जब देश का प्रधानमंत्री खुद एक साधारण कार्यकर्ता या गृहिणी से मिलकर उनकी समस्याओं पर चर्चा करता है, तो इससे न केवल उस व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है, बल्कि समाज में एक नई उम्मीद भी जगती है। यह लेख उन नेताओं के लिए एक सबक है, जो चुनाव में हार के बाद बहाने बनाते हैं। जानिए, कार्यकर्ताओं से केवल जुड़ना ही नहीं, बल्कि जुड़े रहना कितना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री का आम कार्यकर्ता से संवाद: भरोसे की नई मिसाल

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