टैग: Human rights

  • गांवों में भी दस्तक देने लगा है प्रदूषण…

    गांवों में भी दस्तक देने लगा है प्रदूषण…

    भारत में प्रदूषण की बड़ी वजह सिर्फ वाहन ही नहीं है। बल्कि, वैज्ञानिक साधन भी है। कारखानो से निकलने वाला जहरिला धुंआ है। सच कहें तो आपका फ्रिज, कूलर, एयरकन्डिसनर और कास्टिक सोडा प्रदूषण की बड़ी वजह है। शराब का कारखाना, एल्यूमिनियम, कॉपर और जिंक निर्माण प्रदूषण को फैलाने में अहम भूमिका निभा रही है। इतना ही नहीं रंग, उर्बरक, लोहा, कीटनाशक, पेट्रोरसायन, औषधी निर्माण, कागज निर्माण, रिफाइनरी, चीनी मील, धूलकण और कंक्रिट निर्माण आदि प्रदूषण की बड़ी वजह बन चुकी है। डीजे और ध्वनिविस्तारक यंत्र ने शहर के साथ-साथ गांवों में भी लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। कमोवेश यही हाल जल प्रदूषण का है। हालात कितना बिकड़ाल हो चुका है। इसी विषय की पड़ताल करती हमारी यह रिपोर्ट…

  • मानवाधिकार को समग्रता में समझने के लिए देखिए यह रिपोर्ट

    मानवाधिकार को समग्रता में समझने के लिए देखिए यह रिपोर्ट

    KKN न्यूज ब्यूरो। मानवाधिकार एक व्यापक और जटिल विषय है। इसके कई आयाम है। लोग अक्सर मानवाधिकार हनन की बात करते मिल जायेंगे। पर, मानवाधिकार को समग्रता में समझने का, लोगो के पास वक्त नहीं होता है। उल्टे खुद के नकारात्म सोच को समाज पर थोपने वाले अक्सर आपको मिल जायेंगे। दरअसल, मानवाधिकार को तीन विषिष्ठ आयामो में समझने की जरुरत है। पहला ये, कि मानवाधिकार है क्या? दूसरा ये, कि मानवाधिकार का हनन कब, कहां और कैसे हो रहा है? और तीसरा, मानवाधिकार आंदोलन का भटकाव या यूं कहें कि मानवाधिकार का राजनीतिकरण। दरअसल, इन तीनो आयामो को अलग-अलग समझने के लिए देखिए पूरा रिपोर्ट…

     

  • स्कूली शिक्षा में मानवाधिकार को शामिल करने की उठी मांग

    स्कूली शिक्षा में मानवाधिकार को शामिल करने की उठी मांग

    KKN न्यूज ब्यूरो। मानवाधिकार का कहीं भी हनन महसूस करें, तो आप इसे स्थायी लोक अदालत में दर्ज करा सकतें हैं। मात्र 60 रोज के भीतर फैसला हो जायेगा और इसको दूसरे किसी कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती है।

     

    लोक अदालत में उठा सकतें हैं मानवाधिकार हनन का मुद्दा

    बिहार के मुजफ्फरपुर स्थायी लोक अदालत के प्रधान न्यायाधीश एस.पी. सिंह ने उक्त बातें कहीं हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत के बिहार प्रदेश के कमिटी की ओर से होटल गायत्री पैलेस में मानवाधिकार का राजनीतिकरण विषय पर आयोजित प्रांतीय सेमिनार को संबोधित करते हुए लोक अदालत के प्रधान न्यायाधीश श्री सिंह ने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, बिजली सहित मानव मूल्यो के हनन से जुड़ी किसी भी मुद्दे पर, यदि आपको न्याय की दरकार महसूस हो तो आप लोक अदालत की शरण में आ सकतें हैं।

    मिल कर करना होगा प्रयास

    कौशलेन्द्र झा, प्रदेश अध्यक्ष
    कौशलेन्द्र झा, प्रदेश अध्यक्ष

    इससे पहले संघ के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेन्द्र झा ने कहा कि मौजूदा दौर में एक कुत्सित एजेंडा के तहत मानवाधिकार को बदनाम किया जा रहा है। मानवाधिकार को आतंकवाद और नक्सलवाद के सरंक्षक के रूप में पेश कर दिया गया है। ताकि, शिक्षा और चिकित्सा जैसे बुनियादी समस्याओं से ध्यान बांटा जा सके। कहा कि किसान और महिलाओं की समस्याओं को मानवाधिकार के दायरे में लाना होगा। प्रदेश अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि यह किसी एक व्यक्ति या संगठन के भरोसे सम्भव नहीं है। इसके लिए आवाम को स्वयं आगे आना होगा। संघ ने पाठ्य पुस्तक में मानवाधिकार को शामिल करने की मांग की है।

    इन लोगो ने रखे अपने विचार

    होटल गायत्री पैलेस, मुज. बिहार
    होटल गायत्री पैलेस, मुज. बिहार

    सेमिनार का संचालन मो. सदरुल खान ने किया और धन्यवाद ज्ञापन संघ के प्रदेश सचिव विधि प्रकोष्ठ अधिवक्ता नीरज कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर मुजफ्फरपुर एडवोकेट एसोसियशन के अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार लाल, एडवोकेट एसोसिएशन के महासचिव राम शरण सिंह, एडवोकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामबाबू सिंह, अवकाश प्राप्त कार्यपालक अभियंता राघवेन्द्र झा, संघ के प्रदेश सचिव ननील सिंह, अशोक झा, संघ के जिला अध्यक्ष भोला प्रेमी, सचिव कृष्ण माधव सिंह, सीतामढ़ी के जिला अध्यक्ष सीमा वर्मा, सचिव रानी निशा, शिक्षक सदयकांत आलोक, मुखिया अजय कुमार, पूर्व मुखिया अवध बिहारी गुप्ता, पैक्स अध्यक्ष शिवचन्द्र प्रसाद, पत्रकार संतोष गुप्ता, निषाद संघ के राजकुमार सहनी, सुरेश प्रसाद सहित कई अन्य लोगो ने अपने विचार रखे।

  • मानवाधिकार मानव के लिए क्यों जरूरी

    मानवाधिकार मानव के लिए क्यों जरूरी

    KKN न्यूज ब्यूरो। पहली बार वर्ष 2015 में संविधान दिवस को सरकारी तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया और इसके बाद देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। पूरा देश अपने संविधान के निर्माता बाबा साहेब डॉं.भीमराव अंबेडकर को याद करता है। संविधान दिवस मनाने का मकसद नागरिकों को संविधान के प्रति सचेत करना और समाज में संविधान के महत्व का प्रसार करना, माना जाता है। इस सब के बीच एक सच्चाई यह भी है कि आजादी के सात दशक बाद भी हमारे देश की तकरीबन तीन चौथाई आवादी संविधान की मूल भावनाओं को ठीक से समझ नहीं पा रही है। इस विषय को विस्तार से समझने के लिए देखिए हमारा यह वीडियो विश्लेषण…