KKN गुरुग्राम डेस्क | राम नवमी, भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का पर्व, हर वर्ष बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष पश्चिम बंगाल में राम नवमी के अवसर पर आयोजित होने वाले जुलूसों और रैलियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल रही है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि इस बार राम नवमी पर 1.5 करोड़ हिंदू रैलियों और शोभायात्राओं में भाग लेंगे। भाजपा की ओर से किए गए इस दावे ने राज्य की राजनीति को फिर से गर्म कर दिया है, वहीं राज्य सरकार भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्क है। इस लेख में हम बंगाल में राम नवमी के जुलूसों की तैयारियों, सुरक्षा उपायों और राजनीतिक संदर्भ पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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राम नवमी पर बढ़ी रैलियों की संख्या: 2,000 से अधिक रैलियां
राम नवमी के अवसर पर इस बार 2,000 से ज्यादा रैलियां आयोजित होने की योजना बनाई गई है। इस वर्ष इन जुलूसों में भाजपा का एक बड़ा दावा है कि 1.5 करोड़ हिंदू इस धार्मिक अवसर पर अपनी भागीदारी दर्ज कराएंगे। इससे पहले, पश्चिम बंगाल में राम नवमी के दौरान आयोजित रैलियों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते रहे हैं, लेकिन इस बार यह संख्या अभूतपूर्व बताई जा रही है।
राम नवमी के दिन आयोजित होने वाली ये शोभायात्राएं केवल धार्मिक उत्सव नहीं हैं, बल्कि पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच तीव्र राजनीतिक संघर्ष का भी हिस्सा बन गई हैं। भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार इस अवसर पर हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं करती, जबकि टीएमसी इसे एक राजनीतिक हथियार मानती है।
राज्य में सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ी निगरानी: ड्रोन से निगरानी
राम नवमी के जुलूसों की बढ़ती संख्या और उसमें भाग लेने वालों की विशाल संख्या को देखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है। राज्य के प्रमुख शहरों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा, ड्रोन निगरानी के माध्यम से जुलूसों पर नजर रखी जाएगी, ताकि किसी भी अप्रत्याशित घटना से निपटा जा सके। यह कदम सुरक्षा को सुनिश्चित करने और किसी भी हिंसा को रोकने के लिए उठाया गया है।
राज्य सरकार ने बिजली की आपूर्ति को कुछ क्षेत्रों में अस्थायी रूप से बंद करने की भी योजना बनाई है ताकि किसी भी प्रकार की अशांति की स्थिति में जल्दी से कार्रवाई की जा सके। पिछले कुछ वर्षों में राम नवमी के दौरान होने वाली हिंसा को देखते हुए ये सुरक्षा उपाय महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
भाजपा और टीएमसी के बीच राजनीतिक संघर्ष
राम नवमी के जुलूसों का महत्व केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पश्चिम बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच चल रहे राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा भी बन चुका है। भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि 1.5 करोड़ हिंदू इस बार राम नवमी के जुलूसों में हिस्सा लेंगे। इस बयान ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है, क्योंकि टीएमसी सरकार का कहना है कि भाजपा ने धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक एजेंडे के रूप में इस्तेमाल किया है।
टीएमसी के नेता आरोप लगाते हैं कि भाजपा ने राम नवमी को एक राजनीतिक मंच के रूप में बदल दिया है और इसका उद्देश्य केवल मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है। वहीं, भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार हिंदू धार्मिक आयोजनों को दबाने का प्रयास कर रही है और उन्हें उचित सुरक्षा नहीं देती।
राम नवमी और पश्चिम बंगाल की सांप्रदायिक स्थिति
पिछले कुछ वर्षों में, पश्चिम बंगाल में राम नवमी के जुलूसों के दौरान सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। 2021 और 2022 में होने वाली हिंसा ने राज्य में एक गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया था। इन घटनाओं में विभिन्न समुदायों के बीच झड़पें और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले थे, जिससे राज्य की सुरक्षा स्थिति पर सवाल उठे थे।
भले ही राम नवमी का आयोजन धार्मिक उद्देश्यों के तहत किया जाता है, लेकिन यह दिन राज्य के राजनीतिक और सांप्रदायिक तनावों का केंद्र बन चुका है। भाजपा और टीएमसी के नेताओं के बयानों और आरोप-प्रत्यारोप ने इस अवसर को और भी विवादित बना दिया है।
व्यापारिक और सामाजिक प्रभाव
राम नवमी के अवसर पर आयोजित होने वाले विशाल जुलूसों का प्रभाव न केवल धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में, बल्कि व्यापारिक दृष्टिकोण से भी देखा जा सकता है। इस दिन खासकर हिंदू व्यापारियों के लिए अच्छे व्यापार का अवसर होता है। पूजा की सामग्रियों, राम के चित्र, मूर्ति और अन्य धार्मिक सामग्री की बिक्री में भारी बढ़ोतरी देखी जाती है। स्थानीय दुकानदारों को इस अवसर पर विशेष रूप से लाभ होता है।
इसके अलावा, यातायात और सार्वजनिक सेवाओं पर भी असर पड़ता है, क्योंकि जुलूसों के कारण कई रास्तों को बंद करना पड़ता है, जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। विशेष रूप से कोलकाता जैसे शहरों में, जहां अधिकतम रैलियां होती हैं, वहां यातायात नियंत्रण और सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त प्रबंध किए जाते हैं।
राम नवमी 2025 पर बंगाल में होने वाली रैलियां केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि राजनीतिक बयानों और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रतीक बन चुकी हैं। भाजपा का दावा है कि इस बार 1.5 करोड़ हिंदू जुलूसों में भाग लेंगे, जो राज्य में एक नई राजनीतिक लहर की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, राज्य सरकार ने सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की हिंसा से बचा जा सके।
इस वर्ष की राम नवमी को लेकर बंगाल में एक विशेष प्रकार की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति बनी हुई है, जो राज्य के आगामी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अब यह देखना होगा कि राम नवमी के इस पर्व में कितना धार्मिक उल्लास देखने को मिलता है और कितनी राजनीति का प्रभाव इसे प्रभावित करता है।
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