ट्रम्प टैरिफ्स अपडेट: चीन को छोडकर, टैरिफ दर 125% बढ़ी, वैश्विक व्यापार में उथल-पुथल

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KKN गुरुग्राम डेस्क | अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 10 अप्रैल 2025 को वैश्विक व्यापार पर एक बड़ा निर्णय लिया। राष्ट्रपति ने 90 दिन के लिए टैरिफ्स में विराम की घोषणा की, लेकिन इस विराम से चीन को बाहर रखा गया है। इसके बजाय, चीन पर टैरिफ दर को 125% तक बढ़ा दिया गया है, जिससे US-चीन व्यापार युद्ध में और भी तनाव बढ़ गया है। इस कदम ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी उथल-पुथल मचाई है, और इसके प्रभाव एशियाई बाजारों में साफ़ तौर पर देखे गए। हालांकि, चीन पर इस बढ़ी हुई टैरिफ दर का असर किस हद तक पड़ेगा, इस पर अभी भी असमंजस बना हुआ है।

चीन को टैरिफ विराम से बाहर क्यों रखा गया?

डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से 90 दिन के टैरिफ विराम की घोषणा ने कुछ देशों के लिए राहत की लहर छोड़ी, खासकर एशिया के देशों के लिए, जिनकी वित्तीय स्थिति अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण प्रभावित हो रही थी। हालांकि, ट्रम्प ने चीन को इस विराम से बाहर रखा, और इसके बजाय, चीन पर 125% टैरिफ दर लागू कर दी। यह निर्णय अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव को और बढ़ा सकता है, खासकर जब से चीन ने पहले ही अमेरिका के उत्पादों पर 84% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।

इस निर्णय के बाद एशियाई बाजारों में तेज़ सुधार देखने को मिला। जापान के निक्केई 225 इंडेक्स में 8% की वृद्धि हुई, दक्षिण कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 5% बढ़ा, और ऑस्ट्रेलिया के ASX 200 में भी 5% की वृद्धि हुई। इन बढ़ी हुई टैरिफ दरों ने इन देशों के शेयर बाजारों में सकारात्मक बदलाव लाया, क्योंकि निवेशक मानते हैं कि बाकी देशों के लिए व्यापारिक तनाव में कमी आएगी, लेकिन चीन की स्थिति गंभीर बनी रहेगी।

ट्रम्प टैरिफ युद्ध: चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ की युद्ध

राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन के सामानों पर 125% टैरिफ लगाया है, जिसे चीन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ट्रम्प का कहना है कि चीन के व्यापारिक व्यवहार ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुँचाया है, और उन्होंने यह आरोप लगाया है कि चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाए हैं, जिससे US व्यवसायों को नुकसान हुआ है। ट्रम्प ने “टैक्स ब्लैकमेल” का आरोप लगाया और कहा कि चीन अपने व्यापारिक दृष्टिकोण से अमेरिका को लूटने की कोशिश कर रहा है।

इस स्थिति को देखते हुए चीन ने भी प्रतिवाद किया और 84% टैरिफ अमेरिकी सामानों पर लगाने की घोषणा की। यह कदम दो वैश्विक शक्तियों के बीच व्यापार युद्ध को और बढ़ा सकता है। चीन का कहना है कि वह अमेरिका के टैरिफ थोपने के दबाव में नहीं आएगा और अपनी संप्रभुता को बनाए रखेगा।

वैश्विक बाजारों में प्रतिक्रियाएँ और बाजारों का उछाल

अमेरिकी शेयर बाजार पर ट्रम्प के निर्णय का तत्काल असर देखने को मिला। 9 अप्रैल 2025 को अमेरिकी शेयर बाजार ने एक बड़ी रैली देखी, जब ट्रम्प ने 90 दिन के टैरिफ विराम की घोषणा की। डॉव जोन्स इंडेक्स में 2,962.97 अंक (7.87%) की वृद्धि हुई, नैस्डैक ने 1,867.06 अंक (12.16%) की छलांग लगाई, और S&P 500 में 474.93 अंक (9.53%) की वृद्धि हुई। यह रैली उस समय आई जब बाजार में पहले ट्रंप के व्यापार युद्ध की बढ़ती अस्थिरता को लेकर घबराहट थी।

यह रैली अमेरिकी शेयर बाजार के लिए एक राहत का संकेत था, लेकिन यह केवल एक अस्थायी राहत हो सकती है। चीन के खिलाफ बढ़ाए गए 125% टैरिफ की स्थिति अभी भी वैश्विक व्यापार के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। सोने और तेल जैसी वस्तुओं में भी उच्च अस्थिरता देखने को मिल रही है, क्योंकि व्यापार युद्ध के परिणामों का सटीक अनुमान लगाना बहुत कठिन है।

व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध का प्रभाव वैश्विक वित्तीय बाजारों पर बहुत गहरा पड़ा है। एशियाई बाजार और यूरोपीय शेयर बाजार दोनों ही इस अमेरिका-चीन व्यापार संघर्ष से प्रभावित हुए हैं। अमेरिका और चीन दोनों ही देशों की आर्थिक नीतियां और टैरिफ्स वैश्विक व्यापार पर दूरगामी प्रभाव डाल रहे हैं, जिससे दुनिया भर के बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है।

आधुनिक समय में, ट्रेड टैरिफ और सार्वभौमिक व्यापारिक नीतियाँ प्रमुख व्यापारिक मुद्दे बन गए हैं, जिनका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। इन निर्णयों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और मूल्य श्रृंखलाओं को प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई देशों में वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है।

अमेरिकी और चीनी व्यापार संघर्ष का भविष्य

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है, और अब यह सवाल है कि 2025 में इन टैरिफ युद्धों का अंत कैसे होगा। यदि चीन और अमेरिका अपने टैरिफ विवादों को हल करने में सफल नहीं होते हैं, तो दुनिया को एक लंबा संघर्ष झेलना पड़ सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार और आर्थिक वृद्धि पर असर पड़ेगा।

हालांकि, 90 दिन के टैरिफ विराम का संकेत यह हो सकता है कि कुछ समय के लिए व्यापारिक अस्थिरता में कमी आएगी, लेकिन चीन पर बढ़े हुए टैरिफ और प्रतिवादी उपायों से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक युद्ध समाप्त नहीं हुआ है।

निवेशकों के लिए सुझाव: ट्रम्प टैरिफ युद्ध के प्रभाव को समझना

वर्तमान वैश्विक व्यापार युद्ध के मद्देनजर, निवेशकों को वित्तीय बाजारों की अस्थिरता को समझने की जरूरत है। सोने जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों के साथ-साथ गोल्ड ईटीएफ और सुवर्ण बॉंड्स जैसे निवेश विकल्पों पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है।

  1. सोने में निवेश: सोना पारंपरिक रूप से एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, विशेष रूप से व्यापार युद्ध और आर्थिक मंदी के समय में।

  2. गोल्ड ईटीएफ: गोल्ड ईटीएफ द्वारा सोने की कीमत पर आधारित निवेश किया जा सकता है, जिसमें व्यापारिक टकरावों से संबंधित जोखिम कम होते हैं।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव का वैश्विक बाजार पर गहरा असर पड़ रहा है, और 125% टैरिफ वृद्धि से स्थिति और भी जटिल हो सकती है। इस समय में निवेशकों को सावधान रहकर वित्तीय बाजारों की अस्थिरता को समझते हुए अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए। चीन और अमेरिका के व्यापार युद्ध के परिणाम के बारे में अभी स्पष्टता नहीं है, लेकिन वैश्विक व्यापार पर इसके प्रभाव लंबे समय तक बने रहने की संभावना है।

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