बाल विवाह परम्परा या अभिशाप
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लोक आस्था के महापर्व छठ का वैज्ञानिक महत्व
लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पर्व को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो षष्ठी तिथि को एक विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है, इस समय सूर्य की पराबैगनी किरणें (Ultra Violet Rays) पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाती हैं। इस कारण इसके सम्भावित कुप्रभावों से मानव की यथासम्भव रक्षा करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है। कहतें हैं कि सूर्य और तारा का प्रकाश पराबैगनी किरण के हानिकारक प्रभाव से जीवों की रक्षा के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा रही है
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सीजेरियन डिलेवरी : यानी 23 हजार करोड़ का बड़ा कारोबार
जीवन की निरंतरता को बनाए रखने के लिए संतान सुख की चाहत, नैसर्गिक सत्य है। मनुष्य भी इससे परे नही हो सकता। किंतु, आज के भौतकिवादी युग में स्वास्थ्य सेवा, एक बड़ा कारोबार बन चुका है। सीजेरियन डिलेवरी यानी ऑपरेश से बच्चा पैदा करने के नाम पर जबरदस्त लूट मची है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष तकरीबन 41 प्रतिशत सीजेरियन डिलेवरी का होना, चौका देता है
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जानिए, तेल के खेल की पूरी हकीकत
आज हम बात करेंगे भारत में चल रहें तेल के खेल का। खेल, सरकारी लूट का, खेल तेल के गणित का और इससे भी बड़ा खेल तो ये कि गुपचुप तरीके से चल रही इस खेल पर, एक गहरे साजिश के तहत पर्दा डाले रहने का भी। तेल के इस खेल से आज हम उठायेंगे पर्दा, बतायेंगे क्या है, तेल का पूरा गणित
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रोहिंग्या को कश्मीर पहुंचाने के पीछे छिपा है बड़ा राज
रोहिंग्या मुसलमान अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में है। करीब एक लाख से अधिक रोहिंग्या भारत में शरणार्थी बने हुए है। हालांकि, इसका आधिकारिक आंकड़ा फिलहाल मौजूद नही है। इनमें ज्यादातर लोग जम्मू, हैदराबाद, हारियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली, एनसीआर में रह रहे हैं। कहतें हैं कि अकेले 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या अवैध ढंग से कश्मीर तक पहुंच गयें, या यूं कहें कि उन्हें साजिश के तहत यहां तक पहुंचा दिया गया
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बिहार में गोपालगंज के थावे भवानी की मंदिर का रहस्य, देखिए इस रिपोर्ट में
बिहार में कई धार्मिक और पौराणिक स्थल मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है, थावे की भवानी मां। इन्हें देश की 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कमाख्या से चलकर यहां पहुंची थीं। कहा जाता है कि भक्त रहषु के आह्वान पर ही मां कमाख्या से चलकर कोलकता, पटना और छपरा होते हुए थावे पहुंच गई और रहषु के मस्तक को विभाजित करके लोगो को दर्शन दिएं। मॉ का दर्शन होते ही हथुआ राजा की मौत हो गई और उसका विशाल किला खंडहर में तब्दिल हो गया
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देवी दुर्गा की पाराशक्ति का क्या है आध्यात्मिक महत्व
दुर्गा हिन्दुओं की प्रमुख देवी हैं। इनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकार रहित बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली देवी हैं। देखिए इस वीडियो में
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जानिए, भारत की मजबूत हो रही इच्छाशक्ति को
पिछले दिनो ब्रिक्स देशो के द्वारा आतंकवाद पर कड़े रुख अख्तियार कर लेने के बाद पाकिस्तान बैकफुट पर आ गया है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों के लिये पाकिस्तान को सुरक्षित पनाहगार बताने से पाकिस्तान सकते में है। नतीजा, ख्वाजा आसिफ़ स्वयं ही कबूल किया है कि अगर पाकिस्तान को विश्व पटल पर शर्मिंदगी से बचना है तो उसे आतंकी संगठनों पर रोक लगानी ही होगी। इसे भारत के विदेश नीति की जबरदस्त जीत के रूप में भी देखा जा रहा है
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बाढ़ उतरने के बावजूद, मौजूद है खतरा
बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद भी खतरा बरकरार है। खतरा, संक्रामक बीमारियों का है। खतरा, सांप और बिच्छुओं का भी है और इस सब से बड़ा खतरा उन गड्ढ़ो से है, जिनमें डूब कर आय रोज मौत की खबरें आ रही है। ऐसे में सिर्फ बाढ़ के वक्त पानी की बात करना, बेमानी नही तो और क्या है? देखिए पूरी रिपोर्ट
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बाढ़: परेशानी का सबब या कमाई का जरिया
सामुहिक किचन चालू हुआ नही और फर्जी वाउचर बनाने का खेल आरंभ हो गया। क्या इसकी जांच होगी? सवाल ये कि, कब होगी जांच और कब मिलेगी राहत? इससे भी बड़ा सवाल ये कि, जांच में कोई पकडा भी जायेगा क्या? सभी जानतें हैं, जांच की आर में लीपापोती का खेल होगा। खेल, गरीबो के पेट से होगा। खेल, रहनुमाओं की तिजोरी भरने का भी होगा और अधिकारी भी इसमें पीछे नही रहेंगे
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बाढ़ से राजनीतिक मुनाफा, बना परेशानी का सबब
चीन, नदियों की स्थिति को लेकर डेटा साझा करने की संधि का पालन नहीं कर रहा है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का मसला बनना तय है। अब दबी जुबान से चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि कहीं चीन ने जान बूझकर भारत के खिलाफ ‘बाढ़ बम’ का इस्तेमाल तो नही किया है? असम, पूर्वी यूपी और बिहार में बाढ़ के पीछे कहीं चीन ही तो नहीं है? फिलहाल, यह सवाल अनुत्तरित है
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मोहम्मद रफी के आखिरी अल्फाज…तो मै चलूँ
वह 31 जुलाई 1980 की शाम का वक्त था, फिजा में खामोशी थी, जैसे कोई नश्तर टूट के दिल में चूभ गया हो। इसी खामोशी में, इसी मायूसी से भरे सन्नाटे में ‘शहंशाह-ए-तरन्नुम’ को सुपुर्दे ख़ाक किया जा रहा था
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तिब्बत की दासता, चीन की धोखेबाजी नही तो और क्या है
कहतें हैं आदमी गलत हो, तो उसे अपना दोस्त नही बनाना चाहिए और नाही उससे कोई मदद ही स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि, कालांतर में इससे आपका ही नुकसान होगा। इतिहास के पन्नो में झाके तो तिब्बत इसका ज्वलंत मिशाल दीख जायेगा। बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कभी तिब्बत ने, चीन से अपनी रक्षा के लिए सैन्य मदद मांगी थी। चीन ने मदद भी किया। लेकिन, बाद में धोखे से उस पर कब्जा कर लिया। तिब्बत पर धोखे से कब्जा करने के बाद चालाक चीन की निगाहें अब भारत की सीमा पर लगी हुई है। आइये देखते है पुरी रिपोर्ट
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मॉनसून पर निर्भर सिंचाई, कृषि विकास दर हेतु छलाबा नही तो और क्या है
आइये, समझने की कोशिश करतें हैं कि मानसून का हमारे कृषि से क्या संबंध है? यहां बताना जरुरी है कि हमारे बिहार में कृषि योग्य कुल भूमि 43.86 लाख हेक्टेयर है। इसमें 33.51 लाख हेक्टेयर विभिन्न साधनों द्वारा सिंचित है और बाकी की जमीन पर बेहतर पैदावर के लिए किसान वर्षा पर निर्भर रहतें है। आपको बतातें चलें कि राज्य का कुल क्षेत्रफल 94 हजार 163 वर्ग किलोमीटर में फैला है। जिसमें 92 हजार 257.51 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र कहलाता है। बिहार में सिंचाई का मुख्य साधन कुआँ, नलकूप तथा तालाब हैं
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चीन और भारत के बीच डोकलाम बना विवाद का बड़ा कारण
सिक्किम के डोकालाम को लेकर भारत और चीन के बीच इस वक्त तनाव चरम पर है। यहां तक की बड़वोले चीन ने भारत को युद्ध की धमकी तक दे डाली है। चीन की धमकियों के बीच भारत ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। भारत ने दो टूक लहजे में बता दिया है कि वह किसी धमकियों से डरकर कदम पीछे करने वाला नहीं है। इतना ही नही बल्कि, भारत ने चीन से कहा कि वह भूटान के क्षेत्र से बाहर निकल जाये। दरअसल, डोकलाम विवाद है क्या? आइये विस्तार से समझते है
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GST में कर स्लैब व पंजीकरण की पुरी जानकारी
संसद के सेंट्रल हॉल में 30 जून, आधी रात को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी ने बटन दबाकर गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स, जीएसटी को लॉन्च कर दिया है। इसी के साथ भारत में एक समान कर प्रणाली लागू हो गया है। आपको बतातें चलें कि इससे पहले विश्व के 160 देशो में जीएसटी लागू है और इसी कड़ी में भारत विश्व का 161वॉ देश बन चुका है। हालांकि अब भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें इसके प्रावधानों को लेकर भ्रम हैं। आइये हम आपको बतातें है कि दरअसल यह जीएसटी है क्या? और इसका हमारे रोजमर्रा के जिन्दगी पर क्या असर पड़ेगा
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योग में छिपा है सेहत का राज
तन के साथ मन भी निरोग रहे, तो यह संसार बड़ा ही आनंददायक लगने लगता है। तन और मन दोनो को निरोग रखने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका से किसी को इनकार नही है। बावजूद इसके कुछ शरारती लोगो ने इसे धर्म, मजहब और सामप्रदाय से जोड़ कर विवाद को जन्म देने की कोशिश की है। आज हम आपको बतातें हैं कि दरअसल, योग है क्या
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योग : एक जीवन शैली
याद करिये 11 दिसंबर 2014 को। वह एक ऐतिहासिक क्षण था। यूनाइटेड नेशन की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कर दिया। मजेदार बात ये कि इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया। इससे पहले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सिंतबर 2014 को पहली बार यूनाइटेड नेशन के समक्ष इस प्रस्ताव को पेश किया था। मात्र तीन महीने से भी कम समय में यूएन की महासभा में पास होना, वास्तव में हम सभी के लिए गौरव की बात है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड भी है। मजेदार बात ये कि इस प्रस्ताव का समर्थन 193 में से 175 देशों ने समर्थन किया और बिना किसी वोटिंग के इसे स्वीकार कर लिया गया। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह विश्व के 191 देशो में मनाया जाता है। इसमें 47 मुस्लिम देश भी शामिल है