KKN गुरुग्राम डेस्क | 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस हमले में एक नेपाली युवक की मौत हो गई, जिससे नेपाल में गुस्से और आक्रोश का माहौल बन गया। काठमांडू, नेपाल की राजधानी, में इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी दूतावास को बंद करने की मांग की और यह आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को समर्थन दे रहा है। इस लेख में हम काठमांडू में हुए इस विरोध प्रदर्शन की पूरी जानकारी देंगे और इसे लेकर नेपाली युवाओं की भावनाओं और काठमांडू में उठ रही मांगों पर चर्चा करेंगे।
काठमांडू में प्रदर्शन: नेपाली युवाओं की आवाज
काठमांडू में हुई इस विरोध प्रदर्शन में हजारों की संख्या में युवा शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने अपनी आवाज बुलंद की और नेपाली युवक की हत्या के खिलाफ न्याय की मांग की। उनकी सबसे बड़ी मांग थी कि नेपाल सरकार पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को खत्म करे और काठमांडू में स्थित पाकिस्तानी दूतावास को बंद कर दे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों का समर्थन करता है, जो भारतीय और नेपाली नागरिकों की जान लेने में शामिल हैं।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि नेपाल को अपनी सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। काठमांडू में इस विरोध के दौरान कई बैनर और पोस्टर देखे गए, जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ नारे लिखे गए थे। इस प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि नेपाली जनता आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ी है और उन्हें पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादियों से खतरा महसूस हो रहा है।
नेपाल में बढ़ता गुस्सा और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश
नेपाल में यह विरोध प्रदर्शन केवल एक आतंकी हमले के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि नेपाल अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर है। पाकिस्तानी दूतावास के खिलाफ यह प्रदर्शन, पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को पनाह देने की पुरानी नीति के खिलाफ था। प्रदर्शनकारियों का मानना था कि नेपाल को पाकिस्तान से संबंधित अपने राजनयिक रिश्तों को फिर से विचार करना चाहिए।
काठमांडू में हुए इस प्रदर्शन में युवाओं ने यह भी कहा कि नेपाल को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी आवाज उठानी चाहिए और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों पर दबाव डालना चाहिए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यदि पाकिस्तान इस प्रकार के आतंकवादी हमलों को बढ़ावा देता रहेगा, तो नेपाल को पाकिस्तान के साथ संबंध समाप्त करने चाहिए।
सोशल मीडिया का असर और प्रदर्शन का फैलाव
सोशल मीडिया ने काठमांडू में हुए इस प्रदर्शन को और अधिक प्रकट किया। प्रदर्शनकारियों ने #ClosureOfPakEmbassy जैसे हैशटैग का उपयोग करते हुए सोशल मीडिया पर अपनी मांगें तेज़ी से फैलाने की कोशिश की। ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफार्मों पर यह आंदोलन तेजी से बढ़ा, और नेपाल के नागरिकों के साथ-साथ भारतीय और अन्य देशों के नागरिकों ने भी इस अभियान का समर्थन किया। सोशल मीडिया ने इस प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया और नेपाल के नागरिकों की आवाज को दुनिया भर में गूंजने का अवसर दिया।
नेपाल सरकार और राजनेताओं की प्रतिक्रिया
काठमांडू में हो रहे इस विरोध प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण हो गई है। जबकि नेपाल सरकार ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और मृतक के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की, लेकिन इस मुद्दे पर सरकार की कार्रवाई को लेकर कोई ठोस बयान सामने नहीं आया। नेपाल के कुछ राजनीतिक नेताओं ने प्रदर्शनकारियों के अधिकारों का समर्थन किया, जबकि कुछ नेताओं ने संयम बरतने की अपील की।
नेपाल के प्रधानमंत्री और अन्य सीनियर अधिकारियों ने अभी तक इस प्रदर्शन के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है, लेकिन यह देखा जाएगा कि भविष्य में सरकार इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है। एक तरफ जहां प्रदर्शनकारी पाकिस्तान के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ राजनैतिक नेता इस मुद्दे को ज्यादा संवेदनशील बनाने से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
काठमांडू में प्रदर्शन और नेपाल-पाकिस्तान रिश्ते
यह प्रदर्शन नेपाल और पाकिस्तान के रिश्तों को एक नए मोड़ पर ले आया है। नेपाल और पाकिस्तान के बीच पहले भी कई मतभेद रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है जब नेपाल में इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की गई है। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि नेपाल में आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा और पाकिस्तान के प्रति नफरत बढ़ रही है, विशेष रूप से जब इस हमले में एक नेपाली नागरिक की जान गई है।
नेपाल ने हमेशा यह कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है, और इस प्रकार के प्रदर्शन यह साबित करते हैं कि नेपाली नागरिक आतंकवाद के खिलाफ अपने देश की नीति को और सख्त करना चाहते हैं।
भारत और नेपाल के बीच बढ़ता सहयोग
भारत और नेपाल के बीच पारंपरिक रूप से अच्छे रिश्ते रहे हैं, और भारत ने हमेशा नेपाल को सुरक्षा, आर्थिक और मानवाधिकार मामलों में सहयोग प्रदान किया है। यह प्रदर्शन भारत के साथ नेपाल के रिश्तों में एक और मजबूती का संकेत हो सकता है, क्योंकि भारत भी पाकिस्तान के आतंकवादियों से संबंधित मामलों पर सख्ती से कार्य करने का समर्थन करता है।
भारत और नेपाल के संबंधों को मजबूत करने के लिए यह जरूरी हो गया है कि दोनों देशों के नागरिक पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट होकर काम करें, ताकि आतंकवादियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाया जा सके। भारत और नेपाल के बीच मजबूत सहयोग से इस क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।
काठमांडू में हो रहे प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि नेपाल की जनता आतंकवाद के खिलाफ मजबूत खड़ी है और वे पाकिस्तान से संबंधित आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस घटना के बाद, नेपाल सरकार के लिए यह एक चुनौती बन गई है कि वह अपने नागरिकों की मांगों को गंभीरता से ले और इस मुद्दे पर कदम उठाए।
नेपाल को यह निर्णय लेना होगा कि वह पाकिस्तान के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है, और क्या वह भविष्य में ऐसे आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा। काठमांडू में चल रहे प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नेपाल आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार है, और यह आंदोलन अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन सकता है।