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  • गांव की सत्ता के लिए आपको कैसा प्रतिनिधि चाहिए

    गांव की सत्ता के लिए आपको कैसा प्रतिनिधि चाहिए

    जाति बनाम जमात की बिसात पर किसकी होगी जीत

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में पंचायत चुनाव की डुगडुगी बजते ही गांव की राजनीति में हलचल देखी जा रही है। जनमानुष के कसीदा पढ़ने वाले… और, विरोधियों की मर्सियों से लवरेज लोगो की जुटान का दिलचस्प नजारा… गांव की गलियो से लेकर, नुक्कड़ तक की रौनक बढ़ा रही है। समाज सेवको की नई कतारे खड़ी हो गई है। इमान का बोलबाला है और संकेतो में लोभ की लचक भी है। तहजिब की तरकिब गढ़ी जा रही है और निगाहे समीकरण पर टिका है। सवाल, गांव की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश का नहीं है। सवाल, जीत के लिए जुगत की तरकिब का है। सवाल ये, कि क्या जीत का आधार फिर वही जाति बनेगा… या, जमात उसको चुनौती देगा?

    गावों में आज भी गरीबी है… अशिक्षा है… बीमारी और कुपोषण है। बेशक, बीते वर्षों में विकास हुआ है। किन्तु, उसकी गति और गुणवत्ता सवालो के घेरे में है। नियंत्रण और निर्धारण करने वालों की तिजोरियां तो खूब भरी… लेकिन, योजना का लाभ उपयुक्त व्यक्ति को समुचित मिला की नहीं? इसको लेकर संशय बरकरार है। सवाल ये, कि पंचायत का संसाधन, चुनिंदा लोगो के विकास का साधन कैसे बन गया? क्या, सत्ता के विकेन्द्रीकरण का सपना इसीलिए देखा गया था?

    ग्राम स्तर पर आज भी अच्छे और समाज के हित के लिए काम करने वालों के लिए बहुत से अवसर हैं। इसके लिए जरुरी है कि स्थानीय प्रतिनिधि में मजबूत इच्छाशक्ति हो… सोच में विकासवाद हो और चरित्र, समतामूलक। ऐसे नेता जातिवाद की उपज हो ही नहीं सकते। यानी, सुचिता चाहिए तो जमात को आगे बढ़ना होगा। मोटे तौर पर कहे तो आज के ग्राम पंचायत के पास अब संसाधनों की कमी नहीं है। सरकार की बहुत सी योजनाएं मददगार हो सकती है। पर, इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। समाज जागरुक हो, तो सम्भव है। अन्यथा, कसीदा और मर्सियों के साथ प्रलोभन की जादूगरी के बीच परिवर्तन के दंभ को दम तोड़ते देर नही लगेगा।

    गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, संसाधन युक्त स्वास्थ्य, विकास परख रोजगार और स्वस्थ्य पर्यावरण के बिना सामाजिक उत्थान की परिकल्पना बेमानी है। मेरा यह स्पष्ट मानना है की पारदर्शी सूचना के अभाव में सम्यक विकास सम्भव नहीं है। समाज को अपने अधिकार ही नहीं बल्कि, कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना होगा। गलत सूचनाएं ग्रामीण समाज को कुंठा की दलदल में धकेल रहा है। बुनियाद हिला रहा है। उसकी जड़ो को कमजोर कर रहा है। लिहाजा, ग्रामस्तर पर सटीक और सम्यक सूचना पहुचाने की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए प्रत्येक गांव में पुस्तकालय का निर्माण कराना होगा। जहां दैनिक और साप्ताहिक अखबार आम लोगो के लिए सुलभ हो। जहां, आने वाला प्रत्येक इंसान स्वच्छता का संकल्प ले सके। पंचायत में कूड़ेदान की व्यवस्था सुनिश्चित कर सके। शौचालयों का सिर्फ निर्माण ही नहीं। बल्कि, उसके उपयोग की धारणा को आत्मसात कर सके। स्त्रियों की सर्वत्र भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद कर सके और ऐसा करने की चाहत रखने वाला प्रतिनिधि का चयन कर सके।

    प्रतिनिधि ऐसा हो, जो पौधरोपण और उसके संरक्षण को महज सरकारी योजना नहीं… बल्कि, लोगो की दैनिक आदतो में शामिल कराने की माद्दा रखता हो। सिंचाई के साधन को जन जरुरत बनाने और पानी की बर्बादी रोकने वाला प्रेमी बनाने का माद्दा रखता हो। जिसके पास सौर उर्जा को घर-घर तक पहुंचाने की सबल योजना हो और जिसमें स्वरोजगार सृजन करने में लोगो की मदद करने की प्रवृत्ति भी हो। जो, ग्रामीण उत्पादन के लिए बाजार की व्यवस्था कर सके और कुटीर उद्दोग व दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दे सके। जिसमें प्रकाश युक्त आवागमन को सुगम करने की जिद हो और जो पंचायत के बृद्धजन, मुसमात और सभी प्रकार से असहाय लोगो की मदद करने की हुनर जानता हो। उनतक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने की क्षमता रखने वाला हो। उसके भीतर रैनबसेरे और सामुदायिक भवन बनाने की इच्छाशक्ति हो और वह कमजोर लोगो को सहयोग करने की कठिन राह पर अकेला चलने की हिम्मत रखता हो। क्योंकि, इस क्षेत्र में काम करने वाला कई समाजिक संस्थाएं मौजूद है। जरुरी है कि हम जिसको प्रतिनिधि चुन रहें है, उसके पास ऐसे संस्थानो से सांमजस स्थापित करने की भरपुर क्षमता हो।

    सार्वजानिक वितरण प्रणाली हो या अन्य सरकारी योजनाएं। स्वक्ष पेयजल की निर्बाध आपूर्ति हो या गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करना। यह वहीं कर सकता है, जो कट्टर नहीं हो। यानी, घोर जातिवादी या धार्मिक उन्माद की इच्छा रखने वाला… चाहे कितना भी चिकनी बातें कर ले। अंत में वह लुटेगा ही। लिहाजा, यदि ऐसे लोगो को समय रहते पहचान करके उनको प्रतिनिधि बनने से रोका नहीं गया और अच्छे लोगो का चयन करने में चूक हुई तो निश्चित रूप से समाज का विकास बाधित होगा और अभी तक जो होता रहा है… वहीं होगा। फिर बाद में पछताने से कुछ नहीं होगा।

  • बिहार के शहर से गांव तक कोरोना से लड़ने की तैयारी शुरू

    बिहार के शहर से गांव तक कोरोना से लड़ने की तैयारी शुरू

    संक्रमण फैला तो काबू करना मुश्किल

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार से निर्देश मिलते ही शहर के बंद पड़े अस्पताल और होटल की पहचान करके आइसोलेशन सेंटर बनाने का काम पहले ही शुरू हो चुका था। अब बिहार के गांवों में इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सभी प्रखंड मुख्यालय में कम से कम 500 बेर्ड के आइसोलेशन सेंटर बनाने का आदेश दे दिया गया है। यानी सरकार को लगने लगा है कि आने वाले दिनो में कोरोना वायरस का संक्रमण बिहार के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। दिल्ली, महाराष्ट्र और एमपी के बाद बिहार बड़ा हॉटस्पॉट बन जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। यानी संक्रमण फैला तो इसको काबू कर पाना मुश्किल हो जायेगा।

    दो बड़े कारण

    बिहार में संक्रमण फैलने का दो प्रमुख कारण बताया जा रहा है। पहला तो ये कि शहर हो या गांव, लोग स्वभाविक तौर पर सोशल डिस्टेंस के महत्व को नहीं समझ रहें है और प्रत्येक गांव या हाट-बाजारो में पुलिस को तैनात करना व्यवहारिक नहीं है । ऐसे में कोरंटाइन का समाजिक तौर पर पालन करना होगा, जो नहीं हो रहा है। इस बीच प्रवासी मजदूरो के चोरी-छुपे बिहार पहुंचने का सिलसिला आज भी जारी है। यह बिहार के गांवों में संक्रमण फैलने की बड़ी वजह बन सकता है। क्योंकि, कतिपय कारणो से समाज ने यहां चुप्पी साध ली है। दूसरा बड़ा कारण ये है कि कोरोना काल के इस समाजिक समस्या को राजनीति की चासनी में डाल कर हमने खुद हालात को पेंचिदा बना दिया है। परवाह जीवन की नहीं है। परवाह, राजनीति के नफा नुकसान की है। जाहिर है ऐसे में जीवन पर मंडरा रही मौत का संकट और बढ़ेगा और हालात बेकाबू हुआ तो खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ेगा।

    कौन भुगतेगा खामियाजा

    अप्रैल के दूसरे सप्ताह में बिहार के सभी पंचायतो में कोरंटीन सेंटर बनाया गया था। कॉन्सेप्ट था कि बाहर से लौटे लोग पहले यहां 14 रोज तक रहेंगे, फिर घर जायेंगे। चूंकी यह सेंटर उनके घर के समीप ही था। लिहाजा, खाना घर से आना था और रहने व साफ-सफाई की व्यवस्था का जिम्मा पंचायत को करना था। पर, हुआं क्या? सभी प्रवासी कामगार सीधे घर चले गये। उस वक्त सभी बुद्धिजीवी चुप थे। कारण ये कि इस वर्ष के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है। वोट खिसकने का डर है। इसके बाद अगले वर्ष के अप्रैल में स्थानीय निकाय का चुनाव होना है। लिहाजा, चुप रहना मुनासिब समझा गया। अब वहीं तथाकथित बुद्धिजीवी इसके लिए पुलिस, प्रशासन और सरकार को दोषी बता रहें है। कोई समझने को तैयार नहीं है कि यदि हालात बेकाबू हो गया तो खामियाजा किसको भुगतना पड़ेगा? दरअसल, कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा एक समाजिक समस्या है। इस चुनौती से निपटने के लिए मिल कर प्रयास करने की जरुरत है। महामारी के इस महाकाल मे राजनीति से इतर हट कर काम करने की जरुरत आन पड़ी है।

    राजनीति की विवशता

    प्रजातंत्र में राजनीति की विवशता देखिए। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पहले कहा गया कि जो जहां है, वहीं रहेगा। बाद में पता चला कि प्रवासियों की संख्या लाखो में है। यानी ये वो लोग है, जो राजनीति की धारा मोड़ देने की माद्दा रखते है। नतीजा, विपक्ष टूट पड़ा और सरकार पलटी मार गई। अब प्रवासियों को लाने की तैयारी हो रही है। राजनीतिक नफा नुकसान के बीच जीवन के मायने बदल गये। बुद्धिजीवियों के सवालो का अंदाज बदल गया। पर, जीवन पर मंडरा रही कोरोना वायरस का खतरा आज भी बरकरार है। बल्कि, संक्रमण के तेजी से फैलने का खतरा पहले से अधिक बढ़ गया है। ऐसे में बड़ा सवाल ये कि क्षणिक राजनीतिक लाभ हेतु, पूरे बिहार को संकट में डालना कितना उचित होगा?

  • बिहार के गांव में लॉकडाउन का बना मजाक

    बिहार के गांव में लॉकडाउन का बना मजाक

    हाट-बाजार में जुट रही है भीड़

    हाट-बाजार

    KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार सरकार के सख्ती के बाद भी ग्रामीण इलाका में लॉकडाउन का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। गांव के हाट-बाजार पर जुटी भीड़ कई बार सोशल डिस्टेंशिंग की धज्जियां उड़ा रही है। अनजाने में ही सही, पर हमारा ग्रामीण समाज खुद के लिए बड़ी मुसीबत को न्यौता देने लगा है। इस बीच सरकारी योजनाओं को लेकर रह-रह कर फैल रही अफवाह के बीच गांव में कई बार लॉकडाउन बेमानी हो जाता है। ऐसे में समय रहते ग्रामीण इलाको में कड़ाई नहीं हुई तो बिहार के गांवों में हालात विस्फोटक रूप ले सकता है।

    गैस एजेंसी में जुटी हजारो की भीड़

    बात 5 अप्रैल की है। मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर गैस एजेंसी में अचानक उमड़ी भीड़ ने लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया। किसी ने अफवाह फैला दिया था कि उज्जवला का लाभ लेने के लिए रजिस्टेशन कराना होगा। नतीजा, भीड़ उमड़ पड़ी और एजेंसी में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। बाद में पुलिस को बुलानी पड़ गई। भीड़ में शामिल पुरैनिया की पार्वती देवी और तालीमपुर की रुपा देवी सहित कई अन्य महिलाओं ने बताया कि आज रजिस्टेशन नहीं हुआ तो योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इधर, मीनापुर संजय इंण्डेन के प्रबंधक रोहित कुमार ने बताया कि सभी को सरकारी घोषणा के मुताबिक लाभ मिलना है। स्मरण रहें कि मीनापुर में उज्जवला के करीब 20 हजार उपभोक्ता है। कारण जो हो, पर सच यही है कि एक अफवाह ने पल भर में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा कर रख दिया।

    हाट-बजार में सोशल डिस्टेंशिंग नहीं

    ग्रामीण हाट बाजारो में सोशल डिस्टेंशिंग का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। लॉकडाउन के बाद भी लोगो की भीड़ कोरोना वायरस का वाहक बनने को उताबली हो रही है। लिहाजा, एक चिंगारी, यदि दावानल का रुप ले ले तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। मीनापुर का नेउरा बाजार, मुस्तफागंज बाजार, मझौलिया बाजार, बलुआ बजार, टेंगरारी बाजार और तुर्की बाजार सहित कई अन्य बाजारो से अक्सर खतरे को दावत देने वाली तस्वीरे आ रही है। गांव के चाय-पान की दुकान पर भी बेवजह बैठे लोग अनजाने में ही कोरोना वायरस के वाहक बनने को बेताब हो रहें है। गाहे-बेगाहे पुलिस की सख्ती भी दिखाई पड़ती है। थाना अध्यक्ष राज कुमार ने बताया कि गांव के भीतर कई बार पुलिस ने कड़ाई की है। फिर भी लोग खतरे की गंभीरता को समझने को तैयार नही है।

    जितने लोग उतनी कहानी

    लॉकडाउन को तोड़ने का गांव में सभी के पास अपनी-अपनी दास्तान है। सब्जी उत्पादक किसानो को बाजार पहुंच कर अपना उत्पाद बेचने की विवशता है। मजदूर कहता है कि कमायेंगे नहीं तो खायेंगे कैसे? बहुत सारे लोगो को जरुरी का समान खरीदने के लिए बाजार जाने की विवशता है। कई लोगो को दवा की खरीद करना है। ऐसे भी लोग है, जो जरुरतमंदो की मदद करने के लिए बाहर जाना चाहतें हैं। चाय की दुकान पर बैठे लोगो ने बताया कि दिन भर घर में ही थे। मन बहलाने हेतु थोड़ी देर के लिए चलें आये है। यानी, जितने लोग उतनी बहाना। शायद इन्हें यह नहीं मालुम है कि इनकी एक गलती से पल भर में पूरा का पूरा लॉकडाउन फेल हो सकता है। अमेरिका और इटली ने यही गलती की और आज वहां लाश उठाने वाला नहीं मिल रहा है।

  • गांव, गरीब और किसान पर केन्द्रित है बजट

    गांव, गरीब और किसान पर केन्द्रित है बजट

    मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट

    KKN लाइव न्यूज ब्यूरो। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट आज लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया। इसी के साथ केन्द्र सरकार का एजेंडा लोगो के सामने आ गया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार के प्रत्येक कार्य एवं योजना के केंद्र में गांव, गरीब और किसान हैं। वित्त मंत्री ने दावा करते हुए कहा कि 2022 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार में बिजली का कनेक्शन और स्वच्छ ईधन आधारित रसोई सुविधा होगी। हर व्यक्ति के पास अपना घर होगा। कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2021-22 तक पात्रता रखने वाले लाभार्थियों को 1.95 करोड़ मकान मुहैया कराए जाएंगे। इनमें रसोई गैस, बिजली एवं शौचालयों जैसी सुविधा होगी।

    आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार

    निर्मला सीतारमण ने कहा कि एनडीए ने अपने पहले कार्यकाल में ‘न्यू इंडिया के लिए काम शुरू कर दिया था। अब इन कार्यों की रफ्तार बढ़ाई जाएगी और आगे चलकर लालफीताशाही को और कम किया जाएगा। उन्होंने सत्ता में भाजपा की वापसी को उज्जवल और स्थिर नए भारत की उम्मीद बताते हुए शेर पढ़ा- उम्मीद हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है।

    शहर और गांव के बीच कम होगा अंतर

    वित्त मंत्री ने कहा कि भारतमाला, सागरमाला और उड़ान जैसी योजनाएं ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच के अंतर को पाटने का काम कर रही हैं और परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारतमाला परियोजना से राज्यों को रोडवेज विकसित करने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए बिलों का भुगतान करने के लिए भुगतान मंच का निर्माण करेगी।

    किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य

    सीतारमण ने कहा, 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठनों का अगले 5 साल में निर्माण किया जाएगा। जीरो बजट खेती पर जोर दिया जाएगा। खेती के बुनियादी तरीकों पर लौटना इसका उद्देश्य है। इसी से किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा होगा। खाद्यानों, दलहन, तिलहन, फल और सब्जियों की स्व-प्रर्याप्तता और निर्यात पर विशेष रूप से जोर दिया गया है।

    जल संकट पर फोकस

    वित्त मंत्री ने कहा है कि जल संकट से निपटने के लिए गठित जल शक्ति मंत्रालय के तहत, प्रत्येक घर को 2024 तक स्वच्छ और पर्याप्त जल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मकसद से सरकार ने जल से जुड़े सभी मंत्रालयों को जोड़कर जल शक्ति मंत्रालय बनाया है। यह मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर हर घर को जल उपलब्घ कराने के मिशन के साथ काम करेगा।

  • बिहार की गांव में भी चलेगा स्वच्छता अभियान

    बिहार की गांव में भी चलेगा स्वच्छता अभियान

    बिहार सरकार ने स्वच्छता अभियान को शहर के साथ-साथ गांव में भी चलाने का निर्णय लिया है। योजना के तहत राज्य के सभी गांवों में डोर-टू-डोर कूड़े का उठाव होगा। गीला एवं सूखा कूड़ा को अलग-अलग करके इनका प्रसंस्करण कर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने की योजना है। इसी के साथ गांवों में नियमित रूप से नालियों की सफाई और चूना-ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव होगा। पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिया है।

    सचिव ने डीएम को लिखा पत्र

    बिहार के प्रधान सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि सभी ग्राम पंचायतों के वार्डों में दो अक्टूबर, 2019 तक हर घर से गीला और सूखा कूड़ा का संग्रहण और उसके पृथकीकरण की व्यवस्था शुरू करायी जाए। दो वार्डों पर एक गाड़ी की व्यवस्था करायी जाए, जिसका संचालन संयुक्त रूप से दोनों वार्डों के स्वच्छता कर्मी करेंगे। साथ ही कूड़ा रखने के लिए डस्टबीन की भी व्यवस्था की जाए। हर गांव में पंचायत द्वारा निर्धारित स्थल पर वर्मी कंपोस्ट इकाई बनायी जाएगी।

    जीविका को मिलेगी जिम्मेवारी

    योजना के मुताबिक यह कार्य जीविका संगठनों से कराया जाएगा। यदि जीविका संगठन तैयार नहीं हो तो ग्राम पंचायतों द्वारा आउट सोर्सिंग द्वारा निजी एजेंसी के माध्यम से इस कार्य को अंजाम दिया जाएगा। इसको लेकर ग्राम पंचायतें आम सहमति से स्वच्छता शुल्क भी वसूल सकती हैं।

  • गांव में प्रशासन की मनमर्जी को डीएम ने स्वयं देखा

    गांव में प्रशासन की मनमर्जी को डीएम ने स्वयं देखा

    आधा दर्जन अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण

    बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड का प्रशासन अपनी मनमर्जी के लिए सूबे में कुख्यात हो चुका है। शनिवार को इसका खुलाशा तब हुआ, जब मुजफ्फरपुर के डीएम मो. सोहैल मीनापुर प्रखंड की विभिन्न पंचायतों में चल रही योजनाओं की समीक्षा करने यहां पहुंचे। इस दौरान यहां के प्रशासनिक हलके की कई लापरवाही व अनियमितता एक-एक करके डीएम के सामने आने लगा। इससे भड़के डीएम ने आधा दर्जन अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा और अवैध वसूली के आरोपित दो आवास सहायक पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दिया।
    मुख्यालय में नदारत मिले अधिकारी
    इससे पहले मीनापुर प्रखंड कार्यालय पहुंचे डीएम ने आरटीपीएस, प्रधानमंत्री आवास योजना, शिक्षा, मनरेगा, स्वास्थ्य व सात निश्चय योजना की समीक्षा की है। मीनापुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 581 लाभार्थी का नाम प्रतीक्षा सूचि में दर्ज है। इसमें से 349 परिवार का अबतक जॉबकार्ड नहीं बना है। इसको गंभीरता से लेते हुए डीएम ने कार्यक्रम पदाधिकारी रवि कुमार से स्पटीकरण मांगा और 24 घंटे के भीतर सभी को जॉबकार्ड देने का आदेश दिया। इससे पहले कार्यालय में अनुपस्थित रहने वाले सीडीपीओ पुष्पा कुमारी, कृषि पदाधिकारी राजदेव राम व अंचल नाजिर चौथी बैठा से डीएम ने स्पष्टीकरण लेने का निर्देश दिया है।
    बंद मिला स्वास्थ्य उपकेन्द्र
    स्थल निरीक्षण के दौरान गोरीगामा पहुंचने पर वहां के स्वास्थ्य उपकेन्द्र को बंद देख कर डीएम भड़क गये। इसके बाद डीएम गोरीगामा हाईस्कूल पहुंचे तो वहां एक भी छात्र विद्यालय में मौजूद नहीं था। इसके अतिरिक्त डीएम ने स्वयं देखा कि विद्यालय की उपस्थिति पंजी पर पिछले तीन दिनों से किसी की भी हाजरी नहीं बनी थी। इसपर डीएम हेडमास्टर तरुण कुमार को फटकार लगाई और शिक्षक रंजीत कुमार व प्रेमरंजन सिंह से स्पष्टिकरण पूछा गया।
    घूस लेने का भी हुआ खुलाशा
    गोरीगामा के वार्ड दस में पहुंच कर डीएम ने नलजल योजना की समीक्षा की। अधूरे काम को देख डीएम ने वार्ड सदस्य को सही से काम करने की नसीहत दी। हद तो तब हो गई, जब डीएम टेंगराहां के वार्ड छह में प्रधानमंत्री आवास योजना देखने पहुंचे। लाभार्थी रामपुकारी देवी ने डीएम को बताया कि आवास सहायक सुरेश प्रसाद ने उससे 10 हजार रुपये रिश्वत ली है। यह सुनते ही डीएम गुस्से से तमतमा उठे और आवास सहायक पर एफआईआर का आदेश दे दिया है। इसके बाद डीएम कोइली पंचायत के चैनपुर पहुंच कर आवास येाजना की समीक्षा की। ताज्जुब की बात है कि यहा भी लाभार्थी शहनाज खातून ने आवास सहायक पर रिश्वत लेने की बात कही। इसके बाद वहां खड़े तमाम अधिकारी बगले झांकने लगें। हालांकि, डीएम ने यहां भी एफआईआर करने का आदेश देकर वापिस लौटना ही मुनासिब समझा।
    कैंसर पीड़ितो ने डीएम से लगाई गुहार
    इससे पहले डीएम के गोरीगाम पहुंचने पर गांव के रमानन्द सिंह और सत्येन्द्र सिंह ने कैंसर पीड़ितों के दर्द से डीएम को अवगत कराया। डीएम को ग्रामीणों ने बताया कि जांच के दौरान गांव के पानी में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है। इसके बाद डीएम ने गांव में आर्सेनिक टिटमेंट प्लांट लगाने के लिए पीएचईडी के एसडीओ रुपेश कुमार से प्रस्ताव देने का आदेश दिया।

  • मीनापुर में राजद चला गांव की ओर

    मीनापुर में राजद चला गांव की ओर

    मुजफ्फरपुर। नीतीश- मोदी का भंडाफोर, राजद चला गांव की ओर…। मीनापुर में राजद ने अपने इस महाअभियान का आगाज कर दिया है। चौदह रोज तक चलने वाली इस महाअभियान के प्रथम रोज सोमवार को राजद ने पैगम्बरपुर और चतुरसी पंचायत के गांवों में बैठक की और लोगो से संपर्क साधा।

    महाअभियान के दौरान लोगो को संबोधित करते विधायक मुन्ना यादव ने कहा कि नीतीश और मोदी की जोड़ी ने मिल कर राज्य के लोगो को ठगा है। बेरोजगार चरम पर है और महंगाई की मार से किसान हाहाकार कर रहें हैं। विधायक ने कहा कि सूबे में अपराधियों का राज है, महिलाओं पर अत्याचार बढ गयें हैं। दलित और अल्पसंख्यक डरे हुए है और नीतिश की सरकार मूक दर्शक बन कर बैठी हुई है।
    विधायक ने बिहार सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार नोटबंदी, शराबबंदी, दहेजबंदी और बालूबंदी के अतिरिक्त और कुछ भी करने को तैयार नही है। कहा कि गरीबो को मिलने वाला राशन हो या पेंशन, सरकार ने इसमें जबरदस्त कटौती करके अपना गरीब बिरोधी चेहरा लोगो के सामने ला दिया है। किसानो को उचित मूल्य पर खाद और बीज नही मिल रहा है। गेंहू के क्रय केन्द्र से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक बिचौलिए हावी है।
    इससे पहले पैगम्बरपुर में छोटेलाल यादव और चतुरसी में मो. रसीद की अध्यक्षता में महाअभियान को राजद नेता उमाशंकर सहनी, सच्चिदानन्द कुशवाहा, राजगीर राम, जवाहर राम, बिक्रांत यादव, सोनफी राय, मोइम अंसारी, पवन यादव, कमल बैठा, शंभू साह, लक्ष्मण चौधरी, मो. अलमुद्दीन आदि दो दर्जन से अधिक लोगो ने संबोधित किया है।

  • बुधनगरा गांव आया बूढ़ी गंडक के मुहाने पर

    मुजफ्फरपुर। मुशहरी प्रखंड का बुधनगरा गांव बूढ़ी गंडक नदी के मुहाने पर आ गया है। गांव के करीब 500 घर कटाव की चपेट में आ गया है। वैसे तो बूढी गंडक नदी के जलस्तर में कमी हो रहा है। बावजूद इसके कटाव के कारण बुधनगरा राधा गांव के 500 से अधिक घरों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
    बुधनगरा राधा गांव के समीप नदी की धारा तेजी से किनारे का कटाव कर रही है। पिछले तीन दिनों में गांव के घरों के निकट पहुंच गयी है। कटावरोधी कार्य के तहत 5 वर्ष पूर्व लगाये गए बोरियों की क्रेटिंग और पत्थर, ईंट की सोलिंग को नदी बहाकर ले जा चुकी है। अब घरों और कटाव के बीच मात्र एक सड़क बची है। दो दिनों से ग्रामीणों द्वारा कटाव रोकने के लिए नदी किनारे के बड़े पेडों को काटकर नदी के कटाव में गिराया गया है। इससे कटाव धीमा हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व कटाव होने पर तत्कालीन मंत्री रमई राम के प्रयास से लगभग एक किलोमीटर में क्रेटिंग हुई थी। तब से लोग सुरक्षित थे। इस वर्ष आई बाढ़ ने पुनः गांव के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। ग्रामीणों ने बुधनगरा राधा गांव से बुधनगरा जगन्नाथ मालिकाना टोला तक कटावरोधी कार्य शुरू करने की जरुरत बताई है।

  • शहीद के गांव का लाइफ लाइन ध्वस्त

    शहीद के गांव का लाइफ लाइन ध्वस्त

    राजकुमार सहनी
    मीनापुर। अमर शहीद जुब्बा सहनी के पैतृक ग्राम चैनपुर में बूढ़ी गंडक नदी का पानी कहर बरपाने लगा है। गांव का लाइफ लाइन कहलाने वाला चैनपुर- मुस्तफागंज सड़क पर करीब तीन फीट पानी का बहाव शुरू हो जाने से लोगो का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट गया है। लगातार बढ़ रहे जलस्तर के कारण चैनपुर की करीब ढ़ाई हजार आबादी के समक्ष कई मुश्किलें खड़ी हो गई है।
    कोइली पंचायत के मुखिया व चैनपुर निवासी अजय कुमार सहनी ने प्रशासन से गांव में राहत कार्य चलाने की मांग की है और बाढ़ में फंसे लोगो को बाहर निकालने के अंचलाधिकारी से नौका देने को कहा है। बतातें चलें कि शहीद जुब्बा सहनी व बांगुर सहनी के पैतृक गांव चैनपुर में अभी तक राहत सामग्री के नही पहुंचने से लोगो में आक्रोश है।