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  • महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों में चक्रवात निसर्ग का तांंडव

    महाराष्ट्र और गुजरात के तटीय इलाकों में चक्रवात निसर्ग का तांंडव

    चक्रवात निसर्ग के महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से टकराने के बाद बुधवार की दोपहर से तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक, यह अगले तीन घंटों तक चलेगी। हवा 120 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है। निसर्ग तूफान के कारण कई जगहों पर काफी नुकसान की खबर आ रही है। कई जगहों पर पेड़ जड़ से उखड़ गए, तो वहीं कच्चे मकानों को भी काफी नुकसान हुआ है।

    निसर्ग से होने वाले तबाही को ध्यान मे रखकर मुंबई और गुजरात में रेड अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने मीडिया को बताया कि, यह चक्रवात  गंभीर रूप धारण कर सकता है। मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि, निसर्ग चक्रवात महाराष्ट्र के तट पर अलीबाग के समीप पहुंच गया है। चक्रवात के पहुंचने की प्रक्रिया अपराह्न करीब साढ़े 12 बजे प्रारम्भ हो गई थी। IMD ने एक बयान में कहा कि, ‘बादल का दाहिना हिस्सा महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, खासकर रायगढ़ जिले से होकर गुजर रहा है। यह आगामी 3 घंटे में मुंबई और ठाणे जिलों में पहुंचेगा।’ वहीं, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों से 40 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। महाराष्ट्र में लोगों को तटीय इलाकों में जाने से रोका गया है।

  • मासुम से रेप और हत्या के आरोपित को गुजरात पुलिस ने बक्सर से किया गिरफ्तार

    मासुम से रेप और हत्या के आरोपित को गुजरात पुलिस ने बक्सर से किया गिरफ्तार

    बिहार पुलिस की मदद से गुजरात पुलिस ने बक्सर में छापामारी करके मासूम का रेप और हत्या करने के आरोपित बक्सर जिला के इटराही थाना क्षेत्र के अनिल यादव को धनसोई से गिरफ्तार करके पुलिस गुजरात ले गई है। बतातें चले कि अनिल ने गुजरात के साबरकांठा में 14 महीने की एक बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दिया था।
    पीड़ित परिवार यहां गुजरात के साबरकांठा में जिस मकान के प्रथम तल पर रह रहे थे, उसी मकान के निचले तल पर अनिल यादव भी रह रहा था। बतातें चलें कि गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 माह की एक बच्ची से दुष्कर्म की घटना के बाद गुजरात में बिहारी सहित सभी उत्तर भारतीयों पर हमले शुरू हो गए थे, जिसके बाद वहां के कई इलाके से उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों ने पलायन शुरू कर दिया था और मोटे अनुमान के मुताबिक अभी तक 75 हजार बिहारी गुजरात से पलायन भी कर चुकें हैं।

  • महाराष्ट्र और असम के बाद अब गुजरात में निशाने पर है बिहारी मजदूर

    महाराष्ट्र और असम के बाद अब गुजरात में निशाने पर है बिहारी मजदूर

    KKN न्यूज ब्यूरो। महाराष्ट्र और असम के बाद अब गुजरात में बिहारी मजदूर निशाने पर आ गएं हैं। नतीजा बिहारी के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मजदूर गुजरात छोड़ कर भागने को विवश हो चुकें है। हालांकि, मौका मिलते ही राजनेता इस बाबत भी राजनीति करने लगे है और एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराने की कोई भी कसर बाकी नहीं छोरना चाहता है।

    रेप के बाद भड़का आक्रोश

    दरअसल, गुजरात के साबरकांठा जिले में एक 14 महीने की बच्ची के रेप के बाद से वहां गैर गुजराती यानी बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। अब बाहरी लोगों में डर इतना बैठ गया है कि वो गुजरात छोड़ने को विवश हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर गैर गुजरातियों के खिलाफ नफरत भरे संदेश फैलाए जाने के बाद ये हमले हुए है। हमला के डर से बड़ी संख्या में लोग भागना शुरू कर दिया है। इस बीच गुजरात पुलिस ने गांधीनगर, अहमदाबाद, साबरकांठा, पाटन और मेहसाणा जिलों में कम से कम 180 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। बावजूद इसके हमला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।

    ऐसे भड़की हिंसा

    बतातें चलें कि 28 सितंबर को साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे के पास एक गांव में 14 माह की एक बच्ची से कथित तौर पर बलात्कार हुआ था। बच्ची से बलात्कार करने वाला रविन्द्र साहू बिहार का रहने वाला है और यहा गुजरात में मजदूरी करने आया था। घटना के बाद पुलिस ने आरोपित रविन्द्र साहू को गिरफ्तार कर लिया है। किंतु, इस घटना के बाद कॉग्रेस विधायक अल्पेश ठाकुर ने सभा करके जो भाषण दिए, इससे लोगो का गुस्सा गैर गुजरातियो के खिलाफ भड़कने लगा और धीरे-धीरे हालात बेकाबू होने लगे। इस बीच स्वयं विधायक अल्पेश ठाकुर ने हिंसा को दुर्भाग्यपूण बतातें हुए हिंसा की वकालत करने से इनकार कर दिया है।

  • गुजरात में ट्रक पुल से नीचे गिरा, 28 की मौत

    गुजरात में ट्रक पुल से नीचे गिरा, 28 की मौत

    गुजरात। गुजरात के भावनगर जिले के उमराडा में एक जबरदस्त सड़क हादसे में 28 लोगो की मौत हो गई और करीब 35 लोग जख्मी बताए जा रहें हैं।

    बताया जा रहा है कि सुबह पालीताना से बारात लेकर जा रहा एक ट्रक गेंडिया नाले के पुल पर अचानक बेकाबू होकर पलट गया। इस हादसे में ट्रक में सवार 28 लोगों की मौके पर ही मौत हो गयी। 35 से ज्यादा लोग जख्मी बताए जा रहे हैं।
    हादसा इतना जबरदस्त था कि नाले में गिरने के बाद ट्रक के चारों पहिए ऊपर हो गए और लोग उसके नीचे दब गए। पुलिस ने सभी शवों और जख्मी लोगो को नाले से निकाला लिया है। जख्मी लोगों को भावनगर के हॉस्पिटल्स में भर्ती किया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि यह हादसा ड्राइवर को झपकी लगने की वजह से हुआ।
    इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर हादसे में मृतकों के परिवार और जख्मियों के प्रति गहरी संवेदना व्‍यक्‍त की है। पीएम ने सभी घायलों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की है।

  • विजय रूपाणी होंगे गुजरात के सीएम

    विजय रूपाणी होंगे गुजरात के सीएम

    विधायक दल की बैठक में हुआ निर्णय

    गुजरात। गुजरात में नव निर्वाचित भाजपा विधायक दल ने विजय रूपाणी को अपना नया नेता चुन लिया है। लिहाजा, गुजरात में विजय रूपाणी का दूसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है। इसके साथ ही, नितिन पटेल भी उप-मुख्यमंत्री के पद पर बने रहेंगे। पर्यवेक्षक के तौर पर वित्तमंत्री अरुण जेटली और सरोज पांडे गए थे। मुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर से अपना नाम का ऐलान होने के बाद मीडिया से मुखातिब हुए विजय रूपाणी ने इसे पार्टी की बड़ी जीत बताते हुए कहा कि लोगों ने हमे 27 वर्षों के लिए जनादेश दिया है। इतने वर्षों तक लोगों ने हमारे ऊपर भरोसा किया है। यह बहुत बड़ी बात है।

    विधायक दल की बैठक के बाद गांधीनगर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए अरूण जेटली ने कहा कि सर्वसम्मति से विजय रूपाणी को विधायक दल का नेता चुना गया है जबकि नितिन भाई पटेल को उसका उप-नेता चुना गया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही शपथ के बारे में बता दिया जाएगा। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में 182 में से 99 सीटें मिली है। इसके साथ, एक निर्दलीय विधायक ने भी अपना समर्थन दिया है। विजय रुपाणी और नितिन भाई पटेल का मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री पद के लिए नाम की घोषणा होते ही गांधीनगर में पार्टी दफ्तर के बाहर जश्न का माहौल शुरु हो गया। पार्टी समर्थक ढोल की थाप पर नाचते हुए नजर आए।

  • गुजरात में क्या है एक्जिट पोल के मायने

    गुजरात में क्या है एक्जिट पोल के मायने

    जानिए सर्वे के अंदर की खबर

    गुजरात। दरअसल एक्जिट पोल के दौरान सिर्फ सीटो पर जीत और हार का अनुमान ही नही लगाया जाता। बल्कि, मतदाताओं की रुझान और सोच का भी पता लगाने की कोशिश होती है। इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एक्जिट पोल से गुजरात के मतदाताओं के सोच की दिलचस्प बानगी सामने आई है। हालिया सर्वे में इसी तरह के कई चौकाने वाले नतीजे सामने आयें हैं।
    बतातें चलें कि गुजरात के आदिवासी इलाके लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए बड़ा सपना रहा है कि गुजरात के आदिवासी वोटरों पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ को कमजोर किया जाए। सर्वे की सबसे मजेदार खुलाशा यही से शुरू होता है। मोदी-शाह का ये सपना आखिरकार 2017 चुनाव में साकार होता प्रतीत हो रहा है। अनुमान है कि आदिवासी वोटों का 48 फीसदी हिस्सा बीजेपी की झोली में आ रहा है। वहीं कांग्रेस को आदिवासियों का सिर्फ 42 फीसदी वोट शेयर ही मिलता नजर आ रहा है।
    यदि यह सच हुआ तो गुजरात के आदिवासी वोटरों का समर्थन हासिल करने में कांग्रेस पर बीजेपी बढ़त लेने जा रही है। गुजरात में आदिवासियों के प्रभाव वाली 28 सीटों में से बीजेपी को 17 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं कांग्रेस को महज 11 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है। यही वह अंकगणित है, जिसके सहारे बीजेपी के लिए सत्ता तक पहुंचने का मार्ग खुल गया है। सर्वे की माने तो सौराष्ट्र और कच्छ में हुए नुकसान को बीजेपी झेल पा रही है तो इसका एक बड़ा कारण गुजरात के आदिवासियों को लुभा कर अपने पाले में लाने की कामयाबी मानी जा रही है।
    जीएसटी को लेकर कारोबारियों की नाराजगी ने बेशक बीजेपी नेतृत्व को रह-रह कर झटके दिए, लेकिन अंत में पार्टी अपने पारंपरिक व्यापारी वोट बैंक को अपने पाले में कर अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब होती दिख रही है। कारोबारियों के मन में आशंका रही कि कांग्रेस सत्ता में वापस आती है तो कहीं लतीफ राज यानी अस्सी-नब्बे के दशक में गुजरात में सक्रिय रहे गैंगस्टर अब्दुल लतीफ का खौफ, दंगे, कर्फ्यू, अराजकता जैसे हालात फिर ना लौट आएं। इसी डर ने कारोबारियों को बीजेपी से जोड़े रखने में मदद की।
    गुजरात की 55 शहरी सीटों में से बीजेपी 42 सीटों पर जीत का परचम फहरा कर शानदार प्रदर्शन करने जा रही है। वहीं शहरी क्षेत्रों की सिर्फ 13 सीटों के वोटरों की ओर से ही कांग्रेस पर भरोसा रखने का अनुमान है। अहमदाबाद की 16 सीटों में से बीजेपी के खाते में 13 सीट जाने का अनुमान है। इसी तरह सूरत की 9 सीटों में से बीजेपी को 8 पर जीत मिलने के आसार है। वडोदरा के शहरी क्षेत्र की सभी 5 की 5 सीट बीजेपी की झोली में जाती नजर आ रही हैं। एक गुजराती के देश का प्रधानमंत्री होने के गौरव ने राज्य के शहरी क्षेत्रों में वोटरों पर बड़ा प्रभाव डाला है। सीधी भाषा में कहे तो गुज्जू भाई ने एक साथी गुज्जु का साथ छोड़ना मुनासिब नहीं समझा।
    पाटीदारों के बीच फैले गुस्से का भी इस चुनाव पर असर से इनकार नही किया जा सकता है। सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात में वास्तव में पाटीदार बीजेपी के पाले से छिटकते नजर आ रहे हैं। सौराष्ट्र और कच्छ की 54 सीटों पर लेउवा पटेलों में 56 फीसदी और कडवा पटेलों में 60 फीसदी मतदाताओं ने कांग्रेस के लिए वोट किया। यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि, अमूमन पटेल बीजेपी का परंपरागत वोट माना जाता रहा है। इसके अतिरिक्त उत्तर गुजरात की 32 सीटों पर भी कमोवेश ऐसी ही हालत रहने के आसार है। इन सीटों पर कांग्रेस ने बीजेपी पर 6 फीसदी अधिक वोटों से बढ़त बनाई हुई है।
    सर्वे का अध्ययन करने से साफ हो जाता है कि सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तर गुजरात में बीजेपी को जो भी नुकसान होगा उसकी भरपाई उसने दक्षिण और मध्य गुजरात के साथ अहमदाबाद की सीटों पर कर ली है। मध्य गुजरात की 40 सीटों की बात की जाए तो लेउवा पटेलों में 62 फीसदी और कडवा पटेलों में 58 फीसदी ने बीजेपी के लिए वोट किया। यहां कांग्रेस लेउवा पटेलों में महज 27 फीसदी और कडवा पटेलों में 31 फीसदी वोटरों का ही समर्थन हासिल कर सकी है। ठीक इसके विपरित दक्षिण गुजरात की 35 सीटों पर भी बीजेपी के लिए बम्पर समर्थन वाली स्थिति बन रही है। यहां पटेलों ने बीजेपी को कांग्रेस की तुलना में 25 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने का अनुमान है। बहरहाल, यह सभी विश्लेषण एक अनुमान के आधार पर है। हकीकत इसी महीने की 18 तारीख को सबके सामाने आने वाली है।

  • गुजरात: दूसरे चरण की वोटिंग जारी

    गुजरात: दूसरे चरण की वोटिंग जारी

    गुजरात। गुजरात विधानसभा के दूसरे और अंतिम चरण चरण के लिए मतदान आज सुबह 8 बजे से जारी है। इस चरण में 14 जिलों की 93 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर मतदाताओं से वोट डालने की अपील की है। पहले चरण में 9 दिसंबर को 66.75 प्रतिशत मतदान हुआ था जो पिछली बार से चार प्रतिशत कम था। चुनाव परिणाम 18 दिसंबर को घोषित होने है।
    दूसरे चरण की विधानसभा सीटों पर करीब 2.22 करोड़ मतदाता हैं। इसमें पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या युवा मतदाताओं की है। करीब 50 फीसदी मतदाता ऐसे हैं, जिनकी उम्र 40 साल से भी कम है। दूसरे चरण में शामिल कुल उम्मीदवारों में 69 महिलाएं भी मैदान में उतर रही हैं।

  • गुजरात: पहले चरण का मतदान पूरा

    गुजरात: पहले चरण का मतदान पूरा

    977 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में बंद

    गुजरात। सत्ता संग्राम का केन्द्र बन चुका गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान शनिवार को खत्म हो गया। इस चरण में 182

    बूथ पर सेल्फी लेती महिलाएं

    में से 89 सीटों पर वोटिंग हुई है। पहले चरण में शाम चार बजे तक 74 फीसदी मतदान होने की खबर मिली है। पहले चरण में कच्छ, मोरबी, जामनगर, सुरेंद्र नगर, देवभूमि द्वारका, राजकोट, बोटाड, पोरबंदर, जूनागढ़, अमरेली, गिर सोमनाथ, भावनगर, भरूच, नर्मदा, सूरत, तापी, नवसारी, डांग और वलसाड जिलों में कुल 977 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इन 89 सीटों में से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास 67 और कांग्रेस के पास 16 सीट है। एक सीट एनसीपी और एक जेडीयू के पास है। जबकि बाकी बची दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार हैं। गुजरात विधानसभा के दूसरे चरण के तहत 14 दिसंबर को मतदान होगा और मतगणना 18 दिसंबर को होगी। बतातें चलें कि गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम पर पूरे देश ही नही, बल्कि, दुनिया की नजर टिकी हुई है।

  • गुजरात विधानसभा चुनाव में हैं 397 करोड़पति उम्मीदवार

    गुजरात। गुजरात विधानसभा चुनाव में कुल 397 उम्मीदवार करोड़पति हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और गुजरात इलेक्शन वॉच (जीईडब्ल्यू) की रिपोर्ट के मुताबिक दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 1828 उम्मीदवारों में से 1098 ने या तो बारहवीं कक्षा या उससे भी कम पढ़ाई की है। महिला उम्मीदवारों की कुल संख्या 118 है।
    चुनावी हलफनामे के विश्लेषण के मुताबिक पहले चरण के चुनाव में उतरने वाले कुल 977 उम्मीदवारों में से 198 ने एक करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है। दूसरे चरण के कुल 851 उम्मीदवारों में से 199 करोड़पति हैं। इस अध्ययन के मुताबिक 397 करोड़पति उम्मीदवारों में से 131 ने पांच करोड़ रुपये की संपत्ति की घोषणा की है। जबकि 124 अन्य उम्मीदवारों ने दो करोड़ रुपये से पांच करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति घोषित की है।
    जानकारी के मुताबिक सत्तारूढ़ बीजेपी ने 142 करोड़पति उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। जबकि, विपक्षी कांग्रेस की ओर से ऐसे 127 उम्मीदवार हैं। राकांपा ने 17 करोड़पति उम्मीदवारों को उतारा है। जबकि, आप के 13 उम्मीदवार और बसपा के पांच उम्मीदवार करोड़पति हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 56 निर्दलीय उम्मीदवार भी करोड़पति हैं। सबसे अमीर उम्मीदवार दसकरोई सीट से कांग्रेस के पंकज पटेल हैं। उनकी कुल संपत्ति 231.93 करोड़ रुपये है। उनके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस के ही राजकोट-वेस्ट सीट से इंद्रनील राजगुरू हैं। उनकी कुल संपत्ति 141.22 करोड़ रुपये है।
    तीसरे नंबर पर बोटाड सीट से बीजेपी उम्मीदवार सौरभ पटेल हैं। वह गुजरात के पूर्व वित्त मंत्री भी हैं। उनकी कुल संपत्ति 123.78 करोड़ रुपये है। इसके ठीक विपरीत छह निर्दलीय उम्मीदवारों ने घोषणा की है कि उनके पास कोई चल-अचल संपत्ति नहीं है। शैक्षणिक योग्यता के मामले में, 1098 उम्मीदवार बारहवीं कक्षा पास है। वहीं 119 उम्मीदवारों ने कहा कि वह महज साक्षर हैं और 23 उम्मीदवारों ने खुद को निरक्षर बताया। पहले चरण का मतदान आज संपन्न हो गया। दूसरा चरण 14 दिसंबर को है और मतगणना 18 दिसंबर को होगी।

  • गुजरात चुनाव के दौरान चर्चा में अजिबेन

    गुजरात चुनाव के दौरान चर्चा में अजिबेन

    126 साल की उम्र में करेंगी वोट

    गुजरात। गुजरात चुनाव में एक महिला मतदाता चर्चा में है। दरअसल, राजकोट की गलियों में एक ऐसी वोटर हैं, जो सबसे उम्रदराज हैं और जिन्हें फोटो खिंचवाने का भी शौक है। यह मतदाता है उपलेता क्षेत्र की 126 साल की अजीबेन चंद्रवादिया की। अजिबेन 6 लड़कियों और 1 लड़के की मां है। इतनी बूढ़ी होने के बाद भी वह किसी भी प्रकार की छड़ी का इस्तेमाल नहीं करती हैं और ना ही उन्हें किसी प्रकार की बीमारी है। वह चश्में का प्रयोग भी नहीं करती हैं। उनकी परिवार वाले उन्हें पोलिंग बूथ पर ले जाने को लेकर काफी उत्सुक है।
    चौथी पीढ़ी के बेटों, बेटियां, नाती-पोतियों और पोते वाली इस दादी मां के जन्म के समय उनका 65 सदस्यों वाला भरापूरा परिवार था। उन्हें अपने बचपन का सिर्फ 1956 में पड़ा सूखा याद है। आज उनकी अधिकांश यादें गायब हो गई हैं। लेकिन सूखे के दिनों को याद करते हुए वह जल प्रबंधन, भोजन और काम के मामलों के बारे में बताती हैं।

    जब अजिबेन से वोट डालने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘भाइला वोट देना ही पड़ेगा’। दोनों राजशाही और लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की प्रत्यक्षदर्शी रहने वाली अजिबेन आज भी गृहस्थी का काम करती हैं और तेजी से बात करती हैं। वोट डालने को वह पूरी तरह तैयार हैं। अजीबेन चंद्रवादिया के पति को मरे हुए 40 साल से ज्यादा हो गए हैं और 21 सदस्यों के बडे़ परिवार में रहती हैँ।

  • एक सर्वे से हुआ गुजरात के मतदाताओं के मिजाज का खुलाशा

    वोटिंग से पहले कैंडिडेट्स की जाति और धर्म को देते है प्राथमिकता

    गुजरात। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सर्वे से गुतरात के मतदाताओं के मिजाज का खुलाशा हुआ है। दरअसल, गुजरात का वोटर जब भी वोट देने के लिए जाता है तो वह सबसे पहले कैंडिडेट्स के जाति और धर्म को प्राथमिकता देता हैं। चुनाव और राजनीतिक दलों पर अध्ययन करने वाले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के ताजा सर्वे से यह बात सामने आयी है।
    एडीआर ने चुनाव को प्रभावित करने वाले पांच कारकों का सर्वे किया। इस सर्वे में देश की 527 लोक सभा क्षेत्रों के दो लाख 70 हजार लोग शामिल हुए थे। ये सर्वे इसी साल जनवरी से अप्रैल के बीच हुआ था। एडीआर ने देश की मतदाताओं की प्राथमिकता के समझने के लिए ये सर्वे किया था। सर्वे में गुजरात से जुड़े आंकड़े सोमवार को जारी हुए है।
    सर्वे के अनुसार गुजरात में मतदाता सबसे ज्यादा अहमियत प्रत्याशी की जाति और धर्म को देते हैं। इनके बाद वो लोक सभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को प्राथमिकता देते हैं। एडीआर के सर्वे में वोट देने के लिए महत्वपूर्ण होने के मामले में गुजरातियों ने जाति-धर्म को 10 में औसतन 8.27 अंक दिए। वहीं प्रत्याशी को मतदाताओं ने 10 में केवल 4.58 अंक दिए। इसके अलावा सीएम या पीएम उम्मीदवार और चुनाव से पहले बांटे जाने वाले उपहार भी गुजराती मतदाताओं के लिए वोट देने के अहम प्रेरक बताए गये है।

  • गुजरात में सिंहासन तक पहुंचने के पांच प्रमुख मार्ग

    गुजरात में सिंहासन तक पहुंचने के पांच प्रमुख मार्ग

    बीजेपी लगायेगी हैट्रीक या कॉग्रेस की होगी वापसी?

    गुजरात में 9 और 14 दिसंबर को मतदान कराए जाएंगे /गुजरात चुनाव में 18 दिसंबर को मतगणना होगी/ गुजरात में 182 सीटों पर होने हैं विधानसभा चुनाव/

    कौशलेन्द्र झा

    गुजरात। गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही सत्ता के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस की तरफ से पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। वही, बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के संयुक्त नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रियों की फौज डेरा जमाए हुए हैं।
    दोनों दल जातीय समीकरण साधने के साथ लुभावने वादों और धर्म के आधार पर वोटरों को अपने पाले में करने की जुगत में हैं। दिलचस्प बात यह है कि लंबे समय बाद गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आक्रामक रुख अपनाए हुए है। सोशल मीडिया पर कैंपेन से लेकर रैलियों और जातीय समीकरण बिठाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ा जा रहा है। बीजेपी अपने काम के दम पर वोटरों का विश्वास हासिल करने की कोशिश में है। वही, कॉग्रेस ने बीजेपी पर विकास से मुकर जाने का आरोप लगाते हुए हमले तेज कर दिए हैं। ऐसे में हम आपका ध्यान उन पांच मुद्दों पर ले जाना चाहते हैं, जिसके इर्द-गिर्द गुजरात में चुनाव प्रचार चल रहे हैं।
    पाटीदार आरक्षण
    पहली बार गुजरात चुनाव में पाटीदार समाज सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। हार्दिक पटेल समेत पाटीदार समाज के कई नेता बीजेपी को लेकर गुस्सा जाहिर कर चुके हैं। यहां बताना जरूरी है कि गुजरात में विधानसभा की 182 सीटों में से 60 पर पाटीदार वोटरो का अहम रोल हैं। पाटीदार समाज के लोगे ओबीसी कैटेगरी के तहत आरक्षण मांग रहे हैं। जबकि, अन्य दूसरी ओबीसी जातियां इसके विरोध में हैं। कांग्रेस ने पाटीदारों को आरक्षण देने की बात तो कही है, लेकिन हार्दिक के अल्टीमेटम के बाद भी स्पष्ट तौर पर कोई रोडमैप नहीं बताया है। कांग्रेस ने ये जाहिर नहीं किया है कि आखिर वे किस कानूनी तरीके से पाटीदारों को आरक्षण देंगे? इस बीच सत्ताधारी बीजेपी ने पाटीदार समाज के वरुण और रेशमा को पार्टी में शामिल कराकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है।
    जीएसटी
    कारोबारियों का राज्य कहे जाने वाले गुजरात में जीएसटी यानी वस्तु एंव सेवाकर, चुनाव में बड़ा मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार अपनी रैलियां में जीएसटी के मुद्दे को उठा रहे हैं। सूत्र बतातें हैं कि गुजरात के कपड़ा व्यापारी सरकार से टेक्सटाइल उद्योग पर 5 फीसदी के जीएसटी लगाने के फैसले से खुश नही है। इस फैसले के विरोध में यहां के लाखों कारोबारी प्रदर्शन भी कर चुके हैं। कॉग्रेस ने भाजपा के इसी दुखती नस पर हाथ डाल दिया है। इस बीच केंद्र सरकार ने आभूषणों की 2 लाख रुपए तक की खरीद पर PAN कार्ड की अनिवार्यता खत्म करके कारोबारियो का भरोसा फिर से हासिल करने की कोशिश की है। इसके अलावा ज्वेलरी कारोबार को मनी लांड्रिंग केस से बाहर करके केन्द्र बड़ा दाव खेल दिया है। इन दोनों फैसलों से गुजरात के सर्राफा कारोबारियों को राहत देने की कोशिश की गई है। हालांकि, जानकार मानतें हैं कि गुजरात का टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े कारोबारी अब भी भाजपा से नाराज हैं।
    बेरोजगारी
    गुजरात की गिनती विकसित राज्यों की जाती है। लेकिन, हाल के वर्षो में यहां के ओबीसी युवाओं के बीच बेरोजगारी बड़े पैमाने पर बढ़ी है। रोजगार के लिए आंदोलन कर रहे ओबीसी समाज के करीब 700 युवाओं को रोकने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सख्त निर्णय लेने पड़े थे। नतीजा, बेरोजगारी के चलते ही ओबीसी समाज ने आंदोलन की राह पकड़ रखी है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को भांपते हुए ही बेरोजगारी भत्ता के अलावा युवाओं को स्मार्टफोन देने का भी प्रलोभन देकर बड़ा दाव खेल दिया है। अब देखना है कि इसका चुनाव पर क्या असर क्या पड़ता है?
    संविदा कर्मचारी
    गुजरात सहित पूरे देश में आज भी युवा वर्ग सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते है। लिहाजा, लोग संविदा पर भी सरकारी नौकरी करने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे सोच रखने वाले लोगों में ज्यादातर ग्रामीण और मध्यम आय वाले परिवार से जुड़े युवा शामिल होते हैं। गुजरात में मौजूदा और पिछली सरकारों ने कम खर्च में काम चलाने के लिए बड़े पैमाने पर शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और कर्मचारियों की संविदा पर भर्ती की हुई है। इन्हें निश्चित मानदेय का भुगतान होता है। अब यही लोग मौजूदा सरकार के गले की फांस बन गए हैं। वे समान काम के लिए समान वेतन की डिमांड कर रहे हैं। पिछले तीन साल में ये छिटपुट तरीक से आंदोलन भी करते रहे हैं और इस चुनाव में इस असर से भी इनकार नही किया जा सकता है।
    दलितों पर हमले
    गुजरात चुनाव में इस बार पाटीदारों के अलावा दलित बड़ा मुद्दा बन गया है। आनंद जिले में एक अक्टूबर को गरबा आयोजन में शामिल होने पर एक समूह ने कथित तौर पर दलित युवक प्रकाश सोलंकी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। गांधीनगर के कलोल के लिंबोदरा गांव में कथित तौर पर मूंछ रखने पर 17 और 24 साल के दो युवकों के साथ मारपीट हुई थी। लिहाजा, दशहरा पर अहमदाबाद में 300 दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म कबूल करके अपने आक्रोश का इजहार किया था। दरअसल, गुजरात में दलितों की जनसंख्या 7.1 फीसदी है। यही कारण है कि कांग्रेस गुजरात चुनाव में दलित के मुद्दे को जोर शोर से उठा रही है। दूसरी ओर भाजपा ने कट्टर राष्ट्रवाद, भ्रष्टाचार और विकासवाद को मुद्दा बना कर कॉग्रेस को हासिए पर धकेलने की पुरजोर कोशिश शुरू कर दी है। बहरहाल, गुजरात के मतदाताओं के फैसले पर पूरे राष्ट्र की नजर है। अब देखना है कि गुजरात के मतदाता को पीएम मोदी की बातो पर अधिक भरोसा है या कॉग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर…?

  • गुजरात में महासंग्राम का हुआ ऐलान

    गुजरात में महासंग्राम का हुआ ऐलान

    9 और 14 दिसंबर को होगा मतदान, 18 दिसंबर को आयेगा परिणाम

    गुजरात। गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया। चुनाव आयोग इस बार मतदान के दौरान वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल करेगा। मतदान 9 और 14 दिसंबर को होगा, जबकि 18 दिसंबर को परिणामो की घोषाणा होगी।
    स्मरण रहें कि चुनाव आयोग हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की पहले ही घोषणा कर चुका है और वहां भी सभी सीटों पर मतगणना 18 दिसंबर को ही होनी है। हिमाचल में चुनाव एक चरण में नौ नवंबर को होने हैं। गुजरात में दो चरणों में चुनाव होंगे। 9 दिसंबर को पहला चरण का चुनाव होगा जिसमें 89 सीटों पर मतदान होगा। जबकि दूसरे चरण का चुनाव 14 दिसंबर को होगा, इसमें 93 सीटों पर वोटिंग होगी।
    गुजरात में इस बार 4 करोड़ 33 लाख वोटर हैं। गुजरात चुनाव में इस बार वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल होगा। इन मशीनों के जरिए वोटिंग की पर्ची भी निकलती है। गुजरात में 50 हजार 128 पोलिंग बूथ है।
    जानिए, गुजरात का गणित
    गुजरात में कुल सीटों की संख्या 182 है, 2012 के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो बीजेपी को 115, कांग्रेस को 61 और अन्य को 6 सीटें मिली थीं. 2012 के वोट फीसद की बात करें तो बीजेपी को 48%, कांग्रेस को 39% और अन्य को 13 फीसदी वोट मिले थे। गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें हैं। बीजेपी के खाते सभी 26 सीटें आईं और 60 फीसदी वोट भी बीजेपी को मिला। कांग्रेस को 33 फीसदी वोट तो मिला लेकिन पार्टी उसे सीटों में तब्दील नहीं कर पाई। वहीं के अन्य के खाते में सात फीसद वोट आए थे।