गांव में लाउडस्पीकर की मुश्किलों से कैसे मिली मुक्ति: अंजुमन

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तिरसठपुर गांव, जहां पहले चिड़ियों की चहचहाहट और ठंडी हवाओं की सरसराहट से सुबह होती थी, वहां अब लाउडस्पीकर के शोर ने चैन छीन लिया था। बुजुर्ग रामू चाचा, पढ़ाकू नीतू और मेहनती किसान मनोज की जिंदगी शोरगुल में उलझ गई थी। जब बीमारी, पढ़ाई और कामकाज पर असर पड़ा, तो तीनों ने गांव की पंचायत में आवाज उठाई। विशेषज्ञ की राय, सरपंच का समझदारी भरा निर्णय और लोगों की एकजुटता से गांव में शांति वापस लौटी। जानिए इस प्रेरक कहानी के जरिए, कैसे एक छोटे से कदम ने बड़े बदलाव की शुरुआत की!

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