भारत का अल्पसंख्यक कितना राष्ट्रवादी

Featured Video Play Icon

भारत में धर्म आधारित राजनीति करने का सिलसिला नया नहीं है। गुलामी की दौर में अंग्रेज़ों ने अपने शासनकाल के दौरान हिंदू और मुसलमानों के बीच नफ़रत की जो खाई खोदी थी। आजादी के बाद देश के सत्ताभोगी सियासतदानों ने उस खाई को पाटने की जगह, उसको अपने निहित स्वार्थ के खातिर और अधिक बढ़ा कर, आज खतरनाक अवस्था तक पहुंचा दिया है। बात धार्मिक उन्माद की हो या फिर जातीय तनाव की। आलम तो ये है कि हमारे सियासतदानो ने, खुद के सत्ता सुख हेतु स्त्री और पुरुष के बीच भी खाई बना दिया है। आखिरकार, इसकी अंतिम परिणति क्या होगी और यह कहां जा कर रुकेगा। आज हम इसी विषय की पड़ताल करेंगे…

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *