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  • कोरोना काल में कुछ अच्छा भी हुआ है

    कोरोना काल में कुछ अच्छा भी हुआ है

    पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस लॉकडाउन के कारण जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था खतरे में है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण में सुधार देखा जा रहा है। आसमान जहां धुएं और जहरीली धूल-कणों से भरा दिखता था, वहीं अब नीला और बिल्कुल साफ दिखता है। नदियों का पानी स्वच्छ हो गया है। जिस गंगा को करोड़ों रुपयों का अभियान स्वच्छ ना कर सका, उसे 21 दिन के लॉकडाउन ने स्वच्छ कर दिया।

    इस चकाचौंध के दौर में हम विकास तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही पर्यावरण का नुकसान भी कर रहे हैं।

    जब कोरोना जैसी कोई महामारी आती है, तो हम उसके विरुद्ध कठोर से कठोर तत्कालिक फैसला लेते हैं, लेकिन जहां वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की जाने जाती हैं, तो उसके बारे में हम कुछ नहीं सोचते। कोरोना ने हमें सिखाया है,  कि हमें विकास के इस दौर में अपने पर्यावरण को नहीं भूलना होगा, ताकि पर्यावरण की स्वच्छता हमेशा बनी रहे।

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  • लॉकडाउन से वातावरण हुआ स्वच्छ

    लॉकडाउन से वातावरण हुआ स्वच्छ

    कुदरत ने खुद को किया रीफ्रेश

    KKN न्यूज ब्यूरो। लॉकडाउन के बीच आर्थिक नुकसान जरूर हो रहा है। इस बीच एक सुकून भरी खबर भी है। गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगने और ज्यादातर कारखानें बंद होने के बाद दुनिया समेत देश के कई शहरों की हवा की क्वालिटी में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। जिन शहरों की एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI खतरे के निशान से ऊपर होते थे। वहां आसमान गहरा नीला दिखने लगा है।

    प्रदूषण कम हुआ

    दुनिया भर में लॉकडाउन की स्थिति में रहने वाले 300 करोड़ से अधिक लोगों के साथ, वैश्विक अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र ठप हो गए हैं। परिवहन, जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाता था, उसमें गिरावट आई है। सड़कों पर वाहन नहीं चल रहे हैं और नाही आसमां में हवाई जहाज। बिजली उत्पादन और औद्योगिक इकाइयों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी गिरावट आई है।

    वायु गुणवत्ता बेहतर

    इससे वातावरण में डस्ट पार्टिकल न के बराबर हैं और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन भी सामान्य से बहुत अधिक नीचे आ गया है। इस तरह की हवा मनुष्यों के लिए बेहद लाभदायक है। इसके अलावा रुक-रुक कर हुई बारिश ने भी धूल के कण और कार्बन पार्टिकल को आसमान से जमीन पर नीचे बैठाने का काम किया। इससे भारत, चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और यूके के कई प्रमुख शहरों में जहरीली गैस का उत्सर्जन थमने से वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है।