरबरी को भारत आ रहें हैं और यहां दो रोज तक रहेंगे। इस बीच 24 और 25 फरवरी को अहमदाबाद, आगरा तथा नयी दिल्ली जाने का कार्यक्रम है। उनके साथ 12 सदस्यीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल भी होगा। अधिकारी ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी सफल बातचीत की नींव पाकिस्तान के रुख पर निर्भर करता है। पाकिस्तान को अपने क्षेत्र में आतंकवादियों और चरमपंथियों पर कार्रवाई करने से दोनो देशो के बीच के संबंधो में सुधार आ सकता है। अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर एक सवाल के जवाब में अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिका भारत को प्रेरित करेगा कि वह इस शांति प्रक्रिया का समर्थन करे।

    Also Watch :

    कांटी : प्रीपेड मीटर को लेकर सुलग रहा है असंतोष
    वैशाली: कैसे बना गणतंत्र की जननी, देखिए पूरी रिपोर्ट
    रुन्नीसैदपुर: बाढ़ की समस्या बिगाड़ सकती है सियासी समीकारण
    बृद्धाश्रम की घुटन से निकली सिसकियां, जिम्मेदार कौन?
    मीनापुर : सरकारी योजनाओं की हकीकत बयां करतें लोग
  • दुनिया की रखवाली का ठेका अमेरिका के पास नहीं:डोनाल्ड ट्रंप

    दुनिया की रखवाली का ठेका अमेरिका के पास नहीं:डोनाल्ड ट्रंप

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दुनिया की रखवाली का ठेका नहीं ले सकता। इराक की अपनी पहली यात्रा के दौरान उन्होंने दूसरे देशों से भी जिम्मेदारियां बांटने के लिए आग्रह किया।


    इराक पहुंचे ट्रंप


    इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों से अचानक मिलने पहुंचे ट्रंप ने युद्धग्रस्त सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले का बचाव किया और कहा कि इसमें अब कोई देरी नहीं होगी। अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करने के बाद ट्रंप ने बगदाद के पश्चिम में स्थित एअर बेस पर ट्रंप ने पत्रकारों को संबोधित किया।


    अमेरिका पर आतंकी हमला बर्दाश्त नहीं


    यह अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप की पहली इराक यात्रा है। वह प्रथम महिला मेलानिया के साथ इराक के औचक दौरे पर पहुंच कर पूरी दुनिया को चौका दिया है। इस मौके पर ट्रंप ने कहा कि अमेरिका पर कोई और आतंकवादी हमला हुआ तो उसका करारा जबाव देंगे। उन्होंने सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने और बाकी क्षेत्रीय देश खासकर तुर्की पर आईएस के खिलाफ काम पूरा करने की जिम्मेदारी छोड़ने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह ठीक नहीं है कि सारा बोझ अकेले अमेरिका पर डाल दिया जाए।