KKN गुरुग्राम डेस्क | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड के बैंकॉक शहर पहुंच गए हैं, जहां वे 6वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन 4 अप्रैल 2025 को आयोजित किया जाएगा, और इसमें भारत सहित बिम्सटेक (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) देशों के नेता हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी थाईलैंड के प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनावात्रा के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की थाईलैंड की तीसरी यात्रा है, और यह भारत-थाईलैंड संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए एक अहम कदम है।
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इस लेख में हम प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा, बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के महत्व, और भारत-थाईलैंड द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का थाईलैंड दौरा: एक अहम राजनैतिक यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड के बैंकॉक शहर पहुंचे हैं, जहां वे थाईलैंड के प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर हैं। इस यात्रा के दौरान, मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए थाई प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करेंगे।
भारत और थाईलैंड के बीच व्यापार, सुरक्षा, और संस्कृतिक संबंधों में काफी समानताएं हैं, और इस यात्रा के दौरान इन संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
6वां बिम्सटेक शिखर सम्मेलन: 4 अप्रैल 2025
बिम्सटेक शिखर सम्मेलन का आयोजन 4 अप्रैल 2025 को बैंकॉक में होगा। यह सम्मेलन भारत, थाईलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, और भूटान जैसे देशों के नेताओं को एक मंच पर लाता है। बिम्सटेक का उद्देश्य इन देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इस शिखर सम्मेलन में व्यापार, पर्यावरणीय मुद्दों, क्षेत्रीय सुरक्षा और सामाजिक विकास जैसे विषयों पर चर्चा होगी।
भारत के लिए यह सम्मेलन खास महत्व रखता है, क्योंकि भारत बिम्सटेक की प्रमुख सदस्यता रखता है और क्षेत्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत इस संगठन के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार, सुरक्षा और आर्थिक विकास में योगदान देता आ रहा है।
पीएम मोदी का द्विपक्षीय संवाद: थाईलैंड के साथ बढ़ती साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी के थाईलैंड दौरे में द्विपक्षीय वार्ता भी एक अहम हिस्सा होगी। पीएम मोदी और थाईलैंड के प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनावात्रा के बीच व्यापार, सुरक्षा, संस्कृतिक आदान-प्रदान, और नौवहन सहयोग पर बात होगी।
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व्यापार और निवेश: भारत और थाईलैंड के बीच व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी की संभावनाएं हैं। दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो रहे हैं, और यह द्विपक्षीय संवाद इस सहयोग को और बढ़ावा देने में मदद करेगा।
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संस्कृतिक संबंध और पर्यटन: भारत और थाईलैंड के बीच गहरे संस्कृतिक संबंध हैं। दोनों देशों के नागरिकों के बीच यात्रा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर चर्चा की जाएगी।
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सुरक्षा और रक्षा: इस बैठक में सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर भी चर्चा होगी, खासकर समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के विषय पर।
बिम्सटेक और भारत के लिए इसका महत्व
बिम्सटेक का गठन 1997 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सामाजिक विकास, व्यापार, पर्यावरण, और सुरक्षा के मामलों में सहयोग बढ़ाना है। यह संगठन बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के देशों को जोड़ता है और इन देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का एक प्रमुख मंच है।
भारत के लिए, बिम्सटेक एक रणनीतिक साझेदार है क्योंकि यह भारत की ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत का उद्देश्य इस संगठन के माध्यम से दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ बेहतर वाणिज्यिक और सुरक्षा संबंध बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी की थाईलैंड यात्रा का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी का यह थाईलैंड दौरा कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। यह यात्रा भारत-थाईलैंड संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक अवसर है। इसके अलावा, यह बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के माध्यम से भारत को क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा के मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाने का मौका भी प्रदान करता है।
भारत-थाईलैंड रिश्तों में सुधार के कई पहलू हैं:
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आर्थिक सहयोग: दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और नौवहन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत के लिए थाईलैंड एक अहम व्यापारिक साझेदार है।
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क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत और थाईलैंड को समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करना है।
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संस्कृतिक संबंध: दोनों देशों के बीच मजबूत संस्कृतिक और पर्यटन संबंधों की एक लंबी परंपरा है, जिसे और बढ़ाने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ावा देगा बल्कि बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में भी सहयोग को प्रोत्साहित करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से भारत-थाईलैंड रिश्तों को और मजबूती मिलेगी। यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नए अवसरों की शुरुआत करेगी। बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के माध्यम से भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण एशिया के देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का मौका मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की थाईलैंड यात्रा भारत की ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी को मजबूत करने और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अहम साबित होगी।
प्रधानमंत्री मोदी की थाईलैंड यात्रा और बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भागीदारी भारत के क्षेत्रीय सहयोग और आर्थिक विकास के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण कदम है। यह यात्रा भारत और थाईलैंड के रिश्तों को नए आयाम पर ले जाएगी, और दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देगी।
यह यात्रा और शिखर सम्मेलन बिम्सटेक देशों के लिए एक अवसर होगा, जहां वे साझा समस्याओं का समाधान करने के लिए एकजुट हो सकते हैं और आर्थिक तथा सामरिक सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
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