टैग: Impact of Corona on Indian Economy

  • लॉकडाउन में दी गई ढ़ील का बड़ा राज, देखिए इस रिपोर्ट में

    लॉकडाउन में दी गई ढ़ील का बड़ा राज, देखिए इस रिपोर्ट में

    खबरो की खबर के इस सेंगमेंट में आज लॉकडाउन, गाइडलाइन और ढ़ील जैसे शब्दो की पड़ताल करेंगे। लोगो को ठीक से यह नहीं मालुम है कि क्या करना चाहिए और क्यो करना चाहिए? आलम ये है कि अब हमे कोरोना के साथ जीना भी है और इससे बचना भी है। यह तभी संम्भव होगा, जब हम इसको ठीक से समझ पायेंगे। इससे भी बड़ी बात ये है कि सरकार की ओर आशा भरी नजरो से देखते रहने से बेहतर होगा कि हम अपने लिए खुद ही बेहतर बिकल्प तय करें। सरकार के लिए इंसान का जीवन बहुत मायने रखता है और सरकारे इस दिशा में काम भी कर रही है। पर, यह भी एक सच है कि सरकार के लिए देश का इकोनॉमी बचाना भी उतना ही जरुरी होता है। सरकार अब इस दिशा में भी काम करने लगी है। विरोधाभाष देखिए। इकोनॉमी को बचाना है तो लोगो को छूट देनी होगी और इससे कारोना के संक्रमण को फैलने से रोक पाना मुश्किल हो जायेगा। दूसरी ओर यदि संक्रमण को रोकना है तो लॉकडाउन का सख्ती से पालन करना होगा। किंतु, इससे देश की इकोनॉमी बर्बाद हो जायेगी। सवाल ये कि ऐसे में करें तो क्या करें? देखिए इस रिपोर्ट में…

  • पाकिस्तान के वजट का 6 गुना है भारत का राहत पैकेज

    पाकिस्तान के वजट का 6 गुना है भारत का राहत पैकेज

    कोरोना महामारी से जूझ रहे भारतीय अर्थव्यवस्था में जान डालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की। आपको बता दे कि, यह रकम पाकिस्तान द्वारा साल 2019 में पेश किए गए उसके कुल बजट का 6 गुना है। पाकिस्तान सरकार ने साल 2019 में 7022 बिलियन पाकिस्तानी रुपये का बजट पेश किया था, जो रकम भारतीय रुपये में करीब 3.30 लाख करोड़ है। आपको बता दें कि, पाकिस्तान का 1 रुपया भारत के 47 पैसे के बराबर है। इसी मुताबिक, भारत का राहत पैकेज पाकिस्तान के बजट से 6 गुना अधिक है।

    कोरोना महामारी के इस संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने पांचवें संबोधन में  इस महामारी के विरुद्ध जंग जारी रखने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत की मजबूत बुनियाद भी रखी। साथ ही पीएम मोदी ने इस आर्थिक हालात से निपटने के लिए देश के GDP का लगभग 10 प्रतिशत यानी 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज के साथ आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लिया। आपको बता दे कि,  भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 200 लाख करोड़ रुपये की है। भारत ने साल 2020-21 के लिए बजट में करीब 30 लाख करोड़ रुपये का निर्धारण किया है।

    देश GDP के मुकाबले पैकेज
    जापान 21.10%
    अमेरिका 13%
    स्वीडन 12%
    जर्मनी 10.70%
    भारत 10.00%
    फ्रांस 9.30%
    स्पेन 7.30%
    इटली 5.70%
    ब्रिटेन 5.00%
    चीन 3.80%

    प्रधानमंत्री मोदी का इस बार का संबोधन पिछले संबोधनों से अलग रहा। उन्होंने कहा कि, यह आपदा कुछ संकेत के साथ कुछ संदेश भी लाई है, जो आत्मनिर्भर भारत का रास्ता प्रशस्त करेगा, जिसमें स्वदेशी पर जोर होगा और लोकल के लिए हमें वोकल होना पड़ेगा। उन्होंने कोरोना संक्रमण फैलाव से डरने के बजाय इस जंग को मजबूती से लड़ने के साथ देश को पूरी ताकत से खड़ा करने का ऐलान किया है।

  • केंद्र सरकार का फैसला, काटे जाएंगे सरकारी कर्मचारियों के एक दिन का वेतन

    केंद्र सरकार का फैसला, काटे जाएंगे सरकारी कर्मचारियों के एक दिन का वेतन

    कोरोना वायरस पूरी दुनिया पर अपना कहर बरसा रहा है। भारत में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, इसे रोकने के लिये देश में लॉकडाउन को भी 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। हालांकि ऐसे क्षेत्र जहां कोरोना के मामले न के बराबर है, वहां आज से कुछ जरूरी चीजों की छूट भी दी गई है। लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक तनाव के कारण मोदी सरकार ने मंत्रियों को अपनी सैलरी के कुछ हिस्से को डोनेट करने के लिए कहा था। उसके बाद अब सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की एक दिन की सैलरी को काटने का फैसला किया है। सरकार ने सभी सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 फीसदी की कटौती के बाद अब केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों से एक दिन की सैलरी डोनेट करने के लिए कहा गया है।

    केंद्र सरकार ने अपील की है, की कर्मचारी अपनी एक दिन की सैलरी पीएम केयर्स फंड में ट्रांसफर करें। आपको बता दें कि कर्मचारियों की सैलरी से काटी गई राशि को प्रधानमंत्री सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड में डाला जाएगा. साथ ही सरकार ने राजस्व विभाग को भेजे गए सर्रकुलर में कहा है, कि विभाग के अफसरों और कर्मचारियों से यह अपील है कि, वे मार्च 2021 तक हर महीने अपने एक दिन की सैलरी को पीएम केयर्स फंड मे जमा कर अपना योगदान दें। कर्मचारियों की वेतन में कटौती अप्रैल 2020 की सैलरी में से की जाएगी, जिसका भुगतान मई में होना है। कोरोना महामारी के इस संकट के बीच केंद्र सरकार को आर्थिक मदद की जरूरत है। हालांकि सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि अगर किसी भी अफसर या कर्मचारी को इससे आपत्ति होगी, तो वह राजस्व विभाग के ड्रॉइंग एंड डिस्बर्सिंग ऑफिसर को इस बारे में सूचित कर सकते हैं। उन्हें 20 अप्रैल 2020 तक इसे लिखित रूप में अपने इंप्लॉयी कोड के साथ सूचित करना होगा। वहीं, दूसरे विभागों के कर्मचारी, जो एक्टिव तौर पर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल नही है। उन्हें भी अपनी एक दिन की सैलरी का योगदान फंड में करना पड़ सकता है।

    बता दें कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हैं। जिसके कारण सरकार को इस तरह के फैसले लेने पर रहे है।

  • अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव, RBI की रिपोर्ट

    अर्थव्यवस्था पर कोरोना का प्रभाव, RBI की रिपोर्ट

    कोरोना वायरस का कहर बढ़ता ही जा रहा है। इसकी वजह से पूरी दुनिया दोहरी मार से जूंझ रही है। एक तरफ जहां संक्रमण फैलने से लोगों की मौत हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इकोनॉमी पर इसका बुरा असर पड़ रहा है। इससे अब भारतीय अर्थव्यवस्था भी नहीं बच पायी है।

    रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में लिखा है, कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की रिकवरी तेजी से खत्म हो रही है। RBI  की रिपोर्ट के मुताबिक साउथ एशिया के इंजन की ग्रोथ इस महामारी की वजह से कमजोर पड़ रही है।

    आरबीआई का कहना है कि कोरोना महामारी का संक्रमण फैलने से पहले वित्त वर्ष 2020-21 की ग्रोथ को लेकर वे उत्साहित थे। लेकिन, अब उनका कहना है की इसकी ग्रोथ तेजी से घटती जा रही है। साथ ही उन्होने अपनी रिपोर्ट मे लिखा की ग्लोबल इकोनॉमी 2020 में स्लोडाउन में जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ 2019 के आखिरी तीन महीनों में पिछले छह साल में सबसे कम रही। इसकी वजह से आरबीआई ने पूरे साल की ग्रोथ का अनुमान 5 फीसदी लगाया था, जो पिछले 10 साल में सबसे कम है।

    उन्होने कहा की ट्रेड में राहत की बात बस इतनी है, कि इंटरनेशनल क्रूड प्राइस में नरमी बनी हुई है। लेकिन, इससे भी इकोनॉमिक ग्रोथ की भरपाई नहीं की जा सकती क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इसकी मांग कम है। RBI ने ये भी कहा है कि अभी अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, इसलिए GDP को लेकर अभी कोई अनुमान जारी नहीं किया जाएगा। उन्होने कहा की अभी वे कोरोना के संक्रमण का आकलन कर रहे है।

    आरबीआई का कहना है, कि इस साल महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी। बीते मार्च में खुदरा महंगाई की दर चार महीने के निचले स्तर 5.93 फीसदी पर आने का अनुमान है, जो फरवरी में 6.58 फीसदी रही थी। इस साल जून तिमाही में खुदरा महंगाई 4.8 फीसदी, सितंबर तिमाही में 4.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 2.7 फीसदी और मार्च तिमाही में 2.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है।