Baisakhi 2025: हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Baisakhi 2025: Lakhs of devotees reach Haridwar for holy Ganga bath and grand aarti

KKN गुरुग्राम डेस्क | बैसाखी 2025 के अवसर पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। चैत्र पूर्णिमा और वीकेंड के कारण इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली। सुबह से ही हर की पैड़ी, गंगा घाट, और आसपास के मंदिरों पर लाखों लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे।

हरिद्वार में इस पावन अवसर पर धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का नजारा देखते ही बनता था। गंगा आरती के भव्य आयोजन ने श्रद्धालुओं के मन को भक्तिभाव से भर दिया।

गंगा आरती और पवित्र स्नान बना मुख्य आकर्षण

हर साल की तरह इस बार भी गंगा स्नान और सुबह की गंगा आरती बैसाखी के मुख्य आकर्षण रहे। सुबह चार बजे से ही हर की पैड़ी पर श्रद्धालु जुटने लगे थे। लोग पवित्र गंगा नदी में स्नान कर पुण्य अर्जित करने को आतुर दिखे।

गंगा आरती के दौरान जब दीपों की रोशनी गंगा की लहरों पर प्रतिबिंबित हो रही थी, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। “हर हर गंगे” और “जय मां गंगे” के जयकारों से हरिद्वार गूंज उठा।

भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इस साल बैसाखी पर लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए। पूरा मेला क्षेत्र 4 सुपर जोन, 14 जोन और 40 सेक्टर में बांटा गया।

हर सेक्टर में पुलिस बल, होमगार्ड, और सिविल डिफेंस के जवानों की तैनाती की गई। साथ ही, सीसीटीवी कैमरों से लगातार निगरानी रखी गई। मेडिकल सहायता के लिए भी आपातकालीन स्वास्थ्य केंद्र और फर्स्ट एड बूथ स्थापित किए गए।

“श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा हमारी पहली प्राथमिकता है,” — एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया।

शहर की यातायात व्यवस्था पर पड़ा असर

इतनी भारी भीड़ के चलते हरिद्वार की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। मुख्य हाईवे से लेकर आंतरिक सड़कों तक लंबा ट्रैफिक जाम देखने को मिला। कुछ यात्रियों को हरिद्वार से ऋषिकेश पहुंचने में 5 घंटे से अधिक का समय लग गया।

सभी पार्किंग स्थल फुल हो चुके थे, और श्रद्धालुओं को अपने वाहन दूर खड़े कर पैदल चलना पड़ा। होटल, लॉज, और धर्मशालाओं में एक भी कमरा खाली नहीं था, जिससे कई श्रद्धालुओं को वाहन में ही रात बितानी पड़ी।

चैत्र पूर्णिमा ने बढ़ाया धार्मिक महत्व

इस बार बैसाखी और चैत्र पूर्णिमा एक ही दिन पड़ने से इसका धार्मिक महत्व और बढ़ गया। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

शनिवार शाम को गंगा आरती के समय हर की पैड़ी पर भक्तों का महासागर उमड़ पड़ा। गंगा तटों पर हर आयु वर्ग के लोग दिखे — बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं, युवा सभी आस्था में लीन थे।

मंदिरों में भी दिखी श्रद्धालुओं की भीड़

चंडी देवी और मनसा देवी मंदिरों में दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। श्रद्धालु ट्रॉली या पैदल मंदिर तक पहुंच रहे थे। मंदिर परिसर में साफ-सफाई और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया।

मंदिरों के आसपास की दुकानों में रौनक रही, जहां फूल, प्रसाद, और धार्मिक सामग्री की खूब बिक्री हुई।

रुड़की में भी जाम की स्थिति

रुड़की, जो कि हरिद्वार का मुख्य मार्ग है, वहां भी ट्रैफिक जाम की भयावह स्थिति देखने को मिली। हाईवे, स्टेट हाइवे और संपर्क मार्गों पर वाहन रेंगते नजर आए। स्थानीय पुलिस जाम को नियंत्रित करने में लगी रही, लेकिन भीड़ के सामने व्यवस्था असहाय साबित हुई।

श्रद्धालुओं ने साझा किए अपने अनुभव

श्रद्धालुओं ने इस यात्रा को बेहद आध्यात्मिक और अविस्मरणीय बताया।

“इतनी बड़ी भीड़ मैंने पहली बार देखी, लेकिन गंगा स्नान का अनुभव अद्वितीय था,” — सुमन देवी, जयपुर से आईं श्रद्धालु।

“होटल नहीं मिला तो हमने कार में ही रात बिताई, लेकिन दर्शन कर सब कुछ सार्थक लगा,” — एक परिवार पंजाब से।

पर्यावरण को लेकर भी प्रशासन रहा सतर्क

हरिद्वार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया। कागज और पत्तों से बनी पूजा सामग्री को बढ़ावा दिया गया। घाटों पर सफाई कर्मचारी लगातार मौजूद रहे ताकि घाटों को स्वच्छ रखा जा सके।

श्रद्धालुओं से भी अपील की गई कि वे गंगा में प्लास्टिक या कचरा न डालें और पर्यावरण की रक्षा करें।

बैसाखी 2025 हरिद्वार में भक्ति, उत्साह और व्यवस्थाओं की कड़ी परीक्षा थी। एक ओर लाखों श्रद्धालुओं ने इस पर्व को श्रद्धा से मनाया, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए जी-जान लगा दिया।

यह पर्व न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने भारत की आध्यात्मिक विरासत और सांस्कृतिक एकता को भी पुनः रेखांकित किया।

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