पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, शिक्षकों को दिसंबर तक काम करने की मिली अनुमति

Supreme Court’s Decision on Bengal Teachers Recruitment Scam: Teachers Allowed to Continue Till December

KKN गुरुग्राम डेस्क | पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल, 2025 को अपना फैसला सुनाया, जिसमें 25,000 से अधिक शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था। इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने शिक्षकों के काम जारी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया। अब, इन शिक्षकों को आगामी अकादमिक सत्र के अंत तक यानी दिसंबर 2025 तक काम करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, ग्रुप C और D कर्मचारियों को कोई राहत नहीं मिली है, और उनकी नियुक्तियां तुरंत रद्द कर दी गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: पश्चिम बंगाल में 25,000 से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी हटाए गए

सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) के जरिए 2016 में भर्ती किए गए 25,000 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला भ्रष्टाचार और घोटाले की गंभीरता को देखते हुए दिया। कोर्ट का कहना था कि 2016 में हुई भर्ती प्रक्रिया धोखाधड़ी और जोड़-तोड़ से भरी हुई थी। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस भर्ती प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार की व्यापक संभावना थी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।

इस आदेश ने पश्चिम बंगाल में शिक्षा व्यवस्था को एक बड़ा झटका दिया, जहां लाखों छात्रों को आने वाले समय में प्रभावित होने की संभावना थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि इस फैसले से शिक्षा के नुकसान को देखते हुए कुछ समय के लिए राहत देना आवश्यक था।

शिक्षकों को दिसंबर तक काम करने की मिली अनुमति

जब राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि यदि शिक्षकों को अब हटा दिया जाता है, तो इससे छात्रों की पढ़ाई में बड़ा नुकसान होगा, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राहत दी। अदालत ने 9वीं से 12वीं कक्षा के शिक्षकों को दिसंबर 2025 तक काम करने की अनुमति दी, ताकि उनकी शिक्षाओं से छात्रों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर न पड़े।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार को 31 मई 2025 तक नई भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करना होगा और नई नियुक्तियां 31 दिसंबर 2025 तक पूरी करनी होंगी। यदि राज्य सरकार यह समय सीमा पूरी नहीं करती है, तो सुप्रीम कोर्ट इसे सख्ती से देखेगा और उस पर कार्रवाई करेगा।

ग्रुप C और D कर्मचारियों को राहत नहीं

हालांकि शिक्षकों को काम जारी रखने की अनुमति मिल गई है, लेकिन ग्रुप C और ग्रुप D कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गई है। इन्हें तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है और उनकी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है। यह कर्मचारी वे थे जो शिक्षा विभाग में गैर-शैक्षणिक पदों पर कार्यरत थे और जिनकी भर्ती भी घोटाले से संबंधित थी।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका था, जो वर्षों से इन पदों पर कार्यरत थे। इससे राज्य सरकार के सामने एक और चुनौती है, क्योंकि इन कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द करना राज्य के प्रशासनिक कार्यों पर भी असर डाल सकता है।

शिक्षक भर्ती घोटाले का इतिहास

2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) द्वारा की गई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आई थीं। 23 लाख उम्मीदवारों ने इस भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन किया था, और इसमें से 25,000 से ज्यादा को नौकरी मिली थी।

चर्चाओं के मुताबिक, इस भर्ती में भारी पैमाने पर घोटाले हुए थे। यह आरोप था कि राजनीतिक सिफारिशों और भ्रष्टाचार के जरिए नौकरी पाने वाले लोगों का चयन किया गया था, जिससे योग्यता और पारदर्शिता की कमी आई। कई मामलों में यह भी सामने आया कि कुछ लोग बिना परीक्षा के ही साक्षात्कार के आधार पर चयनित हो गए थे, और इससे सिस्टम की ईमानदारी पर सवाल उठे थे।

राज्य सरकार का अनुरोध: शिक्षा के नुकसान से बचने की अपील

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह अपील की थी कि शिक्षकों को हटाने से शिक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, और छात्रों की पढ़ाई में बड़ी विघटन होगी। सरकार ने कहा कि शिक्षकों के बिना छात्रों को शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, विशेषकर 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।

सरकार ने यह भी कहा कि यदि शिक्षकों को तुरंत हटा दिया गया तो शैक्षणिक सत्र को समाप्त करना मुश्किल हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस अनुरोध पर विचार करते हुए कुछ समय के लिए राहत दी, ताकि दिसंबर तक शिक्षकों को काम करने की अनुमति मिल सके और छात्रों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।

राज्य सरकार के लिए चुनौती: नई भर्ती प्रक्रिया और पारदर्शिता

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती लेकर आया है। नई भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए सरकार को जल्दी से जल्दी कदम उठाने होंगे। 31 मई 2025 तक नए विज्ञापन जारी करने का आदेश सरकार को सख्त रूप से पालन करना होगा। इसके बाद 31 दिसंबर 2025 तक नियुक्तियां पूरी करनी होंगी, ताकि शिक्षा विभाग में नियुक्तियों की प्रक्रिया में कोई और खामी न आए।

राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि नई भर्ती प्रक्रिया में शैक्षिक और प्रशासनिक पारदर्शिता हो, ताकि भ्रष्टाचार से बचा जा सके। इसके लिए सरकार को सख्त नियम और कठोर निगरानी तंत्र लागू करना होगा।

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला एक गंभीर मामले के रूप में सामने आया है, जो राज्य की शिक्षा प्रणाली और भर्तियों के पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश राज्य सरकार के लिए एक चेतावनी है कि भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना होगा।

राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि भ्रष्टाचार के मामलों को पूरी तरह से समाप्त किया जाए और भविष्य में शैक्षिक गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाए। इस समय की सबसे बड़ी चुनौती नई भर्ती प्रक्रिया को सही तरीके से लागू करना है ताकि छात्रों की शिक्षा पर कोई असर न पड़े और सरकारी तंत्र में विश्वास बहाल हो सके।

KKNLive पर हम आपको पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं पर ताजातरीन अपडेट्स और विश्लेषण प्रदान करते रहेंगे।

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