पाकिस्तान की फिदरत रही है कि वहां प्रधानमंत्री बनने वाले नेता या तो फांसी पर चढ़ा दिए जातें है या फिर भ्रष्टाचार के आरोप में जेल के सलाखो के पीछे कैद कर दिए जातें हैं। यदि इससे किसी प्रकार बच गए तो पाक परस्त आतंकी के गोलियों की भेंट चढ़ना तय है। किंतु, यहां तो उल्टा होता हुआ दिख रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने को तैयार कर रहें इमरान खान पर अभी से ही भ्रष्टाचार के आरोप लगने शुरू हो गयें हैं। पाकिस्तान के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने इमरान के नाम समन जारी करके उन्हें 7 अगस्त को पेश होने के लिए कहा है।
ऐसे फंसे इमरान
दरअसल, खैबर पख्तूनख्वा की सत्ता पर इमरान की पार्टी वर्ष 2013 से काबिज है। आरोप है कि उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए एक सरकारी हेलीकॉप्टर का 72 घंटे से अधिक समय तक उपयोग किया। इससे प्रांतीय सरकार के खजाने को 21.7 लाख रुपये के नुकसान होने के संबंध में अब जांच शुरू हो चुकी है। यदि आरोप साबित हो गये तो इमरान की मुश्किलें बढ़ सकती है। इमरान ने बताया राजनीतिक आरोप
एनएबी के एक अधिकारी ने बताया कि इमरान को 7 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। उनका बयान दर्ज किया जाएगा। इस बीच, इमरान ने कुछ भी गलत करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है। इमरान को इससे पहले 18 जुलाई को समन भेजा गया था। लेकिन वह चुनाव के कारण ब्यूरो के समक्ष पेश नहीं हुए। उनके वकील ने एनएबी से चुनाव के बाद तारीख तय करने का अनुरोध किया था।
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पाकिस्तान के नए निजाम मियां इमरान खान के सिर पर अभी ताज सजा भी नहीं और मुसीबतें दावत देने लगी। यानी सिर मुड़ाते ही ओले पड़ी वाली कहावत इमरान के लिए सच साबित होने वाला है। हुआ ये कि अमेरिका ने पाकिस्तान को रक्षा मद में मिलने वाली आर्थिक मदद में 80 फीसदी तक की कटौती करने के संकेत दिएं है। इससे पाकिस्तान को हर साल मिलने वाली 70 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि अब महज 15 करोड़ रह जायेगी। ताज्जुब की बात तो ये कि इस राशि को भी हासिल करने के लिए पाकिस्तान को कई शर्तों का अनुपालन करना होगा। जानकार मानतें हैं कि यदि ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति चरमरा सकती है। आर्थिक मदद में भारी कटौती
बताया जा रहा है कि वर्ष 2019 के लिए अमेरिकी रक्षा व्यय विधेयक को अगले सप्ताह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष हस्ताक्षर के लिए रखा जाना है। किंतु, पहली बार इसके साथ पाकिस्तान को सुरक्षा के मदद में दी जाने वाली मदद का कहीं उल्लेख नहीं किया गया है। बतातें चलें कि पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क और आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर यह मदद दी जा रही थी। इसी प्रकार गैर नाटो सहयोगी के तौर पर पाकिस्तान को दी जाने वाली राशि में कटौती करके अब इसे मात्र 15 करोड़ डॉलर रहने की उम्मीद जताई गई है। पाकिस्तान की विश्वसनियता खतरे में
अमेरिकी सांसद पहले ही पाकिस्तान के दोहरे चरित्र और दोस्त के नाम पर उसे दुश्मन करार दे चुके हैं। अमेरिका में आम राय है कि पाकिस्तान भरोसेमंद पार्टनर नहीं हो सकता है। व्हाइट हाउस ने भी अब पाकिस्तान पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। अमेरिकी संसद ने पारित विधेयक में प्रमाणीकरण की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया है। पहले के नियम के तहत पेंटागन को यह प्रमाणित करना पड़ता था कि पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और इसी आधार पर उसे मदद के नाम पर राशि का भुगतान होता था।
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मैदान चाहें खेल का हो या राजनीति का… बुलंदियों का परचम, जैसे इमरान खान का ही इंतजार कर था…। हालांकि, सफलता के शीर्ष तक पहुंचने में इमरान को 22 साल का लम्बा वक्त लग गया।
अब तक कप्तान के नाम से पाकिस्तान में मसहूर इमरान खान अब पाक के वजीरे आजम बनने के बेहद करीब पहुंच चुकें हैं। पाक के आवाम को उनसे बहुत उम्मीद है। दूसरी ओर सेना और कट्टरपंथी उन्हें अपना कटपुतली बनाने को उतावली हो रही है। ऐसे में इमरान खान की असली परीक्षा होना अभी बाकी है। खेल के मैदान पर भी करना पड़ा था इंतजार
इमरान खान को खेल के मैदान में भी सफलता के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ा था। क्रिकेट के मैदान में 19 साल की उम्र में कदम रखने के बावजूद उम्र के 40वें साल में जाकर विश्व कप जीत पाए थे। आपको याद ही होगा कि वर्ष 1971 में इमरान ने इंग्लैंड के खिलाफ बर्मिंघम में टेस्ट मैच के दौरान पदार्पण किया था। उस वक्त दो पारियों में 28 ओवर करने के बावजूद उन्हें एक भी सफलता हाथ नहीं लगी। तीन साल बाद वर्ष 1974 में इंग्लैंड के खिलाफ ही उन्हें अपना पहला टेस्ट विकेट मिला था और 10 से ज्यादा विकेट लेने में उन्हें 6 साल का इंतजार भी करना पड़ा था। हालांकि, 1992 में अपने उम्र के 40वें साल में पहुंचने के बाद विश्व कप जीतने वाले वे पहले पाकिस्तानी कप्तान बन कर दुनिया में अपने सफलता का डंका बजाया था। राजनीति के पीच पर भी मिली शुरूआती असफलता
वर्ष 1996 में इमरान खान ने राजनीति की ओर रुख किया। पाकिस्तान के सबसे बड़े स्टार होने के बावजूद उनका सियासी सफर मुश्किलों से भरा रहा। 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का गठन करने के अगले साल वह चुनाव मैदान में उतरे और बुरी तरह से विफल रहे। नेशनल अंसेबली के दो सीटों से चुनाव लड़ने के बावजूद वह एक से भी नहीं जीत सके। हालांकि, वर्ष 2002 में उन्हें मियांवाली सीट से जीत हासिल हुई। इसके बाद इमरान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत का है अभाव
पाकिस्तान में इमरान खान की सरपरस्ती में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी बेशक सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। बावजूद इसके सरकार बनाने के लिए उन्हें गठबंधन की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, यह काम अब बहुत मुश्किल नहीं है। कारण ये कि पाक सेना का बरदहस्त इमरान को प्राप्त है और पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई इमरान खान को पाकिस्तान का वजीरे आजम बनाने की जुगत में लग चुकी है।
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पाकिस्तान में बुधवार की शाम मतदान खत्म होते ही गिनती जारी है। इससे पहले मतदान के दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं हुईं है। जैसा की पहले से अनुमान लगाया जा रहा था कि ठीक उसी प्रकार इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ यानी पीटीआई को सबसे ज्यादा सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। जाहिर है कि चुनाव में पाक सेना की बनाई रणनीति अब सफल होने के कगार पर है। कल दोपहर बाद तक सभी परिणाम मिलने की उम्मीद है।
मतदान खत्म होते ही मतगणना शुरू
पाकिस्तान में आम चुनाव के लिए मतदान बुधवार शाम छह बजे समाप्त हो गया। लोगों ने नया प्रधानमंत्री चुनने के लिए वोट किया। वोटों की गिनती भी जारी है। रुझानों के मुताबिक इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को सबसे ज्यादा सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। चुनाव में मुख्य मुकाबला नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के बीच माना जा रहा है। किसी भी दल को बहुमत न मिलने पर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं। ये है मतदान का ग्राफ
देश में नेशनल असेम्बली की 272 सीटों और चार प्रांत पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय विधानसभाओं की कुल 577 सीटों के लिए मतदान हुआ। नेशनल असेम्बली और चार प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिये करीब 10.6 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। पाकिस्तान निर्वाचन आयोग के अनुसार, नेशनल असेम्बली की 272 सीटों के लिये 3,459 उम्मीदवार अपनी राजनीतिक किस्मत आजमा रहे हैं। फिलहाल, सभी केन्द्रों पर वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है और 24 घंटे के भीतर चुनाव परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी।
पाकिस्तान में आज मतदान शुरू हो चुका है और देर रात तक नए वजीरे-ए-आजम का भी पता चल जायेगा। इसी के साथ पाकिस्तान के नेशनल असेंबली के लिए 3,459 प्रत्याशी और प्रांतीय विधानसभाओं में 8,396 उम्मीदवारो के किस्मत का फैसला भी हो जायेगा।
किंतु, इस बार के आम चुनाव में जिस प्रकार से पाकिस्तान के चरमपंथी और कट्टरपंथियों ने खुलआम राजनीति में दबीस दी है, इससे भारत सहित पूरी दुनिया की नजर पाकिस्तान पर टिकी हुई है। जानकार मानतें हैं कि पाकिस्तान के मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स पर कब्जा करके चरमपंथी पूरी दुनिया में तहलका मचाने का जुगत लगा रहें हैं। आईएसआई ने रची है साजिश
यह बात दीगर है कि मतदाता का निर्णय देर शाम तक आयेगा। किंतु, इस सच्चाई से किसी को इनकार नहीं है कि पाक के कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपना पासा पहले ही फेक दिया है। दरअसल, तहरीक-ए-इंसाफ के सरपरस्त इमरान खान आईएसआई का वह मुहरा है, जिसके सहारे चरमपंथी पाक की सत्ता पर कब्जा करना चाहतें हैं। इसके लिए आईएसआई ने छोटे- छोटे चार अन्य चरमपंथी संगठनो को चुनाव में उतार कर उन्हें किंग मेकर की भूमिका में लाने की चालें भी चल दी है। शरीफ को महंगा पड़ा भारत से करीबी
जानकार यह मानते है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का भारत के प्रति झुकाव आईएसआई को खटकने लगा था। लिहाजा, जांच एजेंसी और न्यायपालिका पर दबाव बना कर सेना ने उन्हें जेल में बंद कर दिया। हालांकि नवाज की मुस्लिम लीग यदि दूबारा सत्ता में आती है तो, यह भारत सहित पूरी दुनिया को सकून देने वाला खबर होगा। जिसकी सम्भावना बेहद ही कम है। पाकिस्तान की सत्ता पर यदि ऐन-केन प्रकार से चरमपंथी कब्जा कर लेतें हैं तो भारत सहित पूरी दुनिया को एक और नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
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पकिस्तान में आम चुनाव होने में अब 48 घंटे से भी कम समय बचे है। ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की किडनी में गड़बरी उत्पन्न हो जाने से पाक सरकार की मुश्किलें काफी बढ़ गई है। बतातें चलें कि भ्रष्टाचार के एक आरोप में श्री शरीफ इस वक्त पाक के जेल में बंदी है। चुनाव से ठीक पहले अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर पाकिस्तान में आग की तरह फैलने लगी है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मेडिकल बोर्ड का कहना है कि नवाज शरीफ की किडनी फेल होने के कगार पर है। डॉक्टरों ने तत्काल ही नवाज को जेल से अस्पताल में शिफ्ट करने की सलाह दी है।
किडनी व हर्ट की समस्या
पाक मीडिया के मुताबकि शरीफ की यूरीन में नाइट्रोजन की मात्रा खतरे के स्तर से ऊपर पहुंच चुकी है। डॉक्टरों ने कहा है कि यूरीन में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से नवाज शरीफ को अधिक पसीना आ रहा है और पसीना ज्यादा आने से उन्हें डिहाइड्रेशन हो गया है। शरीर में पानी की कमी भी हो गई है। उनकी हार्ट बीट भी अनियमित बताई जा रही है। पाकिस्तान के जेल में नवाज
गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिए गए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 13 जुलाई को लाहौर पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया था। इसी मामले में सजायाफ्ता उनकी बेटी मरियम नवाज भी इस वक्त जेल में ही है। दुसरी ओर कैंसर से जूझ रही नवाज की बेगम इस वक्त लंदन में इलाज करा रही है। स्मरण रहें कि इस सब के बीच 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होने है और इसके लिए पाकिस्तान में सभी तैयारी पूरी हो चुकी है।
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहा है और राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताक़त झोंक दी है। दूसरी ओर समीक्षक मतदाताओ का मिजाज टटोलने में लगे। यह टटोलने की कोशिश की जा रही है कि वह कौन से मुद्दे हैं जो पाक के मतदाताओं को प्रभावित कर सकतें हैं। क्या पाक के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के जेल जाने से उनकी पार्टी को मतदाताओं की सहानुभूति का लाभ मिलेगा या पाक सेना की दखल का मतदाताओं पर असर पड़ेगा? हालांकि, जानकार मानतें हैं कि पाक के चुनाव में धार्मिक उन्माद और विकास का मुद्दा ही चलेगा। इस सभी के बीच सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और दुष्प्रचार के असर से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
पाक चुनाव में सहानुभूति की लहर
दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ भ्रष्टाचार के एक मामले में जेल में बंद हैं और कोर्ट ने उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दिया हुआ है। बावजूद इसके आज भी पाक में वहीं मुस्लिम लीग का चेहरा बने हुएं हैं। कुछ जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान के अधिकांश लोगो को लगता है कि नवाज शरीफ को ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हटाया गया है और उनके प्रति लोगो में जबरदस्त सहानुभूति है। नवाज ने भी खुद को पीड़ित के तौर पर पेश किया है। इसके अतिरिक्त नवाज़ शरीफ़ की पत्नी इस वक्त कैंसर से पीड़ित हैं और वह इस समय लंदन में वेंटिलेटर पर हैं। नवाज को इससे सहानुभूति मिलने की पूरी उम्मीद है। यदि, यह तर्क सही है तो नवाज की पार्टी मुस्लिम लीग की पाकिस्तान में वापसी हो सकती है। पाक में सेना के दख़ल से इनकार नहीं
हालांकि, पाकिस्तान की राजनीति में वहां की सेना की दखल अब जग जाहिर हो चुकी है। पाकिस्तान के विश्लेषक खुलेआम कबूल करने लगें हैं कि फ़ौज अभी भी शक्तिशाली रूप से राजनीतिक साझीदार बनी हुई है। इस बीच पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके इसका खडंन भी कर चुकी है। सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि चुनाव कराना पाकिस्तान के चुनाव आयोग का विशेषाधिकार है। बावजूद इसके पूरी दुनिया देख चुकी हैं कि पाकिस्तान में सेना की रुचि किसी राजनीतिक दल की हार या जीत का मुख्य कारण रही है। ऐसे में यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि सेना का अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रति क्या रवैया है? पाकिस्तान के चुनाव में सेना की शक्ति और प्रभाव एक वास्तविकता बन चुकी है। दरअसल, सेना के पास एक बड़ा वोट बैंक भी है। उनके पास 8 लाख जवान हैं। अगर आप उनके परिवार को मिला दें तो ये संख्या एक करोड़ हो जाती है। धार्मिक उन्माद और जेहाद का असर
पाकिस्तान में लोगों के जीवन में धर्म एक महत्वपूर्ण कड़ी बन चुकी है। चुनाव भी इससे अछूता नहीं है। हालिया दिनो में पाकिस्तान में कई धार्मिक-राजनीतिक गठजोड़ों का उदय हुआ है। कहतें हैं कि जब से पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की मुस्लिम लीग और पूर्व क्रिकेटर इमरान ख़ान की पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ पार्टी के बीच मुक़ाबला कड़ा हुआ है, तब से चुनावों में धार्मिक गठबंधन की भूमिका भी बढ़ने लगी है। लिहाजा यदि किसी सीट पर हार-जीत का अंतर कम हुआ तो वहां राजनीतिक पार्टियां वोट लूटेंगी और वो मुख्य उम्मीदवार को हरा या जिता भी सकती हैं।बहरहाल, पाकिस्तान की राजनीति में धर्म सबसे शक्तिशाली ईंधन बन चुका है। पाकिस्तान मेंआर्थिक पिछड़ापन
आप इसे बिडम्बना कह लें कि पाकिस्तान के गठन हुए सात दशक बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान में आमतौर पर लोग चुनावी घोषणा-पत्रों और राजनीतिक पार्टी के आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं। किंतु, इस बार पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि पाकिस्तान के आम चुनाव में रोज़गार, बिजली, मूलभूत विकास के मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करने लगे है। चौक चौराहो पर चर्चा आम है कि भारत में मोदी ने जो किया, वह पाकिस्तान में क्यों सम्भव नहीं है? मतदाताओं में एक बड़ा तबका ऐसा है जो मानता है कि इमरान ख़ान देश के विकास और बदलाव में सक्षम हो सकतें हैं। लोगो को उम्मीद है कि इमरान खान यदि सत्ता में आए तो मोदी की तरह देश में आर्थिक सुधार भी हो सकता है और विश्व के पटल पर मोदी को माकूल जवाब भी दिया जा सकता है। पाकिस्तान में सोशल मीडिया का कमाल
पाकिस्तान के आम चुनाव में पहली बार सोशल मीडिया के असर से भी किसी को इनकार नहीं है। विश्लेषक मानते हैं कि सोशल मीडिया के द्वारा चलाई जा रही फ़ेक न्यूज़ का पाकिस्तान के मतदाताओं पर गहरा असर है और इससे किसी को इनकार नहीं है। लिहाजा, इस वक्त पाकिस्तान में सभी राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय हो गए हैं। सैकड़ों की संख्या में फ़र्ज़ी फ़ेसबुक और ट्विटर अकाउंट चलाये जा रहें हैं। ताकि, वह अपनी नीतियों और कहानियों को मतादाताओं तक अपने अंदाज में पड़ोस रहें हैं। हालांकि, पाकिस्तान में सोशल मीडिया की पहुंच अभी केवल 15 फ़ीसदी लोगों तक सीमित है। ऐसे में देखना बाकी है कि आगामी 25 जुलाई को मतदाता को सबसे अधिक कौन सा मुद्दा प्रभावित करता है और मतदाताओं का मिजाज किस करबट बैठता है?
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के चेयरमैन और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान पर उन्हीं की पूर्व बेगम रह चुकी रेहम खान ने जो खुलाशा किया है, इसके बाद पाकिस्तान की राजनीति में उथल- पुथल मच गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे इमरान खान इस खुलाशे के बाद बूरी तरीके से बौखला चुकें हैं। स्मरण रहें कि इसी 25 जुलाई को पाकिस्तान में आम चुनाव होने है और पिछले दिनो आई सर्वे पर यकीन किया जाए तो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सत्ता के सबसे करीब मानी जा रही थी। ऐसे में रेहम के खुलाशे से पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल का आना तय माना जा रहा है।
रेहम ने इमरान को बताया समलैंकिग
इमरान खान की पूर्व बेगत रेहम ने इमरान को समलैंकिग होने का आरोप लगा कर पाकिस्तान की राजनीति में तहलका मचा दिया है। रेहम ने एक किताब लिख कर इसका खुलाशा किया है। बतातें चलें कि इमरान खान अपनी पहली बेगम से तलाक लेने के बाद रेहम खान से निकाह किया था। हालांकि, करीब एक साल बाद ही रेहम से भी इमरान का तलाक हो चुका है। रेहम खान ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा है कि इमरान खान के संबंध पाकिस्तानी एक्टर हमजा अली अब्बासी और पीटीआई लीडर मुराद सईद के साथ रह चुके हैं। इतना ही नहीं रेहम खान ने पीटीआई मीडिया कोऑर्डिनेटर अनिला ख्वाजा तथा इमरान खान के समलैंगिक संबंध होने का भी खुलासा की हैं। वसीम अकरम भी लपेटे में
अपनी ऑटोबायोग्राफी में रेहम खान ने पाकिस्तान के एक और पूर्व क्रिकेटर वसीम अकरम के बारे में भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रेहम खान का कहना है कि वसीम अकरम ने अपनी बेगम को किसी अश्वेत के साथ सेक्स करने के लिए कहा और वह खुद वहां खड़ा होकर अपनी पत्नी को सेक्स करते हुए देखता रहा। इस दावे के बाद वसीम अकरम ने रेहम खान को कानूनी नोटिस भी भेजा था। रेहम खान ने कहा कि इमरान खान अपने राजनीतिक फायदे के लिए महिलाओं का इस्तेमाल करते रहे हैं। यौन शोषण का आरोप
रेहम ने अपने पूर्व शौहर इमरान खान पर यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया है। रेहम की माने तो इमरान किसी भी महिला को सिर्फ भोग की वस्तु समझते है और अप्राकृतिक तरीके से महिला की शरीर से खेलना उनकी नीयति बन चुका है। वह महिला की कोमल भावनाओं का सम्मान नहीं करते और अप्राकृतिक तकलिफ से आनन्द महसूस करतें हैं। बतातें चलें कि इन्हीं कारणो के बीच वर्ष 2015 में ही रेहम खान ने इमरान खान को तलाक दे दिया था। इसके बाद पाकिस्तानी राजनेता इमरान खान ने बुशरा मानेका से तीसरी बार निकाह कर चुकें हैं।
पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव इस बार कई मायनों में अलग होने जा रहा है। अव्वल तो ये कि पिछले 30 साल में यह पहला आम चुनाव है जब देश की दो सबसे पुरानी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग की लीडरशिप बदल जायेगी। वैसे इस बार के चुनाव में इन दोनों पार्टियों को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ से जबरदस्त चुनौती मिल रही है। बतातें चलें कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी, पाक क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान की पार्टी है।
तहरीक-ए-इंसाफ है बहुमत के करीब
चुनाव पूर्व किये गये एक सर्वे की माने तो तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी को बहुमत मिलने की संभवना बेहद प्रबल मानी जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो पार्टी के संस्थापक और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान का पाकिस्तान में अगला प्रधानमंत्री बनना तय माना जा रहा है। हालांकि, पाक में एक कहावत है कि वहां आएएसआई के मर्जी के बिना कुछ नहीं होता। दरअसल, आईएसआई पाक की एक शक्तिशाली खुफिया एजेंसी है और कहा तो यह भी जा रहा है कि आईएसआई के दबाव में आकर ही पाकिस्तान की अकाउंटेबिलिटी कोर्ट ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर घोटाले के आरोप में सजा सुनाई और चुनाव के बीच में लंदन से लौटने के शीघ्र बाद ही बीती रात सेना ने उन्हें उनकी पुत्री सहित गिरफ्तार कर लिया। चुनाव में आईएसआई की भूमिका
बतातें चलें कि नवाज शरीफ और उनकी मुस्लिम लीग आईएसआई को फूटी आंखों नहीं सुहाते है। पाक मीडिया से आ रही रिपोर्ट इस ओर इशारा करता है कि आईएसआई की पहली पसंद कट्टवादी नेता हाफिज सईद है। किंतु, रुझानो में हाफिज सईद के बहुत पीछे छूट जाने का लाभ इमरान खान को मिल सकता है। बहरहाल, पाकिस्तान के लोग इमरान खान को अपना मुहाफिज यानी उद्धारक मानने लगे है। इमरान ने खेला कट्टरवाद का कार्ड
इस बीच इमरान खान ने चुनाव में धर्म को अपना सबसे बड़ा हथियार बना कर उसे पेश कर दिया है। इमरान लगातार अपने चुनावी सभा में मुल्क की आवाम को यह विश्वास दिला रहे हैं कि इस्लामिक तौर-तरीकों से ही पाकिस्तान का भला हो सकता है। ऐसा करके इमरान ने एक साथ दो निशाना साधा है। एक और इससे पाकिस्तान के कट्टरपंथी बड़ी संख्या में तहरीक-ए-इंसाफ से जुड़ने लगे है। दूसरी ओर सेना और पाक नौकरशाहों के भी वे पसंद बनने लगें हैं। वहीं आईएसआई को भी इस नए एजेंडे से खुश करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, इसका परिणाम तो 25 जुलाई को ही पता चलेगा। नवाज की गिरफ्तारी से बदल सकती है फिंजा
कहा तो यह भी जा रहा है कि नवाज शरीफ को आनन फानन में सजा सुना कर गिरफ्तार करने के पीछे इमरान खान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाना ही सबसे बड़ा कारण है और यदि यह सही है तो इसका मतलब साफ है कि आईएसआई का समर्थन भी इमरान को मिल चुका है। हालांकि, लंदन में पत्नी का इलाज करा रहे नवाज शरीफ सजा होने के बाद इतनी जल्दी लंदन से पाकिस्तान क्यों चलें आए? इसको लेकर भी कयास लगने शुरू हो गए है। नवाज शरीफ जानते थे कि पाकिस्तान पहुंचते ही उनका गिरफ्तार होना तय है। बावजूद इसके वह आये। यानी आम चुनाव के बीच में अपनी गिरफ्तारी देकर वह आवाम का सहानुभूति बटोरना चाहतें है। यदि, इसमें वे वाकई सफल हुए तो आईएसआई को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है। ऐसे बदल सकता है समीकरण
दरअसल भ्रष्टाचार की कमाई से लंदन में आलीशान फ्लैट खरीदने के मामले में पाकिस्तान की अकाउंटेबिलिटी कोर्ट ने 6 जुलाई को नवाज शरीफ को 10 साल जेल की सजा सुनाई थी। वहीं इस मामले में नवाज की बेटी मरियम को 7 साल और दामाद कैप्टन सफदर को 1 साल की सजा सुनाई गई थी और इसी मामले 13 जुलाई को नवाज शरीफ ने अपनी गिरफ्तारी दी है। माहौल को समझने की कोशिश करें तो पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके को इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ का गढ़ माना जाता है। वहीं, पंजाब के कुछ हिस्सों में भी तहरीक-ए-इंसाफ ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। हालांकि पंजाब में अभी भी नवाज शरीफ की पार्टी सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में है और नवाज की गिरफ्तारी से इस इलाके में उनके सहानुभूति का वोट बढ़ने का भी कयास लगने शुरू हो गए हैं।
पाकिस्तान। कहतें हैं कि रोपा पेंड़ बबुल का तो आम कहां से होए…। पाकिस्तान के लिए यह कहावत अब चरित्रार्थ होने लगा है। दरअसल, में एक चुनावी जनसभा के दौरान हुई आत्मघाती विस्फोट में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 66 लोग घायल हो गएं हैं। इस हमले में अवामी नेशनल पार्टी के वरिष्ठ नेता हारून बिल्लौर की भी मौत हो गई।
ये है पूरा घटनाक्रम
दरअसल, पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक चुनावी सभा के दौरान तालिबान के एक आत्मघाती हमलावर ने स्वयं को विस्फोट करके उड़ा लिया। बता दें कि 25 जुलाई को आम चुनाव से पहले पाकिस्तान के किसी राजनीतिक दल पर होने वाला यह दूसरा बड़ा आतंकवादी हमला है। यह विस्फोट कल आधी रात से ठीक पहले हुआ जब बिल्लौर एएनपी के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भीड़भाड़ वाले याकातूत इलाके में पार्टी की एक बैठक के लिए एकत्रित हुए थे। बिल्लौर पेशावर शहर के पीके-78 सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। विस्फोट बिल्लौर के वाहन के पास हुआ। बिल्लौर के पिता एवं एएनपी के वरिष्ठ नेता बशीर बिल्लौर भी 2012 में पेशावर में पार्टी की एक बैठक के दौरान तालिबान द्वारा किये गए इसी तरह से हमले में मारे गए थे। 20 लोगो के मौत की हुई पुष्टि
लेडी रीडिंग अस्पताल के प्रवक्ता जुल्फीकार अली बाबा खेल ने बताया कि मरने वालों की संख्या बढ़कर 20 हो गई। हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने ली है। एएनपी नेता बिल्लौर को निशाना बनाने वाले आत्मघाती हमलावर का नाम मुजाहिद अब्दुल करीम बताया जा रहा है। बम निष्क्रिय दस्ते के प्रमुख शफकत मलिक ने कहा कि विस्फोट में आठ किलोग्राम टीएनटी विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ।
पाकिस्तान। पाकिस्तान के आम चुनाव में इन दिनो एक नेता सुर्खियों में है। इस नेता को पाकिस्तान के नए केजरी अवतार के रूप में लोग खूब चटखारे लेकर सुनने को आ रहें हैं।
कहतें हैं कि चुनाव के पहले नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए नेताजी क्या कुछ नहीं करते? लेकिन कराची में एक नेता ने तो हद कर दी है। यहां एक नेता वोट मांगते हुए कभी सीवेज के पानी में बैठ जाता है तो कभी नाले के गंदे पानी लेट कर लोगो से वोट मांगता फिर रहा है। नेताजी यहीं नही रुकते, बल्कि नाले से ही फेसबुक लाइव भी शुरू कर देते है। थोड़ी देर के बार उन्होंने अपने हाथ में पाकिस्तान का राष्ट्रीय झंडा भी लहराया और नाले में लेटकर मुस्काते हुए अपने समर्थकों से फोटो भी खिंचवाया।
बतातें चलें कि कराची के अयाज मेमन मोतीवाला एनए-243 से निर्दलीय उम्मीदवार हैं। अयाज इस कदम के द्वारा यह दिखाना चाहते थे कि उन्हें लोगों को गंदगी और गलत सीवेज व्यवस्था के कारण हो रही परेशानी का एहसास है और उनका दुख-दर्द वह जानते हैं। उन्होंने निर्णय लिया कि वह इसके लिए सरकार और विपक्षी दलों को आइना दिखाते हुए जबर्दस्त आंदोलन करेंगे और इसी के तहत उन्होंने पिछले हफ्ते कई घंटे तक गंदे नाले में बैठकर धरना दिया। आप जान कर हैरानी होगी कि नेताजी का फोटो इन दिनो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। हालांकि कई लोगों ने उनके इस कदम की आलोचना करते हुए यह भी कहा कि वह खुद को मूर्ख साबित कर कर रहे हैं और यह उनका सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी होते ही राजनीतिक हलके में भूचाल आ गया है। इस वीडियो के सार्वजनिक होते ही एक ओर जहां राष्ट्रवादियों का हौसला अफजाई हुआ है। वहीं, राष्ट्रविरोधी तत्वो ने इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिएं हैं।
स्मरण रहें कि उड़ी हमले के बाद सितंबर 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक हुआ था। इस सर्जिकल स्ट्राइक में उड़ाए गए आतंकी कैम्प का वीडियो सरकार ने जारी कर दिया है। इसमें पाक अधिकृत आतंकियों के बंकर्स और पाक सेना के ठिकानों को उड़ाते हुए दिखाया गया है। ऑपरेशन पर निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किए जानेवाले कैमरे की थर्मल इमेजिंग से लिया गया यह वीडियो जारी होते ही भारत के आम लोगो में खुशी की लहर दौर पड़ी है। उड़ी के शहीद हुए जवानो का लिया गया था बदला
गौरतलब है जम्मू कश्मीर के उड़ी में सैन्य छावनी पर पाकिस्तानी आतंकी हमले में शहीद हुए 18 जवानों के बाद भारतीय सेना ने 28 और 29 सितंबर की दरम्यानी रात को सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तत्कालीन सेना के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने इस बात की घोषणा की थी कि 29 सितंबर 2016 को की गई सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान की तरफ भारी नुकसान हुआ है। इन हथियारो का सेना ने किया था इस्तेमाल
सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक करने की प्लानिंग 24 सितंबर से शुरू कर दी गई थी। नाइट विज़न डिवाइस के साथ विशेष दस्ताबल, टेवोर 21, एके-47 असॉल्ट रायफल्स, रॉकेट ग्रेनेड्स, शॉल्डर फायर्ड मिसाइल्स और अन्य विस्फोटकों को सेना के जवानो ने पैदल ही चल कर नियंत्रण रेखा के पार कराया था। हर टीम में 30 जवान थे और उनका अपना विशेष लक्ष्य तय किया गया था। ऐसे हुआ था ऑपरेशन
29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में तीन किलोमीटर भीतर जाकर इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान की जमीन पर आतंकी कैंपों पर हमला किया था। दुश्मन के रडारों की पकड़ से दूर आसमान में तैयार 30 जाबांज भारतीय कमांडो की थी। कलाश्निकोव, टेवर्स, रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स, हथियारों से लैस 35,000 फीट की ऊंचाई से तेजी से नीचे उतरते हुए सब कुछ इतने पिन ड्रॉप साइलेंस के साथ हुआ कि जमीन पर किसी को हल्की सी भी भनक नहीं लगे। ठीक उसी वक्त जमीन पर भारतीय सेना के बहादुर स्पेशल फोर्सेज के 7 दस्ते एलओसी के पार पाकिस्तानी बैरीकेड्स से रेंग-रेंग कर आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य पर पहुंच रहे थे। इस ऑपरेशन में कुल 150 जवान शामिल हुए थे।
भारत के आक्रामक रूख के सामने अब पाकिस्तान के फौज ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। मंगलवार को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर की बातचीत में सीजफायर का सम्मान करने पर सहमति बन गई है।
दोनों डीजीएमओ ने सीजफायर के उल्लंघन और आतंकी गतिविधियों सहित कई मुद्दों पर बातचीत की। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दोनों तरफ के डीजीएमओ में सहमति बनी है कि सीजफायर 2003 का पूरा पालन किया जाएगा। इसके साथ ही कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोनों तरफ से कोई भी सीजफायर का उल्लंघन ना करे।
साथ ही बताया गया है कि अधिकारी इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि अगर कोई भी मुद्दा उठता है तो उस पर संयम बरता जाएगा और उस मामले को हॉटलाइन के मौजूदा प्रावधान के जरिए सुलझाया जाएगा। साथ ही कहा गया है कि ऐसे मुद्दों को स्थानीय कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग के जरिए भी सुलझाया जा सकता है।
पाकिस्तान। पाकिस्तान में तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान को हिन्दूओं के देवता शिव के रूप में बताए जाने से बवाल खड़ा हो गया है।
पाकिस्तान के हिंदुओं ने इसे भावनाओं से खिलवाड़ बताते हुए कार्रवाई की मांग की है। पाकिस्तानी संसद ने भी गंभीरता से लेते हुए संघीय जांच एजेंसी यानी एफआईए को जांच सौंप दी है।
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इस बीच शिव के रूप में इमरान खान की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर भगवान शिव के रूप में इमरान खान का तस्वीर उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा जारी किया हुआ बताया जा रहा है। पाकिस्तानी संसद में विपक्षी दल पीपीपी के सांसद रमेश लाल ने कहा कि इमरान खान को शिवजी के रूप में पेश करना गंभीर मामला है। जिस पर संसद प्रमुख ने गृहमंत्री तलाल चौधरी से रिपोर्ट मांगी। रमेश लाल ने कहा कि किसी धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना संविधान के खिलाफ है।
पाकिस्तान। पाकिस्तान से करणी सेना के लिए झटका देने वाली खबर आई है। पाकिस्तान से संजय लीला भंसाली के लिए एक अच्छी खबर आई है। दरअसल, पाक के सेंसर बोर्ड ने पद्मावत फिल्म को U सर्टिफिकेट देने का फैसला किया है। यानी वहां अब यह फिल्म बिना किसी विरोध के दिखाई जाएगी और वह भी बिना किसी कट किये हुए।
इस बीच फिल्म पद्मावत को लेकर देशभर में कोहराम मचा हुआ है। पुलिस के पहरे के बीच गुरुवार को फिल्म को भारत के 7 हजार स्क्रीन्स पर रिलीज कर दिया गया। हालांकि देश के 4 राज्यों के मल्टीप्लेक्स और थिएटर मालिकों ने फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं की।
हालांकि, पाकिस्तान के कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स को आशंका थी कि फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी की नेगेटिव छवि दिखाई गई है। जिससे फिल्म का विरोध हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस्लामाबाद के मोबाशिर हसन ने कहा- आर्ट, क्रिएटिविटी और हेल्दी एंटरटेनमेंट को लेकर सेंसर बोर्ड बायस्ड नहीं है। बता दें कि भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म का नाम बदलने के साथ ही पांच जरूरी बदलावों के साथ इसे रिलीज करने की अनुमति दी थी।
अमेरिका ने बुधवार को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हमले किए हैं। ड्रोन हमले में हक्कानी नेटवर्क के टॉप कमांडर एहसान खावेरी समेत तीन आतंकी मारे गए हैं। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की मानें तो अमेरिकी ड्रोन से दो मिसाइल दागी गई। ये हमला हंगू जिले के पास किया गया।
अमेरिकी ड्रोन ने उत्तरी वजीरीस्तान में स्पीन थाल के पास अफगान शरणार्थियों के एक घर को निशाना बनाया। जहां पर ये आतंकी ठहरे हुए थे।
जम्मू कश्मीर। भारत पाक नियंत्रण रेखा के समीप पाकिस्तान की ओर से की जा रही लगातार फायरिंग का भारत ने भी मुहतोड़ जवाब देना शुरू कर दिया है। भारतीय सेना ने एंटी टैंक मिसाइल का उपयोग करके पाकिस्तान के कई बंकरों को उड़ा दिया है। इससे पहले गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि यदि पाक अपनी हरकतो से बाज नही आया तो भारत पाकिस्तान में घुसकर फिर से ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है।
बतातें चलें कि रविवार शाम को पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू कश्मीर के नौशेरा, राजौरी और अखनूर सेक्टरों में एलओसी पर भारी गोलाबारी की है। पाकिस्तान ने लगातार चौथे दिन संघर्षविराम का उल्लंघन किया है। भारतीय सेना और बीएसएफ ने गोलीबारी का जवाब दिया है। इस बीच, पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल हुए थल सेना के एक जवान की शनिवार रात मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक सीमा पर गुरुवार से लेकर अब तक मारे जाने वालों की संख्या बढ़ कर 11 हो गई है।
पाकिस्तानी गोलीबारी में गुरुवार को बीएसएफ का एक जवान और एक किशोरी मारी गई थी, जबकि शुक्रवार को दो नागरिक और बीएसएफ का एक जवान एवं थल सेना का एक जवान शहीद हुए थे। इस गोलीबारी में 40 से अधिक लोग घायल भी हो गए थे। घायलों में बीएसएफ के दो कर्मी भी थे। पाकिस्तान की ओर से शनिवार को हुए संघर्ष विराम उल्लंघन में तीन नागरिक और थल सेना का एक जवान की मौत हुई थी, जबकि 16 लोग घायल हो गए थे।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक लोगों से अपने घरों के अंदर ही रहने को कहा गया है। उन्हें किसी संदिग्ध वस्तु को नहीं छूने को भी कहा गया है। गोलीबारी के चलते हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़ कर पलायन करने और राहत शिविरों या अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस बीच, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने पाकिस्तानी फायरिंग और गोलाबारी में बेकसूर लोगों की जान जाने पर गहरा दुख जताया है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान को अब उसी की भाषा में जवाब मिलने शुरू हो चुकें हैं। भारतीय सैनिको के सामने उसकी हैकड़ी बंद हो चुकी है। दरअसल, भारतीय सेना ने वर्ष 2017 में बेहद ही कामयाब रणनीतिक ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के 138 जवानो को मार कर मुंहतोड़ जवाब दिया है। हालांकि, सरकार के खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में सीमा पार से फायरिंग के बाद जवाबी कार्रवायी और रणनीतिक ऑपरेशन में जहां पाकिस्तान को अच्छा खासा नुकसान हुआ तो वहीं दूसरी तरफ इसी दौरान भारतीय सेना के 28 जवान भी नियंत्रण रेखा के पास शहीद हो गए।
पिछले एक साल के दौरान भारतीय सेना की तरफ से संघर्ष विराम उल्लंघन और जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के खिलाफ काफी कड़ा रूख अपनाया जा रहा है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक साल 2017 में सीमा पार फायरिंग के खिलाफ जवाबी कार्रवायी और रणनीतिक ऑपरेशन में पाकिस्तानी सेना के 138 जवान मारे गए जबकि 155 पाक सैनिक घायल हुए। हालांकि, इस दौरान 70 भारतीय सेना के जवान भी सीमापार फायरिंग और अन्य घटनाओं में घायल हुए।
सूत्रों के मुताबिक, 2017 में कुल 860 संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले सामने आए है। जबकि 2016 में ये मामले सिर्फ 221 थे। सूत्रों के मुताबिक, ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी की ये नीति है कि वह अपने सेना के जवानों की मौत को स्वीकार ना करे। उन्होंने करगिल का भी उदाहरण दिया जब भारत की तरफ से सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी सेना की मौत से इनकार कर दिया था।
पाकिस्तान। पाकिस्तान ने एक बार फिर से साउथ एशिया में परमाणु युद्ध का राग अलापा है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नासीर खान जंजुआ का मानना है कि साउथ एशिया में परमाणु युद्ध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जंजुआ का कहना है कि साउथ एशिया में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसमें परमाणु युद्ध की संभावना से इनंकार नहीं किया जा सकता है। उनका कहना था कि कश्मीर मामले में भी अमेरिका भारत का समर्थन कर रहा है।
जंजुआ का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह आतंकियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए। अमेरिका की आलोचना करते हुए जंजुआ ने कहा कि वह चीन-पाक आर्थिक गलियारा के खिलाफ साजिश रच रहा है। पाक को जो आतंकवाद झेलना पड़ रहा है वह भी महज इस वजह से क्योंकि उसने अमेरिका का साथ दिया था। जंजुआ की मानें तो अमेरिका के साथ आने के बाद ही पाकिस्तान में आतंकवाद ने पैर पसारे। जंजुआ ने ये बातें राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक सेमिनार में कहीं। कहा कि अमेरिका अब भारत की भाषा बोल रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान ताकतवर हुआ तो अमेरिका ने उसका ठीकरा पाक के सिर फोड़ दिया, जबकि यह महाशक्ति की अपनी नाकामी रही। वह पाक पर आरोप जड़ता है कि उसका संबंध तालिबान व हक्कानी नेटवर्क से है, जबकि उनका देश लगातार इन ताकतों को जवाब दे रहा है।
पाकिस्तान। आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया में बदनाम हो चुके पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में एक चर्च पर आत्मघाती बम विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई और 44 अन्य लोग घायल हो गए। राजधानी में जारघोन मार्ग स्थित एक चर्च में करीब चार आतंकवादियों ने उस वक्त हमला किया जब वहां रविवार की प्रार्थना जारी थी। बलूचिस्तान के गृह मंत्री मीर सरफराज बुग्ती ने हमले में मात्र दो हमलावर के शामिल होने की बात कबूल कर ली है।
इसमें से एक हमलावर को पुलिस ने गेट पर ही मार गिराया जबिक दूसरा हमलावर आत्मघाती जैकेट पहने चर्च में दाखिल हो गया, जहां उसने खुद को उड़ा लिया। डीआईजी पुलिस अब्दुल रज्जाक चीमा ने बताया कि हमले में दो और हमलावर शामिल थे लेकिन पुलिस द्वारा एक हमलावर को मार गिराए जाने के बाद वे वहां से भाग निकले। उन्होंने बताया कि वहां से भाग निकले आतंकवादियों का पुलिस ने पीछा किया और उन्हें भी मार गिराया गया है।
हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है। लेकिन, तालिबान के आतंकवादी पहले भी ईसाई अल्पसंख्यको को निशाना बनाते रहे हैं। हमले के बाद क्वेटा के सभी अस्पतालों में आपात स्थिति घोषित कर दी गई है। पुलिस एवं बचाव दल विस्फोट स्थल पर पहुंच गए हैं और इलाके की घेराबंदी कर ली गई है। यह हमला 2014 पेशावर स्कूल हमले की तीसरी बरसी के एक दिन बाद हुआ है, जिसमें 150 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में अधिकतर बच्चे थे।