विदाईपुर गांव का एक घमंडी दर्जी, जो हमेशा दूसरों की बुराई करता और अफवाहें फैलाता था, आखिरकार अपने ही कर्मों के जाल में फंस गया। उसके पांच पुत्र भी उसी राह पर चल पड़े, लेकिन जब गांववालों ने विरोध किया, तो हालात बेकाबू हो गए। दर्जी का परिवार अंदर ही अंदर सड़ने लगा, और फिर एक दिन ऐसा हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी! जानिए इस चौंकाने वाली कहानी में कि बुराई का बीज बोने वाला आखिरकार कैसे खुद ही उसमें डूब जाता है।
दर्जी का अहंकार: जब उसकी ही चतुराई उसे निगल गई: अंजुमन

प्रातिक्रिया दे